Tuesday, July 22, 2025
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बीएचएस में मनायी गयी सरस्वती पूजा

कोलकाता । बिड़ला हाई स्कूल में सरस्वती पूजा उत्साह के साथ मनायी गयी। विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना वसंत पंचमाी को आयोजित की गयी। कक्षा आठवीं से बारहवीं तक के छात्र इस अवसर पर पूजा में शामिल हुए। पूजा के साथ ही एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इसके पूर्व स्कूल की प्रिंसिपल लवलीन सैगल ने सरस्वती पूजा को गर्व का क्षण बताया। सरस्वती वंदना का गायन सीनियर सेक्शन की श्रीपर्णा ने किया और जूनियर सेक्शन की शिक्षिकाओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। स्टूडेंट काउंसिल के छात्र अध्यक्ष देवांशु चौधरी ने स्कूल की सरस्वती पूजा को लेकर विदाई वक्तव्य रखा। कार्यक्रम ऑनलाइन तथा ऑफलाइन, दोनों ही रूपों में आयोजित किया गया था। ऑनलाइन कार्यक्रम की शुरुआत रिशान बंद्योपाध्याय एवं देवेश पाल की काव्य आवृति से हुई। तीसरी कक्षा के श्रीहन सरकार ने गीत और अर्घ्यज्योति सेन ने मधुर ध्वनि बाजे गीत गाया। विद्यार्थियों ने उम्मीद जतायी कि भविष्य में सरस्वती पूजा प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों और बगैर प्रतिबंध के आयोजित की जा सके।
रिपोर्ट – रोहिताश्व दास (छात्र)

बीएचएस में ऑफलाइन होंगी आठवीं की वार्षिक परीक्षाएँ

कोलकाता । बिड़ला हाई स्कूल अब कक्षाएँ फिर से आरम्भ हो गयी हैं। सरकारी आदेश के बाद गत 3 फरवरी से स्कूल खोला गया और आठवीं से बारहवीं तक की कक्षाएँ आरम्भ हुईं। 50 प्रतिशत ऑफलाइन और 50 प्रतिशत ऑनलाइन कक्षाएँ आरम्भ हुईं। इसे लेकर स्कूल ने गत 4 फरवरी को एक ओरिएंटेशन सत्र आयोजित किया था। यह सत्र अभिभावकों को उनके बच्चों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने और कोविड प्रोटोकॉल के प्रति सजग करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। स्कूल की प्रिंसिपल लवलीन सैगल ने स्कूल द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी दी, जिनमें थर्मल स्क्रीनिंग, सैनेटाइजेशन भी शामिल थे। सातवीं एवं आठवीं कक्षा की कोऑर्डिनेटर रेनु बुबना शेड्यूल, बैठने की व्यवस्था को लेकर जानकारी दी। आठवीं की वार्षिक परीक्षाएँ ऑफलाइन होंगी। अभिभावकों ने भी अपनी राय रखी, हाँलांकि बच्चों को स्कूल भेजने पर उनकी राय अलग – अलग दिखी।

सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में आयोजित हुई वर्चुअल पिकनिक

कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में हाल ही में वर्चुअल पिकनिक आयोजित की गयी। इस वर्चुअल पिकनिक में छात्राओं ने विश्व के अलग – अलग स्थानों का आनंद लिया। खूबसूरत गाउन से सजी नर्सरी की छात्राओं ने फ्लोरिडा की वाल्ट डिज्नी की जादुई दुनिया का आनंद लिया और इसका विषय था माई मैजिक वर्ल्ड। छात्राओं ने डिज्नी थीम के परिधान पहन रखे थे। छात्राओं ने प्रिंसेज डेज आउट, डोरा द एक्सप्लोरर जैसे गेम खेले। किंडरगार्टन की छात्राएं हिमाचल प्रदेश की सोलोंग घाटी की वर्चुअल सैर पर पहुँचीं, परियों की कहानी देखी, बोनफायर बनाया और अंत में सूप बनाकर पीया। पहली कक्षा की छात्राएँ हर्शे चॉकलेट वर्ल्ड, दूसरी कक्षा की छात्राएं अफ्रीका के सवाना ग्रासलैंड, तीसरी कक्षा की छात्राएँ सिंगापुर के अंडरवाटर वर्ल्ड पहुँचीं। इसी प्रकार अन्य छात्राओं ने भी इस तरह की यात्राओं का आनन्द उठाया। संगीत, नृत्य और मजेदार भोजन के साथ यह वर्चुअल पिकनिक और भी जम गयी।

भवानीपुर कॉलेज ने सरस्वती सम्मान समारोह में शिक्षक और शिक्षिकाएँ पुरस्कृत

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज में सरस्वती पूजा उत्सव के दौरान लगभग 33 शिक्षकों को सरस्वती सम्मान 2022 से पुरस्कृत किया गया। हर वर्ष यह पुरस्कार उन शिक्षकों को दिया जाता है जिनके पुस्तकों और आलेखों का प्रकाशन यूजीसी के तहत हुआ है। उन्हें शाल और धनराशि देकर पुरस्कृत किया गया ।इस वर्ष पी. एचडी प्राप्त शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। वालिया हॉल में स्थापित सरस्वती मूर्ति की पूजा का प्रांरभ कॉलेज प्रबंधन की वरिष्ठ अधिकारी नलिनी पारेख द्वारा किया गया। विद्यार्थियों के साथ सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने आरती कर माँ सरस्वती को पुष्पांजलि अर्पित की। बाद में, छात्र – छात्राओं ने शंख, रंगोली, थाली सज्जा और संस्कृत श्लोक की प्रतियोगिता में हिस्साी लिया। सभी कार्यक्रम कॉलेज के टर्फ पर संपन्न हुआ, शंख बजाने में शिक्षक और शिक्षिकाओं ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन दीप्ति पंचारिया और ओम पचीसिया ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रारंभ सरस्वती वंदन नृत्य, संगीत से हुआ। पारंपरिक वेशभूषा में छात्रों ने भी नृत्य किया।
कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने उपस्थित बीस से अधिक शिक्षकों को सम्मानित किया, साथ ही कॉलेज की कोआर्डिनेटर प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, टीआईसी डॉ सुभब्रत गंगोपाध्याय,, नलिनी पारेख, रेणुका भट्ट, प्रो दिव्या उदेशी, जितू भाई , उमेश ठक्कर, प्रो गार्गी, प्रो कृपा शाह , डॉ. वसुंधरा मिश्र एवं सभी छात्र छात्राओं के प्रतिनिधियों ने अपना सक्रिय योगदान दिया। महाप्रसाद और पूजा-अर्चना की सभी तैयारियाँ गैर शैक्षणिक कर्मचारियों द्वारा की गई। इस अवसर पर कॉलेज के उपाध्यक्ष मिराज शाह ने अपने वक्तव्य में सभी शिक्षकों को सरस्वती सम्मान समारोह की शुभकामनाएँ दी। प्रतिभागी विद्यार्थियों में एलोरा चौधरी, सुजल शाॉ, मोहित गुप्ता शंख प्रतियोगिता में क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय रहे। श्लोक प्रतियोगिता में गौरव चौधरी, कशिश दोलानी और ओम पचीसिया क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय, आरती थाली सज्जा में निहारिका मूधडा़, कृपा सहल, एलोरा चौधरी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय एवं रंगोली सज्जा में प्रथम अलका सिंह, मौमिता राय, द्वितीय विनिता रे, श्रुति प्रधान और तृतीय स्थान पर रुकय्या कानपुरवाला और जाहरा कलकत्ता वाला रहे। इस अवसर पर शिक्षकों में प्रो चिरंजीत, प्रो अरुंधति, प्रो सम्पा सिन्हा आदि शिक्षकों ने शंख वादन कर विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया।
सभी विद्यार्थियों और शिक्षक गणों तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारियों एवं सुरक्षा कर्मियों को सभी मौसमी फलों का प्रसाद, लड्डू और खिचड़ी, सब्जी, कूल चटनी, आदि का महाप्रसाद ग्रहण किया । कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों का समापन

विभिन्न प्रतियोगिताओं में 17 राज्यों के 250 प्रतिभागियों ने लिया था हिस्सा

कोलकाता। चमोली जिले के जोशीमठ में स्थित प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थली औली में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों का बुधवार को समापन हो गया  खेलों के समापन के मौक़े पर आयोजित कार्यक्रम में कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। पारम्परिक वेशभूषा में कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। वहीं इस मौके पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

पर्यटन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम, आईटीबीपी और उत्तराखंड स्कींइग एंड स्नो बोर्ड एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में 07 से 09 फरवरी तक औली में तीन दिवसीय राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों का आयोजन किया गया था। जिसका प्रदेश के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने बतौर मुख्य अतिथि शुभारंभ किया था। खेल प्रतियोगिताओं में देश के 17 राज्यों के 250 से अधिक खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। खिलाड़ियों ने अल्पाइन स्कीइंग के तहत सलालम और जायंट सलालम प्रतियोगिताओं में अपना हुनर दिखाया।

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि औली में आयोजित हुए राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों के सफल आयोजन के लिए आयोजक बधाई के पात्र हैं। प्रदेश में शीतकालीन व साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से लगातार काम किया जा रहा है। इस प्रकार के आयोजन अधिक से अधिक हो इसके लिए प्रदेश के अन्य जगहों को वि‌कसित किया जाएगा, ताकि उत्तराखंड और देश का युवा अनेक स्पर्धाओं में प्रतिभाग कर सके। उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

यह रहे विजेता

राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों के तहत खेले गए अल्पाइन जाईट सलालम अंडर 18  पुरुष वर्ग में जम्मू कश्मीर के फैजान अहमद लोन पहले स्थान पर रहे जबकि जम्मू कश्मीर के ही अजहर फैयाज दूसरे और कर्नाटक के वर्णव वर्मा तीसरे स्थान पर रहे। अल्पाइन सलालम महिला वर्ग अंडर-21 प्रतियोगिता में हिमाचल की दिया ने खिताब अपने नाम किया। जबकि हिमाचल प्रदेश की ही शाक्षी दूसरे औ विपाशा तीसरे स्थान पर रही। अल्पाइन जायंट सलालम पुरुष वर्ग अंडर 16 में जम्मू कश्मीर के रोमान उल मदिना ने पहला स्थान प्राप्त ‌किया जबकि हिमाचल प्रदेश के शाहिल दूसरे और जम्मू कश्मीर के सदय जैन तीसरे स्थान पर रहे। स्नोबोर्ड सलालम पुरुष वर्ग अंडर 19 में जम्मू कश्मीर के वकार अहमद ने पहला स्थान ह‌ासिल किया। दिल्ली के वसीम अहमद दूसरे और जम्मू कश्मीर के मुबाशिर मकबुल तीसरे स्थान पर रहे। स्नो बोर्ड सलालम सीनियर पुरुष वर्ग का पहला, दूसरा और तीसरा स्थान आर्मी रेड ने जीता। जिसमें विवेक राणा पहले, रिंगजिंग नुरबू दूसरे और कुलविंदर शर्मा तीसरे स्थान पर रहे। उधर अलपाइन जायंट सलालम महिला वर्ग अंडर 18 में उत्तराखंड की सुहानी ठाकुर पहले, हिमाचल प्रदेश की पलक ठाकुर दूसरे और ‌जम्मू कश्मीर की रिधा अलताफ तीसरे स्थान पर रही।

वाणी प्रवाह 2022 – प्रतियोगिता – स्वरचित कविता- तिरंगे में लिपटे हुए फिर एक दिन

निहारिका मिश्रा

आज देश का हर नागरिक चाहता है,
बच्चा बच्चा हो सुभाष सा,
हर बच्चे में हो साहस
कर सके विरोध अन्याय का,
हर बच्चे में हो कुब्बत,
रखे मान अपनी आजादी,
संविधान और न्याय का l
इन्हीं लोगों की सोच बदल जाती है,
जब बात अपने बच्चों पर आती है l
क्यों? आखिर क्यों हैं ऐसा?
उन्हें किस बात का भय है?
कहीं यह भय
अपनों से बिछड़ने का तो नहीं?
या फिर मौत को गले लगाने का?
यदि ऐसा है तो विचार लें,
मौत सब को आती है l
इसका मतलब यह तो नहीं,
कि हम बेड़ियां को गले लगाएँ l
क्यों नहीं समझते फर्क आप?
आम आदमी होने
और एक फौजी होने का?
एक दायरे से मोहब्बत करने का?
और पूरे देश से मोहब्बत करने का?
एक परिवार को छोड़,
पूरे देश को एक परिवार बनाने का?
सबके दिलोदिमाग में बस जाने का?
सीना ताने तिरंगा लहराने का?
तिरंगे को फहराते हुए
राष्ट्रगान गाने का?
देश के लिए शान से जीने,
और शान से मर जाने का l
और फिर सबको मिले यह सौभाग्य…..
तिरंगे में लिपटे हुए फिर एक दिन,
अपनी गलियों में लौट आने का |

लता मंगेशकर : आवाज ही जिनकी पहचान है

मुंबई । देश के संगीत जगत की सबसे बड़ी हस्तियों में शुमार रहीं और स्वर कोकिला के नाम से जानी जाने वाली तथा ‘भारत रत्न’ से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया, लेकिन वह अपने सुरीले गीतों के जरिए संगीत प्रेमियों के दिलों में सदा अमर रहेंगी।

उनके गीतों ने कभी प्रेम, कभी खुशी, कभी दुख की भावनाओं को व्यक्त किया तो कभी संगीत की धुनों पर नाचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने मनुष्य की हर भावना को अपनी आवाज के जरिए संगीत प्रेमियों के दिलों तक पहुंचाया। उनकी आवाज ने ग्रामोफोन की दुनिया से लेकर डिजिटल युग तक का सफर तय किया और कई गीतों को अविस्मरणीय बना दिया।

मंगेशकर का गत रविवार को यहां ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उन्होंने केवल हिंदी ही नहीं, बल्कि भारत की लगभग हर भाषा में गीत गाए। मंगेशकर ने मधुबाला से लेकर प्रीति जिंटा तक कई पीढ़ियों के फिल्मी कलाकारों के लिए पार्श्व गायन किया।

दक्षिण एशिया में लाखों लोग मंगेशकर की ‘स्वर्णिम आवाज’ से अपने दिन की शुरुआत करते हैं और सुकून देने वाली उनकी आवाज सुनकर ही अपना दिन समाप्त करते हैं। उन्हें ‘सुर सम्राज्ञी’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘सहस्राब्दी की आवाज’ समेत कई उपनाम दिए गए। उन्हें उनके प्रशंसक लता दीदी के नाम से संबोधित करते थे।

इंदौर में जन्मीं मंगेशकर ने मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए मात्र 13 वर्ष की आयु में 1942 में अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया था। इसके 79 वर्ष बाद पिछले साल अक्टूबर में विशाल भारद्वाज ने मंगेशकर का गाया ‘ठीक नहीं लगता’ गीत जारी किया था। इस गीत के बोल गुलजार ने लिखे हैं और ऐसा माना जा रहा था कि यह गीत खो गया था।

मंगेशकर ने यह गीत जारी होने के कुछ दिन बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘यह लंबी यात्रा मेरे साथ है और वह छोटी बच्ची अब भी मेरे अंदर है। वह कहीं गई नहीं है। कुछ लोग मुझे ‘सरस्वती’ कहते हैं या वे कहते हैं कि मुझ पर उनकी कृपा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका आशीर्वाद है कि मेरे गाए गीत लोगों को पसंद आते हैं, अन्यथा मैं कौन हूं? मैं कुछ नहीं हूं।’’लता मंगेशकर की इस बात से उनके लाखों प्रशंसक सहमत नहीं होंगे। न केवल उनके प्रशंसकों के लिए, बल्कि उनके संगीत से अपरिचित दुनियाभर के कई लोगों के लिए भी मंगेशकर उन कुछेक भारतीयों में से एक हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई है।

संगीत जगत को दिया उनका योगदान अतुलनीय है। ऐसा कहा जाता है कि मंगेशकर ने 1963 में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में जब देश के जवानों के लिए ‘ऐ मेरे वतन के लोगो गीत’ गाया था, तो नेहरू अपने आंसू नहीं रोक पाए थे। मंगेशकर ने ‘मोहे पनघट पे’ (मुगल-ए-आजम) जैसे शास्त्रीय गीतों, ‘अजीब दास्तां हैं ये’ (दिल अपना और प्रीत पराई) और ‘बांहों में चले आओ’ (अनामिका) जैसे रोमांटिक गीतों से सुरों का जादू बिखेरा।

उन्हें भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। मृदुभाषी मंगेशकर अपने निजी जीवन पर सार्वजनिक रूप से बात करना पसंद नहीं करती थीं। वह आजीवन अविवाहित रहीं। ऐसी कहा जाता था कि क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर और मंगेशकर एक-दूसरे से प्रेम करते थे। राज सिंह ने इसे लेकर बात की, लेकिन मंगेशकर ने इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा।

अपनी बहन आशा भोसले के साथ कथित प्रतिद्वंद्वता को लेकर भी मंगेशकर कई बार सुखिर्यों में रहीं, लेकिन उन्होंने इस बात की कभी परवाह नहीं की और कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। दोनों बहनों ने इस बारे में कोई बात नहीं की और संगीत जगत पर राज किया।

इसके अलावा रॉयल्टी को लेकर गायक मोहम्मद रफी के साथ उनका झगड़ा और अभिनेता राज कपूर के साथ उनका विवाद भी चर्चा में रहा। मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में एक मराठी संगीतकार पंडित दीनानाथ मंगेशकर और गुजराती गृहिणी शेवंती के घर हुआ था। वह दीनानाथ और शेवंती के पांच बच्चों में सबसे बड़ी थीं। लता के अलावा मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ उनके बच्चे थे।

मंगेशकर जब मात्र पांच साल की थीं, तभी उनके पिता ने उनके भीतर की महान गायिका को पहचान लिया था। दीनानाथ मंगेशकर के अचानक निधन के कारण परिवार का आर्थिक बोझ 13 वर्षीय लता मंगेशकर के कंधों पर आ गया। ऐसे में उनके पारिवारिक मित्र मास्टर विनायक ने उनकी मदद की और लता मंगेशकर ने उनकी रंगमंच कंपनी में गाना और अभिनय करना शुरू कर दिया। जब वह मुंबई गईं तो निर्माता एस मुखर्जी ने यह कहकर मंगेशकर को खारिज कर दिया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि यही आवाज कई भावी पीढ़ियों तक संगीत जगत पर राज करेगी।

लता मंगेशकर ने जब 1949 में फिल्म ‘महल’ के लिए ‘आएगा आने वाला’ गीत गाया, तो उस समय पार्श्व गायकों को अधिक तवज्जो नहीं दी जाती थी और यह सार्वजनिक नहीं किया गया था कि यह गीत किसने गाया है, लेकिन यह गीत इतना हिट हुआ कि लोग इसकी गायिका के बारे में जानने को उत्सुक थे, जिसके कारण रेडियो स्टेशन को यह जानने के लिए एचएमवी से संपर्क करना पड़ा कि इस गीत को आवाज किसने दी है। मंगेशकर ने नसरीन मुन्नी कबीर के वृत्तचित्र ‘लता मंगेशकर: इन हर ओन वर्ड्स’ में इस बात का जिक्र किया था। रेडियो स्टेशन ने श्रोताओं को बताया कि यह गीत मंगेशकर ने गाया है और इसी के साथ देश को एक सितारा मिल गया।

मंगेशकर ने 1950 के दशक में शंकर जयकिशन, नौशाद अली, एस डी बर्मन, हेमंत कुमार और मदन मोहन जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया। उस समय गायकों को अधिक धन नहीं मिलता था, इसलिए मंगेशकर एक दिन में छह से आठ गीत गाती थीं और फिर घर जाकर कुछ घंटे सोने के बाद अगले दिन फिर ट्रेन से रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच जाया करती थीं। उनकी आवाज सफलता का पर्याय बन गई थी और इसीलिए मुख्य अभिनेता इस बात पर जोर देते थे कि उनकी फिल्मों के गीत लता मंगेशकर ही गाएं और अपने अनुबंधों में यह शर्त भी रखते थे।

साठ के दशक में एक बार फिर मधुबाला मंगेशकर की आवाज का चेहरा बनीं। मंगेशकर ने ‘मुगल-ए-आजम’ के लिए ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ गीत गाकर संगीत जगत में तहलका मचा दिया। इसी दशक में उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए 35 साल में 700 से अधिक गीत गाए, जिनमें से अधिकतर बहुत लोकप्रिय हुए। मंगेशकर ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ युगल गीत गाए।

सत्तर के दशक में मंगेशकर ने अभिनेत्री मीना कुमारी की आखिरी फिल्म ‘पाकीजा’ और ‘अभिमान’ के लिए बेहतरीन गीत गाए। उन्होंने 80 के दशक में ‘‘सिलसिला’’, ‘‘चांदनी’’, ‘‘मैंने प्यार किया’’, ‘‘एक दूजे के लिए’’, ‘‘प्रेम रोग’’, ‘‘राम तेरी गंगा मैली’’ और ‘‘मासूम’’ फिल्मों के लिए गीत गाए।

वर्ष 1990 और 2000 के दशक में उन्होंने गुलजार निर्देशित फिल्म ‘लेकिन’ और यश चोपड़ा की फिल्मों ‘लम्हे’, ‘डर’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘दिल तो पागल’ के गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी। उन्होंने आखिरी बार 2004 में ‘वीर-जारा’ फिल्म की पूरी अलबम के गीत गाए। लता मंगेशकर आज भले ही दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज के जरिए वह संगीत प्रेमियों के बीच सदा अमर रहेंगी। मंगेशकर ने 1977 में ‘किनारा’ फिल्म के लिए ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है’ गीत गाया था और वाकई आज उनकी आवाज किसी पहचान की मोहताज नहीं।

लता जी के जाने से दूसरे देशों में भी फैली शोक की लहर

पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश के अखबारों में लता मंगेशकर के निधन की खबर मुखपृष्ठ पर पहले पन्‍ने पर 

इस्‍लामाबाद/ढाका । स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर दुनियाभर में उनके प्रशंसक बेहद दुखी हैं और सोशल मीडिया पर अपनी पसंदीदा गायिका को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश में अखबारों ने लता मंगेशकर के निधन को अपने पहले पन्‍ने पर जगह दी है। अखबारों ने लता मंगेशकर के संगीत की दुनिया में किए गए योगदान को याद किया है। पाकिस्‍तानी अखबारों ने कई खबरें आज लता मंगेशकर पर छापी हैं। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन ने लता मंगेशकर के बारे में लिखा कि वह न केवल भारत में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में लोकप्रिय थीं। डॉन ने लिखा, ‘लता मंगेशकर की मातृभाषा मराठी है लेकिन उन्‍होंने पंजाबी समेत कई भाषाओं में गाना गाया। भारत के बंटवारे के बाद चमन पहली पंजाबी फिल्‍म थी। इसे 6 अगस्‍त, 1948 को लाहौर के रतन सिनेमा में रिलीज किया गया था। पाकिस्‍तान के कई और अखबारों ने अपने पहले पन्‍ने पर लता मंगेशकर के निधन की खबर दी है।

‘अब कोई दूसरा लता मंगेशकर नहीं होगा’
वहीं बांग्‍लादेश के अखबार डेली स्‍टार ने भी लता मंगेशकर के निधन की खबर को पहले पन्‍ने पर दी है। डेली स्‍टार ने लिखा, ‘स्‍वर कोकिला हमेशा के लिए खमोश हो गईं।’ उसने कहा कि अब कोई दूसरा लता मंगेशकर नहीं होगा। पाकिस्तान में जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियों ने रविवार को महान गायिका लता मंगेशकर के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें ‘उपमहाद्वीप की स्वर-कोकिला’ एवं ‘स्वर साम्रागी’ बताया और कहा कि वह पाकिस्तानी लोगों की सबसे पसंदीदा कलाकार थीं एवं सदैव उनके दिलों पर राज करेंगी। पाकिस्तानी नेताओं, कलाकारों, क्रिक्रेटरों और पत्रकारों ने मंगेशकर के निधन पर शोक प्रकट करते हुए इसे ‘संगीत की दुनिया के लिए सबसे अंधकारमय दिन’ बताया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गायिका के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उपमहाद्वीप ने दुनिया की एक महान गायिका को खो दिया है। चीन की चार दिवसीय यात्रा पर गए खान ने ट्वीट किया, ‘लता मंगेशकर के निधन से उपमहाद्वीप ने दुनिया की एक महान गायिका को खो दिया। उनके गीतों को सुनकर पूरी दुनिया में बहुत सारे लोगों को खुशी मिली है।’

‘लता मंगेशकर के निधन से संगीत के एक युग का अंत’
गायक-अभिनेता अली जफर ने कहा, ‘लता मंगेशकर जी जैसी महान शख्सियत को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।’ सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, ‘लता मंगेशकर के निधन से संगीत के एक युग का अंत हो गया। लता ने दशकों तक संगीत की दुनिया पर राज किया और उनकी आवाज का जादू हमेशा बरकार रहेगा।’ उन्होंने बीजिंग से उर्दू में यह ट्वीट किया जहां वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर गये हैं। चौधरी ने लिखा, ‘जहां भी उर्दू बोली और समझी जाती है, वहां लता मंगेशकर को अलविदा कहने वालों का हुजूम है।’ उन्होंने अंग्रेजी में भी अलग से ट्वीट किया। उन्होंने कहा, ‘महान गायिका नहीं रहीं। लता मंगेशकर मधुर आवाज की रानी थीं जिन्होंने दशकों तक संगीत की दुनिया पर राज किया। वह संगीत की बेताज रानी थीं। उनकी आवाज आने वाले दिनों में लोगों के दिलों पर राज करती रहेगी।’

‘लता मंगेशकर हमारे दिलों में सदैव रहेंगी’
सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सीनेटर (सांसद) अली जरदार ने कहा, ‘महाद्वीप की स्वरकोकिला लता मंगेशकर सुंदर मधुर आवाज की धनी थीं जो हर संगीत प्रेमी के जीवन का हिस्सा थी। उनकी आत्मा को शांति मिले। वह हमारे दिलों में हमेशा रहेंगी और दुनियाभर में भावी पीढ़ियों को अथाह खुशी देती रहेंगी।’ विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शीरी रहमान ने कहा कि मंगेशकर सिनेमा का एक युग थीं।

उन्होंने कहा, ‘उनके निधन की खबर से दुख हुआ। उन्होंने इतने सारे गाने गये कि उनमें से किन्हीं पांच का चुनाव कर पाना असंभव है, सबसे पसंदीदा है: आज फिर जीने की तमन्ना है,।’ विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग – नवाज (पीएमएल-एन) की सांसद हीना परवेज बट ने कहा , ‘महान गायिका लता मंगेशकर हमारे दिलों में सदैव रहेंगी। दुनियाभर में उनके प्रशंसकों को मेरी संवेदना है। हम उनके गाने सुनकर बड़े हुए हैं। उनकी सुंदर आवाज हमेशा जीवित रहेगी।’

 

स्मृतियों में स्वर कोकिला – जब भारतीय टीम की जीत के लिये लताजी ने रखा था व्रत

नयी दिल्ली । क्रिकेट को लेकर लता मंगेशकर की दीवानगी जगजाहिर है और विश्वकप 2011 में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम की जीत के लिये उन्होने निर्जल व्रत रखा था ।
उन्होंने एक समय भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा था ,‘‘मैने पूरा मैच देखा और मैं काफी तनाव में थी ।’’उन्होंने कहा था ,‘‘ जब भारतीय टीम खेलती है तो मेरे घर में सभी का कुछ न कुछ टोटका होता है । मैंने , मीना और उषा ने सेमीफाइनल के दौरान कुछ खाया पिया नहीं । मैं लगातार भारत की जीत के लिये प्रार्थना कर रही थी और भारत की जीत के बाद ही हमने अन्न जल ग्रहण किया ।’’
विश्व कप 1983 फाइनल को याद करते हुए उन्होंने कहा था ,‘‘मैं उस समय लंदन में ही थी और मैने कपिल देव और उनकी टीम को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले डिनर के लिये बुलाया था । मैने उन्हें शुभकामनायें दी ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ खिताब जीतने के बाद कपिल देव ने मुझे डिनर के लिये बुलाया था । मैने जाकर टीम को बधाई दी ।’’ सचिन तेंदुलकर को वह अपना बेटा मानती थी और वह भी उन्हें मां सरस्वती कहते थे ।यह संयोग की है कि सरस्वती पूजा के अगले दिन ही भारत की सरस्वती का देवलोकगमन हुआ ।

वहीदा की चाकलेट और लता की साड़ियां
सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ अपने दोस्ताना संबंधों को याद करते हुए अभिनेत्री वहीदा रहमान ने कहा कि वह महान गायिका को अक्सर चॉकलेट, कबाब और बिरयानी भेजा करती थीं, जिसके बदले में अपने आशीर्वाद के रूप में लता उन्हें सुंदर साड़ियां भेजती थीं।
वहीदा (84) के लिए लता ने ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’ और ‘पिया तो से नैना लागे रे’ जैसे सदाबहार गीत गाये थे। अभिनेत्री ने सुर साम्राज्ञी के निधन पर शोक प्रकट किया और कहा, ‘‘मैंने अपनी एक सहेली खो दी, सबसे सुंदर इंसान। ’’ उन्होंने लता के साथ अपने दशकों के संबंध को याद करते हुए यह बात कही। वहीदा ने कहा, ‘‘यह हर किसी के लिए विभिन्न तरह से सचमुच में एक नुकसान है। मेरे लिए, मैं नहीं जानती कि क्या कहना है, हम एक दूसरे से रोज बातचीत नहीं किया करते थे लेकिन हम दोनों ने एक दूसरे के साथ का बहुत अच्छा समय बिताया, हम एक दूसरे को बखूबी जानते थे। लेाग अक्सर सोचते हैं कि वह एक शर्मीली महिला थी लेकिन मैंने उन्हें चुटकुले सुनाते देखा। हमने जो वक्त साथ गुजारा है, वह मेरे साथ सदा रहेगा। ’’
वहीदा को लता (92) से हुई अपनी पहली मुलाकात का साल याद नहीं है लेकिन उन्होंने कहा कि अंतिम बार वे चार पांच साल पहले दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार के उपनगरीय मुंबई स्थित आवास पर मिली थीं।
अभिनेत्री ने कहा, ‘‘चूंकि मेरा घर भी बांद्रा में है, तो मैंने बाद में लता जी को अपने घर पर आमंत्रित किया और वह राजी हो गईं। हमने जीवन, खाने-पीने के बारे में बातें करते हुए और चुटकुले सुनाते हुए तीन घंटे बिताएं।’’
वहीदा ने कहा, ‘‘हम अक्सर एक दूसरे को काफी चीजें भेजा करते थे, जैसे कि मैं उन्हें चॉकलेट, कबाब, जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद थे, और बिरयानी भेजती थी, जिसके बदले में वह मुझे साड़ियां भेजा करती थीं। ’’
अभिनेत्री ने कहा, ‘‘सुर साम्राज्ञी के बारे में सर्वश्रेष्ठ बात यह थी कि वह गीत गाते वक्त अभिनेत्री के व्यक्तित्व को ध्यान में रखती थीं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनके गीत बरसों बरस याद रहेंगे। ’’

जब 1983 की जीत के बाद बीसीसीआई को संकट से निकाला था लता जी ने
कपिल देव की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने जब लाडर्स की बालकनी पर विश्व कप थामा था तब बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और इंदिरा गांधी सरकार के धाकड़ मंत्री दिवंगत एनकेपी साल्वे के सामने यक्षप्रश्न था कि इस जीत का जश्न मनाने के लिये धन कहां से आयेगा । उस समय भारतीय क्रिकेट दुनिया की महाशक्ति नहीं बना था और आज के क्रिकेटरों की तरह धनवर्षा भी उस समय क्रिकेटरों पर नहीं होती थी । आज बीसीसीआई के पास पांच अरब डॉलर का टीवी प्रसारण करार है लेकिन तब खिलाड़ियों को बमुश्किल 20 पाउंड दैनिक भत्ता मिलता था ।
साल्वे ने समाधान के लिये राजसिंह डुंगरपूर से संपर्क किया । उन्होंने अपनी करीबी दोस्त और क्रिकेट की दीवानी लता मंगेशकर से जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पर एक कन्सर्ट करने का अनुरोध किया । खचाखच भरे स्टेडियम में लताजी ने दो घंटे का कार्यक्रम किया ।
बीसीसीआई ने उस कन्सर्ट से काफी पैसा एकत्र किया और सभी खिलाड़ियों को एक एक लाख रूपये दिया गया । सुनील वाल्सन ने कहा ,‘‘ उस समय यह बड़ी रकम थी । वरना हमें दौरे से मिलने वाला पैसा और दैनिक भत्ता बचाकर पैसा जुटाना होता जो 60000 रूपये होता ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘कुछ लोगों ने हमसे 5000 या 10000 रूपये देने का वादा किया जो काफी अपमानजनक था । लता जी ने ऐसे समय में यादगार कन्सर्ट किया ।’बीसीसीआई उनके इस योगदान को नहीं भूला और सम्मान के तौर पर भारत के हर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच के दो वीआईपी पास उनके लिये रखे जाते थे ।
मुंबई के एक वरिष्ठ खेल पत्रकार मकरंद वैंगणकर ने कहा ‘‘ लताजी और उनके भाई ह्र्दयनाथ मंगेशकर ब्रेबोर्न स्टेडियम पर हमेशा टेस्ट मैच देखने आते थे । चाहे वह कितनी भी व्यस्त हों, सत्तर के दशक में हर मैच देखने आती थी । ’’

झुमरी तिलैया और लता मंगेशकर: एक अटूट रिश्ता
झुमरी तिलैया (झारखंड), छह फरवरी (भाषा) झुमरी तिलैया संगीत प्रेमियों के लिए एक जाना पहचाना नाम है। झारखंड में प्रकृति की गोद में बसे इस कस्बे ने नयनाभिराम झीलों के दृश्य से प्रकृति प्रेमियों के बीच एक अलग पहचान बनाई है। इस छोटे से कस्बाई शहर को 1950 के दशक की शुरुआत में रेडियो सीलोन और आकाशवाणी ने भी खासी प्रसिद्धि दिलाई।
आकाशवाणी के विविध भारती पर उस समय फरमाइशी गानों के कार्यक्रम में झुमरी तिलैया से सबसे अधिक महान गायिका लता मंगेशकर द्वारा गाए गानों को बजाने की मांग की जाती थी।
पीढ़ियों से संगीत को परिभाषित करने वाली ‘भारत कोकिला’ के निधन की खबर जैसे ही इस छोटे से शहर में पहुंची, देवी सरस्वती की पूजा के लिए बने पंडालों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में लाउडस्पीकरों से ‘लता दीदी’ के गाने बजाए जाने लगे। लोग सड़कों पर गमगीन नजर आ रहे थे।
भारत के अधिकतर हिस्सों में भले ही आज रेडियो की जगह टेलीविजन ने ले ली हो लेकिन झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 165 किलोमीटर दूर झुमरी तिलैया में आज भी सड़क किनारे ढाबों, छोटी दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में रेडियो सेट पर गाने सुनने के शौकीन मिल जाएंगे।
रेडियो सीलोन पर अमीन सयानी और विविध भारती पर अन्य उद्घोषकों को अक्सर यह घोषणा करते सुना जाता था-‘‘अगली फरमाइश है झुमरी तिलैया से।’’ जब रेडियो लोकप्रिय हो गए, तो इस कस्बे में पोस्टकार्ड पर गाने के लिए अनुरोध भेजना लोगों का एक प्रमुख शौक बन गया।
झुमरी तिलैया के एक खदान मालिक, रामेश्वर प्रसाद बरनवाल ने रेडियो सीलोन पर अमीन सयानी के ‘बिनाका गीतमाला’ कार्यक्रम के लिए ‘फरमाइशों’ के साथ पोस्टकार्ड भेजना शुरू किया, जिससे शहर के अन्य लोग भी पोस्टकार्ड भेजने को लेकर प्रेरित हुए। जल्द ही झुमरी तिलैया में रेडियो प्रेमियों ने एक छोटा रेडियो श्रोताओं का क्लब बना लिया।
क्षेत्र के एक प्रमुख उद्योगपति राहुल मोदी के दादा रामेश्वर मोदी उस समय अभ्रक के प्रमुख कारोबारी थे। राहुल ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मेरे दादा और अन्य लोग एक-दूसरे के साथ शर्त लगाते थे, किसके नाम की घोषणा संगीत के फरमाइशी कार्यक्रम में की जाएगी।’’ राहुल मोदी ने कहा कि ज्यादातर फरमाइशें लता मंगेशकर के गानों की होती थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह क्षेत्र के लिए एक दुखद दिन है। यह बहुत बड़ी क्षति है… झुमरी तिलैया और लता दीदी के गीत का रिश्ता अटूट है।’’ संयुक्त राष्ट्र की संस्था के एक प्रमुख चिकित्सक डॉ. दीपक कुमार ने कहा, ‘‘झुमरी तिलैया की पहचान रेडियो और लता जी के गीतों के कारण है।’’

और लता ने कभी दुर्रानी के साथ नहीं गाया

‘नेशनल हैराल्ड इंडिया’ में छपी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फिल्म ‘चांदनी रात’ के दौरान की बात है। इस फिल्म में सायरा बानो की मां नसीम बानो थीं। इसी फिल्म में लता मंगेशकर को संगीत के उस्ताद नौशाद के लिए जी एम गुर्रानी के साथ गाना रिकॉर्ड करना था। लेकिन जैसे ही लता मंगेशकर गाने की रिकॉर्डिंग के लिए पहुंचीं, लेकिन बिना रिकॉर्ड किए ही वापस लौट गईं।
रिपोर्ट के मुताबिक, जी एम दुर्रानी ने लता मंगेशकर के साथ ठीक बर्ताव नहीं किया था। लता एकदम शर्मीली और विनम्र स्वभाव की थीं, वहीं दुर्रानी के अपने जलवे थे। दुर्रानी ने लता मंगेशकर के साथ शरारतें करनी शुरू कर दीं। उन्होंने सोचा था कि लता शर्मीली हैं और कुछ नहीं कह पाएंगी।
दुर्रानी ने पूछा-गले में क्या पहना है? सफेद चादर लपेट कैसे चली आती हो?
एक बार ऐसा हुआ कि जब लता मंगेशकर रिकॉर्डिंग के लिए पहुंचीं तो जी एम दुर्रानी ने उनके साथ ओवर-फ्रेंडली होने की कोशिश की। लता मंगेशकर ने गले में हार पहना हुआ था। उसे देख जी एम दुर्रानी ने लता से पूछा, ‘ये गले में क्या पहनकर आई हो?’ जवाब में लता जी ने कहा कि हाथी के दांत का नेकलेस है, जो उन्हें उनके पिता ने दिया था। लेकिन दुर्रानी ने लता मंगेशकर की बात को अनसुना करते हुए कहा कि चूंकि उनकी सुनहरी आवाज है, इसलिए उन्हें सोने के जेवर पहनने चाहिए। उन्होंने यह तक कहा था, ‘लता, तुम रंगीन कपड़े क्यों नहीं पहनती? तुम कैसे इस तरह सफेद चादर लपेटकर चली आती हो?’

लता ने लिया कभी साथ काम न करने का फैसला
इसके बाद भी जी एम दुर्रानी नहीं रुके और लता मंगेशकर को प्रभावित करने के लिए तारीफ पर तारीफ करने लगे। लेकिन लता मंगेशकर भड़क गईं और कहा कि अब वह कभी भी जी एम दुर्रानी के साथ नहीं गाएंगी। यह लता के लिए सबसे बड़ा और रिस्का फैसला था क्योंकि वह उस वक्त अपने कॅरियर के शुरुआती दिनों में थीं। उन्होंने न सिर्फ उस दौर के सबसे बड़े गायक के साथ काम करने से इनकार किया था बल्कि नौशाद जैसे कंपोजर के साथ काम को भी जोखिम में डाल रही थीं। पर लता ने दिलेरी दिखाई और अपने फैसले पर अडिग रहीं।

 

 

 

 

 

 

दो दिन में दो रिकॉर्ड.. फेसबुक ने गंवाए 200 अरब डॉलर, अमेजन ने कमाए 190 अरब डॉलर

नयी दिल्ली । अमेरिकी शेयर बाजार में पिछले दो दिन में दो रेकॉर्ड बने। गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा का मार्केट कैप में 200 अरब डॉलर गिर गया। यह किसी अमेरिकी कंपनी के मार्केट कैप में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके एक दिन बाद शुक्रवार को भी इतिहास बना। ऐमजॉन ने का मार्केट कैप 190 अरब डॉलर बढ़ गया। यह किसी अमेरिकी कंपनी के मार्केट कैप में एक दिन में सबसे बड़ी उछाल है।
ऑनलाइन रिटेल और क्लाउड कंप्यूटिंग कंपनी ऐमजॉन के शेयरों में शुक्रवार को 13.5 अरब डॉलर की उछाल आई। इससे कंपनी का मार्केट कैप 190 अरब डॉलर उछल गया। यह किसी अमेरिकी कंपनी के मार्केट कैप में एक दिन में सबसे बड़ी उछाल है। इससे पहले यह रेकॉर्ड दिग्गज टेक कंपनी एपल इंक के नाम था जिसका मार्केट कैप 28 जनवरी को 181 अरब डॉलर उछला था। ऐमजॉन का मार्केट कैप अब 1.6 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गया है। इससे कंपनी के फाउंडर जेफ बेजोस की नेटवर्थ में भी 18 अरब डॉलर से ज्यादा उछाल आई।
एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट
इससे एक दिन पहले यानी गुरुवार को फेसबुक के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। 2012 में अमेरिका बाजार में लिस्ट हुई थी और उसके बाद से यह कंपनी के शेयरों में सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट है। हाल में फेसबुक का नाम बदलकर मेटा किया गया था। इस गिरावट से मेटा के मार्केट कैप में 200 अरब डॉलर की गिरावट आई है। इससे पहले तीन सितंबर 2020 को एपल के मार्केट कैप में करीब 180 अरब डॉलर की गिरावट आई थी। उसी साल 16 मार्च को माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैप 177 अरब डॉलर गिर गया था।
शुक्रवार को भी मेटा के शेयरों में 0.3 फीसदी की गिरावट आई और उसका मार्केट कैप 660 अरब डॉलर रह गया। एपल 2.8 अरब डॉलर के मार्केट कैप के साथ अमेरिका का सबसे मूल्यवान कंपनी है। इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प है जिसका मार्केट कैप 2.3 लाख करोड़ डॉलर है। गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक 1.9 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप के साथ तीसरे नंबर पर है।