Wednesday, May 28, 2025
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महाशिवरात्रि विशेष : ये हैं बिहार के प्रसिद्ध शिव मंदिर

महाशिवरात्रि इस साल 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बिहार में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, जहां इस दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि इन मंदिरों में सच्चे मन से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं बिहार के उन प्रख्यात शिव मंदिरों के बारे में-
बाबा कोटेश्वर नाथ धाम, जहानाबाद-गया – बिहार के गया और जहानाबाद जिले की सीमा पर स्थित बाबा कोटेश्वर नाथ धाम एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर का गर्भगृह लाल पत्थर के टुकड़ों से बना है, जो इसकी खास पहचान है। इस मंदिर के निर्माण को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है।
उषा और अनिरुद्ध के विवाह से है सम्बन्ध – बाणासुर की बेटी उषा भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध से प्रेम करती थीं, लेकिन बाणासुर श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानता था। उषा ने अनिरुद्ध को पाने के लिए इस मंदिर की स्थापना करवाई। जब उषा ने भगवान शिव की उपासना की, तो शिव प्रकट हुए और उसे 1008 शिवलिंग स्थापित करने का आदेश दिया। उषा ने एक विशाल शिवलिंग की स्थापना की, जिसमें सभी 1008 शिवलिंग समाहित थे। बाद में उषा और अनिरुद्ध का विवाह हुआ, और तब से इस मंदिर की पूजा की परंपरा चली आ रही है। हर साल महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं।
अशोक धाम मंदिर, लखीसराय – लखीसराय स्थित अशोक धाम मंदिर बिहार का एक प्रमुख शिव मंदिर है, जिसे “बिहार का देवघर” भी कहा जाता है। इस शिवलिंग की खोज 1977 में एक चरवाहे अशोक ने की थी, जिसके नाम पर ही इस मंदिर का नाम रखा गया। दरअसल, चरवाहा अशोक गाय चराने के दौरान गिल्ली-डंडा खेल रहा था। खेल के दौरान गिल्ली की तलाश में उसने मिट्टी के नीचे एक विशाल शिवलिंग पाया। बाद में स्थानीय लोगों की मदद से उस स्थान पर अशोक धाम मंदिर का निर्माण कराया गया। हर साल महाशिवरात्रि के दिन यहां भव्य शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
बाबा गरीबनाथ मंदिर, मुजफ्फरपुर – बाबा गरीबनाथ मंदिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शिव मंदिर है। यह मंदिर सौ वर्षों से भी अधिक पुराना है। माना जाता है कि पहले इस स्थान पर एक विशाल बरगद का पेड़ था। जब इस पेड़ को काटने का प्रयास किया गया, तो पेड़ के नीचे एक अद्भुत शिवलिंग प्रकट हुआ। तभी से इस स्थान पर भगवान गरीबनाथ शिव की पूजा की जाने लगी। इस मंदिर में मनोकामना पूरी होने की कई कहानियां प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, एक गरीब भक्त की बेटी की शादी में धन की कमी थी। उसने बाबा गरीबनाथ से प्रार्थना की, और अगले ही दिन उसके घर में चमत्कारिक रूप से विवाह का सारा सामान आग गया। तभी से इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष पूजा करते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

महाशिवरात्रि विशेष : शिव ही शक्ति हैं, शक्ति ही शिव हैं

पुराणों में उल्लेख है कि ब्रह्मा जी के द्वारा बनाई गई सृष्टि में आदि और प्रकृति ने मिलकर धरती पर नये प्राणियों को जन्म देकर धरती का विकास किया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आदि को शिव जी और प्रकृति को शक्ति माना जाता है। इसका अर्थ हुआ कि शिव जी और शक्ति ने ही धरती पर प्राणियों के लिए जीवन संभव बनाया। इसलिए आज भी शिव जी और शक्ति को एक साथ आदिशक्ति के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि शिव ही शक्ति है, शक्ति ही शिव है।
शिव ने ही सृष्टि के हित के लिए शक्ति का रूप बनाया था ताकि धरती पर नये प्राणियों का जीवन शुरू हो सके। इसलिए शिव और शक्ति एक-दूसरे के बिना अधूरे है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आखिर शिव, शक्ति के बिना अधूरे क्यों है।सृष्टि के निर्माण के बाद ब्रह्मा जी ने देखा कि धरती पर किसी भी तरह का कोई विकास नहीं हो रहा। कोई भी नया जीव जन्म नहीं ले रहा है। इसलिए ब्रह्मा जी विष्णु जी से सहायता मांगी। विष्णु जी ने ब्रह्मा जी को शिव जी की तपस्या का सुझाव दिया। ब्रह्मा जी शिव जी की तपस्या की, तब शिव जी ने अपने आधे शरीर से एक रूप बनाया जिसे शक्ति नाम दिया गया।
शिव-शक्ति का यह रूप अर्धनारीश्वर कहलाया। ब्रह्मा जी ने शिव जी से पूछा कि आपका यह दूसरा रूप कौन है, तब शिव जी ने अपने दोनों रूपों को अलग-अलग किया और एक पुरुष और एक नारी की आकृति बनाई। शिव के पुरुष रूप और नारी रूप शक्ति ने मिलकर धरती पर नए जीवों को बनाया जिससे धरती पर जीवों की संख्या बढ़ने लगी और धरती का विकास होने लगा। शिव जी का शक्तिरूप, मां पार्वती के रूप का आधार है। अगर शिव जी ने शक्ति नही बनाई होती तो मां पार्वती भी कभी अस्तित्व में नहीं आती।
शिव और शक्ति एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योंकि शिव और शक्ति एक ही है।शास्त्रों में बताया गया है कि शिव जी और शक्ति का अर्धनारीश्वर रूप स्त्री और पुरुष की समानता को बताता है। शिव जी और शक्ति का यह रूप आज के युग में बहुत अधिक महत्व रखता है। शिव जी के अर्धनारीश्वर रूप से यह पता चलता है कि स्त्री और पुरुष को हमेशा अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि उनका सम्पूर्ण विकास हो सके। पुरुषों को यह ध्यान रखना चाहिए की उनके हर तरह के कार्यों में नारी का भी पूर्ण योगदान होता है। इसलिए नारी का सम्मान करना चाहिए। शिव- शक्ति मिलकर यह सीख देते है कि स्त्री और पुरुष एक- दूसरे के लिए समान रूप से समर्पित रहना चाहिए ताकि वो अपने जीवन में आने वाली सभी समस्याओं को मिलकर समझदारी से खत्म कर सकें।

एआई का अपना फाउंडेशनल मॉडल विकसित करेगा भारत: अश्विनी वैष्णव

नयी दिल्ली । भारत आने वाले महीनों में एआई का अपना फाउंडेशनल यानी मूलभूत मॉडल तैयार करेगा। इस संबंध में गुरुवार को नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत का फाउंडेशनल मॉडल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मॉडल से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि भारत का अपना एआई मॉडल विकसित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए एक रूपरेखा तैयार की गई है। केंद्रीय मंत्री ने एक एआई सुरक्षा संस्थान स्थापित किए जाने की भी घोषणा की। उन्होंने इंडिया एआई मिशन की प्रगति पर रोशनी डाली, जो पहले से ही अपने शुरुआती ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट जीपीयू लक्ष्यों को पार कर चुका है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 18 हजार 693 जीपीयू के साथ एक सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा शुरू की गई है और आने वाले दिनों में स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और डेवलपर्स के लिए उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा, भारत में अब 15 हजार हाई-एंड जीपीयू उपलब्ध हैं।
इसे जल्द ही भारतीय सर्वर पर किया जाएगा होस्ट -डीपसीक को लेकर गोपनीयता संबंधी चिंताओं पर एक सवाल पर, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि इसे जल्द ही भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच है कि आधुनिक तकनीक सभी को उपलब्ध होनी चाहिए।

रोज 600 किमी हवाई जहाज से यात्रा कर नौकरी पर जाती है यह मां

नयी दिल्ली । यह कहानी मलेशिया के पेनांग में रहने वाली एक भारतीय मूल की मां रचेल कौर की है। वह रोज पेनांग से 300 किलोमीटर कुआलालंपुर जाती और वापस आती हैं। इतना सफर करने की वजह से लोग उन्हें “सुपर कम्यूटर” कह रहे हैं। यह महिला हर रोज़ सुबह 4 बजे उठकर नौकरी पर जाने की तैयारी करती है। वह हफ्ते में पांच दिन ऑफिस जाती है और दो दिन बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताती हैं। लेकिन खास बात यह है कि वह सड़क से नहीं, बल्कि हवाई जहाज़ से ऑफिस जाती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रचेल कौर एयर एशिया के फाइनेंस डिपार्टमेंट में सहायक प्रबंधक है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कैसे वह रोज़ाना आने-जाने का सफर फ्लाइट से करती हैं। रचेल का कहना है कि यह तरीका न सिर्फ़ सस्ता है, बल्कि इससे उन्हें अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय बिताने का भी मौका मिलता है। रचेल ने सीएनए इनसाइडर को बताया, “मेरे दो बच्चे हैं, दोनों बड़े हो रहे हैं। मेरा बड़ा बेटा, 12 साल का है। और, बेटी 11 साल की। जैसे-जैसे वे बड़े हो रहे हैं, मुझे लगता है कि एक मां का उनके साथ ज़्यादा रहना ज़रूरी है। इस व्यवस्था से मैं हर रोज़ घर जा सकती हूं और रात में उनके साथ वक्त बिता सकती हूं।” पहले रचेल कुआलालंपुर में अपने दफ्तर के पास ही किराए के मकान में रहती थीं। इस वजह से वह हफ्ते में सिर्फ़ एक बार पेनांग जा जाती थीं। यह रूटीन उनके काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बिगाड़ रहा था। बच्चों को कम समय दे पाती थीं। इसलिए, साल 2024 की शुरुआत में, उन्होंने रोज़ाना हवाई जहाज़ से यात्रा करने का फ़ैसला किया। उनका कहना है कि इससे उन्हें अपने निजी और पेशेवर जीवन के बीच बेहतर तालमेल बिठाने में मदद मिली है।आप सोच रहे होंगे कि दफ्तर के पास किराये के मकान में रहने के बजाय रोज फ्लाइट से यात्रा तो महंगा ऑप्शन होगा। लेकिन आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि यह सस्ता ऑप्शन है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑफिस के पास किराए का मकान और वहां भोजन का उनका रोज़ का खर्च, हवाई जहाज की यात्रा में होने वाले खर्च से कम है। जब वह किराये पर रहती थीं तो हर महीने $474 (लगभग 42,000 रुपये) खर्च करती थीं। लेकिन, अब उनका खर्च कम होकर $316 (लगभग 28,000 रुपये) प्रति माह हो गया
द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में, कौर ने बताया कि वह हर सुबह 4:00 बजे उठकर काम पर जाने के लिए तैयार होती हैं। वह 5:55 AM तक एयरपोर्ट पहुंच जाती हैं और अपनी फ्लाइट में बैठ जाती हैं। सभी ज़रूरी प्रक्रियाओं के बाद, वह “सुबह 7:45 AM तक” अपने ऑफिस पहुंच जाती हैं। कुआलालंपुर में उनका दफ्तर एयरपोर्ट के पास ही है। तभी तो लैंडिंग के बाद वह पैदल ही पांच-सात मिनट में ऑफिस पहुंच जाती हैं। वहां पूरा दिन काम करने के बाद, वह रात 8:00 बजे तक वापस पेनांग स्थित अपने घर पहुंच जाती हैं। रोज 600 किलोमीटर लंबे सफर से असुविधा नहीं होती? इस सवाल पर उन्होंने बताया, “लोगों से घिरे रहने से… काम करना आसान होता है। आप जानते हैं… जब आप लोगों से आमने-सामने बात कर पाते हैं।” उन्होंने अपने नियोक्ता, एयर एशिया की भी प्रशंसा की, जो इस व्यवस्था के लिए तैयार हैं, जिससे उन्हें काम और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। ‘जब मैं यहाँ होती हूं, तो मैं अपना 100 प्रतिशत ध्यान काम पर लगाती हूँ, और जब मैं घर पर होती हूं, तो मैं अपना 100 प्रतिशत ध्यान अपने परिवार पर दे सकती हूं।’ कौर ने बताया, ‘हर रोज़ सुबह 4:00 बजे उठना थका देने वाला होता है। लेकिन जिस पल मैं घर पहुंचती हूं और अपने बच्चों को देखती हूं, सारी थकान गायब हो जाती है। यह बस अद्भुत है।’ वह “भविष्य में” भी इसी तरह काम पर जाना जारी रखने की योजना बना रही हैं।

कूड़े में फेंकी जानी थी हैरी पॉटर की दुर्लभ किताब, नीलामी में मिले 22 लाख 78 हजार रुपये

लंदन। ब्रिटेन में हैरी पॉटर की एक दुर्लभ किताब 22 लाख रुपये से अधिक कीमत पर बिकी है। इस किताब को कुछ दिनों में कूड़े में फेंक दिया जाना था। हालांकि, उसके पहले पता चला कि यह किताब हैरी पॉटर एंड द फिलॉसफर्स स्टोन का एक दुर्लभ पहला संस्करण है। ऐसे में इसे नीलाम करने का फैसला किया गया। जब इसकी नीलामी की गई तो यह किताब 21,000 पाउंड से अधिक में बिकी। भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत 2278737 से अधिक है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को पैग्नटन में एनएलबी नीलामी में इस वस्तु की नीलामी की गई, जिसमें बोली लगाने वाले कमरे में, फोन पर और ऑनलाइन मौजूद थे। नीलामी घर चलाने वाले डैनियल पीयर्स ने इसे ब्रिक्सहम के एक मृत व्यक्ति के सामानों के बीच पाया, जिसे कूड़े में फेंकने के लिए रखा गया था। उन्होंने कहा कि यह कीमत “पहले संस्करण की हार्डबैक के लिए एक बेहतरीन परिणाम है।”यह पुस्तक 500 प्रतियों के पहले प्रिंट रन से थी और सार्वजनिक पुस्तकालयों में वितरित की गई 300 कॉपियों में से एक थी। कॉपी के पीछे ‘फिलॉसफर्स’ की गलत वर्तनी उन चीजों में से एक थी, जिससे श्री पीयर्स को यह पहचानने में मदद मिली कि यह पहला संस्करण है। उन्होंने कहा, “इसमें अंत में ओ गायब है।” नीलामी घर ने यूएसए के पश्चिमी तट पर इच्छुक पार्टियों के लिए समय के अंतर को समायोजित करने के लिए लगभग 16:00 GMT के लिए लॉट निर्धारित किया।

पतंजलि फूड्स ने तोड़ा कमाई का रिकॉर्ड

नयी दिल्‍ली । योग गुरु बाबा रामदेव के नेतृत्‍व वाली पतंजलि फूड्स लिमिटेड ने 31 दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही और नौ महीनों के अपने वित्तीय नतीजे घोषित किए हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में अब तक का सबसे ज्‍यादा तिमाही राजस्व कमाया है। ईबीइटडा में भी साल-दर-साल 48.79% की बढ़ोतरी देखी गई। हालांकि, मांग में कमी और महंगाई के दबाव के कारण एफएमसीजी सेक्टर में चुनौतियां भी रहीं। कंपनी ने अपने होम एंड पर्सनल केयर बिजनेस को पूरी तरह से इंटीग्रेट कर लिया है। एमएमसीजी कंपनी के रूप में वह अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। तेल पाम के बागानों का क्षेत्रफल भी बढ़ा है।पतंजलि फूड्स का चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 71.29 फीसदी बढ़कर 370.93 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 216.54 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। चालू वित्त वर्ष अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी की कुल आय बढ़कर 9,103.13 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 7,910.70 करोड़ रुपये थी। इस दौरान कंपनी का खर्च बढ़कर 8,652.53 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7,651.51 करोड़ रुपये था।

मुफ्त की योजनाओं के एलान से सुप्रीम कोर्ट नाराज

कहा- क्या हम परजीवी वर्ग तैयार नहीं कर रहे?
नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त के वादे करने पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि लोगों को अगर राशन और पैसे मुफ्त मिलते रहेंगे तो इससे लोगों की काम करने की इच्छा नहीं होगी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। याचिका में बेघर लोगों को शहरी इलाकों में आश्रय स्थल मुहैया कराने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ‘मुफ्त वाली योजनाओं के चलते लोग काम नहीं करना चाहते। उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है और उन्हें बिना कोई काम किए पैसे मिल रहे हैं।’ याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि सरकार ने शहरी इलाकों में आश्रय स्थल की योजना को बीते कुछ वर्षों से फंड देना बंद कर दिया है। इसके चलते इन सर्दियों में 750 से ज्यादा बेघर लोग ठंड से मर गए। याचिकाकर्ता ने कहा कि गरीब लोग सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं हैं और सिर्फ अमीरों की चिंता की जा रही है। इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि अदालत में राजनीतिक बयानबाजी की इजाजत नहीं दी जाएगी। जस्टिस गवई ने कहा कि ‘कहते हुए दुख हो रहा है, लेकिन क्या बेघर लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, ताकि वे भी देश के विकास में योगदान दे सकें। क्या हम इस तरह से परजीवियों का एक वर्ग तैयार नहीं कर रहे हैं? मुफ्त की योजनाओं के चलते, लोग काम नहीं करना चाहते। उन्हें बिना कोई काम किए मुफ्त राशन मिल रहा है।’ केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार शहरी इलाकों में गरीबी को मिटाने के लिए प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रही है। जिसमें शहरी इलाकों में बेघर लोगों को आश्रय देने का भी प्रावधान होगा। इस पर पीठ ने उन्हें केंद्र सरकार से पूछकर यह स्पष्ट करने को कहा कि कितने दिन में इस योजना को लागू किया जाएगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी।

लिटिल थेस्पियन की दूसरी राष्ट्रीय नाटक प्रतियोगिता

कोलकाता । प्रसिद्ध हिंदी/उर्दू नाट्य संस्था लिटिल थेस्पियन द्वारा आयोजित दूसरा नाटक प्रतियोगिता इस वर्ष राष्ट्रीय बन गई। 2 दिवसीय नाटक प्रतियोगिता 4 और 5 फरवरी 2025 को जोगेश माइम अकादमी में आयोजित की गई थी। लिटिल थेस्पियन की संस्थापक और प्रसिद्ध थिएटर निर्देशक/अभिनेता उमा झुनझुनवाला ने युवाओं में हिंदी/उर्दू थिएटर संस्कृति को विकसित करने, नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और उन्हें मंच प्रदान करने के लिए इस प्रतियोगिता की शुरुआत की।
इस नाटक प्रतियोगिता में सात टीमों ने भाग लिया। पहला नाटक महमूद, एमेच्योर थियेटर ग्रुप, गोरखपुर द्वारा मंचित किया गया। यह नाटक शैलेश मटियानी की कहानी पर आधारित था और इसका नाट्य रूपांतरण और निर्देशन आसिफ जहीर ने किया। इस नाटक का सार पशु प्रेम और आज के समय में मनुष्य में व्याप्त संवेदनहीनता था। हमारा प्रयास ग्रुप, रिशरा ने विनोद रस्तोगी द्वारा लिखित और डॉ. रमाशंकर सिंह द्वारा निर्देशित नाटक बहू की विदा प्रस्तुत किया। इस नाटक में दहेज की सदियों पुरानी समस्या को दर्शाया गया। नाटक प्रतियोगिता के पहले दिन का तीसरा और अंतिम नाटक था भोलाराम जिसे बालारको निमता, कोलकाता द्वारा पेश किया गया। हरशंकर परसाई की कहानी पर आधारित यह व्यंग्य समाज और नौकरशाही की आलोचना करता है और यह भी दर्शाता है कि कैसे धर्म और संस्कृति को उत्पीड़क वर्ग द्वारा हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भोलाराम की दुर्दशा को दर्शाता है, एक ऐसे व्यक्ति जिसकी आत्मा को यमलोक ले जाया जाना है, लेकिन वह स्वर्गदूतों के चंगुल से बच निकलता है। भोलाराम नाटक का नाट्य रूपांतरण और निर्देशन बसंत पाथराडकर ने किया था। नाटक प्रतियोगिता के दूसरे दिन अपेक्खिक और शोर थिएटर, कोलकाता ने अपना नाटक ज्येष्ठ कौन्तेय मंचित किया। यह नाटक महाभारत (वेद व्यास), रश्मिरथी (रामधारी सिंह दिनकर) और महारथी (विभांशु वैभव) का रूपांतरण था। इस नाटक का निर्देशन अविक रॉय ने किया था और इसमें कर्ण के जीवन से एक प्रसंग को दिखाया गया था। विद्यासागर कॉलेज फॉर विमेन, कोलकाता के स्वांग ड्रामा क्लब ने मोहम्मद आसिफ आलम द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक तीसरी ताली का मंचन किया। नाटक में ट्रांसजेंडर के जीवन को दर्शाया गया। भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के ड्रामा ग्रुप इनेक्ट ने अपना नाटक पानी नहीं आ रहा! का मंचन किया, जिसे भास्वर पॉल ने लिखा और युवराज सुराना ने निर्देशित किया। नाटक में आम आदमी के संघर्ष और राजनेताओं द्वारा उन्हें कैसे बेवकूफ बनाया जाता है, को दर्शाया गया। नाटक प्रतियोगिता का समापन कोलकाता के एस.एम. राशिद थिएटर ग्रुप, कोलकाता द्वारा नाटक निर्देशक, के मंचन से हुआ। नाटक पी. जानी द्वारा लिखा गया था और संजीव रे द्वारा निर्देशित किया गया था। इस नाटक में एक थिएटर निर्देशक के जीवन को दर्शाया गया था।निर्णायक मंडल में थे स्वाति रॉय (निर्देशक, ओइहिक), दिनेश वडेरा (निर्देशक, मुद्रा आर्ट्स) और लिटिल थेस्पियन के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद आफताब आलाम। इनके द्वारा तीन सर्वश्रेष्ठ नाटकों का चयन किया गया । चयनित टीमें लिटिल थेस्पियन के 14वें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव जश्न-ए-अजहर में अपने नाटकों का मंचन करेंगी, जो 28 फरवरी 2025 से 5 मार्च 2025 तक ज्ञान मंच में आयोजित किया जाएगा।

कवि आशुतोष की स्मृति को संरक्षित करती तीन पुस्तकों का लोकार्पण

कोलकाता । सियालदह स्थित ऑफिसर्स क्लब के ‘मंथन’ सभागार में कवि आशुतोष की दो कविता संग्रह ‘तुम्हारे होने से सुबह होती है’ और ‘प्रतीक्षा’ एवं उन पर रचित संस्मरण पुस्तक ‘आशुतोष : असमय काल कवलित योद्धा’ का लोकार्पण कोलकाता के वरिष्ठ साहित्यकार शंभुनाथ, आलोचक डॉ. अमरनाथ, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रधानाध्यापिका डॉ. सत्या उपाध्याय, चित्रकार शेखर, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय से प्रोफेसर योगेंद्र और आशुतोष जी के पुत्र केतन कबीर सिंह ने किया। कविता संग्रह ‘तुम्हारे होने से सुबह होती है’ और संस्मरण पुस्तक ‘ आशुतोष: असमय काल कवलित योद्धा’ सेतु प्रकाशन से और ‘प्रतीक्षा’ कविता संग्रह देशज प्रकाशन, राँची से आई है। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन और डॉ. आशुतोष जी को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए किया गया। इसके पश्चात् आशुतोष जी की स्मृतियों को याद करते हुए उनकी ही वाणी में ही बनाई गई एक वीडियो भी दिखाया गया। डॉ. आशुतोष जी की कविताओं का पाठ स्मिता गोयल जी ने किया और हावड़ा नवज्योति के बच्चों ने आशुतोष जी की कविताओं का सुंदर कोलाज प्रस्तुत किया। आशुतोष जी की इन तीनों पुस्तकों के संबंध में वरिष्ठ साहित्यकार शंभुनाथ जी ने अपने विचार रखते हुए स्पष्ट कहा कि ‘आशुतोष जी अपने अंदर कई संवेदनाओं का ज्वाला अपने अंतर्तम में झेलते रहे। वे उन्हीं संवेदनाओं को जीते रहें जो उनकी कविताओं में प्रकट हुई है। यही बातें और कविताएँ उन्हें हमारे बीच जीवित रखे हुए है।

डॉ.अमरनाथ शर्मा ने प्रोफेसर योगेंद्र जी की मित्रता एवं उनके प्रयासों में सभी मित्रों के सहयोग की सराहना की। आशुतोष जी सहजता से ही गंभीर बातें कह देते थे। उन्होंने पढ़ने को महत्त्वपूर्ण माना न कि छपने को। डॉ. सत्या उपाध्याय ने आशुतोष जी की कविताओं की प्रेरणा और संस्मरण को साझा करते हुए कहा कि यह किताबें उनके हमारे साथ होने का प्रमाण है। 24 वर्षों तक एक साथ एक ही कॉलेज में पढ़ाने के साथ हमने एक स्वस्थ साहित्यिक जीवन जिया। उनके अभिभावक थी उनकी कविताएँ। आशुतोष जी सच में असमय काल कवलित योद्धा हैं। इसके बाद मृत्युंजय सिंह ने आशुतोष जी के साथ अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि आशुतोष जी की उपस्थिति इस‌ किताब का परिचायक है।

उनकी चिंतन मानवतावादी चेतना से भरी हुई थी। उनसे सारे वैचारिक मान्यताओं से ऊपर जोड़ती है। चित्रकार शेखर जी, जो आशुतोष जी के छोटे भाई हैं, उन्होंने ‘प्रतीक्षा’ कविता संग्रह का कवर बनाया है। उन्होंने उसमें उकेरे अपने विचारों को कविता से जोड़ते हुए बताया कि आशुतोष जी की कविताओं में उपजी छटपटाहट और समाज को बदलने की ललक को ही कवर में प्रस्तुत किया है। ‘तुम्हारे होने से सुबह होती है’ कविता संग्रह की भूमिका लेखक डॉ. रीता चौधरी ने भूमिका लेखन के दौरान आशुतोष जी की कविताओं से गुज़रते हुए अपने अनुभव को साझा किया। लेखक डॉ. मृत्युंजय पांडेय ने उनकी कविताओं पर केंद्रित अपने वक्तव्य को रखते हुए उन्हें एक संवेदनशील कवि के रूप में चिन्हित किया। प्रियंकर पालीवाल जी ने उनके प्रति अपनी मैत्री और उनके साथ अपने प्रेम-भाव को व्यक्त करते हुए उनके चले जाने से आए खालीपन को साहित्य से भर पाने की राह अपनाने की बात साझा की। प्रोफेसर योगेंद्र जी ने ‘आशुतोष: काव्य संवेदना एवं उनके विचार’ विषय पर अपने विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि आशुतोष जी की कविताएँ रहस्यात्मक नहीं हैं। उनकी कविता गंगा के पानी की तरह अविरल बहती हैं। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए राज्यवर्धन ने किया। इस कार्यक्रम के आयोजन में यतीश कुमार और उनकी पत्नी स्मिता गोयल ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में कोलकाता के कई शिक्षक, प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने भाग लिया। कोलकाता के हिंदी साहित्य जगत से डॉ. शुभ्रा उपाध्याय, डॉ. गीता दूबे, डॉ. इतु सिंह, डॉ. कमल कुमार, जालान पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, शिक्षक पीयूषकांत‌ राय, डॉ. विनय मिश्र, आदित्य गिरी, डॉ. संजय जायसवाल, पूजा गुप्ता, दीक्षा गुप्ता उपस्थित हुए। इनके अलावा भागलपुर से कई विद्यार्थियों और शिक्षकों ने आकर कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज की।

 

 

वित्त मंत्रालय ने कर्मियों को चैटजीपीटी और डीपसीक इस्तेमाल न करने को कहा

नयी दिल्ली । वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वे आधिकारिक काम के लिए चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल का इस्तेमाल न करें। हाल ही में जारी की गई एडवाइजरी में चेतावनी दी गई है कि ये टूल गोपनीय सरकारी डेटा और दस्तावेजों के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।

वित्त मंत्रालय की एडवाइजरी के अनुसार, “यह निर्धारित किया गया है कि ऑफिस के कंप्यूटर और डिवाइस में एआई टूल और एआई ऐप (जैसे चैटजीपीटी और डीपसीक आदि) (सरकारी) डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता के लिए जोखिम पैदा करते हैं।” इससे पहले आईटी मंत्रालय ने कहा था कि डीपसीक जैसे एआई टूल्स से संबंधित गोपनीयता संबंधी चिंताओं को भारतीय सर्वरों पर ओपन-सोर्स मॉडल की मेजबानी करके प्रबंधित किया जा सकता है।

डीपसीक, एक चीनी एआई ऐप है, जो दुनिया भर में स्क्रूटनी का सामना कर रहा है। डच अधिकारियों ने हाल ही में इसकी गोपनीयता नीतियों की जांच शुरू की, जिसमें सवाल उठाया गया कि ऐप यूजर्स के पर्सनल डेटा को कैसे संभालता है। अन्य देश भी डीपसीक पर इसी तरह की जांच कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले महीने कहा था कि देश छह महीने के भीतर किफायती कीमत पर अपना सुरक्षित और सुरक्षित स्वदेशी एआई मॉडल लॉन्च कर सकता है।

भारतीय एआई मॉडल आने वाले दिनों में देश को एआई समाधानों के अधिक विश्वसनीय तकनीकी पावरहाउस के रूप में उभरने में मदद करेगा। उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा द्वारा समर्थित, इंडियाएआई मिशन अब भारतीय भाषाओं का उपयोग करके घरेलू संदर्भ के लिए स्वदेशी एआई समाधानों को अनुकूलित करने के करीब है।ओपनएआई के सह-संस्थापक और सीईओ सैम ऑल्टमैन ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का एक अहम मार्केट है और कंपनी के लिए वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। ऑल्टमैन के मुताबिक, “भारत एआई के लिए काफी अहम बाजार है और हमारा दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। मॉडल अभी भी सस्ते नहीं हैं। भारत को इस क्षेत्र लीडर होना चाहिए।”