Tuesday, July 22, 2025
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सूख जाएगा माउंट एवरेस्ट! 2000 साल में चोटी पर जमी बर्फ सिर्फ 25 साल में पिघल गयी

वॉशिंगटन : दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर स्थित सबसे ऊंचे ग्लेशियर पर जमी दशकों पुरानी बर्फ हर साल तेजी से पिघल रही है। इसके लिए मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार हैं। एक नए अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। अध्ययन के नतीजों को एक चेतावनी की तरह लिया जा सकता है कि पृथ्वी के कुछ उच्चतम बिंदुओं पर ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के चलते जलवायु परिवर्तन के भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों में बार-बार हिमस्खलन और जल स्रोतों का सूखना जैसी आपदाएं शामिल हैं। इन पर पर्वत श्रृंखलाओं में करीब 1.6 अरब लोग पीने, सिंचाई और जल विद्युत के लिए निर्भर हैं। दक्षिण कर्नल ग्लेशियर पर बर्फ को जमने में करीब 2000 साल लगे और सिर्फ 25 साल में यह पिघल गई। इसका मतलब है कि यह बनने की तुलना में लगभग 80 गुना तेजी से पिघल रहा है।
वैज्ञानिकों ने उच्चतम ग्लेशियरों को किया नजरअंदाज
शोधकर्ताओं ने नेचर पोर्टफोलियो जर्नल क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस में प्रकाशित अध्ययन में तर्क दिया है कि जबकि ग्लेशियरों के पिघलने का व्यापक रूप से अध्ययन किया गया है, वैज्ञानिकों ने धरती के उच्चतम बिंदुओं पर स्थित ग्लेशियरों पर बहुत कम वैज्ञानिक ध्यान दिया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेन के छह वैज्ञानिकों और पर्वतारोहियों सहित एक टीम ने 2019 में ग्लेशियर का दौरा किया था और 10 मीटर लंबे (लगभग 32 फीट) बर्फ के टुकड़े से नमूने एकत्र किए थे।
पृथ्वी के दूरस्थ ग्लेशियरों तक पहुंचा जलवायु परिवर्तन
उन्होंने डेटा इकट्ठा करने के लिए दुनिया के दो सबसे ऊंचे स्वचालित मौसम स्टेशन भी स्थापित किए जिनका मकसद इस सवाल का जवाब खोजना था कि क्या मानव से जुड़े जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी के सबसे दूर स्थित ग्लेशियर प्रभावित हैं? इस खोज का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ मेन में जलवायु परिवर्तन संस्थान के निदेशक पॉल मेवेस्की ने कहा, ‘इस सवाल का जवाब हां है और खासकर 1990 के दशक के आखिर से।’
25 साल में पिघल गई 180 फीट बर्फ
शोधकर्ताओं ने कहा कि नतीजे न सिर्फ इस बात की पुष्टि करते हैं कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के उच्चतम बिंदुओं पर पहुंच गया है बल्कि यह उस महत्वपूर्ण संतुलन को भी बाधित कर रहा है जो बर्फ से ढकी सतह प्रदान करती है। शोध से पता चला है कि बर्फ का पिघलना 1950 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ होगा लेकिन 1990 के दशक के बाद से बर्फ का नुकसान सबसे तेजी से हो रहा है। एक बार जब ग्लेशियर की बर्फ उजागर हो गई तो सिर्फ 25 साल में यह लगभग 55 मीटर (180 फीट) तक पिघल गयी।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

सांसदों और विधायकों के खिलाफ करीब 5000 आपराधिक मामले लंबित : सुप्रीम कोर्ट

 1,899 केस 5 साल पुराने
नयी दिल्ली: पांच राज्यों में चुनावी हलचल के बीच सांसदों और विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों का जो आंकड़ा सामने आया है, वह काफी चौंकाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं। न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में शीर्ष न्यायालय को बताया कि दिसंबर 2018 तक कुल लंबित मामले 4,110 थे और अक्टूबर 2020 तक ये 4,859 थे।
अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चार दिसंबर 2018 के बाद 2,775 मामलों के निस्तारण के बावजूद सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़ कर 4984 हो गये। इससे प्रदर्शित होता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक से अधिक लोग संसद और राज्य विधानसभाओं में पहुंच रहे हैं। यह अत्यधिक आवश्यक है कि लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाए जाएं।’
सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने तथा सीबीआई व अन्य एजेंसियों द्वारा शीघ्रता से जांच कराने के लिए अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर शीर्ष न्यायालय समय-समय पर कुछ निर्देश जारी करता रहा है। हंसारिया ने कहा कि उच्च न्यायालयों द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट से भी प्रदर्शित होता है कि कुछ राज्यों में विशेष अदालतें गठित की गई हैं जबकि अन्य में संबद्ध क्षेत्राधिकार की अदालतें समय-समय पर जारी निर्देशों के आलोक में सुनवाई कर रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘क्षेत्राधिकार वाली ये अदालतें सांसदों/ विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के साथ-साथ खुद को आवंटित अन्य दायित्वों का भी निर्वहन कर रही हैं। कई राज्यों में, वहीं न्यायाधीश अनुसचूति जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम आदि जैसे विभिन्न विधानों के तहत एक विशेष अदालत हैं।’
न्यायमित्र ने इस बात का जिक्र किया कि 25 अगस्त 2021 के आदेश के अनुसार, त्वरित जांच/ मामलों की सुनवाई, अदालतों को बुनियादी ढांचे मुहैया करना और जांच में विलंब के कारणों का आकलन करने के लिए निगरानी समिति के गठन से जुड़े मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। उन्होंने न्यायालय से यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया कि सांसदों /विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहीं अदालतें विशेष रूप से इन्हीं मामलों की सुनवाई करें और इन मामलों की सुनवाई पूरी होने के बाद ही अन्य मामले लिए जाएं।

 

नयी पीढ़ी के हाथों में जायेगी इमामी की बागडोर

कोलकाता: उपभोक्ता ब्रांड इमामी लिमिटेड का प्रबंधन नियंत्रण अब जल्द संस्थापकों की अगली पीढ़ी के पास जाएगा। कंपनी ने गुरुवार को कहा कि अब कमान अगली पीढ़ी के हाथों में सौंपी जाएगी। कंपनी के संस्थापक आर एस गोयनका और आर एस अग्रवाल अपना पद छोड़ेंगे। उनके पुत्र मोहन गोयनका और हर्ष अग्रवाल क्रमश: कंपनी के वाइस-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद संभालेंगे।
मोहन गोयनका कंपनी के संस्थापक आर एस गोयनका के सबसे बड़े पुत्र हैं। वहीं हर्ष अग्रवाल, आर एस अग्रवाल के छोटे पुत्र हैं। हालांकि, कंपनी के संस्थापक कंपनी के बोर्ड में बने रहेंगे। आर एस गोयनका एक अप्रैल से गैर-कार्यकारी चेयरमैन रहेंगे जबकि आर एस अग्रवाल मानद चेयरमैन रहेंगे। इन भूमिकाओं के लिए वे कोई भुगतान नहीं लेंगे।

सुशील गोयनका भी नहीं रहेंगे एमडी
इसी तरह सुशील के गोयनका इमामी लि. के प्रबंध निदेशक का पद छोड़ेंगे। वह पूर्णकालिक निदेशक के रूप में काम करते रहेंगे। प्रमोटर्स की अगली पीढ़ी के अन्य लोग भी कंपनी में अलग-अलग दायित्व संभालेंगे। इमामी के पास बोरो प्लस और झंडू बाम जैसे ब्रांड हैं। यह कोलकाता मुख्यालय वाली भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है। कंपनी के उत्पादों की बिक्री 60 से अधिक देशों में की जाती है। कंपनी का गठन 1970 के दशक के मध्य में हुआ था। दो करीबी मित्रों ने अपनी कॉरपोरेट नौकरी छोड़कर कोलकाता में एक कॉस्मेटिक विनिर्माण इकाई के साथ इसकी शुरुआत की थी।

नीट-पीजी का आयोजन अब 21 मई को होगा: एनबीईएमएस

नयी दिल्ली । स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) 21 मई को आयोजित की जाएगी। आयुर्विज्ञान में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) ने इसकी घोषणा की। एक दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह से आठ सप्ताह तक परीक्षा टालने को कहा था।

एनबीईएमएस द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के तीन फरवरी के पत्र के निर्देशों के अनुसार नीट-पीजी 2022 जिसे पहले 12 मार्च को आयोजित करने के लिए अधिसूचित किया गया था, अब इसके आयोजन को पुनर्निर्धारित किया गया है। नीट-पीजी 2022 अब 21 मई को सुबह नौ बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

एनबीईएमएस ने कहा है कि नीट-पीजी 2022 के लिए आवेदन जमा करने को लेकर ऑनलाइन आवेदन विंडो अब 25 मार्च (रात 11:55 बजे तक) तक जारी रहेगी। पहले इसे चार फरवरी को (रात 11.55 बजे तक) बंद करने के लिए अधिसूचित किया गया था।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) से नीट-पीजी 2022 को छह से आठ सप्ताह के लिए स्थगित करने को कहा था क्योंकि नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग भी इसी दौरान होनी है।

ओलंपिक पदक जीतने के बाद आंखों के सामने घूम गया 21 साल का सफर : श्रीजेश

नयी दिल्ली । तोक्यो में जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में पेनल्टी पर गोल बचाकर 41 साल बाद ओलंपिक पदक दिलाने वाले भारत के स्टार गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने कहा कि उस पल उनका 21 साल का कॅरियर उनकी आंखों के सामने घूम गया ।
भारत के पूर्व कप्तान 33 वर्ष के श्रीजेश हाल ही में वर्ल्ड गेम्स एथलीट का पुरस्कार जीतने वाले दूसरे भारतीय बने । श्रीजेश ने जर्मनी के खिलाफ पेनल्टी कॉर्नर पर गोल बचाकर भारत का कांस्य पदक सुनिश्चित किया ।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैच खत्म होने से छह सेकंड पहले पेनल्टी कॉर्नर गंवाने से मैं भी हर हॉकी प्रेमी की तरह दुखी था क्योंकि जर्मनी मैच का पासा पलटने में माहिर है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘हमने पहले भी मैच के आखिरी पलों में गोल गंवाये हैं और वह सब यादें ताजा हो गई । लेकिन मैं जानता था कि मुझे फोकस बनाये रखना है । मैने सभी को उनकी जिम्मेदारी सौंपी क्योंकि इतने दबाव में अपनी जिम्मेदारी पर फोकस बनाये रखना मुश्किल होता है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ वह गोल बचाने और मैं जीतने के बाद मैं भावुक हो गया । मेरी आंखों के सामने 21 साल का मेरा सफर घूम गया । जीवी राजा स्पोटर्स स्कूल से लेकर तोक्यो ओलंपिक तक का सफर ।’’
इस सफर में 2017 के दौरान एसीएल चोट के कारण उनका कैरियर खत्म होने की कगार पर पहुंच गया था । उन्होंने ‘हॉकी ते चर्चा’ पॉडकास्ट में कहा ,‘‘ चोट से निपटना मेरे लिये सबसे कठिन था क्योंकि उस समय मेरा कैरियर चरम पर था । मैं भारतीय टीम का कप्तान था और अच्छा खेल रहा था । लोग मुझे पहचानने लगे थे ।’’
श्रीजेश ने कहा ,‘ मेरे लिये हॉकी सबसे अहम है और चोट लगने के बाद भी मेरी अनुपस्थिति में भारतीय टीम अच्छा खेल रही थी । मुझे लगा कि लोग मुझे भूल रहे हैं ।मेरे लिये वह कठिन समय था लेकिन उस अनुभव से मुझमें परिपक्वता आई और मैं वापसी कर सका ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘लेकिन भारत में उम्र काफी नाजुक मसला है और चोट के साथ बढती उम्र के कारण लोग मुझे चुका हुआ मानने लगे । विश्व कप 2018 के दौरान लोगों ने काफी आलोचना की । मेरे पिता भी उस समय काफी बीमार थे तो मेरे लिये वह बहुत कठिन दौर था । मैने हॉकी से संन्यास लेने के बारे में भी सोचा ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैं नीदरलैंड के गोलकीपर याप स्टॉकमैन का शुक्रगुजार हूं जिनकी सलाह से मैं उस दौर से निकल सका ।’’

जगदीश कुमार बने यूजीसी के अध्यक्ष

नयी दिल्ली । जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
कुमार का जेएनयू में कार्यकाल विवादों से भरा रहा था। पिछले साल अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह वर्तमान में कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘जगदेश कुमार को यूजीसी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।’’ 65 वर्ष की आयु हो जाने पर प्रोफेसर डीपी सिंह के जीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद सात दिसंबर से यह पद खाली था। सिंह ने 2018 में यूजीसी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था।
उच्च शिक्षा नियामक के उपाध्यक्ष का पद भी खाली है। मंत्रालय ने अभी तक जेएनयू में कुमार के उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं की है।

तवांग में फहराया गया 104 फुट ऊँचा तिरंगा

ईटानगर । अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बृहस्पतिवार को चीन की सीमा से लगे बौद्ध तीर्थ शहर तवांग में नगंगपा नटमे (बुद्ध पार्क) में 104 फुट लंबा स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
खांडू ने राज्य के लोगों को इस मौके पर बधाई दी और मीडिया से बातचीत में कहा कि स्मारक झंडा अरुणाचल प्रदेश के सभी देशभक्तों को समर्पित करते हुये फहराया गया है और 10,000 फुट की ऊंचाई पर दूसरा सबसे ऊंचा स्मारक राष्ट्रीय ध्वज है।
उन्होंने सेना, सशस्त्र सीमा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, तवांग जिला प्रशासन और विधायक शेरिंग ताशी को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
खांडू ने ट्विटर पर कहा, ‘‘अरुणाचल के देशभक्त लोगों को 104 फीट का राष्ट्रीय ध्वज समर्पित करते हुए गर्व हो रहा है, जिसे आज तवांग के नगंगपा नटमे (बुद्ध पार्क) में फहराया गया।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “10,000 फुट (की ऊंचाई)पर, यह स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज ऊंचाई के मामले में देश में दूसरा सबसे ऊंचा है । जय हिंद ।’’

अभिनेता रमेश देव का 93 साल की आयु में निधन

मुंबई । हिन्दी और मराठी सिनेमा के अभिनेता रमेश देव का दिल का दौरा पड़ने से गत 2 फरवरी को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके पुत्र अभिनय देव ने यह जानकारी दी। रमेश देव 93 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी अभिनेत्री सीमा देव, बेटे अजिंक्या देव और अभिनय देव हैं। अभिनय ने ‘डेल्ही बेली’ और ‘फोर्स’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है।
देव ने अपने लंबे कॅरियर में हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम किया है। देव ने अपने करियर की शुरूआत 1962 में हिन्दी फिल्म ‘आरती’ से की। उन्होंने ‘आनंद’, ‘आप की कसम’, ‘मेरे अपने’ और ‘ड्रीम गर्ल’ में अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी के साथ काम किया है।

फाइजर ने पांच साल तक के बच्चों के लिए कोविड-19 रोधी टीके हेतु मंजूरी माँगी

वाशिंगटन । फाइजर ने अमेरिका से पांच साल तक की आयु वाले बच्चों के लिए उसके कोविड-19 रोधी टीके को स्वीकृति देने के लिए कहा है, जिससे बेहद कम उम्र के अमेरिकी बच्चों को भी मार्च तक टीके लगाने की शुरुआत हो सकती है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए फाइजर तथा उसके सहयोगी बायोएनटेक से पूर्व नियोजित कार्यक्रम से पहले ही आवेदन करने के लिए कहा था।
देश में पांच साल तक के आयुवर्ग के 1.9 करोड़ बच्चे ही कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के योग्य नहीं है। कई अभिभावक बच्चों को भी टीके लगाने पर जोर दे रहे हैं खासतौर से ऐसे वक्त में जब ओमीक्रोन संक्रमण के कारण रिकॉर्ड संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अगर एफडीए स्वीकृति देता है तो फाइजर के टीके छह महीने तक के बच्चे को भी लगाए जा सकते हैं। इन टीकों की खुराक वयस्कों को दी जाने वाली खुराक का दसवां हिस्सा है। फाइजर ने कहा कि उसने एफडीए को आंकड़ें देना शुरू कर दिया है और उसे कुछ दिनों में यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
एक प्रमुख सवाल यह है कि इन बच्चों को कितनी खुराक देने की आवश्यकता होगी। प्रारंभिक जांच में शिशुओं के लिए दो खुराकें पर्याप्त मानी गयी लेकिन स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिए यह पर्याप्त नहीं मानी गयी। फाइजर तीन खुराकों की जांच कर रहा है और अंतिम आंकड़ें मार्च अंत तक आने की उम्मीद है। एफडीए ने ओमीक्रोन से अधिक संख्या में बच्चों के संक्रमित होने के कारण फाइजर से आवेदन देने के लिए कहा था। एजेंसी की एक प्रवक्ता ने बताया कि पांच साल तक की आयु के बच्चों में ओमीक्रोन स्वरूप के रिकॉर्ड मामले सामने आए हैं।
एफडीए का अंतिम फैसला कुछ महीनों के भीतर आ सकता है लेकिन यह एकमात्र बाधा नहीं हैं। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र से भी मंजूरी लेनी होगी।
राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन बच्चों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की खुराक को मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज करने की कोशिश कर रहा है। उसकी दलील है कि स्कूलों को फिर से खोलने तथा उन्हें खुला रखने के लिए इस आयु वर्ग का टीकाकरण महत्वपूर्ण है।

 

इंग्लैंड की महिला फुटबॉलरों को अब 14 सप्ताह का मातृत्व अवकाश

लंदन । इंग्लैंड की महिला फुटबॉल खिलाड़ियों के लिये मातृत्व अवकाश नीति में बदलाव किया गया है और अगले सत्र से उन्हें नियमित वेतन और अतिरिक्त भत्तों के साथ 14 सप्ताह का अवकाश मिलेगा ।
इंग्लैंड फुटबॉल संघ ने बताया कि महिला सुपर लीग और महिला चैम्पियनशिप खेलने वाली खिलाड़ियों को यह सुविधायें मिलेंगी । इससे पहले यह क्लब पर निर्भर करता था कि वह कितनी छुट्टी देना चाहता है और उसके लिये भी यह अनिवार्य था कि खिलाड़ी क्लब के साथ कम से कम 26 सप्ताह खेल चुकी हो । नयी नीति के तहत ऐसी कोई बाध्यता नहीं है ।
चेलसी की मैनेजर एम्मा हायेस ने कहा ,‘‘ यह सही दिशा में एक और कदम है । यह सिर्फ इंग्लैंड की नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लागू होना चाहिये ।’’ करार के तहत चोट और बीमारी की दशा में कवरेज भी अधिक होगा ।