Saturday, May 24, 2025
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लव या जिहाद व कागज का टुकड़ा, शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग

कोलकाता । यूट्यूब चैनल शिव जायसवाल फिल्म प्रोडक्शन की ओर से राजार हाट के चिनार पार्क के पार्वती भवन में हाल ही में “लव या जिहाद” और “कागज का टुकड़ा ” दो हिंदी शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई। मौके पर फिल्म के निर्देशक व पटकथा लेखक शिव जायसवाल ने कहा कि प्यार करना कोई गुनाह नहीं है ,यह तो ईश्वर का वरदान है लेकिन प्यार और मोहब्बत साजिश का हिस्सा नहीं होनी चाहिए। धर्मनिरपेक्ष देश भारत में अपनी धार्मिक मान्यताओं के साथ जीना सबका मौलिक अधिकार है। बहन बेटियों को लव जिहाद के साजिशों के प्रति जागरूक करती शॉर्ट फिल्म बनाई है । फिल्म की शूटिंग कोलकाता में हुई है और कोलकाता के जाने माने कलाकारों ने इस फिल्म में अभिनय किया है। भोजपुरी गायिका व अभिनेत्री प्रतिभा सिंह, ए पी आकाश ,अलकरिया हाशमी, डॉ अभिज्ञात ,स्मिथ सिंह, चंदन यादव, संजीव रॉय,सुनील यादव ,निशांत सिंह ,रणधीर साव,राकेश सिंह व शिव जायसवाल ने अभिनय किया। फिल्म की अवधि 25 मिनट है। वहीं दूसरी फिल्म “कागज का टुकड़ा” भी शिव जायसवाल के ही निर्देशन में बनी है । इस फिल्म में एक बूढ़ी महिला के जीवन के घटनाक्रम को दिखाया गया है । । फिल्म में अभिनय करने वाले कलाकार है दादी की भूमिका में सोमा नहा, रघुनंदन जायसवाल की भूमिका में कृष्णा साव,डाकिए की भूमिका में निशांत सिंह और पोस्ट मास्टर की भूमिका में शिव जायसवाल ने जीवन अभिनय किया। कैमरा और एडिटिंग निशांत सिंह ने की है।

मां बनने के बाद आसान बनाएं काम पर वापसी

बच्चे के जन्म के बाद काम पर वापस लौटना इमोशनली और फिजिकली काफी बड़ा बदलाव होता है। साथ ही यह काफी चैलेंजिग भी होता है। कई मांएं एक तय रूटीन की तरफ लौटना और खुलकर जीना चाहती हैं, लेकिन काम पर लौटना अपने साथ हेल्थ से जुड़ी कई सारी समस्याएं भी लेकर आता है, जिस पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता।
पोस्टपार्टम फटीग है प्रमुख समस्या
इन समस्याओं में सबसे आम पोस्टपार्टम फटीग की समस्या है। रात के समय बच्चे को फीड कराने और हमेशा उनकी देखभाल में लगे रहने की वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती, जोकि एनर्जी के स्तर और एकाग्रता पर बहुत बुरा असर डालती है। इसकी वजह से नई मॉम को अच्छी तरह काम करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। अक्सर ऐसा होता है कि यह फटीग या थकान पोस्टपार्टम डिप्रेशन या एंग्जायटी की वजह से और भी बढ़ जाती है। 7 में से 1 महिला इससे प्रभावित होती है और अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो उनके इमोशनल हेल्थ तथा वर्कप्लेस पर उनकी परफॉर्मेंस बिगड़ सकती है।
मां बनने के बाद होती हैं ये समस्या
मैटरनिटी लीव के बाद भी शारीरिक रूप से स्वस्थ होने में लंबा समय लगता है। कई महिलाओं को लगातार पेल्विक पेन, बैकपेन सताता रहता है या फिर वे सर्जरी की रिकवरी से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही होती हैं। ब्रेस्टफीड करा रही मांओं को काम पर फीड कराना खर्चीला और इमोशनली चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अगर वहां पम्पिंग के लिए पर्याप्त जगह या समय ना हो।
“बाउंस बैक” करने का दबाव नई मांओं को अपनी ही सेहत को नजरअंदाज करने, खाना न खा पाने, बीमारी के लक्षणों को टालने या फिर फॉलो-अप के अपॉइंटमेंट मिस कर देने की स्थिति पैदा कर सकता है।
ऐसे मिल सकती है मदद – अपने सहकर्मियों के समर्थन से काफी बड़ा फर्क आ सकता है। फ्लेक्सिबल शेड्यूल, काम की जगह पर ही चाइल्डकेयर की सुविधा, लैक्टेशन के लिए एक अलग कमरा और संवेदनशील सुपरवाइजर्स, इस बदलाव को आसान बनाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही मांओं के फिजिकल और मेंटल रिकवरी में भी मदद कर सकते हैं।
नयी मांओं की जिंदगी में काम पर वापसी करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसके साथ आने वाली सेहत से जुड़ी समस्याओं को समझना और उन्हें दूर करना भी उतना ही जरूरी है। चाहे परिवार हो या वर्कप्लेस जागरूकता, सहयोग और संवेदना से यह तय किया जा सकता है कि मांएं सिर्फ काम पर वापसी ही नहीं करेंगी, बल्कि स्वस्थ भी रहेंगी।

मातृ दिवस विशेष : मां हैं आप……रखिए अपना ख्याल

मां बनना उन सुखद एहसासों में से एक है, जिसे हर महिला पूरे दिल से निभाना चाहती है, लेकिन कई बार इसके लिए सेहत को नजरअंदाज करने की कीमत भी चुकानी पड़ती है। हालांकि, अपना ख्याल रखने के लिए बहुत ज्यादा समय निकालने की जरूरत नहीं होती। बस इन बातों का ख्याल रखें –
रोज सुबह खुद के लिए निकालें 10 मिनट – भागदौड़ भरा दिन शुरू करने से पहले चाहे तो माइंडफुल ब्रीदिंग कर लें, स्ट्रेचिंग या फिर गरमागर्म चाय के कप के साथ शुरुआत करें। इन छोटे-छोटे पलों से आप बेहतर महसूस करते हैं और पूरे दिन की एक पॉजिटिव शुरुआत हो जाती है।
हाइड्रेट रहें और कोई भी मील छोडें नहीं – डिहाइड्रेशन और खाने का अनियमित पैटर्न थकान और चिड़चिड़ाहट पैदा कर सकता है। इसलिए एनर्जी के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आस-पास पानी की बोटल और प्रोटीन से भरपूर स्नैक जैसे नट्स या दही रखें।
थोड़ा-थोड़ा मूव करते रहें -आपको पूरा वर्कआउट करने की जरूरत नहीं। सीढ़ियों से आना-जाना कर सकती हैं, वॉक करते हुए कॉल ले सकती हैं या फिर काम के बीच सिर्फ 5 मिनट की स्ट्रेचिंग कर सकती हैं। मूवमेंट करते रहने से मूड अच्छा रहता है और मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है।
नींद से कोई समझौता नहीं -7-8 घंटे की अच्छी नींद लें। अगर छोटे बच्चे के साथ ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा, तो जब बच्चा सो रहा हो तो बीच-बीच में नैप लेने की कोशिश करें या स्क्रीन पर वक्त बिताने की बजाय कोई सुकून देने वाले म्यूजिक के साथ खुद को आराम दें।
नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं – मांएं अक्सर अपनी ही सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। साल में एक बार गाइनेकोलॉजिस्ट को दिखाना, बीच-बीच में खुद अपने ब्रेस्ट जांचना, थायरॉइड या विटामिन- डी की जांच करवाना बेहद जरूरी है।
बिना झिझक मदद को कहें हां – मदद लेना और बीच-बीच में ब्रेक लेना स्वार्थी हो जाना नहीं हैं- यह बहुत जरूरी है। किसी भी बच्चे के लिए मेंटली और फिजिकली हेल्दी मांएं सबसे अच्छा तोहफा है।

प्रेरणा हैं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह

पहलगाम में पर्यटकों की नृशंस हत्या करने के बदले में भारत की पाकिस्तान पर स्ट्राइक की सफलता की जानकारी देने वाली भारतीय सुरक्षा बलों की दो महिला सैन्य अधिकारियों ने देश में महिलाओं के विपरीत हालात के बीच महिला सशिक्तकरण का सशक्त उदाहरण पेश किया है। देश भर में चर्चित लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिय़ा क़ुरैशी और वायु सेना में विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने साबित कर दिया कि महिलाएं अदम्य साहस के साथ किसी भी चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। निश्चित तौर पर युद्ध जैसी स्थिति के दौरान इन दोनों सैन्य अधिकारियों ने जिस शानदार तरीके से स्ट्राइक का विवरण पेश किया, उससे न सिर्फ महिलाओं में उत्साह का संचार होगा बल्कि हर मुश्किल हालात से निपटने के लिए साहस का उद्गम होगा।  पुणे में साल 2016 में आसियान प्लस देशों का बहुराष्ट्रीय फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास फोर्स 18 में 40 सैनिकों की भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व सिग्नल कोर की महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिय़ा क़ुरैशी ने किया था। कुरैशी को बहुराष्ट्रीय अभ्यास में भारतीय सेना के प्रशिक्षण दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनने का दुर्लभ गौरव हासिल हुआ। गुजरात निवासी सैन्य परिवार से आने वाली सोफिय़ा क़ुरैशी साल 1999 में 17 साल की उम्र में शॉर्ट सर्विस कमीशन के ज़रिए भारतीय सेना में आई थीं। उन्होंने छह साल तक संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में भी काम किया। इसमें साल 2006 में कॉन्गो में एक उल्लेखनीय कार्यकाल शामिल है। उस वक़्त उनकी प्रमुख भूमिका शांति अभियान में ट्रेनिंग संबंधित योगदान देने की थी। सोफिया कुरेशी के अलावा ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी की ब्रीफिंग देने वाली विंग कमांडर व्योमिका सिंह दूसरी चर्चित अधिकारी थीं। व्योमिका सिंह भारतीय वायु सेना में हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उनके नाम का मतलब ही आसमान से जोडऩे वाला है। नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) की कैडेट रही व्योमिका सिंह ने इंजीनियरिंग की। उन्हें साल 2019 में भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग ब्रांच में पायलट के तौर पर परमानेंट कमीशन मिला। व्योमिका सिंह ने 2500 घंटों से ज्य़ादा उड़ान भरी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में मुश्किल हालात में चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टर उड़ाए हैं। उन्होंने कई बचाव अभियान में भी अहम भूमिका निभाई है। इनमें से एक ऑपरेशन अरुणाचल प्रदेश में नवंबर 2020 हुआ था। इन दोनों महिला सैन्य अधिकारियों ने जिस आत्मविश्वास और दृढ़ता से ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की गाथा पेश कि वह न सिर्फ देशवासियों के दिल-दिमाग में अमिट रहेगी बल्कि तमाम बाधाओं के बावजूद महिलाओं में आगे बढऩे की ललक कायम रखेगी। इनके जज्बे ने साबित कर दिया कि महिलाऐ देश में हर क्षेत्र में तरक्की का परचम लहरा रही हैं, चाहे वह क्षेत्र सैन्य जैसा चुनौतीपूर्ण और साहसिक क्षेत्र ही क्यों न हो। देश में महिला सशिक्तकरण की दिशा में इन दोनों महिलाओं का प्रदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। महिलाओं के सपने पूरा करने में मदद करेगा। देश के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं का अग्रणी प्रदर्शन विकसित बनने की दिशा में अग्रसर भारत की नई तस्वीर पेश करता है।

भारत का अपना देसी इंस्टेंट सुपर फूड सत्तू

सत्तू! नाम सुनते ही मुंह में एक देसी ठंडक सी घुल जाती है, जैसे गर्मी की तपती दोपहर में किसी ने ठंडे सत्तू का घड़ा थमा दिया हो। बिहार, उत्तर प्रदेश, और पूर्वांचल का ये सुपरफूड सिर्फ पेट की आग बुझाने का जुगाड़ नहीं, बल्कि सेहत का खजाना और इतिहास का एक ऐसा नायक है, जिसने सदियों से मेहनतकश लोगों का साथ निभाया है। आइए, सत्तू की इस रोचक यात्रा में गोता लगाएं, जहां हम इसके गुण, इतिहास, और फायदों को थोड़े मजे और ढेर सारी जानकारी के साथ खंगालेंगे।
सत्तू कोई फैंसी सुपरफूड नहीं, जो विदेशी लैब में बनता हो। ये है भुने हुए चने, जौ, या मिक्स अनाज को पीसकर बनाया गया पाउडर, जो बिहार की गलियों से लेकर यूपी के खेतों तक हर जगह राज करता है। इसे पानी या दूध में घोलकर पी सकते हैं, नमक-मिर्च डालकर तीखा बनाएं या गुड़ मिलाकर मीठा—सत्तू हर मूड का साथी है। गर्मियों में ठंडा सत्तू का शरबत और सर्दियों में सत्तू की लिट्टी-चोखा, ये तो बस ट्रेलर है, पूरी फिल्म तो इसके फायदों में छिपी है।
सत्तू को “गरीब का प्रोटीन शेक” भी कहते हैं, क्योंकि ये सस्ता, पौष्टिक, और इतना आसान है कि इसे बनाना किसी रॉकेट साइंस से कम नहीं, फिर भी हर गृहिणी इसे चुटकियों में तैयार कर लेती है। लेकिन सत्तू की सादगी के पीछे छिपा है इसका शाही इतिहास और गुणों का खजाना।
सत्तू का इतिहास: योद्धाओं का भोजन, किसानों का सहारा
सत्तू की कहानी उतनी ही पुरानी है, जितनी भारत की मिट्टी। प्राचीन काल में सत्तू योद्धाओं और यात्रियों का सबसे भरोसेमंद साथी था। भुने चने या जौ को पीसकर बनाया गया ये पाउडर हल्का, टिकाऊ, और पौष्टिक था। इसे पानी में घोलकर तुरंत ऊर्जा मिलती थी, इसलिए सैनिक इसे अपनी पोटली में बांधकर युद्ध के मैदान में ले जाते थे। महाभारत के दौर में भी सैनिकों के राशन में सत्तू का जिक्र मिलता है—सोचिए, अर्जुन भी शायद सत्तू का शरबत पीकर धनुष उठाता होगा!
मध्यकाल में सत्तू किसानों और मजदूरों का सबसे बड़ा सहारा बन गया। खेतों में दिनभर मेहनत करने वाले लोग सत्तू को पानी में घोलकर पीते और घंटों तक भूख-प्यास को बाय-बाय कहते। बिहार और यूपी के गांवों में आज भी सत्तू को “पूरा खाना” माना जाता है, क्योंकि ये पेट भरता है, जेब नहीं खाली करता।
19वीं सदी में जब बिहार और पूर्वांचल के मजदूर ब्रिटिश जहाजों में कैरिबियन और फिजी जैसे देशों में गए, तो सत्तू उनकी थैली में था। ये सत्तू ही था, जो उन्हें लंबी समुद्री यात्राओं में ताकत देता रहा। आज भी बिहार के हर घर में सत्तू की थैली मिल जाएगी, जैसे कोई पुश्तैनी खजाना हो।
सत्तू के गुण: देसी सुपरफूड की ताकत
सत्तू की ताकत को समझने के लिए किसी न्यूट्रिशनिस्ट की डिग्री की जरूरत नहीं। ये सादा सा पाउडर अपने आप में एक पावरहाउस है। आइए, इसके गुणों पर नजर डालें:
प्रोटीन का खजाना: सत्तू में 20-25% प्रोटीन होता है, जो इसे शाकाहारी लोगों के लिए जिम वालों के प्रोटीन शेक का देसी जवाब बनाता है। चने और जौ से बना सत्तू मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर को ताकत देता है।
फाइबर का फंडा: सत्तू में ढेर सारा फाइबर होता है, जो पाचन को दुरुस्त रखता है। कब्ज की शिकायत? सत्तू का शरबत पीजिए, और अलविदा कहिए पेट की परेशानियों को।
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स: सत्तू धीरे-धीरे ऊर्जा रिलीज करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। डायबिटीज वालों के लिए ये किसी जादुई औषधि से कम नहीं।
विटामिन और मिनरल्स: सत्तू में आयरन, मैग्नीशियम, और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स होते हैं, जो खून की कमी को दूर करते हैं और थकान को भगाते हैं।
कैलोरी का कंट्रोल: सत्तू कम कैलोरी वाला, लेकिन पेट भरने वाला फूड है। वजन घटाने की सोच रहे हैं? सत्तू आपका दोस्त बन सकता है।
हाइड्रेशन का हीरो: गर्मियों में सत्तू का शरबत शरीर को ठंडा रखता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। नींबू, नमक, और जीरा डालकर पीजिए, लू भी शरमाएगी।
सत्तू के फायदे: सेहत, स्वाद, और जेब का दोस्त
सत्तू सिर्फ पेट भरने की मशीन नहीं, ये सेहत का ऐसा खजाना है, जो स्वाद और जेब दोनों को खुश रखता है। आइए, इसके फायदों की माला जपें:
ऊर्जा से भरपूर: सत्तू में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का कॉम्बो तुरंत एनर्जी देता है। सुबह का नाश्ता भूल गए? एक गिलास सत्तू का शरबत पीजिए, और दिनभर की बैटरी चार्ज।
पाचन का मसीहा: सत्तू का फाइबर पेट को साफ रखता है और आंतों को खुश। अगर आपका पेट रोज सुबह नखरे करता है, तो सत्तू को अपना गुरु मान लीजिए।
गर्मी का दुश्मन: तपती गर्मी में सत्तू का ठंडा शरबत किसी अमृत से कम नहीं। ये शरीर को हाइड्रेट रखता है और लू से बचाता है।
डायबिटीज का दोस्त: सत्तू का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए ये मीठा नहीं, लेकिन मीठी जिंदगी का रास्ता जरूर है।
वजन घटाने का जादू: सत्तू कम कैलोरी में पेट भरता है, जिससे भूख कम लगती है। जिम में पसीना बहाने से पहले सत्तू का शरबत पीजिए, और वजन को अलविदा कहिए।
खून की कमी का इलाज: सत्तू में आयरन और फोलिक एसिड होता है, जो एनीमिया से लड़ता है। खासकर महिलाओं के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं।
जेब का दोस्त: सत्तू सस्ता, टिकाऊ, और आसानी से मिलने वाला है। विदेशी सुपरफूड्स की चमक छोड़िए, सत्तू देसी सुपरहीरो है।
सत्तू का स्वाद: लिट्टी-चोखा से लेकर आधुनिक आहार तक
सत्तू सिर्फ शरबत तक सीमित नहीं। बिहार में सत्तू की लिट्टी-चोखा तो ऐसा व्यंजन है, जिसके सामने फाइव-स्टार मेन्यू भी फीका पड़ जाए। सत्तू को पराठे में भरकर, लड्डू बनाकर, या फिर नमकीन स्नैक के तौर पर खाया जाता है। आजकल मॉडर्न कैफे में सत्तू स्मूदी और सत्तू प्रोटीन बार भी ट्रेंड में हैं।
बिहार में सत्तू सिर्फ खाना नहीं, संस्कृति है। शादी-ब्याह में सत्तू की मिठाई, खेतों में सत्तू का शरबत, और बच्चों के टिफिन में सत्तू का लड्डू—ये सब बिहारी जिंदगी का हिस्सा है। सत्तू को “सात सूखे अनाज” से जोड़कर देखा जाता है, जो सात्विक भोजन का प्रतीक है। गांवों में आज भी बुजुर्ग कहते हैं, “सत्तू खा लो, सात दिन तक भूख नहीं लगेगी।”
सत्तू कोई साधारण अनाज नहीं, ये बिहार की मिट्टी से निकला वो हीरा है, जो सदियों से योद्धाओं, किसानों, और आम लोगों का साथी रहा है। इसका इतिहास हमें मेहनत और सादगी की कहानी सुनाता है, इसके गुण सेहत को चमकाते हैं, और इसके फायदे जेब को हल्का नहीं होने देते। गर्मी में ठंडक, भूख में ताकत, और बीमारी में दवा—सत्तू हर रूप में कमाल है। तो अगली बार जब आप सत्तू का शरबत बनाएं, तो उसे सिर्फ प्यास बुझाने का जुगाड़ न समझें। ये वो देसी सुपरफूड है, जो आपके शरीर को ताकत, दिमाग को ठंडक, और दिल को बिहारी गर्व देगा।

(साभार -मेराज नूरी की फेसबुक पोस्ट)

ऑपरेशन सिंदूर …..भारत के पराक्रम की अद्भुत कहानी – भाग -1

नयी दिल्ली । पहलगाम हमले का बदला ले लिया गया। मात्र 25 मिनट के ऑपरेशन सिन्दूर ने पाकिस्तान में कोहराम मचा दिया। जैश –ए- मोहम्मद, लश्कर –ए-तयबा व हिजबुल मुजाहिदीन के 9 ठिकानों को भारतीय फौज ने देर रात ठिकाने लगा दिया। फौज की इस सफलता पर मोदी कैबिनेट ने मेजें थपथपाकर जहां साधुवाद दिया, वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हनुमान जी के आदर्शों के पालन की बात कही। छोटे-छोटे एटम बम रखने का दावा करने वाली पाकिस्तान सरकार दिन भर मायूसी की चादर में लिपटी रही। इस बीच जैश के नेता मसूद अजहर के 14 परिजनों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
हनुमान जी के आदर्श का पालन किया : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर रिएक्शन दिया। उन्होंने सेना की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारतीय सेना ने सभी भारतवासियों का मस्तक ऊंचा किया है। भारतीय सेनाओं ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए एक नया इतिहास रच दिया है। उन्होंने कहा कि हमने हनुमान जी के उस आदर्श का पालन किया है, जो उन्होंने अशोक वाटिका उजाड़ते हुए किया था। हमने केवल उन्हीं को मारा, जिन्होंने हमारे मासूमों को मारा। उन्होंने आगे कहा कि भारत की सेना ने सटीकता, सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई की है। हमने जो लक्ष्य तय किए थे, उन्हें ठीक समय, तय योजना के अनुसार सटीकता के साथ ध्वस्त किया है और किसी भी नागरिक ठिकाने को प्रभावित न होने देने की संवेदनशीलता भी हमारी सेना ने दिखाई है। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘भारत माता की जय’ के नारे भी लगाए।
पीएम ने राष्ट्रपति को दी ऑपरेशन की जानकारी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात कर उन्हें पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारत की ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रपति भवन ने दोनों नेताओं की मुलाकात की तस्वीर एक्स हैंडल पर साझा करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी।”इससे पहले प्रधानमंत्री ने कैबिनेट की बैठक में अपने सहयोगियों को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। बैठक की शुरुआत में सभी मंत्रियों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों पर सटीक सैन्य हमला कर बर्बाद करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी।
भारत ने बंद किया करतारपुर कॉरिडोर
पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया है। इस कार्रवाई के बीच, गृह मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की है कि भारत ने अगले आदेश तक करतारपुर कॉरिडोर को बंद कर दिया है। पंजाब के गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर दलविंदरजीत सिंह ने मीडिया को बताया कि कॉरिडोर एक दिन के लिए बंद रहेगा।उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को आने वाले दिनों के लिए सरकार से कोई आदेश नहीं मिला है। पाकिस्तान के नरोवाल जिले में ऐतिहासिक श्री दरबार साहिब गुरुद्वारे की तीर्थयात्रा के लिए करीब 150 भारतीय तीर्थयात्री इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) पर पहुंचे थे, लेकिन बाद में उन्हें घर लौटने के लिए कहा गया।गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक में स्थित आईसीपी करतारपुर कॉरिडोर तक पहुंच की सुविधा प्रदान करता है।
विश्व नेताओं को विदेश मंत्री ने दी जानकारी
पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने विश्व के कई प्रमुख नेताओं से बातचीत की और भारत की स्थिति स्पष्ट की। इन बातचीतों का उद्देश्य भारत की आतंक पर की गई सटीक एवं निर्णायक कार्रवाई की जानकारी देना और आतंक के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना था। विदेश मंत्री ने एक्स पोस्ट में विश्व नेताओं से बातचीत की जानकारी दी। डॉ. जयशंकर ने कतर के प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जस्सिम बिन जाबिर अल थानी से बातचीत की। जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया के साथ हुई बातचीत में डॉ. जयशंकर ने 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा के लिए जापान का आभार व्यक्त किया।
इसके अतिरिक्त, फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो और जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वेडेपफुल के साथ संयुक्त टेलीफोन वार्ता में डॉ. जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति पर चर्चा की। स्पेन के विदेश मंत्री होसे मैनुएल अलबारेस के साथ भी बातचीत हुई जिसमें डॉ. जयशंकर ने भारत की दृढ़ और संतुलित सैन्य प्रतिक्रिया को रेखांकित किया।
मसूद अजहर की मां समेत 14 परिजनों की मौत
पाकिस्तान की संघीय सरकार ने माना है कि भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में उनके यहां के 26 लोग मारे गए हैं। दावा किया जा रहा है कि इनमें आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर की मां के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हैं। भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को बड़ा झटका लगा है। इस हमले में खुद जैश प्रमुख मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और उसके चार करीबी सहयोगी मारे गए हैं। खुद अजहर ने इसकी पुष्टि करते हुए दुख जताया और कहा कि अच्छा होता, वो खुद इस हमले में मारा जाता। मसूद अजहर ने एक बयान में बताया कि इस हमले में उसकी बड़ी बहन, मौलाना कशफ का पूरा परिवार, मुफ्ती अब्दुल रऊफ के पोते-पोतियां और बाजी सादिया के पति समेत कई करीबी मारे गए हैं। उसकी सबसे बड़ी बेटी के चार बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं। जैश के मुताबिक, मारे गए अधिकतर लोग महिलाएं और बच्चे हैं।
भारत ने पाक का एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त किया
भारत ने पाकिस्तान की तरफ से बड़े मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश को नाकाम कर दिया है। भारत की तरफ से जवाबी हमले में पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की थी। इसके जवाब में भारत की कार्रवाई में लाहौर में एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। पाकिस्तान की तरफ से जम्मू, अवंतीपोरा, अमृतसर, जालंधर, आदमपुर, लुधियाना, पठानकोट, बठिंडा, चंडीगढ़ समेत 15 शहरों पर हमले की कोशिश की थी। भारत ने पाकिस्तान की मिसाइलों को मार गिराया। गुरुवार की सुबह, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर एयर डिफेंस रडार और सिस्टम को निशाना बनाया। भारत की प्रतिक्रिया भी पाकिस्तान की ही तरह उसी तीव्रता के साथ रही है। भारतीय वायुसेना की एस-400 सुदर्शन चक्र वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को कल रात भारत की ओर बढ़ रहे लक्ष्यों पर दागा गया। कई डोमेन विशेषज्ञों ने एएनआई को बताया कि अभियान में लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया। आधिकारिक सरकारी पुष्टि का इंतजार है। इस तरह पाकिस्तान के हमले के बाद भारत ने आतंकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। पाकिस्तान के कई शहरों में विस्फोट की खबर है। लाहौर व कराची के अतिरिक्त चकवाल, घोटकी, गूजरांवाला और उमरकोट जैसे शहरों से भी ड्रोन विस्फोट की खबरें सामने आ रही हैं. अब तक कुल 12 धमाके हो चुके हैं, जिनमें से तीन सिर्फ लाहौर में हुए हैं। लाहौर के एक सैन्य ठिकाने के पास भी ड्रोन ब्लास्ट की पुष्टि हुई है। इन हमलों ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोरी को उजागर कर दिया है। हाल में पकिस्तान में चैम्पियंस ट्रॉफी के मद्देनजर रावलपिंडी स्टेडियम का पुनरुद्धार किया गया था लेकिन अब यह तबाह हो गया है।
400 ड्रोन भारत ने मार गिराए
36 जगहों को निशाना बनाने की कोशिश की और 300 से 400 ड्रोन दागे। हमले में तुर्की के हथियार इस्तेमाल किये गये। विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर नई जानकारी दी। कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि 7 और 8 मई की रात को पाकिस्तानी सेना ने सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के इरादे से पूरी पश्चिमी सीमा पर कई बार भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर भारी कैलिबर के हथियारों से भी गोलीबारी की। 36 स्थानों पर घुसपैठ की कोशिश करने के लिए लगभग 300 से 400 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। भारतीय सशस्त्र बलों ने गतिज और गैर-गतिज साधनों का उपयोग करके इनमें से कई ड्रोन को मार गिराया। इस तरह के बड़े पैमाने पर हवाई घुसपैठ का संभावित उद्देश्य वायु रक्षा प्रणालियों का परीक्षण करना और खुफिया जानकारी एकत्र करना था। ड्रोन के मलबे की फोरेंसिक जांच की जा रही है। शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि वे तुर्की असिसगार्ड सोंगर ड्रोन हैं। भारत से बार-बार पिटने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अब अपनों के निशाने पर आ गए हैं। पाकिस्तान की संसद में शहबाज शरीफ की तुलना गीदड़ से की जा रही है। उन्हें बुजदिल कहा जा रहा है। ये सब आज शुक्रवार को हुआ, जब कुछ घंटे पहले ही सुबह तड़के भारत से भेजे गए ड्रोन ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर, सियालकोट समेत कई शहरों को निशाना बनाया। शुक्रवार को पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली (संसद) में एक सांसद ने शहबाज शरीफ पर हमला बोला और कहा कि उनकी तरफ से भारत को लेकर एक भी बयान नहीं आया। पाकिस्तानी सांसद ने कहा, मुझे टीपू सुल्तान का एक बयान याद आ रहा है। अगर एक लश्कर (सैन्य टुकड़ी) जिसका सरदार शेर हो और उस लश्कर में गीदड़ हों तो वो सभी शेर की तरह लड़ते हैं। वहीं, अगर शेरों के लश्कर का सरदार अगर गीदड़ हो तो वे नहीं लड़ सकते। वे जंगे हार जाते हैं।’
पाकिस्तानी सांसद इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने शहबाज शरीफ को बुजदिल बता डाला। पाकिस्तानी सांसद ने आगे कहा कि इस वक्त बॉर्डर पर खड़ा फौजी हमारी तरफ उम्मीद से देख रहा है। देश का प्रधानमंत्री आईना होता है। वो उसकी तरफ देख रहा है कि हमारा लीडर दिलेरी से मुकाबला करेगा। उन्होंने कहा कि जब देश का प्रधानमंत्री बुजदिल हो.. मोदी का नाम तक न ले सके, वो बॉर्डर पर खड़े फौजी को क्या पैगाम देगा?

नागरिक विमानों को ढाल बना रहा पाक : विक्रम मिसरी
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा कल रात की गई ये भड़काऊ और आक्रामक कार्रवाइयां भारतीय शहरों और नागरिक बुनियादी ढांचे के अलावा सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर की गईं। भारतीय सशस्त्र बलों ने आनुपातिक, पर्याप्त और जिम्मेदारी से जवाब दिया… पाकिस्तान द्वारा किए गए इन हमलों का पाकिस्तानी राज्य मशीनरी द्वारा आधिकारिक और स्पष्ट रूप से हास्यास्पद खंडन उनके कपट और उनकी नई गहराई का एक और उदाहरण है। विक्रम मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उकसावे वाली सैन्य कार्रवाई करते हुए कंधार, उरी, पुंछ, राजौरी, अखनूर और उधमपुर जैसे एलओसी से सटे क्षेत्रों में गोलाबारी की है। इस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों को कुछ नुकसान हुआ और चोटें पहुंची हैं, हालांकि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। मिसरी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने ड्रोन हमले की असफल कोशिश करने के बावजूद अपने नागरिक हवाई क्षेत्र को बंद नहीं किया, जो कि एक खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना कदम है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नागरिक विमानों को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जिससे न केवल पाकिस्तान बल्कि इंटरनेशनल फ्लाइट्स की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है. हराई का एक और उदाहरण है।
चारों तरफ से घिरा पाकिस्तान
पाकिस्तान के लिए आतंकवाद गले की हड्डी बन गया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के ‘पेंच टाइट’ कर दिए हैं। पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिर गया है। एक-एक पैसे को मुहताज इस मुल्क को अब समझ नहीं आ रहा है कि इस मुश्किल से कैसे निकला जाए।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की ठान ली है। भारत ने सीमा पर घेराबंदी करने के साथ ही कई ऐसी पाबंदियां लगाई हैं, जिसके बारे में पाकिस्तान ने सोचा तक नहीं था। हर रोज भारत सरकार ‘आतंकिस्तान’ के खिलाफ सख्त फैसले ले रही है। पाकिस्तान अब चौतरफा घिर गया है। PoK और अरब सागर में भारत ने पाकिस्तान को घेर लिया है। खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) हमलावार है और बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पसीने छुड़ाए हुए हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी ने बलूचिस्तान में लगातार पाकिस्तान सेना की नाक में दम किया हुआ है। बलूच लड़ाके कभी भी पाकिस्तानी सेना को निशाना बना लेते हैं। अब खबर है कि बलूच विद्रोहियों ने बलूचिस्तान के कलात और मंगोचेर शहर पर अपना कब्जा जमा लिया है। बीएलए के डेथ स्क्वॉड ने सरकारी परिसरों पर कब्जा कर लिया है। कुछ सैन्य और सरकारी अधिकारियों को बंधक भी बनाया है। यह बीएलए द्वारा हाल ही में किए गए हमलों के बाद हुआ है, जिसमें एक आईईडी हमला भी शामिल है जिसमें 10 पाकिस्तानी सैन्यकर्मी मारे गए थे। बीएलए ने हाल के महीनों में अपना संघर्ष तेज किया है। बीएलए पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपने अभियानों में और भी आक्रामक हो गया है। बलूचिस्तान में बीएलए ने पाक फौज की चौकियां तबाह की है। पाकिस्तान सेना ने खबर को दबाने की पूरी कोशिश की है। बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवा भी बंद की गई है। बीएलए ने पाक सेना के शिविर पर हमला किया है। सरकारी इमारतों पर कब्जा कर आग के हवाले कर दिया है। गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान सेना का विरोध हो रहा है। पाकिस्तानी सेना को स्थानीय लोगों ने ही खदेड़ लिया है। जिसके बाद वहां फौजियों की तैनात बढ़ाई गई है।

लिटिल थेस्पियन का 30वा रंग अड्डा सम्पन्न

कोलकाता । बंगाल में हिंदी और उर्दू रंगमंच के लिए विख्यात नाट्य संस्था लिटिल थेस्पियन ने गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज के हिंदी विभाग के सहयोग से अपना 30वा रंग अड्डा, 6 मई 2025 को कॉलेज परिसर में सफलतापूर्वक आयोजित किया। इस कार्यक्रम का केंद्र बिंदु प्रसिद्ध नाटककार भवभूति, भास, बेर्टोल्ट ब्रेख्त और कालिदास की रचनाएँ थीं। इस रंग अड्डा की मुख्य विशेषता यह रही कि छात्रों का पारंपरिक संस्कृत नाटककारों में अनुसंधान की रुचि बढ़े । छठे और दूसरे सेमेस्टर के छात्रों ने इस रंग अड्डा में भाग लिया। हिंदी विभाग के छात्रों द्वारा स्वागत समारोह के बाद, रंग अड्डा में निम्नलिखित लेख प्रस्तुतियाँ दी गईं: भवभूति की नाट्य कला (अपर्णा बिस्वास, सेमेस्टर 6), भास के नाटकों की भाषा शैली (सुप्रिया चौधरी, सेमेस्टर 6), ब्रेख्त की नाट्य कला (दृष्टि कुमारी, सेमेस्टर 2), ब्रेख्त की कविताएँ (अनिशा बैथा, सेमेस्टर 2)। कालिदास का नाटक ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ का मोहन राकेश द्वारा हिंदी रूपांतरण ‘शाकुन्तल’ का संक्षिप्त सार लिटिल थेस्पियन की पार्वती कुमारी शॉ द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का समापन ‘शाकुन्तल’ नाटक के सातवें दृश्य का नाटकीय वाचन के साथ हुआ, जिसे लिटिल थेस्पियन के प्रतिभाशाली कलाकारों ने प्रस्तुत किया: संगीता व्यास, हिना परवेज़, सुधा गौड़, मोहम्मद आसिफ़ अंसारी, विशाल कुमार राउत, नव्या शंकर और गुंजन अज़हर।
इस अवसर पर अमर कुमार चौधरी (हिंदी विभाग, गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज) और छात्र उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रेशमी पंडा मुखर्जी (एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज) द्वारा दिया गया।
इस तरह लिटिल थेस्पियन की संस्थापिका उमा झुनझुनवाला के मार्गदर्शन में लिटिल थेस्पियन युवा पीढ़ी को रंगमंच के प्रति जागरूक कर रहा है।

महिला सैन्य अधिकारियों का मनोबल नहीं गिराना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह उन अल्प सेवा कमीशन (शॉर्ट सर्विस कमीशन) महिला सैन्य अधिकारियों को सेवा से मुक्त न करे जिन्होंने उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार किए जाने के फैसले को चुनौती दी है। कोर्ट ने कहा कि ‘‘मौजूदा स्थिति में उनका मनोबल नहीं गिराया’’ जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने 69 अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं को अगस्त में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक उन्हें सेवा से मुक्त नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस चंद्रकांत ने कहा कि मौजूदा स्थिति में हमें उनका मनोबल नहीं गिराना चाहिए। वे प्रतिभाशाली अधिकारी हैं, आप उनकी सेवाएं कहीं और ले सकते हैं। यह समय नहीं है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में इधर-उधर भटकने के लिए कहा जाए।’’ केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यह सशस्त्र बलों को युवा बनाए रखने की नीति पर आधारित एक प्रशासनिक निर्णय था। उन्होंने शीर्ष अदालत से उन्हें सेवा मुक्त किए जाने पर कोई रोक नहीं लगाने का आग्रह करते हुए कहा कि भारतीय सेना को युवा अधिकारियों की आवश्यकता है और हर साल केवल 250 कर्मियों को स्थायी कमीशन दिया जाना है। कर्नल गीता शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कर्नल सोफिया कुरैशी के मामले का उल्लेख किया, जो उन 2 महिला अधिकारियों में से एक हैं जिन्होंने 7 और 8 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी। गुरुस्वामी ने कहा कि कर्नल कुरैशी को स्थायी कमीशन से संबंधित इसी तरह की राहत के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा था और अब उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष जो मामला है, वह पूरी तरह कानूनी है और इसका अधिकारियों की उपलब्धियों से कोई लेना-देना नहीं है। शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी, 2020 को कहा था कि सेना में स्टाफ नियुक्तियों को छोड़कर सभी पदों से महिलाओं को पूरी तरह बाहर रखे जाने के कदम का बचाव नहीं किया जा सकता और कमांड नियुक्तियों के लिए उन पर बिना किसी औचित्य के कतई विचार न करने का कदम कानून के तहत बरकरार नहीं रखा जा सकता।

उच्च माध्यमिक में 90.79 प्रतिशत सफल, रूपायन अव्वल

कोलकाता । पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद (डब्ल्यूबीसीएचएसई) ने उच्चतर माध्यमिक (कक्षा 12) परिणाम आधिकारिक तौर पर घोषित कर दिया है। पहली बार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इसका ऐलान किया गया। इस वर्ष कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 90.79 फीसदी रहा, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय उपलब्धि को दर्शाता है।
परिणामों में बर्धमान सीएमएस हाई स्कूल के रूपायन पॉल ने शीर्ष स्थान हासिल किया। उन्होंने 500 में से 497 अंक प्राप्त कर 99.4 प्रतिशत स्कोर किया। कूचबिहार के तुषार देबनाथ 496 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि आरामबाग के राजर्षि अधिकारी ने 495 अंकों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया। विशेष रूप से, कोलकाता के चार छात्रों ने शीर्ष 10 रैंक में अपनी जगह बनाई है।
इस वर्ष परीक्षा के लिए कुल 4,82,948 छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 4,73,919 छात्र 3 मार्च से 18 मार्च तक आयोजित परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा छह अलग-अलग पालियों में संपन्न हुई। लैंगिक प्रदर्शन की बात करें तो 92.03 फीसदी छात्र पास हुए, जबकि छात्राओं की उत्तीर्ण दर 88.12 फीसदी रही।
जिलावार प्रदर्शन में पूर्वी मिदनापुर 95.74 फीसदी उत्तीर्ण प्रतिशत के साथ शीर्ष पर रहा। उत्तर 24 परगना 93.53 फीसदी के साथ दूसरे और कोलकाता 93.43 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहा। डब्ल्यूबीसीएचएसई ने यह भी स्पष्ट किया कि इस वर्ष प्रश्नपत्र लीक होने की कोई घटना सामने नहीं आई, जो परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को दर्शाता है।
परीक्षाएं डब्ल्यूबीसीएचएसई के मानदंडों के अनुसार जनवरी और फरवरी 2025 में स्कूलों द्वारा आयोजित की गई थीं। ग्रेडिंग सिस्टम के तहत, छात्रों को उत्तीर्ण होने के लिए प्रत्येक विषय में न्यूनतम 30 फीसदी अंक प्राप्त करना आवश्यक था। परिषद ने परिणामों के साथ-साथ मेरिट सूची भी जारी की, जिसमें शीर्ष प्रदर्शन करने वाले छात्रों के नाम शामिल हैं। छात्र अपने परिणाम डब्ल्यूबीसीएचएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकते हैं।

चुरका मुर्मू… पाकिस्तान से युद्ध के गुमनाम नायक

कश्मीर के पहलगाम में इस्लामिक आतंकवादियों के हमले में 26 नागरिकों के मारे जाने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव चरम पर है। ऐसे समय में देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीरों को याद करना और भी जरूरी हो जाता है। चलिए आज हम एक ऐसे गुमनाम देशभक्त बलिदानी के बारे में आपको बताते हैं, जिन्होंने आज से करीब 54‌ साल पहले 1971 में इसी पाकिस्तान सेना का न केवल डटकर मुकाबला किया, बल्कि अपने साहस से हमेशा के लिए अमर हो गए। ये गुमनाम लेकिन प्रेरणादायक नाम है – चूड़का मुर्मू।चूड़का मुर्मू वह साहसी युवक था जिसने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती चाक रामप्रसाद गांव में पाकिस्तानी सेना से लोहा लेते हुए वीरगति प्राप्त की। 2 जुलाई 1951 को तत्कालीन पश्चिम मेदिनीपुर जिले के चक्रमप्रसाद गांव में संथाल जनजाति में जन्मे चुड़का मुर्मू तब महज 20 साल के थे और एक एक होनहार छात्र थे। लेकिन जब गांव पर खतरा मंडराने लगा, तो वह अपने कंधों पर देशभक्ति का दायित्व लेकर आगे बढ़ गए।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख रहे अद्वैतचरण दत्त अपनी किताब “अमर शहीद चुड़का मुर्मू” में लिखते हैं, “18 अगस्त 1971 को तड़के ‌ 4:30 बजे लगभग 60 70 पाकिस्तानी सैनिक ‘मुक्ति बहिनी’ का भेष धारण कर चाक रामप्रसाद गांव में घुस आई और बीएसएफ कैंप पर हमला कर दिया। गांव में हड़कंप मच गया, लोग जान बचाकर भागने लगे। लेकिन युवा चूड़का डटा रहा। उसने न केवल गांववालों को चेताया, बल्कि बीएसएफ को भी समय रहते जानकारी दी। तब वहां बीएसएफ के जवानों की संख्या सिर्फ चार थी। जब जवानों को गोला-बारूद ढोने में मदद की जरूरत पड़ी, तो चूड़का ने दो दोस्तों के साथ खुद को इस काम में झोंक दिया।जब पाकिस्तानी सेना ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया, तो उसके साथी भाग निकले और बीएसएफ जवान ने हथियार डाल दिए। लेकिन चूड़का न भागा, न झुका। वह गोला-बारूद लेकर रेंगता हुआ खेतों के बीच पहुंचा और एक-एक कर उन्हें पास के तालाब में फेंकने लगा, ताकि दुश्मनों के हाथ न लगें। अंतिम बॉक्स फेंकते समय वह तालाब में गिर पड़ा, और तभी पाकिस्तानी गोलियों का शिकार बन गया। देश ने युद्ध जीता, बांग्लादेश को आजादी मिली, लेकिन चूड़का मुर्मू ने अपने प्राणों की आहुति देकर मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया।अद्वैत चरण दत्त अपनी किताब में लिखते हैं कि जब पाकिस्तानी सैनिकों ने गांव में घुसकर हमले शुरू किया तो बाकी गांव वालों के साथ चूड़का के गुरु हरेन चक्रवर्ती भी वहां से भागने वाले थे। लेकिन तभी चूड़का ने उन्हें रोकते हुए कहा, “मास्टर सब क्या आप भी भागेंगे?” अपने छात्र की ये दृढ़ता और साहस देखकर गुरु चौंक उठे थे और गर्व से भर गए थे।”वर्ष 1982 से ‘चूड़का मुर्मू स्मृति समिति’ हर साल ‘चूड़का मुर्मू आत्म बलिदान दिवस’ मनाती है। इस अवसर पर कबड्डी और तीरंदाजी प्रतियोगिताओं के साथ-साथ मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति देकर नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना जगाई जाती है। वर्ष 2016 में एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला, जब पहली बार किसी केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया (केंद्रीय कृषि और संसदीय कार्य राज्य मंत्री) ने गांव पहुंचकर शहीद चूड़का मुर्मू को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। स्वयंसेवक चूड़का मुर्मू अद्वैत चरण दत्त अपनी किताब में लिखते हैं कि देश के लिए पाकिस्तानी सेना से भिड़ जाने वाले चूड़का मुर्मू राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक थे। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि शायद इसी वजह से उनके बलिदान को आज तक सरकारी पहचान नहीं मिल पाई है। किताब के जरिए उन्होंने लिखा है कि चूड़का के बलिदान की गाथा इतिहास के पन्नों में दर्ज है किंतु सरकारी अभिलेखों में नहीं। हम मांग करते हैं कि सरकार अभिलंब उन्हें उचित सम्मान प्रदान करे। दरअसल संघ की शाखाओं से मिले संस्कारों ने चूड़का को देश के लिए मर-मिटने का साहस दिया। आज जब देश एक बार फिर सीमा पर तनाव के दौर से गुजर रहा है, चूड़का मुर्मू का बलिदान हमें याद दिलाता है कि देशभक्ति किसी वर्दी की मोहताज नहीं होती। एक आम युवक भी असाधारण वीरता का परिचय देकर इतिहास रच सकता है।