Sunday, August 3, 2025
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 क्रिकेटर ऋषभ पंत की कार दुर्घटनाग्रस्त, खतरे से बाहर, हालत में सुधार

हरियाणा रोडवेज बस चालक बना ‘देवदूत’

रुड़की । दिल्ली से रुड़की में मां से मिलने आ रहे क्रिकेटर ऋषभ पंत रुड़की के निकट नारसन में सड़क हादसे का शिकार हो गये। हादसा इतना भीषण था कि मर्सिडीज बेंज कार करीब दो सौ मीटर तक डिवाइडर की रेलिंग तोड़ते हुए दूसरी तरफ जाकर पलट गई। इसके बाद कार में आग लग गई। कार दुर्घटना में घायल हुए भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत की हालत में अब काफी सुधार है। देहरादून के मैक्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। गत दिवस उन्हें आइसीयू से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया था।
आग लगने से पूर्व ही क्रिकेट हिम्मत दिखाते हुए कार से बाहर निकल आये। ऋषभ पंत अपनी मां को सरप्राइज देने के लिए उनसे मिलने आ रहे थे। हादसे की वजह नींद की झपकी रही। हालांकि अब इसके अलग – अलग कारण बताये जा रहे हैं । ऋषभ पंत को रुड़की के सक्षम अस्पताल में उपचार देने के बाद देहरादून के मैक्स अस्पताल में रेफर किया गया।
भारतीय किक्रेट टीम के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत शुक्रवार अल सुबह मां सरोज पंत से मिलने दिल्ली से अपनी मर्सिडीज कार में रुड़की आ रहे थे। सुबह करीब साढ़े पांच बजे इनकी कार नेशनल हाईवे 334 पर नारसन कस्बे में पहुंची तो क्रिकेटर ऋषभ पंत को नींद की झपकी आ गई। जिससे उनकी मर्सिडीज कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर की रेलिंग तोड़ते हुए करीब दो सौ मीटर दूर जाकर पलट गई।
बस चालक सुशील कुमार बस के परिचालक के साथ मौके पर पहुंचे
हादसे होते देख सामने से आ रही हरियाणा रोडवेज बस भी रुक गई। बस चालक सुशील कुमार बस के परिचालक के साथ मौके पर पहुंचे। इसी बीच मौके से कुछ दूरी पर स्थित डेयरी संचालक कुशलवीर सिंह कर्मचारियों को लेकर राहत बचाव के लिए मौके पर पहुंचे।
पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी गई। घायल ऋषभ पंत कार से बाहर निकलते ही सड़क पर गिर गये। इसी बीच तेज धमाके के साथ ही कार में भीषण आग लग गई।
ऋषभ पंत की पीठ पर बैग लटका हुआ था। जैसे ही घायल क्रिकेटर को एंबुलेंस में ले जाने लगे तो बैग से गिरे कुछ रुपये लोग उठाकर ले गये। घायल क्रिकेटर को रुड़की में दिल्ली रोड स्थित सक्षम अस्पताल ले जाया गया। यहां पर उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। इसी बीच एसपी देहात स्वप्न किशोर सिंह, खानपुर विधायक उमेश कुमार सक्षम अस्प्ताल पहुंचे।
पुलिस ने गाड़ी भेजकर ऋषभ पंत की मां को भी अस्पताल बुला लिया। करीब दो घंटे तक उपचार के बाद ऋषभ को देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।
हादसे के प्रत्यक्षदर्शी कुशलवीर सिंह ने बताया कि हादसा इतना भीषणा था कि कार दो सौ मीटर तक पलटते हुए सड़क के दूसरी तरफ गिरी। वहीं एसपी देहात स्वप्न किशोर ने बताया कि हादसे के पांच मिनट बाद ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी।
क्रिकेटर ने सीट बेल्ट लगाई होती तो उन्हें कार से बाहर आने में काफी देर हो सकती थी। उन्होंने बताया कि नींद की झपकी आने से हादसा हुआ है। मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज पुलिस ने हासिल कर लिया है।

पीएम मोदी ने हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस को दिखाई हरी झंडी

कोलकाता । 30 दिसम्बर 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पश्चिम बंगाल को बड़ी सौगात दी। पीएम मोदी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। प्रधानमंत्री की मां हीराबेन के निधन हो जाने के कारण उनको अपना बंगाल दौरा रद करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद पीएम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए यहां पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम मोदी ने अहमदाबाद स्थित राजभवन से वर्चुअल माध्यम से बंगाल में कनेक्टिविटी से जुड़ी रेलवे की 7,600 करोड़ रुपये से ज्यादा की विभिन्न परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया।
कोलकाता मेट्रो जोका-तारातला खंड का उद्घाटन
पीएम ने इसके साथ ही कोलकाता मेट्रो की पर्पल लाइन के जोका-तारातला खंड का भी उद्घाटन किया। दक्षिण कोलकाता के जोका, ठाकुरपुकुर, साखेर बाजार, बेहला चौरास्ता, बेहला बाजार और तारातला जैसे छह स्टेशनों वाले 6.5 किलोमीटर के इस मेट्रो खंड का निर्माण 2,475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है। कोलकाता शहर के दक्षिणी हिस्सों और दक्षिण 24 परगना के यात्रियों को इस परियोजना से बेहद फायदा होगा। इस मौके पर हावड़ा स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्यपाल सीवी आनंद बोस, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सहित रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी गण मौजूद रहे। पीएम ने इस दौरान राज्य में चार और रेल परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
इनमें बोइंची-शक्तिगढ़ तीसरी लाइन, डानकुनी-चंदनपुर चौथी लाइन, निमतिता- न्यू फरक्का डबल लाइन और अम्बारी फालाकाटा-न्यू मयनागुड़ी-गुमानीहाट दोहरीकरण परियोजना शामिल है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री 335 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किए जाने वाले न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की भी आधारशिला रखीं। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इस मौके पर कहा कि इन परियोजनाओं के शुभारंभ से बंगाल के लोगों को काफी लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम में मौजूद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी की मां के निधन पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ममता ने कहा कि मां से बढ़कर कुछ भी नहीं है। मेरी संवेदनाएं आपके साथ है। इससे पहले ममता के हावड़ा स्टेशन पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही भाजपा समर्थकों ने नारेबाजी की, जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त की। बाद में रेल मंत्री सहित रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने ममता को मनाया

क्योंकि पुस्तकालय सिर्फ पुस्तकालय नहीं होते

मुझे याद है कॉलेज के दिनों में पुस्तकालय एक सुकून भरी जगह होती थी, जहाँ से हटने का मन नहीं करता था । दिल उखड़ा हो या दिमाग..किताबों के पीछे सब कुछ भूल जाने की वजह होती थी । क्लास खत्म हो जाती, तब भी किसी न किसी बहाने से लाइब्रेरी कार्ड ठीक करने के लिए या किसी और काम से बहुत देर तक रुकी रहती थी । साल का दूसरा दिन किताबों के नाम रहता है और किताबें जहाँ संरक्षित की जाती हैं, वह जगह होती है पुस्तकालय…मगर क्या पुस्तकालय होते हैं…? हजारों पुस्तकों को सम्भालना, सहेजना और उसके पाठकों के जरिए समाज को समझना और जरूरत पड़ने पर सही भूमिका निभाना…आसान नहीं होता..मगर हम पुस्तकालयों को भी कमतर समझने की भूल करते हैं और पुस्तकाध्यक्ष यानी लाइब्रेरियन को भी..क्योंकि हमारे लिए वह ऐसी जगह है जो हमारी पहुँच में है और हम उसकी इज्जत करते हैं जो पहुँच के बाहर हो ।

इसी महीने वसंत पंचमी है और वसंत पंचमी के दिन ही शुभजिता (तब अपराजिता) की शुरुआत हुई थी…आज 7 साल हो गये हैं और 7 साल के बाद हम अपनी तरफ से छोटा सा योगदान देने का प्रयास करने को तत्पर हैं…उन लोगों को..जिनके योगदान का महत्व समझना बाकी है। इसी कड़ी में शुभ सृजन नेटवर्क की ओर से सृजन सारथी सम्मान प्रो. प्रेम शर्मा को प्रदान किया गया और युवाओं के अवदान को सामने रखने के उद्देश्य से आरम्भ किया जा रहा है..शुभजिता सृजन प्रहरी सम्मान ।

प्रथम शुभजिता सृजन प्रहरी सम्मान 2023  हम जिस व्यक्तित्व को सम्मानित करने जा रहे हैं…उनको सम्मानित करना अपने आप में स्वयं को सम्मानित करना है । हम सभी सृजन कर्म में रत हैं, पुस्तकें हमारा पाथेय हैं..जीवन की आधारशिला हैं और इनको संरक्षित करना एक बहुत बड़ा दायित्व है । पुरानी पुस्तकों के पीले पड़े पन्ने इतिहास सुनाते हैं । कहने का मतलब यह है कि पुस्तकें इतिहास की यात्रा हैं और पुस्तकों को संरक्षित करना इतिहास को, संस्कृति को, भाषा को, साहित्य को और जीवन को संरक्षित करना है । निश्चित रूप से यह आसान तो बिल्कुल नहीं है । पुस्तकालय आपको देखने में बहुत साधारण सी जगह शायद लग सकती है मगर असाधाराण सृजनात्मक क्षण यहीं पर जन्म लेते हैं । पुस्तकालयों का महत्व हमेशा से रहा है और सामाजिक क्रांति की मौम अभिव्यक्ति यहीं पर स्थान पाती है ।
हरिवंश राय बच्चन लिखते हैं कि मेल कराती मधुशाला मगर विनम्रतापूर्वक उनके इस कथन से असहमति है । मनुष्य का मेल आवश्यकता करवाती है और बाजार अपने आर्थिक सहयोग से उस आवश्यकता की पूर्ति करता है । बगैर आर्थिक शक्ति के सदुपयोग के समाज में सृजनात्मकता का संरक्षण सम्भव नहीं है और सृजनात्मकता का संरक्षण तभी होगा जब संस्थाएं अपने अस्तित्व के लिए आत्मनिर्भर बनेंगी । स्वतंत्र अभिव्यक्ति का उद्घोष उधार की वाणी से नहीं हो सकता और आत्मनिर्भरता का स्वर रोजगार से मुखरित होता है, जिसके लिए कौशल की आवश्यकता पड़ती है और वह कौशल, प्रशिक्षण आपको या तो शिक्षण संस्थान से मिलता है अथवा पुस्तकालयों से मिल सकता है । विशेष रूप से पुस्तकालय इसलिए महत्व रखते हैं क्योंकि आर्थिक विषमता यहाँ बाधा नहीं बनती और पुस्तकालय चाहे तो कौशल और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करके न सिर्फ युवाओं को आत्मनिर्भर बना सकते हैं बल्कि स्वयं भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं और देश के विकास में योगदान दे सकते हैं । अधिक से अधिक कार्यक्षेत्रों में विशेष रूप से पुस्तक लेखन को प्रोत्साहित करके पुस्तकालयों की संख्या बढ़ाकर प्रशिक्षणमूलक, व्यक्तित्व विकास मूलक गतिविधियाँ संचालित कर युवा वर्ग को पुस्तकालयों के प्रति आकर्षित किया जा सकता है ।
सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय सिर्फ पुस्तकालय ही नहीं है, यहाँ एक शिक्षण संस्थान भी संचालित किया जाता रहा है और यहाँ पर पीढ़ियाँ बनती हैं और पुस्तकालय में आने वाले युवाओं को न सिर्फ शैक्षणिक अपितु मानसिक रूप से सम्बल देना, प्रोत्साहित करना उनको जीवन के रणक्षेत्र में खड़ा करता है और यही सामाजिक प्रगति का मार्ग है । पिछले लगभग 25 वर्षों से श्री तिवारी यही कार्य करते आ रहे हैं और बगैर किसी अपेक्षा के करते आ रहे हैं, अपने शब्दों से न जाने कितनों को इन्होंने भटकने से बचाया, न जाने कितनों को रोजगार पाने में, सामाजिक और पारिवारिक उलझनों से टकराने में सहायता की है, कभी अनुवाद से, कभी प्रूफ देखकर, कभी सम्पादन सहयोग से तो कभी सही परामर्श से न जाने कितने लेखकों को, पुस्तकों को अप्रकाशित रह जाने से बचाया । उन युवाओं से पूछिए कि उस परामर्श का कितना महत्व होता है जब जीवन में कोई हाथ पकड़ने वाला नहीं होता, जब बार – बार लगता है कि नहीं हो पा रहा और इतने में कोई आकर समाधान दे और कहे कि आगे बढ़ो…सब हो जाएगा ।

संवाद की परम्परा को बचाना, सृजन के उत्साह को बचाना, पुस्तकों को बचाना…यह एक साधारण सी कुर्सी पर बैठा व्यक्ति ही करता है जो देखा जाए तो किसी पद पर नहीं है, उसके पास कोई सत्ता नहीं है, वह संस्था या संगठन का सर्वेसर्वा भी नहीं है मगर वह है…वह आधार है..नींव की वह ईंट है जो दिखती नहीं है मगर जिसके बगैर सृजन के क्षेत्र के महल खड़े हो ही नहीं सकते । …राष्ट्र निर्माण में यही उनका बड़ा योगदान है । पुस्तकालय सिर्फ पुस्तकालय नहीं होते…यहाँ सिर्फ पुस्तकें ही नहीं होतीं..यहाँ देश का वर्तमान और भविष्य पलता है । मेरा आग्रह है तमाम पुस्तकालयों से कि अपना महत्व समझिए….और पूरे आत्मविश्वास के साथ देश के निर्माण को गति दीजिए ।
तिवारी जी को इस सम्मान को स्वीकृत करने के लिए आभार…आप सचमुच सृजन के प्रहरी हैं…अशेष मंगलकामनाएं…नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को…। बने रहिए हमारे साथ ।

वर्तमान सभ्यता और आदिवासी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

कोलकाता। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित हिंदी मेला में ‘वर्तमान सभ्यता और आदिवासी:साहित्य,समाज और संस्कृति’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। पहले सत्र में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ आलोचक रवि भूषण ने कहा कि पूंजीवादी सभ्यता प्रकृति से मनुष्य को विच्छिन्न कर रहा है और वह पृथ्वी पर संकट उत्पन्न कर धरती के अनमोल रत्नों को लूट रहा है। प्रसिद्ध कथाकार भगवानदास मोरवाल ने कहा कि आदिवासी समाज सबसे सभ्य समाज है और हमें इस समाज से संवाद स्थापित करना चाहिए। लेखक एवं आईपीएस अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि आदिवासी जनजाति को समझने और उनकी समस्याओं पर भी बात करने की जरूरत है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के संथाली विभाग के प्रो. श्यामाचरण हेमब्रम ने कहा कि हमें अपनी भाषा को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि जब हम भाषा भूल जाते हैं तब अपनी संस्कृति भी भूलते हैं। सिधो कानू बिरसा विश्वविद्यालय के संथाली विभाग के प्रो. डॉ ठाकुर प्रसाद मूर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज पर औद्योगिक विकास के कारण खतरा बढ़ा है।
खिदिरपुर कॉलेज के हिंदी विभाग की प्रो. इतु सिंह ने कहा कि जिस प्रकार आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं उसी तरह हमें भी प्रकृति से प्रेम करना चाहिए ताकि हम प्रकृति के दोहन से बच सकें। कॉलिम्पोंग के गोरूबथान कॉलेज के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष दीपक कुमार ने कहा कि नदियों का सूखना, तालाबों का खत्म होना सिर्फ आदिवासियों के लिए ही नहीं मानवजाति के लिए चिंता का विषय है। साहित्य अकादमी,कलकत्ता पूर्वी क्षेत्र के सदस्य एवं आलोचक देवेंद्र देवेश ने कहा कि हमें आदिवासी साहित्य लेखन को प्रोत्साहित करना चाहिए और उसके अनुवाद पर भी ध्यान देना चाहिए।इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए प्रो. चंद्रकला पांडे और प्रो.अवधेश प्रधान को प्रो.कल्याणमल लोढ़ा-लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रो.चंद्रकला पांडे ने कहा कि एक शिक्षक अपने जीवन में कई पीढ़ी को गढ़ने के दायित्व का निर्वाह करता है।प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि यह शिक्षा सम्मान मेरे लिए आत्मसमीक्षा का अवसर भी है। हिंदी मेला का यह मंच एक सांस्कृतिक प्रतिरोध और हमारी पहचान का मंच है।द्वितीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए मोहनदास नैमिशराय ने कहा कि आदिवासी समाज को हमें समझने की जरूरत है।आज की व्यवस्था ब्लैक लोगों की व्यवस्था नहीं करता। एक्टविस्ट हिमांशु कुमार ने कहा कि पूंजीपति आदिवासियों का शोषण कर रहे और यदि हम यह सोच रहे हैं कि यह शोषण सिर्फ आदिवासियों तक ही सीमित रहेगा और हम बच जाएंगे तो हम गलती कर रहे हैं।
प्रसिद्ध लेखिका मधु कांकरिया ने आदिवासियों की समस्या को भूमंडलीकरण से जोड़कर अपनी बात रखी।
डॉ गीता दूबे ने कहा कि हमलोग कच्चे माल की तरह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए आदिवासियों का प्रयोग कर रहे हैं। तथा सभ्यता का एक शहरी पैमाना तैयार करके उसमें जबरन आदिवासियों को सभ्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे हम उनसे उनकी पहचान छीन रहे हैं। युवा आदिवासी लेखिका पार्वती तिर्की ने आदिवासी जीवन दर्शन के आधार पर अपनी बातें रखी।
इस अवसर पर बीएचयू के शोधार्थी महेश कुमार, इलाहाबाद के वेदप्रकाश सिंह, हाजीपुर की प्रतिभा पराशर, विद्यासागर विश्वविद्यालय की उष्मिता गौड़ा और प्रकाश त्रिपाठी ने आलेख पाठ किया। रचनात्मक लेखन का प्रथम पुरस्कार शिलांग के रेमन लोंग्कू, द्वितीय पंकज सिंह और तृतीय गौतम कुमार साव को मिला। कार्यक्रम का सफल संचालन राहुल शर्मा, मधु सिंह, श्रद्धांजलि सिंह, पूजा गुप्ता ने किया। पहले सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रीति सिंघी और द्वितीय सत्र का सुरेश शॉ ने किया।

हिंदी मेला में कविताओं पर संगीतबद्ध गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति

 कोलकाता ।   सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से आयोजित 28वें हिंदी मेला के चौथे दिन कविता कोलाज,काव्य संगीत, लोकगीत,भाव नृत्य,मल्टीमीडिया काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मंगलेश डबराल,केदारनाथ सिंह, अनामिका,राजेश जोशी आदि की कविताओं पर कविता कोलाज की सुंदर प्रस्तुति की गयी।  अभिनेत्री कल्पना ठाकुर ने कहा कि कविताओं को जीना और उसे मंच पर एक कहानी की तरह प्रस्तुत करके विद्यार्थियों ने सभी का मन मोह लिया। नव बालीगंज के हिंदी विभाग की प्रो. मनीषा साव ने कहा कि हिंदी मेला जिस प्रकार से विद्यार्थियों और युवाओं को मंच दे रहा है ये बहुत ही सराहनीय प्रयास है। काव्य संगीत  प्रतियोगिता में सूरदास, फैज अहमद फैज,प्रसाद,कबीर आदि कविताओं पर संगीत की सुंदर प्रस्तुति हुई। विश्वभारती विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रो. मंजू रानी सिंह ने कहा कि हिंदी मेला पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी को जोड़ने वाला सेतु है। प्रसिद्ध गायक अजय राय ने कहा कि हिंदी मेला कविताओं पर संगीतबद्ध प्रस्तुति कर बाजारू गीतों के बरक्स एक प्रतिरोध खड़ा करता है। बतौर निर्णायक इंद्रानी चटर्जी उपस्थित रहीं। लोकगीत प्रतियोगिता में मैथिली,भोजपुरी,राजस्थानी आदि हिंदी की बोलियों पर मनोहर गीत प्रस्तुत किए गये। भाव नृत्य प्रतियोगिता में हिंदी-बांग्ला कविताओं और आदिवासी संस्कृति पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए गये। इस अवसर पर योगेश चंद्र कॉलेज के हिंदी विभाग की प्रो. एकता हेला ने कहा कि नृत्य और संगीत का जीवन के आनंद के साथ बहुत गहरा संबंध है। नृत्यांगना चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि हिंदी मेला का यह मंच बाजारू और फूहड़ नृत्यों के बदले बच्चों के जीवन में उच्चतर मूल्यों पर आधारित नृत्य प्रस्तुति का मौका देता है। इस मौके पर चेन्नई से आए ईश्वर करुण ने कहा कि कोलकाता की इस पावन भूमि पर हिंदी मेला का आयोजन बहुत ही प्रेरणादायक है।
कविता कोलाज में शिखर सम्मान खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज, प्रथम विद्यासागर विश्वविद्यालय, द्वितीय जगतदल श्री हरि उच्च विद्यालय, प्रोत्साहन पुरस्कार  आरबीसी सांध्य कॉलेज के विद्यार्थियों को मिला। काव्य संगीत प्रतियोगिता में शिखर सम्मान पृशा मोइत्रा ‘इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल’, प्रथम स्थान प्रीति साव,कलकत्ता विश्वविद्यालय, द्वितीय स्थान
श्रेया सरकार, विद्यासागर विश्वविद्यालय, सयुंक्त रूप से तृतीय स्थान खुशी मिश्रा, सोहन लाल देवरालिया एवं मुकुंद शर्मा, चतुर्थ स्थान रिया सिंह, कलकत्ता विश्वविद्यालय और सुनीति वर्मा, हरिमोहन घोष कॉलेज को मिला। मल्टीमीडिया काव्य पाठ प्रतियोगिता में शिखर सम्मान कृतिका सुरेलिया,कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रथम स्थान अर्पित कटियार, लखनऊ विश्वविद्यालय, दूसरा स्थान काजल सिंह, सयुंक्त रूप से तृतीय स्थान हर्षित और तनिषा साव को मिला है। लोकगीत प्रतियोगिता का शिखर सम्मान नवीन मिश्र,प्रथम स्थान  सनी मिश्रा,द्वितीय स्थान : अजय शर्मा,तृतीय स्थान-कालीचरण तिवारी,  प्रथम विशेष स्थान खुशी मिश्रा एवं दल, द्वितीय ऋतिका भगत, तृतीय विशेष प्रीति साव ,चतुर्थ विशेष काजी नजरूल विश्वविद्यालय को मिला।कार्यक्रम का सफल संचालन मधु सिंह,सूर्यदेव राय,राजेश सिंह, मंटू साव,रेशमी सेनशर्मा, पूजा गौड़,अदिति दूबे, विकास जायसवाल, अनिल साह ,राजेश मिश्र ने किया।धन्यवाद ज्ञापन अवधेश प्रसाद सिंह ने दिया।
हिंदी मेला के पाँचवें दिन वाद विवाद, आशु भाषण और युवा काव्य उत्सव का आयोजन हुआ। वाद -विवाद में बतौर निर्णायक आदित्य गिरि ने कहा कि हिंदी मेला में मानवीय मूल्यों के साथ प्रगतिशीलता भावों को देखना अच्छा लगता है। डॉ मंटू कुमार ने कहा यह मंच विद्यार्थियों का मंच है। आशु भाषण में बतौर निर्णायक डॉ रंजीत संकल्प, दीक्षा गुप्ता उपस्थित थे । आशु भाषण वर्ग ‘अ’ का शिखर सम्मान काजल साव, खन्ना हाई स्कूल फ़ॉर गर्ल्स, प्रथम स्थान नलिनी साहा, सेंट ल्युक्स डे स्कूल और द्वितीय स्थान सिमरन साव, सोहनलाल देवरालिया बालिका विद्यालय को तथा वर्ग ‘क’ का शिखर सम्मान अदिति तिवारी, महाराजा शिरीषचंद्र कॉलेज, प्रथम स्थान आशुतोष झा, सुरेन्द्रनाथ लॉ कॉलेज, द्वितीय स्थान अभिषेक ठाकुर, विश्व भारती विश्वविद्यालय और तृतीय स्थान नंदिनी शाह, ऋषि बंकिम चंद्र कॉलेज फ़ॉर वीमेन को मिला। वाद विवाद वर्ग ‘अ’ का शिखर सम्मान भूमि साव, सेंट ल्युक्स डे स्कूल, प्रथम स्थान सिमरन साव, सोहनलाल देवरालिया बालिका विद्यालय और तृतीय स्थान राधिका झुनझुनवाला, माहेश्वरी गर्ल्स स्कूल को तथा वर्ग ‘क’ का शिखर सम्मान नंदिनी शाह, ऋषि बंकिम चंद्र कॉलेज फ़ॉर वीमेन, प्रथम स्थान अंकित कुमार, खिदिरपुर कॉलेज और द्वितीय स्थान दिव्यांशु सिंह, सेंट जेवियर्स कॉलेज को मिला। युवा काव्य उत्सव में मोहनदास नैमिशराय, विनोद प्रकाश गुप्ता, मंजुरानी सिंह,सेराज खान बातिश, राज्यवर्द्धन, महेश कुमार,अभिज्ञात, मंजु श्रीवास्तव, राजेश मिश्र, शैलेश गुप्ता, पूनम सोनछात्रा, पार्वती तिर्की, नीलाम्बुज सरोज, नमिता जैन, इबरार खान, पूजा सिंह, कविता पटेल, सूर्यदेव रॉय,मनोज मिश्रा,शिप्रा मिश्रा, हीरालाल जायसवाल, जूली जाह्नवी, शिवकुमार यादव ,भानुप्रताप पांडे,अनीसा शबरी और सुषमा कुमारी ने अपनी कविताओं का पाठ किया।काव्योत्सव की अध्यक्षता डॉ शंभुनाथ ने किया।
कार्यक्रम का संचालन उत्तम कुमार,चंदन भगत,ज्योति चौरसिया,पंकज सिंह, रवि पंडित ने किया। काव्य पाठ का संचालन आनंद गुप्ता और मधु सिंह ने किया और विशाल साव, ज्योति चौरसिया, कुसुम भगत, कंचन भगत, चंदन भगत, विनोद यादव और सुशील पाण्डेय ने सहयोग किया। धन्यवाद ज्ञापन विकास जायसवाल ने किया।

कोविड – हेटेरो की दवा निर्माकॉम को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी

कोलकाता । दवा कंपनी ‘हेटेरो’ ने कोविड-19 की मौखिक दवा निर्माट्रेलविर के जेनेरिक स्वरूप के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन पूर्व अहर्ता दवा कार्यक्रम (डब्ल्यूएचओ पीक्यू) के तहत स्वीकृति मिलने की सोमवार को घोषणा की। कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि ‘फाइजर’ की कोविड-19 मौखिक वायरल रोधी दवा ‘पैक्सलोविड’ के किसी जेनेरिक स्वरूप को पहली बार शुरुआती मंजूरी मिली है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस से मामूली या मध्यम रूप से संक्रमित उन मरीजों को निर्माट्रेलविर और रिटोनाविर देने की मजबूत सिफारिश की है, जिनके अस्पताल में भर्ती होने का अधिक खतरा है। ऐसे मरीज या तो बुजुर्ग हो सकते हैं, या उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है या फिर हो सकता है कि उनका टीकाकरण न हुआ हो। हेटेरो द्वारा उपलब्ध कराए गए मिश्रित पैक निर्माकॉम में 150 एमजी की निर्माट्रेलविर (दो गोली) और 100 एमजी रिटोनाविर (एक गोली) है। यह दवा केवल चिकित्सक की सलाह पर ही उपलब्ध है और संक्रमित पाए जाने के बाद जल्द से जल्द एवं लक्षणों की शुरुआत से पांच दिन के भीतर इस दवा को लिया जाना चाहिए। विज्ञप्ति में बताया गया कि निर्माकॉम का उत्पादन भारत में हेटेरो की इकाइयों में किया जाएगा।

हेटेरो ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रबंध निदेशक वामसी कृष्ण बांदी ने कहा, ‘‘निर्माकॉम के लिए डब्ल्यूएचओ की शुरुआती मंजूरी मिलना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे हमें इस अहम नवोन्मेषी एंटीरेट्रोवायरल दवा तक लोगों की पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम भारत में 95 एलएमआईसी (कम एवं मध्यम आय वाले देशों) में किफायती दाम पर निर्माकॉम को शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भवानीपुर कॉलेज में फैशन शो, 39 कॉलेजों ने लिया भाग

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के जुबली सभागार में उमंग 22 के दौरान फैशन शो का आयोजन हुआ जिसमें 39 कॉलेजों ने भाग लिया। सभी कॉलेज के नाम कोड में दिए गए। विभिन्न थीम पर आधारित विद्यार्थियों ने फैशन में भाग लिया और बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दी। एस डी बर्मन के युग से अब तक , इंडियन सिनेमा की रिवोल्यूशन की कहानी , गॉड और डेमन, फेयरी टेल एंड रियल्टी, मेट गाला आदि अनेक विषयों पर केंद्रित फैशन शो प्रस्तुत किए गए। संचालन किया भवानीपुर कॉलेज की छात्रा तुषिता चुगानी , वैष्णवी सूर्यवंशी ने। छात्रा संजना बराई की टीम ने फैशन शो का संयोजन किया। लक्मे एकाडमी, जिंक लंडन, डाइलाइट्स इन्वेस्टमेंट द्वारा स्पॉन्सर कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ फैशन कॉलेज के विद्यार्थियों को चयनित किया गया। फैशन की दुनिया के प्रसिद्ध मॉडल प्रार्थना सरकार और प्रांतिका दास ने निर्णायक का भार निर्वहन किया। इस अवसर पर भवानीपुर कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने दोनों निर्णायकों को सम्मानित किया। दोनों ही मॉडल ने मंच पर अपना रैंप वॉक भी किया। दर्शक विद्यार्थियों ने गीत गज़ल और नृत्य की सुंदर प्रस्तुतियाँ भी दी। सभी चयनित कॉलेज के विद्यार्थियों को उमंग 22 के कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

साहित्यिकी ने ‘मधुपुर आबाद रहे’ पर आयोजित की परिचर्चा

कोलकाता । महिलाओं के लेखन को दिशा देने और उपयुक्त मंच प्रदान करने के लिए समर्पित संस्था साहित्यिकी ने पिछले दिनों अपनी सदस्य लेखिका गीता दूबे के पहले काव्य संकलन- ‘मधुपुर आबाद रहे’ पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन जनसंसार सभागार में किया। साहित्यिकी की सचिव मंजू रानी गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए गीता दूबे की कविताओं में बहुआयामी परिदृश्य का जिक्र किया और उसे शुभकामनाएं दीं। उसके पश्चात मधुपुर आबाद रहे संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ बाल कथा लेखिका बबिता मांधणा ने किया।
परिचर्चा में भाग लेते हुए मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित प्रख्यात आलोचक अरुण होता ने कहा कि इस संग्रह की कविताएँ स्व से ऊपर उठ कर पर की संवेदना को मुखरित करते हुए अपने समय की बड़ी चिंताओं और समस्याओं को विभिन्न बिंबों और भाव बोध के साथ व्यक्त करती हैं। स्त्री संवेदना, प्रेम, पर्यावरण, भूमंडलीकरण, प्रकृति- सौंदर्य, विवाह, कोरोना काल आदि कविताएँ शिल्प और विषय के स्तर पर विविधता लिए हैं।

जानी मानी समीक्षक और शिक्षाविद् इतु सिंह ने गीता दूबे की कविताओं पर अपने वक्तव्य में कहा कि नारी जीवन के संघर्ष और अनुभव के अलावा जिस तत्व ने मुझे सबसे ज़्यादा आकर्षित किया,वह प्रेम है पर उस पर कहीं पर्दा पड़ा है, उन कविताओं का दरवाज़ा जाने कब खुलेगा। गीता की कविताएँ अंतरजगत की अपेक्षा बहिर्जगत के आवेग की ज़्यादा हैं, वह उन्हें व्यथित करती हैं। उनकी छोटी कविताएँ अल्प शब्दों में ही बहुत कुछ कह जाती हैं और देर तक हमें स्पंदित करती रहती हैं और यह उनकी छोटी कविताओं का जादू है।
वरिष्ठ कवि पत्रकार रावेल पुष्प ने कहा कि गीता की अधिकतर कविताएं नारी मन की व्यथा का इज़हार करती हैं और वे रूमानियत के प्रतीक चांद की चाहत नहीं करतीं बल्कि तपते हुए सूरज को मांगती हैं जिसकी तेज रोशनी में वे तपकर निखर सकें। इसके अलावा बाबूलाल शर्मा,शंभुनाथ, आशुतोष सिंह, विजय गौड़ ने भी गीता दूबे के काव्य संकलन की कविताओं की विविधता के साथ उनके विभिन्न साहित्यिक पहलुओं का भी जिक्र किया।
गीता दूबे ने आभार व्यक्त करते हुए अपने काव्य लेखन के विभिन्न पड़ावों का जिक्र किया । उन्होंने कहा कि कविताएं तो उनकी सखी की तरह हैं, जिनसे वे अपने मन की बातें दिल खोलकर बखूबी कर सकती हैं। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में वरिष्ठ लेखिका रेणु गौरीसरिया ने पुनरावृत्ति से बचते हुए कहा कि गीता की कविताओं में प्रेम का शाश्वत अद्भुत राग सर्वत्र बिखरा हुआ है। धर्म, राजनीति और समाज में व्याप्त विद्रूपताएँ और विसंगतियों से उपजी कचोट उनकी कविताओं में स्पष्ट झलकती है।
इस परिचर्चा की महत्वपूर्ण उपस्थिति में शामिल थे- सर्वश्री शैलेन्द्र,शर्मिला बोहरा जालान, उमा झुनझुनवाला, प्रेम कपूर, सुषमा हंस, सुषमा त्रिपाठी, सूफ़िया यास्मीन, दुर्गा व्यास, अनिता ठाकुर, प्रमिला धूपिया, नमिता जायसवाल, सरिता बेंगानी, चंदा सिंह, कविता कोठारी, अल्पना नायक, रचना पांडेय, प्रीति सिंघी, लिली शाह, सत्य प्रकाश तिवारी, रोहित राम, विशाल सिंह, पूर्ति खंडूरी, महेन्द्र नारायण पंकज, शाहिद फरोगी, सेराज खान बातिश, प्रभाकर चतुर्वेदी तथा अन्य।
इस जीवन्त परिचर्चा तथा अच्छी उपस्थिति से जन संसार सभागार एक बार फिर गुलजार हो गया।

 

हिंदी मेला में चित्रांकन और हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता

कोलकाता । सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित 28 वें हिंदी मेले के तीसरे दिन चित्रांकन, कविता पोस्टर एवं हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।इस अवसर पर बतौर निर्णायक कार्तिक बासफोर ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चों को रंगों में जीवन रचते देखना सुखद अनुभव है। सुलोचना सारस्वत ने कहा कि हिंदी मेला का यह मंच सृजन के उल्लास का मंच है।इस अवसर पर लेखक शिवकुमार यादव ने कहा कि हिंदी मेला में आकर भारतेंदु की याद आती है। भारतेंदु ने अपने समय में इसी तरह से सांस्कृतिक आंदोलन चलाया था। लालबाबा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि हिंदी मेला विगत 28 वर्षों से नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान कर रहा है। शिशु वर्ग में शिखर सम्मान अस्मिता बोस,इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल, प्रथम मुदित अग्रवाल, एम.सी.केजरीवाल, द्वितीय देवप्रिया घोष,केंद्रीय विद्यालय, तृतीय संयुक्त रूप से जोयोत्री सरकार एवं जयदेव पोद्दार, विवेकानंद अकादमी को मिला। विशेष पुरस्कार ऋतु जायसवाल, अनन्या साव,नंदीता साह,शबनम परवीन, मो.अब्याद तनवीर एवं ईशान कलई को मिला।
‘अ’ वर्ग में शिखर सम्मान गरिमा गुप्ता, सेंट ल्यूक डे स्कूल,प्रथम स्थान अलीना परवीन,कांकीनाड़ा आर्य विद्यालय, द्वितीय ईशिका कलई,विद्यासागर शिशु निकेतन,तृतीय खुशी साव,रतन आर्ट सेंटर को मिला।विशेष पुरस्कार आरती ओझा,सौम्यजीत मंडल, साक्षी साव,श्रीराव,शीतल कुमारी, राहुल कुमार नायक,ईशिका चौहान, सुमेधा मुखर्जी एवं प्रज्ञा साव को मिला। कविता पोस्टर में शिखर सम्मान अव्यर्थ प्रजापति, जयपुरिया कॉलेज, प्रथम स्थान स्वीटी महतो,कलकत्ता विश्वविद्यालय, द्वितीय सुनीता चौरसिया,रतन आर्ट सेंटर,श्वेता राय ,आर.बी.सी.वुमेन कॉलेज को मिला। विशेष पुरस्कार अंकिता कुमारी, रोशन दास,कंचन भगत,सागर दास,स्वाति यादव,एना रजक को मिला।
हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता में वर्ग ‘क’ का शिखर सम्मान कलकत्ता विश्वविद्यालय को मिला हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का संचालन क्विज मास्टर उत्तम कुमार ,पंकज सिंह, संजय यादव, निखिता पांडे ने किया।चित्रांकन और कविता पोस्टर का सफल संचालन इबरार खान,जूही कर्ण,रानू साव,सीमा प्रजापति, सुमन शर्मा,आकांक्षा साव,बीरू सिंह,शिप्रा मिश्रा ने किया।धन्यवाद ज्ञापन रामनिवास द्विवेदी ने दिया।
27 दिसम्बर को बच्चों और नौजवानों ने मुख्य रूप से अज्ञेय, नागार्जुन,सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, केदारनाथ सिंह, केदारनाथ अग्रवाल, अनामिका आदि की कविताओं की आवृत्ति करके अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को एक नई ऊंचाई दी। आयोजन में लगभग 50 से अधिक शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों एवं युवाओं ने कविता आवृत्ति प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस अवसर पर कुमार किसलय,कामायनी पांडे,ज्योति अग्रवाल, अर्पिता पाल बतौर निर्णायक उपस्थित थे। ‘शिशु’ वर्ग का शिखर सम्मान कविश बनर्जी – बिरला हाई स्कूल,प्रथम स्थान प्रत्युष कोठारी बिरला हाई स्कूल ,द्वितीय अध्ययन गुप्ता हरा प्रसाद प्राइमरी इंस्टीट्यूट ,तृतीय अदिति सिन्हा- इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल। प्रथम विशेष इशिता कु.पाल गार्डेनरीच मुदियाली गर्ल्स हाई स्कूल, द्वितीय अदिति तिवारी सेंट ल्यूक डे स्कूल,तृतीय यशवीर गुप्ता- कांकीनाडा पब्लिक स्कूल,चतुर्थ अदिति सिंह- सेंट हेलेन,पांचवां ऋत्विका नाथ- सांतरागाछी केन्द्रीय वि‌द्यालय,छठां राज्या श्रीवास्तव – गुरुकुल स्कूल, प्रोत्साहन प्रस्तुति आर्शिया सिंह -सेंट हेलेन, अरात्रिका मंडल इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल को मिला। ‘अ’ वर्ग का शिखर सम्मान दिव्या राम,सेंट टेरेसा ,प्रथम स्थान पृशा मोइत्रा, इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल ,द्वितीय अकमल शाहिद, एम. एस. केजरीवाल तृतीय उपमन्यु मुखर्जी – इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल को मिला। प्रथम विशेष पुरस्कार फरहान अजीज, काकीनाड़ा हिमातल गुर्वा स्कूल, द्वितीय सिद्धि जैन – बिड़ला हाई स्कूल,तृतीय नलिनी शाहा – सेंट ल्यूक डे स्कूल, श्रेया पांडेय – स्वतंत्र प्रतिभागी,किसम तुल्सियान, अंजलि राम – बंकिम घोष मेमोरियल,अस्मि सिंह – सेंट जोसेफ चंदननगर, जैनब सिद्दीकी- हाजीनगर आदर्श हिन्दी बालिका,तनु साव- जगद्दल श्री हरि उच्च वि‌द्यालय को मिला। कार्यक्रम का सफल संचालन सौमित्र जायसवाल, मनीषा गुप्ता, राजेश सिंह, राहुल गौड़, पूजा सिंह, सुषमा कुमारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मृत्युंजय श्रीवास्तव ने दिया।