काहिरा । भारत में कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में आपने सुना होगा। इसे 13वीं शताब्दी में बनवाया गया था। लेकिन अब मिस्र में एक प्राचीन मंदिर की खोज हुई है। ये मंदिर 4500 साल पुराना है। मिस्र के पुरातत्वविदों ने इसकी पुष्टि की है। कहा जा रहा है कि ये मिट्टी के ईंट से बनी इमारत मिस्र के पांचवें राजवंश के खोए हुए सूर्य मंदिरों में से एक है। मिस्र का पांचवां राजवंश 2465 से 2323 ईसा पूर्व तक था। मंदिर काहिरा के दक्षिण में अबुसीर में राजा नुसेरे के मंदिर के नीचे मिला है। मिस्र के पुरावशेष और पर्यटन मंत्रालय ने शनिवार को ट्वीट कर इस नई रोमांचक खोज के बारे में घोषणा की। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘अबू सर के उत्तर में अबू घोराब में राजा नुसेरे के मंदिर में काम कर रहे इटालिन और पोलिश पुरातात्विक मिशन को मंदिर के नीचे एक मिट्टी की ईंट से बनी इमारतों के अवशेष मिले हैं।’
मंत्रालय ने आगे कहा, ‘खोज से मिले संकेत बताते हैं कि ये पांचवें राजवंश के खोए हुए चार सूर्य मंदिरों में से एक का हो सकता है। इन मंदिरों के बारे में सिर्फ ऐतिहासिक स्रोतों से जाना जाता है, अभी तक वह मिले नहीं हैं।’ आगे कहा गया कि इमारत का एक हिस्सा पांचवें राजवंश के छठे शासक ने अपना मंदिर बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया था।
खुदाई करने वाली टीम को जमीन के नीचे मिट्टी के बर्तन मिले हैं। ये आगे की रिसर्च में काम आएंगे। पांचवें राजवंश के राजाओं के नाम वाले कुछ स्टांप भी मिले हैं। मंत्रालय ने फोटो शेयर कर बताया कि ये साइट अभी भी काम कर रही है। 19वीं शताब्दी में पहला सूर्य मंदिर खोजा गया था, इसके बाद ऐसी खोज हुई जो बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कहा जाता है कि मिस्र में ऐसे है छह या सात मंदिर थे, जिनमें से अभी तक सिर्फ दो ही मिल सके हैं।
मिस्र में 4500 पुराना प्राचीन ‘सूर्य मंदिर’, चार खोए हुए मंदिरों में से हो सकता है एक
रूबी पार्क पब्लिक स्कूल में अर्न्तविद्यालय हिन्दी उत्सव ‘कौशल’ की छटा
कोलकाता । रूबी पार्क पब्लिक स्कूल में अर्न्तविद्यालय हिन्दी उत्सव ‘कौशल’ का आयोजन किया गया। मुंशी प्रेमचन्द जयंती पर आयोजित इस हिन्दी उत्सव में विद्यार्थियों ने अभिनय, काव्य आवृत्ति, विज्ञापन एवं कथा वाचन दृश्य के साथ जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। अभिनय प्रतियोगिता में दूसरी से चौथी कक्षा के विद्यार्थियों ने अपने प्रिय चरित्रों की वेषभूषा में संवाद बोले। पाँचवीं – छठी कक्षा के लिए आयोजित काव्य आवृत्ति में बच्चों ने ओजमयी वाणी में कविता सुनायीं। विज्ञापन प्रतियोगिता के अर्न्तगत सातवीं एवं आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने पोस्टर बनाए और नौंवीं व दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने कथा वाचन दृश्य के साथ प्रतियोगिता में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन की सहायता से कहानी सुनाई। महानगर के प्रतिष्ठित स्कूलों ने इस हिन्दी उत्सव में भाग लिया। प्रतियोगिताओं के निर्णायकों में असीमा चक्रवर्ती, आशा सिंह एवं सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया शामिल थे। रूबी पार्क पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल जयता मजुमदार ने कौशल’ को सफल कार्यक्रम बताते हुए सभी प्रतिभागियों की सराहना की।
आर्टिटेक्चर के प्रति जागरुकता लाने के लिए आयोजित हुई प्रदर्शनी
ओम दयाल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट उलुबेड़िया के कॉलेज ऑफ आर्टिटेक्चर का आयोजन
हावड़ा । ओम दयाल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट उलुबेड़िया के कॉलेज ऑफ आर्टिटेक्चर द्वारा विद्यार्थियों की गतिलिधियों को लेकर प्रदर्शनी आयोजित की गयी। गत 22 एवं 23 जुलाई को आयोजित इस प्रदर्शनी में प्रथम वर्ष से लेकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर को विद्यार्थियों का काम दर्शाया गया। हर साल ओडीसीए के विद्यार्थी अपना स्टडी प्रोजेक्ट प्रदर्शित करते हैं। गत 2016 से कोलकाता के आस -पास की ऐतिहासिक इमारतों के दस्तावेज संग्रहित करते आ रहे हैं और हर साल चित्रांकन, स्केच और मापने के लिए इमारतों का नया सेट तैयार करते हैं।
इस बार बांसबेड़िया राजबाड़ी, हंसेश्वरी मंदिर, बांसबेड़िया अनतंबासुदेव मंदिर, हुगली के चंदननगर की मंडल बाड़ी और श्रीरामपुर राजबाटी, शोभाबाजार बसु बाटी, हावड़ा की मुखर्जी बाड़ी. कोलकाता की बर्न एंड शेपर्ड बिल्डिंग को प्रोजेक्ट में शामिल किया गया जहाँ विद्यार्थियों ने आगंतुकों को अपने काम के बारे में समझाया। प्रदर्शनी में शिक्षाविद्, आर्टिटेक्ट, स्कूली विद्यार्थी और आर्टिटेक्चर के विद्यार्थी पहुँचे।
गत 23 जुलाई को शहरी प्रशासनिक व्यवस्था, शहरी अर्थशास्त्र पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन ओम दयाल ग्रुप के बोर्ड ट्रस्टी आलोक टिबड़ेवाल एवं सागर अग्रवाल ने किया। सेमिनार में आईआईटी खड़गपुर के आर्टिटेक्चर एवं प्लानिंग विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर विप्लव कांति सेनगुप्ता, कलकत्ता विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स विभाग के नगरीय अर्थशास्त्री प्रोफेसर महालया चटर्जी, आर्टिटेक्ट डॉ. सौम्येन्दु विश्वास, डेललपमेंट प्रोफेशनल रंजिनी सेन ने विचार रखे। इस अवसर पर क्विज एवं मॉ़डल मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गयी। इसमें साउथ प्वाइंट, रूबी पार्क पब्लिक स्कूल, एपीजे स्कूल, बिड़ला भारती, डीपीएस रूबी पार्क ने भाग लिया। साउथ प्वाइंट के द्विपायन नन्दी और प्रत्यय गांगुली विजेता रहे। रूबी पार्क पब्लिक स्कूल के अनीश बनर्जी और रणविजय राय रनर अप रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली विद्यार्थियों में आर्टिटेक्चर के प्रति जागरुकता लाना था। इसे लेकर एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी किया गया।
जीएसटी के 5 वर्षों का एमसीसीआई ने किया आकलन
कोलकाता । मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने “जीएसटी के पांच वर्षों का आकलन करते हुए एक सत्र आयोजित किया। सत्र को , केंद्रीय जीएसटी और सीएक्स की प्रधान मुख्य आयुक्त वी रमा मैथ्यू ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि भुगतान प्रक्रिया में एमएसएमई क्षेत्रों को जीएसटी से काफी हद तक लाभ हुआ है। इस क्षेत्र में समस्या बड़े पैमाने पर अनधिकृत पंजीकरण को लेकर है।
राज्य सरकार के कर आयुक्त खालिद ऐजाज अनवर ने कर धोखाधड़ी, विवादास्पद मुद्दों, पोर्टल गड़बड़ियों और अनुपालन की कठिनाइयों के साथ राजस्व संग्रह में चुनौतियां भी।
सत्र में डॉलर इंडस्ट्रीज के प्रबन्ध निदेशक विनोद कुमार गुप्ता ने उद्योग जगत, रोड कार्गो मूवर्स प्रा. लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक और परिवहन क्षेत्र पर एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष संतोष सराफ ने परिवहन क्षेत्र पर, किंग केमिकल्स के प्रोपराइटर और एमसीसीआई एमएसएमई काउंसिल के चेयरमैन संजीब कोठारी ने एमएसएमई समेत अन्य सदस्यों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात रखी। अरुण कुमार अग्रवाल, जीएसटी के अध्यक्ष, एमसीसीआई के अप्रत्यक्ष और राज्य कर परिषद ने सत्र का संचालन किया।। चर्चा के बाद एक ओपन हाउस सत्र हुआ।
‘प्रेमचंद का लेखन राजनीति को मशाल दिखाने का काम करता है’
भारतीय साहित्य मंच और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन ने मनायी प्रेमचंद जयंती
भाटपाड़ा में हिन्दी कॉलेज स्थापित करने की माँग उठी
बैरकपुर । भारतीय साहित्य मंच और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा प्रेमचंद भवन, भाटपाड़ा में प्रेमचंद जयंती के अवसर पर संगोष्ठी, काव्य पाठ, लोकगीत और नाट्य मंचन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इस वर्ष माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में 75% से अधिक नंबर प्राप्त लगभग 800 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन हिंदी अकादमी, पश्चिम बंगाल के चेयरमैन विवेक गुप्ता ने किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद पूरे भारतीय समाज के लेखक है। स्वागत भाषण देते हुए भारतीय साहित्य मंच के अध्यक्ष प्रियांगु पांडेय ने भाटपाड़ा में एक हिंदी कॉलेज के निर्माण का प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम का मुख्य केंद्र बिंदु था- भाटपाड़ा में हिंदी कॉलेज के निर्माण हेतु प्रस्ताव रखना। इस अवसर पर हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा के कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद सभी के लिए शिक्षा की बात करते हैं। उनका पूरा लेखन समाज के हर वर्ग के हित से जुड़ा था। उन्होंने जूट बहुल क्षेत्र में हिंदी भाषी विद्यार्थियों की बड़ी संख्या के उच्च शिक्षा के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि इस अंचल में एक हिंदी माध्यम का महाविद्यालय हो। हिंदी अकादमी के सदस्य मनोज कुमार यादव ने कहा कि कोलकाता आसनसोल के बाद यह जूट मिल अंचल हिंदी भाषी बहुल क्षेत्र है। यहां के दर्जनों उच्च माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिए यहां पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। मैं चाहता हूं कि इस क्षेत्र में एकाधिक हिंदी माध्यम कॉलेजों की स्थापना हो। इसके लिए हम सभी को हिंदी अकादमी और उच्च शिक्षा विभाग से आग्रह करना चाहिए। बैरकपुर लोकसभा के सांसद अर्जुन सिंह ने कॉलेज के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दर्ज करते हुए कहा कि हिंदी भाषी क्षेत्र होने के कारण यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी दिक्कतें हो रही है। अतः हिंदी कॉलेज का निर्माण होने से इस अंचल समेत आस पास के हिंदी भाषी विद्यार्थियों को उच्च माध्यमिक के बाद पढ़ाई छोड़नी नहीं पड़ेगी और वे अपनी भाषा में ही स्नातक की पढ़ाई कर पाएंगे। प्रेमचंद के बारे में लेखक उदयराज जी ने कहा कि प्रेमचंद ने वंचितों की बात करते हैं। प्रेमचंद का लेखन राजनीति को मशाल दिखाने का काम करता है। इस अवसर पर अष्टभुजा शुक्ल, उमरचंद जायसवाल, रॉवेल पुष्प, डॉ. राजेश मिश्रा, रचना सरन, डॉ. कलावती कुमारी, डॉ. मंटू कुमार, नागेंद्र पंडित, मनीषा गुप्ता, मधु सिंह और सूर्य देव रॉय ने काव्य पाठ किया और डॉ राजेश मिश्रा,पंकज सिंह और राजेश तिवारी ने लोकगीत प्रस्तुत किया। संस्कृति नाट्य मंच की ओर से प्रेमचंद की कहानी ‘पंच परमेश्वर’ और ‘धर्मयुद्ध’ नाटकों का मंचन हुआ। इसमें प्रियांगु पांडेय, राजेश सिंह, निखिता पांडेय, सुनील यादव, विकास मिश्रा, सुशील सिंह, स्वीटी दास, अपराजिता विनय, सूरज शर्मा, मो. हाशिम, गौरव गोंड, विशाल बैठा, निखिल विनय, चंदन भगत, नेहा राय, मो. इज़राइल, हिमांशु राय, श्रुति दास, अंजलि साव, संटु चौधरी, अंकित साव और रवि पंडित ने अभिनय किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. संजय जायसवाल ने कॉलेज के प्रस्ताव पर सहमति दर्ज करते हुए कहा कि प्रेमचंद का एक सपना यह था कि सबको शिक्षा का अधिकार मिले। लोकतांत्रिक तरीके से शिक्षा को व्यापक समाज का हिस्सा बनाना होगा। इस अवसर पर डॉ. श्रीकांत द्विवेदी, सिद्धार्थ पासवान,सुमन शर्मा, नवनिता दास, रूपेश कुमार यादव सहित सैकड़ों साहित्यप्रेमी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
प्रेमचंद का साहित्य हमें भारतीयता की मुकम्मल दृष्टि देता है – सदानंद शाही
कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से परिषद सभागार में आयोजित की गयी। प्रेमचंद विमशों के बीच पुल’ विषय पर चर्चा के दौरान यह कहा गया कि आज स्त्री, दलित, आदिवासी विमशों के विभाजनों के सामने प्रेमचंद सभी तरह के सामाजिक उत्पीड़नों के बीच एक मजबूत पुल की तरह दिखाई देते हैं। उनका कथा साहित्य हिंदुस्तान को जानने की खिड़की है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमें भारतीयता की मुकम्मल दृष्टि देता है। उन्होंने भारतीय जनता के सुख-दुख का साहित्य लिखा जो आज भी प्रेरणादायक है। ओडिशा के रेवेंशा बुनिवर्सिटी की प्रो. अंजुमन आरा ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने कथा साहित्य के केंद्र में स्त्री को रखकर उसकी वास्तविक स्वतंत्रता का सवाल उठाया। स्काटिश चर्च कॉलेज की प्रो. गीता दूबे ने यह बताया कि प्रेमचंद के साहित्य में सभी विमशों के बीज हैं। उनका उद्देश्य मानवीय दृष्टि का प्रसार करना था। खुदीराम बोस कॉलेज की प्रो. शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद से बताना चाहा कि सांप्रदायिकता से बाहर निकलकर ही राष्ट्र का विकास संभव है।
प्रथम सत्र के अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि प्रेमचंद विमशों के बीच पुल हैं। वे अपने समय के सभी उत्पीड़नों के बीच फुल बनाना चाहते थे जो आज के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रेरणा है। उनका साहित्य हिंदुस्तान की हालत और ताकत का आईना है। आरंभ में परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप चोपड़ा ने कहा कि प्रेमचंद ने नमक का दारोगा’ कहानी में भ्रष्टाचार को एक समस्या के रूप में दिखाया है जिसमें आज के भारत की भी तस्वीर है। प्रेमचंद जयंती के संयोजक और विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि आज विद्यार्थियों और नौजवानों की इतनी बड़ी उपस्थिति प्रेमचंद की लोकप्रियता का प्रमाण है। इस सत्र का संचालन श्रीमती मनीषा गुप्ता ने किया।
दूसरे सत्र में खिदिरपुर कॉलेज के प्रो. इतु सिंह ने अल्पसंख्यकों की समस्या उठाते हुए प्रेमचंद के नाटक कर्बला की चर्चा की। उन्होंने कहा हर धर्म का व्यक्ति उदार है पर राजनीति उसे क्रूर बना देती है। राजभाषा से जुड़े श्री मृत्युंजय ने कहा कि आज गांधी और प्रेमचंद जैसे व्यक्तियों को छोटा दिखाने की कोशिश हो सकती है पर ये भारतीय राष्ट्रीयता के सच्चे निर्माता थे। प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के प्रो. वेद रमन ने कहा कि प्रेमचंद का लेखन और जीवन दोनों महत्वपूर्ण है। वे राष्ट्रीयता तक सीमित नहीं थे बल्कि अंतरराष्ट्रीय भाईचारे की बात करते थे। हिंदी के वरिष्ठ कवि श्री अष्टभुजा शुक्ल (बस्ती) ने कहा कि प्रेमचंद बिगाड़ से डरे बिना ईमान की बात कही। उनका साहित्य प्रश्न उठाता है और वे अपने लेखन से नए भारत की कल्पना कर रहे थे। इस सत्र का संचालन श्री नरेंद्र पंडित ने किया। प्रेमचंद जयंती के विभिन्न सत्रों में गुलनाज बेगम, लिली शाह, अनूप कुमार, प्रियंका सिंह, सुमन शर्मा, आदित्य कुमार गिरि, पूजा मिश्रा, दीक्षा गुप्ता, नवारुण भट्टाचार्य, श्रद्धा सिंह, प्रकाश त्रिपाठी, निखिता पांडेय ने आलेख पाठ किया। इस अवसर पर संस्कृति नाट्य मंच की ओर से ‘हिंसा परमो धर्मः नाटक का मंचन हुआ। इसमें इबरार खान,मधु सिंह, राहुल गौड़,पंकज सिंह, विशाल कुमार साव,राजेश सिंह, सूर्यदेव राय,रवि पंडित, कोमल साव,चंदन भगत,सपना कुमारी, मो.इजराइल ने अभिनय किया। जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। इस अवसर पर आसनसोल, वर्द्धमान, मिदनापुर, खड़गपुर, कुल्टी,कल्याणी आदि शहरों के साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन श्रीप्रकाश गुमा ने किया।
वीरांगनाओं ने मनाया सावन मिलन उत्सव
कोलकाता । अंतरराष्ट्रीय क्षत्रिय वीरांगना फाउंडेशन पश्चिम बंगाल की प्रदेश इकाई की ओर से काशीपुर में ‘सावन मिलन उत्सव’ मनाया गया। कार्यक्रम का संयोजन संगठन की काशीपुर इकाई ने किया था। समारोह में सावन से जुड़े गीतों की सांगीतिक प्रस्तुति की गयी। जिसमें प्रतिभा सिंह, कुमार सुरजित, बेबी काजल, साईं मोहन ने अपने गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। समारोह को सम्बोधित करते हुए वीरांगना की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि सावन का महीना भारतीय सांस्कृतिक जीवन में बहुत महत्व का है। लोगों के जीवन में जिम्मेदारियां और संघर्ष बहुत हैं लेकिन हरियाली कम दिखायी देती है। हरियाली जरूरी है और वह बनी रहे, इसी कामना के साथ वीरांगनाओं ने यह उत्सव उल्लास के साथ मनाया। समारोह में पश्चिम बंगाल प्रदेश महासचिव प्रतिमा सिंह, उपाध्यक्ष रीता राजेश सिंह, संयुक्त सचिव ममता सिंह, संगठन सचिव किरण सिंह, सुमन सिंह, कोलकाता महानगर (काशीपुर) इकाई की संरक्षक गिरिजा दारोगा सिंह, गिरिजा दुर्गादत्त सिंह, अध्यक्ष मीनू सिंह, उपाध्यक्ष ललिता सिंह, महासचिव इंदु सिंह, कोषाध्यक्ष संचिता सिंह, संयुक्त सचिव विद्या सिंह, सदस्य सरोज सिंह, मीरा सिंह, पूनम सिंह, जूही सिंह, लाजवंती सिंह, रूपाली सिंह, मीना सिंह, सोदपुर इकाई की अध्य़क्ष सुनीता सिंह, सचिव मंजू सिंह, संयुक्त सचिव जयश्री सिंह तथा बालीगंज इकाई की अध्यक्ष रीता सिंह उपस्थित थीं। नारी शक्ति वीरांगना की सदस्याएं अनीता साव, शकुंतला साव, काजल गुप्ता, मीनू तिवारी, सुनीता शर्मा, स्तुति शर्मा, बेबी श्री आदि उपस्थित थीं।
प्रेमचंद भारतीयता के लेखक हैं-शुभ्रा उपाध्याय
कोलकाता । कोलकाता का प्रतिष्ठित कॉलेज खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की ओर से प्रेमचंद जयंती के अवसर पर ‘प्रेमचंद स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कॉलेज के आचार्य डॉ सुबीर कुमार दत्त ने कहा कि यह व्याख्यनमाला विगत बारह वषों से आयोजित हो रहा है। उन्होंने हिंदी विभाग की सक्रियता की प्रशंसा करते हुए आमंत्रित वक्ता एवं श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया। विभागाध्यक्ष डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने प्रेमचंद के लेखन और चिंतन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद भारतीयता के लेखक हैं। मुख्य वक्ता क्वींस कॉलेज की प्रोफेसर डॉ शुभा श्रीवास्तव ने प्रेमचंद के लेखन में उपस्थित समग्रता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के पात्र हमारे समाज के पात्र हैं। उनके प्रति प्रेमचंद की प्रतिबद्धता निरंतर बनी रही। उन्होंने विशेष रूप से ‘प्रेमाश्रम’ का समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया।उन्होंने प्रेमाश्रम की समस्याओं के साथ उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो.राहुल गौड़ और धन्यवाद ज्ञापन विभाग की शिक्षिका मधु सिंह ने दिया।
सन्मार्ग फाउंडेशन ने आयोजित किया 17वाँ ‘राम अवतार गुप्त हिंदी प्रोत्साहन 2022’
कोलकाता । सन्मार्ग फाउंडेशन ने राम अवतार गुप्त हिंदी प्रोत्साहन 2022 के अपने 17वें संस्करण आयोजित किया। यह कार्यक्रम कोलकाता के जीडी बिड़ला सभाघर में आयोजित किया गया था। इस वर्ष सिलीगुड़ी और दक्षिण बंगाल संस्करण भी देखा गया। इस कार्यक्रम की मेजबानी प्रसिद्ध टेलीविजन कलाकार ऋत्विक धनजानी ने की। इसके साथ ही शहर भर के छात्रों के लिए रेवोल्यूशन बैंड द्वारा एक विशेष रॉक प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
इस पुरस्कार समारोह में विभिन्न बोर्डों (सीआईएससीई, सीबीएसई और डब्ल्यूबी बोर्ड) के कुल 60 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। 3 बोर्ड- सीआईएससीई, सीबीएसई और पश्चिम बंगाल बोर्ड के 10 और 12 में से प्रत्येक के 12 टॉपर्स छात्र थे, जिनका चयन किया गया था। इनमें से प्रत्येक बोर्ड के पहले और दूसरे टॉपर्स को सन्मार्ग फाउंडेशन की ओर से छात्रवृत्ति दी गई। इस पुरस्कार समारोह में विभिन्न बोर्डों (सीआईएससीई, सीबीएसई और डब्ल्यूबी बोर्ड) के कुल 60 छात्रों को सम्मानित किया गया। 3 बोर्ड- सीआईएससीई, सीबीएसई और पश्चिम बंगाल बोर्ड के 10 और 12 में से प्रत्येक के 12 टॉपर्स विद्यार्थी थे, जिनका चयन किया गया था। इनमें से प्रत्येक बोर्ड के पहले और दूसरे टॉपर्स को सन्मार्ग फाउंडेशन की ओर से स्कॉलरशिप दी गयी। यह पुरस्कार 4 सर्वश्रेष्ठ टॉप शिक्षण संस्थानों, 6 सर्वश्रेष्ठ शिक्षक – शिक्षिकाएं और 4 कॉलेज टॉपर्स को भी दिया गया। राम अवतार गुप्त हिंदी प्रोत्साहन पूरे बंगाल में 5000 स्कूलों और देश भर में एक हजार से अधिक स्कूलों तक पहुंचता है जहां छात्र हिंदी में अपने स्कूल के प्रदर्शन, उनकी पाठ्येतर गतिविधियों और भाषा के प्रति उनकी व्यक्तिगत पहल के आधार पर आवेदन करते हैं। स्कूलों को उनके प्रदर्शन और इस भाषा में उनके द्वारा की गई पहल के लिए सम्मानित किया गया। इस वर्ष भी हमने मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया, जिन्होंने शारीरिक अक्षमताओं, मानसिक चुनौतियों, भावनात्मक बाधाओं या वित्तीय कठिनाइयों का सामना किया है। इसे अजय और अपराजय पुरस्कारों के तहत वर्गीकृत किया गया है।
सन्मार्ग फाउंडेशन की निदेशक रुचिका गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हिंदी देश की राजभाषा है और हमारे विनम्र प्रयास, ‘राम अवतार गुप्त हिंदी प्रोत्साहन’ के माध्यम से, हमारा लक्ष्य आज के युवाओं में इस महान भाषा के प्रति गर्व की भावना पैदा करना है। ”
प्रेमचंद जयंती पर मुक्तांचल के 34वें अंक का लोकार्पण
कोलकाता । ‘विद्यार्थी मंच’ द्वारा रविवार प्रेमचंद जयंती के अवसर पर ‘मुक्तांचल’ त्रैमासिक पत्रिका के 34वें अंक का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया इसके साथ ही प्रेमचंद पर एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष शुभ्रा उपाध्याय ने की। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई जिसे श्रद्धा गुप्ता ने प्रस्तुत किया। इसके पश्चात मंचासीन सभी विद्वानों ने मुक्तांचल पत्रिका के जुलाई अंक का लोकार्पण किया।
मुक्तांचल पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा ने पत्रिका के 34वें अंक के बारे में बताते हुए कहा कि यह पत्रिका लोगों से जुड़ने और जोड़ने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वयं को विकसित करने का एक विशेष जरिया साहित्य है क्योंकि साहित्य में सबकुछ समाहित है। इसके साथ ही उन्होंने आपसी संवाद से ‘साहित्यिक माहौल’ बनाने की पहल पर विशेष बल दिया।
प्रेमचंद जयंती कार्यक्रम के प्रथम वक्ता डॉ. विनय मिश्र ने वर्तमान समय में प्रेमचंद की लोकप्रियता पर बात करते हुए कहा कि भारतीय समाज व्यवस्था को समझने में प्रेमचंद का साहित्य सदैव अमर रहेगा। उन्होंने प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से स्त्री, दलित, जातिवाद और संप्रदायवाद की समस्यायों को उठाते हुए उसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखने की बात कही।
कार्यक्रम में मौजूद दूसरे वक्ता जीवन सिंह ने अपने वक्तव्य की शुरुआत प्रेमचंद की प्रासंगिकता से करते हुए कहा कि आज जो समाज में घट रहा है, उसकी भनक प्रेमचन्द को सौ वर्ष पहले हो चुकी थी। अन्य भाषा की रचनाओं से तुलना करते हुए उन्होंने बताया कि आज प्रेमचंद को पढ़ना क्यों जरूरी है। प्रेमचंद के समग्र साहित्य में वर्तमान भारत की समस्यायों पर गहरी चिंता दिखाई पड़ती है। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज की पीढ़ी को जरूरत है भारतीय समाज की कुव्यवस्था से लड़ने की।
मुख्य वक्ता मिदनापुर कॉलेज ( ऑटोनामस ) के हिंदी प्राध्यापक डॉ. रणजीत सिन्हा ने प्रेमचंद के महत्त्व को उजागर करते हुए बताया कि प्रेमचंद ने भोगे हुए यथार्थ से अपने साहित्य की भूमि तैयार की। उन्होंने वही लिखा जो समाज ने भोगा था। प्रेमचंद के पात्र आज भी हमारे इर्द-गिर्द जीवित है। वर्तमान समय में चल रहे तमाम विमर्शों के स्त्रोत प्रेमचंद के साहित्य में मिल जाते हैं।
इसी कड़ी में अगले वक्ता विवेक लाल ने प्रेमचंद के साहित्य पर चर्चा करते हुए कहा कि आधुनिक हिंदी साहित्य में चेतना रूपांतरण के सबसे महत्वपूर्ण रचनाकार प्रेमचंद है। प्रेमचंद अपनी दूरदर्शी दृष्टि के कारण सदैव नवीन रहेंगे और आज जरूरत है प्रेमचंद के पाठक को अपने अंदर इंकलाब की चेतना लाने की।
इस अवसर पर उपस्थित श्रीप्रकाश गुप्ता ने कहा कि आज के विद्यार्थी एवं युवा वर्ग को पाठ्यक्रम से इतर भी प्रेमचंद को पढ़ने एवं समझने की जरूरत है क्योंकि समाज में परिवर्तन तभी संभव है जब आज की युवा पीढ़ी प्रेमचंद को नवीन नजरिये से पढ़ेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद के यहाँ जैसी आत्मीयता और संवेदना मिलती है वैसा अन्यथा मिलना मुश्किल है। आज भी जब हम विमर्शों की बात करते हैं तो हमें सबसे पहले प्रेमचंद के पास जाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में मौजूद रितेश पांडे और जीवन सिंह जी ने अपनी स्वरचित कविता का पाठ करके कार्यक्रम को आंनदमय कर दिया। इसके साथ ही अक्षिता साव, अभिषेक पांडे, प्रीति साव एवं श्रद्धा गुप्ता ने भी अपनी स्वरचित कविता तथा ग़ज़लों को प्रस्तुत किया।
अंत में नगीनालाल दास ने धन्यवाद ज्ञापन देकर कार्यक्रम में मौजूद सबके प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन परमजीत कुमार पंडित ने किया। कार्यक्रम में मौजूद सुशील कुमार पांडे, विनोद यादव, विनीता लाल, सरिता खोवाला, बलराम साव, शनि चौहान एवं रानी तांती समेत अनेक विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी।
रपट – रानी तांती, शोथार्थी, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय