कोलकाता । हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एचआईटीके) की 5 छात्र टीमों को स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2024 के ग्रैंड फिनाले के लिए चुना गया है। ग्रैंड फिनाले का आयोजन 11-12 दिसंबर 2024 को मैंगलोर में किया जाएगा। जिन छात्र टीमों का चयन किया गया है, वे हैं साइनवेव (दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित लोगों के लिए एक वेब सॉफ्टवेयर), पैराडॉक्स इनोवेटर (अर्थ मॉनिटरिंग सिस्टम के लिए एक वेब सॉफ्टवेयर), कॉनेक्सस (मेंटर कनेक्ट के लिए एक वेब ऐप), कृषि सहायक (किसानों के लिए फसल रोगों का पता लगाने के लिए एक वेब सॉफ्टवेयर और मुर्गी पालन और पशुपालन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है), और द एनिग्मा (एक वेब सॉफ्टवेयर जो ब्लॉकचेन पर काम करता है ताकि दस्तावेजों को एक जगह सुरक्षित रखा जा सके)। इसके अलावा दो अन्य टीमें प्रतीक्षा सूची में हैं, जिनके नाम हैं ट्राईवेलिक्स (एक दस्तावेज़ सुरक्षा सॉफ्टवेयर) और निर्वाण हेल्थ चेन (स्वास्थ्य और फार्मेसी क्षेत्रों में थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के लिए आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन के लिए एक वेब सॉफ्टवेयर)। हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल प्रोफेसर बसब चौधरी ने कहा, “हम उन टीमों को शुभकामनाएं देते हैं, जिन्होंने कठिन एलिमिनेशन राउंड के बाद ग्रैंड फिनाले में जगह बनाई है। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन एक बेहतरीन मंच है, जहां छात्र अपनी अभिनव परियोजनाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। मुझे यकीन है कि एचआईटीके के छात्रों ने वाकई अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, हमारे संस्थान द्वारा आयोजित आंतरिक हैकाथॉन हैक हेरिटेज 2024 ने उन्हें ग्रैंड फिनाले तक पहुंचने में बहुत मदद की है,” हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, कोलकाता के सीईओ श्री प्रदीप अग्रवाल ने कहा।
कोलकाता ज्वेलरी एंड जेम फेयर 2024 सम्पन्न
अर्चना काव्य संध्या में स्वरचित रचनाएँ पढी़ गईं
कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में स्वरचित कविताएँ पढी़ गईं ।इंदू चांडक द्वारा आयोजित इस गोष्ठी में भारती मेहता, मृदुला कोठारी, प्रसन्न चोपड़ा, हिम्मत चोरडिया, उषा श्राफ, संगीता चौधरी, सुशीला चनानी, मीना दूगड़ आदि कवयित्रियों ने अॉन-लाइन अपनी रचनाएं सुनाई ।हिन्द और हिन्दी से प्यार है इतना कि /हर तरफ, यत्र – तत्र अनुस्वार नजर आता है। /कृष्ण के मुकुट के मयूर पंख के मध्य नीलवर्ण अनुस्वार और /राधा की चूनर में लगे गोल चमचमाते सितारे से अनुस्वार!भारती मेहता ने अहमदाबाद से अपनी रचना में हिंदी के प्यार को दर्शाया।
काव्य गोष्ठी में पढी गयी रचनाओं में “हम है बुझे दीपक पडे हैं उपेक्षित किसी कोने में /मन के दीप जलाओ /मन में का तम पसरा है उसको दूर भगाओ।” सुशीला चनानी ने सुनाई। प्रसन्न चोपड़ा ने
“नई भोई सी,नई किरण सी, नया रूप है तेरा, उठते ही बस तुमको देखूं,आए नया सवेरा।”, मीना दूगड़ ने उम्र की दहलीज पर सुरमई सांझ की सुगबुगाहट सी होने लगी है और बन जाना आंख तुम दादोसा की, उषा श्राफ ने” जब जब होती अमावस की रात/चंदा का नहीं होता साथ” सुनाया। हिम्मत चोरड़िया प्रज्ञा ने गीत-कर्म जो करता नहीं वह, जय कभी पिता नहीं।/दोष देता भाग्य को जो, गीत नव गाता नहीं।।, कुण्डलिया-बातें कहते ज्ञान की, मन में भरे विकार। मठाधीश देखे कई, जिनके कुटिल विकार।।सुनाया। मृदुला कोठारी ने /हे गंगा जय गंगा कहकर आरती उतारे /रजत थल में भर के सितारे आरती उतारे /आशा के दीपक की लडीया जलाये रखीये/ कौन धीमे स्वर में अन्तर में बोलते रहिए।इंदू चांडक ने दोहा-कल क्या होगा क्यों डरें, कल का करें न शोक।/किसमें ताकत आज भी, सके समय को रोक।।
गीत -कोई बता दे कौन है वो/कहता है तुम मेरी रचना हो सुनाकर अपनी बात कही। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि संगीता चौधरी ने “आओ आओ दीप जलाएं आलोकित संसार करें /जगमग करने सारे जगत को हर एक दिल में प्यार भरे। सुना कर अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया।
भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की एन सी सी टीम ने मनाया 76वां एन सी सी दिवस
नागार्जुन ने लॉन्च की गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की एनिमेटेड सीरीज
एचपी घोष अस्पताल में रोबोटिक अशिष्ट स्पाइन सर्जरी की सुविधा
प्रसार भारती ने लांच किया वेव्स ओटीटी प्लेटफॉर्म
नयी दिल्ली । प्रसार भारती, भारत के राष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारणकर्ता ने गोवा में आयोजित भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में अपना नया ओटीटी प्लेटफॉर्म वेव्स लॉन्च किया। वेव्स का उद्घाटन गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “यह भारतीय मनोरंजन उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। वेल्स ओटीटी पर उपलब्ध विविध प्रकार की सामग्री को देखकर खुशी हो रही है, जिसमें कई भाषाओं के साथ गोवा की भाषा कोंकणी में फिल्में और कंटेंट शामिल हैं।” सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव संजय जाजू ने लॉन्च के दौरान कहा कि वेव्स भारत सरकार के डिजिटल इंडिया विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समग्र, समावेशी और विविध ओटीटी प्लेटफॉर्म डिजिटल मीडिया और मनोरंजन के बीच की खाई को पाटेगा, खासकर भारतनेट के सहयोग से भारत देश के ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ेगा। वेव्स एक व्यापक और समावेशी ओटीटी प्लेटफॉर्म के रूप में सामने आया है, जो भारतीय संस्कृति को एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करता है। यह प्लेटफॉर्म 12 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, मराठी, कन्नड़, मलयालम, तेलुगू, तमिल, गुजराती, पंजाबी, असमिया हैं। यह ऐप 10 से अधिक श्रेणियों में सामग्री प्रदान करता है, जिनमें इंफोटेनमेंट, वीडियो ऑन डिमांड, फ्री-टू-प्ले गेमिंग, रेडियो स्ट्रीमिंग, लाइव टीवी स्ट्रीमिंग, 65 लाइव चैनल, और कई ऐप इन ऐप इंटीग्रेशन शामिल हैं। इसके अलावा, यह प्लेटफॉर्म शैक्षिक सामग्री , ऑनलाइन शॉपिंग और वीडियो व गेमिंग भी प्रदान करता है। प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत कुमार सेहगल ने कहा, “हम स्वस्थ पारिवारिक मनोरंजन और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
छठ के गीतों को परिवर्तन की आवाज बनाइए
लोक संस्कृति की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा
छठ पूजा विशेष : प्रकृति के प्रति कृतज्ञताबोध का महापर्व है छठ
भारत त्योहारों का देश है। इन त्योहारों के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक निहितार्थ हैं। हिमालय से कन्याकुमारी तक और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक भारत की अपार जैव विविधता में सैकड़ों अलग-अलग समुदाय, जनजातियाँ, संस्कृतियाँ और परंपराएँ हैं, जिनमें अलग-अलग अवसरों, देवताओं और प्राकृतिक घटनाओं का जश्न मनाने वाले सैकड़ों त्योहार हैं। पूरे देश में फसल उत्सवों की एक श्रृंखला है। ये त्यौहार मनुष्यों को प्रकृति के साथ अपने संबंध और एकता का एहसास कराते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो नेपाल के दक्षिणी क्षेत्र, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। दुनिया भर में इन समुदायों के प्रवासी अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए छठ मनाते हैं। सूर्य (सौर देवता) मानव इतिहास में विश्व भर में मनुष्यों द्वारा पूजी जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक शक्तियों में से एक है। एकेश्वरवाद और अन्य धार्मिक प्रथाओं द्वारा देवताओं के विभिन्न रूपों के विनाश ने सूर्य पूजा को समाप्त कर दिया है। हालाँकि, पूर्वी भारत जैसे कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सूर्य पूजा बची हुई है।
सूर्य एक और प्रमुख वैदिक देवता हैं (सरस्वती और विष्णु के अलावा) जिनकी पूजा भारत में प्रागैतिहासिक काल से की जाती है। बिहार की छठ पूजा प्राचीन वैदिक परंपराओं में उसी सूर्य की जीवंत पूजा है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, यह हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने की शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। षष्ठी का अर्थ है छठी या छठ इसलिए इसे छठ पूजा कहा जाता है और जिस देवी की पूजा की जाती है उसे छठ मैया कहा जाता है। यह त्योहार सौर देवता सूर्य और षष्ठी देवी को समर्पित है, जिन्हें छठी मैया भी कहा जाता है)।
भारतीय संस्कृति में प्रकृति के विभिन्न पहलुओं जैसे सूर्य, चंद्रमा, जल, नदी और पेड़ों की पूजा की जाती है, ताकि मनुष्य अपनी जड़ों से जुड़ा रहे। छठ पूजा इसी संस्कृति का प्रतीक है। यह त्यौहार छठी मैया (षष्ठी माता) और भगवान सूर्य के साथ-साथ उनकी पत्नियाँ उषा (भोर की देवी) और प्रत्यूषा (शाम की देवी) वैदिक पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू संस्कृति में, पत्नी को अपने पति की शक्तियों का मुख्य स्रोत माना जाता है। और इसलिए सूर्य की शक्तियाँ उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा के कारण हैं। छठ के दौरान सुबह सूर्य की पहली किरण (उषा) और शाम को अंतिम किरण (प्रत्यूषा) की पूजा की जाती है ताकि आभार व्यक्त किया जा सके और परिवार के लिए आशीर्वाद मांगा जा सके।
लोकप्रिय धारणा के विपरीत छठ पूजा एक लिंग-निरपेक्ष त्योहार है और पुरुष और महिला दोनों ही उपवास और अनुष्ठान कर सकते हैं। कहा जाता है कि यह त्योहार वैदिक काल से मनाया जाता रहा है। इस त्यौहार के बारे में कई किंवदंतियाँ और गाथाएँ प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि वैदिक युग के ऋषियों ने विस्तृत पूजा की और सूर्य से जीवन शक्ति प्राप्त करने के लिए शाम और भोर के समय खुद को सीधे सूर्य के प्रकाश में उजागर किया। ऋग्वेद और महाभारत में सूर्य देव की प्रशंसा करते हुए और छठ पूजा जैसी ही रीति-रिवाजों का वर्णन करते हुए श्लोक मौजूद हैं।
छठ पूजा से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा भगवान राम से जुड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि रावण का वध करने के बाद जब राम और सीता अयोध्या वापस आए तो उन्होंने उपवास किया और छठ पूजा अनुष्ठान किया और अपने कुल देवता सूर्य देव की पूजा की। महाभारत में उल्लेख है कि पांचाली द्रौपदी और पांडवों ने ऋषि धौम्य की सलाह पर छठ पूजा का अनुष्ठान किया था। इससे अंततः पांडवों को अपना राज्य वापस मिल गया और अन्य मुद्दे भी सुलझ गए। छठ पूजा को सबसे ज़्यादा पर्यावरण से जुड़े त्यौहारों में से एक माना जाता है। यह 4 दिनों का त्यौहार है जिसमें प्रकृति, स्थानीय अर्थव्यवस्था, खरीफ की फ़सल और जीवन की विविधता और पोषण में प्रकृति के योगदान के लिए उसे धन्यवाद देने की भावना शामिल है।
पहला दिन: नहाय-खाय: लोग तालाब, नदी, झील जैसे जल निकायों में स्नान करते हैं। वे पानी को घर लाते हैं और फिर उससे प्रसाद पकाते हैं। व्रती (जो व्रत कर रहा है) इस दिन ऐसा भोजन ग्रहण करता है जो बिना किसी मिलावट के तैयार किया जाता है और जब यह तैयार हो जाता है, तो सबसे पहले व्रती और फिर परिवार के अन्य सदस्य खाते हैं।
दूसरा दिन: खरना: लोग नई कटी हुई धान और गन्ने से खीर बनाते हैं। व्रती सूर्यास्त से पहले कुछ भी नहीं खाते, यहाँ तक कि पानी की एक बूँद भी नहीं पीते। पूरा दिन त्यौहार की तैयारी में बीतता है। शाम को व्रती रसियाओ-खीर (गुड़, चावल और दूध से बनी एक तरह की मीठी डिश) और चपाती नामक विशेष प्रसाद तैयार करते हैं। व्रती छठी मैया की पूजा करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। पूजा के बाद व्रती प्रसाद खाकर अपना व्रत तोड़ते हैं और बाद में इसे परिवार और दोस्तों में बाँटते हैं। खरना की आधी रात को ठेकुआ- छठी मैया के लिए एक विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है।
तीसरा दिन: प्रत्यूषा के साथ सूर्य की पूजा – इसे संध्या अर्घ्य (शाम का प्रसाद) भी कहा जाता है। दिन के समय, बांस की डंडियों से बनी एक टोकरी जिसे दउरा कहते हैं, तैयार की जाती है और उसमें ठेकुआ और मौसमी फलों सहित सभी प्रसाद रखे जाते हैं। शाम को व्रती और परिवार के सदस्य पूजा के लिए नदी या किसी अन्य जल निकाय के किनारे इकट्ठा होते हैं। व्रती डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। लोकगीत गाए जाते हैं और शाम को जब सूरज ढल रहा होता है, व्रती संध्या अर्घ्य देते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं और फिर घर वापस आ जाते हैं।
चौथा दिन: उषा के साथ सूर्य की पूजा – इसे उषा अर्घ्य (सुबह का अर्घ्य) या भोरवा घाट भी कहा जाता है। सुबह-सुबह व्रती और परिवार के सदस्य फिर से जलाशय के किनारे इकट्ठा होते हैं और सूर्योदय तक बैठते हैं। सुबह का अर्घ्य सूर्य के उगने के बाद सौरी में रखे अर्घ्य के साथ पानी में जाकर दिया जाता है। सुबह के अर्घ्य के बाद व्रती एक-दूसरे को प्रसाद बांटते हैं और घाट पर मौजूद बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं। फिर वे घर लौट आते हैं।
व्रती अदरक और पानी पीकर अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ते हैं। उसके बाद भोजन तैयार किया जाता है और व्रती को खाने के लिए दिया जाता है जिसे पारण या परना कहते हैं। इस तरह छठ पूजा संपन्न होती है।
शुद्धता, अनुष्ठानिक स्नान, किसी भी बाधा को पार करते हुए परिवारों और समुदायों को एक साथ लाना, व्रत, नदियों और मोहल्लों की सफाई तथा भारी उपभोग मांग पैदा करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देना छठ के मुख्य घटक हैं जो इसे बिहार और पड़ोसी क्षेत्रों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बनाते हैं।
इसी वजह से छठ महापर्व मे महिलाओं की भागीदारी ज्यादा होती है। लेकिन किसी शास्त्र या ग्रंथ में ये उल्लेख नहीं है कि पुरुष छठ का व्रत नहीं कर सकते हैं। ये निर्जला उपवास पुरुष भी रख सकते हैं।
क्या कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं छठ पूजा? – पुरुषों के अलावा कुंवारी कन्याएं भी छठ का व्रत कर सकती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कुंवारी कन्याएं छठ की पूजा करती हैं, तो उन्हें छठी मैया और सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवी-देवताओं के आशीर्वाद से उन्हें योग्य वर मिलता है। साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि, खुशलाही और धन का वास रहता है।