Sunday, July 20, 2025
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मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड ने स्थापित की इनोवेशन सेल   

कोलकाता । सभी के लिए उच्च गुणवत्ता, उन्नत और लागत प्रभावी नैदानिक परीक्षण तक पहुंच सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड ने मॉलिक्यूलर जीनोमिक्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए गुरुवार को महानगर कोलकाता में मेट्रोपोलिस इनोवेशन सेल के शुभारंभ की घोषणा की। इनोवेशन सेल के तहत, मेट्रोपोलिस गर्भावस्था, कैंसर, संक्रामक रोगों और ट्रांसप्‍लांट प्रबंधन से संबंधित विभिन्न विशिष्ट परीक्षण शुरू कर रहा है। इनोवेशन सेल के शुभारंभ की घोषणा करते हुए मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड की प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर अमीरा शाह कहा कि संगठन की इनोवेशन और आर एंड डी शाखा के रूप में, मेट्रोपोलिस इनोवेशन सेल मौलिक वैज्ञानिक खोजों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इतना ही नहीं यह बदले में सबसे भरोसेमंद वैज्ञानिक ब्रांड होने के कंपनी के दृष्टिकोण और मिशन को बढ़ावा देगा और रोगी और चिकित्सकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए विशेषज्ञता और ईमानदारी के साथ आंतरिक स्वास्थ्य जानकारी प्रदान करेगा। इन क्षेत्रों में अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए, हम अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं को मजबूत करने और देशभर में मरीजों की सेवा करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे का विस्तार और निवेश करना जारी रखेंगे। वहीं मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड की मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. कीर्ति चड्ढा ने कहा कि मेट्रोपोलिस हमेशा प्रौद्योगिकियों, परीक्षणों और प्लेटफार्मों के सत्‍यापन में सबसे आगे रहा है जो सीधे रोगी को सटीक समय पर निदान सुनिश्चित करता है। लाखों रोगियों को प्रभावित करने के बाद, हम नेक्‍स्‍ट जनेरेशन सीक्वेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से ऑन्कोलॉजी, प्रीनेटल टेस्टिंग, ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी, संक्रामक और पुरानी बीमारियों के दायरे का पोषण और विस्तार करना चाहते हैं। नए विशेष परीक्षणों के शुभारंभ पर, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के क्षेत्रीय प्रयोगशाला प्रमुख (पूर्व) डॉ रजत मुखर्जी ने कहा कि पिछले पिछले 40 वर्षों में नैदानिक उद्योग में विशेष परीक्षण शुरू करने का हमारा एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। हमारा ध्यान विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं का निर्माण करने और देशभर के टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी रोगियों को ‘सस्ती’ परीक्षण की पेशकश करने के लिए लगातार अधिक अवसरों की तलाश करने पर है। पश्चिम बंगाल में मेट्रोपोलिस एक दशक से अधिक समय से विभिन्न रोगी संग्रह केंद्रों और पिक-अप पॉइंट्स के साथ मौजूद है, जो 600+ ग्राहकों को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि कोलकाता में हमारे सभी केंद्रों और पूरे पश्चिम बंगाल क्षेत्र में मरीजों के लिए नए विशेष परीक्षण उपलब्ध होंगे और हमारी टीम न्यूनतम टर्नअराउंड समय सीमा के भीतर सटीक और व्यापक परिणाम सुनिश्चित करेगी। डॉ रजत मुखर्जी ने आगे कहा कि किसी भी बीमारी के मूल कारण की पहचान जीती गई लड़ाई है। यहीं पर डायग्नोस्टिक सेक्टर आता है। मेट्रोपोलिस में हम न केवल मूल कारण की पहचान करते हैं, बल्कि पैटर्न का भी अध्ययन करते हैं और स्थिति को रोकने के लिए निवारक उपायों का सुझाव दे सकते हैं।

दही हांडी…परम्परा में छुपे हैं जीवन प्रबन्धन के गुण

भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का महापर्व इस वर्ष 18-19 अगस्त को पूरे देशभर में मनाया जा रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो हिंदुओं द्वारा पूजे जाने वाले सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर दही-हांडी उत्सव मनाने की एक विशेष परंपरा भी सदियो से चलती आ रही है। इस उत्सव में युवा टोलियां बनाकर ऊंचाई पर बंधी दही-हांडी फोड़ते हैं।

ये परंपरा किसने शुरू की, इस बात का जानकारी तो नहीं मिलती, लेकिन किसी समय छोटे से स्तर से शुरू हुई ये परंपरा आज पूरे देश में बड़े स्तर पर निभाई जाती है। महाराष्ट्र में इसका उत्साह देखते ही बनता है। इस परंपरा के पीछे भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की घटनाएं हैं। इस परंपरा के पीछे लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र भी छिपे हैं। आइए जानें क्या है दही हांडी उत्सव और क्यों मनाया जाता है ये पर्व-

श्रीमद्भागवत के अनुसार, बाल्यकाल में भगवान श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर लोगों के घरों से माखन चुराकर अपने मित्रों को खिला देते हैं और स्वयं भी खाते थे। जब यह बात गांव की महिलाओं को पता चली तो उन्होंने माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया, जिससे श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके। लेकिन नटखट कृष्ण की समझदारी के आगे उनकी यह योजना भी व्यर्थ साबित हुई। माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और ऊंचाई पर लटकाई मटकी से दही और माखन चुरा लेते थे। इसी से प्रेरित होकर दही-हांडी का चलन शुरू हुआ।
दही-हांडी पूरे भारत में सबसे मशहूर है। खासकर गुजरात, द्वारका, महाराष्ट्र के हर गली-मुहल्ले में दहीं हांडी की प्रतियोगिता रखी जाती है। यहां मटकी में दही के साथ घी, बादाम और सूखे मेवे भी डाले जाते हैं, जिसे युवाओं की टोली मिलकर तोड़ती है। वहीं लड़कियों की एक टोली गीत गाती हैं और उन्हें रोकने की कोशिश करती हैं।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, मक्खन एक तरह से धन का प्रतीक है। जब हमारे पास आवश्यकता से अधिक धन हो जाता है तो उसे हम संचित यानी इक्ट्ठा कर लेते हैं जबकि होने ये चाहिए धन अधिक होने पर पहले उसका कुछ भाग जरूरतमंदों को दान करें।
श्रीकृष्ण माखन चुराकर पहले अपने उन मित्रों को खिलाते थे जो निर्धन थे। श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि आपके पास कोई वस्तु आवश्यकता से अधिक है तो पहले उसका दान करो, बाद में उसका संचय करो। इस बात का ध्यान सभी को रखना चाहिए।
माखन और दही खाने से जुड़ा एक अन्य लाइफ मैनेजमेंट ये भी है कि बाल्यकाल में बच्चों को सही पोषण मिलना अति आवश्यक है। दूध, दही, माखन आदि चीजें खाने से बचपन से ही बच्चों का शरीर सुदृढ़ रहता है और वे आजीवन तंदुरुस्त बने रहते हैं।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

दूध बेचकर-रिक्शा चलाकर बने स्कूल शिक्षक और सब कुछ दान कर दिया

39 साल बाद सेवानिवृत्त होकर गरीब बच्चों को बांटे लाखों रुपये
पन्ना । मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने 39 साल की सेवा के बाद अपनी सेवानिवृत्ति के दिन अपने कर्मचारी भविष्य निधि और 40 लाख रुपये की ग्रेच्युटी के सभी पैसे गरीब छात्रों को दान कर दिए हैं। विजय कुमार चनसोरिया को खंडिया के एक प्राथमिक विद्यालय में काम के अंतिम दिन उन्हें सम्मानित किया गया। उनके सहयोगियों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह घोषणा की।
दूध बेचा, रिक्शा चलाया फिर बना शिक्षक
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, विजय कुमार चनसोरिया ने कहा, ‘अपनी पत्नी और बच्चों की सहमति से मैंने अपने सभी भविष्य निधि और ग्रेच्युटी के पैसे गरीब छात्रों के लिए स्कूल को दान करने का फैसला किया है। दुनिया में दुखों को कोई कम नहीं कर सकता है, लेकिन हमें जो कुछ भी अच्छा हो सकता है, वह करना चाहिए।’ बाद में पत्रकारों से बात करते हुए रिटायर्ड शिक्षक ने कहा, ‘मैंने बहुत संघर्ष किया है। मैंने रिक्शा चलाया और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूध बेचा। मैं 1983 में एक शिक्षक बन गया।’

शिक्षक के परिवार वाले इस फैसले से खुश
चनसोरिया ने कहा कि उनके दोनों बेटे काम कर रहे हैं और उनकी बेटी की शादी हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘मैं गरीब छात्रों से मिला जो अभाव में रहते थे और उनके लिए दान करते थे। जब भी मैंने उनकी मदद की, मैंने उनकी खुशी देखी. मेरे बच्चे पहले से ही बसे हुए हैं और मैंने अपने सभी भविष्य निधि और 40 लाख रुपये की ग्रेच्युटी राशि दान करने का फैसला किया.’ शिक्षक की पत्नी हेमलता और बेटी महिमा ने कहा कि पूरे परिवार ने उनके फैसले का समर्थन किया था।
(साभार – जी न्यूज)

बुजुर्गों को रेल टिकट में फिर मिलेगी छूट, लेकिन अब बदलेंगे नियम!

नयी दिल्ली । भारतीय रेलवे ने कोरोना काल के समय बंद हुए बुजुर्गों और खिलाड़ियों समेत दूसरे कैटगरी के यात्रियों को रियायती टिकट की सेवा फिर से शुरू करने पर सरकार विचार कर रही है।
दरअसल, आलोचनाओं के बाद रेलवे वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायतें बहाल करने पर विचार कर रहा है लेकिन संभव है यह केवल सामान्य और शयनयान श्रेणी के लिए हो।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार इसके नियम और शर्तें जैसे आयु मानदंड में बदलाव कर सकती है। ऐसा हो सकता है कि सरकार रियायती किराये की सुविधा 70 वर्ष से ऊपर के लोगों को मुहैया कराए जो पहले 58 वर्ष की महिलाओं और 60 वर्ष के पुरुषों के लिए थी। सूत्रों ने संकेत दिया है कि इसके पीछे मुख्य कारण बुजुर्गों के लिए सब्सिडी बरकरार रखते हुए इन रियायतों को देने से रेलवे पर पड़ने वाले वित्तीय भार का समायोजन करना है।
गौरतलब है कि रेलवे ने मार्च 2020 से पहले वरिष्ठ नागरिकों के मामले में महिलाओं को किराये पर 50 फीसदी और पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी छूट देता था। रेलवे की तरफ से ये छूट लेने के लिये बुजुर्ग महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिये 60 वर्ष थी लेकिन कोरोना काल के बाद इन्हें मिलने वाली सभी तरह की रियायतें खत्म कर दी गई है।
एक सूत्र ने कहा, ‘हम समझते हैं कि ये रियायतें बुजुर्गों की मदद करती हैं और हमने कभी नहीं कहा कि हम इसे पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं। हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं और इस पर फैसला लेंगे।’ सूत्रों ने संकेत दिया कि रेलवे बोर्ड वरिष्ठ नागरिकों की रियायत के लिए आयु मानदंड में बदलाव करने और इसे केवल 70 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। यह रेलवे के दायित्वों को सीमित करेगा।’
2020 से बंद है सुविधा
2020 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान वापस लेने से पहले, वरिष्ठ नागरिक रियायत 58 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों के लिए थी। महिलाएं 50 प्रतिशत छूट के लिए पात्र थीं। पुरुष और ट्रांसजेंडर सभी श्रेणियों में 40 प्रतिशत छूट का लाभ उठा सकते थे। रेलवे जिस एक और प्रावधान पर विचार कर रहा है। वह है रियायतों को केवल गैर-वातानुकूलित श्रेणी की यात्रा तक सीमित करना। एक सूत्र ने कहा, ‘तर्क यह है कि अगर हम इसे शयनयान और सामान्य श्रेणियों तक सीमित रखते हैं, तो हम 70 प्रतिशत यात्रियों को समायोजित कर लेंगे। ये कुछ विकल्प हैं जिन पर हम विचार कर रहे हैं और किसी भी चीज को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।’
रेलवे इस पर भी कर रही है विचार
रेलवे एक अन्य विकल्प पर भी विचार कर रहा है, वह यह है कि सभी ट्रेनों में ‘प्रीमियम तत्काल’ योजना शुरू की जाए। इससे उच्च राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी, जो रियायतों के बोझ को वहन करने में उपयोगी हो सकता है। यह योजना फिलहाल करीब 80 ट्रेनों में लागू है। प्रीमियम तत्काल योजना रेलवे द्वारा शुरू किया गया एक कोटा है जो कुछ सीटें गतिशील किराया मूल्य निर्धारण के साथ आरक्षित करता है।
यह कोटा अंतिम समय में यात्रा की योजना बनाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए है जो थोड़ा अतिरिक्त खर्च करने को तैयार हैं। प्रीमियम तत्काल किराये में मूल ट्रेन किराया और अतिरिक्त तत्काल शुल्क शामिल होता है। पिछले सप्ताह रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था कि रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है। उन्होंने कहा था, ‘विभिन्न चुनौतियों के मद्देनजर वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी श्रेणियों के यात्रियों को रियायतें देने का दायरा बढ़ाना वांछनीय नहीं है।’

 

भारत में कंपनियां 2023 में 10 फीसदी वेतन बढ़ा सकती हैं: रिपोर्ट

मुंबई । भारत में कंपनियां 2023 में 10 प्रतिशत वेतन बढ़ा सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां श्रम बाजार में सख्त स्थितियों से जूझ रही हैं। वैश्विक सलाहकार, ब्रोकिंग और समाधान सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी विलिस टावर्स वाटसन की वेतन बजट योजना रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में कंपनियां 2022-23 के दौरान 10 प्रतिशत वेतन बढ़ाने के लिए बजटीय व्यवस्था कर रही हैं। पिछले साल में वास्तविक वेतन वृद्धि 9.5 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में आधे से अधिक (58 प्रतिशत) नियोक्ताओं ने पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष के लिए अधिक वेतन वृद्धि का बजट रखा है। इनमें से एक चौथाई (24.4 प्रतिशत) ने बजट में कोई बदलाव नहीं किया।

रिपोर्ट में कहा गया कि 2021-22 की तुलना में केवल 5.4 प्रतिशत ने बजट कम किया है। रिपोर्ट के मुताबिक एशिया प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन वृद्धि भारत में होगी। अगले साल चीन में छह फीसदी, हांगकांग और सिंगापुर में चार फीसदी वेतन बढ़ेगा। रिपोर्ट अप्रैल और मई 2022 में 168 देशों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। भारत में 590 कंपनियों से बात की गई।

स्कॉटलैंड में मासिक धर्म उत्पाद नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाने संबंधी कानून लागू

लंदन । स्कॉटलैंड में माहवारी उत्पाद नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाने संबंधी कानून लागू हो गया है। स्कॉटलैंड सरकार ने बताया कि वह ‘पीरियड प्रोडक्ट एक्ट’ (माहवारी उत्पाद कानून) लागू होते ही दुनिया की पहली ऐसी सरकार बन गई है, जो मासिक धर्म संबंधी उत्पादों तक नि:शुल्क पहुंच के अधिकार की कानूनी रूप से रक्षा करती है।

इस नए कानून के तहत, विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों एवं स्थानीय सरकारी निकायों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपने शौचालयों में टैम्पोन और सैनिटरी नैपकिन समेत माहवारी संबंधी विभिन्न उत्पाद उपलब्ध कराएं।
स्कॉटलैंड सरकार ने शैक्षणिक संस्थाओं में माहवारी संबंधी उत्पाद नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए 2017 से लाखों रुपए पहले ही खर्च किए हैं, लेकिन कानून लागू होने से अब यह कानूनी अनिवार्यता बन गया है।

इसके अलावा एक मोबाइल फोन ऐप्लीकेशन भी उपलब्ध कराया गया है, जिसकी मदद से स्थानीय पुस्तकालय या सामुदायिक केंद्र जैसे ऐसे निकटतम स्थान का पता लगाया जा सकता है, जहां से माहवारी संबंधी उत्पाद लिए जा सकते हैं। स्कॉटलैंड की सामाजिक न्याय मंत्री शोना रोबिसन ने कहा, ‘‘माहवारी संबंधी उत्पाद नि:शुल्क उपलब्ध कराना समानता एवं गरिमा के लिए अहम है और इससे इन उत्पादों तक पहुंच की वित्तीय बाधा दूर होती है।’’ यह विधेयक 2020 में सर्वसम्मति से पारित किया गया था।

कर्नाटक में सभी विद्यालयों और पीयू महाविद्यालयों में राष्ट्रगान अनिवार्य

बेंगलुरू, 18 अगस्त । कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्य के सभी विद्यालयों और प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए प्रत्येक दिन सुबह राष्ट्रगान का सामूहिक गायन अनिवार्य कर दिया है।

राज्य सरकार की ओर से 17 अगस्त को जारी किया गया यह आदेश सभी सरकारी, वित्त पोषित और निजी विद्यालयों के अलावा प्री-यूनिवर्सिटी महाविद्यालयों पर लागू होगा। कर्नाटक सरकार के आदेश के मुताबिक इस संबंध में सरकारी आदेश लागू होने के बावजूद बेंगलुरु के कुछ प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय सुबह की प्रार्थना के दौरान राष्ट्रगान का सामूहिक गायन नहीं कर रहे हैं।

सरकार को इस संबंध में शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं। इस संबंध में शिकायतें मिलने के बाद लोक निर्देश विभाग के बेंगलुरु उत्तर और दक्षिण डिवीजन के उप निदेशकों ने संबंधित विद्यालयों का दौरा किया और इस बात की पुष्टि की कि सुबह की प्रार्थना में राष्ट्रगान का गायन संबंधित विद्यालयों में नहीं हो रहा था। राज्य सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम की धारा 133(2) के तहत राष्ट्रगान के संबंध में यह आदेश जारी किया है।

भारत के खिलाफ गलत सूचना फैलाने के मामले में आठ यूट्यूब चैनल ब्लॉक

नयी दिल्ली, 18 अगस्त । सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा, अन्य देशों से संबंधों और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े कथित दुष्प्रचार के मामले में एक पाकिस्तानी चैनल समेत आठ यूट्यूब चैनल को ब्लॉक (अवरुद्ध) करने का गुरुवार को आदेश दिया।

एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि ब्लॉक किए गए इन चैनल के 114 करोड़ ‘व्यूज’ (यानी उन्हें 114 करोड़ बार देखा गया) और 85.73 लाख सब्सक्राइबर हैं तथा इन चैनल की सामग्री से धन अर्जित किया जा रहा था। जिन चैनल को सूचना प्रौद्योगिकी नियमों-2021 के तहत ब्लॉक किया गया है, उनमें सात भारतीय समाचार चैनल हैं।

एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि इन यूट्यूब चैनल ने भारत सरकार द्वारा धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त किए जाने, धार्मिक त्योहारों को मनाने पर प्रतिबंध लगाए जाने, भारत में धार्मिक युद्ध की घोषणा जैसे झूठे दावे किए।

बयान में कहा गया, ‘‘ऐसा पाया गया कि यह सामग्री साम्प्रदायिक सद्भाव और देश में सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकती है।’’ इसमें कहा गया कि इन यूट्यूब चैनल का इस्तेमाल भारतीय सशस्त्र बलों और जम्मू-कश्मीर जैसे विभिन्न विषयों पर भी फर्जी खबरें पोस्ट करने के लिए किया जाता था। बयान में कहा गया, ‘‘इस सामग्री को राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों के दृष्टिकोण से संवेदनशील और पूरी तरह से मिथ्या पाया गया।’’

कामकाजी महिला को वैधानिक मातृत्व अवकाश से वंचित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी कामकाजी महिला को मातृत्व अवकाश के वैधानिक अधिकार से केवल इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके पति की पिछली शादी से दो बच्चे हैं और महिला ने उनमें से एक की देखभाल करने के लिए पहले अवकाश लिया था।

द हिंदू के अनुसार, कोर्ट ‘स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान’ (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में बतौर नर्स कार्यरत महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्हें उनकी जैविक संतान होने पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया क्योंकि उनके पति के पहली शादी से दो बच्चे हैं और उनकी पहली पत्नी के गुजरने के बाद वे उनमें से एक की देखभाल के लिए अवकाश ले चुकी थीं।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि प्रसव को रोजगार के संदर्भ में कामकाजी महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक पहलू माना जाना चाहिए और कानून के प्रावधानों में उसे उसी परिप्रेक्ष्य में समझा जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मातृत्व अवकाश देने का उद्देश्य महिलाओं को कार्यस्थल में अन्य लोगों के साथ शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है, लेकिन यह बात भी कड़वा सच है कि इस तरह के प्रावधानों के बावजूद महिलाएं बच्चे के जन्म पर अपना कार्यस्थल छोड़ने के लिए मजबूर हैं। चूंकि उन्हें अवकाश सहित अन्य सुविधाजनक उपाय नहीं दिए जाते हैं।

नियमों के अनुसार, दो से कम जीवित बच्चों वाली महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश ले सकती है। पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले के तथ्यों से संकेत मिलता है कि अपीलकर्ता के पति ने पहले विवाह किया था, जो उसकी पत्नी की मृत्यु के साथ समाप्त हो गया और उसके बाद अपीलकर्ता ने उससे शादी की थी। उसके (उसके पति के) पूर्व विवाह से दो जैविक बच्चे थे, यह तथ्य वर्तमान मामले में महिला के एकमात्र जीवित (जैविक) बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश देने के लिहाज से अपीलकर्ता के वैधानिक अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा’।

पीठ ने कहा कि तथ्य यह है कि उसे उसके पति की पहले की शादी से पैदा हुए दो बच्चों में से एक के लिए ‘बाल देखभाल अवकाश’ दिया गया था, यह एक ऐसा मामला हो सकता है जहां उस समय अधिकारियों ने एक दयालु दृष्टिकोण अपनाया था। हालांकि, इसका उपयोग उसे केंद्रीय सिविल सेवा अवकाश नियम, 1972 के नियम 43 के तहत छुट्टी की पात्रता से वंचित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मातृत्व अवकाश के संबंध में केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के प्रावधानों को संसद द्वारा अधिनियमित मातृत्व लाभ अधिनियम के उद्देश्य के अनुरूप देखे जाने की जरूरत है। अधिनियम के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि ये प्रावधान संसद द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं कि बच्चे की डिलीवरी के लिए अपने कार्यस्थल से महिला की अनुपस्थिति के चलते, उस समय या वो अवधि जिसके लिए उसने अपने बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी ली है, का वेतन पाने के उनके अधिकार में कोई बाधा न आए।

पीठ ने हाईकोर्ट और सीएटी का निर्णय रद्द करते हुए उनका मातृत्व अवकाश मंजूर किया और निर्देश दिया कि उसके आदेश के दो महीने के भीतर जिन भी सुविधाओं/लाभ का उन्हें अधिकार है, उसका भुगतान किया जाए।

खेल – खेल में बच्चों को रखें सक्रिय

बच्चे हंसते-खेलते हुए ही अच्छे लगते हैं। घर में इधर-उधर मस्ती करते, दौड़ते-भागते बच्चे जहां खुश रहते हैं वहीँ यह उनकी फिजिकल फिटनेस के लिए भी अच्छा रहता हैं। हांलाकि आज के समय में फिजिकली एक्टिव नजर नहीं आते हैं और मोबाइल या टीवी में घुसे रहते हैं जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए घातक साबित होता हैं।

खेलना-कूदना बच्चों के विकास का अहम हिस्सा है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चों की लाइफस्टाइल में ऐसी चीजें शामिल करें जिससे बच्चे खेल-खेल में ही फिजिकली एक्टिव रहे। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी ही एक्टिविटीज के बारे में बताने जा रहे हैं।

सीढ़ियां चढ़ने के लिए बोलें

बच्चों को सक्रिय रखने का सबसे अच्छा तरीका है उन्हें सीढ़ी चढ़ने के लिए कहें। इससे ना केवल बच्चे एक्टिव फील करेंगे बल्कि उनकी सुस्ती भी भाग जाएगी। ऐसे में आप बच्चे को किसी काम के लिए कह सकते हैं। या आप खुद भी उनके साथ इसको अपना सकते हैं। ऐसा करने से आप भी खुद को एक्टिव महसूस करेंगे और बच्चे आपको देख-दखकर आगे बढ़ेंगे।

लुका – छिपी

लुका -छिपी बचपन में सभी ने खेला होगा। वेरीवैल फैमिली के अनुसार कई बच्चे इस खेम को खेलने के लिए उत्साहित रहते हैं तो वहीं कुछ बच्चे छिपने से डरते हैं। बच्चे का डर निकालने के लिए उसे ऐसी जगह छिपने के लिए बताएं, जहां से उसे सब दिखाई दे रहा हो। इस गेम में बच्चा काफी समय तक व्यस्त रह सकता है और घर में ही छुपने की नई-नई जगह भी तलाश लेगा।

पार्क में ले जाएं

बच्चों को पार्क में ले जाना भी बेहद जरूरी है, इससे उन्हें दूसरे बच्चों को जानने का मौका मिलेगा। बच्चों को शुरू से सोशल स्किल्स सिखाने का यह सबसे अच्छा तरीका है। बच्चों को पार्क में ले जाएं।

डांस

बच्चे को शारीरिक गतिविधि कराने का सबसे बेहतरीन विकल्प है डांस। टोडलर्स स्वाभाविक रूप से म्यूजिक पसंद करते हैं और उस पर बॉडी मूवमेंट भी करना अच्छा लगता है। जब भी बच्चा बोर होता हुआ नजर आए तो उसका फेवरेट म्यूजिक चला दीजिए और उसे एक्टिविटी करने के लिए छोड़ दें। बच्चे को एंटरटेन करने के लिए बच्चों की डांस पार्टी भी प्लान की जा सकती है।

स्कूल से घर तक जाएं पैदल

अगर बच्चों का स्कूल पास है तो किसी बस लेने की बजाय उसे पैदल छोड़ने जाएं। इससे भी उसके अंदर ऊर्जा का संचार होगा और वो पैदल चलन के लिए प्रेरित होगा। बता दें कि पैदल चलने से ना केवल बच्चे की शारीरिक गतिविधि का विकास होगा ब्लकि वे सक्रिय भी रहेंगे। इससे अलग यदि आप बच्चे के साथ मार्केट जा रहे हो तो ऐसे में खुद भी पैदल जाने की कोशिश करें।

व्यवस्थित हो व्यायाम

यदि परिवार के सदस्य मिलकर एरोबिक्स या योगा करते हैं तो बच्चे को भी उसमें शामिल करें। हो सकता है कि बच्चा एक्सरसाइज करने में इंट्रेस्ट न दिखाए, ऐसे में एक्सरसाइज को गेम की तरह करना होगा जिससे वह प्रेरित हो सके। बच्चे के साथ जंपिंग, रनिंग और एरोबिक्स की जा सकती है।

बैलेंसिंग

बैलेंसिग एक बेहतरीन शारीरिक गतिविधि है जो बच्चों के कौशल को विकसित करने में मदद कर सकता है। इससे बच्चे की एकाग्रता बढ़ती है और गिरने का डर भी कम हो जाता है। इसको करने के लिए बच्चे के सिर पर हल्की बुक्स या बैग रखें और उसे इसे बिना गिराए चलने के लिए कहें। ऐसा करने में बच्चा पूरा ध्यान लगाएगा और बेहतर परफॉर्म करेगा।
घर के कामों में मदद
अगर माता-पिता बच्चों की मदद घर के काम में लेंगे तो इससे ना केवल उन्हें सक्रिय रहने में मदद मिलेगी बल्कि घर के कामों में बच्चों की भागीदारी भी बढ़ेगी। ऐसे में माता-पिता बच्चों से बर्तन धुलवा सकते हैं या कार साफ करने के लिए कह सकते हैं।

(साभार – लाइफबेरीज)