Monday, March 17, 2025
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बेहद काम के हैं ये किफायती होममेड बैैग्स

यह सही है कि दफ्तर हो या कोई पार्टी मंहगे बैग्स हम अधिकतर इस्तेमाल करते हैं मगर यह भी लगता है कि कुछ अलग तो होना चाहिए। कई बार लेदर बैग्स का वजन ज्यादा हो जाता है तो हम चाहकर भी आराम से नहीं रह पाते। अगर कुछ ऐसा हो कि वह जेब औऱमूड दोनों को हल्का रखे तो शायद इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। हम आपके लिए पेश कर रहे हैं आदि होममेड बैक्स के दिलचस्प औऱ रंगारंग कलेक्शन जिन्हें आप कहीं भी औऱ कैसे भी कैरी कर सकती हैं औऱ ये आपके बजट  में भी फिट बैठने वाले हैं।

आप किसी पार्टीी में जा रहे हैं तो  यह बैग आपको पसद आ सकता हैै।

 

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सहेलियों के साथ मस्ती करननी हो या शॉपिंग, ये प्रिंटेड बैग आपको कूल लुक देगा
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किसी भी इंडियय वेयर, कुरतीी या जींस के साथ यह बैैग बहुत फबैगा
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साम्प्रदायिक सद्भभाव का प्रतीक होगा इस्कॉन का चंद्रोदय मंदिर

आगरा/मथुरा _धर्म को आज तोड़ने का जरिया बनाया जा रहा है मगर धर्म जोड़ता है और जब यह जुड़ने और जोड़ने का काम करता है तो रचना अद्भुत होती है। ऐसी ही अद्भुत कृति बनने जा रही है इस्कॉन के चंद्रोदय मंदिर के रूप में। इस्कॉन सोसाइटी ने वृंदावन में दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया है।

– इसके लीड आर्किटेक्ट सिख धर्म से जुड़े जे. जे. सिंह हैं। जबकि अमेरिकन कंपनी के स्ट्रक्चरल आर्किटेक्ट मुस्लिम हैं। वहीं, लिफ्ट डिजाइन करने वाले ईसाई हैं।

– मंदिर की हाइट 210 मीटर होगी और इस बिल्डिंग में 70 तल बनाए जाएंगे। मुकेश अंबानी का एंटीलिया कुल 170 मीटर ऊंचा है और उसमें 27 फ्लोर शामिल हैं।

– चंद्रोदय मंदिर को पिरामिड का डेवलप्ड फॉर्म कहा जा रहा है।
– इसकी स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग के लिए इस्कॉन सोसाइटी ने अमेरिका की स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग कंपनी थॉर्नटन टोमासेटी की सेवाएं ली हैं।
– इस मंदिर के कंस्ट्रक्शन का जिम्मा गुड़गांव की इनजीनियस स्टूडियो और नोएडा की क्विनटेसेंस डिजाइन स्टूडियो को सौंपा गया है।

– 2006 में इसकी परिकल्पना की गई और 8 साल की तैयारियों के बाद 2014 में नींव रखी गई।

– प्रोजेक्ट डायरेक्टर दास के मुताबिक, इसकी नींव लगभग कुतुब मीनार की ऊंचाई जितनी गहरी खोदी गई है।

– मंदिर की नींव 55 मीटर जमीन में गहरी होगी और इसका बेस 12 मीटर ऊंचा होगा। कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। यानी कि कुतुब मीनार से कुल 6 मीटर कम गहरी।

– इसका निर्माण 2022 में पूरा होगा।

 

 

अमिताभ ने जब मां की तिजोरी से चुराई थी चवन्नी

इलाहाबाद. 23 मार्च को टी 20 वर्ल्ड कप में भारत-बांग्लादेश मैच में अमिताभ बच्चन कमेंटेटर पर गुस्सा हो गए थे। उन्‍होंने हर्षा भोगले को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया था, ‘मैं सभी का सम्मान करता हूं, लेकिन एक इंडियन कमेंटेटर को दूसरों की बजाय अपने प्लेयर्स की ज्यादा तारीफ करनी चाहिए।’ बता दें, ऐसा बहुत कम होता है जब बिग बी किसी कंट्रोवर्सी में आते हैं। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं बिग बी के इलाहाबाद से जुड़े 10 रोचक किस्से। आखिर क्यों अमिताभ ने मां की तिजोरी से चुराई थी चवन्नी?

– हिन्दी साहित्यकार यश मालवीय बताते हैं, अमिताभ को बचपन में इलाहाबाद के 17 क्लाइव रोड स्थित ‘रानी बेतिया’ कोठी देखने का शौक था।
– वह स्कूल जाते समय दीवारों से कूद-कूदकर इसके अंदर के नजारे को देखा करते थे।
– एक बार उन्‍होंने वहां के दरबान से कोठी दिखाने की बात कही, जिसके एवज में उसने चवन्नी मांगी।
– कोठी का नशा इस कदर था कि अमिताभ ने अपनी मां के दराज से चवन्नी चुराकर दरबान को दी।
– हालांकि, इसके बाद भी दरबान ने कोठी नहीं दिखाई।
– चोरी की बात जब मां तेजी बच्चन को पता चली तो उन्‍होंने अमिताभ की पिटाई भी की।

अमिताभ-जया की शादी में हरिवंश राय बच्चन ने बड़े भाई को नहीं बुलाया था…

– ठाकुर प्रसाद छोटे भाई हरिवंश राय बच्चन की आदतों से परेशान रहते थे। क्योंकि ये घर का काम नहीं करते थे, इन्हें घूमना-फिरना पसंद था।

– अंग्रेजों के जमाने के आईसीएस अफसर होने के नाते ठाकुर प्रसाद को अपनी इमेज खराब होने का डर था। इसलिए उन्‍होंने छोटे भाई को घर से निकाल दिया।
– इस बात को लेकर हरिवंश राय बच्‍चन के अंदर काफी गुस्सा था।
– यह नाराजगी अमिताभ-जया की शादी के समय तक रही।
– इस नाते 1973 में जब अमिताभ की शादी जया से तय हुई, तो हरिवंश राय ने बड़े भाई को एक निमंत्रण पत्र भेजा।
– उसमें लिखा था, ”चिरंजीव अमिताभ का आयुष्मती जया के साथ विवाह होना सुनिश्चित हुआ है। आपको आने की जरूरत नहीं है, पत्र से ही आशीर्वाद भेज दें।”

– बता दें, हरिवंश राय के पिता घंसू लाला साल 1870 के करीब इलाहाबाद के जीरो रोड मोहल्ले में आकर बस गए थे।
– उनकी दो शादी हुई थी। एक पत्नी से हरिवंश और दूसरी से ठाकुर प्रसाद थे।

 

अपने 7600 रेस्टोरेंट के जरिए बचा खाना 5 करोड़ गरीबों को खिलाएगी स्टारबक्स

वॉशिंगटन. यूएस की कॉफी चेन कंपनी स्टारबक्स ने अपने रेस्टोरेंट में बचे खाने को नहीं फेंकने का एलान किया है। कंपनी के मुताबिक, इस खाने को अब जरूरतमंदों के बीच बांटा जाएगा। कंपनी ने कहा है कि स्टारबक्स अब अमेरिका के नेशनल प्रोग्राम ‘फीडिंग अमेरिका’ से जुड़ रही है, जो गरीबों को खाना खिलाने का काम करती है।

स्टारबक्स ने कहा है कि वह अगले पांच साल में अपने सभी 7,600 रेस्टोरेंट से बचा हुआ खाना गरीबों के लिए दान करेगी।

कंपनी के मुताबिक, उसके रेस्टोरेंट में हर दिन सैंडविच, सलाद समेत कई चीजें बच जाती थीं।
पहले साल में स्टारबक्स भोजन बांटने की मुहिम ‘फूड शेयर’ के जरिए करीब 50 लाख खाने के पैकेट हेल्दी फूड की कमी से जूझ रहे लेागों को मुहैया कराएगी।
स्टारबक्स की ओर से पांच साल तक इस स्कीम को चलाए जाने का फैसला लिया गया है।
2021 तक कंपनी 5 करोड़ गरीबों को खाना मुहैया कराएगी।
स्टारबक्स से पहले ब्रिटेन की कंपनी टेस्को ने भी इसी तरह की योजना शुरू की है।

चार दिन पहले न्यूयॉर्क के अमीरों ने गरीबी दूर करने के लिए ज्यादा टैक्स देने की पेशकश की थी।

शेयर होल्डर्स और बाकी वर्कर्स भी सहमत

स्टारबक्स के मुताबिक, उसके शेयर होल्डर्स के अलावा ज्यादातर वर्कर्स की भी यही राय थी कि बचा हुआ खाना जरूरतमंदों तक पहुंचना ही चाहिए।

सालों की मेहनत के बाद उन्होंने हाईजीन व लजीज खाना बनाने में जो कामयाबी हासिल की है, वह बेकार न जाए।
बचा हुआ खाना जिन लोगों तक पहुंचेगा, उन्हें सैंडविच, सलाद या रेफ्रिजेरेटेड खाने पर स्टारबक्स का लेबल भी लगा हुआ मिलेगा।
स्टारबक्स अपनी तरह की अन्य कंपनियों को भी मुहिम से जोड़ने के लिए प्रेरित कर रही है।

क्या है फीडिंग अमेरिका‘?

‘फीडिंग अमेरिका’ नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है, जो 1979 से इस दिशा में काम कर रहा है।

अमेरिका में यह 200 से ज्यादा फूड बैंक और पैन्ट्रीज के साथ जुड़ा है।

इसे वैन हेंजल नामक एक रिटायर्ड कारोबारी ने शुरू किया था। उन्होंने सूप किचन के जरिए भूखे लोगों की मदद शुरू की थी।
– इसी दौरान एक दिन ग्रॉसरी स्टोर के बाहर कचरे के ढेर से भोजन तलाश रही बुजुर्ग महिला ने उन्हें सलाह दी कि बैंक की तर्ज पर होटल, रेस्टोरेंट के लिए भी बचा हुआ भोजन रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसी सलाह पर यह स्कीम आगे बढ़ी।

 

कजरारी – कजरारी अँखियों में छुपा रहे कजरा ये

ज्यादातर लड़कियों को काजल लगाना बहुत पसंद होता है. काजल लगाने से आंखें खूबसूरत और बड़ी नजर आती है।. कई लड़कियों पर तो काजल इतना अच्छा लगता है कि अगर वे एक भी दिन काजल न लगाएं तो लगता है कि चेहरा मुर्झा गया है।

लेकिन काजल लगाना भी एक कला है.। काजल के स्ट्रोक किस तरह लगाए जाएं, यह बहुत अहम होता है। हालांकि सिर्फ सही तरीके से काजल लगा लेना ही पर्याप्त नहीं है.। जरूरी है कि आपका काजल इस तरह लगा हो कि यह फैले नहीं. काजल फैल जाए तो पूरा मेकअप खराब लगने लग जाता है. ऐसे में आप चाहें तो इन उपायों को अपनाकर अपने काजल को फैलने से रोक सकती हैं.।

काजल लगाने से पहले बहुत जरूरी है कि आप अपना चेहरा टोनर से साफ कर लें। इससे त्वचा पर मौजूद तेल साफ हो जाएगा जिससे काजल के फैलने का डर कम हो जाएगा।

 काजल लगाने से पहले आंखों के नीचे थोड़ा पाउडर लगा लें.। आप चाहें तो आंखों के नीचे ब्रश या स्पंज की मदद से पाउडर लगा सकती है।

हमेशा वाटर प्रूफ काजल का इस्तेमाल करें। वाटरप्रूफ काजल फैलता भी नहीं है और लंबे समय तक टिका भी रहता है>

आईलाइनर लगाकर काजल लगाने से यह कम फैलता है।

संकल्प मजबूत हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता

पेंटिंग की दुनिया में सुमन परसरामपुरिया तेजी से अपनी जगह बना रही हैं। एक आम गृहिणी की जिंदगी जीने के बाद उन्होंने रंगों और कूची से रिश्ता जोड़ा है। कैंसर जैसी असाध्य बीमारी को मात देकर उन्होंने अपने हौसले का परिचय दिया। कई अन्य शहरों में उनकी चित्र प्रर्दशनी लग चुकी है। अपराजिता ने उनसे मुलाकात की –

बचपन से ही स्केच और पेंटिंग का शौक था मगर 5 साल पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ाया। इसका कारण यह था कि मैं अपनी प्रतिभा को सामने लाना चाहती थी। मुझे खुद को साबित करना था। मैं एक गृहिणी थी और परिवार ही मेरी दुनिया थी मगर पेंटिंग एक अधूरी चाहत थी जिसे मुझे पूरा करना था।

मेरा बचपन बहुत अच्छा गुजरा। आज से 35 साल पहले लड़कियों का स्नातक स्तर की पढ़ाई करना बड़ी बात थी। मेरी छोटी बहन भी डॉक्टर है। शादी के बाद संघर्ष किया जो कि दरअसल मानसिकता का संघर्ष था। उस समय पति ने मेरा साथ दिया।

मुझे कला और हस्तशिल्प में रुचि थी। 2004 में मांटेसरी कोर्स कर मैंने एक शिक्षिका के रूप में काम किया मगर पैर की समस्या के कारण मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी। बेटी के प्रोत्साहन से पेंटिंग 2010 में शुरू की मगर 2013 में ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी का पता चला जिसका इलाज 2014 तक चला। यह बहुत मुश्किल समय था और इस समय पेंटिंग ने ही मुझे ताकत दी। पेंटिंग ही वह जरिया था जिसके कारण मैं इस बीमारी से लड़ सकी। सही मायनों में तो लड़ाई दवा को लेकर होती है कि आपका शरीर उसे स्वीकार कर पाता है या नहीं। अब भी मेरी दवाएं चल रही हैं। दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी सम्भव है।

मुझे एक्रेलिक माध्यम में काम करना पसंद और चेहरा बनाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैंने राधा – कृष्ण की तस्वीरों की श्रृंखला बनायी है। इसके बाद गौतम बुद्ध की तस्वीरों पर काम किया। इससे मुझे शांति मिली। कोलकाता में प्रर्दशनी लगायी जिसमें उनके विविध रूपों की 40 तस्वीरें थीं। स्वास्थ्य के कारण कई बार अंतराल आता है मगर अब मैं पेंटिंग करती रहूँगी।

मुझे लगता है कि हम जो करना चाहते हैं, उसे करना चाहिए। अपनी इच्छा को जिम्मेदारी निभाते हुए पूरा करना जरूरी है।

बड़ाबाजार की जिंदगी को झकझोर कर चला गया विवेकानंद फ्लाईओवर हादसा

विवेकानंद फ्लाईओवर शायद अब इतिहास बनने जा रहा है। गुरुवार 31 मार्च को हुए हादसे के बाद अब यह फ्लाईओवर लोगों की  उम्मीद नहीं बल्कि डर बन गया है। टूटे हुए स्लैब को हटाने के लिए सुरक्षा के मद्देनजरिए सुरक्षा के मद्देनजर आस – पास के मकानों को खाली करवाया जा रहा है और निगम ने यहाँ के कई मकानों पर खतरनाक होने का बोर्ड भी लगा दिया है। अब सवाल यह है कि क्या इससे समस्या का समाधान होगा? इसका सीधा असर बड़ाबाजार के विकास पर पड़ने जा रहा है। सम्भवतः यह फ्लाईओवर बड़ाबाजार की तकदीर बदलने का सार्मथ्य रखता था मगर अब यहाँ सिर्फ मलबा है।

प्रशासन की लापरवाही दुर्घटना का कारण बनी

बताया जाता है कि फ्लाईओवर का एक हिस्सा जहाँ ढहा है, वहाँ एक ही पिलर था जबकि पीछे की ओर दो पिलर थे। यहाँ रात को काम हुआ करता था। आरोप है कि फ्लाईओवर की मजबूती पर ध्यान नहीं दिया गया। कोलकाता उत्तर के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने माना कि फ्लाईओवर के नक्शे में गड़बड़ी की बात उनको पता चली थी और उन्होंने राज्य सरकार को इसकी जानकारी भी दी थी मगर 60 प्रतिशत काम पूरा होने के कारण कोई बदलाव किए बगैर काम जारी रखा गया। सांसद के बयान से सीधा सवा उठा कि क्या फ्लाईओवर का खर्च लोगों की जान से ज्यादा अहमियत रखता है। इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि स्थानीय विधायक के एक रिश्तेदार द्वारा घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया और यह सीधे सिंडिकेट राज के जरिए आने वाली बालू, सीमेंट जैसी चीजें थीं। अब सीएम ममता बनर्जी ने सीधे पुरानी वाममोर्चा सरकार को दोषी ठहराया है और वह पल्ला झाड़ना चाहती हैं। बात साफ है कि बड़ाबाजार इलाके को लेकर कोई गम्भीरता नहीं दिखती।

जमकर हो रही है राजनीति

जाहिर है कि चुनाव के मौसम में स्टिंग ऑपरेशन कांड के बाद विवेकानंद फ्लाईओवर सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहा है और इस पर सभी पार्टियाँ लामबंद हो रही हैं। भाजपा ने तो सीधे नारदकांड से इसे जोड़कर सीडी तक जारी कर दी है तो दूसरी और वाममोर्चा और काँग्रेस इस मुद्दे पर ममता सरकार को घेर रहे हॆं। हाल ही में राहुल गाँधी भी घटनास्थल  पर पहुँचे थे। यह तय है कि यह हादसा चुनाव को प्रभावित करने जा रहा है।

आवास की समस्या और जिंदगी का डर है

अब स्थानीय लोग अपने घरों को खाली करने को तैयार नहीं है और न ही वे इस इलाके में फ्लाईओवर चाहते हैं। इस मसले को लेकर इलाके में आंदोलन भी किया जा रहा है। फ्लाईओवर के नीचे कमला शिक्षा सदन स्कूल है और सुरक्षा की दृष्टि से यह एक समस्या है मगर सवाल विकल्प का भी है जो कि इस समय सरकार देने की स्थिति में नहीं है। लोग जान हथेली पर रखकर फ्लाईओवर के नीचे से गुजर रहे हैं और जिंदगी को दाँव पर लगाकर दुकानें खोल रहे हैं। अब देखना यह है कि विवेकानंद फ्लाईओवर के हिस्से में क्या आता है।

कविता

औरतें

— कल्पना

 kalpana di

चीखना चाहती है वह,

इतनी जोर से
कि अनंत प्रकाश वर्षों के पार
उसकी पीड़ा  विचलन पैदा  कर दे

पौराणिक चरित्रों के मुँह नोच कर
उनके मुखौटे अपने घरों की  दीवारों पर
टाँग देना चाहती है

सदियों से लांछित नियति का रोष
निकालना चाहती है
पंडों और दलालों के चंगुल मॆं फँसे
ईश्वर की चमकती मूर्तियों पर कालिख पोत कर

विकृत शब्दों मे जडे  पंगु नियमों की
धज्जियां उड़ा  कर
चिपका देना चाहती है आसमान की स्लेट पर

बवंडर लाना चाहती है
प्रलय बरसाना चाहती है
लील जाना चाहती है कुरूपताओं को

और अंततः आदतन चुप हो जाती  है
एक लम्बे मौन पर चली जाती है
जैसे लोग लम्बी यात्राओं पर जाते हैं

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(कवियत्री प्रख्यात रंगकर्मी व गायिका हैं। फिलहाल प्रमुख केन्द्रीय सस्थान में अनुवादक के रूप में कार्यरत)

बाइक चलाकर दूसरों को जीने की उम्मीद दे रही हैं सना

 

क्या आप बुलेट चलाकर किसी राह चलते इंसान को तनाव से बाहर निकलने की सलाह दे सकते हैं? पढ़ कर थोड़ा अजीब लग रहा है न कि ये क्या बात हुई. लेकिन इस बात को अपनी जिंदगी का उदे्दश्य बनाकर असल जिंदगी की बुलेट रानी सना इकबाल लोगों को बचाने निकल पड़ी हैं।

जब एक अंजान राही सीखा गया जीना 
खुद तनाव झेल चुकीं सना को एक अजीब घटना ने मौत से बचा लिया था। सना घर से अपनी बुलेट पर मौत का दामन थामने निकली थीं, लेकिन रास्ते में एक अंजान बाइक चालक ने उनकी ड्राइविंग की तारीफ की। वह शख्‍स उनके बाइक चलाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुआ था. उस शख्‍स की बातें सुनकर सना का खोया आत्मविश्वास वापस आ गया और उनमें जीने की इच्छा फिर से जाग उठी।

उन्हीं की तरह हजारों लोग तनाव से जूझ रहे हैं और इससे बाहर निकलने के बहुत सारे रास्ते हैं पर लोगों को उनके बारे में पता नहीं होता. उनके मुताबिक, ‘लोग आपको खुश रहने की सलाह दे सकते हैं लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो आपको उस खुशी को ढ़ढने का रास्ता भी बता सकें। वैसे भी आपकी खुशी आपके अपने हाथ में होती है.’ सना को बाइक चलाने से सुकून मिलता है और यह एक चीज उनके तनाव को कम कर देती है।

राहों पर मिलेगी खुशी 
सना को जिंदगी की असली खुशी अंजान राहों पर मिलती है और अब अपने इसी अनुभव से वह लोगों की मदद करने निकल पड़ी हैं। पिछले दिनों उन्‍होंने आत्महत्या रोकने और तनाव से कैसे लड़ें, इस विषय को ध्यान में रखकर एक अभियान चलाया। चार महीने में लगभग 44 शहरों का सफर उन्‍होंने अपनी बुलेट एलेक्ट्रा 350 सीसी पर तय किया।
जब उनसे पूछा गया कि वह नौजवानों को इस विषय पर जागरूक क्यों करना चाहती हैं तो उनका जवाब था कि अगर छात्रों को समय पर सही मार्गदर्शन मिल जाए तो वे अपना भविष्य उज्जवल बना सकते हैं.।

सफर में आईं ढेरों दिक्कतें 
कोई भी सफर आसान नहीं होता और ऐसा ही कुछ सना के साथ भी हुआ. वह कहती हैं बीच रास्ते में बाइक का खराब हो जाना बहुत परेशान करता था लेकिन कई बार अंजान लोगों से मदद मिल जाने पर फिर से इंसानियत पर भरोसा पैदा हो जाता था. छेड़छाड़ जैसी घटनाओं का सामना भी उन्‍होंने बड़ी हिम्मत और बहादुरी के साथ किया।

सना अपने काम से खुश हैं और उनका कहना है, ‘अगर मैं एक भी जिंदगी बचा पाती हूं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.’

 

शादी से पहले बनाएं आपसी फाइनेंशियल समझ

 

शादी के बाद कपल्स में अक्सर पैसों को लेकर मनमुटाव होता है। शादी करने वाले दो लोगों का नजरिया पैसों को लेकर अलग-अलग हो सकता है।

यह बहुत हद तक निर्भर करता है कि उनकी परवरिश कैसे हुई है या फिर वे किन परिस्थितियों में पले-बढ़े हैं। यह अंतर ही आगे चलकर ज्यादातर रिश्तों में तनाव, झगड़े और चिंता की वजह पैसे के मसले ही होते हैं।

ऐसे में बेहतर यही रहता है कि शादी से पहले ही फाइनेंशियल मुद्दों पर खुलकर बातचीत की जाए। यह लव मैरिज और अरेंज्ड मैरिज, दोनों ही मामलों में जरूरी है। अगर आप अपने लाइफ पार्टनर को लंबे समय से नहीं जानती हैं तो हो सकता है कि पैसों से जुड़े सवाल पूछने में आप थोड़ा असहज रहें।

लेकिन बात आपके भविष्य की है और यह भी सही है कि पैसों को लेकर होने वाली थोड़ी अनबन भी अाप दोनों के बीच बड़ा मसला बन सकती है इसलिए पैसों से जुड़े ये 5 सवाल शादी के लिए हां करने से पहले जरूर पूछ लें. सिचुएशन को थोड़ा सहज करने के लिए आप एक-एक करके भी इन मुद्दों पर बात कर सकते हैं।

1) आपके पैरंट्स ने पैसों के मामले में बचपन से कितनी छूट दी है 
अपने पार्टनर से जानने की कोशिश करें कि उनके घर में पैसे को लेकर क्या नजरिया है और वे बचत को कितनी अहमियत देते हैं.। उनसे पूछें कि पढ़ाई, लंबे वैकेशंस और बड़े खर्चे कैसे मैनेज किए जाते थे। पैसे को लेकर क्या उनके पैरंट्स ने कोई बड़ी गलती की है?  क्या वे वित्तीय रूप से घर के बुजुर्गों का ध्यान दे रहे हैं।
इन सभी सवालों के जवाब आप दोनों को एक-दूसरे के फाइनेंशियल बैकग्राउंड को समझने में मदद करेंगे।

2) लोन और हॉबी को करियर बनाने के बारे में करें सवाल 
पैसों से जुड़ी कुछ जिम्मेदारियां हम सभी पर जरूर होती है। मसलन अगर पैरेंट्स ने आपकी पढ़ाई के लिए लोन लिया है तो वह आपको चुकाना ही है। हो सकता है कि न्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसे से यह रकम दी हो. इसके अलावा भविष्य में अगर आप नौकरी छोड़कर अपने किसी पैशन को प्रोफेशन बनाने का सपना देख रहे हैं तो इस बारे में भी चर्चा करना जरूरी है.

3) खर्च करते समय क्या कार्ड की लिमिट चेक करते हैं
कपल्स के बीच खर्च करने से जुड़ी आदतें बाद में कलह की बड़ी वजह बन जाती हैं इसलिए कई सवाल जैसे- आप क्रेडिट कार्ड पर कितना खर्च करते हैं, क्या आप अपनी लिमिट से ज्यादा खर्च करते हैं. क्या आपने दोस्त या बैंक से उधार या लोन पर ले रखा है. आप सिर्फ बचत ही करते हैं या फिर कहीं निवेश भी किया हुआ है.।
उनसे यह सब जानने के बाद अपनी आदतों से इसकी तुलना करें और फिर देखें कि आप दोनों एक ट्रैक पर चल सकेंगे या नहीं।

4) पैसों से जुड़ी भवि‍ष्य की प्लानिंग पर भी करें बात 
घर खरीदना, बच्चों की प्लानिंग, रिटायरमेंट और इमरजेंसी फंड – इन चारों मसलों पर खुलकर अपने लाइफ पार्टनर से बात करें। इसके साथ ही शादी के बाद भी अगर पढ़ाई करने का कोई विचार हो तो पहले ही अपनी इच्छा जाहिर कर दें। यह भी जानने की कोशिश करें कि उसकी प्राथमिकता क्या है, बड़ी कार या बच्चों के पढ़ाई के लिए पैसे बचाना। निवेश की प्लानिंग के बारे में भी जरूर पूछिए.
हो सकता है कि एकदम आपको कुछ समझ न आए लेकिन उसके व्यवहार व सोच को समझने में आप जरूर कामयाब रहेंगे.

5) शादी और हनीमून के खर्च का भी लें जायजा 
अपने पार्टनर को खुल कर बताएं कि आप शादी में होने वाले खर्चों पर क्या सोचती हैं। अगर आप अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा इसमें खर्च करने की सोच रही हैं तो उसको यह बात जरूर बताएं। शादी से जुड़ी ज्यादातर दिक्कतें ईमानदारी से जवाब और खुली बातचीत से ही सुलझ जाती हैं. लिहाजा पैसों से संबंधित अपनी ख्वाहिश और दायरों के बारे में होने वाले पार्टनर को बेहि‍चक बताएं।