Saturday, July 19, 2025
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आइवा अवार्ड्स में सम्मानित की गयीं 21 महिलाएं

शुभजिता प्रतिनिधि राधा कुमारी ठाकुर की रपट
कोलकाता । शगुफ्ता हनाफी इवेन्ट्स यानी शी की ओर से हाल ही में इन्सपायरिंग विमेन एचीवर्स अवार्ड्स यानी आइवा अवार्ड्स आयोजित किया गया। इस पुरस्कार समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की 21 महिलाओं को सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के लिए शी को देश भर से 75 और विदेशों से 13 आवेदन प्राप्त हुए थे। विदेशों से एक प्रतिभागी महिला अचीवर को यह सम्मान दिया गया।
पुरस्कार विजेताओं ने कहा
गुलशन बानो (उद्यमी) – आपके कामों की अगर कोई सराहना करें तो आपकी हिम्मत और बढ़ जाती है और आगे बढ़ने का जोश दुगना हो जाता है हम अगर अपने ऊपर भरोसा रखें तो हम बहुत आगे जा सकते हैं |

प्रीत वालिया (समाज सेवा ) – मुझे खुद के बारे में ना सोच कर दूसरों के बारे में सोचना और उनके लिए कुछ अच्छा करना अच्छा लगता है जो मौका मुझसे शगुफ्ता ने दिया जो सुकून हमें दूसरों की भलाई करके मिलता है वो और कहीं नहीं मिल सकता |
पामिता साधुखान (ग्रूमिंग एक्सपर्ट) – यहाँ विजयी प्रतिभागी महिलाओं से बात करके पता चला कि कितना काम हो रहा है अलग-अलग क्षेत्रो, में यहां तक कि गृहिणियाँ भी अपने आप में एक वूमेन अचीवर्स हैं। |
आयोजक
शगुफ्ता हनाफी (शी की संस्थापक एवं एम डी) -मैं यकीन रखती हूं अपने यकीन पर कि मेरे यकीन को आगे लेकर लोग चले यह पूरा कारवां ऐसे ही आगे बढ़ता रहे|।

 

 

‘महिलाओं को शीर्ष पदों पर लाने की जरूरत है’

कोलकाता । कलकत्ता चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने महिला दिवस के अवसर पर विक्की की वेस्ट बंगाल मेंटल हेल्थ काउंसिल के सहयोग से महिला नेतृत्व को लेकर एक विशेष परिचर्चा आयोजित की। परिचर्चा में डॉ. पॉल ग्रुप ऑफ कम्पनीज प्रबन्ध निदेशक इन्द्राणी पॉल, ईजी नोटबुक स्टेशनरीज की संस्थापक एवं प्रबन्ध निदेशक शालिनी एस विश्वास, डिजिटल प्रकाशक एवं शिक्षाविद् जशोधरा चक्रवर्ती, कैंडिड कम्यूनिकेशन एवं कैंडिड स्कूल ऑफ कम्यूनिकेशंस की निदेशक पारोमिता घोष उपस्थित थीं।

वक्ताओं ने अपने संघर्ष की कहानियाँ साझा करते हुए महिलाओं को अधिक अवसर देने और उनको शीर्ष पदों पर लाने की बात कही। कलकत्ता चेम्बर ऑफ कॉमर्स की अध्यक्ष शैलजा मेहता ने स्वागत भाषण दिया। विक्की वेस्ट बंगाल मेंटल हेल्थ काउंसिल की उपाध्यक्ष इंद्राणी गांगुली ने सत्र का संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन वेस्ट बंगाल मेंटल हेल्थ काउंसिल की अध्यक्ष चयनिका भिवानीवाला ने दिया।

होरी आई

डॉ. वसुन्धरा मिश्र

होरी आई होरी आई
कान्हा की बाँसुरिया
हौले से बोली
होरी आई होरी आई
कान्हा की बाँसुरिया
हौले से बोली

राधा – रानी तू है हठीली
बईयां धर मोरी बोली
मैं तो ना डारूंगी रंग तो पै
हाथों में ले पिचकारी
उंगली की ओट से
देखूंँगी तोहे
होठों पे कटीली हंँसी छाई
होरी आई होरीआई

 

कान्हा मोहे कस कर पकड़े
अंँखियों से अंँखियांँ मारे
हंँस- हंँस के बाँसुरिया बोली
ग्वाल – बाल सब गैल पडे़ हैं
कान्हा गाए होरी
रंग-रास की मुठिया मारे
राधा रानी तू गर्वीली
बांँसुरी बन मैं हुई बावरी
करती अब मनुहार तिहारी
क्षमा चाहती राधा रानी
तू तो है कान्हा की जोड़ी
बाँसुरिया तुझमें ही खोई

होरी आई होरी आई
कान्हा की बाँसुरिया
हौले से बोली

जमुना के तट पे रास – रचईया
आओ हिलमिल खेलें होरी
राधा नाचे, बाँसुरी गावे
कान्हा की पैजनिया छम-छम
दौड़- दौड़ कर आए लोग- लुगाई
जमुना में भी आई लाली
होरी आई रे कन्हाई

होरी आई होरी आई
कान्हा की बाँसुरिया
हौले से बोली
होरी आई होरी आई

पेटीएम ने डेटा लीक के आरोपों को खारिज किया

कोलकाता । पेटीएम ने डेटा लीक के दावों से इनकार किया है. इस मामले पर कमेंट करते हुए, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के प्रवक्ता ने डेटा लीक के दावों का खंडन किया और कहा कि “पेटीएम पेमेंट्स बैंक की हालिया ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में चीनी फर्मों द्वारा डेटा लीक का दावा पूरी तरह से गलत और केवल सनसनीखेज है।”

पेटीएम द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है ‘पेटीएम पेमेंट्स बैंक को पूरी तरह से घरेलू बैंक होने पर गर्व है और डेटा लोकलाइजेशन पर आरबीआई के निर्देशों का पूरी तरह से अनुपालन करता है। बैंक का सारा डेटा देश के अंदर रहता है। हम डिजिटल इंडिया पहल के सच्चे विश्वासी हैं और देश में फाईनेंशियल इनक्लूजन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।.”

गौरतलब है कि आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को नए ग्राहक जोड़ने पर पाबंदी लगाने की बात कहीं थी। साथ ही बैंक को अपने आईटी सिस्टम की व्यापक ऑडिट कराने को भी कहा गया था। इस खबर के सामने आने बाद ब्लूमबर्ग ने सोमवार को एक सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 11 मार्च को नए ग्राहकों को लेने से इसलिए रोक दिया था क्योंकि उसने भारत के नियमों के उल्लंघन में डेटा को विदेशों में सर्वरों में फ्लो करने की अनुमति दी थी और अपने ग्राहकों को ठीक से सत्यापित नहीं किया था। कम्पनी ने इन आरोपों का खंडन किया है।

पेटीएम पेमेंट्स बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्लेटफॉर्म में वर्तमान में 300 मिलियन से अधिक वॉलेट और 60 मिलियन बैंक खाते हैं। मौजूदा यूजर अभी भी ट्रांजेक्शन के लिए पेमेंट प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।

सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं माधवी पुरी बुच

नयी दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच को बनाया गया। 28 फरवरी से उनके कार्य की शुरुआत हो गई है। माधवी की यह नियुक्ति फिलहाल 3 साल के लिए है। इससे पहले माधवी अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2021 के दौरान सेबी की होलटाइम मेंबर थीं।
सख्त स्वभाव और 30 साल का लंबा अनुभव
माधवी पुरी बुच बहुत ही सख्त स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। वे कड़े फैसले लेने के लिए मशहूर रही हैं। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल की। उसके पहले दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की थी। माधवी के पास फाइनेंशियल सेक्टर में 30 सालों का लंबा अनुभव है और वे सेबी की तमाम कमेटियों में पहले भी काम कर चुकी हैं। वे अभी इसकी एडवाइजरी कमिटी में भी थीं।
पहली महिला प्रमुख, जिसने यह ऊंचाई तय की
माधवी पुरी बुच मार्केट रेगुलेटर सेबी के शीर्ष पद पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। वे पूर्णकालिक निदेशक बनने वाली भी पहली महिला हैं और निजी क्षेत्र से सेबी चेयरपर्सन तक पहुंचने वाली भी पहली अधिकारी हैं।

सिंगापुर, चीन के बड़े वित्तीय संस्थानों में किया काम

बुच ने अपना कॅरियर देश में निजी सेक्टर के बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक से 1989 में शुरू किया था। 2007 से 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक में कार्यकारी निदेशक थीं। वे 2009 फरवरी से मई 2011 तक आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एम डी एवं सीईओ थीं। 2011 में सिंगापुर चली गईं और वहां उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल एलएलपी में काम किया। उन्होंने न्यू डेवलपमेंट बैंक, शंघाई, चीन में भी काम किया है। उनके पास सेबी में सर्विलांस, कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम, इकोनॉमिक और पॉलिसी एनालिसिस, इन्वेस्टर असिस्टेंस एंड एजुकेशन और इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी थी। सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के कार्यकाल के बाद बुच सात सदस्यों वाले एक्सपर्ट ग्रुप की प्रमुख थीं।
अपने कार्यकाल में दो घोटालों का किया खुलासा
सेबी में अपने पहले कार्यकाल के दौरान माधवी ने दो बड़े बिजनेस टीवी पत्रकारों के शेयर बाजार में घोटाले का खुलासा किया था। इससे पहले दीप इंडस्ट्रीज इनसाइउर ट्रेडिंग के मामले में भी उन्होंने खास भूमिका निभाई थी।

 

प्रभा नरसिम्हन होंगी कोलगेट इंडिया की नयी सीईओ

हिंदुस्तान यूनिलीवर में कर चुकी हैं शानदार काम
नई दिल्ली । कोलगेट पामोलिव इंडिया ने हाल ही में प्रभा नरसिम्हन को कंपनी की नई सीईओ और एमडी के तौर पर चुना है। पर्सनल प्रोडक्ट बनाने वाली इस कंपनी की मार्केट वैल्यू अभी 40,723 करोड़ रुपये है। उनकी नियुक्ति इस साल 1 सितंबर से प्रभावी होगी।
इससे पहले प्रभा नरसिम्हन हिंदुस्तान यूनिलीवर यानी एचयूएल की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही थीं। इस नियुक्ति को देखते हुए एचयूएल ने प्रभा नरसिम्हन को उनके पद से मुक्त कर दिया है। अब वे एचयूएल की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर होम केयार और वाइस प्रेसिडेंट होम केयर यूनिलीवर साउथ एशिया के पद से मुक्त हो जाएंगी।
एचयूएल प्रोडक्ट्स गांवों तक पहुंचाए, हुआ जबरदस्त मुनाफा
प्रभा नरसिम्हन की लीडरशिप में 2016 से 2019 के बीच एचयूएल के स्किन केयर बिजनेस में शानदार प्रदर्शन हुआ। इसके बाद एचयूएल को दिसंबर 2021 तिमाही में 2,243 करोड़ रुपये का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले एचयूएल का नेट प्रॉफिट 17 फीसदी बढ़ा है। दिसंबर 2020 तिमाही में हिंदुस्तान यूनिलीवर को 1,921 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में हिंदुस्तान यूनिलीवर की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है।
कॅरिअर की ऐसे की शुरुआत
47 साल की प्रभा नरसिम्हन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), बैंगलोर से पास आउट हैं। शुरुआत में प्रभा ने मदुरा गारमेंट्स जैसी कंपनियों में अपने काम का लौह मनवाया। साल 2006 से पहले उन्होंने इसमें मैनेजर स्ट्रैटजी के तौर पर काम किया था। इसके बाद साल 2006 में हिंदुस्तान यूनिलीवर में रीजनल मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर काम करना शुरू किया। यहां वह अलग-अलग पदों पर 15 साल तक कार्य कर चुकी हैं।
मार्केटिंग की दुनिया में 23 साल का अनुभव
प्रभा नरसिम्हन के एक्सपीरियंस की अगर बात की जाए तो प्रभा को मार्केटिंग की दुनिया में 23 साल का अनुभव है। प्रभा कंज्यूमर मार्केटिंग, कस्टमर डेवलपमेंट और इससे जुड़े कई सेगमेंट में मार्केटिंग का अनुभव रखती हैं। प्रभा को दुनिया के अलग-अलग देशों जैसे-भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में मार्केटिंग का बेहतरीन अनुभव है। प्रभा नरसिम्हन की लीडरशिप में 2016 से 2019 के बीच एचयूएल के स्किन केयर बिजनेस में शानदार प्रदर्शन हुआ।
दक्षिण एशिया में बिजनेस और मार्केटिंग का लिया जिम्मा
प्रभा नरसिम्हन के नेतृत्व में हचयूएल का होम केयर बिजनेस पूरे दक्षिण एशिया में तेजी से फैला। प्रभा ने इस क्षेत्र में कंज्यूमर मार्केटिंग और कस्टमर डेवलपमेंट एवं मार्केटिंग में अहम भूमिका निभाई। अलग-अलग श्रेणी और भौगोलिक क्षेत्रों के बावजूद प्रभा ने अपनी काबिलियत को साबित करके दिखाया है।
चुनौतियां कम नहीं
प्रभा नरसिम्हन ने अपने दो दशक से ज्यादा के अनुभव में मार्केटिंग में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं पर, जहां तक अब नई जिम्मेदारी की बात है तो कोलगेट पामोलिव को सबसे ज्यादा चुनौती पतंजलि, डाबर जैसे नेचुरल प्रोडक्ट से मिल रही है। ऐसे में प्रभा की लीडरशिप में कंपनी कितना बेहतर करने वाली है यह आने वाला समय बताएगा।

बागी औरतें, जिनकी जिद ने औरतों के लिए खोला आसमान

नयी दिल्ली । एक वक्त था जब दुनिया को अहसास ही नहीं था कि कोई गैर-बराबरी का मसला है। तब से लेकर आज तक कई चीजें बदलीं और आगे भी इनके बेहतर होने की गुंजाइश है। सैकड़ों साल के संघर्ष में ऐसी कई महिलाएं आईं जो अपने वक्त से बहुत दूर तक देख सकती थीं।
इन महिलाओं ने ही दिखाया कि कहां-कहां पर उनके लिए कम जगह छोड़ी गई है। अपने वक्त से आगे चलने वाली इन महिलाओं को बेवकूफ, सनकी, पागल, गद्दार और अपराधी तक करार दिया गया, लेकिन इनकी नीयत और समझ दोनों साफ थी। इसलिए वक्त ने उन्हें सही साबित किया। जानते हैं ऐसी ही महिलाओं को –
जब महिलाओं ने एक दिन की हड़ताल से ठप कर दिया पूरा देश
एक टापू जैसे छोटे से देश आइसलैंड में 1975 में महिलाओं के एक दिन के फैसले ने दुनिया को हिला दिया। घर और दफ्तर में होने वाले भेदभाव के खिलाफ इन महिलाओं ने एक दिन अपने काम से छुट्टी ले ली। न दफ्तर गईं, न चूल्हा-चौका किया और न ही बच्चे संभाले। उस दिन इस देश की 90 फीसदी महिलाएं सड़कों पर उतरीं और जमकर नारेबाजी की। मौका था यूनाइटेड नेशंस का इस साल को महिला वर्ष घोषित करना।
इस हड़ताल को ‘आइसलैंडिक वुमंस स्ट्राइक’ के नाम से जाना जाता है और इस दिन को ‘लॉन्ग फ्राइडे’ भी कहा जाता है। यानी इतना लंबा दिन कि पूरे देश के पुरुषों के लिए इसे काटना भारी पड़ गया। पुरुषों को बच्चों को ऑफिस लेकर जाना पड़ा और सारे दफ्तर रोते-भागते बच्चों से भर गए। महिलाओं ने खाना नहीं बनाया तो सुपर मार्केट में सारे फूड पैकेट खत्म हो गए। बच्चों को मनाने के लिए पुरुषों ने सारी गिफ्ट्स शॉप खाली कर दीं। अगले साल ही सरकार को एक जैसे काम की एवज में बराबर वेतन का कानून बनाना पड़ा।
सूज़न बी एंथनी: ऐसी महिला जो वोट डालने के लिए अदालत से भिड़ गयीं
महिलाओं की वोटिंग राइट्स को लेकर सूज़न बी एंथनी ने अदालत से सीधी लड़ाई लड़ी। 1872 में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए वोटिंग हो रही थी। सूज़न अपनी 14 सहेलियों के साथ गईं और वोटिंग की। तब महिलाओं के पास वोटिंग राइट्स नहीं थे। सूज़न को तीन दिन बाद गिरफ्तार कर लिया गया। सूज़न की निडरता को देखने के लिए उस दिन अदालत में देश भर का मीडिया मौजूद था। कोर्ट में सूज़न ने बेबाकी से कहा कि ये कानून पुरुषों के बनाए हैं। जज उसे शांत रहने को कहते रहे, लेकिन सूज़न चुप नहीं रही। जज ने उसे गलती मानने को कहा, उसने इनकार कर दिया।
उन पर 100 डॉलर का फाइन लगाया गया तो उन्होंने भरने से इनकार कर दिया। जब रिकवरी करने को उनके घर मार्शल भेजा गया तो वहां से एक भी ऐसी चीज नहीं मिल सकी, जिसे नीलाम करके 100 डॉलर वसूले जा सकें। सूज़न के मरने के 58 साल बाद महिलाओं को कानूनी तौर पर वोट डालने का हक मिला।

बॉबी गिब और कैथरीन: जिन्होंने महिलाओं को दौड़ने का हक दिलाया
न्यूरोसाइंटिस्ट बॉबी गिब को सिर्फ दौड़ना पसंद था। एक दिन वो अपने पिता के साथ बोस्टन गईं और वहां हर साल आयोजित होने वाली मैराथन देखा। इतने सारे पुरुषों को एक साथ दौड़ता देखना उनके सपनों को पंख दे गया।
अगले दिन से ही वह मैराथन की प्रैक्टिस करने लगीं और दो साल की तैयारी के बाद बोस्टन मैराथन के लिए अप्लाई कर दिया, लेकिन, लड़की होने की वजह से उन्हें ठुकरा दिया गया। 1966 की मैराथन में वह भाई के कपड़े पहनकर भाग लेने पहुंचीं, लेकिन उन्हें पहचान लिया गया। पहचान उजागर होने के साथ ही वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं।
बॉबी की जैसी ही एक लड़की और थी कैथरीन स्वाइटज़र। लिटरेचर और जर्नलिज्म की छात्रा कैथरीन ने 1967 के मैराथन में भाग लिया। रेस के मैनेजर को जब पता चला कि मैदान पर एक लड़की भी दौड़ रही है तो वह रेस में कूदा और उसे खींचकर बाहर करने आ गया, लेकिन, कैथरीन नहीं रुकीं। उन्होंने रेस खत्म की। इन दोनों लड़कियों के इस कारनामे के बाद 1972 में महिलाओं को आधिकारिक मैराथन में शामिल किया गया।
दुनिया को आलू और वोदका का स्वाद चखाने वाली महिला वैज्ञानिक
स्वीडन में एक महिला कृषि वैज्ञानिक हुईं। ईवा एकेब्लाड ने इंसानों को आलू का स्वाद चखाया। न केवल आलू, बल्कि इससे वोदका निकालकर दिखाई जो पहले रूस और फिर दुनिया भर में पसंदीदा शराब बनी। ईवा की इस खोज से पहले आलू मुर्गियों और भालुओं को खिलाया जाता था। ईवा ने पाया कि आलू में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है, जो एनर्जी का अच्छा स्रोत है।
1746 में ईवा ने अपने खेतों और रसोई में खाने को लेकर प्रयोग शुरू किए। ईवा ने आलू के फूलों का भी बखूबी इस्तेमाल किया और उससे ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाए। ईवा सिर्फ लैब तक नहीं सिमटी रहीं। वह यूरोप में महिलाओं को डायन बताकर जलाने के खिलाफ खड़ी होने वाली सबसे पहली महिलाओं में से एक थीं। ​​​​​​
इकबाल बानो: जिसकी साड़ी और दमदार आवाज से हिल गया था तानाशाह
इकबाल बानो ने जिया उल हक के तानाशाही के दौर में अपनी एक नज्म से इंकलाब की मुहिम छेड़ दी थी। तब महिलाओं के साड़ी पहनने या इंकलाबी गीतों को गाने पर रोक थी। लाहौर के अलहमरा आर्ट्स काउंसिल के ऑडिटोरियम में 1986 की 13 फरवरी की रात इतनी भीड़ उमड़ी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। बानो ने काली साड़ी पहनी थी और बैन शायर फैज अहमद फैज की नज़्म “हम देखेंगे” गाई थी। वह प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दिए जाने के विरोध में थीं।
पुलिस ने इस प्रोगाम की सारी रिकॉर्डिंग जब्त कर ली थी, लेकिन एक कॉपी चोरी-छिपे स्मगल हो गई। इसके बाद इकबाल बानो की शोहरत दिन दूनी और रात चौगुनी हो गयी।
ओरियाना फल्लाची: जिसके नाम से ललचाते और कांपते थे तानाशाह
इटली की ओरियाना फल्लाची ऐसी पत्रकार थीं, जिससे दुनिया भर के तानाशाह खौफ खाते थे और अपना इंटरव्यू करवाना भी चाहते थे। ओरियाना का मशहूर कथन था कि अगर उसे कभी भगवान मिलता तो वह उससे सवाल पूछती कि अगर उसने जीवन का आविष्कार किया तो मृत्यु क्यों दी? उन्होंने आयतुल्ला खुमैनी, गद्दाफी, जुल्फिकार अली भुट्टो, यासिर अराफात और चीनी तानाशाह डेंग जियाओ पिंग का इंटरव्यू लिया।
खुमैनी के सामने इंटरव्यू में हिजाब पर बात इतनी गहमागहमी तक पहुंची कि ओरियाना ने इसे उतारकर फेंक दिया। ओरियाना की इंदिरा गांधी से अच्छी दोस्ती थी और इंदिरा ने उससे कहा था कि मेरे चारों ओर इतने बेवकूफ लोग हैं, मैं कैसे काम करूं, समझ नहीं आता।
इंटरव्यू के दौरान चीनी तानाशाह डेंग एक बार ओरियाना पर चिल्लाने लगा लेकिन ओरियाना उसकी सादगी, विनम्रता और होशियारी से बहुत प्रभावित हुईं। डेंग ने 3 घंटे का इंटरव्यू खत्म होने के बाद खुद पूछा था कि क्या वह उसका एक इंटरव्यू और करना चाहेंगी और ओरियाना ने उसे चूम लिया था। ओरियाना ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर से कुबूल करवा लिया था कि वियतनाम युद्ध व्यर्थ था।
(साभार – दैनिक भास्कर)

 

प्रदान किये गये 2020 -21 के नारी शक्ति पुरस्कार

नयी दिल्ली । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गत 8 मार्च को महिलाओं के सशक्तिकरण में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 29 महिलाओं को 2020-21 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। इनमें 2020 के लिए 14 और 2021 के लिए 14 पुरस्कार शामिल हैं। यह पुरस्कार महिला और बाल विकास मंत्रालय की तरफ से महिलाओं के विकास की दिशा में उल्लेखनीय काम करने वालों को दिया जाता है।
कई क्षेत्र की महिलाओं को मिला पुरस्कार
वर्ष 2020 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार विजेताओं में विभिन्न क्षेत्रों की महिलाएं शामिल हैं। मसलन उद्यमशीलता, कृषि, नवोन्मेष, सामाजिक कार्य, कला, दस्तकारी, एसटीईएमएम और वन्यजीव संरक्षण। वर्ष 2021 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार विजेताओं में भाषा-विज्ञान, उद्यमशीलता, कृषि, सामाजिक कार्य, कला, दस्तकारी, मर्चेंट नेवी, एसटीईएमएम, शिक्षा, साहित्य, दिव्यांगजन अधिकार आदि क्षेत्र की महिलाएं शामिल हैं।
14 राज्यों की ये महिलाएं सम्मानित
पुरस्कार प्राप्त करने वालों में मर्चेंट नेवी की कप्तान राधिका मेनन, सामाजिक उद्यमी अनीता गुप्ता, आर्गेनिक खेती करने वाली आदिवासी कार्यकर्ता ऊषाबेन दिनेशभाई वसावा, नवाचार के लिए विख्यात नासिरा अख्तर, इंटेल इंडिया की प्रमुख निवृति राय, डाउन सिंड्रोम से पीड़ित कथक नृत्यांगना सायली नन्दकिशोर अगवाने, सांपों को बचाने वाली पहली महिला वनिता जगदेव बोराडे और गणितज्ञ नीना गुप्ता शामिल हैं।

 

12 से 14 वर्ष के बच्चों का कोविड रोधी टीकाकरण 16 मार्च से

नयी दिल्ली । केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश में 12 से 14 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण 16 मार्च से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि देश में अब 60 से अधिक आयु के सभी लोगों को कोविड-19 रोधी टीकों की एहतियाती खुराक दी जाएगी। पहले इस आयु वर्ग के गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को ही यह खुराक दी जा रही थी। बारह से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को हैदराबाद स्थित ‘बायोलॉजिकल इवांस’ द्वारा निर्मित कोविड-19 रोधी ‘कोर्बेवैक्स’ टीके की खुराक दी जाएगी।

मांडविया ने ट्वीट किया, ‘‘ बच्चे सुरक्षित तो देश सुरक्षित। मुझे बताते हुए खुशी है की 16 मार्च से 12 से 13 तथा 13 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण शुरू हो रहा है। साथ ही 60 से अधिक आयु के सभी लोग अब एहतियाती खुराक ले पाएंगे। मेरा बच्चों के परिजन तथा 60 से अधिक आयु के लोगों से आग्रह है वे टीका जरूर लगवाएं।’’

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि केन्द्र सरकार ने वैज्ञानिक निकायों के साथ विचार-विमर्श के बाद 12-13 वर्ष और 13-14 वर्ष आयुवर्ग के (2008 से 2010 में जन्मे) बच्चों के लिए कोविड-19 रोधी टीकाकरण शुरू करने का निर्णय किया है।

टाटासंस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के हाथों में एयर इंडिया की कमान

नयी दिल्ली। टाटासंस ने एयरइंडिया के नए निदेशक की नियुक्ति की घोषणा कर दी है। टाटा समूह ने एन चंद्रशेखरन के हाथों में ही एयर इंडिया की कमान भी सौंप दी है। टाटा समूह की ओर से सोमवार को इसे लेकर बड़ा ऐलान किया गया है।काफी इंतजार के बाद अब एयरइंडिया को अपना चैयरमैन मिल गया हैं, हालांकि अभी भी सीईओ का इंतजार बाकी है। सोमवार को हुई बोर्ड बैठक में चंद्रशेखरन को एयरइंडिया के चैयरमैन पद सौंपने के फैसले पर मुहर लगा दी गई।

वहीं जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के पूर्व सीएमडी जीवर्गीज वैद्यन और हिन्दुस्तान यूनिलीवर के चैयरमैन संजीव मेहता को बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया है। आपको बता दें कि टाटा संस ने हाल ही में एन चंद्रशेखरन के कार्यकाल को अगले पांच सालों के लिए बढ़ा दिया था। उन्होंने 2016 में टाटासंस के चैयरमैन पद की जिम्मेदारी ली थी, जिसके बाद से लोग कंपनी को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में सफल रहे हैं। उनके काम को देखते हुए उनके कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला किया गया और अब उन्हें एयरइंडिया की भी कमान सौंप दी गई है। एयरइंडिया को अपना नया चैयरमैन तो मिल गया है, अभी भी सीईओ की तलाश जारी है। इसके लिए टर्किस एयरलाइंस के चेयरमैन इल्कर आयसी को प्रस्ताव भेजा गया था , लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया।