Tuesday, August 5, 2025
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50 साल में पूरी की पीएचडी! मिलिए 76 साल के विद्यार्थी से

पत्‍नी और पोती के सामने मिली उपाधि

नयी दिल्‍ली । कुछ करने की इच्‍छा हो तो उम्र कोई बाधा नहीं है। निक एक्‍सटेन इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। वह 76 साल के हो चुके हैं। 1970 में वह पीएचडी में एनरोल हुए थे। 50 साल बाद उन्‍होंने इसे पूरा किया है। 14 फरवरी को उन्‍हें डॉक्‍टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की उपाधि से नवाजा गया। एक्‍सटेन को अपनी पत्‍नी क्‍लेयर और 11 साल की पोती फ्रेया के सामने यह सम्‍मान मिला। 1970 में एक्‍सटेन को पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में मैथमैटिकल सोशॉलजी से पीएचडी करने के लिए फुलब्राइट स्‍कॉलरशिप मिली थी। लेकिन, वह पीएचडी पूरी किए बिना 5 साल बाद ब्रिटेन लौट गए। अब यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिसल ने उन्हें डॉक्‍ट्रेट की डिग्री से नवाजा है।
एक्‍सटेन के नाम के आगे अब डॉक्‍टर लग चुका है। जब उन्‍हें डॉक्‍ट्रेट की डिग्री से नवाजा गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। कई साल पहले उनकी यह चाहत पूरी हो गई होती। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। फिर भी उन्‍होंने इस ख्‍वाहिश को मन में जिंदा रखा। डॉ एक्‍सटेन ने ब्रिसल यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में एमए किया। तब उनकी उम्र 69 साल थी। फिर उन्‍होंने इसी विश्‍वविद्यालय से फिलॉसफी में पीएचडी की। 75 साल की उम्र में पिछले साल यह पूरी हुई। 14 फरवरी को यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में उन्‍हें उपाधि दी गई।
डॉ न‍िक एक्‍सटेन ने क्‍या कहा?
ब्रिसल यूनिवर्सिटी ने डॉक्‍टर एक्‍सटेन का एक बयान जारी किया है। इसमें उन्‍होंने कहा कि कुछ समस्‍याएं बहुत बड़ी होती हैं जो जिंदगी का काफी समय ले लेती हैं। इन्‍हें समझना आसान नहीं होता है। काफी सोच-विचार की जरूरत पड़ती है। इसे समझने में मुझे 50 साल लग गए। एक्‍सटेन की रिसर्च की नींव में वो आइडिया हैं जो पांच दशक पहले अमेरिका में काम करते हुए उन्‍होंने महसूस किए। यह मानव व्‍यवहार को समझने के लिए नई थ्‍योरी है जो हर एक व्‍यक्ति रखता है। एक्‍सटेन कहते हैं कि इसमें बिहेवियर साइकॉलजी के नजरिये को बदलने की क्षमता है।
साथी छात्रों का जताया आभार
डॉ निक एक्‍सटेन ने 50 साल बाद पीएचडी पूरी करने पर ब्रिसल यूनिवर्सिटी और साथी छात्रों का आभार जताया। उन्‍होंने कहा कि उनके साथी छात्र काफी कम उम्र के थे। लेकिन, उन्‍होंने कभी निक को उम्र का एहसास नहीं होने दिया। इन युवा छात्रों के पास अपार आइडिया हैं। उन्‍हें इन साथियों से बात करना बहुत पसंद है। डॉ निक एक्‍सटेन अभी सोमरसेट के वेल्‍स में अपनी पत्‍नी के साथ रहते हैं। उनके दो बच्‍चे और चार पोती-पोते हैं।
निक एक्‍सेटन के गाइड प्रोफेसर समीर ओकाशा ने कहा कि उन्‍हें पीएचडी करते हुए देखना बेहद शानदार था। यह उनके लिए भी बिल्‍कुल अलग तरह का अनुभव था। ओरिजनल पीएचडी शुरू करने के बाद इसे पूरा करने में उन्‍होंने आधी सदी लगाई। यह उनके जज्‍बे और चाहत को दिखाता है। उनकी जगह शायद कोई और होता तो काफी पहले इस चाहत को छोड़ चुका होता।

खाद से खराब होते पिता के हाथ देखकर बेटे ने बना दी खाद डालने वाली मशीन

सिरसा । कहते है एक आइडिया इंसान की दुनिया बदल कर रख देता है। व्यापार में भी एक आइडिया व्यक्ति को फर्श से अर्श तक पहुंचा देता है। ऐसा ही एक आइडिया जिला के 11वीं कक्षा के विद्यार्थी भारत कुमार ने निकाला है। बचपन से पिता को खेतों में कड़ी मेहनत कर हुए और खाद के कारण हाथों को खराब होते देखा है। ऐसे में उसने खाद डालने वाली एक मशीन ही तैयार कर डाली। भारत की ओर से तैयार किया गया मॉडल आज राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हो चुका है।
सिरसा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पतली डाबर में पढ़ने वाले भारत कुमार किसान का बेटा है। बचपन से ही वह अपने पिता को खेत में खाद डालते हुए देख रहा था। जिसके कारण उसके पिता के हाथ भी काफी खराब हो जाते थे। इससे बचाव करने व मशीन से खेतों में खाद का छिड़काव करने के लिए उसने एक मशीन तैयार की। जिसमें खाद को मिलाने और उसका खेत में छिड़काव करने तक का काम ऑटोमेटिक तरीके से होता है। खाद डालने के लिए हाथ लगाने की भी काई आवश्यकता नहीं पड़ती। युवक की ओर से मशीन का अपने खेत में इस्तेमाल भी किया गया है। जिसके बाद उसका मॉडल अब हर लेवल को पार कर राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हो चुका है।
भारत कुमार ने रिमोट कंट्रोलड फर्टिलाइजर थरोयिंग मशीन बनाई है। ये मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। जिसे विद्यार्थी ने घर पर रखी पानी की पाइपों की सहायता से बनाया है। ये मशीन किसान के एंड्रॉयड फोन से चालू की जाएगी। फोन से ही मशीन को किसान कंट्रोल में कर पाएगा। वहीं पहले खाद को मिक्स करने का काम भी मशीन स्वयं ही करेंगी। मिक्स करने के बाद खेतों में हर जगह पर खाद डालने का काम भी मशीन स्वयं ही करेगी। जिसे किसान खेत के बाहर कहीं पर भी बैठकर कंट्रोल कर सकता है।
हर स्तर की प्रतियोगिता में भारत ने की मेहनत
पीजीटी फिजिक्स ‌अमित ग्रोवर ने बताया कि भारत का ये सफर आसान नहीं रहा । भारत ने स्कूल लेवल प्रतियोगिता से शुरुआत की। जिसके बाद ये मॉडल खंड स्तर पर फिर जिला स्तर पर पहुंचा। जिला स्तर से राज्य स्तर पर मॉडल के विद्यार्थी ने भाग लिया। इस दौरान हर लेवल पर विशेषज्ञों ने विद्यार्थी को जो-जो बदलाव करने और कुछ बेहतर करने के लिए आइडिया दिया बारत ने उस पर कड़ी मेहनत की। जिसके बाद भारत का बना हुआ मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुआ है। राष्ट्रीय स्तर के लिए ‌प्रदेशभर से 22 मॉडल चयनित हुए है। वहीं जिला भर से 12 मॉडल राज्य स्तर पर चयनित होकर गए थे।

नील मोहन बने यूट्यूब के नये सीईओ

नयी दिल्ली । दुनिया की सबसे पॉपुलर वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब के नए सीईओ का ऐलान हो गया है। यूट्यूब की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक ने नए सीईओ के नाम की घोषणा की। कंपनी की पूर्व सीईओ सुसान वोज्स्की के इस्तीफे के बाद भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक नील मोहन को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। आपको बता दें कि नील मोहन यूट्यूब के पहले ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें प्रमोशन के बाद कंपनी के सीईओ की कमान सौंपी गई है।
कौन हैं नील मोहन
भारतीय मूल के नील मोहन यूट्यूब के नए सीईओ और वाइस प्रेसिडेंट हैं। साल 2008 में नील यूट्यूब के साथ जुड़े थे। साल 2013 में कंपनी ने उन्हें 544 करोड़ रुपये का बोनस दिया था। यूट्यूब की मूल कंपनी अल्फाबेट की सीईओ सुंदर पिचाई भी भारतवंशी है। उन्होंने साल 2015 में चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर की जिम्मेदारी मिली। उनके काम को देखते हुए उन्हें शुरुआत से ही वोज्स्की का उत्तराधिकारी माना जा रहा था। उनके भीतर लीडरशिप क्वालिटी से वोज्स्की प्रभावित थी। नील मोहन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ग्लोरफाइड टेक्निकल सपोर्ट से की थी। उन्होंने एसेंचर में सीनियर एनालिस्ट के पद पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने डबलक्लिक इंक में 3 सालों तक कीम किया। इसके बाद उन्होंने करीब ढाई साल वाइस प्रेसिडेंट बिजनेस ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाली। उनके पास माइक्रोसॉफ्ट में काम का भी अनुभव है। साल 2008 में गूगल ने डबलक्लिक का अधिग्रहण कर लिया, जिसके बाद नील गूगल में शामिल हो गए।
वोज्स्की ने गैरेज से की थी कंपनी की शुरूआत
54 साल की सुसान वोज्स्की ने अपने ध्यान देने के लिए पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने परिवार, स्वास्थ्य और निजी जीवन पर ध्यान देने के लिए यूट्यूब पर अपने सफर को विराम दे दिया। साल 2014 में उन्होंने यूट्यूब के सीईओ की जिम्मेदारी संभाली। वोज्स्की ने 25 साल पहले अपने गैरेज से इस कंपनी की शुरूआत की थी। आज यूट्यूब सबसे बड़ा और लोकप्रिय वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बन गया है।

विदा हुए बापू की हत्या के अंतिम चश्मदीद रहे ‘मदान साहब’

नयी दिल्ली । के. डी. मदान 30 जनवरी 1948 को भी 5, अल्बुकर्क रोड (अब 5, तीस जनवरी मार्ग) पर अपनी आकाशवाणी की रिकॉर्डिंग मशीनों के साथ पहुंच गए थे। समय रहा होगा शाम के 4-4:30 बजे का। उन्हें गांधी जी की प्रार्थना सभा की रिकॉर्डिंग करनी होती थी, जिसे आकाशवाणी रात के 8:30 बजे प्रसारित करती थी। के. डी. मदान साहब आकाशवाणी में काम करते थे। बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा का सिलसिला सितंबर,1947 से शुरू हुआ था और तभी से मदान साहब रिकॉर्डिंग के लिए आने लगे थे। उस मनहूस दिन मदान साहब के सामने ही नाथूराम गोडसे ने बापू को गोलियों से छलनी किया था। उन्हीं मदान साहब का गुरुवार 16 जनवरी को राजधानी में निधन हो गया। वे 100 साल के थे।
पुलिस ने रात को तुगलक रोड थाने में कनॉट प्लेस के एम-96 में रहने वाले नंदलाल मेहता से पूछकर गांधी जी की हत्या की एफआईआर दर्ज की थी। उस समय मदान साहब भी वहां पर थे। एफआईआर एएसआई डालू राम ने लिखी थी। नंदलाल मेहता प्रार्थना सभा में रोज शामिल होते थे। मदान साहब के जेहन में 30 जनवरी 1948 की यादें अंत तक जिंदा रहीं। उन्हें याद था, जब गोडसे ने बापू पर गोलियां चलानी शुरू कर दी थीं। वह बताते थे, ‘जब बिड़ला हाउस के भीतर से गांधी जी प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए निकले तब मेरी घड़ी के हिसाब से 5:16 बजे थे। हालांकि कहा जाता है कि 5:17 बजे बापू पर गोली चली। तो मैं समझता हूं कि गांधी जी बिड़ला हाउस से प्रार्थना सभा स्थल के लिए 5:10 बजे निकले होंगे। उस दिन बापू से मिलने सरदार पटेल भी आए थे।’
20 जनवरी, 1948 को भी हुआ था एक हमला
गांधी जी पर 20 जनवरी 1948 को भी बिड़ला हाउस में हमला हुआ था। उस दिन भी मदान साहब वहां पर थे। पता चला कि वो एक क्रूड देसी किस्म का बम था, जिसमें नुकसान पहुंचाने की ज्यादा क्षमता नहीं थी। फिर बापू पर 30 जनवरी को जानलेवा हमला हुआ। मदान साहब वहां अपनी रिकॉर्डिंग मशीन के साथ थे। मदान साहब के शब्दों में, ‘तभी पहली गोली की आवाज आई। मुझे ऐसा लगा कि दस दिन पहले जो पटाखा चला था, वैसा ही हुआ है। उसी एहसास में था कि दूसरी गोली चली। मैं साजोसामान छोड़कर उस तरफ भागा, जहां काफी भीड़ थी। वहां काफी लोग इकट्ठा थे। मैं और आगे आया, तभी तीसरी गोली चली, जो मैंने अपनी आंखों से देखा। बाद में पता चला कि गोली मारने वाले का नाम नाथूराम गोडसे था। उसने खाकी कपड़े पहने थे। उसका कद काफी कुछ मेरे जैसा ही था। डीलडौल भी मेरी जैसी ही थी। तीसरी गोली चलाने के बाद उसने दोबारा हाथ जोड़े। मैंने सुना था कि पहली गोली चलाने के बाद भी उसने हाथ जोड़े थे। उसके बाद वहां पर एकत्र लोगों ने उसे पकड़ लिया। उसने किसी भी तरह का विरोध नहीं किया, बल्कि अपनी रिवॉल्वर भी लोगों के हवाले कर दी।’
मदान साहब बताते थे, ‘गांधी जी का आदेश था कि कोई भी पुलिसवाला उनकी प्रार्थना सभा में नहीं होगा, लेकिन जब 30 जनवरी का हादसा हुआ तो कुछ लोगों ने पुलिस को इत्तिला की होगी। पुलिस वहां आई और हत्यारे को पुलिस के हवाले कर दिया। मैंने उसे ले जाते हुए देखा।’ मदान साहब थाने में गांधी जी की हत्या की एफआईआर लिखवाने में नंदलाल मेहता को सहयोग कर रहे थे। वह 31 जनवरी 1948 को गांधी जी की अंतिम यात्रा में पैदल ही बिड़ला हाउस से राजघाट तक गए थे। बेशक, मदान साहब के निधन से गांधी हत्याकांड की अंतिम कड़ी भी टूट गई है ।

प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रवेश परीक्षा से जीएसटी हटी

नयी दिल्ली । जीएसटी काउंसिल की 49वीं बैठक में छात्रों को बड़ी राहत दी गई। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जैसी सरकारी संस्थाएं अपने एंट्रेंस टेस्ट की जो फीस लेती हैं, उस पर परीक्षार्थियों को अब कोई जीएसटी नहीं देना होगा। इस फीस पर छात्रों को अब तक 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है। यानी अब जेईई, नीट जैसे तमाम एंट्रेंस टेस्टों की फीस कम हो सकती है। इसके अलावा, पेंसिल और शार्पनर पर जीएसटी घटाया गया है। अब तक इन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। अब इसे 12 फीसदी कर दिया गया है। जीएसटी काउंसिल ने खुले में बेचे जाने वाले गन्ने की राब (लिक्विड गुड़) पर लगने वाले जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर जीरो करने का फैसला लिया है। इसका उत्पादन यूपी जैसे राज्यों में ज्यादा होता है।
इन सामानों के उत्पादन पर लगेगा टैक्स
जीएसटी काउंसिल ने पान मसाला और गुटखा पर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिशें मंजूर कर लीं। अभी तक पान मसाला, गुटखा पर मुआवजा सेस इनके बिक्री मूल्य पर लगता था, जिससे राजस्व में नुकसान हो रहा था। इसे रोकने के लिए अब इनके उत्पादन पर टैक्स ले लिया जाएगा। इसका नोटिफिकेशन जल्द जारी होगा। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सभी राज्यों को बकाया मुआवजा 16,982 करोड़ रुपये जारी कर दिया जाएगा। ऑनलाइन गेमिंग पर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की रिपोर्ट को बैठक में नहीं लिया जा सका।
कारोबारियों को राहत
कारोबारियों को सालाना रिटर्न भरने में देरी होने पर राहत दी गई है। जिन लोगों का कारोबार पांच करोड़ रुपये तक है, अगर वे देरी से सालाना रिटर्न भरते हैं तो अब तक उन पर विलम्ब शुल्क 200 रुपये रोजाना की दर से लगता था। इसे घटाकर अब 50 रुपये रोजाना कर दिया गया है। जिन लोगों का कारोबार 5 से 20 करोड़ रुपये के बीच है, उन्हें विलम्ब शुल्क 100 रुपये प्रतिदिन देना होगा। जिन लोगों का कारोबार 20 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें कोई राहत नहीं दी गई है। उन्हें विलम्ब शुल्क रोजाना 200 रुपये के हिसाब से ही देना होगा।

हिमालय से भी पुरानी है झारखंड की राजमहल पहाड़ियां

10 से 14 फीट के आदिमानव का था वास
रांची । कार्बन डेटिंग से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि झारखंड स्थित राजमहल की पहाड़ियां हिमालय से भी 500 करोड़ साल पुरानी हैं। यहां मौजूद जीवाश्मों पर देश-विदेश के भूगर्भ शास्त्रियों की ओर से लगातार शोध कर रहे हैं। इस क्रम में जीवन को लेकर कई नए रहस्य सामने आ रहे हैं। झारखंड के एक पुरातत्वविद् पं. अनूप कुमार वाजपेयी ने दावा किया है कि राजमहल की पहाड़ियों में कई रहस्य छिपे है। दुमका जिले की महाबला पहाड़ियों पर आदि मानव के पैरों की छाप, हिरण के खुर, गिलहरी और मछली के जीवाश्म वाले चट्टान हैं। उन्होंने इन पदछापों की उम्र 30 करोड़ साल से भी अधिक होने की संभावना जताई है। इसके साथ ही यह दावा भी किया है कि आदि मानवों की लंबाई 10 से 14 फीट तक रही होगी।
पं. अनूप वाजपेयी के शोध आधारित दावे के बाद झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग ने यहां दो बोर्ड लगाए हैं, जिसमें यहां जीवाश्म होने की जानकारी दी गई है। वाजपेयी ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिलकर उन्हें अपने अध्ययन निष्कर्षों से अवगत कराया है। उन्होंने अपने अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर एक पुस्तक भी लिखी है, जिसे दिल्ली की एक प्रकाशन संस्था ने छापा है। इसके बाद जीवाश्मों के अध्ययन में रुचि रखने वाले शोधार्थियों के अलावा पर्यटक इन पदचिन्हों को देखने पहुंच रहे हैं।
चट्टान के अवशेष में आदि मानव के पदचिह्न
जिस चट्टान पर ये अवशेष पाये गये हैं, वह जरमुंडी प्रखंड की झनकपुर पंचायत के बरमसिया में घाघाजोर नदी के किनारे स्थित हैं। बकौल वाजपेयी, पदचिह्नों को देखकर प्रतीत होता है कि आदि मानव कभी इस स्थल के आसपास रहे होंगे इसलिए उनके कदमों के निशान इस जगह पर बने। प्रलय के कारण सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन जीवाश्म अब भी राजमहल की पहाड़ियों में बहुतायत में मौजूद हैं।
राजमहल की पहाड़ियों में नौ पदचिह्न मिले
वाजपेयी ने राजमहल की पहाड़ियों की श्रृंखला से जुड़ी महाबला पहाड़ी में ऐसे नौ पदचिन्हों की तलाश की है। इसके अलावा उन्होंने गिलहरी और मछली की आकृति, हिरण के खुर जैसे जीवाश्म की तलाश करने का भी दावा किया है। ये आकृतियां काफी बड़ी हैं और इसके आधार पर उनका अनुमान है कि उस समय के इंसान व अन्य जीव आकृति में भी बड़े रहे होंगे। कथित आदि मानव के पदचिन्हों के दो डग के बीच की दूरी डेढ़ से पौने दो मीटर तक है। पैर का अंगूठा करीब दो इंच से अधिक मोटा है। पंजा करीब एक फीट का है। इसी के आधार पर वह उस दौर के इंसानों की ऊंचाई 10 से 14 फीट होने की संभावना जताते हैं। उनका कहना है कि ये जीवाश्म कार्बोनिफेरस एरा के हो सकते हैं।
2600 वर्ग किलोमीटर में फैली है राजमहल की पहाड़ियां
26 सौ वर्ग किलोमीटर में राजमहल की पहाड़ियां फैली है। जुरासिक काल के फॉसिल्स सबसे पहले भारतीय पुरा-वनस्पति विज्ञान यानी इंडियन पैलियोबॉटनी के जनक प्रो. बीरबल साहनी ने तलाशे थे। वे 1935 से 1945 के बीच फॉसिल्स की तलाश और उनपर रिसर्च मेंयहां दर्जनों बार आये थे। पहाड़ियों के बीच काफी लंबा वक्त गुजारा था। उन्होंने जो फॉसिल्स तलाशे, उनके कई नमूने लखनऊ स्थित बीरबल साहनी संस्थान में संरक्षित करके रखे गये हैं, जो दुनिया भर के भूगर्भशास्त्रियों के लिए रिसर्च का विषय है। बीरबल साहनी के महत्वपूर्ण रिसर्च को देखते हुए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने राजमहल की पहाड़ियों को भूवैज्ञानिक विरासत स्थल का दर्जा दे रखा है।
राजमहल की पहाड़ियों और आस-पास के इलाके में मौजूद फॉसिल्स दुनिया भर में जुरासिक काल पर रिसर्च कर रहे विज्ञानियों की दिलचस्पी का केंद्र हैं। देश-विदेश की कई टीमें सालों भर यहां अध्ययन के लिए पहुंचती रहती हैं। कुछ साल पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) से जुड़े वैज्ञानिकों को यहां के कटघर गांव में अंडानुमा जीवाश्म मिले थे, जो रेप्टाइल्स की तरह थे। साहिबगंज, सोनझाड़ी और पाकुड़ जिले के महाराजपुर, तारपहाड़, गरमी पहाड़ बड़हारवा इलाकों में भी बड़ी संख्या में फॉसिल्स मिल चुके हैं।
जुरासिक काल के पेड़ों की पत्तियों की छाप मिली
नेशनल बॉटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने करीब ढाई साल पहले यहां दूधकोल नामक स्थान पर फॉसिल्स की तलाश की थी। उनपर जुरासिक काल के पेड़ों की पत्तियों की छाप (लीफ इंप्रेशन) है। इसके 150 से लेकर 200 मिलियन वर्ष पुराने होने का अनुमान है। झारखंड सरकार ने फॉसिल्स को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। साहेबगंज के मंडरो में सरकार ने 16 करोड़ की लागत से फॉसिल्स पार्क का निर्माण कराया है।

गोदरेज ने 100 करोड़ में खरीदा राज कपूर का बंगला

मुम्बई । शोमैन के नाम से मशहूर दिवंगत अभिनेता राज कपूर की एक और प्रॉपर्टी बिक गई है। मुंबई के चेंबूर इलाके में एक एकड़ में फैले उनके बंगले को गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने 100 करोड़ रुपये में खरीदा है। कंपनी इस राज कपूर के बंगले को तोड़कर 500 करोड़ रुपये का लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाएगी। इस बहुमंजिला इमारत में एक-एक फ्लैट करोड़ों रुपये का होगा। राज कपूर का यह बंगला देवनार फार्म रोड पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के बगल में है। इसे चेंबूर का सबसे महंगा इलाका माना जाता है। चेंबूर बीकेसी (बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स) से अच्छी तरह जुड़ा हुआ एक बेहतरीन आवासीय बाजार है। गोदरेज ग्रुप की इस कंपनी ने इस वित्त वर्ष में देशभर में करीब 15 प्लॉट खरीदे हैं जिन पर करीब 28,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट डेवलप किए जा सकते हैं।


गोदरेज प्रॉपर्टीज के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पिरोजशा गोदरेज ने बताया कि जमीन का कुल आकार करीब एक एकड़ है। हम इस पर एक प्रीमियम रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट डेवलप करेंगे। इसकी बिक्री से होने वाली आय करीब 500 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। राज कपूर के पुत्र रणधीर कपूर ने कहा, ‘इस बंगले से हमारी कई यादें जुड़ी हैं और इसका हमारे परिवार के लिए काफी महत्व है। हमें उम्मीद है कि कंपनी इसकी समृद्ध विरासत को अगले चरण में ले जाएगी। गोदरेज प्रॉपर्टीज गोदरेज ग्रुप की सहयोगी कंपनी है। इससे पहले गोदरेज प्रॉपर्टीज ने राज कपूर के आरके स्टूडियो को भी मई 2019 में खरीदा था। इसमें 33 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में अपार्टमेंट और लग्जरी रिटेल स्पेस डेवलप किया जा रहा है। राज कपूर ने 1948 में आरके स्टूडियो की स्थापना की थी। होली और गणेशोत्सव के मौके पर इसमें होने वाले आयोजन बॉलीवुड में खासे लोकप्रिय थे। साल 2017 में आग लगने से आरके स्टूडियो का बड़ा हिस्सा जल गया था। इसके बाद कपूर खानदान ने इसे बेचने का फैसला किया। इससे पहले गोदरेज प्रॉपर्टीज ने मई 2019 में राज कपूर के आरके स्टूडियो को खरीदा था। वहां भी गोदरेज आरकेएस डेवलप किया जा रहा है। इसके इसी साल पूरा होने की उम्मीद है। गोदरेज प्रॉपर्टीज के एमडी और सीईओ गौरव पांडेय ने कहा, ‘राज कपूर का महत्वपूर्ण बंगला अब हमारे पोर्टफोलियो का हिस्सा है। हमें खुशी है कि कपूर परिवार ने हमें यह मौका दिया। पिछले कुछ साल में प्रीमियम डेवलपमेंट्स की माँग में तेजी आई है। इस प्रोजेक्ट से हमें चेंबूर में अपनी स्थिति और मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस पर एक शानदार आवासीय परिसर विकसित किया जाएगा ।’

सिटी बिजनेस स्कूल ने मैनेजमेंट शिक्षा के क्षेत्र में पूरे किये 15 साल

कोलकाता । मैनेजमेंट एक्सीलेंस (प्रबंधन उत्कृष्टता) के 15वें वर्ष का जश्न मनाते हुए, बंगाल इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज (बीआईबीएस) ने एचआर लर्निंग नेटवर्क (आईआईडीआर का एक प्रोजेक्ट) के सहयोग से एक ग्रैंड एचआर कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस अवसर पर भारत और विश्व स्तर की शीर्ष कंपनियों के 100 से अधिक एचआर पेशेवरों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन के पीछे का लक्ष्य कॉर्पोरेट और शिक्षा संस्थानों के बीच संचार की खाई को पाटना था, और छात्रों को यह भी दिखाना था कि उद्योग प्रबंधन स्नातकों से क्या उम्मीद करता है। साल 2008 में स्थापित बीआईबीएस कोलकाता, अपनी स्थापना के बाद से हमेशा कॉरपोरेट जगत एवं उद्योग के लिए तैयार प्रबंधन प्रतिभा तैयार करने में विश्वास करता रहा है। लाइव लर्निंग, छात्रों की शिक्षा में उद्योग की भागीदारी और प्रबंधन में वैश्विक स्तर पर सीखने के लिए विश्व लीडर के साथ सहयोग करके प्रबंधन शिक्षा के बेंचमार्क को फिर से परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। बता दें कि एचआर लर्निंग नेटवर्क मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में काम कर रहे पेशेवर मानव संसाधन प्रबंधकों का एक नेटवर्क है। नेटवर्क में एचआरडी के क्षेत्र में काम करने वाले शोधकर्ता और अन्य संसाधन व्यक्ति भी शामिल हैं। एचआर लर्निंग नेटवर्क एचआर पेशेवरों के बीच ज्ञान साझा करने, अनुसंधान और नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत विकास और अनुसंधान संस्थान की प्रमुख परियोजना है। एचआर लर्निंग नेटवर्क की वर्तमान सदस्यता संख्या भारत के पूर्वी, पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों को कवर करते हुए लगभग 400 है। इस अवसर पर 80 से अधिक मानव संसाधन पेशेवरों को आमंत्रित किया गया। पैनल में समर बनर्जी (सीएचआरओ स्टार सीमेंट), सुधांशु रॉय (अध्यक्ष – ग्लोबल एचआर मेडिका ग्रुप), सुष्मिता चौधरी (हेड एचआर – पिनेकल इन्फोटेक), ध्रुवज्योति मजूमदार (एचआर एल एंड टी), देबलीना रॉय (जीएम एचआर VI),सिल्वा सरकार (रीजनल एचआर मैनेजर मैक्स रिटेल) शामिल थे।
इस अवसर पर बीआईबीएस के चेयरमैन विदुर कपूर ने कहा, “पिछले 15 वर्षों में, बीआईबीएस ने कक्षा में विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन शिक्षा लाने के लिए लगातार प्रयास किया है। हमने आईबीएम, आईआईटी कानपुर, डीएमआई, आयरलैंड, सीआईएसआई, लंदन और एमडीआईएस सिंगापुर जैसे वैश्विक दिग्गजों के साथ हमारे एमबीए प्रोग्राम के लिए वैश्विक शिक्षा और प्रमाणन लाने के लिए करार किया है, साथ ही हमारे छात्र सर्वश्रेष्ठ से सीखते हैं और सर्वश्रेष्ठ के साथ काम करते हैं। एचआर कॉन्क्लेव एक ऐसा आयोजन है जहां हम उद्योग और शिक्षार्थियों को सीखने और एक समुदाय के रूप में नेटवर्क बनाने के लिए एक साथ लाते हैं। वहीं एचआर लर्निंग नेटवर्क और आईआईडीआर के संस्थापक और संकल्पना आरंभकर्ता सयाक सरकार ने कहा, “एचआर लर्निंग नेटवर्क और आईआईडीआर बीआईबीएस के सहयोग से इस मेगा इवेंट के माध्यम से छात्रों और एचआर बिरादरी को बड़े पैमाने पर ज्ञान प्रदान करना चाहते हैं। निकट भविष्य में छात्र कॉरपोरेट लीडर बनें, इसलिए एचआर लर्निंग नेटवर्क भविष्य के कॉर्पोरेट लीडर्स के साथ सकारात्मक तरीके से जुड़ना चाहता है।

कथाकार कपिल आर्य की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा 

कोलकाता। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से कोलकाता के दिवंगत कथाकार कपिल आर्य की स्मृति में भारतीय भाषा परिषद में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ आशुतोष ने उनके सहज व्यक्तित्व और लेखन पर विस्तार से चर्चा की। कपिल जी के व्यक्तित्व पर एक ओर आर्यसमाज का और दूसरी ओर प्रगतिशील विचारों का प्रभाव पड़ा। प्रियंकर पालीवाल ने उनके जीवन संघर्ष के विविध पहलुओं पर चर्चा की। सामान्य जीवन का तानाबाना उनके लेखन में दिखता है। युवा कथाकार रवींद्र आरोही ने कहा कपिल जी हमेशा नये लेखकों को प्रोत्साहित करते थे।नगेंद्र कुमार ने कहा वे तमाम तकलीफों के बीच कभी अपनी पीड़ा साझा नहीं करते थे। मैं उनकी अप्रकाशित रचनाओं का संकलन करना चाहता हूँ। जीवन सिंह ने कहा कि मैं उनसे अक्सर प्रगतिशील लेखक संघ के आयोजनों में मिलता था।वे बराबर बांग्ला और हिंदी के बीच अनुवाद के लिए कहते थे। डॉ ब्रजमोहन सिंह ने कहा जब मैं कोलकाता आया तब कपिल जी ने मुझे प्रगतिशील लेखक संघ से जोड़ने का आग्रह किया। उनका भावबोध अपने समय की वैचारिकी से बनता है। वे जातिविहीनता की भी बात करते थे। वरिष्ठ लेखक सेराज खान बातिश ने कहा कि हमारे जैसे नये लेखकों को मंच तक लाते थे।प्रगतिशील लेखक संघ के भीतर की खींचतान के बीच भी वे संगठन के प्रति समर्पित रहे। कवि राज्यवर्धन ने कहा कि मैं जमालपुर प्रगतिशील लेखक संघ से आया था। उनसे जुड़ाव का एक बड़ा कारण कपिल जी का प्रगतिशील लेखक संघ का समर्पित कार्यकर्ता होना था। वे हर वर्ष नियमित कार्यक्रम आयोजित करते थे। रवि प्रताप सिंह ने कहा कि कपिल जी सहज व्यक्तित्व के धनी थे।अपने जीवन के अंतिम समय में कविताएं लिख रहे थे। मृत्युंजय ने कहा कि आज वे भले हमारे बीच नहीं हैं परंतु अपनी रचनाओं के लिए वे हमेशा हमारे बीच रहेंगे। हरेराम कात्यायन ने कहा कपिल जी बहुत जल्दी घुलमिल जाते थे।वे वैचारिक असहमतियों का सम्मान करते थे। रंगकर्मी महेश जायसवाल ने कहा कि कपिल जी विश्वास से भरे लेखक थे ।वे हमारे भीतर उम्मीद भरते थे। प्रो.विमलेश्वर द्विवेदी ने कहा कि कपिल की ख्याति तब हुई जब कमलेश्वर ने सारिका में उनकी कहानी छापी। वे बड़ी निडरतापूर्वक लिखते थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शंभुनाथ ने कहा कपिल जी से मेरा लगभग पांच दशकों का संबंध रहा है। वे प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े होने के बावजूद वे पार्टी लाइन से अलग थे। वे बांदा में प्रगतिशील लेखक संघ के कमजोर होने के पर वे कमजोर संगठन को छोड़ते नहीं है।उनमें एक वैचारिक दृढ़ता थी। कुसुम खेमानी, उषा किरण आर्य,विनय कुमार,अल्पना नायक,गीता दूबे,अरुण माहेश्वरी और अलका सरावगी ने अपना शोक संवाद भेजकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर श्रीप्रकाश गुप्ता,नारायण दास, सपना कुमारी, चंदन भगत ,विनोद ओझा ,संजय जायसवाल उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन सुरेश शॉ ने किया।

160 एनसीसी महिला कैडटों ने मनाया राष्ट्रीय महिला दिवस

कोलकाता । भारत की कोकिला सरोजनी नायडू की जयंती के उपलक्ष्य में 2 बंगाल गर्ल्स बीएन एनसीसी, एनसीसी जीपी मुख्यालय कोल ‘बी’ द्वारा आयोजि2 बंगाल गर्ल्स बीएन एनसीसी, न्यू अलीपुर और एनसीसी जीपी मुख्यालय कोल ‘बी’ की विभिन्न इकाइयों के कैडेटों ने आज 13 फरवरी को भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू की जयंती मनाने के लिए राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। । सरोजनी नायडू महिला सशक्तिकरण के लिए खड़ी थीं और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। वह देशभक्ति और अन्य साहित्यिक कार्यों पर अपनी कविताओं के लिए लोकप्रिय हैं। इस वर्ष के समारोह ‘महिला सशक्तिकरण’ विषय के तहत आयोजित किए गए थे।
एनसीसी ग्रुप मुख्यालय कोलकाता ‘बी’ ग्रुप सीडीआर ब्रिगेडियर राजा चक्रवर्ती, कर्नल सुनीत सिंह, एससी, कमांडिंग ऑफिसर, 2 बंगाल गर्ल्स बटालियन एनसीसी, एडमिन ऑफिसर मेजर रश्मी रॉय चौधरी और यूनिट के कर्मचारियों की ओर से इस अवसर पर कैडेटों को संगठित और प्रेरित किया। कार्यक्रम का आयोजन एनसीसी क्लब हाउस मैदान में किया गया। इसका उद्देश्य जनता को समाज में महिलाओं के महत्व को शिक्षित करना था।समारोह में ‘महिला सशक्तिकरण’ विषय पर पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, महिलाओं की समस्याओं से संबंधित विषयों पर नुक्कड़ नाटक और सम्मानित अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल स्निग्धा शर्मा, प्रशासनिक अधिकारी 31 बंगाल बटालियन एनसीसी, लगभग उपस्थित थे। 160 कैडेट और कर्मचारी। कार्यक्रम का समापन पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा और योग्य विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। यह जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।