अम्बेडकर जयंती : हिन्दी दलित साहित्य पर संगोष्ठी आयोजित

कोलकाता । कोलकाता की प्रतिष्ठित संस्था भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत अम्बेडकर जयंती के अवसर पर “हिंदी दलित साहित्य:कुछ प्रश्न ” विषय पर  व्याख्यान और कविता पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘हिंदी दलित साहित्य: कुछ प्रश्न’ विषय पर खिदिरपुर कॉलेज की अध्यापिका डॉ इतु सिंह ने कहा कि अम्बेडकर हर मोर्चे पर समानता और स्वीकार्यता के लिए लडते हैं। राजनीति, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में हाशिये की आवाज को केंद्र में लाने की कोशिश करते हैं। हिंदी का दलित साहित्य अनकहे समाज के कहने का साहित्य है।
आज हमें सिर्फ उन्हें याद करने की नहीं बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। स्कॉटिश चर्च कॉलेज की अध्यापिका डॉ गीता दूबे ने कहा कि दलित लेखन को कला की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। बस यह देखना चाहिए कि वे जो कह रहे हैं, वह सच है या नहीं। इस विपुल साहित्य में अभी और बहुत कुछ लिखा जाना बाकी है। जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक दलित जीवन की पीड़ा का सच जीवित रहेगा। हमें दलित साहित्य को शोषण के साहित्य से ज्यादा सामाजिक उपेक्षा से उपजे दर्द के रूप में देखने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि दलित साहित्य का वजूद है और इसे हम सभी को समझना पड़ेगा। दलित लेखन भले ही भाषा की दृष्टि से कच्ची है लेकिन अपने अंदर विशिष्ट अनुभवों को समेटे हुआ है और बतौर मुख्य अतिथि गजलकार विनोद प्रकाश गुप्त’शलभ’ ने अपनी गजलें सुनाते हुए कहा  कि अंबेडकर आज भी  प्रासंगिक हैं। उन्होंने भेदरहित समाज का सपना देखा। कवि सप्तक के अंतर्गत वरिष्ठ कवि राज्यवर्धन, जीवन सिंह, मनीषा गुप्ता, शिव प्रकाश दास, पंकज सिंह, तृषांणिता बनिक और राजेश सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर कवि उमरचंद जायसवाल, श्रीरामनिवास द्विवेदी, मृत्युंजय, सेराज खान बातिश,अल्पना नायक,संजय दास,सुशील पांडे,आदित्य गिरि,दिनेश बडेरा सहित बड़ी संख्या में साहित्य और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। साहित्य संवाद उद्घाटन संदेश में डॉ कुसुम खेमानी ने कहा कि हमारा यह मंच  एक सृजनात्मक लोकतांत्रिक मंच है। हम सभी इस यात्रा में सहयात्री हैं। संदेश का पाठ संस्था के सचिव डॉ केयूर मजमूदार ने किया। स्वागत वक्तव्य देते हुए संस्था के संयुक्त संजय जायसवाल ने कहा कि साहित्य संवाद का मंच सृजन,संवाद और सहयात्रा का मंच है। हम सृजनात्मक ,सह्दय और लोकतांत्रिक होकर ही अंबेडकर के सपनों को पूरा कर पाएंगे।कार्यक्रम का सफल संचालन मधु सिंह और धन्यवाद ज्ञापन सुरेश शॉ ने दिया।

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