कोलकाता। दामोदर घाटी निगम के मुख्यालय में राजभाषा पखवाड़ा समारोह 2022 का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सरकारी कार्यालयों में राजभाषा की उपयोगिता, महत्व और हिंदी में कामकाज की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यपालक निदेशक, मानव संसाधन श्री राकेश रंजन के संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि दामोदर घाटी निगम में राजभाषा समारोह का बड़े पैमाने पर आयोजन हिंदी के व्यापकत्व का ही परिणाम है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर तथा ‘संस्कृति नाट्य मंच’ के संयोजक डॉ संजय जायसवाल ने राजभाषा के महत्त्व पर चर्चा करते हुए कहा कि राजभाषा को व्यावहारिक धरातल पर सरल बनाते हुए कामकाज में अधिक से अधिक प्रयोग करने की जरूरत है। हिंदी को भारतीय भाषाओं के बीच संवाद की भाषा के तौर पर लिया जाना चाहिए।हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी कामकाज के अलावा साहित्य और कलाओं से भी जोड़ने की जरूरत है।नाटक की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए उन्होंने निगम के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा स्थापित नाट्य संस्था ‘संस्कृति नाट्य मंच’ द्वारा दो नाटकों की प्रस्तुति की गई। पहला नुक्कड़ नाटक ”आज़ादी का रंग तिरंगा” था जिसमें तिरंगे के महत्त्व को प्रतिपादित किया गया और दूसरा नाटक प्रेमचंद की कहानी पर आधारित ”हिंसा परमो धर्मः” था जिसमें धार्मिक वैमनस्यता की निर्रथकता की ओर संकेत किया गया। इन दोनों नाटकों में इबरार खान, मधु सिंह, राहुल गौड़, विशाल साव, सूर्य देव रॉय, राजेश सिंह, रवि पंडित, आशुतोष झा, कोमल साव, सपना कुमारी, राज घोष, चंदन भगत और मो. इज़राइल ने प्रभावी अभिनय किया। कार्यक्रम का सफल संचालन पिंकी जायसवाल शासमल ने किया। इस पूरे कार्यक्रम का संयोजन राजभाषा हिंदी विभाग के आशुतोष पांडे, सुधीर कुमार साव, रवि सिन्हा समेत निगम के अन्य अधिकारियों ने किया।
आरबीसी सांध्य कॉलेज में मनाया गया हिन्दी दिवस
नैहाटी। ऋषि बंकिमचन्द्र चटर्जी की पावनभूमि पर अवस्थित ऋषि बंकिमचंद्र चटर्जी सांध्य महाविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से हिंदी दिवस के अवसर पर एक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन विभागीय कक्ष में किया गया।स्वागत वक्तव्य रखते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ देवाशीष भौमिक ने कहा कि हमें मातृभाषाओं को सम्मान के साथ उसे फलने-फूलने का अवसर भी देना चाहिए।हिंदी विभाग में सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों की निरंतरता से बच्चों का विकास हो रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ कलावती कुमारी ने कहा कि हिंदी विकास और हमारी प्रगति की भाषा है।मेरी मातृभाषा भोजपुरी होने के बावजूद मैंने हिंदी में पढ़ाई-लिखाई की क्योंकि हिंदी में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।हिंदी में सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता है।बतौर अतिथि वक्ता विद्यासागर विश्वविद्यालय के डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि हमें हिंदी को ज्ञान-विज्ञान, तकनीक, मनोरंजन, वैश्विक अर्थव्यवस्था के अनुकूल बनाने की जरूरत है ताकि हिंदी की शक्ति और स्वीकार्यता में वृद्धि हो।हिंदी तमाम भारतीय भाषाओं के बीच एक सांस्कृतिक पुल की तरह है। भारतीय भाषाओं के विकास में हिंदी की भूमिका सहयोगी की होनी चाहिए। सहायक शिक्षक उत्तम ठाकुर ने कहा कि हिंदी का चरित्र उदारवादी होने के साथ समावेशी भी है।हिंदी ने हमेशा से दूसरी भाषाओं को सम्मान दिया है। आज हिंदी में कई भाषाओं के शब्द प्रचलित हैं। इस अवसर पर आयोजित काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता में प्रथम स्थान कुसुम भगत को, द्वितीय स्थान सौभिक कोइरी एवं विशेष पुरस्कार विश्वजीत साव एवं हिमांशु राय को मिला। आशुभाषण में नेहा कुमारी एवं सुमित गोस्वामी को पुरस्कृत किया गया।अंकिता, नेहा राय, अमित कुमार, राहुल कुमार एवं संतोष ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की। विभाग के शिक्षक डॉ आनंद श्रीवास्तव ने दुष्यंत कुमार के गीत का गायन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ कलावती कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन विभाग के वरिष्ठ शिक्षक जयप्रकाश साव ने दिया।
केओपीटी ने 30 वर्ष के लिए बढ़ाई लीज
कोलकाता । व्यावसायिक सुगमता की दृष्टि से लंबी लीज महत्वपूर्ण है। केओपीटी ने लीज 30 साल के लिए बढ़ा दी है। मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के चेयरमैन विनीत कुमार ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ने आधारभूत संरचना परियोजनाओं में पीपीपी मॉडल पहले से अपना लिया है। हल्दिया में 1 करोड़ और और एक निजी समूह के साथ 250 करोड़ की परियोजना है। कोलकाता से बांग्लादेश होते हुए उत्तर -पूर्व एशिया तक के कार्गो यातायात के लिए ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। भारत सरकार बांग्लादेश से इसे लेकर समझौता करेगी। 32 में से 24 किमी की पोर्ट के पास की सड़क फिर से निर्मित की गयी है। स्वागत भाषण में एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉजिस्टिक सम्बन्धी नीतियाँ सम्पर्क को बढ़ाने वाली और परिवहन से सम्बन्धित चुनौतियों के समाधान पर बात करती हैं। धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष विशाल झांझरिया ने किया।
खड़गपुर कॉलेज में मनाया गया हिन्दी दिवस
खड़गपुर। पश्चिम बंग हिंदी अकादमी, सूचना एवं संस्कृति विभाग, पश्चिम बंग सरकार द्वारा खड़गपुर कॉलेज ऑडिटोरियम में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि भाषा जीवन, ज्ञान और साहित्य का पर्याय है। हिन्दी भाषा के विकासक्रम में भारतीय आर्य भाषा परिवार का ही विकसित रूप है। हिन्दी भाषा दिवस वास्तव में अपनी भाषा को मुक्कमल स्थान देना है। पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के अध्यक्ष विवेक गुप्त ने अपने संदेश में हिंदी दिवस समारोह की सफलता की कामना करते हुए कहा कि पश्चिम बंग हिंदी अकादमी बंगाल के हिंदी भाषी प्रतिभागियों के लिए निरंतर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच प्रदान करने का ऐसा अवसर प्रदान करती रहेगी। इस अवसर पर उपस्थित थे खड़गपुर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ विद्युत सामंत, जिला सूचना एवं संस्कृति अधिकारी वरुण मंडल, अकादमी के सदस्य मनोज यादव, आशीष जाना, रविशंकर पांडे, प्रभाकर पांडे, डॉ रेणु गुप्ता, प्रो.सीमा साह, डॉ संजय पासवान, डॉ प्रकाश अग्रवाल उपस्थित थे। बतौर निर्णायक डॉ पंकज साहा, डॉ श्रीकांत द्विवेदी, प्रो.राकेश चौबे, डॉ कार्तिक साव, विकास कुमार, सूर्यदेव राय, डॉ रणजीत सिन्हा, श्रीप्रकाश गुप्ता, राधेश्याम सिंह ने अपना सहयोग दिया। कालीचरण तिवारी, पंकज सिंह, नवीन मिश्रा, रमाशंकर सिंह ने लोकगीत प्रस्तुत किया और अभिषेक यादव एवं दल ने बैंड पर सहयोग दिया। काव्य आवृत्ति वर्ग क में प्रथम स्थान अंकिता द्विवेदी इग्नू, द्वितीय रुथ कर, राजा नरेन्द्र लाल खान वुमेन कॉलेज, तृतीय स्थान मोनू, विद्यासागर विश्वविद्यालय को वर्ग अ का प्रथम स्थान रौनक पांडे, द्वितीय स्थान सुनिधि चटर्जी, बी.एन.आर. एलेक्सी, तृतीय स्थान अंजिका साहा, ग्रिफिंश इंटरनेशनल को मिला। नाटक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान राजा नरेन्द्र लाल खान महिला कॉलेज, द्वितीय स्थान ग्रिफिंश इंटरनेशनल एवं तृतीय स्थान विद्यासागर विश्वविद्यालय को मिला। हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार अमृता महराजा, प्रीति सिंह और अंकिता दल को, द्वितीय पुरस्कार बिट्टू कौर, संजना और रक्षा कुमारी दल को और तृतीय पुरस्कार आकाश वर्मा, पूजा यादव और स्नेहा साव दल को मिला। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ मंटू साव, डॉ विक्रम साव,उत्तम ठाकुर, पंकज सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए अकादमी के सदस्य प्रो.संजय जायसवाल ने सभी प्रतिभागियों एवं तमाम साहित्य और संस्कृति प्रेमियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह आयोजन हिंदी भाषी विद्यार्थियों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करने का प्रयास है।
भारतीय भाषा परिषद सभागार में साहित्य टाइम्स देवी अवार्ड 22 संपन्न
कोलकाता ।साहित्य टाइम्स और विश्व गुजराती सखी समाज ने देवी अवार्ड 22 का आयोजन किया गया। उद्घाटन समारोह समारोह का आरंभ देवी दुर्गा की स्तुति से हुआ जो नृत्यांगना अॉन्ड्रिला की टीम द्वारा किया गया।
साहित्य टाइम्स और विश्व गुजराती सखी समाज के तत्वावधान में देवी अवार्ड 2022 के लिए सभी दस महिला प्रतिभाओं का स्वागत और देवी अवार्ड 22 से नवाज़ा गया है जिन्होंने परिवार, समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है ।डॉ सोमा बंदोपाध्याय कुलपति डायमंड हार्बर विश्विद्यालय और शिक्षण प्रशिक्षण, सायना बक्शी सांस्कृतिक और संगीत, प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी , भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज, डॉ डॉली गुप्ता डर्मेटोलॉजी, डॉ दीपाली सिंघी प्रिसिंपल जे डी बिरला, प्रीति दोशी स्कूल और सांस्कृतिक क्षेत्र, विद्या भंडारी हिंदी कवयित्री, गुंजन अज़हर भाषा अनुवाद, अलका जालान अलका जालान फाउंडेशन, डॉ प्रीति गंतारा एक्युप्रेशर को देवी अवार्ड 22 दिया गया।
उद्घाटन समारोह में भारतीय भाषा परिषद, साहित्य टाइम्स, विश्व गुजराती सखी समाज, शब्दाक्षर, साहित्यिकी, लिटिल थेस्पियन और भारत जैन महामंडल लेडिज विंग के गणमान्य प्रमुख अतिथियों ने भाग लिया।
निवेदन संस्थाओं में भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ कुसुम खेमानी, उपाध्यक्ष श्री प्रदीप चोपड़ा, डायरेक्टर डॉ राज्यश्री शुक्ला, सचिव घनश्याम सुगला, भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता की अध्यक्ष सरोज भंसाली और उपाध्यक्ष अंजू सेठिया , श्री केलकटा गुजराती समाज के अध्यक्ष रवीन्द्र बाघानी, सेक्रेटरी चंद्रिका बेन शाह , लिटिल थेस्पियन की प्रमुख उमा झुनझुनवाला एवं आफताब आलम , इंद्रधनुष से नरेंद्र कपाडिया, दीपक गठानी, मनीष सेठ , तारा कैंसर फाउंडेशन से बाबू भाई पटेल, जगदीश भाई पटेल, निपुन कोठारी , शब्दाक्षर से रवि प्रताप सिंह, दया शंकर मिश्रा, अनामिका सिंह,नवीन कुमार सिंह,अंजू छारिया, साहित्यिकी से डॉ गीता दूबे, वाणीश्री बाजोरिया, डॉ मंजुरानी गुप्ता, डॉ सुषमा हंस, उषा श्राफ, बबिता मांधडा़ आदि की भागीदारी है ।
इस अवसर पर तीन पूजा पंडालों के प्रमुख को भी सम्मानित किया गया। सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र और संगीत साधक सायना बक्शी और पार्षद असीम ने धन धान्य पुष्प से भरा हमारा देश बांग्ला गीत गाकर दुर्गा पूजा के लिए सभी महिला प्रतिभाओं का गौरव बढ़ाया।
साहित्य टाइम्स गत पांच वर्षों से पश्चिम बंगाल कोलकाता में माँ दुर्गा का आह्वान होने के साथ ही स्त्री शक्तियों को देवी अवार्ड के लिए से सम्मानित करता आ रहा है। तेजस्वी चेहरों वाली दस देवियों की विविध दिव्य शक्तियों को सम्मानित करने के लिए भारतीय भाषा परिषद का सभागार पूर्ण रूप से खचाखच भरा हुआ था सभी उनका उत्साहवर्धन कर रहे थे। लिटिल थेस्पियन के कलाकारों द्वारा हिंदी भाषा पर एक लघु वार्ता प्रस्तुति दी गई।
शिक्षा,भाषा, संगीत, साहित्य, संस्कृति, चिकित्सा, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं विभिन्न महिला प्रतिभाएंँ जो पश्चिम बंगाल और देश का गौरव हैं, सभी स्त्री प्रतिभाओं को देवी अवार्ड 2022 से सम्मानित करने के पहले उनके विशिष्ट कार्यों की अॉडियो विजुअल सुनी गयी फिर सभी निवेदक संस्था प्रमुखों द्वारा पुष्प स्तवक और उपहार दिया गया। दिलीप भाई आथ, डॉ कुसुम खेमानी, भावना हिमानी , उमा झुनझुनवाला, पायल भंसाली, जितेश गांधी, मनीषा कोटेचा, जिनेश भंसाली, रितु मजमूदार, पूनम पाल, दीपक गठानी आदि प्रमुख रूप से सहयोगी रहे।
साहित्य टाइम्स की टीम डॉ केयुर मजमूदार, डॉ वसुंधरा मिश्र, अमित मुंधड़ा , डॉ अल्पना सिंह, अंकित शाव, निशा सिंह राजपूत सरदार ने कार्यक्रम का संचालन किया। तकनीक सहयोग रोशन झा, मुख्तार और उनकी टीम को जाता है। इस अवसर पर डॉ मंजुरानी गुप्ता, डॉ सुषमा हंस,बबीता मांधडा़, उषा श्राफ, रावेल पुष्प, नवीन कुमार, रवि प्रताप सिंह, सुरेश चौधरी, दयानंद मिश्रा आदि की उपस्थिति रही। नवीन कुमार सिंह और रवि प्रताप सिंह,ने साहित्य टाइम्स को अपनी जोश भरी कविता के साथ धन्यवाद दिया। इस अवसर पर सभी लोगों ने दोपहर का प्रसाद ग्रहण किया।
शुभजिता दुर्गोत्सव 2022 – यंग बॉयज की दुर्गापूजा में मयूरपंखी नौका पर आएंगी माँ दुर्गा
कोलकाता । बड़ाबाजार यंग बॉयज क्लब दुर्गापूजा कमेटी के सदस्य हमेशा से ही प्रासंगिक सामाजिक मुद्दों को अपने पूजा मंडप में थीम बनाने का प्रयास करती है। इस वर्ष भी यहां “मयूरपंखी नौका” थीम पर पूजा मंडप का निर्माण किया जा रहा है। जब भी पश्चिम बंगाल में पूजा पंडालों को थीम में ढालने की बात आती है, तो हर साल यहां आयोजित होनेवाले दुर्गापूजा का त्योहार रचनात्मकता और कला के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है।
बड़ाबाजार यंग बॉयज क्लब इस वर्ष 53वें वर्ष में पूजा का आयोजन कर रहा है। यह पूजा मंडप सेंट्रल कोलकाता में
स्थित तारा चंद दत्ता स्ट्रीट के पास स्थित है, जो सेंट्रल एवेन्यू को रवींद्र सरणी से जोड़ती है। यह उत्सव स्थानीय लोगों में
भी काफी लोकप्रिय है। कमेटी के मुख्य आयोजक राकेश सिंह ने कहा, इस साल यंग बॉयज क्लब की
तरफ से तैयार किए जा रहे दुर्गापूजा पंडाल को होगला के पत्तों, पाठकथी और सूखे मेवें के इस्तेमाल से मयूरपंखी
नौका का आकार देने की कोशिश कर रहा है। 5 दिन तक चलनेवाले दुर्गापूजा उत्सव का इंतजार काफी बेसब्री से
लोग करते हैं। कोविड -9 वैश्विक महामारी के कारण पिछले दो साल के अंतराल के बाद सिटी ऑफ जॉय के इस
प्रमुख देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक को एक बार फिर से काफी उत्साह के साथ आयोजित करके खुशी हो रही
है।
यंग बॉयज़ क्लब के युवा अध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा,, इस पंडाल में हस्तशिल्प कला की कई अनोखी और विलुप्त
होती झलकियां देखने को मिलेंगी। हमने अपनी पिछली पूजाओं में कई प्रमुख पेशेवर कलाकारों के साथ-साथ ग्रामीण कलाकारों को भी शामिल किया है। जिसके बाद हमने देखा है कि ग्रामीण कलाकारों और कारीगरों में जमीन पर प्रदर्शन करने की असाधारण क्षमता है।” पूजा की शुरुआत 1970 में हुई थी। 40 फीट ऊँचे मंडप के कलाकार देवशंकर महेश हैं।
शुभजिता दुर्गोत्सव 2022 – मोहम्मद अली पार्क यूथ की दुर्गापूजा में दिखेगा राजस्थान का शीश महल
कोलकाता । विश्वप्रसिद्ध पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा में अधिकांश पूजा कमेटी के सदस्य यूनिक और आकर्षक थीम के साथ मंडप का निर्माण करती है। इसी कड़ी में अन्य बड़ी पूजा कमेटी की तरह अपने 54वें वर्ष में मध्य कोलकाता के “मोहम्मद अली पार्क यूथ एसोसिएशन” के दुर्गापूजा मंडप में राजस्थान के प्रसिद्ध शीश महल को उतारने की कोशिश की गई है। पूरे शीश महल में दर्शकों को ‘ग्लास पैलेस’ की प्रतिकृति देखने को मिलेगी। पूरे मंडप में अविश्वशनीय सजावट की गई है।
शीश महल को “मिरर पैलेस” के नाम से भी जाना जाता है। इसमें सुंदर कीमती कांच और पत्थरो से हाथ से तैयार की गई पेंटिंग शीश महल को एक अजूबा बनाती है। इसमें मौजूद मिरर-वर्क ने लंबे समय से सभी प्रकार की सजावट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संवाददाताओं से बात करते हुए सुरेंद्र कुमार शर्मा ( महासचिव, मोहम्मद अली पार्क दुर्गा पूजा कमेटी) ने कहा, हम इस बार शीश महल थीम के साथ मंडप का निर्माण किए हैं, क्योंकि कई लोगों ने हमसे इसके लिए अनुरोध किया था। वे राजस्थान नहीं जा सकते थे, लेकिन कोलकाता में ही इस दिव्य अजूबे में जाकर इसके भीतर बने कारीगरी को महसूस करना चाहते थे। दुर्गापूजा के इस त्योहार को और अधिक जीवंत, सुंदर और शाही बनाने के लिए हम इस ‘मिरर पैलेस’ को सुंदर कीमती पत्थरों, कांच और सुंदर हस्तनिर्मित चित्रों के साथ गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
पूरे पूजा मंडप की दीवार और छत को सुंदर कांच और कीमती पत्थर की मदद से बने चित्रों और फूलों से उकेरा गया है। इसके भीतर जाकर आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि इस पंडाल को बनाने में किस स्तर की वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है। जयपुर का शीश महल बदलते समय और विकसित हो रहे शहर के परिदृश्य का प्रमाण है।
इस अवसर पर मोहम्मद अली पार्क दुर्गा पूजा के संयुक्त सचिव श्री अशोक ओझा ने कहा, हजारों टिमटिमाते प्रतिबिंबों के साथ शीश महल पंडाल अपने परिवेश को रोशन कर इसे जीवंत रखेगा। इस मंडप में राजस्थान के राजघरानों की सुंदरता और भव्यता का प्रतिबिंब होगा। पूजा मंडप के अंदर अनगिनत ऐसी पेंटिंग और कलाकृतियां हैं, जो आपको रुचिकर और चकित कर देंगी। हमारा पूरा विश्वास है कि, दर्शक इस मंडप में आकर खुद को राजस्थान में महसूस करेंगे।
शुभजिता दुर्गोत्सव 2022 – नेत्रहीनों, दिव्यांगों एवं वृद्धों के अनुकूल दुर्गा पूजा मंडप होंगे पुरस्कृत
एनआईपी के ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड की पहल पर साथ आईं तीन पूजा कमेटियां
कोविड सेफ दुर्गोत्सव अवार्ड 2022″ की घोषणा
कोलकाता । एनआईपी एनजीओ – नेत्रहीन और अन्य दिव्यांगों में शिक्षा और उनमें सांस्कृति के प्रसार करनेवाली स्वयंसेवी संस्था है। इस संस्था के सदस्यों के साथ फोरम फॉर दुर्गोत्सव, सैनी इंटरनेशनल स्कूल, ममता सुमित बिनानी फाउंडेशन और रोटरी क्लब ऑफ कोलकाता ओल्ड सिटी के सहयोग से शहर के पूजा कमेटियों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में ऐसी कुल 250 पूजा कमेटियां भाग ले रही है, जो वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अपने पंडालों में प्रतिमा दर्शन को अनुकूल बनाने का प्रयास कर रही हैं। इस कार्यक्रम के दौरान शहर के तीन पूजा पंडालों में नेत्रहीनों की सुविधा के लिए ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड को लगाकर इन तीनों मंडप में इसे लगाने की घोषणा की गई है, जिनमे हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति, एस बी पार्क और चितपुर क्रॉसिंग के पास स्थित यंग बॉयज़ क्लब दुर्गापूजा मंडप शामिल हैं।
इस अवसर पर राज्य के कृषि मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय, हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायन देब चटर्जी , सीएस, डॉ. और एडवोकेट ममता बिनानी (एनआईपी एनजीओ की मुख्य संरक्षक और अध्यक्ष, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल), श्री सैनी ग्रुप के सीईओ तपन पटनायक, रोटरी क्लब ऑफ कलकत्ता ओल्ड सिटी के पूर्व अध्यक्ष श्री कल्याण भौमिक, श्री संजय मजूमदार (फोरम फॉर दुर्गोत्सव), देबज्योति रॉय (सचिव, एनआईपी एनजीओ) के साथ समाज की कई बड़ी प्रतिष्ठित हस्तियां मौजूद थीं।
इस मौके पर संवाददाताओं से बात करते हुए सीएस, डॉ. और एडवोकेट ममता बिनानी (एनआईपी एनजीओ की मुख्य संरक्षक और अध्यक्ष, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल) ने कहा, दिव्यांगता किसी व्यक्ति की विशेषता नहीं है, बल्कि उसकी शारीरिक परिस्थितियों का एक जटिल संग्रह है। जब ऐसे विशेष लोगों के लिए किसी मंडप में विशेष सुविधा की व्यवस्था हो और इसके जरिए दिव्यांगों को पंडाल में प्रवेश करने और वहां प्रतिमा दर्शन करने के लिए पहुंचने के लिए लंबी कतारों में खड़े होने की आवश्यकता न हो, तो सच में उन मंडप में नेत्रहीन और दिव्यांग दर्शक आकर इस उत्सव पर विशेष आनंद का अनुभव करेंगे। हमें इनके लिए बस थोड़ा सा बदलाव करने पर समाज में अलग-अलग क्षमताओं वाले दिव्यांगों के लिए अपनेपन और आनंद की भावना के साथ त्योहार मनाने की एक अलग अनुभूति होती है। कई पूजा समितियों को इस दिशा में प्रयास करते हुए देखकर हम काफी उत्साहित हैं। हमारी पूरी आशा है कि अन्य कमेटियां भी जल्द ही इसका पालन करेंगी।
कार्यक्रम के बारे में हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायनदेव चटर्जी ने कहा, उत्सव के इस मौसम की शुरुआत में जहां हर कोई बेदाग मूड के साथ रहना चाहता है, हमने मानवता के लिए एक अनूठी लड़ाई का समर्थन करने के साथ अपने आप को इसमें समर्पित करने का फैसला किया है। हमारा मानना है कि जब ऐसे विशेष लोगों के दैनिक जीवन की गतिविधियों के लिए, ब्रेल घड़ी, ब्रेल कैलकुलेटर, ब्रेल थर्मामीटर, आदि को दृष्टिहीनों की सुविधा के लिए विकसित किया गया है तो हम इन नेत्रहीनों को खुशियां प्रदान करने की कोशिश क्यों नहीं कर सकते हैं। यह सोचकर ही हमने इस वर्ष पूजा में ब्रेल डिस्प्ले स्टैंड के साथ इस उत्सव को मनाने का फैसला लिया है। यह केवल एक पुरस्कार समारोह या लॉन्च नहीं है, बल्कि, यह एक बेहतर समाज को बनाने के लिए सौहार्दपूर्ण वादे के साथ एक सुखद यात्रा का अनुभव भी है।
इस अवसर पर सैनी ग्रुप के सीईओ तपन पटनायक ने कहा, दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है। पश्चिम बंगाल के लोग इस पर्व का बड़े ही धूमधाम से आनंद लेते हैं। लेकिन इस बीच लोग समाज के इस दूसरे हिस्से के लोगों को भूल जाते हैं, जो अलग तरह से असक्षम हैं और वरिष्ठ नागरिक भी हैं। उनके नि:शुल्क प्रवेश के लिए अब हर पूजा पंडालों में कुछ अलग व्यवस्था हमे करनी होगी। हम इस राज्य के हर पूजा समितियों से इस मिशन का पूरे दिल से समर्थन करने का अनुरोध करते हैं। गौरतलब है कि एनआईपी एनजीओ – नेत्रहीनों और अन्य विकलांगों को शिक्षा प्रदान करने के साथ उनमें हमारी सांस्कृतिक को भी बढ़ावा देना है। एनआईपी को 3 दिसंबर, 2012 को “स्टेट अवार्ड” से सम्मानित किया जा चुका है।
नवरात्रि पर विशेष – जानिए अखंड ज्योति का महत्व
यूं तो घरों में प्रातः देव पूजन और संध्या के समय दीपक जलाया ही जाता है, किंतु नवरात्रि और अन्य प्रमुख अवसरों जैसे माता का जागरण, चौकी, राम चरित मानस का अखंड पाठ में अखंड ज्योति जलाई जाती है। सभी लोग लोग इस बात को जानते हैं कि अखंड ज्योति का भक्ति के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
अखंड ज्योति पर चर्चा करने के पहले दीपक के बारे में भी जानना बहुत जरूरी है। ईश्वर तक पहुंचती है भक्ति दीपक में उपस्थित अग्निदेव के माध्यम से भक्त अपनी संवेदनाएं ईश्वर के पास भेजने का प्रयास करता है। यहां पर दीपक भक्त के मेसेंजर के रूप में उसकी भावनाओं को ईश्वर या ईष्ट तक पहुंचाता है, इसलिए कहा जाता है कि जिन घरों में नित्य ईश्वर पूजा, दीपक जलाने, घंटी और शंख बजाने की परंपरा है, उन घरों में ईश्वर और मां लक्ष्मी का वास होता है। किसी भी प्रकार की पूजा का आरंभ दीप में अग्नि प्रज्ज्वलित करके ही किया जाता है और पूजा के अंत में देव या देवी की दीपक से ही आरती का प्रावधान है। दीपक रहे अखंडित जितनी देर उपासना चल रही होती है, उतनी देर दीपक अखंडित रूप से जलना चाहिए, ताकि उसकी ऊर्जा से धीरे-धीरे आसपास का औरा साफ होता रहे। दीपक का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही प्रकार का महत्व बहुत अधिक होता है। दीपक जलने के बाद धीरे-धीरे अपनी लौ की गर्मी से आसपास के क्षेत्र को कवर करता है, जितनी देर अखंडित दीप जलता है, उसका क्षे उतना ही बढ़ता जाता है. अखंडित का सीधा अर्थ है कि जितनी देर पूजन चले, दीपक भी उतनी ही देर तक चलता रहे, यानी दीपक बुझना नहीं चाहिए. इसके लिए ध्यान रखना चाहिए कि जिस दीपक में अखंड ज्योति जलाई जाए, उसकी रुई की बाती पर्याप्त बड़ी हो और उसमें घी भी पर्याप्त मात्रा में हो।
दीपक के न बुझने देने के पीछे की अवधारणा यही है कि बिना किसी ब्रेक के निरंतर दीपक के जलने से उसकी ऊर्जा पूरे घर या भी क्षेत्र विशेष को कवर कर लेती है। जितने क्कोष्त्र अग्नि देव कवर कर लेते हैं, वहां की नकारात्मकता या ऊपरी बाधा रूपी, जिसे नक भी कहा जाता है, स्वतः ही समाप्त हो जाती है, इसलिए पूरे नवरात्र में अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है। अग्नि देव से सूक्ष्य शुद्धता करने वाला यानी माइक्रो क्लीनर कोई और नहीं है, यानी अग्नि के संपर्क में आने के बाद अशुद्धि या नकारात्मकता भस्म हो जाती है और जो कुछ भी बचता है वह शुद्ध स्वर्ण तुल्य होता है. घर में अखंड ज्योति जलाने से सुख-समृद्धि और धन-संपदा प्राप्त होती है।
(साभार – जनता से रिश्ता)
बिहार के इस गांव में एक रुपये में दिया जाता है आठ लीटर दूध
सुपौल। सुपौल जिले के जदिया थाना क्षेत्र की गुड़िया पंचायत में जमाने से मृत्यु भोज के मौके पर एक रुपये में आठ लीटर दूध देने की परंपरा आज भी कायम है। इस परंपरा की शुरुआत कब हुई और किसने की इस बात पर ग्रामीण एक मत नहीं हैं किंतु आज भी पंचायत के अंदर इस परंपरा का निर्वहन सख्ती के साथ किया जा रहा है।
गुड़िया पंचायत के बारे में ग्रामीणों का कहना है यह पंचायत शुरू से बेहतर खेती तथा पशुपालन के लिए क्षेत्र में मशहूर है। यहां के 90 फीसद लोग बेहतर तरीके से खेती करते हैं तथा आज भी यहां के लोगों की पशुपालन में काफी दिलचस्पी है। यही कारण है कि यहां काफी मात्रा में दूध का उत्पादन होता है। शायद यही कारण भी रहा होगा कि किसी जमाने में यहां आपसी समझौते के तहत मृत्यु भोज में सामाजिक योगदान को लेकर यह परंपरा चलाई गई हो और यह प्रथा दस की लाठी एक बोझ साबित हुआ हो। इसलिए यहां के पशुपालकों को मृत्यु भोज में एक रुपये में आठ लीटर दूध देने की पाबंदी है। इसका इतनी कड़ाई से पालन किया जाता है कि अगर किसी पशुपालक द्वारा मृत्यु भोज में दूध उपलब्ध नहीं कराया जा सका हो या फिर बहाना बनाया गया हो तो भोज के दौरान उन्हें खाने-पीने की सारी वस्तु उपलब्ध कराई जाती है किंतु दही देने के वक्त उनके पत्ते में एक रुपये का सिक्का रख दिया जाता है। लज्जित होने के डर से सभी लोग निष्ठापूर्वक अपना-अपना योगदान अवश्य देते हैं।
मुखिया वीणा देवी का कहना है कि इस प्रथा के कारण आज भी पंचायत में न सिर्फ भाईचारा का माहौल बना हुआ है बल्कि पंचायत अंतर्गत गरीब से गरीब व्यक्ति को भी आयोजन करने में दूध की किल्लत महसूस नहीं होती है। सामाजिक कार्यकर्ता रणधीर यादव का कहना है कि इस परंपरा से न सिर्फ सामाजिक सरोकार को बल मिल रहा है बल्कि शोकाकुल परिवार को समाज की तरफ से थोड़ी बहुत आर्थिक मदद भी मिल जाती है।
बता दें कि गुड़िया पंचायत में पशुपालकों की संख्या दो हजार से भी ज्यादा है। लगभग डेढ़ महीने पूर्व पंचायत के वार्ड नंबर 08 निवासी ज्ञानी यादव की मौत हुई, 06 महीना पूर्व पंचायत के लबढी निवासी विशेश्वर यादव की मौत हुई, एक वर्ष पूर्व वार्ड नंबर 02 निवासी कामेश्वर यादव की मौत हुई, दो वर्ष पूर्व सुरेंद्र यादव की मौत हुई थी। इन सभी लोगों के मृत्यु भोज में इस परंपरा की निर्वहन करते हुए एक रुपये में आठ लीटर दूध दिया गया।