कोलकाता । डार्ट्स खेल में पहली बार किसी महिला ने पुरुषों को हराकर जीत हासिल की। भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की छात्रा माही बोस्मिया ने डार्ट्स में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। पश्चिम बंगाल की माही बोस्मिया फिलीपींस के मनीला में होने वाली एशियन डार्ट्स चैंपियनशिप-2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह पहली बार है जब किसी महिला खिलाड़ी ने क्वालीफायर टूर्नामेंट में सभी शीर्ष रैंक वाले पुरुष खिलाड़ियों को हराकर यह उपलब्धि हासिल की है। देश भर से पुरुषों और महिलाओं सहित कुल 26 खिलाड़ियों ने दो दिवसीय क्वालीफायर टूर्नामेंट में भाग लिया। सूरत टेनिस क्लब, सूरत, गुजरात। 16 में से 16 ने फाइनल राउंड में प्रवेश किया। फाइनल में माही ने जीत हासिल की है ।एशियाई चैम्पियनशिप 17 से 20 अक्टूबर तक मनीला में आयोजित की जाएगी। यहां उल्लेखनीय है कि इस टूर्नामेंट में पुरुषों और महिलाओं के लिए कोई अलग-अलग श्रेणी नहीं है। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि इस साल फरवरी में आयोजित डच ओपन डार्ट्स टूर्नामेंट में शीर्ष 16 में पहुंचकर माही बोस्मिया ने सर्वोच्च रैंक वाले आमंत्रण डार्ट्स टूर्नामेंट वर्ल्ड मास्टर्स के लिए खेलने के लिए भी अर्हता प्राप्त कर ली है, जो 9 से 13 अक्टूबर 2024 तक बुडापेस्ट, हंगरी में खेला जाना है। वह इस टूर्नामेंट की शुरुआत के बाद से इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की एकमात्र महिला हैं।
महिला इकाई वाजा इंडिया ने महिलाओं की सुरक्षा विषय पर की चर्चा
कोलकाता । राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन महिला इकाई कोलकाता की ओर से क्या महिलाएं सुरक्षित हैं? विषय पर चर्चा की गई ।नयी पीढ़ी पत्रिका और वाजा इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव और संस्थापक प्रधान संपादक शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी के सानिध्य में कोलकाता महिला इकाई की सदस्याओं ने आर जी कर की ट्रेनी महिला डाक्टर का निर्ममता से बलात्कार और फिर जघन्य हत्या पर अपने अपने विचारों और अनुभूतियों के द्वारा व्यक्त किया गया।कोलकाता वाजा इकाई के अध्यक्ष छपते छपते हिंदी दैनिक और ताजा टीवी के डायरेक्टर वरिष्ठ संपादक विश्वंभर नेवर ने कहा कि आरजी कर अस्पताल में हुई ट्रेनी महिला डाक्टर का कार्य स्थल पर सामूहिक बलात्कार और उसकी जघन्य तरीके से की गई हत्या बंगाल ही नहीं पूरे देश के लिए शर्मनाक घटना है। स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं यदि समाज में ऐसी मानसिक विकृतियां पनप रही हैं तो वह समाज पतन की ओर है। नेवर जी ने कहा कि महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं है और देश के परिपेक्ष में उन्होंने बताया कि जमींदारी मानसिकता और महिला को वस्तु के रूप में समझा जा रहा है और उसे राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है पार्टी कोई भी हो, अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है और सत्ता का विकेंद्रीकरण होना आवश्यक है चाहे वह आर्थिक , सामाजिक हो या फिर राजनीतिक हो।
लिटिल थेस्पियन और पश्चिम बंगाल हिंदी अकादमी की प्रमुख नाट्यकार उमा झुनझुनवाला ने स्त्रियों की वर्तमान दशा और दिशा पर महत्वपूर्ण विचार रखे ।एक महिला के संघर्षों की कथा उसकी देह से शुरु होती है, उसकी शिक्षा उसके सपने अस्तित्व वहां कमजोर पड़ जाते हैं। रोज बलात्कार की घटनाएं सुनने को मिलती हैं मोमबत्ती जलाई जाती है और वहां उम्र का कोई प्रश्न नहीं उठता है । 6 महीने के बच्चे से लेकर सत्तर साल में क्या खोज रहे हैं।छह महीने के बच्चे को हम क्या नसीहत देंगें ।स्त्रियों को घर से सीखना होगा। लड़की को बोलना सीखना होगा और मां पिता को उनको समझना होगा। लड़के को घर से शिक्षित करना होगा।
शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया। वाजा की सभी महिला पदाधिकारियों, सदस्याओं, सदस्यों, छात्र-छात्राओं ने इस जघन्य अपराध की भर्त्सना करते हुए अपने विचारों को व्यक्त कर विरोध व्यक्त किया। वाजा की उपाध्यक्ष डॉ मंजूरानी गुप्ता ने अपनी रचना अपनी बेटी बचाओ सुनाकर डॉ महिला को भावांजलि दी।
महासचिव डॉ सुषमा हंस ने कविता ने वर्तमान घटना पर अपनी बात कहते हुए लेडी डॉक्टर बेटी के घर्षण पर अफसोस व्यक्त करते हुए अनेक प्रश्न कविता सुनाई। बंगाल के हिंदी अखबार की प्रथम महिला संपादक और वाजा की उपाध्यक्ष सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया ने कविता बदलना है अगर और तुम्हारी संपत्ति नहीं कविता सुना कर अपनी बात व्यक्त कर अपना क्षोभ प्रकट किया।
उषा श्राफ ने अपने अपने आलेख में ज्वलंत मुद्दा और घिनौने वारदात पर प्रश्न उठाया और उन्होंने यह कहा की स्त्री कैसे जाने की कौन रक्षक है और कौन भक्षक। उसे सबल बनाना और लड़ना सीखाना होगा। कविता कोठारी ने लैंगिक समानता और नैतिकता पर जोर डालते हुए कविता पुनर्निर्माण सुनाई।
सदस्याओं में रेखा ड्रोलिया ने कहा कि अभी भी आधी आबादी असुरक्षित महसूस कर रही है।वह तो कोख में ही मार दी जाती रही है तो बाहर कहां सुरक्षित है नारी। कविता क्या अब भी तुम न बोलोगी और अपने लिए खड़े होओ सुनाई। दिशेरा टाइम्स की संपादक रीमा पांडेय ने गजल सुना कर स्त्री की सुरक्षा के प्रश्न उठाए।आकाशवाणी की आर जे सबिता पोद्दार ने विश्व के अनेक देशों में महिलाओं पर हो रहे व्यभिचार पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए वेशभूषा चाल चलन और लड़कियों के जुर्म पर आतंकवाद को समाप्त करने पर जोर दिया। रिमझिम झा, सुनीता सिंह, संगीता श्राफ ने अपने विचार रखे।इस अवसर पर अतिथियों में दुर्गा व्यास, वंदना सिंह आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। वाजा लेडिज विंग कोलकाता की अध्यक्ष डॉ वसुंधरा मिश्र ने कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया।धन्यवाद ज्ञापन दिया शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने।
टर्निटिन साहित्यिक साफ्टवेयर द्वारा भवानीपुर कॉलेज के संकाय सदस्यों को मिला ऑन-साइट प्रशिक्षण
पूर्वजों को दिया शब्दों का तर्पण
कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से आयोजित गोष्ठी में अर्चना के सदस्यों ने संस्था के संस्थापक पूर्वज सदस्यों साहित्य महोपाध्याय नथमल केडिया, महाकवि गुलाब खंडेलवाल, साहित्यकार डॉ वासुदेव पोद्दार, कवि श्यामसुंदर बगड़िया और दिवंगत रचनाकारों को शब्दों के द्वारा तर्पण अर्चना दी जो संभवतः पहला प्रयास किया गया। निशा कोठारी ने ये जीवन क्षण भंगुर है क्यूँ इसमे खोये हो *सासों की ये माला कब टूटे, क्यूँ सोये हो और उषा श्राफ ने आनंद लोके मंगला लोके विराजे सत्य सुंदरम सुना कर जीवन के दर्शन को रेखांकित किया।
संजु कोठारी ने राजस्थानी लोक गीत बिणजारी ए हँस हंँस बोल मीठी मीठी बोल बात्यां थारी रह ज्यासी।सुना कर सबका मन मोह लिया। सुशीला चनानी ने स्वरचित भजन जीवन तेरा बीता जाये रे! सांसों का घट हर पल हर छिन, रीता जाये रे !,सुनाया। और इंदू चांडक ने मुझसे रीझे न वो भक्त वत्सल प्रभो तो मेरी साधना में कमी रह गई कैसे कह दूँ है उनकी कृपा में कमी खुद मेरी अर्चना में कमी रह गई ईश्वर को समर्पित भावपूर्ण गीत सुनाया, शशि कंकानी ने ज़िन्दगी, कुछ पल रुको संग मेरे गायें कोई प्रीत का गाना जिसे याद रखें जमाना फिर चाहो तो चली जाना सुना कर जिंदगी को रोकने का आग्रह किया और चंद्रकांता सुराणा ने लोकप्रिय गीत इतनी शक्ति हमें देना दाता सुनाया। वहीं उनकी नानी सा कवयित्री मृदुला कोठारी ने हमें प्रेम का सुधा रस गुरूवर जरा पिला दो जीवन पड़ा है मूर्छित हमें चाक पर चढ़ा दो सुनाकर गुरु की वंदना की और कार्यक्रम का संचालन भी किया ।बहे गुरु ज्ञान रसधार मनवा गट गट पी चल जनम मरण तू सुधार मनवा गट गट पी संगीता चौधरी ने गीत की प्रस्तुति दी। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि शब्दों का तर्पण करना सृजनात्मकता का आह्वान है और अपना गीत वसंत आया सबने देखा पतझड़ रोया किसने देखा सुनाया। भारत में मृत्यु को भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पितर पक्ष में सभी पितरों की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
इनड्राइव ने कोलकाता में शुरू किया ड्राइविंग नारी प्रोग्राम
कोलकाता । इनड्राइव ईवी वाहनों के साथ ड्राइविंग करियर में पहुंच की सुविधा देकर महिलाओं को बनाएगा सशक्त रक्षक फाउंडेशन कोलकाता के सहयोग से ग्लोबल मोबिलिटी और अर्बन सर्विसेज प्लेटफ़ॉर्म इनड्राइव ने चंडीगढ़ में ड्राइविंगनारी कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है, ताकि महिलाओं को करियर के रूप में ड्राइविंग के क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाया जा सके। यह कार्यक्रम वंचित महिलाओं को प्रोफेशनल ड्राइवर बनने के लिए सशक्त बनाएगा और उन्हें ‘लाइवलीहूड्स विथ डिग्निटी’ तक पहुँच प्रदान करेगा।
इनड्राइव के एपीएसी कम्युनिकेशन लीड, पवित नंदा आनंद ने कहा, “इनड्राइव का ड्राइविंग नारी कार्यक्रम जीवन बदल रहा है। हम महिलाओं को प्रोफेशनल ड्राइवर बनने के लिए सशक्त बना रहे हैं। यह पहल उन्हें स्वतंत्र और आत्मविश्वासी व्यक्तियों बनने और अपने जीवन का भार लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। हम कोलकाता में अपने ड्राइविंग नारी पहल के तहत सभी ड्राइवरों को जीपीएस सक्षम ईवी स्कूटी प्रदान कर रहे हैं। हम इस कैम्पेन को भारत के विभिन्न शहरों में दोहराएंगे। यह कई बॉक्स को टिक करेगा, महिलाओं का सशक्तीकरण, महिलाओं को श्रम शक्ति में शामिल करना, महिलाओं के लिए एक सुरक्षित गतिशीलता विकल्प प्रदान करना, एक स्वच्छ वातावरण में योगदान देना और महिला क्या काम कर सकती है या नहीं कर सकती है के बारे में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ना।”
इनड्राइव के साउथ एशिया के जीटीएम मैनेजर अविक करमाकर ने कहा, “ड्राइविंग नारी एक इनड्राइव की ऐसी पहल है जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करती है, उन्हें पहियों के पीछे अपनी वास्तविक क्षमता को खोजने के लिए सीमाओं को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह बदलाव लाने के बारे में है। महिलाओं को ड्राइविंग को एक कैरियर के रूप में अपनाने के लिए सशक्त बनाकर, इनड्राइव न केवल राइड हैलिंग लैंडस्कैप को फिर से परिभाषित कर रहा है, बल्कि भविष्य के लिए भी मार्ग प्रशस्त कर रहा है जहां सड़क पर लैंगिक समानता सबसे अधिक है, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि उनके जीवन को ऊपर उठाया जाए और वे अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हो जाएं। इनड्राइव के कंट्री मैनेजर, भारत, प्रतीप मजुमदार ने कहा, “महिलाएं अपने चुने हुए क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं और उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। इसमें ड्राइविंग भी शामिल है, जहां पहले से कहीं अधिक महिलाएं अपने स्वयं के वाहन चलाने या ड्राइविंग में करियर बनाने का विकल्प चुन रही हैं। इनड्राइव का “ड्राइविंग नारी” भारत में लिंग-उत्तरदायी दोपहिया बेड़े के इलेक्टरिफिकेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोलकाता में 15 महिलाएं हमारे “ड्राइविंग नारी” कैम्पेन का हिस्सा हैं। हमारा समाज अधिक प्रगतिशील होता जा रहा है और महिलाओं को पारंपरिक रूप से लिंग-विशिष्ट भूमिकाओं, जैसे ड्राइविंग में स्वीकार कर रहा है। इससे पुराने रूढ़ियों को दूर करने और महिला ड्राइवरों के लिए अधिक सहायक वातावरण बनाने में मदद मिली है। “देश में महिलाओं का विकास प्रगति का प्रतीक है और एक समावेशी और उज्जवल भविष्य की ओर एक कदम है। जैसे-जैसे अधिक महिलाएं वाहन चलाती हैं, वे केवल सड़कों पर नेविगेट नहीं कर रही हैं; वे एक उज्जवल, अधिक समान भारत की ओर बढ़ रही हैं।”
रक्षक फाउंडेशन की ट्रस्टी चैताली दास ने कहा, “हम इनड्राइव के साथ ‘ड्राइविंग नारी’ पहल के लिए साझेदारी कर बेहद खुश हैं। inDrive द्वारा हमारे उम्मीदवारों को ईवी स्कूटी उपलब्ध कराना न केवल रक्षक फाउंडेशन द्वारा समर्थित महिलाओं को सशक्त बनाता है, बल्कि एक स्वच्छ और हरित परिवहन को भी बढ़ावा देता है। यह सहयोग हमारे मिशन की दिशा में एक कदम है, जो वंचित महिलाओं को ऊपर उठाने और उन्हें स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करने में सहायक है। अभिनेता और इनड्राइव ब्रांड एंबेसडर विक्रांत मैसी ने कहा, “इनड्राइव द्वारा चलाया जा रहा ‘ड्राइविंग नारी’ कैम्पेन, कंपनी की अन्याय को चुनौती देने और समाज के लिए सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रति समर्पण का प्रमाण है। मैं इस पहल का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं और ऐसे पीपल ड्रिवन ऑर्गेनाईजेशन के साथ जुड़े होने पर गर्व महसूस करता हूं।” इनड्राइव लोगों को सशक्त बनाकर समाज में बदलाव ला रहा है। 2030 तक दुनिया को एक अरब लोगों के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए अन्याय को चुनौती देने के मिशन के साथ, इनड्राइव द्वारा ड्राइविंग नारी भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने की एक पहल है। इस पहल के लिए इनड्राइव सभी ड्राइविंग नारी उम्मीदवारों को नीचे दी गई सभी सुविधाएँ निःशुल्क प्रदान करेगा: ड्राइविंग ट्रेनिंग, ड्राइवर लाइसेंस, वाहन के लिए वार्षिक रखरखाव शुल्क, इनड्राइव के साथ ड्राइवर के रूप में पंजीकरण करें, इनड्राइव से कोई सेवा शुल्क नहीं ताकि उम्मीदवार अधिक पैसा कमा सकें, ईवी स्कूटी, स्मार्टफ़ोन, सवारी लेने और पैसे कमाने के लिए इनड्राइव का उपयोग करने के तरीके पर विशेष प्रशिक्षण ।
हालाँकि, जब ड्राइविंग को करियर के रूप में अपनाने की बात आती है, तो महिलाओं को अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सुरक्षा संबंधी चिंताएँ विशेष रूप से कुछ महिलाओं को गिग इकॉनमी में प्रवेश करने से हतोत्साहित करती हैं। इससे निपटने के लिए, इनड्राइव उम्मीदवारों को इनड्राइव के साथ सुरक्षित ड्राइव के लिए मदद करेगा, ड्राइविंग नारी उम्मीदवारों को नीचे दिए गए सभी लाभ प्रदान करके: 24*7 विशेष हेल्पलाइन नंबर, जीपीएस इनेबल्ड ईवी स्कूटी, मेडिकल बीमा, एडवान्स्ड सेल्फ डिफेन्स ट्रेनिंग, यातायात पुलिस द्वारा विशेष सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण, सुरक्षा उपकरण, मेडिकल किट, सवार और पीछे बैठने वाले के लिए हेलमेट
इनड्राइव की यह पहल महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता, लचीलापन और अपने काम में सम्मान हासिल करने में मदद करेगी, जिससे एक सुरक्षित और अधिक समावेशी शहर का निर्माण होगा।
बॉलीवुड की पहली कॉमेडियन थीं टुनटुन
जीवन के आखिरी दिन एक चॉल में बिताए
लगभग 425 फिल्मों में काम किया
उमा देवी उर्फ टुन टुन भारत की पहली महिला कॉमेडियन थीं. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में अपने शानदार सालों के बावजूद उन्होंने सबसे दुखद जीवन जिया। बॉलीवुड में 40 के दशक में एक ऐसी स्टार आईं जिन्होंने महिलाओं की छवि को बदला। जी हां हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला कॉमेडियन टुनटुन की। हिंदी सिनेमा में हास्य कलाकार के रूप में जानी जाने वाली टुन टुन हिंदी सिनेमा की पहली महिला हास्य कलाकार थीं। उन्होंने लोगों को जितना हंसाया, उतना ही उनका खुद का जीवन भी दुखद भरा रहा.उन्होंने लोगों को हंसाया, लेकिन उनकी कहानी गरीबी और अकेलेपन से भी जुड़ी हुई थी।
टुनटुन यानी उमा देवी खत्री का जन्म उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के पास एक छोटे से गांव में 11 जुलाई 1923 में हुआ था। उमा देवी बचपन से ही गरीबी में पली-बढ़ी. बचपन में टुनटुन अपने चाचा के साथ रहती थी और उन्हें अपना पेट भरने के लिए लोगों के घरों में झाड़ू भी लगाना पड़ता था । 23 साल की उम्र तक उन्हें काफी कुछ सहना पड़ा । उमा देवी जब बहुत छोटी थी तो ज़मीन के विवाद में उनके मां-बाप की हत्या कर दी गई । मृत्यु से पहले एक बार इंटरव्यू में टुनटुन ने बताया था कि मुझे तो अपने मां बाप का चेहरा तक याद नहीं कि वो कैसे दिखते थे? मेरा 8-9 साल का एक भाई था,जिसका नाम हरि था । मुझे याद है हम अलीपुर में रहते थे। एक दिन मेरे भाई की भी हत्या कर दी गई । तब मैं चार-पांच साल की थी. वह बहुत कम उम्र में अनाथ हो गई थीं। उनके माता-पिता और भाई के चेहरे उनके दिमाग में बस एक धुंधली याद बनकर रह गए थे।
बचपन में ही गरीबी और इतने सारे दुख झेलने के बाद वो दिल्ली चली गईं, कहा उनकी मुलाक़ात आबकारी ड्यूटी इंस्पेक्टर अख्तर अब्बास काज़ी से हुई, जिन्होंने उन्हें नौकरी दिलाने में मदद की और उन्हें गायन जारी रखने के लिए प्रेरित भी किया। विभाजन के दौरान काजी पाकिस्तान चले गए, और उमा ने 23 वर्ष की आयु में बॉम्बे जाने का फैसला किया। मुंबई आने के बाद उनके एक नए जीवन की शुरुआत हुई. मुंबई में उन्होंने संगीतकार नौशाद जी का दरवाजा खटखटाया और बोला मैं बहुत अच्छा गाना गाती हूं मुझे एक मौका दे दीजिए वरना मैं मुंबई के समुद्र में कूद जाऊंगी। हालांकि वह प्रशिक्षित गायिका नहीं थीं, लेकिन उनकी बातें सुनकर नौशाद जी ने उनका ऑडिशन लिया और फिर उन्हें गाना गाने का मौका दिया और इस तरह से उमा ने 1946 में फ़िल्म वामिक अज़रा से गायन में पदार्पण किया।
1947 में ‘दर्द’ फिल्म का ये गाना ‘अफसाना लिख रही हूं दिल-ए-बेक़रार का आँखों में रंग भर के तेरे इंतजार का’ उमा देवी का पहला गाना आया और ये गाना सुपरहिट रहा। यहीं से उन्हें उन्हें सफलता मिली. इस गाने के बाद उनके कई और हिट गाने भी रहे जैसे ‘आज मची है धूम’, ‘ये कौन चला’, ‘बेताब है दिल’ आदि. दर्द फिल्म के बाद उन्होंने दुलारी, चांदनी रात, सौदामिनी, भिखारी, चंद्रलेखा आदि जैसी फिल्मों में गीत गाए।
उस दौर में लता मंगेशकर जैसी और कई गायिकाएं आईं जिनके बाद नौशाद जी ने उन्हें अभिनय करने की सलाह दी। ये बात सुनकर टुनटुन ने कहा कि वो अभिनय करेंगी लेकिन सिर्फ दिलीप कुमार के साथ। ये बात सुनकर नौशाद जी हंसने लगे. भगवान ने जैसे टुनटुन की बात सुन ली और उन्हें 1950 में ‘बाबुल’ फिल्म में दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ नरगिस लीड रोल में थी।
अभिनय के रूप में उमा देवी की पहली फिल्म ‘बाबुल’ थी. जिसमें वह दिलीप कुमार जी के साथ काम कर रही थी. एक दिन शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार के साथ एक सीन करते हुए वह उनके ऊपर गिर गई जिसके बाद दिलीप कुमार ने उमा देवी को टुनटुन उपनाम दिया। उस समय, मोटापे को लेकर शर्मिंदगी को ठीक माना जाता था और उमा देवी ने खुशी-खुशी यह उपनाम स्वीकार कर लिया. आगे चलकर यही नाम उनकी पहचान बना और लोगों ने उन्हें कॉमेडियन टुनटुन के रूप में बहुत पसंद किया। अख्तर अब्बास काजी ने उनके साथ रहने के लिए पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया और उनसे शादी करने के लिए बॉम्बे चले गए। इनके चार बच्चे थे और 1992 में काजी के निधन तक उन्होंने एक साथ जीवन बिताया।
टुनटुन ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 425 फिल्मों में काम किया। अपने पाँच दशक के करियर में टुनटुन ने कई भाषाओं में अभिनय किया और आवारा, मिस्टर एंड मिसेज 55, प्यासा और कई अन्य फ़िल्मों से बॉलीवुड में अपनी एक स्थायी पहचान बनाई। 90 का दशक आते-आते उन्होंने फिल्मों से दूरी बनानी शुरू कर दी। उनकी आखिरी फिल्म 1990 में कसम धंधे की रही । इसके बाद उन्होंने फिल्मों में काम नहीं किया। फिल्मी करियर छोड़ने के बाद टुनटुन अपने परिवार के साथ समय बिताने लगी । हिंदी सिनेमा के लिए दुखद दिन 23 नवंबर 2003 का था,जिस दिन टुनटुन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
सिनेमा को अपनी ज़िंदगी का एक अच्छा हिस्सा देने के बावजूद, टुन टुन को कभी कोई पुरस्कार या सम्मान नहीं मिला । एक गायिका और एक स्थायी हास्य कलाकार के रूप में उनके योगदान को इंडस्ट्री ने हल्के में लिया, लेकिन उन्होंने उन्हें उनके जीवन के अंतिम वर्षों में ही छोड़ दिया। अभिनेत्री ने अपने जीवन के आखिरी साल एक चॉल में गुजारे, जहां उन्होंने अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया।
अभिनेता और प्रोड्यूसर शशि रंजन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को एक इंटरव्यू के दौरान नटुन टुन के फेम से लेकर चॉल तक के दिनों को याद करते हुए बताया था कि जब मैंने उन्हें पाया, तो वह एक चॉल में रह रही थीं और उनकी हालत बहुत खराब थी और वह बहुत बीमार थीं। जब प्रोडक्शन के लोग उनसे मिले, तो उन्होंने कहा कि वह चल नहीं सकतीं और उन्हें खुद के लिए खाना भी नहीं मिल पा रहा था। जब मुझे इस बारे में पता चला, तो मैं उनसे मिलने गया और उनसे साक्षात्कार के लिए अनुरोध किया । वह बहुत खुश थीं लेकिन जब उन्होंने मुझे बताया कि कैसे वह कुछ पैसे जुटा रही थीं ताकि वह दवाइयां खरीद सकें, तो मुझे बहुत दुख हुआ. इसलिए, मैंने उन्हें हमारे साथ इंटरव्यू करने के लिए मैंने उन्हें 25,000 रुपये का पेमेंट किया ।
मिलेगा महंगे रिचार्ज से छुटकारा, सरकार लगाएगी 5 करोड़ वाई- फाई हॉटस्पॉट
नयी दिल्ली । भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम वाणी (पीएम – वाणी) योजना की शुरुआत की है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के हर नागरिक को सस्ती और आसानी से उपलब्ध इंटरनेट सेवा प्रदान करना है। इस योजना के तहत, सरकार ने 5 करोड़ पीएम-वाईफाई हॉटस्पॉट स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिससे गांवों और दूर-दराज के इलाकों में भी इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। सस्ती ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं होंगी उपलब्ध वर्तमान में, इंटरनेट सेवा मोबाइल टावर्स के माध्यम से दी जाती है, लेकिन कई क्षेत्रों में मोबाइल टावर्स की कमी है। इसका परिणाम यह है कि लोग इंटरनेट और मोबाइल कॉल की सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। पीएम वाणी योजना के तहत, सरकार छोटे-छोटे वाईफाई हॉटस्पॉट्स स्थापित कर रही है, जिससे सस्ती ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध होंगी।
लाखों लोगों को मिलेंगी सस्ती इंटरनेट सेवाएं ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) के अध्ययन के अनुसार, पीएम वाणी एक महत्वपूर्ण पहल है, जो सरकार के लिए घाटे का कारण नहीं बनेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के तहत, टेलीकॉम कंपनियों को अतिरिक्त 60,000 करोड़ रुपये की आय होने की संभावना है। इससे टेलीकॉम कंपनियों की चिंताएं कुछ हद तक दूर हो सकती हैं। हालांकि, वोडाफोन-आईडिया, जियो और एयरटेल जैसी कंपनियों को इस योजना से अपने राजस्व में कमी की आशंका है। उनका मानना है कि पीएम वाणी के तहत स्थापित वाईफाई हॉटस्पॉट्स उनके व्यवसाय पर काफी प्रभाव डाल सकते हैं। लेकिन सरकार का मानना है कि इससे लाखों लोगों को सस्ती इंटरनेट सेवाएं मिलेंगी, जिससे उनका जीवन बेहतर होगा।
गौरतलब है कि पीएम वाणी का पूरा नाम प्रधानमंत्री वाईफाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस है, जो 9 दिसंबर 2020 को शुरू हुआ। इसके तहत, लोगों को ओपन एयर वाईफाई नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदान की जाएगी। सरकार ने इसमें कुछ बदलाव किए हैं, जिससे यह प्रणाली और प्रभावी बनेगी। आजकल, कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्ट टीवी जैसे उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ गया है और मोबाइल डेटा अब पर्याप्त नहीं है। ऐसे में, पीएम वाणी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। सरकार इस योजना को तेजी से लागू करने के लिए प्रयासरत है, जिससे पूरे देश में वाईफाई कनेक्टिविटी का विस्तार हो सके। यह एक वाईफाई क्रांति की तरह होगा, जो सभी के लिए डिजिटल दुनिया के दरवाजे खोलेगा।
सहारा समूह की योजनाओं में पैसा लगाने वाले निवेशकों को राहत
अब मिलेंगे 50,000 रुपये
नयी दिल्ली । सहारा समूह में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए राहत की खबर है। अबर सरकार 10,000 रुपये की जगह 50,000 रुपये वापिस करेगी। सरकार ने पैसे की लिमिट बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी है। ऐसे में जिन लोगों ने सहारा की स्कीमों में ज्यादा पैसा लगाया था, उन्हे थोडी राहत जरूर मिलेगी। सरकार ने सहारा समूह सहकारी समितियों के छोटे जमाकर्ताओं के लिए वापस की जाने वाले अमाउंट की सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है। सहकारिता मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। सरकार ने अब तक सीआरसीएस (सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक)-सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से सहारा समूह की सहकारी समितियों के 4.29 लाख से अधिक जमाकर्ताओं को 370 करोड़ रुपये जारी किए हैं। अधिकारी ने कहा कि रिफंड राशि की सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ने से अगले 10 दिन में लगभग 1,000 करोड़ रुपये का पेमेंट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते छोटे इन्वेस्टर के लिए ‘रिफंड’ अमाउंट की लिमिट 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई थी। सरकार ‘रिफंड’ जारी करने से पहले जमाकर्ताओं के दावों की सावधानीपूर्वक जांच कर रही है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सहारा समूह की चार बहु-राज्य सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं की वैलिड जमा अमाउंट की वापसी के दावे प्रस्तुत करने के लिए सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल 18 जुलाई 2023 को पेश किया गया था।ये सहमारी समितियां हैं… सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लि., लखनऊ, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी लि., भोपाल, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लि., कोलकाता और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड, हैदराबाद। न्यायालय के 29 मार्च 2023 के आदेश के तहत 19 मई, 2023 को सेबी-सहारा रिफंड खाते से 5,000 करोड़ रुपये की राशि केंद्रीय सहकारी समितियों के पंजीयक (सीआरसीएस) को अलॉट की थी। शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी डिजिटल तरीके से पैसे के डिस्ट्रीब्यूषन मामले की देख-रेख कर रहे हैं।
बच्चों के लिए सरकार लाई एनपीएस वात्सल्य योजना
नयी दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने18 सितंबर 2024 को एनपीएस वात्सल्य योजना शुरू की । इस योजना की घोषणा आम बजट में की गई थी। यह योजना बच्चों के लिए बनाई गई है। योजना के तहत माता – पिता एवं अभिभावक बच्चे के लिए हर साल निवेश करेंगे जिसका लाभ बच्चों को 18 साल होने के बाद मिलेगा। यह सेविंग-कम-रिटायरमेंट स्कीम है। दरअसल, इस स्कीम में बच्चों को उनके रिटायरमेंट की उम्र के बाद पेंशन का लाभ भी मिलेगा। एनपीएस वात्सल्य योजना में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है, लेकिन सालाना कम से कम 1,000 रुपये का निवेश करना होगा। इस स्कीम में आंशिक निकासी की भी सुविधा मिलती है। इसके अलावा पेंशन का लाभ भी मिलता है।
बता दें कि यह योजना 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए डिजाइन की गई है। इस स्कीम में माता-पिता या फिर अभिभावक निवेश करते हैं। लेकिन , जब बच्चा 18 साल का हो जाता है तो माता-पिता स्कीम से बाहर हो जाते हैं और एनपीएस वात्सल्य का फंड एनपीएस टीयर-1 में बदल जाता है। एनपीएस वात्सल्य फंड बच्चे के 18 साल होने के बाद मैच्योर हो जाती है। अगर स्कीम को जारी रखना है तो बच्चा का केवाईसी करके इसे जारी रखा जा सकता है। यह बच्चे के केवाईसी के बाद सामान्य एनपीसी स्कीम की तरह ही काम करता है। वहीं अगर 18 साल के बाद पूरा फंड निकालना है तो उसके नियम अलग है।
अगर फंड में 2.5 लाख रुपये से कम की राशि है तब पूरी निकासी की अनुमति होती है। 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की राशि होने पर निवेशक केवल 20 फीसदी ही निकाल सकता है बाकी 80 फीसदी की एन्युटी खरीद सकते हैं जो हर महीने बच्चे को पेंशन के तौर पर मिलेगी। एनपीएस वात्सल्य को लेकर कई निवेशकों के मन में सवाल है कि इसमें निवेश और ब्याज का हिसाब-किताब कैसे होगा। अगर आप अपने बच्चे के लिए 1,000 रुपये का सालाना निवेश करते हैं तो हर साल आपको लगभग 10 फीसदी का रिटर्न मिलेगा। इस हिसाब से 18 साल में आपने 2.16 लाख रुपये का निवेश किया है। इस निवेश राशि पर करीब 3,89,568 रुपये का ब्याज मिलेगा। यानी की बच्चे के 18 साल पूरे होने के बाद 6,05,568 रुपये का फंड जमा हो जाएगा। अगर बच्चे के 18 साल पूरे होने के बाद भी अगर फंड को जारी रखते हैं तब बच्चे की 60 साल की उम्र में 3.83 करोड़ रुपये का फंड हो जाएगा। 60 साल के बाद अगर एनपीएस वात्सल्य अकाउंट की राशि से कोई एन्युटी प्लान खरीद लेते हैं, जिसपर 5 से 6 फीसदी का ब्याज मिलता है। ऐसे में 60 साल के बाद निवेशक को करीब 19 से 22 लाख रुपये का सालाना ब्याज मिलेंगा। वहीं पेंशन की बात करें तो हर महीने लगभग 1.50 लाख रुपये पेंशन के तौर पर मिल सकता है।
ऑस्कर के लिए जाएगी किरण राव की फिल्म लापता लेडीज
नयी दिल्ली । किरण राव की ‘लापता लेडीज’ को ऑस्कर पुरस्कार 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के तौर पर चुना गया है। ‘फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया’ ने सोमवार को यहां यह घोषणा की। पितृसत्ता पर हल्के-फुल्के व्यंग्य से भरपूर इस हिंदी फिल्म को 29 फिल्मों में से चुना गया है जिनमें बॉलीवुड की हिट फिल्म ‘‘एनिमल’’, मलयालम की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘‘अट्टम’’ और कान फिल्म महोत्सव की विजेता ‘‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’’ शामिल हैं। असमिया फिल्म निर्देशक जाहनु बरुआ की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय चयन समिति ने आमिर खान और किरण राव द्वारा निर्मित ‘‘लापता लेडीज’’ को एकेडमी अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फिल्म श्रेणी के लिए ‘‘सर्वसम्मति’’ से चुना है। इस श्रेणी में शामिल होने की दौड़ में 29 फिल्मों में हिंदी फिल्म ‘‘श्रीकांत’’, तमिल फिल्म ‘‘वाज़हाई’’ और ‘‘तंगलान’’ तथा मलयालम फिल्म ‘‘उल्लोझुक्कु’’ थीं।
मार्च में रिलीज हुई ‘‘लापता लेडीज’’ 2001 में ग्रामीण भारत में दो दुल्हनों की दिल छू लेने वाली कहानी है जिनकी एक ट्रेन यात्रा के दौरान अदला-बदली हो जाती है। फिल्म का निर्माण राव के किंडलिंग प्रोडक्शंस, आमिर खान प्रोडक्शंस और जियो स्टूडियोज ने किया है। राव ने कहा कि वह ‘‘बेहद सम्मानित और खुश’’ महसूस कर रही हैं कि उनकी फिल्म 97वें एकेडमी अवॉर्ड्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सिनेमा हमेशा दिलों को जोड़ने, सीमाओं को पार करने और सार्थक संवाद शुरू करने का एक शक्तिशाली माध्यम रहा है। मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म भारत की तरह दुनिया भर के दर्शकों को पसंद आएगी।’’ फिल्म निर्देशक ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं इस फिल्म पर भरोसा जताने वाली चयन समिति और हर व्यक्ति का हार्दिक आभार व्यक्त करता चाहती हूं। इस वर्ष ऐसी अद्भुत भारतीय फिल्मों में से चुना जाना वास्तव में एक बड़ा सौभाग्य है – जो इस सम्मान के लिए समान रूप से योग्य दावेदार हैं।’’करीब 13 साल के अंतराल के बाद ‘लापता लेडीज’ के साथ निर्देशन की दुनिया में लौटीं राव ने कहा कि वह और उनकी टीम ‘‘बड़े उत्साह’’ के साथ इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। राव ने मुंबई में विभिन्न वर्गों के लोगों पर केंद्रित 2010 में आयी फिल्म ‘‘धोबी घाट’’ से निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था। नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा और स्पर्श श्रीवास्तव की मुख्य भूमिकाओं के साथ ही फिल्म में रवि किशन, छाया कदम और गीता अग्रवाल शर्मा ने भी अभिनय किया है। इस हिंदी फिल्म को 2023 टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दिखाया गया था। रवि किशन ने इस उपलब्धि का श्रेय राव, खान, सह-कलाकारों और लेखकों को दिया है। अभिनेता एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद किशन ने इस फिल्म में दो दुल्हनों की अदला-बदली के मामले की जांच कर रहे पुलिस कर्मी का किरदार निभाया है। किशन ने गोरखपुर में कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह फिल्म ऑस्कर में जाएगी। पूरी दुनिया ऑस्कर के मंच पर भारतीय समाज खासतौर से ग्रामीण भारत को देखेगी जिसमें देश की 80 फीसदी आबादी रहती है।’’उन्होंने इस फिल्म को भारत की बेटियों को समर्पित करते हुए कहा, ‘‘वे देखेंगे कि भारत की बेटियां कैसे आगे बढ़ रही हैं। फिल्म यह खूबसूरत संदेश देती है कि कैसे इन बेटियों ने अपने ख्वाब नहीं छोड़े, चाहे वह आत्म-निर्भर बनने का हो या जैविक खेती करने का।’’ एक फिल्म के प्रीमियर के लिए अभी स्पेन में मौजूद छाया कदम के लिए यह साल दोहरी खुशी का है। मई में वह 2024 कान फिल्म महोत्सव में शामिल हुई थीं जहां पायल कपाड़िया के निर्देशन वाली उनकी फिल्म ‘‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’’ ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली भारत की पहली फिल्म बनी। कदम ने ‘‘लापता लेडीज’’ में चाय बेचने वाली एक तेजतर्रार महिला मंजू माई का किरदार निभाया है जिसके दिल में फिल्म की एक नायिका के लिए स्नेह छिपा होता है। कदम ने कहा कि उन्होंने अनुमान जताया था कि इस फिल्म को एकेडमी अवॉर्ड्स में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना जाएगा। उन्होंने फोन पर कहा, ‘‘यह खुशी केवल मेरी नहीं है बल्कि यह भारतीय सिनेमा की खुशी है। मुझे उम्मीद थी कि ऐसा कुछ होगा और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि असल में ऐसा हुआ है।
मैंने मराठी में किरण को एक संदेश भेजते हुए कहा था कि ‘हम ऑस्कर में जाएंगे।’ और आज जब यह खबर आयी तो मैंने उन्हें फोन किया और कहा, ‘मैंने आपसे कहा था न।’’’ तमिल फिल्म ‘‘महाराजा’’, तेलुगु फिल्म ‘‘कल्की 2898 एडी’’ और ‘‘हनु-मान’’ के साथ ही हिंदी फिल्म ‘‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’’ और ‘‘आर्टिकल 370’’ भी 29 फिल्मों की उस सूची का हिस्सा थीं जिनमें से लापता लेडीज को चुना गया। आमिर खान अभिनीत 2002 में आयी फिल्म ‘‘लगान’’ के बाद से कोई भी भारतीय फिल्म ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म के लिए नामांकित नहीं हुई है। पहले केवल दो अन्य फिल्मों ने अंतिम पांच में जगह बनायी थी और वे नरगिस अभिनीत ‘‘मदर इंडिया’’ और मीरा नायर की ‘‘सलाम बॉम्बे’’ हैं। पिछले साल ऑस्कर के लिए मलयालम सुपरहिट फिल्म ‘‘2018: एवरीवन इज ए हीरो’’ को भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के तौर पर भेजा गया ।