Saturday, July 26, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]
Home Blog Page 244

शिक्षण संस्थानों में तेज हुआ विद्यार्थियों का टीकाकरण

बिड़ला हाई स्कूल औऱ सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल के विद्यार्थियों को लगी वैक्सीन

कोलकाता। कोविड -19 से बच्चों की सुरक्षा के लिए टीकाकरण अभियान आरम्भ हो चुका है। महानगर के स्कूलों में भी टीकाकरण तेज हो चुका है। हाल ही में बिड़ला हाई स्कूल और सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल के लिए एक टीकाकरण शिविर का आयोजन विद्या मंदिर सोसायटी द्वारा किया गया। गत 8 जनवरी को यह शिविर सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में आयोजित किया गया। इस शिविर में 15 से 18 वर्ष के विद्यार्थियों को टीका लगाया गया। पहले दोनों स्कूलों के बोर्ड परीक्षार्थियों ने वैक्सीन की पहली डोज ली। इसके बाद 14 जनवरी को नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पहली बार यह टीका लग रहा है । लगभग 112 विद्यार्थियों को यह टीका वेलव्यू क्लिनिक के सहयोग से लगाया गया। इस दौरान कोविड -19 सम्बन्धी सुरक्षा नियमों का पालन किया गया। इस दौरान मेडिकल टीम के अतिरिक्त दोनों ही स्कूलों के शिक्षक – शिक्षिकाएं, कोऑर्डिनेटर उपस्थित थे।
टीकाकरण को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की बारहवीं की छात्रा प्रणति चौधरी ने इस अभियान को सराहा और स्कूल का धन्यवाद किया।
वहीं दसवीं की छात्रा यशिका मोदी ने कहा कि इस टीकाकरण अभियान में सभी आवश्यक सुरक्षा नियमों का पालन किया गया। टीकाकरण के बाद छात्राओं को 30 मिनट तक निगरानी में रखा गया। बैठने की व्यवस्था भी कोविड -19 नियमों को मानते हुए ही की गयी थी।

द भवानीपुर गुजराती एडुकेशन सोसायटी स्कूल टीकाकरण शिविर

वहीं द भवानीपुर गुजराती एडुकेशन सोसायटी स्कूल में कुल 153 विद्यार्थियों को कोविड -19 का टीका लगाया गया। आईएससी में 11 विद्यार्थियों को कोविशील्ड और 14 विद्यार्थियों को कोवैक्सीन लगी। आईसीएसई के 58 विद्यार्थियों को कोवैक्सीन का टीका लगाया गया।

ज़रूरतमंद छात्रों को फ़ेलोशिप देगा बंगीय हिंदी परिषद

कोलकाता । बंगीय हिंदी परिषद ने नए वर्ष में एक अभिनव संकल्प लिया है। परिषद ने निर्णय लिया है कि ऐसे छात्रों को, जो आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर परिवार से आते हैं और शिक्षा में जिनकी विशेष रुचि है, किंतु आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी वे बीच में ही पढ़ाई छोड़ने को बाध्य भी हो जाते हैं, परिषद की ओर से विविध अध्येतावृत्तियाँ प्रदान की जाएँगी ताकि उनकी शिक्षा में कोई भी व्यवधान न आए। परिषद ने निर्णायक मंडल द्वारा चुने गए योग्य छात्रों को निम्नलिखित अध्येतावृत्तियां प्रदान करने का निर्णय लिया है-
1. ज़ोया अहमद- आचार्य ललिता प्रसाद सुकुल फ़ेलोशिप
2. रोहित साव – श्री करुणाकान्त त्रिपाठी फ़ेलोशिप
3. अंजलि चौधरी – प्रो. रामचंद्र मिश्र फ़ेलोशिप
4. स्वाति यादव – डाॅ. रामनाथ तिवारी फ़ेलोशिप
5. अंजलि चौधरी- श्री लालबहादुर सिंह फ़ेलोशिप
6. वर्षा त्रिपाठी- आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री फ़ेलोशिप
उक्त अध्येतावृत्तियां प्रति माह 500/- की दर से एक वर्ष तक दी जाएँगी। एक वर्ष के पश्चात पुनर्मूल्यांकन के आधार पर अध्येतावृत्तियों की अवधि बढ़ाई जाएगी। परिषद की इस नई पहल से आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने का अवसर मिलेगा। उक्त सूचना परिषद के मंत्री डॉ. राजेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से दी।

उत्तरायण में सूर्य

डॉ. वसुंधरा मिश्र

उत्ताल सागर की तरंगों में झिलमिल करती रश्मियां
सागर के तट की लहरों को छू करतीं आंख-मिचौली
लाखों-करोड़ों वर्षों से सूर्य किरणों की अठखेलियाँ
संपूर्ण ब्रह्मांड की दिशाओं की चौकसी में
सूर्य का उत्तरायण होना
भीष्म पितामह का देह परित्याग
गंगा का धरती पर आना
सगर के साठ हजार पुत्रों का मोक्ष पा जाना
भगीरथ प्रयास में लीन
आज भी दिखाई देता है
कपिल मुनि के आश्रम में
आंखों से टपकते तप की प्रखरता।

खुशियां बांटता विशाल सागर तट
बुलाता रहता अपनों को
संवाद और परस्पर संबंधों को मजबूत बनाता
धर्म – जाति- रंग – लिंग से ऊपर उठकर सूर्य देव
समरसता के कई पाठ पढ़ाते
जप तप दान त्याग तपस्या के मूल में
प्रकृति और मनुष्य को एकजुट होने का बंधन बांधते
जीवन प्रदत्त रोशनी दे ऊर्जावान बनाते।

आधुनिकता की आंधी भी वहां फीकी ही रहती
कई युग आए और चले गए
अडिग सूर्य चमकता रहता
जीवन दान देता रहा
पृथ्वी की जिजीविषा को बनाए रखता
हस्तांतरित त्योहार बन हर वर्ष
धरती और अंबर के क्षितिज को एक करता।

धनु राशि से मकर राशि पर सूर्य का आ जाना
शुक्र का उदय समृद्ध समय ले आता
अपनी रहस्यमयी स्वर्णिम रेखाओं से
ब्रह्मांड में अगणित गणनाएं बन जातीं
देवलोक के पथ खुल जाते
पिता- पुत्र के मिलन हो जाते
नई फसल और सकारात्मक ऊर्जा ले आते
ऋतु परिवर्तन प्रक्रिया बन खिल जाती
अन्न धन की बहार ले आती
भारत फिर से सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता।

मकर संक्रांति विशेष – ऐसे शुरू हुई बिहार में दही चूड़ा खाने की परम्परा

मकर संक्रांति का पर्व बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है। यहां दही-चूड़ा और खिचड़ी खाने की परंपरा है। संस्कृति की यह कड़ी दुनिया की सबसे शुरुआत की परंपरा है। इसे आरम्भ का प्रतीक माना गया है। पौष मास में जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में गमन करते हैं तब यह खगोलीय घटना संक्रांति कहलाती है। बहुत शुरुआत में यह महज एक खगोलीय घटना थी, लेकिन, वैदिक काल में कई घटनाओं ने इसे पवित्र बना दिया। पवित्रता का यह प्रतीक आज तक भारतीय समाज का अभिन्न अंग है।

वैदिक कथाओं का असर
बिहार में दही चूड़ा खाने की परंपरा यहां उपजी वैदिक कथाओं से प्रभावित है। अभी हाल ही में सामने आया है कि झारखंड का सिंहभूम समुद्र से ऊपर आने वाला सबसे पहला भूखंड था। कहते हैं कि जब मनु ने पृथ्वी पर बीज रोपकर खेती की शुरुआत की थी, तब अन्न उपजे. खीर सबसे पहले पकाया जाने वाला भोजन है, जिसे क्षीर पाक कहा गया।

महर्षि दधीचि ने शुरू की परंपरा
इसके बाद दूध से दही बनाने की परंपरा विकसित हुई तो धान के लावे को इसके साथ खाया गया। भोजन को तले जाने की व्यवस्था की शुरुआत तब नहीं हुई थी। महर्षि दधीचि ने सबसे पहले दही में धान मिलाकर भोजन की व्यवस्था की थी।

सारण जिला है साक्षी
बिहार के सारण जिले में स्थित है माँ अम्बिका भवानी मंदिर। सतयुग के समय में यही ऋषि की तपस्थली थी। एक बार अकाल के समय ऋषि ने माता को दही और धान का भोग लगाया था। तब देवी अन्नपूर्णा रूप में प्रकट हुईं और अकाल समाप्त हो गया।

मिथिला से जुड़ी हैं संस्कृति
दही-चूड़ा खाने की परंपरा मिथिला से भी जुड़ी हुई है। धनुष यज्ञ के समय मिथिला पहुंचे ऋषि मुनियों ने दही चूड़ा का भोज किया था। इतने बड़े आयोजन में ऋषियों के भोजन से इसे प्रसाद के तौर पर लिया गया, और फिर दही चूड़ा की परंपरा चल पड़ी।

दही-चूड़ा सम्पूर्ण आहार
जैसे दूध एक सम्पूर्ण पेय है, दही चूड़ा सम्पूर्ण आहार है। यह बिना पकाए, गर्म किये बनता है, इसलिए इसके प्राकृतिक पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं।

बंगाल में दही चूड़ा
दही-चूड़ा की आधुनिक परम्परा को लाने का श्रेय बंगाल के गौड़ सिद्धों को भी जाता है। यह कहानी तब की है जब बिहार नहीं, बंगाल ही राज्य था। यहां चैतन्य महाप्रभु के शिष्य रघुनाथ दास ने बड़े पैमाने पर दही चूड़ा का प्रसाद बंटवाया था। उन्होंने यह उत्सव सज़ा के तौर पर किया था, क्योंकि उन्होंने छिप कर सतसंग सुना था. इसके बाद बंगाल में दही चूड़ा की एक परंपरा बन गयी, जो हर उत्सव की साक्षी है।

(साभार – जी न्यूज)

 

मकर संक्रांति पर बनाएं गुड़ वाले तिल-चावल के लड्डू 

सामग्री – चावल का आटा- 200 ग्राम, गुड़- 200 ग्राम, तिल- 100 ग्राम, सूखा नारियल- 50 ग्राम, घी- 2 चम्मच, इलायची पाउडर- ½ चम्मच, केसर- 8-10 धागे, बारीक कतरे सूखे मेवे

 विधि – घर पर गुड़ वाले तिल के लड्डू बनाने के लिए आप सबसे पहले एक पैन लें और उसमें चावल का आटा डालें।  आटे को धीमी आंच पर भून लें। जब इसका रंग बदलने लगे तब आप गैस बंद करके इसे एक प्याले में निकाल लें। ध्यान रखें कि चावल का आटा ज्यादा ना भूनें इसकी खुशबू आनी शुरू हो तब गैस बंद कर दें। वैसे आपको ये भी बता दें कि इसे भुनने में 8-10 मिनट का समय लगता है। इस बीच आप इसे अच्छे से करछी से हिलाती रहें नहीं तो ये जल भी सकता है। अब कढ़ाही में तिल डालकर उसे रोस्ट करें। तिल जब रोस्ट हो जाएंगे तो उनका रंग बदलना शुरू हो जाएगा और उनकी खूशबू भी आने लगेगी। तिल भुनने में भी आपको कम से कम 2 मिनट तो लग ही जाएंगें। अब आप इन भूने हुए तिल को भुने हुए चावल के आटे में मिला दें। और इसी में कद्दूरस किया हुआ नारियल, इलायची पाउडर, केसर, और ड्राइफ्रूट सब डाल लें। आप चाहें तो ड्राइफ्रूट को मिक्सी में पीसकर उसका पाउडर बनाकर भी डाल सकती हैं।

ऐसे बनाएं गुड़ से चाशनी – लड्डू बनाने के लिए आपको गुड़ की चाशनी बनानी होगी। इसके लिए आप कढ़ाही को गैस पर रखें। गुड़ को बारीक-बारीक पीस पर कढ़ाही में डालें और इसमें आधा कप पानी भी डाल दें। धीमी आंच पर कढ़ाही में गुड़ की चाशनी को पकने दें। गुड़ गैस पर गर्म होकर पानी में अच्छे से जब घुल जाएगा तो समझिये आपकी चाशनी तैयार है। चाशनी की एक बूंद को अंगूठे पर डालकर उंगली से दबाकर देखिए एक तार बनती है तो चाशनी की गैस बंद कर दें।

यह भी देखें – खिचड़ी….देश को एक सूत्र में बाँधने वाला व्यंजन

ज्ञान, विज्ञान, दान और प्रकृति से जुड़ा त्योहार मकर संक्रांति

हमारे देश में अधिकांश त्योहार महज रूढ़ियों और परंपराओं से जुड़े न होकर उनके पीछे ज्ञान, विज्ञान, कुदरत स्वास्थ्य और आयुर्वेद जैसे तमाम मुद्दे जुड़े हैं। ‘मकर संक्रांति’ भी उन्ही पवित्र त्योहारों में से एक है जो पौष मास में सूर्य के मकर राशि में (तय तारीख के मुताबिक 14 जनवरी) प्रवेश के साथ मनाया जाता है।
क्या होता है संक्रांति का मतलब
संक्रान्ति का अर्थ है, ‘सूर्य का एक राशि से अगली राशि में संक्रमण (जाना)’। अतः पूरे वर्ष में कुल १२ संक्रान्तियाँ होती हैं। आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना , कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, उडीसा, पंजाब और गुजरात में संक्रान्ति के दिन ही मास का आरम्भ होता है। जबकि बंगाल और असम में संक्रान्ति के दिन महीने का अन्त माना जाता है। इस तिथि से दिन बड़ा होना चालू हो जाता है इस हिन्दू नव वर्ष में वाकई खगोलीय परिवर्तन होते हैं ,ऋतू परिवर्तन होता है इस लिए धार्मिक रूप से इस पर्व का विशेष महत्व है नदियों में भी स्नानं करना ,तिल का सेवन करना ,तिल के उबटन से नहाना भी स्वास्थ और आयुर्वेद की दृष्टि से उचित है।
क्या है वास्तव में मकर संक्रांति
यूं तो सूर्य साल भर में 12 राशियों से होकर गुजरता है दरअसल, सूर्य नारायण बारह राशियों में एक-एक माह विराजते हैं. जब सूर्य देव कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहते हैं तो इस काल को दक्षिणायन कहते हैं. इसके बाद सूर्य नारायण मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में क्रमश: एक-एक माह रहते हैं. इसे उत्तरायण कहा जाता है,लेकिन इसमें भी ‘कर्क’ और ‘मकर’ राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व है। क्योंकि मकर में प्रवेश के साथ सूर्य ‘उत्तरायण’ हो जाता है। जिसके साथ बढ़ती गति के चलते दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है। जबकि कर्क में सूर्य के ‘दक्षिणायन’ होने से रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है। जिस दिन सूर्य नारायण दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं तो उस तिथि को मकर संक्रांति कहा जाता है. ।
मकर संक्रांति का महत्त्व
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता है-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष १४ जनवरी को ही पड़ता है।
मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है। इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभदायक रहता है यह चिकित्सा विज्ञान भी कहता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा सर्दी में शरीर की रक्षा रहती है।
इस दिन खिचड़ी का सेवन करने का भी वैज्ञानिक कारण है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
पुराण और विज्ञान दोनों में सूर्य की उत्तरायन स्थिति का अधिक महत्व है। सूर्य के उत्तरायन होने पर दिन बड़ा होता है इससे मनुष्य की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। मानव प्रगति की ओर अग्रसर होता है। प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य की शक्ति में वृद्धि होती है।
इस दिन से रात छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।
संक्रांति के विभिन्न नाम भारत में
मकर संक्रान्ति : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, और जम्मू

ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल : तमिलनाडु

उत्तरायण : गुजरात, उत्तराखण्ड

माघी : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब

भोगाली बिहु : असम

शिशुर सेंक्रात : कश्मीर घाटी

खिचड़ी : उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार

पौष संक्रान्ति : पश्चिम बंगाल

मकर संक्रमण : कर्नाटक

मकर संक्रांति के विभिन्न नाम भारत के बाहर

बांग्लादेश : शन्क्राएन / पौष संक्रान्ति

नेपाल : माघे संक्रान्ति या ‘माघी संक्रान्ति’ ‘खिचड़ी संक्रान्ति’

थाईलैण्ड : सोंगकरन

लाओस : पि मा लाओ

म्यांमार : थिंयान

कम्बोडिया : मोहा संगक्रान

श्री लंका : पोंगल, उझवर तिरुनल

(साभार – 36 नॉकआउट)

द हेरिटेज स्कूल के पूर्व छात्र ने यूपीएससी 2020 में पाई सफलता

कोलकाता । द हेरिटेज स्कूल के पूर्व छात्र ने यूपीएससी 2020 की मेधा सूची में जगह बनायी है। स्कूल के पूर्व छात्र ऐश्वर्य उपाध्याय ने यूपीएससी 2020 की अंतिम मेधा सूची में 29वाँ स्थान प्राप्त किया है। ऐश्वर्य की नियुक्ति सेन्ट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज में असिस्टेंट कमाडेंट के पद पर हुई है। इस पद के लिए लाखों आवेदकों ने आवेदन किया था। ऐश्वर्य की सफलता को लेकर हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, कोलकाता के सीईओ पी.के. अग्रवाल ने उसे बधाई दी और इसे हेरिटेज परिवार के लिए गर्व का क्षण बताया।
ऐश्वर्य ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता के लिए कुछ बातें बताएँ, जो यह रहीं –
सफलता के लिए योजना बनाएं।
3 से 4 बार पाठ को दोहराएं
समय प्रबन्धन का ध्यान रखें। यह बहुत महत्वपूर्ण है।
शारीरिक परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत करें।
परीक्षा के चरणों के अनुसार ध्यान केन्द्रित करें।

यूनेस्को की वेबसाइट पर अब हिंदी में प्रकाशित होगा भारतीय धरोहर स्थलों का विवरण

विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर यूनेस्को भारत के विश्व धरोहर स्थलों के हिंदी विवरण को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने पर सहमति व्यक्त की है। बता दें कि यह जानकारी सोमवार को पेरिस में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल द्वारा संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को साझा की गई। बयान में कहा गया, ‘भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल को यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के निदेशक ने हमें सूचित किया है कि यूनेस्को का वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर भारत के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के हिंदी विवरण को डब्ल्यूएचसी पर प्रकाशित करने के लिए सहमत हो गया है। हम इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हैं।

हिंदी हमारे ज्ञान और संस्कृति के प्रसार में काफी अहम भूमिका निभा रही है- पीएम मोदी

विश्व हिंदी दिवस के मौके पर विदेश मंत्रालय की तरफ से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी व विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिंदी हमारे ज्ञान और संस्कृति के प्रसार में काफी अहम भूमिका निभा रही है।

हिंदी को वैश्विक मंच पर ले जाने का लक्ष्य

पीएम ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिंदी के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ युवाओं के बीच इसकी लोकप्रियता इसके लिए एक उज्ज्वल भविष्य प्रस्तुत करती है। वहीं, जयशंकर ने अपने संदेश में कहा कि हम सब मिलकर हिंदी को वैश्विक मंच पर ले जाने के अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं, विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि सरकार ने विदेशी   में भारत की भाषा, संस्कृति और पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए 50 पद स्थापित किए हैं। इनमें 13 पद हिंदी के प्रसार के लिए बनाए गए हैं। लेखी ने कहा कि हिंदी भाषा 100 देशों के 670 शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई जाती है।

खोए हुए सामान को ट्रैक करने के लिए रेलवे का मिशन अमानत

पश्चिम रेलवे ने किया ट्वीट

अब से रेल यात्रियों को यात्रा के दौरान अपने सामान की चिंता करने की जरूरत नहीं है। भारतीय रेलवे ने यात्रियों के खोए हुए सामान को ट्रैक करने के लिए नई पहल शुरू की है। नई पहल के तहत यात्री अपने खोए हुए सामानों को आसानी से ट्रैक कर सकता है और उन्हें वापस पा सकता है। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यात्रियों के साथ-साथ उनके सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस दिशा में आरपीएफ ने ‘मिशन अमानत’ की शुरुआत की है, जिससे रेल यात्रियों को अपना खोया हुआ सामान वापस मिलना आसान हो गया है।
पश्चिम रेलवे ने अपने ट्वीट में कहा, यात्रियों को अपना खोया हुआ सामान वापस पाना आसान बनाने के लिए पश्चिम रेलवे के आरपीएफ ने एक नई पहल की है. मिशन अमानत पहल के तहत फोटो के साथ खोए हुए सामान का विवरण पश्चिम रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट किया जाता है. यात्री मिशन अमानत- आरपीएफ वेबसाइट https://wr.indianrailways.gov.in पर पोस्ट किए गए चित्रों के साथ खोए हुए सामान का विवरण देख सकते हैं।
2.58 करोड़ रुपये मूल्य के सामान हुए वापस
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, वर्ष 2021 के दौरान, जनवरी से दिसंबर तक पश्चिम रेलवे जोन के रेलवे सुरक्षा बल ने कुल 1,317 रेल यात्रियों से संबंधित 2.58 करोड़ रुपये मूल्य का सामान बरामद किया और उचित वेरिफिकेशन बाद उन्हें उनके असली मालिकों को वापस कर दिया. पश्चिम रेलवे का रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ऑपरेशन ‘मिशन अमानत’ के तहत रेल यात्रियों को यह सेवा प्रदान करता रहा है।
यात्रियों को सेफ, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए पश्चिमी रेलवे आरपीएफ चौबीसों घंटे काम करता है। आरपीएफ ने अपराधों का पता लगाने के लिए निवारक उपायों के साथ-साथ देश भर में फैले रेलवे की विशान संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी का निवर्हन सफलतापूर्वक किया है।

प्रीत चंडी बनी दक्षिणी ध्रुव पर अकेले पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला

ब्रिटिश मूल की सिख आर्मी ऑफिसर प्रीत चंडी पहली अश्वेत महिला बन गयी हैं जो अकेले दक्षिणी ध्रुव माइनस से -50 डिग्री तापमान पर यात्रा करके (दक्षिणी ध्रुव की एकल यात्रा) लौटी है। इतिहास रचने वाली प्रीत ने अपनी यात्रा का आरम्भ अंटार्कटिका के हरफ्यूलिस इनलेट से शुरू किया था। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ हफ्ते उन्होंने अंटार्टिका में अकेले स्कीइंग करते हुए बिताए। इस बारे में प्रीत ने अपने ब्लॉग पर अपना अनुभव बांटते हुए लिखा,’ मैं अभी बहुत सारी भावनाओं को महूसस कर रही हूं।’

प्रीत चंडी की उम्र मात्र ३२ साल है। प्रीत ने सीएनएन को दिए साक्षात्कार में बताया कि उन्हें उम्मीद है कि उनका साहसिक काम दूसरों को अपनी सीमाओं को आगे बढ़ने और खुद पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने अपनी यात्रा का अनुभव साँझा करते हुए कहा,” अंटार्किटका पृथ्वी पर सबसे ठंड, ऊंचा, शुष्क और हवा वाला महाद्वीप है। वहां कोई भी स्थायी तौर पर नहीं रहता है। इतना ही नहीं वहां का तापमान माइनस 50 डिग्री से भी नीचे जला जाता है।”

साहसी प्रीत चंडी ने आगे कहा,’ जब मैंने पहली बार इस ट्रिप की प्लानिंग की तो मुझे इस महाद्वीप के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। पर मैं वहां जाना चाहती थी। इससे पहले मैंने लगभग ढाई सालों तक इसके लिए खुद को तैयार किया।” अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने फ्रेंच आल्प्स में क्रेवास से ट्रेनिंग ली। अपनी यात्रा को सफल बनाने के लिए उन्होंने आइसलैंड के लैंगजोकुल ग्लेशियर में ट्रेकिंग की और ग्रीनलैंड में आइस कैप में लगभग 27 दिनों तक बिताए। इस दौरान उन्होंने चुनिंदा लोगों से ही संपर्क रखा। इतिहास रचने वाली प्रीत ने बताया,’ इनमे वो लोग थे उनके ब्लाग और इंस्टाग्राम को अपडेट करते थे।’ बता दें कि अपने मिशन को पूरा करने के बाद प्रीत को चारो ओर से मुबारकबाद मिल रही है।