भारत में अब टेनर्स पोकेमॉन गो में एपेक्स शैडो ल्युजिया और हो-ओह का एनकाउंटर
कोलकाता । पोकेमॉन गो टूर भारत में अपने ग्लोबल इवेंट के दूसरे संस्करण का जश्न मनाने जा रहा है। एक दिवसीय इवेंट जोहतो का यह जश्न भारत में ट्रेनर्स को मौका देगा कि वे जोहतो क्षेत्र से पोकेमॉन का एनकाउंटर कर सकें, यह 2022 के सबसे बड़े इवेंट्स में से एक है। इवेंट का आयोजन 26 फरवरी 2022 सुबह 9 बजे से शाम 9 बजे तक होगा।
ट्रेनर्स, इवेंट के टिक्ड वर्ज़न से स्पेशल रीसर्च को पूरा कर नया मास्टवर्क रीसर्च लाईन पा सकेंगे। मास्टर रिसर्च को पूरा करने के बाद टेªनर्स पहली बार लेजेंडरी शैडो पोकेमॉन, एपेक्स शैडो ल्युजिया और एपेक्स शैडो हो-ओह के एनकाउंटर में सक्षम होंगे। ट्रेनर्स इवेंट के टिकटेड वर्ज़न में गोल्ड वर्जन या सिल्वर वर्ज़न के रोमांच का आनंद उठा सकेंगे। टेनर्स के पास जोहतो क्षेत्र में एनकाउंटर किए गए हर पोकेमॉन (इल्यूज़िव उनाउन सहित) को कैच, हैच, बैटल, प्रशिक्षित करने के लिए ठीक 12 घण्टे होंगे। इवेंट के दौरान टेनर्स इन पोकेमॉन के कई शाइनी वेरिएन्ट्स को भी एनकाउन्टर कर सकते हैं। पूरे इवेंट के दौरान 5 अलग-अलग घण्टों के लिए हेबिटेट्स होंगे, इसमें से हर हैबिटेट जोहतो क्षेत्र की किसी प्रतिष्ठित लोकेशन से प्रेरित होगा। ट्रेनर्स द्वारा चुने गए टिकटेड वर्जन इवेंट के अनुसार फैसला लिया जाएगा कि कौनसे पोकेमॉन के एनकाउंटर या कौन से पोकेमॉन के शाइनी होने की संभावना सबसे अधिक है।
इवेंट के दौरान 8 गोजिम टेनर्स कैरेक्टर्स, इन-गेम मैप पर दिखाई देंगे। पोकेमॉन गो ने जनवरी में एक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया था, जिसके ज़रिए टेनर्स को गेम में शामिल होने का मौका मिला। पोकेमॉन गो टूर की टिकट- वर्तमान में जोहतो लाईव हैं और इन्हें रु 1050 की कीमत में इन-गेम खरीदा जा सकता है। इस अवधि के दौरान टेनर्स मिथिकल पोकेमॉन सेलेबी पर हाथ आज़मा सकते हैं, जिसे मैजिकल लीफ़ पर हमला करने के लिए जाना जाता है!
आरम्भ हो गयी मिस इंडिया 2022 की तलाश
कोलकाता । सौंदर्य दूतों की खोज में मिस इंडिया ऑर्गेनाइजेशन अपने काम को डिजिटल मीडिया स्पेस में ले जा रहा है। डायनामिक फॉर्मेट से संचालित वीएलसीसी की प्रस्तुति फेमिना मिस इंडिया 2022 का दृष्टिकोण युवाओं को सशक्त बनाने और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर भारत की सर्वश्रेष्ठप्रतिभा के प्रतिनिधित्व करने में निहित है।
अब दूसरी बार अपने वर्चुअल फॉर्मेट में प्रतियोगिता ने 28 राज्यों के प्रतिनिधियों और दिल्ली, जम्मू और कश्मीर के प्रतिनिधियों के अलावा केंद्र शासित प्रदेशों के एक प्रतिनिधि का चयन करने के लिए 14 फरवरी से 31 फाइनलिस्ट का राष्ट्रव्यापी हंट शुरू किया है। राज्य के प्रतिनिधियों की चयन प्रक्रिया केवल मोज ऐप के माध्यम ऑडिशन वीडियो टास्क सबमिशन आमंत्रित करने के लिए एकऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की आवश्यकता होगी।
इस प्रतियोगिता के बारे में गर्व और जोश के साथ बात करते हुए नेहा धूपिया ने कहा, “फेमिना मिस इंडिया की यात्रा में हर साल, मुझे पुरानी यादों की एक मजबूत भावना महसूस होती है क्योंकि यह मुझे उन सभी सीखों और अनुभवों पर वापस ले जाती है जो मैंने प्राप्त किए हैं और जीवन भर संजोए रखेंगे। इतने उत्साह से भरे इन युवा प्रतिभागियों को दुनिया कामुकाबला करने के लिए तैयार होते देखना हमेशा अच्छा लगता है। सफल होने की उनकी इच्छा ही सभी को प्रेरित करती है।”
सेफोरा, मोज और रजनीगंधा पर्ल्स द्वारा संचालित वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2022 की विजेता मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। मिस इंडिया का खिताब जीतना न केवल आपको प्रसिद्धि दिलाएगा, बल्कि आपको मनोरंजन और ग्लैमर के केंद्र के रूप में पहचान रखने वाले मैक्जिमम सिटी – मुंबई में रहने का मौका भी देगा।
उस विरासत को जारी रखते हुए जिसने छह मिस वर्ल्ड देखीं, जिन्होंने विश्वपटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर हमें गौरवान्वित किया- रीता फारिया(1966), ऐश्वर्या राय (1994), डायना हेडन (1997), युक्ता मुखी (1999), प्रियंका चोपड़ा (2000) और मानुषी चिल्लर (2017), नए ताज धारक की तलाश शुरू हो गयी है।
नारायणा हेल्थ में रीनल ट्यूमर कंसोर्टियम नेक्स्ट जेनरेशन क्रायोएब्लेशन टेक्नोलॉजी की सुविधा
कोलकाता । कैंसर के लिए उपलब्ध पारंपरिक उपचारों के अनुसार, कई मामलों में ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। सर्जरी एक जटिल प्रक्रिया है वहीं चिकित्सा क्षेत्र की नयी तकनीक ने परिदृश्य बदला है। 3डी विज़ुअलाइज़ेशन के साथ, न्यूनतम इनवेसिव तकनीक और तेजी से रिकवरी रोबोटिक सर्जरी पर चिकित्सकों का भरोसा बढ़ा है। इस विजन को आगे बढ़ा नारायणा हेल्थ, कोलकाता ने कैंसर केयर में उन्नत उपचार के लिए रीनल ट्यूमर कंसोर्टियम और नेक्स्ट जेनरेशन क्रायोएब्लेशन टेक्नोलॉजी इंस्टालेशन सुविधा आरम्भ की।
क्या है रीनल ट्यूमर कंसोर्टियम और नेक्स्ट जेनरेशन क्रायोएब्लेशन टेक्नोलॉजी इंस्टालेशन
नारायणा हेल्थ, कोलकाता के इंटरवेंशनल एंड एंडोवास्कुलर रेडियोलॉजी के प्रमुख डॉ. शुभ्रो रॉय चौधरी ने कहा, रीनल ट्यूमर, विशेष रूप से छोटे रीनल ट्यूमर के निदान और प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव आया है। अन्य कारणों से की जाने वाली इमेजिंग में वृद्धि के कारण, इन ट्यूमर का अक्सर किसी भी लक्षण पेश करने से पहले संयोग से छोटे आकार में पता लगाया जाता है। सर्जिकल अभ्यास में, पिछले 50 वर्षों में प्रतिमान में इस बदलाव ने कठिन सर्जरी, (पूरे गुर्दे को हटाने) से गुर्दे के हिस्से को हटाने के लिए प्रेरित किया, जिसे आंशिक नेफरेक्टोमी के रूप में जाना जाता है। यह सर्जरी भी विकसित हुई है, शुरू में एक खुले अंदाज में की गई और बाद में लैप्रोस्कोपिक रूप से की गई और अब बहुत कुशलता से, रोबोटिक रूप से की गई। कोलकाता में नारायण हेल्थ पहले से ही अपने दोनों स्थलों पर अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी की पेशकश कर रहा है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के विकास के समानांतर, इंटरवेंशनल थेरेपी का विकास हुआ है, विशेष रूप से छोटे किडनी ट्यूमर के लिए, जिससे इन ट्यूमर को पारंपरिक सर्जरी के बिना सफलतापूर्वक ठीक किया जाता है। पिनहोल के माध्यम से इन ट्यूमर का प्रभावी ढंग से इलाज करने की मौजूदा तकनीकों में रेडियोफ्रीक्वेंसी या माइक्रोवेव एब्लेशन शामिल हैं। इन तकनीकों का प्रदर्शन पहले से ही 20 वर्षों की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता के साथ दुनिया में एक बड़ी श्रृंखला के साथ किया जा रहा है। इस आयुध में जोड़ा गया अब छोटे गुर्दे के ट्यूमर के सुई आधारित सूक्ष्म-आक्रामक उपचार की नवीनतम तकनीक है, जिसे क्रायोएब्लेशन कहा जाता है, एक ऐसी तकनीक जो कैंसर को अपने पथ में जमा देती है।
दर्द रहित उपचार प्रदान करता है क्रायोएब्लेशन
क्रायोएब्लेशन छोटे गुर्दे के ट्यूमर का न्यूनतम इनवेसिव, स्कारलेस और दर्द रहित उपचार प्रदान करता है जिसे व्यापक रूप से दुनिया भर में सबसे अत्याधुनिक तकनीक के रूप में स्वीकार किया जाता है, जिसमें आसपास के सामान्य गुर्दे के ऊतकों को न्यूनतम नुकसान होता है और गुर्दे के कार्य का संरक्षण होता है। यह अत्याधुनिक उपचार अब एनएच कोलकाता में उपलब्ध है – यह उपचार देने वाला उपमहाद्वीप का एकमात्र निजी क्षेत्र का अस्पताल है। डॉ. रॉय चौधरी ने कहा कि यह विशेष तकनीक ट्यूमर को मारने के लिए आइसबॉल बनाने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन का उपयोग करती है जो बाद में ओवरटाइम पर वापस आ जाती है। क्रायोब्लेशन और रोबोटिक सर्जरी की पेशकश करने वाले विशेषज्ञों के साथ – साथ रोगियों को अब पूरे उपचार स्पेक्ट्रम में गुर्दे के कैंसर के उपचार की पूरी पसंद की पेशकश की जाती है, जो दुनिया में कहीं और उपलब्ध है। इस रेनल ट्यूमर कंसोर्टियम में यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट सहित एक बहु-विषयक बोर्ड शामिल है।
इस नए स्थापित क्रायोएब्लेशन सिस्टम में अन्य उपयोगी अनुप्रयोग होंगे, जिसमें बिना किसी निशान के सौम्य स्तन फाइब्रोएडीनोमा का उपचार, हड्डी और कोमल ऊतक ट्यूमर का उपचार शामिल है और इसे पूरे एनएच नेटवर्क में पेश किया जाएगा रोगी एक दिन के भीतर बिना किसी निशान के घर जा सकते हैं और तेजी से सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं। इस सुविधा की घोषणा के दौरान डॉक्टर डॉ. शभ्रो रॉय चौधरी, इंटरवेंशनल एंड एंडोवास्कुलर रेडियोलॉजी के प्रमुख, डॉ सत्यदीप मुखर्जी, सलाहकार- रोबोटिक सर्जरी, यूरो-ऑन्कोलॉजी, डॉ तरुण जिंदल, ऑन्कोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी, यूरो-ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ विवेक अग्रवाल, निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार- मेडिकल ऑन्कोलॉजी व हेमेटो-ऑन्कोलॉजी विभाग, डॉ चंद्रकांत एमवी, सलाहकार- मेडिकल ऑन्कोलॉजी व हेमेटो-ऑन्कोलॉजी विभाग, मौजूद थे।
कैंसर केयर में टीम के सभी अनुभवी और कुशल सर्जनों ने सम्मेलन में नेक्स्ट जेनरेशन क्रायोएब्लेशन टेक्नोलॉजी के साथ कैंसर के उन्नत और केंद्रित उपचार के बारे में चर्चा की । नारायणा हेल्थ के क्षेत्रीय निदेशक (पूर्व) आर वेंकटेश ने कहा, ‘हमारे अस्पताल में मरीज उन्हें सर्वोत्तम देखभाल और उपचार प्रदान करने के हमारे सक्रिय प्रयासों के साक्षी रहे हैं। इन हाईटेक परिवर्द्धन के साथ हम उनके चिकित्सा मुद्दों के इलाज के लिए सबसे उन्नत तकनीक लाने की अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हैं।’
नहीं रहे बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज
उदारीकरण से पहले के दौर में भारत में ‘हमारा बजाज’ धुन एक वक्त मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की महत्वाकांक्षा का प्रतीक थी और उनके बेहतर भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करती थी। यह धुन थी बजाज ऑटो की और इसके पीछे बेहद बड़े कद वाले बेखौफ उद्योगपति थे राहुल बजाज। स्पष्ट और खुलकर बोलने वाले राहुल बजाज ने परमिट राज के दौरान दो पहिया और तीन पहिया वाहनों का ब्रांड स्थापित करके अपना दम दिखाया था। बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का गत 12 फरवरी शनिवार को पुणे में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। उन्होंने बजाज ऑटो में गैर-कार्यकारी निदेशक और चेयरमैन पद से पिछले वर्ष 30 अप्रैल को इस्तीफा दिया था हालांकि वह चेयरमैन एमेरिटस बने रहे।
साफगोई थी उनकी खासियत
बिना लाग लपेट के अपनी बात रखने वाले बजाज कूटनीति में पारंगत अन्य उद्योगपतियों से अलग थे, साफगोई उनकी खासियत थी भले इसकी वजह से सरकार के साथ ठन जाए, चाहे अपने खुद के बेटे के साथ आमना-सामना हो जाए। नवंबर 2019 की बात है, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, समेत मंत्रियों के एक समूह पर चुभने वाले सवाल दाग दिए थे। राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कलकत्ता में हुआ था। उनके दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी।
हार्वर्ड से किया था एमबीए
बजाज ने दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से स्नातक और अमेरिका के हार्वर्ड बिजनस स्कूल से एमबीए किया। अपने पिता कमलनयन बजाज की टीम में उप महाप्रबंधक के रूप में उन्होंने काम शुरू किया और 1968 में 30 साल की उम्र में वह मुख्य कार्यपालक अधिकारी बने।
ऑटोमोबाइल, जनरल बीमा तथा जीवन बीमा, निवेश एवं उपभोक्ता फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाले बजाज समूह का नेतृत्व संभालकर उन्होंने इसे वृद्धि के रास्ते पर बढ़ाया। उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया।
चेतक स्कूटर बना आकांक्षा का प्रतीक
2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन इकाईयों-बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में बांटा। उनके बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज ऑटो और फाइनेंस कंपनियों को संभाल रहे हैं। कंपनी का बजाज चेतक स्कूटर मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की आकांक्षा का प्रतीक बना।
फोर्ब्स ने 2016 में दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में उन्हें शामिल किया था। उस वक्त उन्हें लिस्ट में 722वीं रैंक मिली थी और उनकी नेट वर्थ 2.4 अरब डॉलर थी। अगर फोर्ब्स की रीयल टाइम लिस्ट के हिसाब से देखें तो 12 फरवरी 2022 को राहुल बजाज की नेट वर्थ 8.2 अरब डॉलर यानी करीब 62000 करोड़ रुपये है। राहुल बजाज को दोपहिया वाहन की दुनिया में एक क्रांति लाने के लिए जाना जाता है।
राहुल बजाज ने 1965 से लेकर 2005 तक यानी 40 साल तक बजाज ऑटो के चैयरमैन का पद संभाला और कंपनी को बुलंदियों तक पहुंचाया। उनके बाद 2005 में उनके बेटे राजीव बजाज ने कंपनी की बागडोर अपने हाथ ले ली। 2006 में वह राज्य सभा में सांसद के तौर पर चुने गए और 2010 तक देश की सेवा राजनीति में रहते हुए की। राजनीति की दुनिया में रहते हुए भी वह हर बात पर अपनी बेबाक राय देते रहे। 2005 के बाद भी वह नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन की भूमिका में रहे और 2021 में उन्होंने यह पद छोड़ा।
राहुल बजाज की तरफ से समाज को दिए गए योगदान के चलते उन्हें 2001 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। स्कूटर की दुनिया में क्रांति से उन्होंने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया था। राहुल बजाज कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के दो बार (1979-80 और 1999-2000) प्रेसिडेंट भी चुने गए। इस दौरान उन्हें 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया था। उन्हें ‘नाइट ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ नाम के फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
राहुल बजाज के 2 बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज हैं, जो कंपनी के मैनेजमेंट में हैं। वहीं उनकी बेटी सुनैना बजाज की शादी मनीष केजरीवाल से हुई है, जो Temasek India के प्रमुख रह चुके हैं। 10 जून 1938 को जन्मे राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया था।
अगर आज आप कोई गाड़ी खरीदना चाहें और वह बहुत लोकप्रिय हो तो कुछ दिन, हफ्ते या अधिकतम कुछ महीनों के वेटिंग पीरियड के बाद गाड़ी आपको मिल जाएगी, लेकिन उस दौर में ऐसा नहीं था। एक वक्त था जब बजाज के स्कूटर हमारा बजाज वाले विज्ञापन से खूब लोकप्रिय थे। हर किसी की जुबां पर हमारा बजाज छाया रहता था। बजाज के स्कूटर का वेटिंग पीरियड सालों में पहुंच जाता था। कई लोग तो बुकिंग की पर्ची बेचकर ही पैसे कमा लेते थे, क्योंकि मांग बहुत ज्यादा थी और सप्लाई बहुत कम।
बजाज ऑटो की स्थापना 1960 में हुई थी, जिससे पहले यह कंपनी बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन हुआ करती थी। हमारा बजाज की कहानी 1926 से शुरू होती है, जब जमनालाल बजाज ने कारोबार के लिए बछराज एंड कंपनी नाम की फर्म बनाई थी। उनकी मौत के बाद दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो बेटों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की। आजादी के बाद 1948 में विदेशों से पार्ट्स मंगाकर उन्होंने दो-पहिया और तीन-पहिया गाड़ियां बनाईं।
जब बेटे के काम पर जताई निराशा…
2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की। राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। हालांकि, जब राजीव ने 2009 में स्कूटर को छोड़कर बजाज ऑटो में पूरा ध्यान मोटरसाइकिल विनिर्माण पर देना शुरू किया तो राहुल बजाज ने अपनी निराशा नहीं छिपाई। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा, ‘‘मुझे बुरा लगा, दुख हुआ।’’
बिना डरे बोलते थे सरकार के खिलाफ
मुंबई में नवंबर 2019 में उन्होंने एक कार्यक्रम में सरकार द्वारा आलोचना को दबाने के बारे में खुलकर बोला जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। उन्होंने कहा था, ‘‘भय का माहौल है, यह निश्चित ही हमारे मन मस्तिष्क पर है। आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं उसके बावजूद हमें भरोसा नहीं कि आप आलोचना को स्वीकार करेंगे।’’
पद्म भूषण से सम्मानित
बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे। उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था तथा कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई। वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। आज तक वह ऐसे इकलौते व्यक्ति रहे जो उद्योग चैंबर सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे, पहली बार 1979-80 और फिर 1999 से 2000 तक।
दबंगई रोकेगा 13 साल की बच्ची द्वारा बनाया गया ऐप
गुरुग्राम: स्कूल कार्यक्रम में एक साथी छात्र की खिल्ली उड़ाये जाने का पांच साल पुराना दृश्य अनुष्का जॉली की याददाश्त में बहुत गहराई के साथ बैठ गया। इस घटना ने 13 साल की बच्ची को ‘कवच’ नाम से एक मोबाइल ऐप (Kavach Mobile App) बनाने के लिए प्रेरित किया। इस ऐप के लिए कक्षा आठवीं की छात्रा जॉली को 50 लाख रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
दबंगई रोकने के लिए तैयार किया डिजिटल मंच
स्कूल में दबंगई (Bulling) रोकने के लिए जॉली ने तीन साल पहले एक डिजिटल मंच तैयार किया, जिसका नाम है दबंगाई निरोधक दल यानी एंटी बुलिंग स्क्वाड। यह मंच विद्यार्थियों तथा अभिभावकों को बिना नाम का खुलासा किए रिपोर्ट करने की सुविधा देने के लिए तैयार किया गया। इसे शैक्षणिक संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया। एबीएस का 100 से अधिक स्कूलों के 2000 से अधिक बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
क्या है ऐप की खासियत
कक्षा आठवीं की छात्रा ने ‘कवच’ नाम से एक मोबाइल ऐप भी बनाया है। इस ऐप की खासियत यह है कि विद्यार्थी और अभिभावक बिना अपने नाम का खुलासा किए छात्रों की दबंगई के खिलाफ शिकायत कर सकेंगे। इससे स्कूलों और परामर्शदाताओं को हस्तक्षेप करने और कार्रवाई करने का मौका मिल सकेगा। अपने नए विचार के कारण टीवी रियलिटी शो ‘शार्क टैंक इंडिया’ (Shark Tank India) की प्रतिभागी रहीं जॉली ने कहा, ”एक लड़की के साथ दबंगई की घटना मेरी याददाश्त में दर्ज हो गई और मैं अब तक उसका चेहरा नहीं भूल सकी। वह डरी हुई थी और खुद को असहाय महसूस कर रही थी।”
गुरुग्राम स्थित पाथवे स्कूल की छात्रा जॉली चाहती हैं कि स्कूल में दबंगई के खिलाफ एंबेसडर का एक मजबूत नेटवर्क बनाया जाए जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीड़ित तक मंच या ऐप के जरिये पहुंच सके। जॉली ने बताया की दो निवेशकों ने उनके ऐप में 50 लाख रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव दिया है। जॉली के विचार (आइडिया) में निवेश करने वालों में पीपल ग्रुप (शादी डॉट कॉम) के संस्थापक और सीईओ अनुपम मित्तल और बीओएटी के सह-संस्थापक अमन गुप्ता भी हैं। जॉली के पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट होने के साथ-साथ एक उद्यमी भी हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं से लौटी बेटी की आंखों की रोशनी, केन्या के पूर्व पीएम ने कहा भारत को शुक्रिया
नयी दिल्ली । कोरोना संकट के दौरान भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहा गया। भारत ने अपनी कोरोना वैक्सीन बनाई और वह सबसे ज्यादा प्रभावी वैक्सीनों में से एक है। इस बीच, भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की भी चर्चा होने लगी है। दरअसल, अफ्रीकी देश केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी देख नहीं पा रही थी। केरल में आयुर्वेदिक दवाओं से उनका उपचार किया गया और चमत्कार हो गया। पूर्व पीएम रैला ओडिंगा की बेटी की आंखों की रोशनी लौट आई है। वह पीएम मोदी से मिले और भारत की इस प्राचीन पद्धति की खूब तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग आयुर्वेद के फायदे की चर्चा कर रहे हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं की ‘जय जय’
भारतीय आयुर्वेदिक इलाज ने अफ्रीकी देश केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा की बेटी की आंखों की रोशनी लौटा दी है। यह दावा खुद केन्या के पूर्व पीएम ने किया है। केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा ने कहा कि मैं अपनी बेटी की आंखों का इलाज करवाने के लिए केरल के कोच्चि आया था। 3 सप्ताह के इलाज के बाद उसकी आंखों की रोशनी में काफी सुधार हुआ है। रैला ओडिंगा ने कहा कि ये मेरे परिवार के लिए एक बड़ा आश्चर्य था कि हमारी बेटी इलाज के बाद लगभग सबकुछ देख सकती है। ये किसी चमत्कार से कम नहीं है।
पूर्व पीएम ने की आयुर्वेद की तारीफ
भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति की प्रशंसा करते हुए रैला ओडिंगा ने कहा कि इन पारंपरिक दवाओं के इस्तेमाल से आखिरकार उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। उन्होंने कहा कि इससे हमें काफी आत्मविश्वास मिला। रैला ओडिंगा ने कहा कि मैंने इस उपचार पद्दति को अफ्रीका में लाने और चिकित्सा के लिए इन पौधों के इस्तेमाल करने के लिए पीएम मोदी के साथ चर्चा की। बीते 2 सालों में प्रधानमंत्री मोदी दुनियाभर में अपने सार्वजनिक संबोधनों में भारतीय आयुर्वेद के बारे में बताते आए हैं। आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति की वकालत करते आये हैं।
पीएम मोदी ने की केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री रैला अमोलो ओडिंगा से मुलाकात की और भारत-केन्या संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि निजी यात्रा पर भारत आए ओडिंगा ने मोदी से मुलाकात की, जिन्होंने लगभग साढ़े तीन साल बाद केन्याई नेता से मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं के बीच दशकों से मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। मोदी ने भारत और केन्या में 2008 के बाद से ओडिंगा के साथ अपनी कई मुलाकात के साथ-साथ 2009 और 2012 में ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ को दिए गए उनके समर्थन को याद किया।
कोविड-19 से 2020 में उबरे एक तिहाई बुजुर्गों में नयी जटिलताएं सामने आईं : बीएमजे अध्ययन
बोस्टन (अमेरिका) । अनुसंधान पत्रिका ‘बीएमजे’ में प्रकाशित एक अवलोकन अध्ययन में दावा किया गया है कि 2020 में कोविड-19 से उबरे लगभग एक तिहाई बुजुर्गों में कम से कम एक नयी जटिलता की स्थिति विकसित हुई, जिसमें प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
अमेरिका में ‘ऑप्टम लैब्स और हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ऐसी स्थितियों में हृदय, गुर्दे, फेफड़े और यकृत समेत कई प्रमुख अंगों एवं प्रणालियों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य जटिलताएं शामिल हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने अमेरिका में स्वास्थ्य बीमा योजना रिकॉर्ड का उपयोग करके 2020 में 65 या उससे अधिक उम्र के ऐसे 133,366 व्यक्तियों की स्थिति का अध्ययन किया, जो एक अप्रैल, 2020 से पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।
इन व्यक्तियों का 2020, 2019 के दौरान के तीन गैर-कोविड तुलना समूहों से मिलान किया गया और एक समूह में श्वसन संबंधी बीमारी का पता चला। अनुसंधानकर्ताओं ने फिर कोविड-19 से उबरने के 21 दिनों के बाद शुरू होने वाली किसी भी किस्म की नयी जटिलता को दर्ज किया। उन्होंने उम्र, नस्ल, लिंग और क्या रोगियों को कोविड-19 के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, के आधार पर कई महीनों में बीमारी से उत्पन्न स्थितियों के लिए अतिरिक्त जोखिम की गणना की।
नतीजे बताते हैं कि 2020 में कोविड-19 से ठीक होने वाले व्यक्तियों में से 32 प्रतिशत लोगों को एक या अधिक नयी प्रकार की जटिलताओं के कारण इलाज कराना पड़ा। उसी समूह से तुलना करने पर यह पता चला कि कोविड-19 के रोगियों में सांस लेने में परेशानी, थकान, उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य सहित कई स्थितियों के विकसित होने का खतरा बढ़ गया था।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, ‘‘हमारे परिणाम स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अन्य प्रमुख हितधारकों को भविष्य की स्वास्थ्य जटिलताओं को लेकर बड़े पैमाने पर अनुमान लगाने और स्वास्थ्य संसाधनों के उपयोग के लिए योजना में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।’’
विश्व इतिहास पर 10 साल के बच्चे ने लिखी किताब
नयी दिल्ली । विश्व इतिहास पर 10 साल के जैक संगीत द्वारा लिखी गई किताब ‘वर्ल्ड हिस्ट्री इन थ्री प्वाइंट्स’ अपने सभी पाठकों को तीन छोटे-छोटे अध्यायों में विश्व इतिहास के सभी विषयों की जानकारी दिलचस्प तरीके से देने का वादा करता है। हैचेट इंडिया द्वारा प्रकाशित इस किताब में ‘‘प्राचीन मिश्र से लेकर चीन की राजशाही और काले दिनों, औद्योगिक क्रांति, चाणक्य, मैक्स वेबर से लेकर एलेक्सजेंडर और अशोक, क्रूसेड से लेकर ईरानी क्रांति, सुकरात और हेगल तक का जिक्र किया गया है।’’
इस किताब के साथ लेखन की दुनिया में कदम रख रहे संगीत ने पीटीआई/भाषा को बताया, ‘‘ऐसी दुनिया में जहां लोगों का ध्यान एक जगह बमुश्किल ही टिकता है और लोग ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी माइक्रोब्लॉगिंग साइटों को ज्यादा पसंद करते हैं, इतिहास ऐसा विषय है जिसमें लोगों को अभी तक एक तथ्य के लिए दुनिया खंगालनी पड़ती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सामान्य किताबों में लेखक मिनट दर मिनट घटनाओं का जिक्र करते हैं और वह कुछ ज्यादा लंबी हो जाती हैं।’’
संगीत का कहना है, ‘‘मेरी किताब ‘वर्ल्ड हिस्ट्री इन थ्री प्वाइंट्स’ इतिहास को कम शब्दों में आसानी से समझाती है। मैंने विस्तार की जगह आसानी से तथ्यों/घटनाओं को समझाने का प्रयास किया है।’’ संगीत को नॉन-फिक्शन श्रेणी में दुनिया के सबसे कम उम्र के प्रकाशित लेखकों में गिना जा रहा है। वह बेंगलुरु के स्टार एजुकेशन अकादमी में पांचवीं के छात्र हैं।