Monday, March 17, 2025
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16 से कम उम्र की लड़की से सहमति से बने संबंध भी दुष्कर्म : हाई कोर्ट

चंडीगढ़। दुष्कर्म के कई मामलों में आरोपी दलील देता है कि उनके बीच शारीरिक संबंध ‘आपसी सहमति’ से बने थे। मगर, ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 16 साल की कम उम्र की लड़की के साथ बनाए गए संबंध को दुष्कर्म ही माना जाएगा। भले ही यह शारीरिक संबंध सहमति से बने हों।

जस्टिस अनीता चौधरी ने कहा, ‘एक नाबालिग लड़की को झांसा और लालच देकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी किया जा सकता है। 16 साल से कम उम्र की लड़की बिना इसका नतीजा समझे संबंधों की सहमति भी दे सकती है। इसलिए तथाकथित सहमति के नाम पर हम किसी को इसका नाजायज फायदा नहीं उठाने दे सकते।

जस्टिस चौधरी ने ये बातें बात गुड़गांव के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहीं। इस मामले में आरोपी का दावा था कि पीड़िता के साथ उसके सम्बन्ध आपसी सहमति के आधार बने थे, इसलिए उसे सजा नहीं मिलनी चाहिए। आरोपी ने 22 जनवरी 2010 को पीड़िता का अपहरण किया था। उस वक्त लड़की की उम्र 15 वर्ष थी।

पीड़‍िता के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उस वक्त उसे नहीं पता था कि उसकी बच्ची के साथ किसने दुष्कर्म किया है। लड़की ने बाद में बताया कि घटना का आरोपी मिस्त्री है, जो पीड़िता के घर में ही काम करता था। वह पहले से ही शादीशुदा था और उसके दो बच्चे भी थे।

उसे गुड़गांव की जिला अदालत में पेश किया गया, जहां उसे नाबालिग लड़की का अपहरण करने और उसके साथ दुष्‍कर्म करने के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई थी। इस सजा के खिलाफ दोषी ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपील की थी।

 

12 साल की उम्र में शादी, 14 साल में हुए 2 बच्चे, अब हैं पहलवान

भिवानी।12 साल की उम्र में शादी, 14 साल में दो बच्चों की मां और 21 साल की उम्र में बनी भारत की कुश्ती टीम की सदस्य। ये कहानी है हरियाणा के भिवानी में जन्मी पहलवान नीतू की, जिसकी शादी महज 12 साल की उम्र में 30 साल के मानसिक रूप से विकलांग से कर दी गई थी।

– नीतू के हौसले ने बंदिशों के पर कतर दिए। सब कुछ मुमकिन बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर विदेश के रास्ते खोल लिए।

– नीतू ने बताया कि उसके पांच भाई-बहन हैं। परिवार वालों ने पहली शादी टूटने के बाद दूसरी शादी कर दी। नीतू के पिता प्रेम कुमार ने गरीबी के कारण 2007 में उसकी शादी रोहतक जिले के गांव बेड़वा के संजय कुमार से कर दी।

– शादी के बंधन में बंधी 14 वर्ष की आयु में नीतू ने जुड़वां बच्चों आयुष-प्रिंस को जन्म दिया जो आज आठ वर्ष के हो चुके हैं।

– वर्ष 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल में लड़कियों को कुश्ती लड़ते देख नीतू को भी खेलने का शौक चढ़ा।

– नीतू बताती हैं कि उन्होंने अपने पति संजय से बात की तो उन्होंने अपनी माता मरमन देवी से बात कर मुझे अखाड़े में जाने की इजाजत दे दी।

– वर्ष 2011 में उन्होंने रोहतक स्थित छोटूराम ईश्वर अखाड़े में जाना शुरू किया। वजन ज्यादा होने के कारण अखाड़े में उनसे कड़ी मेहनत कराई गई और 53 किलो भार वर्ग में लड़ने के लायक बनाया गया।

– गरीबी के कारण वह फटे जूतों और फटी प्रैक्टिस ड्रेस में अभ्यास करती थी। खाने की खुराक भी उसे पूरी नहीं मिलती थी। कोच व अन्य साथियों ने मदद की।

– कम समय में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत नीतू ने अपने इरादे जाहिर कर दिए। 2014 में खेली गई सीनियर नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य और 2015 में जूनियर नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।

– 2015 में केरल में खेले गए राष्ट्रीय खेलों में कांस्य जीता। उन्हें 2015 ब्राजील में खेली गई जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत की तरफ से खेलने का भी मौका मिला।

– नीतू अब ओलिंपिक में पदक लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

 

9 साल की यह बच्ची बनी रिपोर्टर

एक कस्बे में किसी व्यक्ति की हत्या हो गई थी। घटना की जानकारी मिलते ही एक नौ साल की बच्ची वहां रिपोर्टिंग करने पहुंच गई। उसके हाथों में पेन, डायरी और कैमरा था। वह आसपास के लोगों से बातचीत कर मामले की जानकारी कर रही थी। साथ ही उसे डायरी में लिख भी रही थी।

उसने घटना की तस्वीरें भी खींची। यहां तक कि उसने पुलिस से भी घटना के बारे में तहकीकात की। यह देख वहां मौजूद लोग हैरान थे। घर पहुंचकर उसने घटना की खबर लिखी और अपने अखबार में प्रकाशित की। बच्ची की इस बहादुरी की दुनिया की मीडिया में जमकर तारीफ हो रही है।

यह नन्हीं संपादक हिल्दे केट लिस्यिाक है। वह अमेरिकी प्रांत पेनसिलवेनिया के सेलनिसग्रोव की रहने वाली है। घटना 2 अप्रैल की है। वह घर में थी, तभी उसे पता चला कि कस्बे में किसी व्यक्ति की हत्या हो गई है। पुलिस ने उसके घर के आसपास के रास्ते को बंद कर रखा था।

इसे देखकर वह तुरंत बाहर निकली और पुलिस को बताया, मैं पत्रकार हूं। इसके बाद घटनास्थल पर पहुंची। यहां वह उस कमरे में गई, जहां व्यक्ति की हत्या की गई थी। वापस घर आकर उसने पुलिस के अधिकारियों को मामले से जुड़ी सूचानाओं के लिए फोन भी किया। बच्ची ने घटना का शार्ट वीडियो भी बनाया है। जब वह वहां पहंुची तो वहां अन्य पत्रकार भी नहीं थे।

हिल्दे केट ने 2014 में आरेंज स्ट्रीट न्यूजपेपर और वेबसाइट शुरू की थी। वह खुद उसकी संपादक और प्रकाशक है। इस घटना की फोटो और न्यूज को उसने सबसे पहले अपने सोशल मीडिया पेज और वेबसाइट पर दिया। उसके पिता एक स्थानीय अखबार में पत्रकार रह चुके हैं।

उन्हीं से प्रेरित होकर उसने पत्रकारिता करना सीखा है। हालांकि जब कुछ लोगों ने उसकी उम्र को लेकर सवाल किया तो हिल्दे ने उन्हें करारा जवाब भी दिया। वह कहती है ‘हां, मैं नौ साल की हूं, पर मैं पहले रिपोर्टर हूं। यदि मेरे से उम्र में बड़े लोग ये सोचते हैं कि मैं यह नहीं कर सकती तो यह उनकी गलतफहमी है, मैं ऐसा कर सकती हूं।

आप किसी बच्चे को लड़का और लड़की में न बांटे। दोनों एक समान हैं।’ हेल्दी केट अब अमेरिका में काफी लोकप्रिय हो गई है। दुनिया के कई बड़े अखबार उसके इंटरव्यू ले रहे हैं।

 

डैड का वार्डरोब भी है आपके काम का

कितनी बार ऐसा हुआ है जब आपने अपने डैड के वॉर्डरोब में तांक-झांक की है उनके सूट्स, घड़ियों और शेड्स के कलेक्शन को देखने के लिए। पुरानी चीजें अक्सर काम की होती हैं। आखिरकार लड़कियों को भी तो जेंटलमेन ही पसंद आते हैं तो जेंटलमैन और स्टाइलिश बनने के लिए आपके डैड का वार्डरोब काम की चीज साबित हो सकता है –

कफलिंक्स
कफलिंक्स ऐसी ही एक चीज़ है. फिर चाहे वो लाजवाब प्लैटिनम वाले हों या गोल्ड कफलिंक्स या फिर क्लासिक आयरन कट कफलिंक्स जो आपके वॉर्डरोब की शान बढ़ाएंगे। तो एक्सेसरीज़ में पर आपको सबसे पहले कफलिंक्स ही लेने चाहिए।

सनग्लासेज

Well dressed man hands with elegant suit and accessories

गोल्ड फ्रेम्स वाले राउंड सनग्लासेज़, दोनों ही आप पर बहुत अच्छे लगेंगे। ऐसी पुरानी चीज़ें बेहद क्लासी होती हैं और अगर आपको ऐसी की चीज़ मिले तो उसे छोड़े नहीं।Ray-Ban-Aviator-Sunglasses-For-Men1

एक क्लासिक घड़ी 

क्लासिक घड़ी एक आदमी की पहचान होती है और पुश्तों से परिवार का हिस्सा रही घड़ी से बेहतर भला क्या हो सकता है। हम सलाह देंगे कि आप ये घड़ी अपने डैड से ज़रूर मांगें। ये शायद उतनी पॉलिश्ड ना दिखे पर यही तो इसकी खासियत है। इस एक्सेसरी पर समय की छाप दिखने दें. अगर ये एक टैन ब्राउन लेदर वाली गोल्ड डायल घड़ी है तो इससे बेहतर कुछ नहीं।209636194afd194d9b93fff12dea3e22

टार्टन या प्लेड ब्लेज़र 
टार्टन या प्लेड ब्लेज़र से कई यादें जुड़ी होती हैं. और आपके पापा के वॉर्डरोब में भी ऐसा एक ब्लेज़र ज़रूर होगा, जिसे आप भी आजमा सकते हैं। आप इसे अपने वॉर्डरोब में बड़ी आसानी से शामिल कर सकते हैं, सिंपल सी शर्ट के साथ पहनकर या स्पंकी स्लोगन टी-शर्ट के साथ पहनकर।blazer-dress-shirt-dress-pants-brogues-bow-tie-large-767

 

बेहद काम के हैं ये किफायती होममेड बैैग्स

यह सही है कि दफ्तर हो या कोई पार्टी मंहगे बैग्स हम अधिकतर इस्तेमाल करते हैं मगर यह भी लगता है कि कुछ अलग तो होना चाहिए। कई बार लेदर बैग्स का वजन ज्यादा हो जाता है तो हम चाहकर भी आराम से नहीं रह पाते। अगर कुछ ऐसा हो कि वह जेब औऱमूड दोनों को हल्का रखे तो शायद इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। हम आपके लिए पेश कर रहे हैं आदि होममेड बैक्स के दिलचस्प औऱ रंगारंग कलेक्शन जिन्हें आप कहीं भी औऱ कैसे भी कैरी कर सकती हैं औऱ ये आपके बजट  में भी फिट बैठने वाले हैं।

आप किसी पार्टीी में जा रहे हैं तो  यह बैग आपको पसद आ सकता हैै।

 

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सहेलियों के साथ मस्ती करननी हो या शॉपिंग, ये प्रिंटेड बैग आपको कूल लुक देगा
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किसी भी इंडियय वेयर, कुरतीी या जींस के साथ यह बैैग बहुत फबैगा
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साम्प्रदायिक सद्भभाव का प्रतीक होगा इस्कॉन का चंद्रोदय मंदिर

आगरा/मथुरा _धर्म को आज तोड़ने का जरिया बनाया जा रहा है मगर धर्म जोड़ता है और जब यह जुड़ने और जोड़ने का काम करता है तो रचना अद्भुत होती है। ऐसी ही अद्भुत कृति बनने जा रही है इस्कॉन के चंद्रोदय मंदिर के रूप में। इस्कॉन सोसाइटी ने वृंदावन में दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया है।

– इसके लीड आर्किटेक्ट सिख धर्म से जुड़े जे. जे. सिंह हैं। जबकि अमेरिकन कंपनी के स्ट्रक्चरल आर्किटेक्ट मुस्लिम हैं। वहीं, लिफ्ट डिजाइन करने वाले ईसाई हैं।

– मंदिर की हाइट 210 मीटर होगी और इस बिल्डिंग में 70 तल बनाए जाएंगे। मुकेश अंबानी का एंटीलिया कुल 170 मीटर ऊंचा है और उसमें 27 फ्लोर शामिल हैं।

– चंद्रोदय मंदिर को पिरामिड का डेवलप्ड फॉर्म कहा जा रहा है।
– इसकी स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग के लिए इस्कॉन सोसाइटी ने अमेरिका की स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग कंपनी थॉर्नटन टोमासेटी की सेवाएं ली हैं।
– इस मंदिर के कंस्ट्रक्शन का जिम्मा गुड़गांव की इनजीनियस स्टूडियो और नोएडा की क्विनटेसेंस डिजाइन स्टूडियो को सौंपा गया है।

– 2006 में इसकी परिकल्पना की गई और 8 साल की तैयारियों के बाद 2014 में नींव रखी गई।

– प्रोजेक्ट डायरेक्टर दास के मुताबिक, इसकी नींव लगभग कुतुब मीनार की ऊंचाई जितनी गहरी खोदी गई है।

– मंदिर की नींव 55 मीटर जमीन में गहरी होगी और इसका बेस 12 मीटर ऊंचा होगा। कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। यानी कि कुतुब मीनार से कुल 6 मीटर कम गहरी।

– इसका निर्माण 2022 में पूरा होगा।

 

 

अमिताभ ने जब मां की तिजोरी से चुराई थी चवन्नी

इलाहाबाद. 23 मार्च को टी 20 वर्ल्ड कप में भारत-बांग्लादेश मैच में अमिताभ बच्चन कमेंटेटर पर गुस्सा हो गए थे। उन्‍होंने हर्षा भोगले को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया था, ‘मैं सभी का सम्मान करता हूं, लेकिन एक इंडियन कमेंटेटर को दूसरों की बजाय अपने प्लेयर्स की ज्यादा तारीफ करनी चाहिए।’ बता दें, ऐसा बहुत कम होता है जब बिग बी किसी कंट्रोवर्सी में आते हैं। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं बिग बी के इलाहाबाद से जुड़े 10 रोचक किस्से। आखिर क्यों अमिताभ ने मां की तिजोरी से चुराई थी चवन्नी?

– हिन्दी साहित्यकार यश मालवीय बताते हैं, अमिताभ को बचपन में इलाहाबाद के 17 क्लाइव रोड स्थित ‘रानी बेतिया’ कोठी देखने का शौक था।
– वह स्कूल जाते समय दीवारों से कूद-कूदकर इसके अंदर के नजारे को देखा करते थे।
– एक बार उन्‍होंने वहां के दरबान से कोठी दिखाने की बात कही, जिसके एवज में उसने चवन्नी मांगी।
– कोठी का नशा इस कदर था कि अमिताभ ने अपनी मां के दराज से चवन्नी चुराकर दरबान को दी।
– हालांकि, इसके बाद भी दरबान ने कोठी नहीं दिखाई।
– चोरी की बात जब मां तेजी बच्चन को पता चली तो उन्‍होंने अमिताभ की पिटाई भी की।

अमिताभ-जया की शादी में हरिवंश राय बच्चन ने बड़े भाई को नहीं बुलाया था…

– ठाकुर प्रसाद छोटे भाई हरिवंश राय बच्चन की आदतों से परेशान रहते थे। क्योंकि ये घर का काम नहीं करते थे, इन्हें घूमना-फिरना पसंद था।

– अंग्रेजों के जमाने के आईसीएस अफसर होने के नाते ठाकुर प्रसाद को अपनी इमेज खराब होने का डर था। इसलिए उन्‍होंने छोटे भाई को घर से निकाल दिया।
– इस बात को लेकर हरिवंश राय बच्‍चन के अंदर काफी गुस्सा था।
– यह नाराजगी अमिताभ-जया की शादी के समय तक रही।
– इस नाते 1973 में जब अमिताभ की शादी जया से तय हुई, तो हरिवंश राय ने बड़े भाई को एक निमंत्रण पत्र भेजा।
– उसमें लिखा था, ”चिरंजीव अमिताभ का आयुष्मती जया के साथ विवाह होना सुनिश्चित हुआ है। आपको आने की जरूरत नहीं है, पत्र से ही आशीर्वाद भेज दें।”

– बता दें, हरिवंश राय के पिता घंसू लाला साल 1870 के करीब इलाहाबाद के जीरो रोड मोहल्ले में आकर बस गए थे।
– उनकी दो शादी हुई थी। एक पत्नी से हरिवंश और दूसरी से ठाकुर प्रसाद थे।

 

अपने 7600 रेस्टोरेंट के जरिए बचा खाना 5 करोड़ गरीबों को खिलाएगी स्टारबक्स

वॉशिंगटन. यूएस की कॉफी चेन कंपनी स्टारबक्स ने अपने रेस्टोरेंट में बचे खाने को नहीं फेंकने का एलान किया है। कंपनी के मुताबिक, इस खाने को अब जरूरतमंदों के बीच बांटा जाएगा। कंपनी ने कहा है कि स्टारबक्स अब अमेरिका के नेशनल प्रोग्राम ‘फीडिंग अमेरिका’ से जुड़ रही है, जो गरीबों को खाना खिलाने का काम करती है।

स्टारबक्स ने कहा है कि वह अगले पांच साल में अपने सभी 7,600 रेस्टोरेंट से बचा हुआ खाना गरीबों के लिए दान करेगी।

कंपनी के मुताबिक, उसके रेस्टोरेंट में हर दिन सैंडविच, सलाद समेत कई चीजें बच जाती थीं।
पहले साल में स्टारबक्स भोजन बांटने की मुहिम ‘फूड शेयर’ के जरिए करीब 50 लाख खाने के पैकेट हेल्दी फूड की कमी से जूझ रहे लेागों को मुहैया कराएगी।
स्टारबक्स की ओर से पांच साल तक इस स्कीम को चलाए जाने का फैसला लिया गया है।
2021 तक कंपनी 5 करोड़ गरीबों को खाना मुहैया कराएगी।
स्टारबक्स से पहले ब्रिटेन की कंपनी टेस्को ने भी इसी तरह की योजना शुरू की है।

चार दिन पहले न्यूयॉर्क के अमीरों ने गरीबी दूर करने के लिए ज्यादा टैक्स देने की पेशकश की थी।

शेयर होल्डर्स और बाकी वर्कर्स भी सहमत

स्टारबक्स के मुताबिक, उसके शेयर होल्डर्स के अलावा ज्यादातर वर्कर्स की भी यही राय थी कि बचा हुआ खाना जरूरतमंदों तक पहुंचना ही चाहिए।

सालों की मेहनत के बाद उन्होंने हाईजीन व लजीज खाना बनाने में जो कामयाबी हासिल की है, वह बेकार न जाए।
बचा हुआ खाना जिन लोगों तक पहुंचेगा, उन्हें सैंडविच, सलाद या रेफ्रिजेरेटेड खाने पर स्टारबक्स का लेबल भी लगा हुआ मिलेगा।
स्टारबक्स अपनी तरह की अन्य कंपनियों को भी मुहिम से जोड़ने के लिए प्रेरित कर रही है।

क्या है फीडिंग अमेरिका‘?

‘फीडिंग अमेरिका’ नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है, जो 1979 से इस दिशा में काम कर रहा है।

अमेरिका में यह 200 से ज्यादा फूड बैंक और पैन्ट्रीज के साथ जुड़ा है।

इसे वैन हेंजल नामक एक रिटायर्ड कारोबारी ने शुरू किया था। उन्होंने सूप किचन के जरिए भूखे लोगों की मदद शुरू की थी।
– इसी दौरान एक दिन ग्रॉसरी स्टोर के बाहर कचरे के ढेर से भोजन तलाश रही बुजुर्ग महिला ने उन्हें सलाह दी कि बैंक की तर्ज पर होटल, रेस्टोरेंट के लिए भी बचा हुआ भोजन रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसी सलाह पर यह स्कीम आगे बढ़ी।

 

कजरारी – कजरारी अँखियों में छुपा रहे कजरा ये

ज्यादातर लड़कियों को काजल लगाना बहुत पसंद होता है. काजल लगाने से आंखें खूबसूरत और बड़ी नजर आती है।. कई लड़कियों पर तो काजल इतना अच्छा लगता है कि अगर वे एक भी दिन काजल न लगाएं तो लगता है कि चेहरा मुर्झा गया है।

लेकिन काजल लगाना भी एक कला है.। काजल के स्ट्रोक किस तरह लगाए जाएं, यह बहुत अहम होता है। हालांकि सिर्फ सही तरीके से काजल लगा लेना ही पर्याप्त नहीं है.। जरूरी है कि आपका काजल इस तरह लगा हो कि यह फैले नहीं. काजल फैल जाए तो पूरा मेकअप खराब लगने लग जाता है. ऐसे में आप चाहें तो इन उपायों को अपनाकर अपने काजल को फैलने से रोक सकती हैं.।

काजल लगाने से पहले बहुत जरूरी है कि आप अपना चेहरा टोनर से साफ कर लें। इससे त्वचा पर मौजूद तेल साफ हो जाएगा जिससे काजल के फैलने का डर कम हो जाएगा।

 काजल लगाने से पहले आंखों के नीचे थोड़ा पाउडर लगा लें.। आप चाहें तो आंखों के नीचे ब्रश या स्पंज की मदद से पाउडर लगा सकती है।

हमेशा वाटर प्रूफ काजल का इस्तेमाल करें। वाटरप्रूफ काजल फैलता भी नहीं है और लंबे समय तक टिका भी रहता है>

आईलाइनर लगाकर काजल लगाने से यह कम फैलता है।

संकल्प मजबूत हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता

पेंटिंग की दुनिया में सुमन परसरामपुरिया तेजी से अपनी जगह बना रही हैं। एक आम गृहिणी की जिंदगी जीने के बाद उन्होंने रंगों और कूची से रिश्ता जोड़ा है। कैंसर जैसी असाध्य बीमारी को मात देकर उन्होंने अपने हौसले का परिचय दिया। कई अन्य शहरों में उनकी चित्र प्रर्दशनी लग चुकी है। अपराजिता ने उनसे मुलाकात की –

बचपन से ही स्केच और पेंटिंग का शौक था मगर 5 साल पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ाया। इसका कारण यह था कि मैं अपनी प्रतिभा को सामने लाना चाहती थी। मुझे खुद को साबित करना था। मैं एक गृहिणी थी और परिवार ही मेरी दुनिया थी मगर पेंटिंग एक अधूरी चाहत थी जिसे मुझे पूरा करना था।

मेरा बचपन बहुत अच्छा गुजरा। आज से 35 साल पहले लड़कियों का स्नातक स्तर की पढ़ाई करना बड़ी बात थी। मेरी छोटी बहन भी डॉक्टर है। शादी के बाद संघर्ष किया जो कि दरअसल मानसिकता का संघर्ष था। उस समय पति ने मेरा साथ दिया।

मुझे कला और हस्तशिल्प में रुचि थी। 2004 में मांटेसरी कोर्स कर मैंने एक शिक्षिका के रूप में काम किया मगर पैर की समस्या के कारण मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी। बेटी के प्रोत्साहन से पेंटिंग 2010 में शुरू की मगर 2013 में ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी का पता चला जिसका इलाज 2014 तक चला। यह बहुत मुश्किल समय था और इस समय पेंटिंग ने ही मुझे ताकत दी। पेंटिंग ही वह जरिया था जिसके कारण मैं इस बीमारी से लड़ सकी। सही मायनों में तो लड़ाई दवा को लेकर होती है कि आपका शरीर उसे स्वीकार कर पाता है या नहीं। अब भी मेरी दवाएं चल रही हैं। दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी सम्भव है।

मुझे एक्रेलिक माध्यम में काम करना पसंद और चेहरा बनाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैंने राधा – कृष्ण की तस्वीरों की श्रृंखला बनायी है। इसके बाद गौतम बुद्ध की तस्वीरों पर काम किया। इससे मुझे शांति मिली। कोलकाता में प्रर्दशनी लगायी जिसमें उनके विविध रूपों की 40 तस्वीरें थीं। स्वास्थ्य के कारण कई बार अंतराल आता है मगर अब मैं पेंटिंग करती रहूँगी।

मुझे लगता है कि हम जो करना चाहते हैं, उसे करना चाहिए। अपनी इच्छा को जिम्मेदारी निभाते हुए पूरा करना जरूरी है।