सकारात्मक, उजियारी…खुशियों वाली रहे यह दीवाली

दीवाली आ रही है, आप घर में दीये जलायेंगे। पटाखे फोड़ेंगी..दोस्तों और रिश्तेदारों से मुलाकात होगी या मोबाइल पर शुभकामना भेज दी जाएगी। हर साल यही तो करते आ रहे हैं हम मगर क्या ऐसा कुछ नहीं हो सकता कि दीवाली की सकारात्मकता का प्रकाश बन जाए और उन लोगों के चेहरे पर से अन्धेरे हट जायें, जिनके पास उजाला नहीं है। दरअसल, बात होती है इको फ्रेंडली दीवाली की पर कैसा हो कि यह दीवाली हो पॉजिटिव एनर्जी और खुशियों वाली। तो चलिए हम बताते हैं कैसे –
हर साल दीवाली की सफाई की जाती है। बच्चों की पुरानी किताबें और टेक्स्ट बुक लिए आप कबाड़ी खोजने जा रही हैं तो रुकिये…एक बार देखिए कि क्या कॉपियों में पन्ने बाकी हैं…अगर हैं तो सफेद व खाली पन्नों को अलग कीजिए और उन खाली पन्नों को चमकीले कागज से स्टेपल कीजिए या किसी बाइंडर से करवाइए…हर साल मिठाई के डिब्बे बाँटती हैं। इस बार किसी जरूरतमंद बच्चे या बच्चों को इन खाली पन्नों से बनी चमकीले कागज वाली कॉपियाँ बाँटिए और देखिए खनकती हँसी।
हर साल व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजती हैं तो इस बार रुकिये..सारे बच्चों या घर के सदस्यों के साथ बैठिए और इस बार बनाइए खुद एक ग्रीटिंग कार्ड और उसके साथ डालिए चिट्ठी और उसे सजाकर भेज दीजिए या रिश्तेदार आएँ तो मीठे के साथ ये खत भी दीजिए और कहिए कि वे घर जाकर ही खोलें। अपनेपन की खुशबू मुस्कान न ला दे तो कहिएगा।
दीवाली की सफाई में छोटे कपड़े निकले हैं या कुछ आपकी आलमारी का सामान निकला है तो उसे फेंके नहीं। पहले देखिए कि कहीं कुछ फटा न हो…अगर कपड़े ठीक हैं तो उसे अच्छी तरह धुलवाकर इस्तरी करवाइए और किसी बस्ती में जाकर या किसी संस्था के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को ये कपड़े भिजवा दीजिए..हो गयी टू गुड दीवाली।
अगर आपके पड़ोस में कोई बुर्जुग अकेले हैं तो उनको मन मसोसते न देखें। इस बात की परवाह न करें कि आपका उनका कोई रिश्ता नहीं। एक दीया उनकी देहरी पर रखिए और सम्भव हो तो पूरे घर में उजाला कीजिए। उनको अपने अभिभावकों की तरह आदर दीजिए…और जादू देखिए।
दीवाली में पटाखे लाने का विचार है तो अच्छा है। इस बार पटाखों के साथ मिट्टी के दीए खरीदिए। आपके पास जो वक्त है, उस पर निर्भर करता है, आप इसे पेंट भी कर सकती हैं या करवा सकती हैं या डिजाइनर दीये खरीद सकती हैं। कोशिए कीजिए कि ये दीए और दीवाली का सामान उनके पास से खरीदें…जिनको आपकी जरूरत है। क्या पता आपकी शॉपिंग ही किसी के घर में उजाला भर दे। अब ये सारे दीये अपने रिश्तेदारों और मुहल्लों में बँटवायें।
दीवाली के दिन दफ्तर जाना है तो उदास होकर मत जाइए…ऐसे जाइए कि आपका चेहरा ही रोशनी ला दे। अगर मिठाई ले जा सकती हैं तो बेहतर और ये सम्भव न हो तो सबकी मेज पर एक दीया रख दीजिए…जमकर तस्वीरें खींचिए और खिंचवाइए….हो गयी दीवाली हैप्पी वाली।
इस दिवाली अपने माई – बाबूजी को पॉलिसी का तोहफा दीजिए। यह उनके बुढ़ापे का सहारा होगा।
पैसे के दान से बड़ा है श्रमदान… और इससे भी बड़ा है ज्ञानदान। तो इस दिवाली ज्ञान की ज्योति जलाए और समाज को रोशन करने की कोशिश करें। शुरुआत करें अपने सब्जीवाले के बच्चे से, जो गरीबी के कारण अच्छी शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं। आपके घर जो मासी आती हैं, उनके लिए भी ये आइडिया काम आने वाला है।
सरकार काम करती है और बहुत सी योजनाएँ भी हैं..जरूरत उनको ले जाने की है। आप इन योजनाओं की जानकारी अपने आस – पास के लोगों को दे सकती हैं। आपकी एक छोटी सी पहल किसी के जीवन में उजाला भर सकती है।

शुभजिता

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