नयी दिल्ली । भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) निवेशकों का पैसा निकालने के लिए गोल्डन लाइफ एग्रो इंडिया लिमिटेड और सनशाइन एग्रो इंफ्रा लिमिटेड की पांच संपत्तियों की नीलामी करेगा। यह नीलामी 16 जून को की जाएगी। इन संपत्तियों के लिए आरक्षित मूल्य 11.5 करोड़ रुपये रखा गया है।।
सेबी के अनुसार, दोनों कंपनियों ने नियामकीय मानदंडों का पालन किए बिना निवेशकों से धन जुटाया था। बाजार नियामक ने बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा कि इस नीलामी के लिए रखी गई संपत्तियों में कुछ जमीन के टुकड़े और पश्चिम बंगाल में स्थित एक दो-मंजिला इमारत शामिल है।
सेबी ने गोल्डन लाइफ एग्रो इंडिया और सनशाइन एग्रो इंफ्रा और उनके निदेशकों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई के तहत इन संपत्तियों की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। इन संपत्तियों की नीलामी 16 जून, 2022 को सुबह 10.30 से 11.30 बजे के दौरान ऑनलाइन माध्यम से की जाएगी।
नीलामी के लिए रखी जा रही पांच संपत्तियों में से तीन गोल्डन लाइफ एग्रो इंडिया की हैं और शेष दो सनशाइन एग्रो इंफ्रा से संबंधित हैं। इन संपत्तियों का कुल आरक्षित मूल्य 11.53 करोड़ रुपये रखा गया है। वहीं क्विकर रियल्टी को ई-नीलामी सेवा प्रदाता के रूप में नियुक्त किया गया है।
सेबी 16 जून को गोल्डन लाइफ एग्रो, सनशाइन एग्रो इंफ्रा की संपत्तियों की नीलामी करेगा
सरकार ने इस वर्ष चीनी निर्यात की सीमा एक करोड़ टन तय की
विशेष अनुमति लेकर ही हो सकेगा निर्यात
नयी दिल्ली । केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि चीनी की घरेलू स्तर पर उपलब्धता और दरों में स्थिरता बनाए रखने के लिए उसने चालू विपणन वर्ष में इसके निर्यात को एक करोड़ टन तक सीमित करने के लिए अधिसूचना जारी की है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस बाबत 24 मई की रात को एक अधिसूचना जारी की जिसके मुताबिक एक जून, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चीनी के निर्यात की अनुमति खाद्य मंत्रालय के तहत चीनी निदेशालय की विशिष्ट अनुमति के साथ दी जाएगी।
चालू विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए करीब 90 लाख टन के निर्यात के लिए अनुबंध किए जा चुके हैं, चीनी मिलों से करीब 82 लाख टन चीनी निर्यात के लिए निकाली जा चुकी है और करीब 78 लाख टन का निर्यात किया जा चुका है।
खाद्य मंत्रालय के मुताबिक यह निर्णय चीनी के रिकॉर्ड निर्यात की पृष्ठभूमि में लिया गया है। विपणन वर्ष 2021-22 में चीनी का निर्यात ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर पहुंच गया था। 2020-21 में निर्यात 70 लाख टन और 2019-20 में 59.6 लाख टन था।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘चीनी निर्यात अभूतपूर्व तरीके से बढ़ने के मद्देनजर और देश में चीनी का पर्याप्त भंडार बनाए रखने, देश में चीनी के दाम बढ़ने से रोकने और देश के आम नागरिकों की हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने एक जून 2022 से चीनी के निर्यात का नियमन करने का फैसला लिया है।’’
इस बयान में कहा गया कि चीनी मिलों और निर्यातकों को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में चीनी निदेशालय से निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) के रूप में मंजूरी लेनी होगी। इस फैसले से सुनिश्चित होगा कि सितंबर 2022 की समाप्ति तक चीनी का भंडार 60-65 लाख टन बना रहे जो घरेलू स्तर पर दो से तीन महीने के लिए जरूरी भंडार है।
मंत्रालय ने कहा कि 31 मई तक चीनी निर्यात की इजाजत होगी। उसने कहा कि सरकार चीनी क्षेत्र में उत्पादन, उपभोग, देश भर के थोक और खुदरा बाजारों में निर्यात और कीमतों पर लगातार नजर रख रही है।
चालू वर्ष में भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
10 करोड़ से ऊपर हुए विस्थापित : संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी
बर्लिन । संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने कहा कि संघर्ष, हिंसा, मानवाधिकारों के उल्लंघन और उत्पीड़न से बचने के लिए दुनियाभर में 10 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
एजेंसी ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के कारण लाखों लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैंडी ने कहा, ‘‘विस्थापित लोगों की संख्या 10 करोड़ से पार हो गई है। यह एक रिकॉर्ड है जो कभी नहीं बनना चाहिए था।’’
यूएनएचसीआर ने कहा कि इथियोपिया, बुर्किना फासो, म्यांमा, नाइजीरिया, अफगानिस्तान और कांगो सहित कई देशों में हिंसा या संघर्ष की घटनाओं के कारण 2021 के अंत तक दुनियाभर में विस्थापित लोगों की संख्या नौ करोड़ तक पहुंच गई थी। यूक्रेन में युद्ध के कारण छह लाख से अधिक लोगों को देश छोड़ना पड़ा है।
ओडिशा की नर्स को फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड
बरहमपुर । ओडिशा के बरहमपुर में बने सरकारी एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की नर्सिंग अधिकारी शिबानी दास तथा पश्चिम बंगाल के एक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत नर्स स्मिता कर को 2021 के राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवॉर्ड के सम्मानित किया जाएगा। अस्पताल के एक अधिकारी ने गत सोमवार को इसकी सूचना दी। सर्वोच्च नर्सिंग पुरस्कार को लेकर चुनी गई स्मिता कर पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के फलकता ब्लॉक के तसाती चाय बागान में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत हैं। शिबानी दास एवं स्मिता कर को भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) द्वारा स्थापित देश के सर्वोच्च नर्सिंग सम्मान के लिए चयनित किया गया है। एमकेसीजी अस्पताल के अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र के अनुसार पचास वर्षीय शिबानी दास को भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) द्वारा उनकी सेवाओं को लेकर खास तौर से कोविड महामारी के दौरान उनकी सेवाओं के लिए सर्वोच्च नर्सिंग पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। ये उनके समर्पण को दर्शाता है। दूसरी ओर नौकरी समाप्त होने के बाद आदिवासी समाज में जागरूकता फैलाने के लिए स्मिता कर को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है.
वेश्यावृत्ति को सुप्रीम कोर्ट ने माना पेशा, कानूनी मान्यता देने को कहा
अब पुलिस नहीं कर सकेगी परेशान
यौनकर्मियों और उनके बच्चों से समानता का निर्देश
नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस बलों को यौनकर्मियों और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि इस देश में सभी व्यक्तियों को जो संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं। उसे उन अधिकारियों द्वारा ध्यान में रखा जाए जो अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत कर्तव्य निभाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशा मानते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़ित किसी भी यौनकर्मी को कानून के अनुसार तत्काल चिकित्सा सहायता सहित यौन उत्पीड़न की पीड़िता को उपलब्ध सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। पीठ ने कहा, यह देखा गया है कि यौनकर्मियों के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है। ऐसा लगता है कि वे एक वर्ग हैं जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है।
यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने आगे कहा, ‘पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को यौनकर्मियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। जिन्हें सभी नागरिकों को संविधान में प्रदत्त सभी बुनियादी मानवाधिकार और अन्य अधिकार प्राप्त हैं। पुलिस को सभी यौनकर्मियों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए और उनके साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। उनके साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए या उन्हें किसी भी यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
मीडिया के लिए भी निर्देश जारी करने की दी सलाह
अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय प्रेस परिषद से मीडिया के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी, छापेमारी और बचाव अभियान के दौरान यौनकर्मियों की पहचान उजागर न हो। चाहे वे पीड़ित हों या आरोपी हों और ऐसी किसी भी तस्वीर का प्रसारण या प्रकाशन नहीं हो जिसके परिणामस्वरूप उनकी पहचान का खुलासा हो।
आश्रय गृहों का सर्वेक्षण करने का भी निर्देश
इसने राज्य सरकारों को आश्रय गृहों का सर्वेक्षण करने का भी निर्देश दिया ताकि वयस्क महिलाओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लेने के मामलों की समीक्षा की जा सके और समयबद्ध तरीके से रिहाई के लिए कार्रवाई की जा सके। शीर्ष अदालत ने यौनकर्मियों के पुनर्वास के लिए गठित एक समिति की सिफारिशों पर यह निर्देश दिया। शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण यौनकर्मियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को उठाया गया था।
विज्ञापनों में किसी का मजाक उड़ाना पड़ेगा भारी, होगी कार्रवाई
नयी दिल्ली । देश में विज्ञापनों की निगरानी रखने वाली संस्था भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने नये नियम लागू किए हैंइन नियमों के मुताबिक, किसी भी विज्ञापन में शरीर का आकार, उम्र , शारीरिक और मानसिक स्थितियों से जुड़े किसी भी भेदभाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विज्ञापन मानक के नियमों का दायरा बढ़ा
विज्ञापन उद्योग के स्व-नियामक निकाय एएससीआई ने कहा कि विज्ञापन मानक के नियमों का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब विज्ञापन पॉलिसी के उल्लंघन के नियम में नस्ल, जाति, स्त्री-पुरूष भेदभाव या राष्ट्रीयता के आधार पर किसी का उपहास करना शामिल है। हालांकि ये नियम पहले से लागू थे लेकिन अब इनका दायरा बढ़ा दिया गया है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘अब इसमें लिंग पहचान, यौन आकर्षण, शरीर का आकार आयु, शारीरिक और मानसिक स्थितियां जैसे संभावित भेदभाव या उपहास को अब संहिता में शामिल किया गया है। इन आधारों पर किसी का मजाक उड़ाने या उपहास करने वाले विज्ञापनों को अब नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।’
नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई
एएससीआई ने कहा कि उसे उभरते हुए समाज और उपभोक्ताओं की बदलती चिंताओं के साथ तालमेल बिठाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विज्ञापन अपेक्षाओं के अनुरूप रहे. अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विज्ञापनों में किसी का मजाक उड़ाना पड़ेगा भारी, होगी कार्रवाई
नयी दिल्ली । देश में विज्ञापनों की निगरानी रखने वाली संस्था भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने नये नियम लागू किए हैं> इन नियमों के मुताबिक, किसी भी विज्ञापन में शरीर का आकार, उम्र , शारीरिक और मानसिक स्थितियों से जुड़े किसी भी भेदभाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विज्ञापन मानक के नियमों का दायरा बढ़ा
विज्ञापन उद्योग के स्व-नियामक निकाय एएससीआई ने कहा कि विज्ञापन मानक के नियमों का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब विज्ञापन पॉलिसी के उल्लंघन के नियम में नस्ल, जाति, स्त्री-पुरूष भेदभाव या राष्ट्रीयता के आधार पर किसी का उपहास करना शामिल है। हालांकि ये नियम पहले से लागू थे लेकिन अब इनका दायरा बढ़ा दिया गया है।
इस आधार पर नहीं उड़ाया जाएगा मजाक
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘अब इसमें लिंग पहचान, यौन आकर्षण, शरीर का आकार आयु, शारीरिक और मानसिक स्थितियां जैसे संभावित भेदभाव या उपहास को अब संहिता में शामिल किया गया है। इन आधारों पर किसी का मजाक उड़ाने या उपहास करने वाले विज्ञापनों को अब नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।’
नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई
एएससीआई ने कहा कि उसे उभरते हुए समाज और उपभोक्ताओं की बदलती चिंताओं के साथ तालमेल बिठाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विज्ञापन अपेक्षाओं के अनुरूप रहे. अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
साहित्यिकी ‘ द्वारा ‘अमृतराय जन्मशताबदी’ पर परिचर्चा ‘
कोलकाता । ‘साहित्यिकी ‘ द्वारा ज़ूम पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृत राय पर एक वर्चुअल गोष्ठी का आयोजन किया गया । संस्था की सचिव मंजु रानी गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन करते हुए साहित्यकार अमृत राय का संक्षिप्त परिचय दिया । गोष्ठी के आरंभ में वाणी श्री बाजोरिया ने अमृत राय के जीवन के विभिन्न आयामों को स्पर्श करते हुए कहा कि अमृत राय कथा सम्राट प्रेमचंद की परंपरा के सशक्त वाहक और वाग्मिता के धनी, एक सक्रिय पार्टी कर्ता,प्रबुद्ध संपादक, कई भाषाओं के जानकार, कहानीकार उपन्यासकार, व्यंग्यकार, नाटककार और अनुवादक रहे हैं। प्रगतिशील विचारधारा ही इनकी कहानियों का आधार है । अतिथि वक्ता संजय जयसवाल ने एक्टिविस्ट बहुआयामी लेखक अमृत राय के प्रतिबद्ध लेखकीय व्यक्तित्व के विविध पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तनाव और असहमतियों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए, वैचारिक प्रतिबद्धता को, उन्होने जीवन मूल्यों से जोड़ा। उनके लेखन की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि वे प्रगतिशील लेखकों का एक परिसर बनाना चाहते थे ताकि मानव विरोधी फासीवादी और सांप्रदायिक तत्वों का मुकाबला किया जा सके। वे अपने समय के बाद के समय को देख रहे थे। प्रो. गीता दूबे ने कहा कि कहीं न कहीं विशिष्ट साहित्यिकार अमृतराय पर प्रेमचंद की पहचान हावी रही और बड़े पिता के पुत्र होने का खामियाजा उनको भुगतना पड़ा। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुसुम जैन ने कहा कि अमृतराय का समाज के प्रति गहरा सरोकार था, उनका साहित्य, समाज और उसकी विसंगतियों से जुड़ा हुआ है। गोष्ठी का सफल संचालन करते हुए रेवा जाजोदिया ने कहा कि उनके लेखन में जीवन की सच्चाई है। वर्चुअल गोष्ठी का तकनीकी पक्ष नूपुर जयसवाल ने संभाला। कार्यक्रम अत्यंत सफल व ज्ञानवर्धक रहा ।
अर्चना संस्था द्वारा स्वरचित ‘काव्यांजलि’ आयोजित
कोलकाता । अर्चना संस्था की सदस्याओं ने ‘काव्यांजलि’ कार्यक्रम में ऑनलाइन स्वरचित रचनाओं और गीतों का पाठ किया। सर्वप्रथम इंदू चांडक ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। कवयित्री मृदुला कोठारी ने सूर्य से संवाद,अरुणिमा आभा लिए साथ में, जब नभ पर आ जाते हो, स्वर्ण कलश तव लिए हाथ में, दिन भर तुम छिड़का ते हो, सुशीला चनानी – कवितायें, क्षणिकायें ( विभिन्न विषय आधारित, भोर की सुरभित बेला में जब चिडिया चहचहाती हैं, ऐसा लगता है जैसे वे, प्रभु को भजन सुनाती हैं, आती है अक्ल, प्रेम विवाह के बाद, प्रेम उड़ जाता परफ्यूम सा,बचा रहता है पतली दाल का स्वाद और सरसी छन्द-चमचम चमके बिजली नभ में, नेताजी तो मिलने आते, पांच साल के बाद, छन्द मुक्त कविता-लावारिसकुत्तों का अधिकार, हिम्मत चोरड़़िया ने दोहे- कीड़ा जो संदेह का, अपनी क्षमता पर कभी, जगह जगह धोखा मिला, पाना चाहो जीत तो, गीत- वंदन ले लो माते मेरा, गजल- चीर दे तूफान को तू हौसलों की धार से, मीना दूगड़ ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति की बखियां उधेड़ते, कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ते ये बहुरूपिया दिवस, उषा श्राफ ने कोरोना का बादल छाया था, इंदू चांडक ने शब्दों केमोती पिरोकर, गूँथती हूँ मैं गीत माला, अहर्निश जिनको है मैंने,भावों के साँचे में ढाला, संगीता चौधरी ने बहे गुरु ज्ञान रसधार, जब भी देखती हूं आईना, सरसी छंद -दीन सुदामा विनय करे है ,अरजी बारम्बार, वसुंधरा मिश्र ने कविता युद्ध और शांति में पिसती कलम सुनाई, शशि कंकानी ने राजस्थान की महिमा-मायड पूत सपूत है जाया।, रण में शीश दान दे आया।, हँस हँस काम देश रे आया।, इण पर वारी जावाॅ।।, कब से दे रही थी चेतावनी,लेकिन तुमने नहीं मानी, बस करते रहे अपनी मनमानी सुनाई। भारती मेहता ने साहित्य ! बड़े चर्चे हैं तुम्हारे, तुम हो सुन्दर, गूढ़ – गम्भीर, दार्शनिक- प्रतिभावान !तुम से मिलने की आरजू दीवानी हुई…देश, भाषा, प्रकृति, सभ्यता और संस्कृति, युद्ध और शांति, शब्दों के मोती, गीत वंदना और छंद लय ताल से युक्त विषयों पर स्वरचित कविताएं सुनाई गईं ।
एसोचेम एडुकेशन समिट में बंगाल का बी – स्कूल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज पुरस्कृत
कोलकाता । एसोचेम द्वारा हाल ही में 15वाँ अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास समिट 2022 नयी दिल्ली में आयोजित किया गया। सम्मेलन में हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एचआईटीके) को शोध के अनुकूल वातावरण विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया। इसके साथ ही हेरिटेज बिजनेस स्कूल को पूर्वी क्षेत्र में प्लेसमेंट का उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए पुरस्कृत किया गया। एसोचेम एडुकेशन समिट 2022 का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने किया। यह पुरस्कार हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ प्रदीप अग्रवाल ने ग्रहण किया। डब्ल्यूबीएसयू के पूर्व वीसी एचआईटीके के प्रिंसिपल प्रो. बासव चौधरी ने शिक्षा, महिला, बाल, युवा एव क्रीड़ा की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य राजेन्द्र अग्रवाल से यह पुरस्कार ग्रहण किया।