Monday, July 21, 2025
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बिहार के साकिबुल गनी ने बनाया रिकॉर्ड, रणजी मुकाबले में जड़ा तिहरा शतक

नयी दिल्ली । बिहार के साकिबुल गनी ने एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया है। उन्होंने फर्स्ट क्लास डेब्यू पर सर्वाधिक स्कोर बनाया है। वह फर्स्ट क्लास डेब्यू पर तिहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं। बिहार के मिजोरम के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले में उन्होंने 341 रन की पारी खेली है। शुक्रवार को 405 गेंद पर उन्होंने यह पारी खेली।
22 साल के साकिबुल गनी ने मध्य प्रदेश के अजय रोहेरा का रिकॉर्ड तोड़ा जिन्होंने 2019-19 में फर्स्ट क्लास डेब्यू पर 267* रन बनाए थे। रोहेरा ने हैदराबाद के खिलाफ यह पारी खेली थी।
गनी ने 387 गेंद पर अपना तिहरा शतक पूरा किया । जाधवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में चल रहे इस मुकाबले के दूसरे दिन उन्होंने तिहरा शतक पूरा किया। उनकी पारी 405 गेंद खेलकर पूरी हुई। अपनी पारी में उन्होंने 341 रन बनाए। बिहार ने पहली पारी में 600 से ज्यादा का स्कोर बनाआ गनी ने चौथे विकेट के लिए बाबुल कुमार के साथ 557 रन की साझेदारी की। बाबुल कुमार ने भी दोहरा शतक लगाया। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे बड़ी साझेदारी का रिकॉर्ड श्रीलंका के कुमार संगाकारा और महेला जयवर्धने के नाम है। इन दोनों ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 2006 में 624 रन जोड़े थे।
रणजी ट्रॉफी में पार्टनरशिप का रिकॉर्ड महाराष्ट्र के स्वपनिल गुगले और अंकित बावने के बीच है। दोनों ने 594 रन की नाबाद साझेदारी की। बिहार के साकिबुल और बाबुल अब रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गए है। यह चौथे विकेट के लिए दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी है। इससे पहले 1946/47 में विजय हजारे और गुल मोहम्मद ने बड़ौदा के लिए 577 रन जोड़े थे।
मोतिहारी में हुआ है जन्म
22 साल के इस क्रिकेटर का जन्म बिहार के मोतिहारी में हुआ है। उन्होंने इससे पहले 14 लिस्ट ए मैचों में 377 रन बनाए थे। वहीं 11 टी20 मुकाबलों में उन्होंने कुल 192 रनों का योगदान दिया था।

छिंदवाड़ा में क्यू आर कोड लेकर डिजिटल भीख माँगता है भिखारी

छिंदवाड़ा । छिंदवाड़ा में इन दिनों मन्दिर और रेलवे स्टेशन के आसपास एक डिजिटल भिखारी घूमते नज़र आ जाएगा. अगर आपके पास भीख देने के लिए अगर नकदी रुपये नहीं है तो भी कोई बात नहीं आप उसे डिजिटल भुगतान से भीख दे सकते हैं। दरअसल भारत में आपको हर जगह अलग-अलग अंदाज में भीख मांगते हुए दिख जाएंगे। कोई रेलवे स्टेशन पर भीख मांगते मिलेगा, तो कोई मंदिर के बाहर. अक्सर लोग भिखारी को भीख न देने के लिए बहाना भी बनाते है कि उनके पास छुट्टे पैसे नहीं है. या कह देते है कि मेरे पास अभी पैसे ही नहीं हैं। अगर आप भी इन बहानों से अब तक बचते रहे हैं तो अब सावधान हो जाइए क्योंकि अब इसके लिए भी भिखारियों ने तकनीक निकाल ली है और अब भिखारी के पास ऑनलाइन पेमेंट का ऑप्शन भी मौजूद हो गया है। आपको अब सार्वजनिक स्थानों पर डिजिटल भिखारी भी मिल सकते हैं।
डिजिटल मोड में भीख लेता है
इन दिनों मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा का रहने वाला एक भिखारी चर्चाओं में है. जिसका नाम हेमंत सूर्यवंशी है। डिजिटल तकनीक के इस युग में अब भिखारी भी अपने आप को अपडेट मोड पर रखने लगे हैं। भिखारी हेमंत सूर्यवंशी बारकोड स्कैन करके ऑनलाइन डिजिटल मोड में भीख लेता है इसलिए अब आपका छुट्टा ना होने का बहाना भी चलने वाला नहीं है।
चिल्लर नहीं होने का बहाना करते थे लोग
भिखारी हेमंत सूर्यवंशी का कहना हैं कि अधिकतर लोगों से जब वह भीख मांगता था, तो कई लोग चिल्लर नहीं होने का हवाला देते थे। उन्होंने डिजिटल तकनीक का सहारा लेते हुए बारकोड के जरिए भीख लेना शुरू किया है, जो लोग चिल्लर नहीं होने का बहाना करते हैं उनसे वह बारकोड के जरिए भीख लेते हैं।
अलग तरीका भीख मांगने का
हेमंत का भीख मांगने का अंदाज भी अलग है। मना करने पर वह कहता है. बाबूजी चिल्लर नहीं तो फोन-पे या गूगल-पे से भीख दे दो और लोग कुतूहल वश भीक दे भी देते हैं। भिखारी का कहना है कि लोग डिजिटल तकनीक को भीख के लिए इस्तेमाल होते देखने के लिए भीख भी आसानी से बारकोड स्कैन कर दे देते हैं।

विश्व मातृभाषा दिवस पर कविता पाठ आयोजित

कोलकाता । सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर कविता पाठ का आयोजन किया गया। इसमें देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा नेपाल से भी कवियों ने हिस्सा लिया। यह दिवस मातृभाषाओं के सम्मान के साथ परस्पर सृजन एवं संवाद का भी दिन है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मिशन के अध्यक्ष डॉ शम्भुनाथ ने कहा कि हिंदी मातृभाषा की अड़तालीस माताएं हैं। हमें सभी भाषाओं के प्रति उदार और मानवीय होने की जरूरत है। आज एक मंच पर तमाम भारतीय भाषाओं के कवियों का यह काव्यपाठ ही भाषा की संस्कृति है। इस अवसर पर सेराज खान बातिश (हिंदी), अंजुमन आरा (उड़िया), रावेल पुष्प (पंजाबी), सुमन पोखरेल (नेपाली), परवेज अख़्तर (उर्दू), अयाज खान (उर्दू), अभिजीत सेनगुप्त( बांग्ला), श्यामाचरण हेम्ब्रम (संथाली), हिमाद्रि मिश्र (मैथिली), जीवन सिंह (भोजपुरी), सुनीता करोथवाल (हरियाणवी) और सत्येंद्र कुमार (मगही) ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन सूर्यदेव रॉय ने किया। मधु सिंह ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि मातृभाषा दिवस का संबंध सिर्फ अभिव्यक्ति और ज्ञान का मामला नहीं है बल्कि यह हमारी पहचान और संस्कृति का हिस्सा है। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए संजय जायसवाल ने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन का यह मंच तमाम भारतीय भाषाओं के लिए एक पुल की तरह है जहां आकर भाषाएं एक दूसरे से मिलती हैं और एक सृजनात्मक संवाद करती हैं। इस अवसर पर उदयराज सिंह, रामनिवास द्विवेदी, प्रो. रामप्रवेश रजक, आदित्य गिरि सहित बड़ी संख्या में साहित्य एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे।

हेरिटेज लॉ कॉलेज में मनाया गया अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

कोलकाता । हेरिटेज लॉ कॉलेज में गत 21 फरवरी को अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नृत्य, संगीत, काव्य आवृति से हुई और मातृभाषा के रूप में बांग्ला के योगदान को सामने लाया गया। कार्यक्रम में हेरिटेज लॉ कॉलेज के डीन प्रो. एस. एस. चटर्जी, टीचर इन्चार्ज शांतनु मित्रा, प्रो. श्राबनी गुप्ता समेत कॉलेज के अन्य शिक्षक – शिक्षिकाओं ने भाग लिया। हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ ने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि इस तरह के आयोजन विद्यार्थियों को प्रेरित करेंगे।

मातृभाषा दिवस पर एचआईटीके के पूर्व विद्यार्थी ने शुरू की बांग्ला में वेबसाइट

ऐसा करने वाला पहला उद्यमी है राहुल
कोलकाता । हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का पूर्व छात्र राहुल बसाक बांग्ला में अपनी वेबसाइट बनाने का पहला बंगाली उद्यमी बन गया है। राहुल बी.टेक -आई टी के 2017 के बैच का विद्यार्थी है। राहुल टेड्स स्पीकर यानी वक्ता है और उसने दो कम्पनियों, माई कैनवास टॉक और आमार कैनवस की स्थापना की है। माई कैनवस टॉक एक यू ट्यूब चैनल है जहाँ विभिन्न पृष्ठूमियों के प्रेरक लोगों की कहानियाँ साझा की जाती हैं। वहीं आमार कैनवस पर विश्व भर के कलाकारों की कलाकृतियाँ बेची जाती हैं। माई कैनवस ने कई पुरस्कार जीते हैं जिसमें से एक बंगाल चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आन्ट्रेप्रेनियर कन्क्लेव में प्रदान किया गया था। राहुल को कई टॉक शो में बतौर प्रेरक वक्ता एवं निर्णायक आमंत्रित भी किया जा चुका है। राहुल ने कहा कि यह उसकी वेबसाइट का बीटा वर्जन है और भविष्य में वह इसे बड़े पैमाने पर आरम्भ करेगा। हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ प्रदीप कुमार अग्रवाल ने राहुल को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर यह संस्थान के पूर्व छात्र राहुल का विनम्र योगदान है। उसके दूसरे विद्यार्थियों के लिए उदाहरण पेश किया है।

 

लता अनंत कार्यक्रम में स्वर साम्राज्ञी को अर्पित की गयी श्रद्धांजलि 

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों ने लता अनंत कार्यक्रम में स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके गीतों को गाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर कॉलेज के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने लता अनंत कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लता अनंत के अंतर्गत कॉलेज के जुबली सभागार में मुक्त मंच के रूप में सभी को आमंत्रित किया गया था। सीनियर विद्यार्थियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने अपने वक्तव्य में लता मंगेशकर जी के विविध पक्षों को रखते हुए उनकी संगीत की लंबी यात्रा पर प्रकाश डाला। प्रथम सत्र के छात्र छात्राओं ने गिटार, सिंथेसाइजर, तबले आदि वाद्ययंत्रों के साथ सभी गायक और गायिकाओं के गायन को संगीतमय बना दिया। नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा मेरी आवाज़ ही पहचान है, लग जा गले, अजीब दास्ताँ है, तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा, नहीं शिकवा नहीं, नैना बरसे रिमझिम रिमझिम आदि प्रसिद्ध गीतों की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर डीन प्रो दिलीप शाह, प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी कोआर्डिनेटर, प्रो दिव्या उदेशी, प्रो कृपा शाह आदि शिक्षकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने।

हेरिटेज बिजनेस स्कूल में अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार

कोलकाता । हेरिटेज बिजनेस स्कूल ने लिंकन इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल, यूके के सहयोग से फर्म और संस्थानों पर वैश्विक घटनाओं का प्रभाव, जोखिमों और स्थितियों के प्रति लचीलापन और उनसे उभरने के तरीकों को लेकर अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। इस वेबिनार में कोविड -19 के बाद की अर्थव्यवस्था, महामारी के बाद पर्यावरणीय प्रभाव, महामारी के प्रभाव के लिंग प्रभाव और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। सम्मेलन में हेरिटेज बिजनेस स्कूल के चीफ मेंटर एवं बंधन बैंक के चेयरमैन डॉ. अनूप सिन्हा, लिंकन यूनिवर्सिटी में कोर एवं एलआईआईआरएच आईएसएबी के रेजिलिएन्स के प्रोफेसर प्रो. डीन फादर्स ने वक्तव्य रखे। इसके अतिरिक्त ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के ग्लोबल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में इकोनॉमिक्स ऑफ पोवर्टी रिडक्शन के प्रेसिडेंशियल फेलो डॉ. उपासक दास, यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के एसोसिएट प्रोफेसर (रीडर) डॉ. शुभाशीष चौधरी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट, भारत के निदेशक प्रो. पार्थ राय, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल, ब्रिटेन, के प्रो. मार्टिन पार्कर, आईआईएम कलकत्ता की प्रो. रुना सरकार एवं ढाका विश्वविद्यालय की प्रो. सलमा अख्तर ने भी विचार रखे।
पूरे सम्मेलन का संयोजन हेरिटेज बिजनेस स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रिमू चौधरी, लिंकन इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल, यूके की अनुसंधान निदेशक प्रोफेसर साइमन लिली, लिंकन इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल, यूके में डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर (रीडर) प्रो. श्राबनी साहा, हेरिटेज बिजनेस स्कूल के चीफ मेंटर डॉ. अनूप सिन्हा ने किया। हेरिटेज बिजनेस स्कूल एवं पैटन इंटरनेशनल लि. के चेयरमैन एवं कल्याण भारती ट्रस्ट के ट्रस्टी एच. पी. बुधिया ने कहा कि हर वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों के व्यावहारिक परामर्श विद्यार्थियों तक ले जाने के उद्देश्य से इस तरह के आयोजन किये जाते हैं।
सम्मेलन 19 फरवरी 2022 तक चला।
हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, कोलकाता के सीईओ पी.के.अग्रवाल ने कहा, “यह सम्मेलन छात्रों को कोविड -19 के कारण वैश्विक झटके के बाद अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को जानने में मदद करेगा।”

सन्मार्ग ‘वाद – संवाद’ परिचर्चा का तीसरा संस्करण आयोजित

कोलकाता । सन्मार्ग ने हाल ही में वाद – संवाद नामक परिचर्चा का तीसरा संस्करण आयोजित किया। परिचर्चा में ‘क्या आज का भारत इंडिया है’ विषय पर चर्चा हुई। अलका जालान फाउंडेशन, कोलकाता में यह परिचर्चा आयोजित हुई।
भारत में अनेक धर्म हैं और अनेक संस्कृतियाँ हैं, धर्म और भाषा के सम्बन्धों को लेकर प्रश्न उठते हैं और इस विषय पर विचार करने के लिए परिचर्चा आयोजित की गयी। इस परिचर्चा का विषय था ‘क्या आज का भारत इंडिया है?’
परिचर्चा में निर्माता एवं निर्देशक अतुल सत्य कौशिक, गायिका मालिनी अवस्थी, पत्रकार शाजिया इल्मी, लेखक तुहीन ए. सिन्हा, टैग मैंगो के सह संस्थापक एवं सीईओ दिव्यांशु दमानी, अधिवक्ता उज्जयिनी चटर्जी, सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता प्रियदर्शिनी घोष बावा, सामाजिक कार्यकर्ता सुप्रिया सत्यम शामिल हुई। संचालन पत्रकार अनुराग पुनीत ने किया। इस अवसर पर अभिनेत्री ऋचा शर्मा, विधायक एव सन्मार्ग समूह के चेयरमैन विवेक गुप्त, सन्मार्ग समूह की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रुचिका गुप्त, सेलिब्रिटी प्रेरक वक्ता नैना मोरे उपस्थित थीं। सन्मार्ग समूह की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रुचिका गुप्त ने कहा कि सन्मार्ग वाद – संवाद का उद्देश्य हर इंडियन में भारतीय का सम्मान करना है या यूँ कहूँ कि हर भारतीय में इंडियन का।

वोट के महत्व

रजनीश कुमार अम्बेडकर

वोट में ऐइसन का बा

सत्ता परिवर्तन के ई अधिकार बा

पाँच साल में उ नजर ना अइले

चुनववा में वोट खातिर नेता रउवे द्वार बा

भैया लोग आपन वोट के किम्मत पहचानेके बा

काम पडेला त नेताजी ना मिलेनी

हर समय बिजी-बिजी रहेनी

पर काम होत कुछ ना दिखेला

खाली चुनववा में वोट के महत्व पता चलेला

सत्ता परिवर्तन के ई अधिकार बा

माता-बहिन, चाचा-चाची, भैया-भाभी से इहे हमार एक अपील बा

वोट के सही उपयोग करेके बा

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(कवि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के स्त्री अध्ययन विभाग में पी-एच.डी., रिसर्च स्कॉलर,  हैं)

सम्पर्क : [email protected]

मो.  8421966265

विद्यासागर विश्वविद्यालय में ‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

मिदनापुर । विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव पर ‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता: राष्ट्र, इतिहास और लोकतंत्र’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग के शोधार्थी पंकज कुमार सिंह द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। स्वागत वक्तव्य देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार प्रसाद ने दिया। उन्होंने कुलपति प्रो. शिवाजी प्रतिम बसु के प्रति आभार प्रकट किया। उद्घाटन वक्तव्य देते हुए विद्यासागर विश्वविद्यालय के कला और वाणिज्य के डीन प्रो.तपन कुमार दे ने कहा हिंदी विभाग द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि आजादी के 75 वर्ष के इतिहास को हिंदी कविता में तलाशने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता के मूल स्वर पर चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी कविता जनोन्मुखी है। बीज भाषण देते हुए प्रो. दामोदर मिश्र (कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा) ने कहा कि स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता में राष्ट्र, इतिहास और लोकतंत्र पृथक नहीं बल्कि एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।उन्होंने स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता की समृद्ध परंपरा और वैशिष्टयों पर चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी कविता ने नवजागरणकालीन कविता की परंपरा और लोकतांत्रिक मूल्यों को अपना विषय बनाया। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो मुक्तेश्वरनाथ तिवारी (अध्यक्ष, हिंदी एवं भाषा भवन, विश्व भारती, शांतिनिकेतन) ने कहा कि स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता ने साहसिक कार्य किया है। हिंदी कविता ने राष्ट्र और लोकतंत्र के दामन को थामे रखा।हिंदी कविता सामाजिक आजादी के स्वप्न का आख्यान है। स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता आजादी के बाद के संघर्ष का कथा है। डॉ सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा कि आजादी के बाद के भारत के विविध छवियों पर चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी कविता ने आधुनिक विमर्शों को अपना केन्द्रीय स्वर बनाया। नीदरलैंड से जुड़ी डॉ पुष्पिता अवस्थी का नेटवर्क कमजोर रहने के कारण उन्होंने अपना संदेश भेजते हुए कहा कि हिंदी कविता उम्मीद और व्यवस्था-विरोधी कविता है। प्रो आशीष त्रिपाठी (काशी हिंदी विश्वविद्यालय, वाराणसी) ने कहा कि स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता प्रतिरोध और संघर्ष की कविता है।हिंदी कविता लोकतंत्र की क्रिटिक रचती है। हिंदी कविता ने मानव विरोधी अलोकतांत्रिक गठजोड़ और चरित्र को चिह्नित करती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय जायसवाल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ श्रीकांत द्विवेदी ने दिया। तकनीकी संयोजन शोधार्थी मधु सिंह और रूपेश यादव ने किया। इस अवसर पर विज्ञान विभाग के डीन प्रो. सत्यजीत साहा, मकेश्वर रजक, नीरज शर्मा, कलावती कुमारी, ठाकुर, शशि शर्मा, जगदीश भगत ,प्रीति पटेल सहित देश-विदेश से बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।