कोलकाता । बिड़ला हाई स्कूल में गत 27 जुलाई को इंटर हाउस वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गयी। इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में स्कूल की प्रिंसिपल लवलीन सैगल, कोकरिकुलर गतिविधियों की कोर्ऑडिनेटर रेणुका छोटरानी उपस्थित थीं। प्रतियोगिता के निर्णायकों में बिड़ला हाई स्कूल के अंग्रेजी विभाग की सुमिता आचार्य, ह्यूमैनिटीज विभागाध्यक्ष सुश्री इंद्राणी बनर्जी, जूनियर सेक्शन के शिक्षक और मारियो जोसेफ शामिल थे। सभी छह सदनों के प्रतिभागियों ने या तो इस विषय के पक्ष में या विपक्ष में बात की, जिसमें कहा गया था, “सदन का मानना है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया साइटों पर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए”। सत्र का संचालन बिड़ला हाई स्कूल के पूर्व छात्र पुष्कर पांडे ने किया, जिन्होंने पिछले वर्ष संस्थान से स्नातक किया था। रोमाचंक मुकाबले के बाद निर्णायकों ने प्रताप हाउस के आठवीं कक्षा के छात्र अरमान अग्रवाल को सर्वश्रेष्ठ वक्ता घोषित किया। फ्लोर स्पीकर का पुरस्कार नेताजी हाउस के कुशाग्र राय (कक्षा 6) को और सर्वश्रेष्ठ टीम का पुरस्कार प्रताप हाउस को मिला जिसमें अरमान गंगवाल, नीलेश घोष और अली असगर कपाड़िया शामिल थे। सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। बेस्ट स्पीकर, बेस्ट फ्लोर स्पीकर और बेस्ट टीम को पुरस्कार दिए गए। कक्षा 6-8 के छात्रों के पूरे डिबेट क्लब ने दर्शकों के रूप में भाग लिया।
‘एमसीसीआई ने आयोजित किया ‘सीएसआर कॉन्क्लेव 2022’
कोलकाता । मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने आज कोलकाता में कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी पर अपना पहला कॉन्क्लेव आयोजित किया। उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभाग की मुख्य सचिव संघमित्रा घोष ने कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चेम्बर या व्यवसाय आंगनवाड़ी केंद्र में पूरक पोषण को प्रायोजित कर सकते हैं या मौजूदा आंगनवाड़ी में सुविधाओं के निर्माण में मदद कर सकते हैं या एक नया आंगनवाड़ी भवन बनाने में मदद कर सकते हैं। सरकार की बाल संरक्षण सेवाओं के लिए, सीएसआर में अधिक केंद्र बनाना, या ऐसे केंद्रों में सरकार के साथ काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को अपनाना शामिल हो सकता है। कन्याश्री कार्यक्रम से 80 लाख लड़कियां लाभान्वित हुई हैं और लक्ष्मी भंडार पहल से 2 करोड़ महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। पश्चिम बंगाल में आंगनबाडी केंद्र हैं और 2.5 लाख से अधिक महिलाएं इस सेवा से जुड़ी हैं।
टाटा स्टील के सीएसआर के प्रमुख सौरव रॉय ने सीएसआर स्पेस में दो अंतरालों के बारे में बात की: पहला भारत के पूर्वी क्षेत्र में जरूरत और फंडिंग के बीच का अंतर; और दूसरा समाधान बनाने और समस्या को हल करने के बीच का अंतर है।
यूनिसेफ के फील्ड ऑफिस प्रमुख मोहम्मद मोहिउद्दीन ने कहा कि हालांकि बाल मृत्यु के मामले में पश्चिम बंगाल भारतीय औसत से बेहतर है, लेकिन चिंताजनक रूप से किशोर गर्भधारण और मातृ मृत्यु दर बढ़ रही थी। इसलिए उन्होंने शिक्षा, बाल संरक्षण और रोजगार के एसडीजी के साथ संरेखित यूनिसेफ कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। उन्होंने कहा कि इसमें कॉर्पोरेट और गैर सरकारी संगठन उनके क्षेत्रीय कार्यालय के साथ सहयोग कर सकते हैं। कोलकाता के संबंध में, यूनिसेफ वार्ड 66 और 68 में पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के साथ स्लम क्लीनिक चलाता है – जिसे सीएसआर के रूप में पूरे कोलकाता में मलिन बस्तियों में बढ़ाया जा सकता है।
ब्रिटिश काउंसिल के निदेशक (पूर्व और पूर्वोत्तर भारत) देवांजन चक्रवर्ती ने कहा कि ब्रिटिश काउंसिल ने कमजोर वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी भाषा और डिजिटल साक्षरता में शिक्षित करने के लिए ग्रामीण भारत में टीच इंडिया पहल की शुरुआत की थी।
एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ सी कोठारी ने स्वागत भाषण दिया। एमसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित बेरीवाला ने कहा सीएसआर को अनिवार्य बनाने वाला भारत पहला देश था। इस कन्क्लेव में उद्योगजगत के कई दिग्गजों ने विचार रखे।
नयी काव्यमय इंसानियत की यात्रा है युवा लेखन कार्यशाला:शंभुनाथ
15 अगस्त को होगी श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा पर निर्मित लघु फिल्म की स्क्रीनिंग
150 वीं जयंती पर विदेश मंत्रालय की पहल
कोलकाता । भारत के महान दार्शनिक, विचारक श्री अरबिंदो घोष की 150 वीं जयंती के अवसर पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक विशेष पहल की है। निर्देशक सूरज कुमार की बनाई शॉर्ट फिल्म ” श्री अरबिंदो: द बिगनिंग ऑफ स्पिरिचुअल जर्नी” की भारतीय विदेश मंत्रालय के सौजन्य से 15 अगस्त के दिन स्क्रीनिंग की जाएगी। यह निर्णय श्री अरबिंदो घोष की 150 वीं जयंती को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
यह सुंदर संयोग है कि इस पंद्रह अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव के दिन, 15 अगस्त 1872 को जन्म लेने वाले श्री अरबिंदो घोष की 150 वीं जयंती भी है। लघु फिल्म श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित है। शॉर्ट फिल्म का स्क्रीनप्ले मनीष कुमार प्राण ने लिखा है और अभिनेता विक्रांत चौहान शॉर्ट फिल्म में श्री अरबिंदो घोष की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे।
यह शॉर्ट फिल्म भारतीय नागरिकों को श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा की शुरूआत दिखाने का काम करेगी। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह सन 1908 में कोलकाता की अलीपुर जेल में अपने एक साल के कारावास के दौरान, श्री अरबिंदो घोष के भीतर अध्यात्मिक चेतना का उदय हुआ और उन्होंने आध्यात्मिक यात्रा के लिए निकलने का निर्णय लिया। श्री अरबिंदो घोष को “अलीपुर षड्यंत्र केस” में अंग्रेज सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। अलीपुर जेल में अपने प्रवास के शुरुआती 2 – 3 दिनों में ही श्री अरबिंदो घोष के भीतर जीवन को बदल देने के अनुभव हुए। इन्हीं अनुभवों के कारण श्री अरबिंदो घोष ने आध्यात्मिक यात्रा की शुरूआत की। इसी आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित यह शॉर्ट फिल्म है। श्री अरबिंदो घोष को कोर्ट ने साल 1909 में बाइज्जत बरी कर दिया था।
15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के दिन श्री अरबिंदो घोष की 150 वीं जयंती है। यह विशेष दिन है। श्री अरबिंदो घोष के जीवन को समझने के लिए उनकी आध्यात्मिक यात्रा को समझना जरूरी है। यह शॉर्ट फिल्म इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
शॉर्ट फिल्म के निर्देशक सूरज कुमार का कहना है कि उनके भीतर श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा पर शॉर्ट फिल्म बनाने का विचार, उनकी एक मित्र डॉक्टर वर्तिका नंदा के साथ हुई बातचीत के दौरान आया। वर्तिका नंदा जेल सुधारों के लिए कार्य करती हैं। सूरज कुमार का कहना है कि वर्तिका नंदा से बातचीत के बाद वह कोलकाता की नेशनल लाइब्रेरी गए और उन्होंने श्री अरबिंदो घोष की गिरफ्तारी और उनके अलीपुर जेल में बिताए दिनों से जुड़े दस्तावेज खंगाले। यही से उन्हें फिल्म बनाने की राह मिली।
शॉर्ट फिल्म “श्री अरबिंदो : द बिगनिंग ऑफ स्पिरिचुअल जर्नी” अगले एक वर्ष तक देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में प्रदर्शित की जाएगी। यह श्री अरबिंदो घोष के प्रति श्रद्धांजलि भी होगी और उनके विचारों को समझने, जानने का एक सुनहरा अवसर भी होगा।
सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में क्राफ्टास्टिक 2022
कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल के सोशल आन्ट्रोप्रेनियरशिप क्लब स्वाभिमान ने हाल ही में बांग्लानाटक डॉट कॉम के सहयोग से क्राफ्टास्टिक -2022 आयोजित किया गया। गत 28 और 29 जुलाई को आयोजित इस दो दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन विद्या मंदिर सोसायटी के महासचिव मेजर जनरल वी. एन. चतुर्वेदी ने किया। इस हस्तशिल्प प्रदर्शनी में ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित सबाई, डोकरा, कांथा, टोकरियाँ प्रदर्शित की गयीं। छात्राओं ने ग्राहकों से सम्पर्क करने में मदद की। छात्राओं को इस प्रदर्शनी में उद्यमिता, विपणन कौशल यानी मार्केटिंग के गुण सीखने का मौका मिला।
देशराग अमृत – स्वरचित देशभक्ति कविता

मेरी जान तिरंगा
मेरी जान तिरंगा, मेरी ज्ञान तिरंगा |
सरहद पर लड़ने वालों की पहचान तिरंगा |
खाकी वर्दी में गले जिंदगी बिताऊँ पर मरते समय तिरंगे को गले से लगाऊ यह आरजू मेरी पूरी हो; तमन्ना न अधूरी हो,
मैं न सिख हूँ न ही इसाई न हूँ जाट मराठा, अपने देश की रक्षा में गैं भारत माँ का बेटा।
नन्ही चिड़िया को चहकता छोड़ आया मैं,
मेरी माँ की आँसुओ को बहता छोड़ आया मैं, नये गजरे को महकता छोड़ आया मैं। देश के लिए,
मर मिटने का गन लाया गैं
इस सरहद पर जब तक हम खड़े रहेंगे; दुश्मनों पर कहरो के पहाड़ दहेंगे।
और जब
भारत माँ के गोद में सोने का हँसते समय आयेगा, हुए दुनिया को अलविदा कहेंगे।
हम भारतवासी
दुनिया वालो जान लो हमें,
आँखे खोलो और पहचान लो हमे
हम वह है हेम जो बजर से नदी की धार बहा दे, वह है, जो पहार को भी भगवान बता दे,
हम ही हैं, जो धर्म की पहली परिभाषा कहलाते है, और ढंग ही है जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ गाते है;
विश्वगुरु नाम से विख्यात,
देश में रहने वाले है हम |
और पूरी धरा मेरा परिवार है, ऐसा कहने वाले है हम | हमारे हार से कोई याचक निराश हो न जाते हैं, हमारे शौर्य की गाथा सदा पुराण गाते है।
कोई हो दुःखी ऐसी बात हम बोलते नहीं है, और कोई हमें बोल जाए ! तो उसे, छोड़ते नहीं है।
हम वीरता का चिन्ह और गौरव का अतीत है। युद्ध का घोष तो कहीं शांति का प्रतीक है,
हम ही शिव का ताण्डव और राम की विनय सुनाने वाले हैं,
आगे अब और क्या चाहिए! हम भारत के रहने वाले है।
जानिए अखण्ड भारत का अतीत और वर्तंमान
अखण्ड भारत एक स्वप्न है जो सत्य की धरातल पर खड़ा है। सम्भव है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह परिकल्पना थोड़ी कठिन लग रही हो मगर भारत विश्व गुरु रहा है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में यह जानना आवश्यक है कि हमारी सीमाएं कहाँ तक रहीं, यह भारत का गौरव है। आज की वर्तमान परिस्थितियों में हम इन देशों की सम्प्रभुता का सम्मान करते हुए अपने अतीत पर दृष्टि डालें, यह महत्वपूर्ण हैं। इतिहास हमारी जमीन है, वह हमें आधार देता है, आत्मविश्वास और आत्मव्यक्तित्व देता है। इतिहास इसलिए भी आवश्यक है कि हम अतीत के सद्गुण ग्रहण करें और अपनी गलतियों से सीखते हुए वर्तमान में प्रयास करें जिससे हमारे प्रिय भारतवर्ष का भविष्य सुदृढ़, सशक्त, समृद्ध और गौरवशाली बने।
इसी परिप्रेक्ष्य में वेब दुनिया पर प्रकाशित यह आलेख अनिरुद्ध जोशी की कलम से है जिसे हम साभार आप तक लाए हैं।
आप सभी को स्वाधीनता के गौरवशाली अमृत महोत्सव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जय भारत, वन्दे मातरम्, जयतू मातृभूमि
1. जम्बूद्वीप का एक खंड है भारतवर्ष : अखंड भारत शब्द तब प्रचलन में आया जबकि भारत खंड खंड हो गया। पुराणों के अनुसार धरती 7 द्वीपों की है- जम्बू, प्लक्ष, शाल्म, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर। इसमें बीचोंबीच जम्बूद्वीप है जिसके नौ खंड है- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल। इन 9 खंडों में नाभिखंड को अजनाभखंडऔर बाद में भारतवर्ष बोला जाने लगा।
2. ऋषभ पुत्र चक्रवर्ती भरत के नाम पर भारतवर्ष : भारतवर्ष को जम्बूद्वीप का एक हिस्सा माना गया है। भारतवर्ष के अंतर्गत आर्यावर्त नामक एक स्थान है। राजा अग्नीध्र जम्बूद्वीप के राजा था। अग्नीध्र के पुत्र महाराज नाभि एवं महाराज नाभि के पुत्र ऋषभदेव थे जिनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।
3. प्राचीन भारत की सीमा : चक्रवर्ती सम्राट भरत के भारतवर्ष की सीमा प्राचीन काल में भारत की सीमा ईरान, अफगानिस्तान के हिन्दूकुश से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक। कुछ विद्वान दूसरी ओर अरुणाचल से लेकर इंडोनेशिया, मलेशिया तक सीमा होने का दावा भी करते हैं। इस संपूर्ण क्षेत्र में 18 महाजनपदों के सम्राटों का राज था जिसके अंतर्गत सैंकड़ों जनपद और उपजनपद थे। मार्केन्डय पुराण के अनुसार संपूर्ण भारतवर्ष के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण की ओर समुद्र है जो कि उत्तर में हिमालय के साथ धनुष ‘ज्या’ (प्रत्यंचा) की आकृति को धारण करता है।
4. चाणक्य के काल में भारत : युधिष्ठिर के शासन के बाद आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन में 321-22 ईसा पूर्व बिघरे हुए भारत को मिलाकर एक ‘अखंड भारत’ का निर्माण सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने किया था। इसके बाद उत्तर में सम्राट हर्षवर्धन और दक्षिण में पुलकेशिन द्वीतीय के शासन में भारत की सीमा संपूर्ण अखंड भारत का हिस्सा थी।
1. ईरान और अफगानिस्तान : कहते हैं कि ईरान पहले पारस्य देश था जो कि आर्यों की एक शाखा ने ही स्थापित किया था। प्राचीन गांधार और कंबोज के हिस्सों को ही आज अफगानिस्तान कहा जाता है। उक्त संपूर्ण क्षेत्र में हिन्दू साम्राज्य और पारसी राजवंश का ही शासन था। फिर 7वीं सदी के बाद यहां पर अरब और तुर्क के मुसलमानों ने आक्रमण करना शुरू किए और 870 ई. में अरब सेनापति याकूब एलेस ने अफगानिस्तान को अपने अधिकार में कर लिया था। ब्रिटिश काल में 1834 में अफगानिस्तान को एक बफर स्टेट बनाया और 18 अगस्त 1919 को इससे भारत से अलग कर दिया गया।
2. पाकिस्तान और बांग्लादेश: सिंध पर ईस्वी सन् 638 से 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में 9 खलीफाओं ने 15 बार आक्रमण किया और अंतत: हिन्दू राजा राजा दाहिर (679 ईस्वी) के कत्ल के बाद इसे इस्लामिक क्षेत्र बना दिया। इसी तरह बलूचिस्तान, मुल्तान, पंजाब और कश्मीर पर आक्रमण करके इसका भी इस्लामिकरण कर दिया गया। अतत: सन् 14 और 15 अगस्त 1947 को उक्त सभी हिस्सों को मिलाकर पाकिस्तान का गठन हुआ और एक नया देश अस्तित्व में आया। उस वक्त बंगाल के आधे हिस्से को भी पाकिस्तान में मिलाकर उसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाने लगा। 26 मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से आजादी मिली और एक नया देश अस्तित्व में आया जिसका नाम बांग्लादेश रखा गया। इस तरह 1947 में अखंड भारत से अफगानिस्तान के बाद एक बहुत बड़ा भू-भाग अलग होकर पाकिस्तान और बांग्लादेश में बदल गया।
3. नेपाल : पौराणिक मान्यता के अनुसार नेपाल को कभी देवघर कहा जाता था। भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म स्थल मिथिला नेपाल में है। यहां पर 1500 ईसा पूर्व से ही हिन्दू आर्य लोगों का शासन रहा है। 250 ईसा पूर्व यह मौर्यों के साम्राज्य का एक हिस्सा था। फिर चौथी शताब्दी में गुप्त वंश का एक जनपद रहा। 7वीं शताब्दी में इस पर तिब्बत का आधिपत्य हो गया था। 11वीं शताब्दी में नेपाल में ठाकुरी वंश के राजा राज्य करते थे। इसके बाद और भी कई राजवंश हुए। अंत में जा पृथ्वी नारायण शाह ने 1765 में नेपाल की एकता की मुहिम शुरू की और मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बड़े राज्यों को संगठित कर 1768 तक इसमें सफल हो गए। यहीं से आधुनिक नेपाल का जन्म होता है। 1904 में नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा मिला।
4. भूटान : भूटान भी कभी भारतीय महाजनपदों के अंतर्गत एक जनपद था। संभवत: यह विदेही जनपद का हिस्सा था। भूटान संस्कृत के भू-उत्थान से बना शब्द है। ब्रिटिश प्रभाव के तहत 1907 में वहां राजशाही की स्थापना हुई। 1947 में भारत आजाद हुआ और 1949 में भारत-भूटान समझौते के तहत भारत ने भूटान की वो सारी जमीन उसे लौटा दी, जो अंग्रेजों के अधीन थी।
5. म्यांमार : म्यांमार कभी ब्रह्मदेश हुआ करता था। इसे बर्मा भी कहते हैं, जो कि ब्रह्मा का अपभ्रंश है। शोक के काल में म्यांमार बौद्ध धर्म और संस्कृति का पूर्वी केंद्र बन गया था। 1886 ई. में पूरा देश ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के अंतर्गत आ गया किंतु ब्रिटिशों ने 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत म्यांमार को भारत से अलग कर दिया।
6. श्रीलंका : रावण का राज्य श्रीलंका भारतीय जनपद का एक हिस्सा था। एक मान्यता के अनुसार ईसा पूर्व 5076 साल पहले भगवान राम ने रावण का संहार कर श्रीलंका को भारतवर्ष का एक जनपद बना दिया था। इसके बाद अशोक के काल में श्रीलंका सनातन धर्म से बौद्धधर्मी बना। यहां कभी भारत के चोल और पांडय जनपद के अंतर्गत आता था। अंग्रेजों ने 1818 में इसे अपने पूर्ण अधिकार में ले लिया और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को श्रीलंका को भारत से अलग करके एक आजाद देश बना दिया गया।
7. मलेशिया : वर्तमान के मुख्य 4 देश मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और कंबोडिया प्राचीन भारत के मलय प्रायद्वीप के जनपद हुआ करते थे। भारत आजाद हुआ तब अंग्रेजों में मलेशिया के हिस्सों को भारत का हिस्सा नहीं मानते हुए इसे अपने ही पास रखा और बाद में मलेशिया को अंग्रेजों ने 1957 में एक आजाद देश बना दिया।
8. सिंगापुर : सिंगापुर मलय महाद्वीप के दक्षिण सिरे के पास छोटा-सा द्वीप है। हालांकि यह मलेशिया का ही हिस्सा था। विवाद और संघर्ष के बाद 9 अगस्त 1965 को सिंगापुर एक स्वतंत्र गणतंत्र बन गया।
9. थाईलैंड: थाईलैंड का प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश है। सन् 1238 में सुखोथाई राज्य की स्थापना हुई जिसे पहला बौद्ध थाई राज्य माना जाता है। सन् 1782 में बैंकॉक में चक्री राजवंश की स्थापना हुई जिसे आधुनिक थाईलैँड का आरंभ माना जाता है। यूरोपीय शक्तियों के साथ हुई लड़ाई में स्याम को कुछ प्रदेश लौटाने पड़े, जो आज बर्मा और मलेशिया के अंश हैं। 1992 में हुए सत्तापलट में थाईलैंड एक नया संवैधानिक राजतंत्र घोषित कर दिया गया।
10. इंडोनेशिया : इंडोनेशिया में मुसलमानों की सबसे ज्यादा जनसंख्या बसती है। इंडोनेशिया का एक द्वीप है बाली, जहां के लोग अभी भी हिन्दू धर्म का पालन करते हैं। इंडोनेशिया में श्रीविजय राजवंश, शैलेन्द्र राजवंश, संजय राजवंश, माताराम राजवंश, केदिरि राजवंश, सिंहश्री, मजापहित साम्राज्य का शासन रहा। 7वीं, 8वीं सदी तक इंडोनेशिया में पूर्णतया हिन्दू वैदिक संस्कृति ही विद्यमान थी। इसके बाद यहां बौद्ध धर्म प्रचलन में रहा, जो कि 13वीं सदी तक विद्यमान था। फिर यहां अरब व्यापारियों के माध्यम से इस्लाम का विस्तार हुआ। 350 साल के डच उपनिवेशवाद के बाद 17 अगस्त 1945 को इंडोनेशिया को नीदरलैंड्स से आजादी मिली।
11. कंबोडिया : पौराणिक काल का कंबोज देश कल का कंपूचिया और आज का कंबोडिया। पहले भारत का ही एक उपनिवेश था। माना जाता है कि प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्द-चीन में हिन्दू राज्य की स्थापना की थी। इन्हीं के नाम पर कंबोडिया देश हुआ। हालांकि कंबोडिया की प्राचीन दंतकथाओं के अनुसार इस उपनिवेश की नींव ‘आर्यदेश’ के शिवभक्त राजा कम्बु स्वायम्भुव ने डाली थी। कंबोडिया पर ईशानवर्मन, भववर्मन द्वितीय, जयवर्मन प्रथम, जयवर्मन द्वितीय, सूर्यवर्मन प्रथम, जयवर्मन सप्तम आदि ने राज किया। राजवंशों के अंत के बाद इसके बाद राजा अंकडुओंग के शासनकाल में कंबोडिया पर फ्रांसीसियों का शासन हो गया। कंबोडिया को 1953 में फ्रांस से आजादी मिली।
12. वियतनाम : वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था। चम्पा के लोग चाम कहलाते थे। वर्तमान समय में चाम लोग वियतनाम और कंबोडिया के सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। आरंभ में चम्पा के लोग और राजा शैव थे लेकिन कुछ सौ साल पहले इस्लाम यहां फैलना शुरू हुआ। अब अधिक चाम लोग मुसलमान हैं, पर हिन्दू और बौद्ध चाम भी हैं। श्री भद्रवर्मन जिसका नाम चीनी इतिहास में फन-हु-ता (380-413 ई.) से मिलता है, चम्पा के प्रसिद्ध सम्राटों में से एक थे। 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अंत हुआ। 19वीं सदी के मध्य में फ्रांस द्वारा इसे अपना उपनिवेश बना लिया गया। 20वीं सदी के मध्य में फ्रांस के नेतृत्व का विरोध करने के चलते वियतानाम दो हिस्सों में बंट गया। एक फ्रांस के साथ था तो दूसरा कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रेरित था। 1955 से 1975 तक लगभग 20 सालों तक चले युद्ध में अमेरिका को पराजित हो पीछे हटना पड़ा।
13. तिब्बत : तिब्बत को प्राचीनकाल में त्रिविष्टप कहा जाता था जहां रिशिका और पूर्व तुशारा नामक राज्य थे। यह देवलोक का एक हिस्सा था जहां पर जल प्रलय के दौरान राजा वैवस्वत और उनके कुल के लोग रहते थे। मान्यता है कि आर्य यहीं के मूल निवासी थे। तिब्बत में पहले हिन्दू फिर बाद में बौद्ध धर्म प्रचारित हुआ और यह बौद्धों का प्रमुख केंद्र बन गया। शाक्यवंशियों का शासनकाल 1207 ईस्वी में प्रांरभ हुआ। बाद में चीन के राजा का शासन रहा। फिर 19वीं शताब्दी तक तिब्बत ने अपनी स्वतंत्र सत्ता बनाए रखी। फिर चीन और ब्रिटिश इंडिया के बीच 1907 के लगभग बैठक हुई और इसे दो भागों में विभाजित कर दिया। पूर्वी भाग चीन के पास और दक्षिणी भाग लामा के पास रहा। 1951 की संधि के अनुसार यह साम्यवादी चीन के प्रशासन में एक स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया।
कई जानकारों का मानना है कि भारतवर्ष को खंड-खंड होने में सैंकड़ों साल लगे। उसी तरह इसके अंखड बनने में कई तरह की बाधाएं सामने हैं। पहली तो यह कि प्राचीन भारत जिसे अखंड भारत कहा जाता है वह अब एक बहुधर्मी और बहुसंकृति वाला देश बन चुका है, जिसमें करीब 12 से 13 देश अस्तित्व में हैं। इनमें से कुछ देश मुस्लिम तो कुछ बौद्ध हैं। मतभेद के चलते अखंड भारत का निर्माण एक सपना ही कहा जा रहा है। दूसरा यह कि नेपाल, श्रीलंका, भूटान, बर्मा, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और कंबोडिया जैसे देश भारत से अपने धार्मिक और सांस्कृति जुड़वा को तो स्वीकार करते हैं लेकिन वह यह नहीं स्वीकार करते हैं कि वे कभी प्राचीनकाल में भारत का हिस्सा थे। उनके देश का इतिहास उन्हें कुछ और ही बताता है। अखंड भारत को एक करने के पूर्व इस संपूर्ण क्षेत्र में रहने वालों लोगों को यह समझना होगा कि उनके पूर्वज कौन थे और वे आज क्यों और क्या है। भारत को अखंड करने में भारत के प्राचीन गौरव को समझना जरूरी होगा। हम परम सौभाग्यशाली हैं जो यह स्वर्णिम दिन देख रहे हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के शब्दों में –
यह आर्यभूमि सचेत हो, फिर कार्यभूमि बने अहा! वह प्रीति, नीति बढ़े परस्पर भीति भाव भगाइए
किसके शरण होकर रहें, अब तुम बिना गति कौन है, हे, देव, वह अपनी दया फिर एक बार दिखाइए।।
अब एक जैसे होंगे मोबाइल, लैपटॉप और अन्य डिवाइस के चार्जर
देश में जल्द आरम्भ होगी नई तकनीक
नयी दिल्ली । केंद्र सरकार सभी यूनिवर्सल चार्जर अपनाने के लिए नए नियम बनाने जा रही है। जिसके अनुसार फोन लैपटॉप टेबलेट ब्लूटूथ इयरफोन और अन्य पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए एक जैसे चार्जर बनाने होंगे।
यूरोपीय संघ ने इस साल की शुरुआत में यूनिवर्सल चार्जर अनिवार्य कर दिया है। जिससे सभी कंपनियों को स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे सभी उपकरणों में यूएसबी सी टाइप पोर्ट बनाना अनिवार्य है। नए नियम का मकसद एक ई कचरे को कम करना है रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार इसी तरह के नियमों को अपनाने की संभावना तलाश कर रही है।
सरकार ने स्मार्टफोन निर्माताओं और अन्य उद्योग संगठनों के साथ नियमों पर चर्चा के लिए 17 अगस्त को बैठक बुलाई है एक अधिकारी ने कहा अगर कंपनियां यूरोप और अमेरिका में यूनिवर्सिटी आंसर दे सकते हैं तो भारत में क्यों नहीं ऐसा कर सकती स्मार्टफोन स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में एक सामान चार्जर होना चाहिए।
महिला अग्निवीर के लिए आवेदन शुरू
नयी दिल्ली । भारतीय सेना में अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों की भर्तियां की जा रही है। इसी कड़ी में महिला अग्निवीर भर्ती को लेकर आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में जो उम्मीदवार इस भर्ती के लिए आवेदन करना चाहती हैं वो ऑफिशियल वेबसाइट- joinindianarmy.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
Join Indian Army की ओर से महिला अग्निवीर भर्ती को लेकर नोटिफिकेशन जारी की गई है। इसमें रैलियों के स्थान और तारीखों के बारे में जानकारी दी गई है। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वेबसाइट पर पहले भर्ती का विवरण देख लें, तभी आवेदन फॉर्म भरें।
महिला अग्निवीर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 09 अगस्त 2022 से शुरू हो गई है। इसमें आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को 07 सितंबर 2022 तक का समय दिया गया है। महिला उम्मीदवार अपने राज्य के अनुसार, रैलियों का विवरण वेबसाइट पर देख सकते हैं।
ऐसे कर सकते हैं आवेदन
महिला अग्निवीर भर्ती में आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले आधिकारक वेबसाइट- joinindianarmy.nic.in पर जाना होगा।
वेबसाइट की होम पेज पर Latest Recruitment लिंक पर जाएं.
इसके बाद REGISTRATION OF WOMEN MILITARY POLICE RALLY WILL COMMENCE ON 09 AUG 2022 के लिंक पर जाएं।
अब अपनी विवरण भरकर रजिस्ट्रेशन कर लें।
रजिस्ट्रेशन के बाद आवेदन फॉर्म भर लें।
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भारत के महान शतरंज खिलाड़ी आनंद बने फिडे उपाध्यक्ष
चेन्नई । भारत के महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद को रविवार को खेल की वैश्विक संचालन संस्था फिडे का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया जबकि निवर्तमान अध्यक्ष आर्केडी वोर्कोविच को दूसरे कार्यकाल के लिए दोबारा अध्यक्ष चुन लिया गया। पांच बार के विश्व चैंपियन आनंद वोर्कोविच की टीम का हिस्सा थे।
वोर्कोविच को 157 मत मिले जबकि उनके विरोधी आंद्रेई बैरिशपोलेट्स के पक्ष में सिर्फ 16 मत पड़े। एक मत अवैध रहा जबकि पांच सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। चुनाव शतरंज की वैश्विक संस्था की फिडे कांग्रेस के दौरान हुए जिसका आयोजन यहां 44वें शतरंज ओलंपियाड के दौरान किया गया। अपने कॅरियर के दौरान ढेरों खिताब और सम्मान जीतने के बाद चेन्नई के आनंद ने हाल के समय में अपनी प्रतियोगिताओं की संख्या में कटौती की थी और कोचिंग पर अधिक ध्यान दे रहे थे।
आनंद ने अपनी किशोरावस्था में ही सुर्खियां बटोरना शुरू कर दिया था जब वह विश्व जूनियर खिताब जीतने के बाद भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने। वह तब से शतरंज के वैश्विक मंच पर भारत की अगुआई कर रहे हैं। आनंद ने पांच विश्व खिताब जीते। उन्होंने अपना आखिरी विश्व खिताब 2017 में विश्व रेपिड खिताब के रूप में जीता।वह शतरंज ओलंपियाड में हिस्सा ले रही भारतीय टीम का हिस्सा नहीं हैं लेकिन मेजबान देश की सभी टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासक के रूप में खेल के लिए कुछ करने की इच्छा जताई है और पहले कार्यकाल में वोर्कोविच और उनकी टीम के काम की सराहना की। चुनावों से पहले वोर्कोविच ने आनंद को अपनी टीम में रखने की बात कही थी।वोर्कोविच ने कहा था, ‘‘मुझे वास्तव में गर्व है कि आनंद उपाध्यक्ष पद के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं। वह एक महान व्यक्ति हैं। वह लंबे समय से मेरे मित्र हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले से ही वह दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय है। इस देश में ही नहीं बल्कि मैं जहां भी जाता हूं उनके व्यक्तित्व और योगदान को फिडे इतिहास और फिडे भविष्य के रूप में स्वीकार और मान्यता प्राप्त है। हमारे पास वास्तव में एक अच्छी टीम है।’’