Wednesday, July 23, 2025
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‘देश के लोकप्रिय इंजीनियरिंग संस्थानों में शामिल है एचआईटीके’

कोलकाता । हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कोलकाता (एचआईटीके) ने पाँचवीं ग्रेजुएशन सेरेमनी आयोजित की। समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन के चेयरमैन प्रो. डॉ. के. के. अग्रवाल उपस्थित थे। उन्होंने कहा, ‘हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी देश में कुल इंजीनियरिंग संस्थानों के 5 प्रतिशत के अंदर और रैंकिंग के मामले में देश में एप्लीकेबल इंजीनियरिंग संस्थानों के 15 प्रतिशत के अंदर आता है। मौके पर उपस्थित हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि यह स्नातक समारोह सभी स्नातकों के कॅरियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ‘ इस दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता मकाउट के वाइस चांसलर प्रो. सैकत मित्रा ने की। एचआईटीके के प्रिंसिपल बासव चौधरी ने विद्यार्थियों भविष्य की मशाल को धारण करने वाला बताया।
इस अवसर पर एसवीवाईएएसए के चांसलर पद्मश्री डॉ. एच. आर. नागेन्द्र, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दुर्गापुर के निदेशक प्रो. डॉ. अनुपम बसु, तेगा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मदन मोहका भी उपस्थित थे। समारोह में हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, कोलकाता के चेयरमैन एच. के. चौधरी, एचआईटीके के चेयरमैन पी.आर. अग्रवाल, तथा एचआईटीके की गर्वनिंग बॉडी के सदस्य एच.पी. बुधिया भी उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में स्नातक में 1204, बी.टेक में 1109, एम.टेक में 47 और एमसीए में 48 विद्यार्थियों को डिग्रियाँ प्रदान की गयीं। रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर, गोलपार्क के सचिव स्वामी सुपर्णानंदजी महाराज की उपस्थिति में स्मारिका का लोकार्पण किया गया। रॉयल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी के वाइस चांसलर प्रो. एस.पी. सिंह, एचआईटीके के संस्थापक निदेशक प्रो. बी.बी. पायरा, राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक प्रणवेश दास ने भी विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाया। हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ प्रदीप अग्रवाल ने भी विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दीं। यह कार्यक्रम एचआईटीके के फेसबुक पेज एनं संस्थान के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया।

बीएचएस में मनायी गयी नेताजी जयंती

कोलकाता । बिड़ला हाई स्कूल में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती का पालन किया गया। इस अवसर पर एक विशेष असेम्बली में उनको याद करते हुए आभासी माध्यमों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। नेताजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की गयी और विद्यार्थी प्रेरित हुए।

वाणी प्रवाह 2022 – चित्रांकन, गणतंत्र दिवस विशेष

                  प्रतिभागी – रिद्धिमा सिन्हा, कक्षा -3 ,सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय

                 प्रतिभागी – सक्षम कुमार, कक्षा – प्रथम, शिक्षण संस्थान – केन्द्रीय विद्यालय

                  प्रतिभागी – आराध्या, कक्षा – 3, शिक्षण संस्थान – सनफ्लावर पब्लिक स्कूल

           प्रतिभागी – आरुषि कुमारी, कक्षा – 4, शिक्षण संस्थान – सनफ्लावर पब्लिक स्कूल

               प्रतिभागी – सिद्धि चौधरी, कक्षा – 4, शिक्षण संस्थान – द गार्डन रीच

                प्रतिभागी – सचिन दास, शिक्षण संस्थान – हिन्दी नागरी प्रचारिक विद्यालय

नवांकुर की पहली काव्य-गोष्ठी का आयोजन

कोलकाता । पराक्रम दिवस और नेताजी जयंती के पावन अवसर पर रविवार को कोलकाता की प्राचीन संस्था ‘बंगीय हिंदी परिषद’ के तत्वाधान में नवांकुर की पहली काव्य गोष्ठी ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से संपन्न हुई| हिमाद्रि मिश्रा जी की अध्यक्षता में नवांकुर की प्रथम काव्य- गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया,जिसमें नवोदित एवं वरिष्ठ सभी कवियों ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम का आरंभ परिषद के मंत्री डाॅ. राजेन्द्रनाथ त्रिपाठी के स्वागत वक्तव्य से हुआ।
गोष्ठी की शुरुआत राष्ट्रीय वंदना से हुई,जिसे सिद्धार्थ त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया। सभी कवियों ने मिलकर काव्य गोष्ठी को अपनी ओजपूर्ण एवं भावयुक्त कविताओं से समृद्ध किया। गोष्ठी में सम्मिलित कविगण हिमाद्रि मिश्रा, डॉ. राजेन्द्र नाथ त्रिपाठी, नन्दलाल रौशन, अनुज पाण्डेय, निशा राजभर, सपना कुमारी, शालू राय, शकीबा अहमद, निखिता पाण्डेय, राजेश सिंह, मोनू यादव, रजनी सिंह, परीक्षित जायसवाल, हिमांशु पाण्डेय, श्रद्धा उपाध्याय, सौमी मजूमदार और ज़ोया अहमद ने अपने काव्य-रस से सबको भाव-विभोर कर दिया |
अध्यक्षीय वक्तव्य में हिमाद्रि मिश्रा ने नवांकुर के बच्चों की कविताओं का अवलोकन करते हुए उनकी प्रशंसा की तथा उनके भीतर दिखने वाले जोश को भी सराहा तथा निरंतर लिखते रहने की प्रेरणा दी | कार्यक्रम का संचालन ज़ोया अहमद ने किया| इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कोलकाता के प्रसिद्ध शायर एवं कवि नन्दलाल रौशन जी उपस्थित थें, जिन्होंने अपनी बातों से अंकुरित होते कवियों का उत्साहवर्धन किया। साथ ही गजेन्द्र नाहटा, मनोज मिश्रा, सुरेश साव, रामाकांत सिन्हा, पुष्पा मिश्रा और सुषमा राय पटेल इन सभी के ऊर्जावान शब्दों ने सभी युवाओं को प्रोत्साहित किया। प्रो.संजय जायसवाल, विनोद यादव, अंजली चौधरी और रोहित साव सहित सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित थें |कार्यक्रम का सफल संयोजन अभिषेक पाण्डेय तथा धन्यवाद ज्ञापन निखिता पाण्डेय ने किया।

नहीं रहे चित्रकार वसीम कपूर

कोलकाता । जाने-माने चित्रकार वसीम कपूर (71) का सोमवार को कोलकाता स्थित उनके निवास स्थल में निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार सुबह उन्हें अचानक ब्रेन स्ट्रोक हुआ। अस्पताल ले जाने से पहले ही उनका निधन हो गया। उन्होंने आगे बताया कि वसीम कपूर को कोई बीमारी नहीं थी हालांकि कोरोना के कारण उन्होंने बाहर निकलना बंद कर दिया था। वसीम कपूर ने बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु समेत कई हस्तियों की तस्वीरें उकेरी थीं। बंगाल विधानसभा में उनके द्वारा तैयार किया गया ज्योति बसु का तैल चित्र लगा हुआ है। वसीम कपूर का जन्म 1951 में लखनऊ में हुआ था लेकिन पढ़ाई के सिलसिले में वे कोलकाता आ गए थे। इसके बाद उन्होंने इसी शहर को अपनी कर्मभूमि भी बना लिया। कोलकाता की चित्रकारी जगत में वे चिर-परिचित नाम थे। वसीम कपूर ‘आवाज’ नामक संगठन के राज्य अध्यक्ष भी थे।

प्रख्यात कार्टूनिस्ट पद्मश्री नारायण देवनाथ का निधन

कोलकाता । कार्टूनिस्ट और बंगाली कॉमिक किरदार ‘ बंतुल द ग्रेट’ , ‘ हांडा-भोंदा’ और ‘नोंते फोंते’ के रचयिता नारायण देबनाथ  का गत मंगलवार की सुबह कोलकाता के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अस्पताल के सूत्रों ने यह जानकारी दी। देबनाथ को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह 97 साल के थे। उन्हें 24 दिसंबर को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) पर थे. सीएम ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताया। देवनाथ की कामिक्स स्ट्रिप्स को बंगाल में बच्चों के बीच एक पंथ का दर्जा प्राप्त है। बंगाली कामिक्स के इलस्ट्रेटर और ‘हांडा भोंडा’, ‘बातूल द ग्रेट’ तथा ‘नोनते फोनते’ के रचयिता देवनाथ को 2013 में पश्चिम बंगाल सरकार के सर्वोच्च सम्मान बंग भूषण से भी सम्मानित किया गया था। शारीरिक अस्वस्थता के कारण देवनाथ पिछले दिनों पद्मश्री पुरस्कार लेने भी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन नहीं जा सके थे। इसके बाद बीते 13 जनवरी को ही बंगाल सरकार में मंत्री अरूप राय और राज्य के गृह सचिव बीपी गोपालिका ने अस्पताल जाकर उन्हें पद्मश्री पुरस्कार भेंट कर सम्मानित किया था। देवनाथ को बीते 24 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शरीर में कमजोरी समेत उनका हीमोग्लोबिन कम था। साथ ही वह उम्रजनित समेत अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे।

खाने के पैकेट बनाने में इस्तेमाल होगा री-साइकिल्ड प्लास्टिक

एफएसएएआई ने जारी किया आदेश
नयी दिल्ली । फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने प्लास्टिक कचरे को दूर करने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। इस निर्णय से न सिर्फ प्लास्टिक वेस्ट को कम किया जा सकेगा बल्कि संभव है आने वाले दिनों में प्लास्टिक पैक्ड खाद्य पदार्थ की कीमतों में भी कुछ कमी आए। हालांकि इस पर अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई आकलन नहीं हुआ कि इस फैसले से कीमतों पर कितना असर पड़ सकता है।
एफएसएएआई ने एक आदेश में कहा है कि प्लास्टिक बोतल में इस्तेमाल होने वाले पेय या खाद्य पदार्थों की बोतलों को री-साइिकल करके दोबारा से खाद्य पदार्थों को पैक करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। शीतल पेय की बोतल, पानी की बोतल, दूध की बोतल सहित कई अन्य खाद्य पदार्थों की बोतलों को इस्तेमाल के बाद री-साइिकल किया जा सकेगा।
खुले में फेंक दी जाती हैं प्लास्टिक की बोतलें
अब भी कुछ बोतलों को री-साइिकल किया जाता था, लेकिन खाद्य पदार्थ में इसका इस्तेमाल नहीं होता था, इसकी वजह से बड़ी मात्रा में प्लास्टिक बोतल खुले में फेंक दी जाती थी, जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा था। प्लास्टिक बोतलों में केमिकल्स या अन्य ऐसे पदार्थ होते हैं जो खतरनाक हैं उसे री-साइकिल करके खाद्य-पदार्थों को पैक्ड करने में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी। वैज्ञानिक आधार पर भी यह देखा गया है कि पीईटी (पॉलीएथिलीन टेरिफ्थेलैट यानी प्लास्टिक बोतल) में कोई हानिकारक रसायन नहीं पाया गया है।
खाद्य पदार्थों में 40 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक
एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण सिंघल ने बताया कि देश में जो खाद्य पदार्थ मिल रहे हैं उसमें 40 फीसदी से ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक है। प्लास्टिक बोतल को री-साइकिल करने से प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में कुछ हद तक मदद मिलेगी। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2018 के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक को री-साइकिल करने पर रोक लगा दी गई थी। इसकी वजह से खाद्य-पदार्थों के पैकेट में उस प्लास्टिक का दुबारा इस्तेमाल नहीं हो सकता था। अब रूल्स में बदलाव कर दिए गए हैं।

जापान के मंदिर से मिले कलश में थीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां?

क्‍यों नहीं हुआ डीएनए टेस्‍ट, परिजन उठा रहे सवाल
कोलकाता: जापान की राजधानी टोक्यो स्थित रेनकोजी मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा जापानी भाषा में लिखे गए एक पत्र के अनुवाद से पता चला है कि मंदिर ने भारतीय अधिकारियों को उन अस्थियों की डीएनए जांच की अनुमति दी थी जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बताई जाती हैं। पत्र का नया अनुवाद उस दावे को खारिज करता है कि मंदिर इस मामले में मौन रहा, जिससे न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी आयोग की जांच के बाद उसके इस निष्कर्ष पर संदेह पैदा कर दिया है कि ये अस्थियां नेताजी की नहीं थीं।
भारत सरकार को 2005 में टोक्यो के मुख्य पुजारी के जापानी भाषा में लिखे गए पत्र के नए अनुवाद से खुलासा हुआ है कि न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग को इन अस्थियों की डीएनए जांच की अनुमति मिली थी। पत्र लिखने वाले रेनकोजी मंदिर के मुख्य पुजारी पर अस्थि कलश के संरक्षण की जिम्मेदारी है। ऐसा माना जाता है कि इस कलश में बोस की अस्थियां हैं।
आयोग के अनुसार अस्थियां नेताजी की नहीं थीं
कोई कारण बताए बिना पत्र के इस हिस्से का अनुवाद नहीं किया गया था और बोस के लापता होने पर न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट के साथ साक्ष्य के तौर पर एक अंग्रेजी संस्करण संलग्न किया गया था, जिसमें लिखा था, ‘मंदिर अधिकारियों के मौन रहने के कारण… आयोग (डीएनए जांच के मुद्दे पर) आगे नहीं बढ़ सका।’ आयोग ने बाद में इसका उपयोग यह निष्कर्ष निकालने के लिए किया कि ये अस्थियां नेताजी की नहीं थीं, जिससे इन अटकलों को बल मिलता है कि वह विमान हादसे में बच गए थे और संन्यासी बन गए या रूस की किसी जेल में उन्हें कैदी के रूप में रखा गया। महान स्वतंत्रता सेनानी के भाई शरत बोस की पोती माधुरी बोस ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में विसंगतियां पाए जाने और न्यायमूर्ति मुखर्जी की जांच रिपोर्ट के आधिकारिक अंग्रेजी संस्करण से जापानी भाषा में लिखे पत्र के कई पैराग्राफ का मिलान नहीं होने के बाद हमने हाल में इसका फिर से इसका नया अनुवाद शुरू किया।’
जापानी भाषा के एक विशेषज्ञ के नये अनुवाद से पता चलता है कि पत्र के छोड़े गए अंश में 427 वर्ष पुराने बौद्ध मंदिर ‘रेनकोजी मंदिर’ के मुख्य पुजारी निचिको मोचिजुकी ने लिखा था, ‘मैं जांच में अपना सहयोग देने के लिए सहमत हूँ। पिछले साल (2004) में (जापान में नियुक्त भारतीय राजदूत) (एम.एल.) त्रिपाठी के साथ बैठक में इसी पर सहमति बनी थी।’ पीटीआई-भाषा द्वारा इस अनुवाद को स्वतंत्र रूप से प्रमाणित नहीं किया जा सका है।

डीएनए जांच क्यों नहीं की गई?
राष्ट्रमंडल सचिवालय और संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुकीं माधुरी ने बोस बंधुओं पर किताबें भी लिखी हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें समझ नहीं आ रहा कि इस अनुमति को पहले सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया या डीएनए जांच क्यों नहीं की गई।’ मुखर्जी आयोग ने 2006 में संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला था कि आजाद हिंद फौज में नेताजी के करीबी विश्वासपात्रों सहित चश्मदीदों के बयान के उलट नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी और यह भी कहा गया था कि जापान के मंदिर में मिली अस्थियां नेताजी की नहीं हैं। आजाद हिंद फौज के कर्नल हबीब-उर-रहमान सहित चश्मदीदों ने कहा था कि नेताजी की मृत्यु अगस्त 1945 में ताइपे में एक विमान दुर्घटना में हुई थी।

ऐसा अवधारणाएं रही हैं कि दुर्घटना में वह बच गए थे या वह उस विमान में सवार थे ही नहीं, जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह भी एक परिकल्पना है कि वह एक साधु बन गए या रूस के किसी जेल में बंद थे। इस रिपोर्ट के परिणामस्वरूप इन्हीं अवधारणाओं को बल मिला। हाल में एक फिल्म भी आई थी, जिसमें यह दिखाया गया था कि संभवत: वह गुमनामी बाबा थे, जबकि कई समाचारों से संकेत मिलता है कि हो सकता है कि उन्हें साइबेरिया में रूसी नेता जोसेफ स्टालिन ने कैद करवाया हो।
‘जापान का मंदिर डीएनए जांच चाहता था’
माधुरी बोस ने कहा, ‘हमें मुखर्जी आयोग पर बहुत विश्वास था और हमें आशा की एक किरण नजर आई थी कि नेताजी के लापता होने के बारे में सच्चाई अंतिम रिपोर्ट के साथ सामने आएगी… हालांकि रिपोर्ट में कई स्पष्ट विसंगतियों ने हमें इसपर फिर से गौर करन के लिए मजबूर किया।’ उन्होंने कहा क‍ि हमने पाया कि जापान का मंदिर डीएनए जांच चाहता था और हमने (भारत ने) कभी (जाँच) नहीं की। मुख्य पुजारी के पत्र के जिस हिस्से को आधिकारिक अनुवाद से हटा दिया गया था, उसमें यह भी लिखा है कि जापानियों के युद्ध हारने के बाद अमेरिका-ब्रिटेन के कब्जे के दौरान परिस्थितियां गंभीर थीं, फिर भी मंदिर के अधिकारियों ने नेताजी की अस्थियों को संरक्षित करने का जोखिम भरा कार्य किया, जिसकी एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल और जापान के विदेश मंत्री ने मांग की थी। इस प्रतिनिधिमंडल में ”कर्नल रमन (हबीब-उर-रहमान), श्री (एसए) अय्यर और श्रीमती (सती) सहाय’ शामिल थे।
पत्र में आगे कहा गया है क‍ि इसलिए, मेरा दृढ़ विश्वास है कि ये वही अवशेष हैं। निस्संदेह सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां। मोचिजुकी ने यह भी कहा कि उनके दिवंगत पिता, तत्कालीन मुख्य पुजारी (अस्थि कलश को) अपने पास लेकर सोते थे ताकि कोई उससे छेड़छाड़ नहीं कर सके या उसे नुकसान नहीं पहुंचा सके।
नेताजी की बेटी अनिता फाफ, एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और नेताजी के बड़े भाई के बेटे द्वारका नाथ बोस एवं उनके एक अन्य भतीजे अर्धेंदु बोस सहित बोस परिवार के तीन सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्टूबर 2016 और दिसंबर 2019 में पत्र लिखकर उन्हें रेनकोजी से प्राप्त अस्थियों की डीएनए जांच कराने का आदेश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, माधुरी बोस ने कहा कि परिवार को इसकी डीएनए जांच के लिए” अब तक कोई जवाब नहीं मिला, जिससे कि नेताजी के गुम होने या इन अस्थियों का रहस्य सुलझ सके।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

भारत जैन महामंडल लेडीज विंग का ‘आजादी का अमृत महोत्सव’

वर्चुअल हुआ आयोजन

कोलकाता । भारत जैन महामडल लेडीज विंग कोलकाता ने नेताजी जयंती पर  जूम आजादी के 75 वर्ष पर मनाया जा रहा आजादी का अमृत महोत्सव जूम पर मनाया। आजादी के अमृत महोत्सव का अर्थ आजादी की ऊर्जा का अमृत है। यानी स्वतंत्रता सेनानियों की स्वाधीनता का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव मतलब नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत और आत्मनिर्भरता का अमृत है।
मुख्य अतिथि थीं  डाॅ. वसुधरा मिश्र। भारत जैन महामंडल के सचिव उतमसा शाह , विधा शाह (पूर्व सचिव, अखिल भारतीय तेरापंथ) भी उपसस्थित थे। गायन प्रतियोगिता स्वराजलि मे प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली नैना सेठिया, राजीव अग्रवाल (सचिव.अग्र युवा संगठन) सामाजिक कार्यकर्ता, बबिता गुनेजा, संघीय भजन गायिका और भारत जैन महामंडल लेडीज विंग, कोलकाता की बहनें कंचन बैद, मंजू छाजेड, कांता चोरड़िया, नेहा रामपुरिया, शशि सेठिया, विनिता दूगड़, सुमन अगरवाल, मीना दूगड आदि ने समां बांधा। गीत, कविताएं, गाने आजादी के जोशीले और अद्भुत थे। कार्यक्रम की शुरुआत भारत जैन महामडल की बहन ज्योति खेतान के पति दीपक खेतान को श्रद्धांजलि देकर की गई। भारत जैन महामडल लेडिज विंग कोलकाता की चेयरपर्सन सरोज भंसाली ने दीपक जी के बारे मे जानकारी दी। कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन वाइस चेयरपर्सन अंजू सेठिया ने किया।

सैयद मोदी इंटरनेशनल : पीवी सिंधु ने जीता महिला एकल का खिताब

फाइनल में मालविका बंसोड़ को हराया
नयी दिल्ली । भारत की स्टार शटलर और दो बार की ओलंपिक चैंपियन पीवी सिंधु ने सैयद मोदी इंटरनेशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट में महिला एकल का खिताब जीत लिया है। उन्होंने फाइनल में भारत की ही युवा शटलर मालविका बंसोड़ को हराया।
गत रविवार को लखनऊ में खेले गए फाइनल में सिंधु ने मालविको को लगातार गेमों में 21-13, 21-16 से हराया। यह शीर्ष वरीयता प्राप्त सिंधु का दूसरा सैयद मोदी बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर सुपर 300 इवेंट खिताब है। इससे पहले उन्होंने यह टाइटल 2017 में जीता था। फाइनल मुकाबला 35 मिनट तक चला।

साइना तीन बार जीत चुकी हैं खिताब
सैयद मोदी इंटरनेशनल में महिला एकल में सबसे ज्यादा बार खिताब जीतने का रिकॉर्ड साइना नेहवाल के नाम है। साइना ने 2009, 2014 और 2015 में खिताब जीता था। वहीं, पुरुषों में चेतन आनंद (2009), पारुपल्ली कश्यप (2015), किदांबी श्रीकांत (2016) और समीर वर्मा (2017, 2018) एकल का खिताब जीत चुके हैं।
मिक्स्ड डबल्स में जीते ईशान और तनीषा
वहीं, मिक्स्ड डबल्स में भारत के ईशान भटनागर और तनीषा क्रास्तो की जोड़ी ने खिताब अपने नाम किया। फाइनल में उन्होंने टी हेमा नागेंद्र और श्रीवेद्य की जोड़ी को 21-16, 21-12 से हराया। यह मुकाबला 29 मिनट तक चला।
पुरुष एकल का फाइनल मुकाबला नहीं हो सका
इससे पहले पुरुष एकल का मुकाबला कोरोना की वजह से नहीं हो सका। फाइनल से पहले एक खिलाड़ी कोरोना संक्रमित मिला था। इसके बाद आयोजकों ने इस मैच को नहीं कराया। विजेता की घोषणा बिना मैच के ही होगी। पुरुष एकल के फाइनल में फ्रांस के ही दो खिलाड़ी अर्नोड मर्केल और लुकस क्लेयरबॉट आमने-सामने थे।