Friday, July 18, 2025
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लम्बे समय तक खलेगी रंगकर्मी अजहर आलम की कमी

राधा कुमारी ठाकुर

वर्तमान समय में जहां लोग अपनी जीविका के अलावा और कुछ नहीं सोचते वहां एक व्यक्ति अपने मन में रंगमंच सजा रहा था अलग ही अपने विचारों की दुनिया में रंगकर्म का नया इतिहास बना रहा था। अजहर आलम एक ऐसा नाम जो सिर्फ रंगमंच के नाम से ही हमारे कानों में गूंज उठता है। भारतीय रंगमंच को अपने रंगकर्म से रंग देने वाले अजहर आलम की आंखें न जाने कितनी बार कलाकारों को रोज देखतीं, चाय की प्याली में चुस्की लेतीं, स्क्रिप्ट देखते हुए खाना खाती, सेट की दीवारें और रातों के स्वप्न में संवाद करते दो किरदार।

रंगमंच हमारे समाज की बहुत पुरानी संस्कृति है जिसे इन्होंने और अधिक उभारा। रंगमंच के प्रति इतना सक्रिय व्यक्तित्व मैंने आज तक नहीं देखा था। अज़हर आलम ने अपने रंगकर्म से रंगमंच को एक नयी दिशा दी है। रंगमंच के प्रति इनके योगदान का दायरा इतना बड़ा है कि उसे समेटना मुश्किल है। ये एक अच्छे निर्देशक , प्रतिभाशाली अभिनेता, उम्दा कलाकार, एक शानदार सेट डिजाइनर एवं निर्देशक थे।
उन्होंने कई नाटक लिखे जैसे रूहें ,चाक, ,नमक की गुड़िया, गैंडा ,सुलगते ,चिराग ,सवालिया निशान, चेहरे, पतझड़ इन सभी नाटकों का प्रकाशन इंडियन नेटबुक्स से हुआ जो महानगर के आनंद प्रकाशन में और ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
हाल ही में 2020 में नाटक रूहें के लिए नेमीचंद जैन नाट्य लेखन सम्मान, 2007 में पश्चिम बंग नाट्य अकादमी, संस्कृति विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा नाटक सवालिया निशान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का, 2001 में नमक की गुड़िया के लिए सर्वश्रेष्ठ नाटककार का पुरस्कार मिला। 30 से ज्यादा नाटकों का निर्देशन तथा 70 से ज्यादा नाटकों में अभिनय किया।

कोरोना हमसे बहुत कुछ छीन ले गया और अजहर आलम जैसा शानदार रंगकर्मी भी। कोरोना काल के दौरान अचानक एक ऐसी दुर्घटना घटी जिसमें अजहर आलम हमसे दूर हो गए पर इतना दूर भी नहीं कि हम उनको महसूस ना कर सके उनकी रूह रंगमंच पर सदैव एक दम भर साँस भरती रहेगी। जिस लिटिल थेस्पियन की शुरुआत 1994 मैं अजहर आलम और उमा झुनझुनवाला ने एक साथ मिलकर की थी, उसका काम उनकी जीवन संगिनी उमा झुनझुनवाला ने रुकने नहीं दिया और लगातार जुटी रहीं। उषा गांगुली की रंगकर्मी के बाद हिन्दी नाटकों को लोकप्रिय बनाने की दिशा में अगर कोई नाम याद आएगा तो वह उमा झुनझुनवाला एवं अजहर आलम का होगा। लिटिल थेस्पियन द्वारा कई कार्यशालाएं आयोजित की गयीं, कहानी और कविताओं का अभिनयात्मक पाठ हुआ और हाल ही में जश्न -ए- अज़हर का आगाज़ भी हुआ जो दो चरणों में समाप्त हुआ।

इसी के बीच अजहर आलम की स्मृति में मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना हुई। इसके कई उद्देश्य रहे- नाटक और रंगमंच में विशेष उपलब्धि के लिए प्रतिवर्ष एक व्यक्तित्व को पुरस्कार ,रंगमंच विषय पर काम करने वाले शोधार्थी को फेलोशिप देना अज़हर आलम लेक्चर और सेमिनार का आयोजन ,नाटक और रंगमंच या आलेखों का प्रकाशन ,प्रत्येक महीने की 20 तारीख को अज़हर आलम की स्मृति में अनाथ और जरूरतमंद बच्चों के साथ कार्यशाला का आयोजन तथा अज़हर आलम मंच के निर्माण का आयोजन। इस वर्ष का रंग सम्मान गत 18 फरवरी 2022 को जश्न-ए- अज़हर नाट्य उत्सव के प्रथम दिन अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स में बंगाल के विख्यात रंगकर्मी रूद्र प्रसाद सेन गुप्त को दिया गया तथा अज़हर आलम मेमोरियल फैलोशिप की घोषणा भी हुई जिस का विषय है – 21वीं सदी के नाटककार और अज़हर आलम और दूसरा पश्चिम बंगाल का हिंदुस्तान रंगमंच और अज़हर आलम |
अजहर आलम की कलात्मकता का स्तर इतना उठ चुका था जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में भारतीय रंगमंच का स्तर कितना ऊंचा उठता और अपनी स्मृतियों और संदेशों में लोग अजहर आलम को संजो रहे हैं।

एस. एम. अजहर आलम को कुछ ऐसे याद किया गया

इसी क्रम में पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी अपने शोक संदेश में लिखा है – रंगमंच पूरी दुनिया में रहा है। बहुत प्राचीन काल से ही इसकी स्पष्ट तात्कालिक था। इसका वास्तविक स्वरूप होने के कारण यह अपने गहन सामाजिक प्रभाव के साथ सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति का वाहन रहा है। यह अपने दुःख – सुख में समाज का आईना भी रहा है। अपनी दुविधा में भी नाटककार और निर्देशकों और अभिनेताओं के समर्पण और प्रतिभा का कारण है। रंगमंच एक असाधारण विधा है मेरी कामना है कि लिटिल थेस्पियन दिवंगत एस एम अज़हर आलम की रंगमंचीय जीवन की इस स्मृति को जारी रखें |
रंग समीक्षक श्री आनंद लाल का कहना है – अज़हर शब्द के कई अर्थों में से एक अर्थ है ‘प्रबुद्ध’ जो उनके व्यक्तित्व और काम पर हर मायने में फिट है वे विनम्र मृदुभाषी उदार थे सभी मानवतावादी मूल्यों को आत्मसात किया था।
प्रसिद्ध नाटककार रंग निर्देशक एवं अभिनेता निलॉय रॉय का कहना है – अज़हर आलम में के भीतर ही स्पेस बनाने की क्षमता थी जिसके कारण स्वाभाविक रूप से अभिनेताओं की ऊर्जा और क्षमता को बढ़ावा मिलता जहां विभिन्न विशिष्ट क्षणों के माध्यम से वे उस के दरमियान आसानी से यात्रा कर सकते थे यह आमतौर पर कल्पना और यथार्थ वाद के बीच का वह क्षेत्र है जिसे अज़हर आलम ने अपने काम में अपनाया |
प्रतिष्ठित रंग आलोचक श्रीमाल जी का कहना है- नाटकों के चयन से लेकर उसके निर्देशन तक में पाश्र्व में जैसे कोई आग चुपचाप धधकती रहती थी यह समय उन्हें संपूर्णता से याद करने का समय है उनके बारे में यह तथ्य भी बहुत महत्वपूर्ण है कि उन्होंने नाटक को सही अर्थों में प्रतिरोध की विधा के रूप में ढाला और हमेशा जन सरोकारों को प्रमुखता दी सकारात्मक उम्मीद की जा सकती है कि अज़हर भाई की स्मृति उन्हें और अधिक रचनात्मक बनाएगी |
रंग आलोचक ज्योतिष जोशी का कहना है __ साहित्य समाज और रंग जगत के लिए यह अपूरणीय क्षति है वे कुशल निर्देशक तो थे ही सधे हुए अभिनेता तथा नाटककार भी थे अभी हाल ही उनके नाट्य नटरंग प्रतिष्ठान द्वारा उनके लिखे नाटक रूहे के लिए नेमीचंद जैन स्मृति नाट्य लेखन पुरस्कार दिया गया था जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण है।
रंग समीक्षक रवींद्र त्रिपाठी जी कहते हैं _ अज़हर एक संपूर्ण रंग व्यक्तित्व थे यानी एक बहुत अच्छे नाट्य निर्देशक थे प्रतिभाशाली अभिनेता थे उम्दा नाटककार थे और शानदार रूपांतर कार थे और कुशल रंग संगठनकर्ता थे रंगमंच की एक बेहतरीन बुद्धिजीवी थे। भारतीय रंगमंच को उनकी अनुपस्थिति लंबे समय तक खलने वाली है।

भवानीपुर कॉलेज में आयोजित हुआ व्यापार मेला, जारी हुआ ‘रिवील 2022’ 

विद्यार्थी ले आए अपने उत्पाद 

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों ने अपने उत्पादों को रिवेल 2022 के तहत लांच किया। यह विद्यार्थियों को रचनात्मक शोध करने और सीखने की आंतरिक प्रेरणा को बल देने के लिए महत्त्वपूर्ण मंच है।
एक रचनात्मक लक्ष्य बना कर जब छात्र केंद्रित होकर किसी उत्पाद की खोज करते हैं तो वे सीखने में अधिक लीन हो जाते हैं और उसकी प्राप्ति के लिए अधिक प्रेरित होते हैं जिसके लिए विद्यार्थियों को व्यवसायिक कौशल की आवश्यकता होती है।
जैसा कि कहा जाता है, “रचनात्मकता मस्ती करने वाली बुद्धि अलग ही होती है” हम अक्सर कई मज़ेदार मेलों को देखते हैं जहाँ विचारों को अनुप्रयुक्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है। व्यापारिक मेला भी एक ऐसा ही स्थान है जहाँ लोग अपना प्रदर्शन अपनी चतुर बुद्धि और कॉर्पोरेट तकनीकों के संकेत द्वारा कर सकते हैं
अपने छात्रों की रचनात्मकता की जांँच करने और बढ़ाने के लिए, व्यवसाय प्रशासन विभाग बी बी ए भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज ने एक दिवसीय उत्पाद लॉन्च कार्यक्रम का उद्घाटन गत 13 अप्रैल 2022 को सुबह नौ बजे से कॉलेज के वालिया सभागार में किया गया। ‘ रिवील’ एक संक्षिप्त शब्द है जिसके अर्थ में रीच-एनर्जाइज़-वायरल सस्ता-एक्सकेवेट-अचीव एंड लॉन्च अर्थात “खुलासा” जैसे अर्थ छिपे हैं । इस कार्यक्रम का उद्देश्य था व्यवसायिक -दिमाग वाले छात्रों को अपना प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करना और एक गैर-मौजूदा उत्पाद के रूप में विद्यार्थियों के विचार को लॉन्च करने के लिए तैयार करना।
उत्पाद लॉन्च कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति में कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। जाह्नवी खंडाड़िया व धैर्य वोरा ने सभी सम्मानित अतिथियों व्यक्तियों को मंच पर आमंत्रित कर दीप प्रज्ज्वलित के साथ समारोह की शुरुआत हुई । इस अवसर पर व्यवसाय प्रशासन विभाग की छात्राओं ने शास्त्रीय नृत्य किया।
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी के महानिदेशक प्रो. डॉ. सुमन मुखर्जी ने अपने वक्तव्य में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए व्यापार के मूल मंत्रों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह मंच विद्यार्थियों को भविष्य में अपने व्यवसाय को करने और वर्तमान में काम आने वाले उत्पाद और उनकी मार्केटिंग के विषय में सीखने के लिए है। इंटर कॉलेज के सभी प्रतिभागियों ने अपने वास्तविक दुनिया के सफल व्यावसायिक उदाहरणों को समझते हुए बताया कि कैसे कंपनियांँ रचनात्मक व्यवसाय योजनाओं के साथ छात्रों से संपर्क करें और उन्हें अपनाएंँ। उन्होंने विद्यार्थियों को संस्कारवान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। एक व्यवसायिक योजना बनाने और अपने विचारों को दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ संवाद करना साथ में ज्ञान और अनुभव को बढ़ावा देना है।
छात्र मामलों के डीन प्रो. दिलीप शाह ने ‘रिवील’ 2022 को विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों को एक्सपो जैसे व्यावसायिक मेलों का अवलोकन करना चाहिए जहांँ उन्हें बहुत से नए नए आइडिया मिलते हैं, जहांँ लगभग पांच सौ कंपनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन करती हैं, सीखने की प्रक्रिया में सहायक होती हैं। साथ ही प्रो दिलीप शाह ने कॉलेज में एक व्यापार मेला आयोजित करने की भी बात कही।
कोआर्डिनेटर डॉ त्रिदीब सेनगुप्ता ने विद्यार्थियों, शिक्षकों और कोलकाता के प्रसिद्ध कॉलेजों से आए विद्यार्थियों को उनके उत्कृष्ट बाजार व्यवहार और उत्पाद निर्माण और प्रदर्शनी से संबंधित कार्यक्रम के लिए प्रेरक वक्तव्य दिया।
रिवील प्रदर्शनी का उद्घाटन रिबन काट कर किया मैनेजमेंट की वरिष्ठ सदस्या नलिनी पारेख ने। छात्रों के अध्यक्ष देवज्योति बनर्जी और माधव मोहता ने उत्पाद प्रदर्शनी खोलने की घोषणा की ।
प्रदर्शनी में आठ स्टाल लगाए गए थे और प्रत्येक स्टाल में छह से सात प्रतिभागी थे। सभी टीमों को दिया गया
अपने उत्पादों को तैयार करने और उनका विज्ञापन करने के लिए पर्याप्त मात्रा में समय दिया गया ताकि वे वोट इकट्ठा कर सकें। प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए सभी उत्पाद न केवल अभिनव थे, बल्कि प्रतिभागियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी
भीड़ को आकर्षित करने के लिए एक अनोखे तरीके से अपने उत्पादों का विज्ञापन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कोई भी उत्पाद तभी सफल होता है जब वह बाजार में मांग पैदा कर सके।
प्रत्येक स्टॉल में अलग-अलग आकर्षण थे, जैसे जलपान और उत्पाद का लाइव प्रदर्शन, यह दर्शकों के लिए रोमांचक था कि उत्पाद कितना व्यवहार्य है। स्टालों को सजाया गया । पोस्टर और बैनर के साथ और कुछ छात्रों ने अपने स्टालों को अपशिष्ट उत्पादों से भी सजाया । इस आयोजन ने प्रतिभागियों को लोगों के साथ व्यवहार करने और उन्हें बनाने का प्रत्यक्ष अनुभव दिया।
उत्पाद में रुचि जगाने के साथ प्रतिभागियों ने यूएसपी और उत्पादों के उपयोग के बारे में भी बताया। जनता को यह समझाने के लिए बनाया गया और बाजार में लॉन्च होने पर उत्पाद के विषय में किस प्रकार उनके उत्पाद का आंकलन होगा जैसे अनुभवों का लाभ सीखने को मिला ।
सभी स्टालों के बीच आमने-सामने की प्रतियोगिता थी, जिसमें दर्शकों के वोट आ रहे थे। संकाय सदस्यों सहित सभी शिक्षकों ने आठ स्टालों पर आकर्षक उत्पाद देखे जिनमें स्वस्थ खाद्य उत्पादों और एनर्जी बार के साथ एक स्टॉल ‘ENERBRE’ ने भीड़ का ध्यान खींचा क्योंकि सस्ती कीमत पर यह उत्पाद स्वास्थ्य और स्वाद में भी अच्छी रही ।
जेडी बिड़ला संस्थान, सेंट जेवियर्स कॉलेज, आशुतोष सहित कई संस्थानों के दर्शक कॉलेज, और श्री शिक्षायतन कॉलेज ने उत्पाद प्रदर्शनी में भाग लिया और मूल्यवान ज्ञान अर्जित किया। किसी उत्पाद की व्यवसाय योजना को क्रियान्वित करते हुए ज्ञान होता है । दर्शक लगातार अपने पसंदीदा स्टॉल के लिए वोट कर रहे थे। एक घंटे के अंतराल में लोग लगातार मतदान कर रहे थे। कार्यक्रम की समाप्ति पर हो सभी मतों की गिनती के बाद परिणामों की घोषणा की गई। सभी विजेताओं को प्रभारी शिक्षक डॉ सुभब्रत गांगुली ने सम्मानित किया।
श्लोक राय, ईशा दासगुप्ता, साची दुगर, माधव नंद गर्ग और राघव अग्रवाल के साथ टीम 7 आयोजक उर्वी बाजोरिया को उनके उल्लेखनीय विचार ‘कैश द ट्रैश’ तृतीय स्थान मिला। उन्होंने एक एटीएम बॉक्स बनाया था जहांँ एक उपभोक्ता डिब्बे में कचरा डालेगा और बदले में नकद या कूपन प्राप्त करेगा। इस नये विचार ने युवाओं में उत्पाद में रुचि दिखाई और साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रोत्साहित भी किया।
अदा बक्स, अनुषा अकबर, ईशा जेन गोम्स, इशिता देबनाथ, सरबोनी के साथ टीम 1आयोजक महक के साथ चंदा और ऋचा पोद्दार ने अपनी रचनात्मक उत्पाद के लिए द्वितीय स्थान हासिल किया। ‘दिलुवा’, जिसमें महिलाओं और पुरुषों के कपड़ों पर लगे लिए दाग-धब्बों को आसानी से हटाए जाने वाला उत्पाद का प्रदर्शन किया गया। इससे उत्पाद की वास्तविकता और लागत प्रभावी लगी। अंत में, प्रियंका डेज, आयुषी बिलाखिया, नंदिनी के साथ टीम 6 ने पहला स्थान हासिल किया । चौधरी, विश्वेश सिंह, अमन झा आयोजक अंकिता चक्रवर्ती के साथ उनके अभूतपूर्व उत्पाद का प्रदर्शन किया जिसमें बेकार प्लास्टिक से ईंधन पेट्रोल बनाने का काम था और इसकी संरचना ने सभी को चकित कर दिया।
इस प्रदर्शनी में आने वाले में दर्शकों की बहुत बड़ी भूमिका रही क्योंकि उन्होंने प्रत्येक उत्पाद का विश्लेषण किया और फिर मतदान किया गया।
यह व्यापार मेला बाजार के रूप में पेश किया गया जिसने दर्शकों को बहुत ही प्रभावित किया।उन्होंने अपने स्टाल को इस तरह सजाया कि यह उनके उत्पाद के बारे में बात करे और उनकी स्थापना की। उपस्थिति सफलतापूर्वक की जिसने भीड़ को आकर्षित किया। इवेंट मैनेजमेंट द्वारा किए गए अथक प्रयासों के कारण आयोजन सफल रहा। शिक्षक समन्वयक प्रो कौशिक बनर्जी और छात्र अध्यक्ष देवज्योति बनर्जी और माधव मोहता रहे । इस आयोजन को सफल बनाने में इवेंट मैनेजमेंट सोसायटी का भी योगदान रहा। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

अमेरिका-भारत संबंधों के 75 साल पूरे होने पर वीडियो सन्देश

कोलकाता । अमेरिका-भारत संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय डायस्पोरा दिग्गजों के साथ शामिल हुआ। भारत में अमेरिकी मिशन (नयी दिल्ली में दूतावास और मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में महावाणिज्य दूतावास सहित) ने आज अमेरिका-भारत संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए एक स्टार-स्टडेड वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें कुछ सबसे अधिक भागीदारी के साथ अमेरिका में प्रतिष्ठित और निपुण भारतीय अमेरिकी और भारतीय, जिनका उल्लेखनीय योगदान पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीयों की यात्रा को दर्शाता है। पूरा वीडियो ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर देखा जा सकता है।

वीडियो देखें – अमेरिका – भारत सम्बन्धों के 75 वर्ष पूरे

चार्ज डी अफेयर्स पेट्रीसिया लैसीना ने कहा: “अमेरिका-भारत साझेदारी के मूल में व्यक्तिगत अमेरिकियों और भारतीयों के बीच अनगिनत व्यक्तिगत मित्रताएं हैं, जब वे एक साथ अध्ययन करते हैं, काम करते हैं, रहते हैं और सीखते हैं। इस वीडियो के योगदानकर्ता अपने-अपने क्षेत्र के प्रयास के शिखर पर खड़े हैं, इन लोगों से लोगों के बीच संबंधों ने हमारे दोनों देशों को फलने-फूलने में मदद करने के कई तरीकों पर प्रकाश डाला है। ”

कविता कथा कारवां’ के पश्चिम बंगाल शाखा की कार्यसमिति का गठन

लक्ष्मी शर्मा

सिलीगुड़ी। आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए उनके विचारों को, उनकी लेखनी को, एक बड़ा मंच देने के लिए सिलीगुड़ी के मैथिबाड़ी में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान ‘कविता कथा कारवां’ के पश्चिम बंगाल शाखा की कार्य समिति का गठन किया गया। इस विशेष बैठक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता कथा कारवा के कदम दर कदम मिलाते हुए पश्चिम बंगाल में किस तरह से शैक्षिक, सामाजिक, साहित्यिक विचारों को आने वाली पीढ़ी के द्वारा आगे लाया जाए इस पर विशेष चर्चा की गयी। इसमें महत्वपूर्ण कुछ निर्णय लिए गए इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य नवलेखन को मंच प्रदान करना, नए लेखकों को कारवां प्रकाशन के सहयोग से पुस्तकों के प्रकाशन हेतु सहायता प्रदान, हिंदी साहित्य जगत में युवाओं को नया मंच प्रदान करना इन सभी पहलुओं पर विचार विमर्श किए गए। साथ ही यह भी बताया गया कि कविता कथा कारवां के अतुलनीय सहयोग के माध्यम से विद्यार्थियों में कला और साहित्यिक अभिरुचि को बढ़ावा देगी यह संस्था हिंदी बंगला और नेपाली भाषा की उन्नति के लिए भी कार्य करेगी। कविता कथाकार संस्था के कार्यसमिति में संरक्षक के पद पर डॉ श्याम सुंदर अग्रवाल उपाध्यक्ष के पद पर डॉ वंदना गुप्ता ,सचिव के पद पर डॉ अजय कुमार साव, उप सचिव के पद पर श्रीमती अर्चना शर्मा , कोषाध्यक्ष के पद पर कर्नल तरुण तिवारी, सह कोषाध्यक्ष के पद पर सोनी केड़िया, समिति के सलाहकार के पद पर प्रतिमा जोशी ,आशा गुप्ता , साथ ही मीडिया प्रभारी के के पद पर किरण अग्रवाल, पूनम चौधरी , प्रेरणा यादव तथा संयोजक के रुप में मनोज विश्वकर्मा, सह संचिता देवनाथ, रुबी प्रसाद, भारती बिहानी को नियुक्त किया गया।

इस अवसर पर कविता कथा कारवां की नवगठित कार्यसमिति की उपाध्यक्ष डॉ वंदना गुप्ता ने बताया कि अवसर सभी को मिलना चाहिए और वह अवसर देने के लिए ही हमारे इस कार्य समिति का गठन हुआ है। हम स्कूली बच्चों व कॉलेज छात्रों सहित युवा पीढ़ी को साहित्य, संस्कृति को लेकर मंच पर कुछ अलग कर दिखाने की प्रतिभा को लेकर काम करेंगे व उन्हें प्रोत्साहित करेंगे आगे लाएंगे। वह चाहे फिर लेखन का कार्य हो या कोई नाटक मंचन हो या संस्कृति से जुड़ी साहित्य या पुस्तक लेखन से जुड़ी कोई भी प्रतिभा हो। हमारी यह संस्था नेपाली, बांग्ला एवं हिंदी सभी साहित्य को बढ़ावा देगी। उप सचिव अर्चना शर्मा ने विश्वास जताया कि आगे जाकर संस्था नवयुग को गढ़ने में मील का पत्थर साबित होगी। वहीं नारी शक्ति के रूप में जानी जाने वाली प्रतिमा जोशी ने बताया कि आज संस्था के गठन से हमारे कदम बढ़े हैं। एक सपना और एक नई उड़ान को लेकर बहुत जल्द सांस्कृतिक जगत में यह हमारी नई पीढ़ी के लिए नये भविष्य का निर्माण करेगा।संयोजक के रुप में मनोज विश्वकर्मा, सह संचिता देवनाथ, रुबी प्रसाद, भारती बिहानी उपस्थित थे।

हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष – इस मंदिर में पत्नी संग विराजमान हैं श्री हनुमान

हनुमान जन्मोत्सव का पर्व इस साल आज यानी 16 अप्रैल को मनाया जा रहा है। कहा जाता है हनुमान जी ब्रह्मचारी रहे और उन्होंने कभी विवाह नहीं किया लेकिन उनका विवाह भी हुआ था। जी हाँ, सुनकर आपको आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है। जी दरअसल हनुमान के विवाह से जुड़ी एक बेहद रोचक कथा पराशर संहिता में है। इस कथा के अनुसार भगवान हनुमान का विवाह हुआ था। केवल यही नहीं बल्कि उनका एक मंदिर भी मौजूद हैं और इस मंदिर में वह अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। जी हाँ और इस मंदिर में उनके वैवाहिक रूप में उनकी पूजा की जाती है। अब हम आपको बताते हैं उनके विवाह से जुडी कथा।

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पौराणिक कथा- पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी सूर्व देव से विद्या हासिल कर रहे थे। सूर्य देव के पास 9 विद्याएं थीं। सूरज ने उन्हें 9 में से 5 विद्याएं सीखा दी, लेकिन बाकी बची विद्याओं को हासिल करने के लिए विवाहित होना जरूरी था। इसके बिना वह ये विद्याएं प्राप्त नहीं कर सकता थे। तब हनुमान जी के सामने परेशानी खड़ी हो गई। वे बाल-ब्रह्मचारी थे। इस समस्या का सूर्य देव ने हल निकाला। उन्होंने अपनी शक्ति से एक कन्या को जन्म दिया। जिसका नाम सुर्वचला था। सूर्य देव ने बजरंगबली को कहा कि ने सुर्वचला से शादी कर लें। सूर्य देव ने कहा कि सुर्वचला से विवाह के बाद भी हनुमान ब्रह्मचारी रहेंगे, क्योंकि शादी के बाद सुर्वचला तपस्या में लीन हो जाएगी। पवनपुत्र से विवाह के बाद सुर्वचला तपस्या में चली गई। इस तरह श्रीराम भक्त के ब्रह्मचर्य में कोई रुकावट नहीं आई।

यह भी पढ़ें – महाराष्ट्र का ऐसा हनुमान मंदिर जहां पूजा करती हैं एक महिला पुजारी 

आप सभी को बता दें कि हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मंदिर तेलंगाना के खम्मम जिले में स्थित है। जी हाँ और यह दुनिया में एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान हनुमान अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। कहा जाता है इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भक्त बजरंगबली और उनकी पत्नी सुर्वचला के दर्शन करता है, उसके वैवाहिक जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी के साथ ही परिवार में प्रेम बना रहता है।

(साभार – न्यूज ट्रैक लाइव)

अम्बेडकर जयंती : हिन्दी दलित साहित्य पर संगोष्ठी आयोजित

कोलकाता । कोलकाता की प्रतिष्ठित संस्था भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत अम्बेडकर जयंती के अवसर पर “हिंदी दलित साहित्य:कुछ प्रश्न ” विषय पर  व्याख्यान और कविता पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘हिंदी दलित साहित्य: कुछ प्रश्न’ विषय पर खिदिरपुर कॉलेज की अध्यापिका डॉ इतु सिंह ने कहा कि अम्बेडकर हर मोर्चे पर समानता और स्वीकार्यता के लिए लडते हैं। राजनीति, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में हाशिये की आवाज को केंद्र में लाने की कोशिश करते हैं। हिंदी का दलित साहित्य अनकहे समाज के कहने का साहित्य है।
आज हमें सिर्फ उन्हें याद करने की नहीं बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। स्कॉटिश चर्च कॉलेज की अध्यापिका डॉ गीता दूबे ने कहा कि दलित लेखन को कला की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। बस यह देखना चाहिए कि वे जो कह रहे हैं, वह सच है या नहीं। इस विपुल साहित्य में अभी और बहुत कुछ लिखा जाना बाकी है। जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक दलित जीवन की पीड़ा का सच जीवित रहेगा। हमें दलित साहित्य को शोषण के साहित्य से ज्यादा सामाजिक उपेक्षा से उपजे दर्द के रूप में देखने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि दलित साहित्य का वजूद है और इसे हम सभी को समझना पड़ेगा। दलित लेखन भले ही भाषा की दृष्टि से कच्ची है लेकिन अपने अंदर विशिष्ट अनुभवों को समेटे हुआ है और बतौर मुख्य अतिथि गजलकार विनोद प्रकाश गुप्त’शलभ’ ने अपनी गजलें सुनाते हुए कहा  कि अंबेडकर आज भी  प्रासंगिक हैं। उन्होंने भेदरहित समाज का सपना देखा। कवि सप्तक के अंतर्गत वरिष्ठ कवि राज्यवर्धन, जीवन सिंह, मनीषा गुप्ता, शिव प्रकाश दास, पंकज सिंह, तृषांणिता बनिक और राजेश सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर कवि उमरचंद जायसवाल, श्रीरामनिवास द्विवेदी, मृत्युंजय, सेराज खान बातिश,अल्पना नायक,संजय दास,सुशील पांडे,आदित्य गिरि,दिनेश बडेरा सहित बड़ी संख्या में साहित्य और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। साहित्य संवाद उद्घाटन संदेश में डॉ कुसुम खेमानी ने कहा कि हमारा यह मंच  एक सृजनात्मक लोकतांत्रिक मंच है। हम सभी इस यात्रा में सहयात्री हैं। संदेश का पाठ संस्था के सचिव डॉ केयूर मजमूदार ने किया। स्वागत वक्तव्य देते हुए संस्था के संयुक्त संजय जायसवाल ने कहा कि साहित्य संवाद का मंच सृजन,संवाद और सहयात्रा का मंच है। हम सृजनात्मक ,सह्दय और लोकतांत्रिक होकर ही अंबेडकर के सपनों को पूरा कर पाएंगे।कार्यक्रम का सफल संचालन मधु सिंह और धन्यवाद ज्ञापन सुरेश शॉ ने दिया।

सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले 24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर

– डॉ. वसुंधरा मिश्र

भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर थे। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार वर्ष पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली गणराज्य के कुण्डग्राम में अयोध्या इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उन्हें कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया।
72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुणिक और चेटक भी शामिल थे। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है।

जैन ग्रन्थों के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गयी है। भगवान महावीर वर्तमान अवसर्पिणी काल की चौबीसी के अंतिम तीर्थंकर थे और ऋषभदेव पहले। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो हैं – अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) ,ब्रह्मचर्य। उन्होंने अनेकांतवाद, स्यादवाद और अपरिग्रह जैसे अद्भुत सिद्धान्त दिए।
महावीर के सर्वोदयी तीर्थों में क्षेत्र, काल, समय या जाति की सीमाएँ नहीं थीं।
भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। दुनिया की सभी आत्मा एक-सी हैं इसलिए हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसन्द हो। यही महावीर का ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धान्त है।
भगवन महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के कुण्डग्राम में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को हुआ था। ग्रंथों के अनुसार उनके जन्म के बाद राज्य में उन्नति होने से उनका नाम वर्धमान रखा गया था।
जैन ग्रंथ उत्तरपुराण में वर्धमान, वीर, अतिवीर, महावीर और सन्मति ऐसे पांच नामों का उल्लेख है। इन सब नामों के साथ कोई कथा जुडी है। जैन ग्रंथों के अनुसार, २३वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद इनका जन्म हुआ था।

दिगम्बर परम्परा के अनुसार महावीर बाल ब्रह्मचारी थे। भगवान महावीर शादी नहीं करना चाहते थे क्योंकि ब्रह्मचर्य उनका प्रिय विषय था। भोगों में उनकी रुचि नहीं थी। परन्तु इनके माता-पिता शादी करवाना चाहते थे। दिगम्बर परम्परा के अनुसार उन्होंने विवाह के लिए मना कर दिया था।
श्वेतांबर परम्परा के अनुसार भगवान महावीर का विवाह यशोदा नामक सुकन्या के साथ सम्पन्न हुआ था और कालांतर में प्रियदर्शिनी नाम की कन्या उत्पन्न हुई जिसका युवा होने पर राजकुमार जमाली के साथ विवाह हुआ।

भगवान महावीर का साधना काल १२ वर्ष का था। दीक्षा लेने के उपरान्त भगवान महावीर ने दिगम्बर साधु की कठिन चर्या को अंगीकार किया और निर्वस्त्र रहे।
श्वेतांबर सम्प्रदाय जिसमें साधु श्वेत वस्त्र धारण करते है के अनुसार भी महावीर दीक्षा उपरान्त कुछ समय छोड़कर निर्वस्त्र रहे और उन्होंने केवल ज्ञान की प्राप्ति भी दिगम्बर अवस्था में ही की।
अपने पूरे साधना काल के दौरान महावीर ने कठिन तपस्या की और मौन रहे। इन वर्षों में उन पर कई ऊपसर्ग भी हुए जिनका उल्लेख कई प्राचीन जैन ग्रंथों में मिलता है।

महावीर के पाँच व्रत इस प्रकार हैं – –
सत्य ― सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है।
अहिंसा – इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और पाँच इंद्रीयों वाले जीव) है उनकी हिंसा मत कर, उनको उनके पथ पर जाने से न रोको। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो। यही अहिंसा का संदेश भगवान महावीर अपने उपदेशों से हमें देते हैं।
अचौर्य – दूसरे के वस्तु बिना उसके दिए हुआ ग्रहण करना जैन ग्रंथों में चोरी कहा गया है।
अपरिग्रह – परिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता। यही संदेश अपरिग्रह का माध्यम से भगवान महावीर दुनिया को देना चाहते हैं।
ब्रह्मचर्य- महावीर स्वामी ब्रह्मचर्य के बारे में अपने बहुत ही अमूल्य उपदेश देते हैं कि ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। तपस्या में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तपस्या है। जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।

जैन मुनि, आर्यिका इन्हें पूर्ण रूप से पालन करते है, इसलिए उनके महाव्रत होते है और श्रावक, श्राविका इनका एक देश पालन करते है, इसलिए उनके अणुव्रत कहे जाते है।
जैन ग्रंथों में दस धर्म का वर्णन है। पर्युषण पर्व, जिन्हें दस लक्षण भी कहते है के दौरान दस दिन इन दस धर्मों का चिंतन किया जाता है।

क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूँ। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा माँगता हूँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूँ।’

वे यह भी कहते हैं ‘मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तियों का संकल्प किया हो, वचन से जो-जो पाप वृत्तियाँ प्रकट की हों और शरीर से जो-जो पापवृत्तियाँ की हों, मेरी वे सभी पापवृत्तियाँ विफल हों। मेरे वे सारे पाप मिथ्या हों।’

धर्म सबसे उत्तम मंगल है। अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। महावीरजी कहते हैं जो धर्मात्मा है, जिसके मन में सदा धर्म रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।

भगवान महावीर ने अपने प्रवचनों में धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था।

129 वीं अम्बेडकर जयन्ती – ज्ञान और समानता का सन्देश देने वाले बाबा साहेब अम्बेडकर

डॉ. वसुंधरा मिश्र

डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जिन्हें डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म दिन 14 अप्रैल को पर्व के रूप में भारत समेत पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन को ‘समानता दिवस’ और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंंकि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले अम्बेडकर को समानता और ज्ञान के प्रतीक माना जाता है। अम्बेडकर को विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन संविधान निर्माता और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। अम्बेडकर की पहली जयंती 14 अप्रैल 1928 में पुणे नगर में मनाई थी।
अम्बेडकर के जन्मदिन पर हर साल उनके करोड़ों अनुयायी उनके जन्मस्थल भीम जन्मभूमि महू (मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर, उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई जैसे कई स्थानीय जगहों पर उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। विश्व के 100 से अधिक देशों में अम्बेडकर जयन्ती मनाई जाती है।

संयुक्त राष्ट्र नेे भीमराव अम्बेडकर को “विश्व का प्रणेता” कहकर उनका गौरव किया। संयुक्त राष्ट्र के ७० वर्ष के इतिहास में वहांँ पहली बार किसी भारतीय व्यक्ति का जन्मदिवस मनाया गया था। उनके अलावा विश्व में केवल दो ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी जयंती संयुक्त राष्ट्र ने मनाई हैं – मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला। आंबेडकर, किंग और मंडेला ये तीनों व्यक्ति अपने अपने देश में मानवाधिकार संघर्ष के सबसे बडे नेता के रूप में जाने जाते हैं। डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर जी उनमें से एक है जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना अहम योगदान दिया था

पूरे भारत भर में गाँव, नगर तथा छोटे-बड़े शहरों में जुनून के साथ आंबेडकर जयन्ती मनायी जाती है। महाराष्ट्र में अम्बेडकर जयन्ती बडे पैमाने पर मनाई जाती है। अधिकांश रूप से अम्डबेकर जयंती भारत में मनाई जाती है, भारत के हर राज्य में, राज्य के प्रत्येक जनपद में और जनपद के लाखों गाँवों में मनाई जाती हैं। भारतीय समाज, लोकतन्त्र, राजनीति एवं संस्कृति पर आंबेडकर का गहरा प्रभाव पड़ा हैं। सौ से अधिक देशों में हर वर्ष डॉ. आंबेडकर जी की जयन्ती मनाई जाती हैं।

 बेकार पड़ी चीजों से सजाएं अपना घर

अगर आपके पास घर पर पुरानी चीजें पड़ी हैं, जो कि किसी काम की नहीं हैं तो उनको बेकार समझकर फेंकिए मत बल्कि उनका इस्तेमाल सजावट की चीजें बनाने के लिए करें। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप घर पर पड़ी पुरानी चीजों से अपना घर सजाने के लिए क्रिएटिव चीजें बना सकते हैं।

घर को सजाने के लिए आप पुराने बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं

अगर आपके पास घर पर कोई भी पुराना बैग पड़ा है तो उसको फेंकिए मत क्योंकि आप उस पर अपनी कोई भी मनपसंद फोटो लगाकर उसको अपने घर की दीवार पर सजा सकते हैं। आप चाहें तो ढेर सारे बैग लेकर इनकी मदद से वर्टिकल गार्डन भी तैयार कर सकते हैं।
आप पुराने टायरों का इस्तेमाल भी सजानट के लिए कर सकते हैं
अगर आपके घर में गाड़ी का पुराना पुराना टायर पड़ा है या आपकी गाड़ी का टायर खराब हो गया है तो इनका इस्तेमाल आप बैठने के लिए कर सकते हैं या बगीचा सजाने के लिए कर सकते हैं। इन्हीं टायरों का आप टेबल भी बना सकते हैं। अगर आप इनको गाढे़ और चटक रंगों से सजाएंगे तो यह बेहद खूबसूरत लगेंगे, आप चाहे तो इनमें मिट्टी भरकर इनमें फूल वाले पौधे भी सजा सकते हैं। आप इनको कवर लगाकर सोफे की तरह दालान में भी सजा सकते हैं।


पुराने बक्से से घर सजाएं
आप घर पर पड़े पुराने बक्सों का इस्तेमाल अपने घर की इंटीरियर डैकोरेशन के लिए कर सकते हैं। इससे आपके घर को एैंटिक लुक मिलेगा, आप इन पुराने बक्सो पर पेटिंग करके इन्हें घर के कोने में सजा सकते हैं या फिर मैटल वर्क करवाकर इसे आकर्षक लुक दे सकते हैं, और फिर इनपर गद्दा बिछाकर इन्हें बैठने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
पुरानी कांच की बोतलें सजाएंगी घर
घर पर पड़ी पुरानी कांच की बोतले भी सजावट का काम दे सकती हैं। घर पर पड़ी पुरानी ऊन और फेवीकोल की सहायता से आप इनको नया लुक दे सकते हैं और इनका इस्तेमाल फूलदान की तरह कर सकते हैं।

(सभी चित्र गूगल से)

गर्मी में रखें खुद को ठंडा और तरोताजा

गर्मियों ने अप्रैल के महीने में ही अपना कहर बरपाना शुरु कर दिया है। आप अगर इन दिनों में दोपहर के समय कहीं किसी काम से भी बाहर जाते हैं तब आप इन दिनों में लू की चपेट में आ सकते हैं। यहां हम आपको इस भयंकर गर्मी से बचने के कुछ उपाय बताने जा रहें हैं…

प्रोटीन युक्त आहार से बचें
गर्मियों के दौरान प्रोटीन से भरपूर भोजन को अपने आहार में ज्यादा मात्रा में शामिल करने से मेटाबॉलिक गर्मी बढ़ सकती है और शरीर गर्म हो सकता है। विभिन्न प्रकार के बेरी से बने प्रोटीन युक्त शेक आज़माएं, ताकि आपको आवश्यक प्रोटीन मिल सके और साथ ही आपके शरीर को ज़्यादा गरम होने से बचाया जा सके।

अपने कॉस्मेटिक्स और क्रीम को ठंडा करें
अपने लोशन, मॉइस्चराइज़र और क्रीम को रेफ्रिजरेटर में रखना एक अच्छा विचार है। पहले तो ये जल्दी खराब नहीं होंगे दूसरा आपकी स्किन पर एक रिफ्रेशिंग सेंसेशन पैदा करेंगे।

गर्म पानी की बोतल इस्तेमाल करें
इस बात से इतना चौंके नहीं यहां हम आपको सिर्फ गर्म पानी की बोतल का इस्तेमाल करने के लिए कह रहें हैं न कि गर्म पानी का प्रयोग करने के लिए। एक गर्म पानी के बोतल लें और उसमें ठंडा पानी भर लें। इसे अपने घुटनों के नीचे रखें, और ठंडक का आनंद लें, क्योंकि यह आपके पूरे शरीर में फैलती है।

मिंट का इस्तेमाल करें
पुदीने या फिर मिंट एक किस्म का भ्रम पैदा करने में सक्षम हैं जो आपको ठंडक का एहसास कराती है जब आप चिलचिलाती गर्मी में हों। यह एक अच्छा विचार है, भोजन के बाद पुदीना खाना; अपने हाथों पर मिंट एयर फ्रेशनर छिड़कें, अपने पानी में पुदीने की पत्तियां डालें और यहां तक कि ठंडे स्नान के बाद अपने शरीर पर कुछ पेपरमिंट एसेंशियल ऑयल भी लगाएं। इससे आपको ठंडक महसूस होगी।

हाइड्रेटेड रहें
गर्मियों हाइड्रेटेड रहना कितना जरूरी है इस बात को हमें आपको बतानें की जरूरत नहीं है। सुनिश्चित करें कि आपके शरीर में पानी की कमी नहीं है। गर्मी में पसीने के रूप में हमारे शरीर से बहुत पानी बह जाता है, इसलिए नियमित रूप से पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखें। अत्यधिक परिस्थितियों में डिहाईड्रेशन गंभीर कमजोरी, थकान और अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है।

उपयुक्त कपड़े पहनें
गर्मियों में सूरज आपके ऊपर कहर बरपा रहा होता है ऐसे में आपको उसी के अनुसार कपड़े पहनने चाहिए। अन्य सामग्री के बजाय सूती कपड़े चुनें, क्योंकि यह बेहद हल्का और शोषक होता है। साथ ही, हल्के रंगों का प्रयोग करें, क्योंकि गहरे रंगों में गर्मी को अवशोषित करने की प्रवृत्ति होती है, जबकि हल्के रंग सूर्य के विकिरण को दर्शाते हैं।