Thursday, December 11, 2025
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1300 पीड़ितों से यौन उत्पीड़न के मामले में झुका न्यूयॉर्क का चर्च

-अब 300 मिलियन डॉलर देकर करेगा आउट ऑफ कोर्ट सेटेलमेंट
न्यूयार्क । बच्चों को अकेले कमरे में बुलाया जाता था। कंफेशन के नाम पर छुआ जाता था। भगवान से माफी के बहाने यौन शोषण होता था। धमकाया जाता था कि अगर बताया किसी को तो भगवान नाराज हो जाएंगे। यह सब एक महीना एक साल नहीं चला। दशकों से चल रहा है। लेकिन भगवान के डर के नाम पर लोग चुप रहे। लेकिन एक दिन ये चुप्पी टूटी और एक नहीं दो नहीं 100 नहीं बल्कि 1300 से ज्यादा पीड़ित सामने आए और सामने आई ऐसी-ऐसी कहानियां जिन्हें सुनने के बाद आप सहम जाएंगे। न्यूयॉर्क के इस चर्च में 1952 से 2020 तक सैकड़ों लोगों के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट हुआ। कई लड़कियां प्रेग्नेंट हो गई। जब यह बात सामने आई तोपुरानी फाइल्स खोली गई। केस चलने लगा लेकिन फिर 2019 और 2020 में अमेरिका में ऐसे कानून बने जिन्हें लुक बैक विंडोज़ का रास्ता खोला। यानी आप बरसों पहले हुए यौन शोषण के खिलाफ फाइनली अब कोर्ट जा सकते थे। अगले साल की शुरुआत में ही यानी 2026 में इस केस की सुनवाई शुरू होने वाली है। लेकिन उससे पहले ही चर्च एक रास्ता लेके आया है। वो इंसाफ को खरीदने की कोशिश कर रहा है। न्यूयॉर्क के इस चर्च ने कहा है कि हम इन पीड़ितों को मुआवजा देने को तैयार हैं। कोर्ट के बाहर सेटल कर लेते हैं। इसके लिए चर्च ने 300 मिलियन डॉलर की रकम जुटाने का ऐलान किया है। 300 मिलियन डॉलर का भुगतान अमेरिका के किसी आर्चडायोसीज़ द्वारा किए गए अब तक के सबसे बड़े भुगतानों में से एक होगा। एंडरसन ने कहा कि कुल भुगतान 2024 में लॉस एंजिल्स आर्चडायोसीज़ द्वारा समान संख्या में अभियोक्ताओं को दिए गए रिकॉर्ड 880 मिलियन डॉलर से अधिक हो सकता है। उस समझौते में लॉस एंजिल्स काउंटी सुपीरियर कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डैनियल बकले ने मध्यस्थता की थी, जो न्यूयॉर्क मामले में भी मध्यस्थता करेंगे। चर्च ने कहा कि पीड़ितों को मुआवज़ा देने का उसका प्रयास चब इंश्योरेंस कंपनीज़ के साथ चल रहे कानूनी विवादों के कारण “जटिल” हो गया है। चर्च का कहना है कि चब इंश्योरेंस कंपनीज़ ने उन बीमा पॉलिसियों के लिए यौन दुर्व्यवहार के दावों का भुगतान करने से इनकार कर दिया है जो चर्च ने 2000 से पहले दशकों तक ली थीं। चब ने बदले में आर्चडायोसीज़ पर दशकों तक बाल यौन शोषण को सहन करने और छिपाने का आरोप लगाया और अधिक पारदर्शिता की मांग करते हुए कहा कि आर्चडायोसीज़ ने “जो कुछ भी उन्हें पता था और कब” उसे साझा करने से इनकार कर दिया है।

अब विश्व धरोहर में बनी दीपावली

नयी दिल्ली। प्रकाश के उत्सव दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया गया है। यह निर्णय बुधवार को यूनेस्को की अहम बैठक में लिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस उपलब्धि पर सभी को बधाई देते हुए इस त्योहार को भारतीय सभ्यता की आत्मा बताया है। यूनेस्को का 20वां सत्र 8 दिसंबर से 13 दिसंबर तक दिल्ली के लाल किला में चल रहा है। इस बैठक के दौरान यूनेस्को की तरफ से दीपावली को यूनेस्को के त्योहारों की सूची में शामिल किए जाने की घोषणा की गई है। यूनेस्को की तरफ से एक्स पोस्ट साझा कर इसकी जानकारी दी गई है। दीपावली को यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पोस्ट साझा कर इस त्योहार को भारतीय सभ्यता की आत्मा बताया। उन्होंने लिखा, दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से गहराई से जुड़ी है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धार्मिकता का प्रतीक है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में दीपावली के शामिल होने से इस त्यौहार की वैश्विक लोकप्रियता और बढ़ेगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने एक्स पोस्ट में खुशी जताते हुए लिखा, यह दीपावली के अपार सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और लोगों को एकजुट करने में इसकी भूमिका की मान्यता है। वर्तमान में यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में भारत की 15 गतिविधियां जिनमें कुम्भ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रपाठ परंपरा और रामलीला शामिल हैं।

बिहार में बनेंगी 100 फास्ट ट्रैक अदालतें

पटना। बिहार में न्यायिक व्यवस्था को गति देने के लिए 100 फास्ट ट्रैक न्यायालयों का गठन किया जाएगा। राज्य के उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने रविवार को इसकी घोषणा की। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि इन अदालतों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य न्यायालयों में लंबित मामलों का त्वरित निष्पादन, न्यायालयों का बोझ कम करना और संवेदनशील मामलों पर तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करना है। वर्तमान में राज्य में 18 लाख से अधिक मामले लंबित हैं, जिन्हें देखते हुए यह कदम अत्यंत जरूरी है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि पटना में 08 फास्ट ट्रैक अदालतें प्रस्तावित हैं, जबकि गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर में 04–04 अदालतें स्थापित की जाएंगी। नालंदा (बिहारशरीफ), रोहतास (सासाराम), सारण (छपरा), बेगूसराय, वैशाली (हाजीपुर), पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), समस्तीपुर और मधुबनी में 03–03 फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएंगी। इसी तरह पश्चिम चंपारण (बेतिया), सहरसा, पूर्णिया, मुंगेर, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर (भभुआ), बक्सर, भोजपुर (आरा), सीतामढ़ी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय और खगड़िया में 02–02 फास्ट ट्रैक अदालतें संचालित होंगी। इसके अतिरिक्त नवगछिया और बगहा उप-मंडलीय न्यायालय में 01–01 फास्ट ट्रैक अदालत स्थापित करने का प्रस्ताव है।
सम्राट चौधरी ने बताया कि जिलापदाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से चिन्हित मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन किया जाएगा। राज्य के 38 जिलों और उप-मंडलों में कुल 100 फास्ट ट्रैक अदालत स्थापित किए जाने के लिए कर्मियों की नियुक्ति भी बड़े पैमाने पर की जाएगी। प्रत्येक अदालत के लिए 8 प्रकार के पदों, बेंच क्लर्क, कार्यालय लिपिक, स्टेनोग्राफर, डिपोज़िशन राइटर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, ड्राइवर, प्रोसेस सर्वर और चपरासी/ऑर्डर्ली के कुल 900 पदों पर नियुक्ति प्रस्तावित है।

असम के सीएम ने सिमू दास को सौंपा दस लाख का चेक

– मिला सरकारी नौकरी का आश्वासन
गुवाहाटी। भारत की ब्लाइंड क्रिकेट स्टार सिमू दास को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 10 लाख रुपये का चेक प्रदान किया। इसी के साथ उन्होंने विश्व कप विजेता खिलाड़ी को सरकारी नौकरी का वादा भी किया। सिमू, बी1 (पूरी तरह से ब्लाइंड) कैटेगरी की क्रिकेटर हैं, जिन्होंने ब्लाइंड महिला टी20 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई। सिमू जन्म से ही नेत्रहीन हैं। कच्चे मकान में सिमू का बचपन बेहद मुश्किल हालात में गुजरा। सिमू की तरह उनका भाई भी देखने में सक्षम नहीं है। ऐसे मुश्किल हालात में मां ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने बेटी को तमाम चुनौतियों से लड़ना सिखाया। पक्के इरादे के साथ सिमू ने न सिर्फ भारत की तरफ से खेलने का अपना सपना पूरा किया, बल्कि आज वह एक विश्व कप विजेता भी हैं।
क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया (सीएबीआई) और सपोर्टनम ट्रस्ट फॉर द डिसेबल्ड ने इस बड़े फैसले के लिए असम सरकार और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का शुक्रिया अदा किया है।
क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के अध्यक्ष डॉ. जीके महंतेश ने कहा, “यह न सिर्फ सिमू की प्रतिभा और लगन का इनाम है, बल्कि भारत में ब्लाइंड क्रिकेट के लिए एक टर्निंग प्वाइंट भी है। माननीय मुख्यमंत्री की सबको साथ लेकर चलने की प्रतिबद्धता पूरे देश को एक मजबूत संदेश देती है। हम इस बदलाव लाने वाले काम के लिए बहुत शुक्रगुजार हैं, जो अनगिनत दृष्टिबाधित लड़कियों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।”
सिमू दास ने कहा, “यह मेरी जिंदगी का सबसे भावुक दिन है। मैं एक ऐसे परिवार से हूं, जिसने हर चीज के लिए जद्दोजहद किया है। सरकारी नौकरी की घोषणा और माननीय मुख्यमंत्री से मिले इस सम्मान ने मुझे एक नई जिंदगी और एक नई पहचान दी है। मैं उनका दिल से शुक्रिया अदा करती हूं। मैं माननीय प्रधानमंत्री के प्रति भी अपना सम्मान जताती हूं, जिनके नेतृत्व में मुझ जैसे लाखों लोगों को अपने हालात से ऊपर उठने की उम्मीद मिली है। मैं क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया और समर्थनम ट्रस्ट को भी धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे खोजा और मुझे यहां तक पहुंचने के लिए ट्रेनिंग दी।”

बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के नए आईजी बने भूपेंद्र सिंह

कोलकाता। सीमा सुरक्षा बल के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर में नया नेतृत्व स्थापित हो गया है। भूपेंद्र सिंह ने दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के इंस्पेक्टर जनरल का कार्यभार संभाल लिया है। वे अनीश प्रसाद, आइपीएस, के उत्तराधिकारी बने हैं, जिन्हें एफएचक्यू बीएसएफ, नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया है। भूपेंद्र सिंह 1990 बैच के बीएसएफ कैडर के प्रत्यक्ष प्रवेश अधिकारी हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में की थी। 34 वर्षों से अधिक की विशिष्ट सेवा वाले भूपेंद्र सिंह एक अत्यंत सम्मानित और सज्जित अधिकारी हैं। अपने लंबे करियर के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मिशन, एनएसीपी ओखा, तथा एसपीजी में प्रतिनियुक्ति सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वे अमृतसर और गांधीनगर में दो बीएसएफ सेक्टरों की कमान संभालने का गौरव भी प्राप्त कर चुके हैं। आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और संवेदनशील अभियानों में उनके नेतृत्व और दक्षता को व्यापक रूप से सराहा गया है। कार्यभार ग्रहण करने के बाद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि दक्षिण बंगाल फ्रंटियर भारत–बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की सबसे संवेदनशील सीमाओं में से एक है। उन्होंने बताया कि उनकी प्राथमिकताएं सीमा सुरक्षा को और मजबूत करना, तस्करी तथा अन्य अवैध सीमापार गतिविधियों पर रोक लगाना और सीमा पर तैनात जवानों के कल्याण व मनोबल को बढ़ाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा सुरक्षा बलों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना तथा अन्य सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय को मजबूत करना क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई एसिड अटैक में धीमे ट्रायल पर चिंता

– सभी हाईकोर्ट से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने तेजाब के हमले से संबंधित मामलों के धीमे ट्रायल पर चिंता जताई है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों को संबंधित मामलों की स्टेटस रिपोर्ट चार हफ्तों में दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव दिया कि इससे जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट गठित किए जाएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस संबंध में कानून में संशोधन करने पर विचार करें, ताकि तेजाब से पीड़ित लोगों को राइट आफ पर्संस विद डिसेबिलिटी एक्ट के तहत दिव्यांग की परिभाषा में शामिल किया जा सके। यह याचिका एसिड हमले से पीड़ित शाहीन मलिक ने दायर की है। एसिड अटैक के मामले में उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका पहले से लंबित है, जिसे मुंबई के एनजीओ एसिड सर्वाइवर्स साहस फाउंडेशन ने दायर किया है। याचिका में 2023 के लक्ष्मी बनाम भारत संघ के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि एसिड अटैक पीड़ित को सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि संबंधित राज्य सरकार की ओर से देखभाल और पुनर्वास लागत के रुप में न्यूनतम 3 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को एक चार्ट बनाने का भी निर्देश दिया, जिसमें पीड़ितों या उनके परिवार के सदस्यों से मुआवजा मांगने का समय और इसे प्राप्त करने का दिन शामिल करने को कहा गया है। पीड़ितों को मुआवजा मिलने में देरी पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से संपर्क करने को कहा है। याचिका में मांग की गई है कि एसिड अटैक के पीड़ितों को दिव्यांग की तरह का दर्जा दिया जाए, ताकि उसे दूसरी सुविधाएं मिल सकें।

7.4 फीसदी हुआ भारत की जीडीपी वृ‍द्धि दर का अनुमान

नयी दिल्‍ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने चालू वित्‍त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अनुमान को 6.9 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 फीसदी कर दिया है। एजेंसी ने इसके पीछे उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी और जीएसटी सुधारों से बेहतर आर्थिक माहौल को प्रमुख कारण बताया है। फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को दिसंबर के लिए जारी अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है। इससे पहले रेटिंग एजेंसी ने 6.9 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर रहने का अनुमान जताया था। एजेंसी का कहना है कि उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी, व्यावसायिक माहौल में सुधार और वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों से बढ़ी अर्थव्यवस्था की रफ्तार इस तेज वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। फिच ने जारी बयान में दिसंबर के लिए अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा, “चालू वित्त वर्ष 2025-26 (मार्च के आखिर तक) के बचे हुए समय में ग्रोथ कम होगी, लेकिन हमने अपने पूरे साल के ग्रोथ के अनुमान को सितंबर के 6.9 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 फीसदी कर दिया है।” रेटिंग एजेंसी का यह अनुमान सरकारी डेटा के बाद आया है, जिसमें दिखाया गया है कि चालू वित्‍त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ छह तिमाहियों के सबसे ऊंचे लेवल 8.2 फीसदी पर पहुंच गई। फिच ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ और बढ़कर 8.2 फीसदी हो गई, जो अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 फीसदी थी।

हाईकोर्ट ने रद्द किया उच्च प्राथमिक नियुक्ति में सुपर न्यूमेरेरी पद

कोलकाता। प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति मामले में मिली राहत के सिर्फ एक दिन बाद ही बंगाल की ममता सरकार को बड़ा झटका लगा है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उच्च प्राथमिक नियुक्ति में बनाए गए सुपर न्यूमेरेरी यानी अतिरिक्त शून्य पदों को पूरी तरह रद्द कर दिया है। गुरुवार को न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु की एकल पीठ ने यह आदेश सुनाया। अदालत ने कहा कि नियमित नियुक्ति प्रक्रिया की तरह सुपर न्यूमेरेरी पद नहीं बनाए जा सकते। ऐसे पद केवल विशेष परिस्थिति में ही बनाए जाते हैं। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि राजनीतिक नैतिकता के सामने संवैधानिक नैतिकता कभी कमज़ोर नहीं होती। राज्य सरकार ने उच्च प्राथमिक स्तर पर कार्य शिक्षा और शारीरिक शिक्षा विषयों में प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति करने के लिए कुल 1600 अतिरिक्त पद बनाने का निर्णय लिया था। इनमें 750 पद कार्य शिक्षा और 850 पद शारीरिक शिक्षा के लिए रखे गए थे। इस संबंध में मई 2022 और 14 अक्टूबर, 2022 को दो सरकारी विज्ञप्तियां जारी की गई थीं। गुरुवार को अदालत ने दोनों ही विज्ञप्तियों को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि पैनल की वैधता समाप्त होने के बाद अतिरिक्त पद बनाना नियमों के खिलाफ है और समाप्त हो चुकी प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति देना बिल्कुल संभव नहीं है। उच्च प्राथमिक नियुक्ति से जुड़े अन्य मुद्दों पर सुनवाई अब जनवरी में होगी। राज्य के लिए यह फैसला इसलिए बड़ा झटका है क्योंकि सिर्फ 24 घंटे पहले ही हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को बरकरार रखते हुए सरकार को राहत दी थी।

रेलवे खिड़की से मिलने वाले तत्काल टिकटों के लिए लागू करेगा ओटीपी प्रणाली

नयी दिल्ली। भारतीय रेल ने यात्रियों की सुविधा और पारदर्शिता को और मजबूत करने के उद्देश्य से खिड़की से मिलने वाले तत्काल टिकटों के लिए ओटीपी आधारित टिकटिंग प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। यह नई व्यवस्था अगले कुछ दिनों में देशभर के सभी आरक्षण काउंटरों पर लागू कर दी जाएगी। रेल मंत्रालय के अनुसार यह कदम तत्काल सुविधा के दुरुपयोग पर प्रभावी रूप से रोक लगाने और वास्तविक यात्रियों को अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए उठाया जा रहा है। रेलवे ने जुलाई 2025 में ऑनलाइन तात्काल टिकटों के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण शुरू किया था। इसके बाद अक्टूबर 2025 में सामान्य आरक्षण के प्रथम दिन ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर ओटीपी आधारित प्रणाली लागू की गई। इन दोनों पहल को यात्रियों ने व्यापक रूप से स्वीकार किया, जिससे टिकटिंग प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनी। इसी क्रम में, 17 नवम्बर 2025 को रेलवे ने आरक्षण काउंटरों पर तात्काल टिकटों के लिए ओटीपी आधारित प्रणाली का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। वर्तमान में यह सुविधा 52 ट्रेनों तक विस्तारित की जा चुकी है। इस व्यवस्था के तहत, तात्काल टिकट बुक कराते समय यात्री के द्वारा फॉर्म में दिए गए मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाता है। ओटीपी सत्यापन के बाद ही टिकट जारी किया जाता है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों में इस ओटीपी आधारित तात्काल आरक्षण प्रणाली को सभी शेष ट्रेनों में लागू कर दिया जाएगा। इससे टिकटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

हाईकोर्ट ने बहाल की रद्द की गयी 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द होने के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने बुधवार को जस्टिस (सेवानिवृत्त) अभिजीत गांगुली के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त 32 हजार शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी गई थी।
जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस ऋतब्रत कुमार मित्रा की डिवीजन बेंच ने दोपहर में फैसला सुनाते हुए कहा कि नौ साल सेवा देने के बाद यदि इन शिक्षकों को हटाया जाता है तो इसका गंभीर प्रभाव उनके परिवारों पर पड़ेगा। साल 2014 में आयोजित टीईटी के आधार पर कुल 42,500 प्राथमिक शिक्षक नियुक्त किए गए थे। साल 2023 में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने इनमें से 32 हजार नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। आरोप था कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। साथ ही, उन्होंने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था।
इसके खिलाफ राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील की, जहां जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतीम भट्टाचार्य की बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और सरकार को छह माह का समय दिया। बाद में मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा, जहां से इसे अंतिम सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय भेजा गया। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले आया यह फैसला तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है, क्योंकि शिक्षा विभाग से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप लंबे समय से पार्टी को घेरे हुए थे। वहीं, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जस्टिस गांगुली ने “सही काम किया था।” उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के शासन में किसी भी सरकारी नौकरी की परीक्षा पारदर्शी तरीके से नहीं हुई। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कुछ छिटपुट गलतियों और अपराधों को पूरी शिक्षा व्यवस्था की विफलता की तरह पेश किया जा रहा है। राज्य सरकार पारदर्शी तरीके से भर्ती कर रही है। जहां गलतियां हुई हैं, उन्हें सुधारा जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि योग्य उम्मीदवारों को जल्द से जल्द नौकरी मिले। उन्होंने विपक्ष पर राजनीतिक लाभ के लिए मामले को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें भाजपा, सीपीएम और कांग्रेस के एक वर्ग की मिलीभगत है। उल्लेखनीय है कि, इस वर्ष मार्च में उच्चतम न्यायालय ने राज्य के कक्षा 9 से 12 तक के 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। इसके बाद से शिक्षा विभाग से जुड़ी नियुक्तियों पर कानूनी और राजनीतिक विवाद लगातार बढ़ता गया।
उच्च न्यायालय के ताजा आदेश से फिलहाल प्राथमिक स्तर की भर्ती विवाद में बड़ी राहत मिली है।