-राज्य पर केंद्र की चेतावनी नजरअंदाज करने का आरोप
कोलकाता । पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप है कि उसने दार्जिलिंग की पहाड़ियों में वर्ष 2011 से लगातार घटते वन क्षेत्र को लेकर केंद्र सरकार की चेतावनियों को अनदेखा किया। इस बीच, हाल ही में हुई भारी वर्षा और भूस्खलन के बाद इस क्षेत्र में पारिस्थितिक असंतुलन को लेकर राज्य सरकार पर सवाल और गहरे हो गए हैं। विपक्षी दलों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा है कि अनियंत्रित निर्माण और रियल एस्टेट गतिविधियों के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई ने दार्जिलिंग की संवेदनशील पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। वन सर्वेक्षण विभाग की वर्ष 2023 की नवीनतम रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि दार्जिलिंग जिले में वन क्षेत्र में तेजी से कमी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011 में जहां जिले का कुल वन क्षेत्र लगभग दो हजार दो सौ उन्नासी वर्ग किलोमीटर था, वहीं वर्ष 2023 में यह घटकर लगभग एक हजार चार सौ दो वर्ग किलोमीटर रह गया। इस अवधि में वन क्षेत्र में लगभग 31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वन क्षेत्र में यह कमी सभी श्रेणियों—अत्यंत घना वन, मध्यम घना वन और खुला वन—में दर्ज की गई है। अत्यंत घने वन क्षेत्र में सबसे अधिक गिरावट आई है, जो वर्ष 2011 की तुलना में लगभग आधा रह गया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि यह गिरावट केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और अंधाधुंध विकास नीति का परिणाम है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि राज्य सरकार ने वन संरक्षण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में दार्जिलिंग की पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति हो सकती है। उनका कहना है कि पहाड़ी इलाकों में निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण और वनों की पुनर्स्थापना अब तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए।
दार्जिलिंग की पहाड़ियों में घट रहा वन क्षेत्र
ब्रिगेड परेड ग्राउंड में पांच लाख लोग एक साथ करेंगे गीता का पाठ
कोलकाता। गीता पाठ को लेकर एक बार फिर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के तहत कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आगामी 7 दिसंबर काे इस बार पांच लाख लोगाें के साथ सामूहिक गीता पाठ का आयोजन करने की तैयारी है। इस संबंध में शनिवार को भारत सेवाश्रम संघ के श्रीनिधि सभा गृह में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में इस कार्यक्रम की जानकारी सनातन संस्कृति संसद की ओर से दी गई। पत्रकार सम्मेलन में स्वामी ज्ञानानंद महाराज, प्रदीप्तानंद महाराज और निर्गुणानंद ब्रह्मचारी उपस्थित थे। बताया गया कि यह आयोजन 7 दिसंबर को होगा और इसके लिए प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। आयोजकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के सभी मुख्यमंत्रियों, और विशेष रूप से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आमंत्रित करने की घोषणा की है। ज्ञानानंद महाराज ने कहा, “भगवद गीता किसी एक धर्म या जाति के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक है। यह शांति और सद्भावना का संदेश देती है। मानसिक क्लेश और जीवन के संघर्षों से निपटने के लिए गीता का अध्ययन आवश्यक है। इसीलिए इतनी भारी जनसमूह के बीच गीता का सामूहिक पाठ होगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आयोजन किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और सामाजिक सद्भावना को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है। कहा कि पांच लाख कंठों से गीता पाठ किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं, बल्कि बंगाल की गौरवपूर्ण परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए है। स्वामी जी ने बताया कि इस बार गीता पाठ के लिए समान ड्रेस कोड रखा गया है ताकि एकरूपता रहे। महिलाओं के लिए लाल किनारी वाली साड़ी और हाथ में शंख, जबकि पुरुषों के लिए धोती-पंजाबी। किसी तरह की पंजीकरण प्रक्रिया नहीं होगी और हर व्यक्ति इस आयोजन में शामिल हो सकेगा। कार्तिक महाराज ने कहा कि गीता विश्वकल्याण का मार्ग है। आज के युवा समाज में जो नैतिक और चारित्रिक पतन देखा जा रहा है, उसका समाधान गीता में ही निहित है। सभी के उद्धार का मार्ग गीता दिखाती है। उन्होंने बताया कि गीता पाठ की परंपरा नवद्वीप धाम से शुरू हुई थी और अब यह बंगाल के हर जिले तक पहुंच चुकी है। गीता की लोकप्रियता इतनी बढ़ी है कि पिछले 100 वर्षों में इतनी अधिक प्रतियां नहीं बिकीं जितनी हाल के महीनों में बिकी हैं। स्वामी निर्गुणा नंद ने कहा कि यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव होगा, बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाई देने का प्रतीक भी बनेगा। उल्लेखनीय है कि, 24 दिसंबर, 2023 को इसी तरह का आयोजन ब्रिगेड परेड मैदान में हुआ था, जिसमें एक लाख लोगों ने सामूहिक तौर पर गीता पाठ किया था। हालांकि उस समय कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी उपस्थित नहीं हो पाए थे।
बंगाल में ई-रिक्शा टोटो का पंजीकरण हुआ अनिवार्य
– मालिकों के लिए 30 नवंबर तक की समयसीमा तय
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में ई-रिक्शा, जिन्हें आमतौर पर ‘टोटो’ कहा जाता है, के संचालन को नियमित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। परिवहन विभाग ने सभी ई-रिक्शाओं का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए वाहन मालिकों को 30 नवंबर तक अनिवार्य रूप से प्रक्रिया पूरी करनी होगी। परिवहन विभाग की ओर से शनिवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि सभी ई-रिक्शाओं को ‘डिजिटल अस्थायी टोटो एनरोलमेंट नंबर’ (टीटीईएन) लेना होगा। यह प्रक्रिया कल सोमवार 13 अक्टूबर से शुरू होगी। विभाग के अनुसार, एक नया ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से सभी पंजीकृत ई-रिक्शाओं को क्यूआर कोड से ट्रैक किया जाएगा। इससे अवैध टोटो संचालन पर रोक लगेगी और वाहनों की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सकेगी। परिवहन सचिव सौमित्र मोहन ने कहा कि राज्य सरकार बिना पंजीकरण वाले और असुरक्षित ई-रिक्शाओं पर सख्त कार्रवाई कर रही है। उन्होंने बताया कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि स्थानीय गैराजों में तैयार किए गए गैर-पंजीकृत बैटरी चालित रिक्शाओं की पहचान कर उन्हें जब्त किया जाए। उन्होंने कहा कि कई ई-रिक्शा केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के मानकों का पालन नहीं करते। ऐसे वाहनों को बनाने या जोड़ने वाले यूनिटों को नोटिस जारी कर सील किया जाएगा। केवल वही यूनिट संचालन कर सकेंगे जिनके पास निर्धारित सुरक्षा मानकों के अनुरूप लाइसेंस होगा। परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया कि जो ई-रिक्शा निर्धारित प्रोटोटाइप के अनुरूप नहीं बनाए गए हैं, उन्हें राज्य या राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। स्थानीय प्रशासन को अपने क्षेत्र में चलने वाले सभी ई-रिक्शाओं की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें मालिकों के नाम और निर्धारित रूट का विवरण शामिल होगा। वहीं, जिन ई-रिक्शाओं को मान्यता नहीं मिली है, उनके मालिकों को दो वर्ष का समय दिया जाएगा ताकि वे अपने वाहन बदल सकें। विभाग ने यह भी कहा कि स्थानीय स्तर पर निर्मित या डीलर्स एसोसिएशन अथवा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की मंजूरी प्राप्त ई-रिक्शा भी तब तक नहीं चल सकेंगे, जब तक उन्हें मोटर वाहन प्राधिकरण की स्वीकृति और एचएसआरपी फिटमेंट नहीं मिल जाता। बिना पंजीकरण वाले ई-रिक्शा मालिकों को छह महीने के अस्थायी प्राधिकरण नंबर के लिए हजार रुपये का शुल्क देना होगा, जबकि आगे के नवीनीकरण के लिए 100 का शुल्क तय किया गया है।
ईआरओ व बीएलओ चयन में नियमों से कोई समझौता नहीं : चुनाव आयोग
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया 15 अक्टूबर के बाद शुरू होने की संभावना है। इसी बीच भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में निर्वाचन अधिकारियों, विशेषकर बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) के चयन में तय मानकों से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को एक नया पत्र भेजकर इन पदों के चयन से जुड़ी विस्तृत दिशानिर्देशों को दोहराया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के सूत्रों ने शनिवार को इसकी पुष्टि की है।
निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, बीएलओ के चयन में प्राथमिकता स्थायी राज्य सरकारी कर्मचारियों को दी जानी चाहिए, जिनमें सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं। केवल उन्हीं परिस्थितियों में संविदा (ठेका) कर्मचारियों को बीएलओ नियुक्त करने की अनुमति दी जा सकती है, जब किसी जिले या क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में स्थायी कर्मचारी उपलब्ध न हों। हालांकि, इस विकल्प को अपनाने से पहले संबंधित जिले के जिलाधिकारी —जो जिला निर्वाचन अधिकारी भी होते हैं —को यह स्पष्ट कारण बताना होगा कि संविदा कर्मचारी की नियुक्ति क्यों आवश्यक है और इस पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा। इसी तरह, ईआरओ का चयन केवल पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (कार्यकारी) के अधिकारियों में से किया जा सकेगा। ये अधिकारी कम से कम उपमंडलाधिकारी (एसडीएम), उपमंडल अधिकारी या ग्रामीण विकास अधिकारी के पद से नीचे के नहीं होने चाहिए। वहीं, पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई ने लंबे समय से बीएलओ के चयन में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। शुक्रवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने निर्वाचन आयोग का ध्यान ईआरओ चयन में कथित गड़बड़ियों की ओर दिलाया। अधिकारी ने कहा कि कई मामलों में वरिष्ठता के सिद्धांतों की अनदेखी की गई है। उन्होंने 226 ऐसे ईआरओ की सूची भी सौंपी है, जिनकी नियुक्ति उनके अनुसार आयोग के तय दिशा-निर्देशों के विपरीत की गई। अधिकारी ने आरोप लगाया कि इस तरह की अनियमितताओं ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
वर्षों बाद दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में फूटेंगे पटाखे
आईआईएसईआर कोलकाता ने कैंसर से लड़ने के लिए विकसित किया ‘फ्रेंडली बैक्टीरिया’
कोलकाता। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) कोलकाता की एक टीम ने कैंसर के इलाज में एक नई और प्रभावशाली पहल करते हुए इंजीनियर्ड प्रोबायोटिक्स तैयार किए हैं। इस परियोजना का नाम रिसेट (रिसेट – ट्यूमर माइक्रो एनवायरनमेंट की दमनकारी परिस्थितियों को पुनःसृजित करना) रखा गया है। इसका उद्देश्य केवल ट्यूमर का पता लगाना ही नहीं, बल्कि उसकी गतिविधियों को बाधित कर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को पुनः सक्रिय करना भी है। विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर अक्सर टी रेगुलेटरी कोशिकाओं (टीरेग्स) के पीछे छिपकर शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को दबा देता है, जिससे रासायनिक और प्रतिरक्षा आधारित उपचार कम प्रभावी साबित होते हैं। आईआईएसईआर कोलकाता की टीम ने ऐसे ‘फ्रेंडली बैक्टीरिया’ तैयार किए हैं, जो ट्यूमर की मौजूदगी का पता लगा सकते हैं और टीरेग्स की गतिविधियों को बाधित कर सकते हैं। इन बैक्टीरिया को जीवित दवाओं के रूप में तैयार किया गया है जो सीधे शरीर के अंदर कैंसर से लड़ते हैं। टीम ने उपचार की प्रभावशीलता पर नजर रखने के लिए एक निगरानी प्रणाली भी विकसित की है, जिससे उपचार और निगरानी एक साथ संभव हो सके। यह कदम कैंसर उपचार में सटीक और प्रभावी इलाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। टीम ने प्रयोगशाला की सीमाओं से परे जाकर ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जन, कैंसर सर्वाइवर, स्वयंसेवी संगठन और मरीज सहायता समूहों के साथ सक्रिय संवाद किया। उन्होंने स्कूलों में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम, शिक्षा अभियान जैसे सामाजिक अभियान भी चलाए। इन प्रयासों से यह सुनिश्चित किया गया कि तैयार की गई थेरेपी वैज्ञानिक रूप से मजबूत, नैतिक रूप से जिम्मेदार और सामाजिक रूप से प्रासंगिक हो। टीम के एक सदस्य ने बताया “हमारा काम यह दर्शाता है कि लक्षित माइक्रोबियल थेरेपी कैंसर उपचार की पूरी नई दिशा खोल सकती है। टीरेग्स मार्ग को लक्षित करके हम उपचार को सुरक्षित, प्रभावी और सभी के लिए उपलब्ध बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।” आईआईएसईआर कोलकाता की 11 सदस्यीय अंडरग्रेजुएट टीम इस परियोजना को आईजेम ग्रैंड जैम्बोरी-2025 में प्रस्तुत करेगी, जो विश्व की सबसे बड़ी सिंथेटिक जीवविज्ञान प्रतियोगिता है और इस अक्टूबर पेरिस में आयोजित होगी। टीम इस मंच पर अपने संस्थान और भारत का प्रतिनिधित्व करेगी
बंगाल में सात दिन में पूरी करें एसआईआर की तैयारी : चुनाव आयोग
कोलकाता । चुनाव आयोग की टीम चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए मंगलवार रात कोलकाता पहुँची। इस टीम में उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती, आयोग की आईटी विंग की महानिदेशक सीमा खन्ना, आयोग के सचिव एसबी जोशी और उप सचिव अभिनव अग्रवाल शामिल हैं। बुधवार सुबह ज्ञानेश ने सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और जिलाधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक की। आयोग ने पहले संकेत दिया था कि राज्य में एसआईआर कुछ ही दिनों में शुरू हो सकता है। बुधवार की बैठक में यह स्पष्ट कर दिया गया। उत्तर बंगाल में हालिया स्थिति के कारण, अधिकांश उत्तरी जिलों के डीईओ बुधवार की बैठक में उपस्थित नहीं थे। बाकी जिलों के साथ बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार, बैठक में ज़िलेवार इस बात पर चर्चा की गई कि अब तक प्रत्येक ज़िले ने इस संबंध में कितनी तैयारी की है। इतना ही नहीं, प्रत्येक ज़िले को अगले एक सप्ताह के भीतर अधिकांश तैयारी कार्य पूरा करने की समय सीमा दी गई है। यानी, एसआईआर की सभी तैयारियाँ अगली 15 तारीख तक पूरी कर लेनी होंगी। ज्ञानेश ने निर्देश दिए कि अधिसूचना जारी होने के बाद किसी भी प्रकार की देरी या टालमटोल नहीं होनी चाहिए। एसआईआर अधिसूचना प्रकाशित होने के चार से पाँच दिनों के भीतर ज़िलेवार गणना प्रपत्रों की छपाई का कम से कम 30 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया जाना चाहिए। प्रत्येक ज़िले में प्रपत्र अलग से छापे जाएँगे। ज्ञानेश ने ज़िलाधिकारियों से यह भी जानकारी देने को कहा कि क्या उनके ज़िलों में मुद्रण के लिए बुनियादी ढाँचा उपलब्ध है। गौरतलब है कि बिहार में प्रपत्र एक ही स्थान से मुद्रित करके प्रत्येक ज़िले में भेजे गए थे। हालाँकि, बंगाल में निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक ज़िले में गणना प्रपत्र अलग से छापे जाएँगे। प्रत्येक मतदाता प्रपत्र की सॉफ्ट कॉपी दिल्ली से ईआरओ को अलग से भेजी जाएगी। पोर्टल पर अपलोड करने के बाद उन्हें मुद्रित किया जाएगा। मुद्रण के बाद, प्रपत्र बूथ स्तरीय अधिकारियों या बीएलओ को दिया जाएगा। अंत में, बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म बाँटेंगे। राज्य में वर्तमान में लगभग 7.65 करोड़ मतदाता हैं। दोगुने फॉर्म छापे जाएँगे। प्रत्येक मतदाता के लिए दो आवेदन पत्र छापे जाएँगे। एक मतदाता के पास रहेगा। दूसरा बीएलओ स्वयं लाएँगे। इसके अलावा, बिहार का हवाला देते हुए, अधिकारियों को बार-बार बताया गया है कि पूरी प्रक्रिया जानने के बावजूद, बिहार में जिन भी अधिकारियों पर अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया था, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की गई है। अगर बंगाल में भी किसी अधिकारी पर ऐसे आरोप लगे तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, तबाह हुए उत्तर बंगाल के हालात को देखते हुए, वहाँ के ज़िला मजिस्ट्रेट और अन्य चुनाव अधिकारियों को बुधवार की बैठक से छूट दी गई है। क्योंकि लगभग सभी राहत और पुनर्वास कार्यों में व्यस्त हैं। आयोग इस महीने के अंत में उत्तर बंगाल के लिए एक अलग बैठक बुला सकता है।
एसिड हमले और दहेज उत्पीड़न के मामले में बंगाल आगे : एनसीआरबी
नयी दिल्ली । नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 की रिपोर्ट हाल ही में सोमवार (29 सितंबर 2025) को जारी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हल्की कमी आई है। हालाँकि, तेजाब हमलों के मामलों में पश्चिम बंगाल लगातार सबसे आगे बना हुआ है, जो चिंता की बात है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, तेजाब हमलों के मामलों में पश्चिम बंगाल लगातार सबसे आगे बना हुआ है। साल 2023 में पूरे देश में तेजाब हमले के 207 मामले दर्ज हुए। इनमें से 57 मामले अकेले पश्चिम बंगाल के थे। इसका मतलब है कि देश के चौथाई से ज्यादा मामले सिर्फ बंगाल में हुए। इन 57 हमलों में 60 महिलाएँ पीड़ित थीं। तेजाब हमलों में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा, जहाँ 31 मामले दर्ज हुए। 2018 से ही बंगाल में यह स्थिति बनी हुई है। अभी एक माह पहले की बात है जब टीएमसी नेता अब्दुर रहीम बख्शी ने भाजपा विधायक को आँख फोड़ने और तेजाब से जलाने की धमकी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब हमलों को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए हैं, जिसे लक्ष्मी बनाम भारत सरकार केस के तहत जारी किया गया था। इन नियमों में बिना लाइसेंस के तेजाब बेचना मना है। अगर बेचा जाता है, तो खरीदार का नाम, पता और बेची गई मात्रा का रिकॉर्ड रखना जरूरी है। इसके बावजूद, खासकर पश्चिम बंगाल में तेजाब की बिक्री पर ठीक से निगरानी नहीं हो रही है। हाल ही में कोलकाता की एक दुर्गा पूजा में भी तेजाब हमले की पीड़िताओं की पीड़ा को दर्शाया गया था। पीड़ितों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर सख्त कार्रवाई की माँग की है। पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ कुल अपराधों में मामूली गिरावट आई है। 2023 में 34,691 मामले दर्ज हुए, जो 2022 के 34,738 मामलों से थोड़े कम हैं। राज्य में अपराध दर (हर एक लाख महिलाओं पर) 71.3% रही।
वहीं, दहेज उत्पीड़न (धारा 498 ए – पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) के मामले दर्ज होने में भी बंगाल का नाम राज्यों की लिस्ट में ऊपर है। इस धारा के तहत बंगाल में 19,698 मामले दर्ज हुए। यह संख्या उत्तर प्रदेश (19,889 मामलों) के बाद देश में दूसरी सबसे ज्यादा है। हालाँकि, दहेज उत्पीड़न की पीड़ितों की संख्या (20,462) में पश्चिम बंगाल पूरे देश में पहले स्थान पर है।
बिहार में बजा चुनावी बिगुल, 6 और 11 नवंबर को मतदान
– 14 नवंबर को आएंगे नतीजे
पटना । बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे। प्रथम और द्वितीय चरण का मतदान क्रमशः 6 और 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी। यह जानकारी मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को दी। ज्ञानेश कुमार ने यहां के विज्ञान भवन में सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर मतदान होगा। बिहार विधानसभा चुनाव पूरी पारदर्शिता और शांति के साथ कराए जाएंगे। राज्य में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 3.92 करोड़ पुरुष, 3.50 करोड़ महिला और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। इसके अलावा 7.2 लाख दिव्यांग मतदाता, 4.04 लाख 85 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता, 14 हजार 100 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता और 1.63 लाख सेवा मतदाता हैं। राज्य में 18 से 19 वर्ष की आयु के 14.01 लाख और 20 से 29 वर्ष की आयु के 1.63 करोड़ मतदाता हैं। इस चुनाव में करीब 14 लाख मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। नए मतदाताओं को 15 दिनों के भीतर वोटर कार्ड प्रदान किए जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य में कुल 90,712 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से 76,801 ग्रामीण क्षेत्रों और 13,911 शहरी क्षेत्रों में हैं। प्रत्येक मतदान केंद्र पर औसतन 818 मतदाता होंगे। इसके अलावा 292 दिव्यांग, 38 युवा और 1,044 महिला संचालित मतदान केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही, 1,350 आदर्श मतदान केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे। सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की सुविधा उपलब्ध होगी ताकि निगरानी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि बिहार ने मतदाता सूची को शुद्ध करने के मामले में पूरे देश के लिए एक मिसाल पेश की है। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत मतदाता सूचियों को अद्यतन किया गया है। मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों को दावे और आपत्तियाँ दर्ज कराने का अवसर दिया गया था। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई। नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक वोटर लिस्ट में नाम जोड़ा जा सकता है, लेकिन अंतिम सूची जारी होने के बाद कोई नया नाम नहीं जोड़ा जाएगा। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, जिनमें 38 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) और दो सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग की इस पत्रकार वार्ता में चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी भी मौजूद थे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने विश्वास जताया कि आयोग की पूरी टीम और राज्य प्रशासन मिलकर बिहार में निष्पक्ष, सुरक्षित और पारदर्शी चुनाव संपन्न कराएंगे।
बंगाल की जेलों में हैं सबसे ज्यादा विदेशी कैदी, बांग्लादेशी सबसे ज्यादा
-एनसीआरबी की रिपोर्ट में खुलासा
-जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
कोलकाता । देश भर के कई जेलों में अनगिनत कैदी बंद हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा विदेशी कैदी किस राज्य में हैं? राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
एनसीआरबी ने भारतीय जेल सांख्यिकी 2023 की रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार, सबसे ज्यादा विदेशी कैदी पश्चिम बंगाल की जेल में बंद हैं। भारत में कुल 6,956 विदेशी कैदी हैं, जिनमें से 2,508 विदेशी कैदी (लगभग 36 प्रतिशत) पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में कैद हैं। पश्चिम बंगाल की जेल में बंद कुल विदेशी कैदियों में ज्यादातर कैदी बांग्लादेशी हैं, जो अवैध रूप से भारत में घुस आए थे। अब उनके खिलाफ भारत में मुकदमा चल रहा है। पश्चिम बंगाल की जेल में 25,774 कैदी बंद हैं, जिनमें 9 प्रतिशत विदेशी नागरिक हैं। इनमें 778 बांग्लादेशी कैदियों के खिलाफ अपराध साबित हो चुके हैं और 1,440 के खिलाफ मामला विचाराधीन है। पश्चिम बंगाल की जेल में बंद विदेशी नागरिकों में दूसरे नंबर पर म्यांमार से आए लोग हैं। भारत और बांग्लादेश की सीमा दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो लगभग 5000 किलोमीटर लंबी है। इसका ज्यादातर हिस्सा पश्चिम बंगाल से लगता है। यही वजह है कि कई बांग्लादेशी अवैध तरीके से पश्चिम बंगाल में घुस आते हैं। इन विदेशी कैदियों में कई महिलाएं भी मौजूद हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की जेलों में क्षमता से कहीं अधिक कैदी मौजूद हैं। 2023 में कैदियों की संख्या 120 प्रतिशत आंकी गई है। राज्य की 60 जेलों की क्षमता 21,476 कादियों की है, लेकिन इनमें 25,774 कैदी बंद हैं। वहीं, राज्य की एकमात्र महिला जेल में 110 प्रतिशत से अधिक कैदी मौजूद हैं। इस जेल में कुल 796 महिला कैदी हैं, जिनमें 204 विदेशी और 12 ट्रांसजेंडर महिलाएं भी शामिल हैं।