Sunday, July 20, 2025
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भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रगानानंदा ने जीता नार्वे शतरंज ओपन का खिताब

स्टैवैगनर (नार्वे)। युवा भारतीय ग्रैंडमास्टर (जीएम) आर प्रज्ञानानंद नार्वे शतरंज ग्रुप ए ओपन शतरंज टूर्नामेंट के नौ दौर के मुकाबले में 7.5 अंकों के साथ विजेता बने।
शीर्ष वरीयता प्राप्त 16 वर्षीय जीएम ने शानदार लय को जारी रखते हुए पूरे टूर्नामेंट के दौरान अजेय रहे। उन्होंने शुक्रवार की देर रात साथी भारतीय अंतरराष्ट्रीय मास्टर (आईएम) वी प्रणीत पर जीत के साथ टूर्नामेंट का समापन किया। प्रज्ञानानंद (ईएलओ 2642) दूसरे स्थान पर काबिज आईएम मार्सेल एफ्रोइम्स्की (इजराइल) और आईएम जंग मिन सेओ (स्वीडन) से एक अंक आगे रहे।
प्रणीत छह अंकों के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर थे, लेकिन कम टाई-ब्रेक स्कोर के कारण आखिरी तालिका में छठे स्थान पर खिसक गये।
प्रणीत के अलावा प्रज्ञानानंद ने विक्टर मिखलेव्स्की (आठवां दौर), विटाली कुनिन (छठा दौर), मुखमदजोखिद सुयारोव (चौथा दौर), सेमेन मुतुसोव (दूसरा दौर) और माथियास उननेलैंड (पहला दौर) को शिकस्त दी। उन्होंने अपने अन्य तीन मुकाबले ड्रॉ खेले।

सिकोइया ने भारतीय स्टार्टअप, अन्य को फंड के लिए जुटाए 2.85 अरब डॉलर

नयी दिल्ली । उद्यम पूंजी फर्म सिकोइया इंडिया और सिकोइया साउथईस्ट एशिया ने एक बयान में कहा कि उसने स्टार्टअप और अन्य उपक्रमों के वित्त पोषण के लिए 2.85 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं।
इस क्षेत्र में किसी भी उद्यम पूंजी फंड द्वारा एक किश्त में जुटाई गई यह सबसे बड़ी राशि है। इसमें से दो अरब डॉलर की राशि दो फंडों के जरिए भारत के लिए जुटाई गई है, जबकि शेष 85 करोड़ डॉलर दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए हैं।
सिकोइया ने एक बयान में कहा, ‘‘सिकोइया इंडिया और सिकोइया साउथईस्ट एशिया ने मिलकर नए फंडों के जरिए 2.85 अरब डॉलर जुटाए हैं। इसमें इंडिया वेंचर एंड ग्रोथ फंड शामिल है।’’ सिकोइया ने इस क्षेत्र में पहले किए गए निवेश को तेजी से निकाला भी है और उसने इस तरह पिछले 18 महीनों में चार अरब डॉलर हासिल किए।
फर्म के पास इस क्षेत्र में 36 यूनीकॉर्न हैं, जिनमें जोमैटो, अनअकैडमी, पाइनलैब्स, बायजूस और रोजरपे शामिल हैं।

नीट-पीजी की विशेष काउंसिलिंग न कराने का सरकार का फैसला मनमाना नहीं : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी-2021 में 1,456 सीट को भरने के लिए विशेष काउंसलिंग कराने का अनुरोध करने वाली कई याचिकाएं गत शुक्रवार को खारिज कर दी और कहा कि विशेष काउंसिलिंग न कराने का सरकार और चिकित्सा परिषद का फैसला मनमाना नहीं कहा जा सकता है।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे जन स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि विशेष काउंसिलिंग न कराने का सरकार और मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी (एमसीसी) का फैसला चिकित्सा शिक्षा और जन स्वास्थ्य के हित में है।
पीठ ने कहा, ‘‘जब भारत सरकार और एमसीसी ने काउंसिलिंग का कोई भी विशेष चरण न कराने का फैसला जब सोच समझकर लिया है,तो इसे मनमाना नहीं माना जा सकता।’’ न्यायालय ने कहा कि छात्र अकादमिक सत्र के करीब एक साल और काउंसिलिंग के आठ से नौ चरणों के बाद उन खाली सीटों पर दाखिले के लिए प्रार्थना नहीं कर सकते, जिनमें से ज्यादा नॉन-क्लिनिकल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नीट-पीजी-2021 में अखिल भारतीय कोटा के लिए विशेष ‘स्ट्रे राउन्ड’ की काउंसलिंग की सीमा होनी चाहिए और शिक्षा तथा लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करके छात्रों को दाखिला नहीं दिया जा सकता है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने बुधवार को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि उसने नीट-पीजी-21 के लिए चार चरणों की ऑनलाइन काउंसलिंग की है और वह विशेष काउंसलिंग कराकर 1,456 सीट को नहीं भर सकता है क्योंकि सॉफ्टवेयर बंद हो गया है।
उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी-21 में 1450 से अधिक सीटें खाली रहने पर बुधवार को मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) को फटकार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसने न केवल उम्मीदवारों को मुश्किल में डाला है बल्कि इससे डॉक्टरों की भी कमी होगी। नीट-पीजी 2021-22 परीक्षा में बैठने वाले और अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) काउंसलिंग एवं राज्य कोटा काउंसलिंग के पहले और दूसरे चरण में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने ये याचिकाएं दायर की थीं।
वकील तन्वी दुबे के जरिए डॉ. आस्था गोयल और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि 18 अप्रैल को एक अधिसूचना में एमसीसी ने घोषणा की थी कि यूजी काउंसलिंग में 323 खाली सीट हैं और ये मूल्यवान सीट बर्बाद न हों, इसके लिए विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी।
याचिका में कहा गया कि यहां यह उल्लेख करना उचित है कि एमसीसी पहले भी ऐसी प्रक्रिया का पालन करता रहा है जहां सीट बर्बाद न जाने के उद्देश्य से यूजी और पीजी के लिए विशेष काउंसलिंग कराई जाती है। हालांकि, इस साल यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

पीएम का अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की नियुक्तियों का निर्देश – पीएमओ

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों से कहा है कि वे ‘‘मिशन मोड’’ में काम करते हुये अगले डेढ़ साल में दस लाख लोगों की भर्ती करें। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। पीएमओ ने कहा कि सभी सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री का यह निर्देश आया है। बेरोजगारी के मसले पर विपक्ष की ओर से सरकार की लगातार की जा रही आलोचना के बीच प्रधानमंत्री का यह फैसला आया है। विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में खाली पड़े पदों का मुद्दा भी पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रहा है।
पीएमओ ने ट्वीट करके कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने सभी सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा की और मिशन मोड में अगले डेढ़ साल में दस लाख लोगों की भर्ती करने का निर्देश दिया।’’ वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग द्वारा वेतन व भत्तों पर जारी ताजा वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के कुल नियमित सिविल कर्मचारियों (केंद्र शासित प्रदेशों सहित) की संख्या एक मार्च 2020 की अवधि तक 31.91 लाख थी जबकि स्वीकृत पदों की कुल संख्या 40.78 लाख थी। इस हिसाब से करीब 21.75 प्रतिशत पद रिक्त थे।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल श्रम शक्ति का करीब 92 प्रतिशत हिस्सा पांच प्रमुख मंत्रालयों या विभागों के अंतर्गत आता है, इनमें रेलवे, रक्षा (सिविल), गृह कार्य, डाक और राजस्व शामिल हैं। कुल 31.33 लाख पदों की निधार्रित संख्या (संघ शासित प्रदेशों को छोड़कर) में रेलवे की हिस्सेदारी 40.55 प्रतिशत, गृह मामलों की 30.5 प्रतिशत, रक्षा (सिविल) की 12.31 प्रतिशत, डाक की 5.66 प्रतिशत, राजस्व की 3.26 प्रतिशत और अन्य मंत्रालयों व विभागों की 7.72 प्रतिशत है।
संघ शासित प्रदेशों और दूतावासों सहित केंद्र सरकार के नियमित सिविल कर्मचारियों के वेतन व भत्तों पर कुल खर्च (प्रोडक्टिविटी-लिंक्ड बोनस या तदर्थ बोनस, मानदेय, अर्जित छुट्टियों का नकदीकरण और यात्रा भत्ता को छोड़कर) वर्ष 2019-20 में 2,25,744.7 करोड़ रुपये था जबकि मार्च 2018-19 में यह आंकड़ा 2,08,960.17 करोड़ रुपये था। इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सुरक्षा बलों में कुल स्वीकृत पदों 10.16 लाख के मुकाबले मार्च 2020 में 9.05 लाख कर्मचारी थे।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक विभिन्न विभागों और मंत्रालयों से रिक्त पदों की विस्तृत जानकारी मांगी गयी थी, और इसकी पूरी समीक्षा करने के बाद प्रधानमंत्री ने 10 लाख लोगों की भर्ती के निर्देश दिए।
पिछले विधानसभा चुनावों में विपक्षी दलों ने बेरोजगारी के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था लेकिन भाजपा ने कल्याणकारी योजनाओं और विकास के साथ हिन्दुत्व के मुद्दों को आगे रखते हुए विपक्षी आक्रमण की धार कुंद कर दी थी और सफलता हासिल की थी।
बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा विपक्ष के आरोपों को लगातार यह कहकर भी खारिज करती रही है कि सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों से देश में उद्यमिता और रोजगार निर्माण को बढ़ावा मिला है।

फैशन का शिक्षाशास्त्र

निशा सिंह (फैशन डिजाइनर एवं उद्यमी)

फैशन में आप दुनिया को देखने और अचंभित करने के लिए कुछ बना रहे हैं। आपको अपनी रचनात्मकता को बाहर लाना होगा और जादू बनाने के लिए इसे दुनिया के विकास के साथ जोड़ना होगा यह उपभोक्ताओं, प्रवृत्तियों, रंग, वस्त्र, व्यवसाय, विज्ञापन और यहां तक ​​कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को समझने से आता है।

फैशन कल को समझने, आज जीने और आने वाले कल के लिए बनाने के बारे में है। दूध, मक्का, प्लास्टिक और क्रिस्टल से नए रेशे और वस्त्र बनाने की कल्पना करें। ब्लॉगऔर पॉडकास्ट बनाना जो लोगों के सोचने के तरीके को बदल देगा। लोग क्या खरीदने जा रहे हैं, इसका अनुमान लगाने के लिए किसी परिधान या एआई के आवरण में प्रौद्योगिकी को एम्बेड करने के लिए कोडिंग का उपयोग करना।
फैशन उद्योग में फैशन ब्लॉगर, ब्लॉग, सामग्री निर्माता, क्यूरेटर, अनुभव प्रबंधक, फैशन स्टाइलिस्ट, रचनात्मक निर्देशक, फोटोग्राफर, संपादकीय, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रबंधक, होम स्टाइलिस्ट, और बहुत कुछ शामिल हो गए हैं, इसलिए विकास की बहुत बड़ी संभावना है। फैशन और स्टाइल संचार के शक्तिशाली तरीके हैं।

आज, एक डिजाइनर या स्टाइलिस्ट के पास बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने की शक्ति है। डिजाइनरों द्वारा स्थिरता, उपभोग, लिंग, आजीविका और सामाजिक मानदंडों जैसे मुद्दों को तेजी से उठाया जा रहा है और वे जागरूकता और परिवर्तन पैदा करने के लिए अपने पेशे का उपयोग करते हैं। तो परिवर्तन बनो!

हिन्दी, बांग्ला, पंजाबी  ,उर्दू और उड़िया भाषाई पत्रकारिता पर आयोजन

कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद और सदीनामा ने पांच भाषाओं की भाषायी पत्रकारिता के 200 साल के इतिहास पर एक दिन का सेमिनार किया । इसके साथ ही हिंदी पुस्तक काया के वन में लेखक( महेश कटारे ) की पुस्तक का बांग्ला अनुवाद ,भृतहरि : संसार – अरण्य ,का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ कुसुम खेमानी के स्वागत भाषण से हुई। लोक गायक दीपमय दास के लालन फकीर के गीतों की प्रस्तुति के बाद कार्यक्रम की शुरुआत हुई ।बांग्ला में वक्ता थे पत्रकार अमल सरकार और समीर गोस्वामी , हिंदी में वक्ता थे कृपा शंकर चौबे ( हिंदी अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा ) ओमप्रकाश अश्क,सन्तन कुमार पांडे और वरिष्ठ पत्रकार सीताराम अग्रवाल ,पंजाबी में बोले हरदेवसिंह ग्रेवाल , जगमोहन सिंह गिल,रावेल पुष्प और जगमोहनसिंह खोखर ,उर्दू पत्रकारिता के इतिहास पर विस्तार से चर्चा की वरिष्ठ पत्रकार जहांगीर काजमी ने और पांचवी भाषा ओडिया पर सारगर्भित वक्तव्य रखा डॉ सौरव गुप्ता ( कोरापुट सेंट्रल यूनिवर्सिटी ,उड़ीसा)ने।

इस अवसर पर बांग्ला पुस्तक भर्तहरि : संसार- अरण्ये ,का लोकार्पण हुआ । इसका लोकार्पण किया वागर्थ पत्रिका के सम्पादक डॉ. शंभूनाथ और छपते छपते और ताजा टीवी के समूह की पत्रिका के सम्पादक विशम्भर नेवर और वैचारिक पत्रिका के संपादक बाबूलाल शर्मा ने उपस्थित थे पुस्तक के अनुवादक मधु कपूर और काकली घोषाल तथा सदीनामा प्रकाशन से सम्पादक जीतेन्द्र जितांशु । इस अवसर पर श्रोता-वक्ता सम्वाद आयोजित हुआ जिसमें लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया । धन्यवाद ज्ञापन किया मीनाक्षी सांगानेरिया ने । संयोजन ,संचालन और जनसम्पर्क किया रेणुका अस्थाना (राजस्थान) ,नवीन प्रजापति और रितिका सिंह ने । इस कार्यक्रम की रूपरेखा और मीडिया दायित्व निभाया सदीनामा समूह के प्रमुख जीतेन्द्र जितांशु ने ।

बांगला नवजागरण की प्रासंगिकता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

कोलकाता। ‘कोलकाता सोसाइटी फॉर एशियन स्टडीज’, ‘मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज’ और ‘भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण’ के संयुक्त तत्वावधान में “भारत और विश्व के सुनिश्चित भविष्य के लिए बंगाल के नवजागरण के सार्वभौमिक मिशन की प्रासंगिकता” विषय पर दो दिवसीय त्रिभाषी(हिंदी, बंगला और अंग्रेजी) अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कोलकाता के एशियाटिक सोसायटी के महासचिव डॉ सत्यब्रत चक्रवर्ती ने इस आयोजन को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि बंगला नवजागरण के कई महत्वपूर्ण सुधारक होने के बावजूद सभी मानवीय, धर्मनिरपेक्ष ,सहिष्णुता और नई चेतना के समर्थक थे। आयोजन के दूसरे दिन हिंदी सत्र के प्रथम सत्र में बतौर चेयर स्पीकर डॉ शंभुनाथ ने ‘बांग्ला नवजागरण:भारतीय परिपेक्ष्य’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि बांग्ला नवजागरण को यूरोपीय नवजागरण से अलग देखने की जरूरत है क्योंकि भारतीय नवजागरण बहुरंगा है।यहां के नवजागरण का संबंध पुनरुत्थानवाद, संरक्षणशील परंपरा के साथ आधुनिक विचारों से भी है। इस अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से जुड़ते हुए रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के प्रो. हितेंद्र पटेल ने ‘बांग्ला नवजागरण, हिंदी भाषी बौद्धिक समाज और देश-चिंता: कुछ विशेष संदर्भ’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि बंगला नवजागरण ने भारतीय नवजागरण की जमीन तैयार करता है।बंगाल के बुद्धिजीवी पश्चिमी नवजागरण को उम्मीद की नजर से देखते हुए भी राष्ट्रप्रेम से जुड़ते हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रो. राम आह्लाद चौधरी ने विद्यासागर की महत्ता बताते हुए कहा कि वे मानवता और सामाजिक सुधार के पक्षधर थे। इसके अलावा रवि पंडित ने ‘हिंदी भाषियों पर 19वीं सदी में बंगाल के सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन का प्रभाव’ विषय पर और आदित्य कुमार गिरि ने ‘बांग्ला नवजागरण और हिंदी नवजागरण’ विषय पर आलेख पाठ किया। दूसरे सत्र के चेयर स्पीकर विद्यासागर विश्वविद्यालय के डॉ संजय जायसवाल ने ’19वीं और 20वीं शताब्दी का बंगाल:रचनात्मक उत्कृष्टता संदर्भ बांग्ला नवजागरण एवं साहित्यिक सिनेमा’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि बंगाल की रचनात्मक उत्कृष्टता औपनिवेशिक शासन में आकार पाता है। पश्चिमी आधुनिकता से प्रभावित होने के बावजूद भारतीय नवजागरण वेदांत, बौद्ध धर्म और भक्ति आंदोलन की परंपरा से विच्छिन्न नहीं होती है। इस सत्र में मधु सिंह ने ‘रवींद्रनाथ ठाकुर: मनुष्यता एवं भारतीयता के लेखक (संदर्भ: निराला कृत रवींद्र कविता कानन)’ विषय पर और रूपेश कुमार यादव ने ‘रवींद्रनाथ, हिंदी साहित्य और नवजागरण’ विषय पर आलेख पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन उत्कर्ष श्रीवास्तव तथा कार्यक्रम का संयोजन डॉ शर्मिष्ठा बसु, अर्पिता बसु, सांतनु कुमार मंडल और रोमी आनंद ने किया।

दायित्व निभाते हुए अधिकारों के प्रति भी सचेतन हो स्त्री -डॉ. राजश्री शुक्ला

कोलकाता : घर और स्त्री एक दूसरे से जुड़े हुए हैं मगर घर सिर्फ स्त्री का ही नहीं बल्कि पुरुष का भी है। घर को संजोने और सहेजने की प्रक्रिया में भी स्त्री और पुरुष को समान दायित्व निभाना चाहिए। धानी आंचल की तरफ से आयोजित स्त्री और घर विषय पर इस संगोष्ठी में यह बात निकलकर सामने आई। विषय की प्रस्तावना करते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला ने स्त्री एवं पुरुष के बीच दायिव्व एवं अधिकारों के विभाजन की असमानता को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि कुछ सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन होने पर भी स्थिति पूरी तरह बदली नहीं है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आर्थिक स्वावलम्बन और घरेलू जिम्मेदारियों तक में समाज ने स्त्री के लिए तमाम दायित्व रखे मगर सारे अधिकार पुरुषों को दिए। इस तरह की असमानता बनी रही तो समाज एवं देश, दोनों का ही विकास बाधित होगा। उन्होंने कहा कि परिवार को जोड़ने का दायित्व स्त्री एवं पुरुष, दोनों का होना चाहिए। डॉ. शुक्ला ने एकल स्त्री के अधिकारों एवं स्त्री के आर्थिक स्वालम्बन के साथ आर्थिक निर्णयों में स्त्री की भागीदारी के पक्ष में बात कही। शिशु के व्यक्तित्व का विकास, स्त्री या पुरुष की तरह नहीं अपितु मनुष्य की तरह करने की आवश्यकता है। पितृसत्तात्मक समाज में स्त्रियाँ सचेतन रहकर ही अपने अधिकार प्राप्त कर सकती हैं एवं घर के साथ समाज को भी आगे ले जा सकती हैं।
प्रो. लाल बहादुर शास्त्री राजकीय संस्कृत विश्व विद्यालय की प्राध्यापिका सुजाता त्रिपाठी ने कहा कि स्त्री अपनी शक्ति को पहचाने. यह आवश्यक है। वह याचिका नहीं बल्कि सृष्टि को सचालित करने वाली शक्ति है। उसे खुद अपना सम्मान करना सीखना होगा।
विद्यासागर कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. सूफिया यास्मीन ने कहा कि परम्परा और समाज ने स्त्री पर बहुत कुछ थोपा है। स्त्री को इससे आगे निकलने की आवश्यकता है। उसे शिक्षित होने के साथ आर्थिक स्वावलम्बी बनने की जरूरत है।
झारखंड की सामाजिक कार्यकर्ता सरिता कुमारी ने कहा कि स्त्री को अपने साथ दूसरी स्त्रियों को आगे बढ़ाने के लिए भी काम करना होगा। आँकड़ों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व की 35 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार है। स्त्री को सहना नहीं कहना सीखना होगा। मन को शिक्षित करना आवश्यक हैं।
चित्रकार मधु धानुका जैन ने कहा कि कई बार स्त्रियाँ ही एक दूसरे को प्रताड़ित करती हैं। स्त्री को सहयोग मिले तो कुछ भी कर सकती है। कार्यक्रम की शुरुआत श्रुति तिवारी द्वारा सरस्वती वन्दना से हुई। स्वागत भाषण धानी आंचल की संस्थापक सदस्य डॉ. सत्या उपाध्याय ने दिया। इस अवसर पर रविशंकर एवं कार्यक्रम संचालक स्कॉटिश चर्च कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. गीता दूबे ने लोकगीत सुनाया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. शुभ्रा उपाध्याय ने दिया। कार्यक्रम का संयोजन प्रीति साव एवं पार्वती रघुनंदन ने किया। गूगल मीट पर आयोजित इस आभासी राष्ट्रीय संगोष्ठी में कई शिक्षा एवं साहित्यप्रेमियों ने भाग लिया एवं विचार भी रखे। दर्शकों में डॉ. मंजुरानी सिंह, प्रो. सत्य प्रकाश तिवारी, वरिष्ठ रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला, प्रो. संजय जायसवाल समेत कई अन्य प्रबुद्ध अतिथि उपस्थित थे।

भारत में बड़ी चिंता का विषय नहीं है मुद्रास्फीति – राधेश्याम राठो

कोलकाता । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक राधा श्याम राठो का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। मुद्रास्फीर्ति कुछ दिनों के लिए है। राधा श्याम राठो ने अपने संबोधन में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध और उच्च मुद्रास्फीति ने कोविड से उबरने की उम्मीद को धराशायी कर दिया। वित्तीय वर्ष 2022-23 में विश्व अर्थव्यवस्था के विकास का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटकर 3.6 प्रतिशत हो गया। रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है क्योंकि रूस कई खाद्य वस्तुओं, धातुओं और खनिजों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। पहले, विशेषज्ञों का मानना ​​था कि मुद्रास्फीति क्षणिक थी। अब यह अटल हो गया है। यह अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत होगी। कई देशों में बहुवर्षीय मुद्रास्फीति उच्च है। मुद्रास्फीति का नेतृत्व कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के कारण होता है। दरअसल जनवरी से मई 2022 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। सत्र में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हाल के रुझानों और भारतीय वित्तीय बाजार पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा की गयी। भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में उन्होंने आगे कहा कि अप्रैल 2022 में सीपीआई बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गया है। आरबीआई अब मुद्रास्फीति पर अधिक और विकास पर कम ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसलिए पहले इसने रेपो रेट को 40 बीपीएस और सीआरआर को 50 बीपीएस और जून में रेपो रेट को 50 बीपीएस से बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मुद्रास्फीति भारत में बड़ी चिंता का विषय नहीं है क्योंकि इसकी मुद्रास्फीति 7.5% प्रतिशत जबकि लक्ष्य 6 प्रतिशत है। इसकी तुलना में संयुक्त राज्य अमेरिका में मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत है जबकि लक्ष्य 2 प्रतिशत है। इसलिए भारत अमेरिका से बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि अति-वैश्वीकरण का युग समाप्त हो गया है। देश वर्तमान स्थिति में आत्मनिर्भरता या आत्मानबीर पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हालांकि, राष्ट्र व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला पर जोर देंगे। जबकि वैश्वीकरण मरा नहीं है, हम अब बहुध्रुवीय दुनिया में रहते हैं जहां देश अपने स्वयं के ब्लॉक बना रहे हैं। उदाहरण के लिए चीन का उन देशों में प्रभाव है जिनकी उसने मदद की है।
वर्तमान भारतीय आर्थिक परिदृश्य का वर्णन करते हुए राठो ने कहा कि भारत जी20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। उसी तरह भारत में ब्याज दर बढ़ेगी। हालांकि हाल के व्यापार समझौते और पीएलआई योजना जैसे सकारात्मक कारक हैं जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात को कम करेंगे। उन्होंने आगे दर्शकों को सुझाव दिया कि हमें आशावादी होना चाहिए कि भविष्य बेहतर होगा और तर्कसंगत रूप से नहीं सोचना चाहिए।
स्वागत भाषण में एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने कहा कि रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि करके 4.9% की उम्मीद की गई है। पिछले दो महीनों में यह दूसरी दर वृद्धि थी, पहले 22 मई को हुई थी, जब मौद्रिक नीति समिति ने एक अनिर्धारित बैठक में रेपो दर में 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी।

द हेरिटेज अकादमी में आयोजित हुआ फिल्मोत्सव

कोलकाता । द हेरिटेज अकादमी के मीडिया साइंस विभाग ने दो दिवसीय फिल्मोत्सव यानी फिल्म फेस्टिवल ‘हेरिटेज अकादमी फिल्म फेस्टिवल’ आयोजित किया। गत 7 और 8 जून 2022 को संस्थान के ऑडिटोरियम में आयोजित इस फिल्मोत्सव में 5 आयोजन थे: फिक्शन फिल्म्स, नॉन-फिक्शन फिल्म्स, फोटोग्राफी, वन-टेक फिल्में और ट्रेलर मेकिंग। राज्य भर के विभिन्न छात्रों से 100 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं।
विशेष प्री-इवेंट 6 जून को एसआरएफटीआई के डीन और फिल्म निर्माता अशोक विश्वनाथन द्वारा ‘नैरेटिव्स: तब और अब’ विषय पर एक मास्टरक्लास के साथ शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में उद्योग जगत की कुछ जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं।
पहले दिन, छात्रों ने लोकप्रिय निदेशक राज चक्रवर्ती से बातचीत की, जिन्होंने छात्रों को अधिक से अधिक फिल्मे देखने और पढ़ने का परामर्श दिया। वयोवृद्ध अभिनेता और लेखक, बरुण चंदा ने सत्यजीत रे के फिल्म निर्माण की तकनीकों पर विस्तार से बताया और फोटोग्राफी के व्याकरण पर अंतर्दृष्टि प्रदान की। रेडियो मिर्ची के रेडियो जॉकी सोमक घोष ने विभाग के पॉडकास्ट चैनल ‘द हेरिटेज पॉड’ का शुभारंभ किया। पहले दिन का समापन वन-टेक फिल्म्स, ट्रेलरों की स्क्रीनिंग और फोटोग्राफी प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुआ।
दूसरे दिन की शुरुआत फिक्शन और नॉन-फिक्शन फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ हुई। इसके बाद प्रसिद्ध फिल्म संपादक अर्घ्यकमल मित्रा और निर्देशक जुधजीत सरकार के साथ ‘एडिटिंग थ्रू द एज’ विषय पर एक पैनल चर्चा हुई। ग्रैंड फिनाले में, निर्देशक और निर्माता, अरित्र सेन, अभिनेताओं के साथ सुजॉय प्रसाद चटर्जी, विक्रम चटर्जी, और राहुल देव बोस ने अपनी आगामी रिलीज़ ‘शोहोर उशनोतोमो डाइन’ के बारे में बात की। उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय, सेंट जेवियर्स और कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसे शहर के विभिन्न कॉलेजों से आए विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।