शुभजिता स्वदेशी : बाघ बकरी को पराग देसाई ने ऐसे बनाया 2000 करोड़ का ब्रांड, महात्मा गांधी से है सम्बन्ध

‘वाघ बकरी चाय’, इस ब्रांड का सम्बन्ध महात्मा गांधी से लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तक से है । करीब 130 साल पुरानी इस कंपनी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पराग देसाई का 49 साल की आयु में निधन हो गया, जो इस पारिवारिक व्यवसाय की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे बताया जाता है कि अहमदाबाद में मॉर्निंग वॉक के समय उन पर आवारा कुत्तों ने हमला किया, जिनसे बचने के दौरान वह फिसलकर गिर गए. बाद में करीब हफ्तेभर एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चला, लेकिन मस्तिष्क आघात की वजह से अंतत: उनका देहांत हो गया. लेकिन क्या आप जानते हैं पराग देसाई के कंपनी संभालने के बाद ‘वाघ बकरी’ 100 करोड़ रुपए से 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया । चलिए बताते हैं आपको ये पूरी कहानी…
‘वाघ बकरी’ की शुरुआत 1892 में हुई. तब नारणदास देसाई नाम के एक उद्योगपति ने भारत की सीमाओं को लांघकर दक्षिण अफ्रीका का सफर तय किया । वहां जाकर उन्होंने 500 एकड़ में फैले चाय बागान खरीदे । चाय की टेस्टिंग से लेकर उसके चुनाव में कई अनूठे प्रयोग किए और करीब 20 साल का वक्त वहां बिताया । इसी दौरान वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए । उनके स्वदेशी आंदोलन ने उन्हें काफी प्रभावित किया । इसके बाद वह भारत लौटे और वाघ बकरी चाय की शुरुआत की । आज ‘वाघ बकरी टी ग्रुप’ भारत की टॉप-5 पैकेज्ड टी कंपनियों में से एक है । अब इसी ‘वाघ बकरी’ का एक लिंक महात्मा गांधी को दिल से मानने वाले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से जुड़ते हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गणतंत्र दिवस के समारोह में बराक ओबामा को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था । उसी दिन ‘वाघ बकरी’ ने अपना नया विज्ञापन ‘रिश्तों में गर्माहट लाए’ लॉन्च किया था । बताया जाता है कि इस कदम के पीछे पराग देसाई की ही सोच थी । वह भारत-अमेरिका के रिश्तों में पनप रही नई गर्माहट के इस मौके को भुनाना चाहते थे ।
100 करोड़ से 2000 करोड़ रुपये के ब्रांड तक
पराग देसाई साल 1995 में वाघ बकरी टी ग्रुप से जुड़े । उस समय ये महज 100 करोड़ रुपये की वैल्यू वाला ब्रांड था । इसके बाद उन्होंने कई अनूठे प्रयोग किए । ‘वाघ बकरी’ चाय ब्रांड को कई नई कैटेगरी में लॉन्च किया । चाय मार्केट के प्रीमियम सेगमेंट में उतरे और टी बैग, ग्रीन टी जैसे प्रोडक्ट पेश किए. उन्होंने गुजरात से बाहर निकल देश के अन्य राज्यों में वाघ बकरी ब्रांड को पहुंचाया और इसे एक राष्ट्रीय ब्रांड बनाया । इसके बाद जब देश में कॉफी कैफे की जगह ‘टी कैफे’ का चलन बढ़ना शुरू हुआ, तब उन्होंने वाघ बकरी नाम से ‘प्रीमियम टी लाउंज’ शुरू कीं । इसका फायदा मिला और आज देश के कई मेट्रो शहरों में ये काम कर रहे हैं । इस तरह 100 करोड़ का ब्रांड आज 2000 करोड़ का हो चुका है ।
बिक जाती है 5 करोड़ किलो चाय
वाघ बकरी टी ग्रुप मौजूदा समय में हर साल 5 करोड़ किलोग्राम चाय का कारोबार कर लेती है । देश के 24 राज्यों में इसका कारोबार फैला है । वहीं दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में ये चाय का निर्यात करती है । कंपनी की चाय प्रोसेसिंग यूनिट 6 लाख वर्ग फुट में फैली है । हर दिन यहां 2 लाख किलो से ज्यादा चाय प्रोसेस करने की क्षमता है ।

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