लिटिल थेस्पियन ने पूरी की रंगकर्म की 23 साल की सृजन यात्रा

अपराजिता की ओर से

रंगकर्म सृजन का अनूठा माध्यम है जिसमें समाज को बदलने की शक्ति है और झकझोर देने की शक्ति भी है मगर रंगमंच के संसार में अपनी पहचान बनाना इतना आसान काम नहीं है। आज भी रंगमंच को जीवनयापन का माध्यम मानने और बनाने में संकोच पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, ऐसी स्थिति में उमा झुनझुनवाला के लिए राह आसान नहीं थी। उनके सृजन कर्म की कहानी शीघ्र ही हम आपके लिए लाएँगे मगर आश्वस्त करने वाली बात यह है कि पृष्ठभूमि अलग होने के बावजूद रंगमंच की राह इनकी एक ही रही और इस राह पर चलते हुए जिस नन्हे पौधे का जन्म हुआ, अब वह एक वट वृक्ष का आकार ले चुका है और इसकी जड़ें फैलती जा रही है। रंगमंच  के संसार को उमा झुनझुनवाला और अजहर आलम की जोड़ी ने और समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैै। रंगमंच को एक नया आयाम देना हिन्दी की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को सहेजना है और इसके लिए टिकट खरीद कर नाटक देखना एक दायित्व भी है और सहयोग भी। जिस तरह बूँद – बूँद से सागर भरता है, उसी प्रकार हमारा और आपका छोटा सा सहयोग भी इस विरासत को समृद्ध करेगा। लिटिल थेस्पियन के 23 वर्ष पूरे करने पर अपराजिता की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएँ और संस्था के सहयोग से प्राप्त एक आलेख जो इस सृजन यात्रा को सामने रखता है। –

रंगमंच को नयी भाषा और कलेवर देने की कोशिश लिटिल थेस्पियन

1994 में स्थापना के बाद से ही लिटिल थेस्पियन रंगकर्म के लिए प्रतिबद्ध है।  साहित्यिक और सामाजिक नाटकों के मंचन के माध्यम से समाज में कला और संस्कृति का विकास इस संस्था का मूल उद्देश्य है। लिटिल थेस्पियन हिंदी और उर्दू इन दोनों भाषाओं में नाटकों के नियमित प्रदर्शन के साथ कार्यशालाओं का सञ्चालन, सेमिनार और राष्ट्रीय नाट्य उत्सव का आयोजन भी करता है | कोलकाता में ये हिंदी का एकलौता राष्ट्रीय नाट्य उत्सव है – कथा कोलाज उत्सव(2010-11), जश्न-ए-टैगोर(2011-12), बे-लगाम मंटो(2012-13), जश्न-ए-रंग(2014), कृष्ण और भीष्म(2015) और जश्न-ए-रंग(2016).

लिटिल थेस्पियन ने कहानी और कविता की पाठ प्रस्तुति में अभिनय पक्ष की महत्ता को एक आवश्यक अंग मानते हुए भारतीय भाषा परिषद के साथ मिलकर इसके प्रशिक्षण के लिए तीन महीने का एक डिप्लोमा कोर्स, “कविता और कहानी का नाटकीय पाठ” भी 2016 प्रारम्भ किया है। लिटिल थेस्पियन की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है रंगमंच की सर्वप्रथम उर्दू-पत्रिका रंगरस का प्रकाशन जिसे देश भर से सराहना मिल रही है। लिटिल थेस्पियन अब तक अपने इस सफ़र में 17 सम्पूर्ण नाटक, 38 कहानियाँ तथा 8 एकांकियों का मंचन कर चुका है जिनमे से 12 उर्दू, 2 नेपाली तथा शेष हिंदी में हैं.

 

नाटकों में

  1. रूहें (नाटक एवं निर्देशन- अजहर आलम),
  2. बलकान की औरतें (नाटक- जुलेस तास्का, निर्देशन- मुश्ताक़ काक),
  3. धोखा (नाटक- राहुल वर्मा, निर्देशन- अजहर आलम),
  4. कबीरा खड़ा बाज़ार में (नाटक- भीष्म सहनी, निर्देशन- अजहर आलम),
  5. रेंगती परछाइयाँ (नाटक- उमा झुनझुनवाला, निर्देशन- अजहर आलम),
  6. अलका (नाटक- मनोज मित्रा, निर्देशन- उमा झुनझुनवाला),
  7. गैंडा (नाटक- यूजीन यूनेस्को, निर्देशन- अजहर आलम),
  8. पतझड़ (नाटक- टेनेसी विलिएम्स, निर्देशन- अजहर आलम),
  9. सवालिया निशान (नाटक- इस्माइल चुनार, निर्देशन- अजहर आलम),
  10. यादों के बूझे हुए सवेरे (नाटक- इस्माइल चुनारा, निर्देशन- उमा झुनझुनवाला),
  11. हयवदन (नाटक- गिरीश कर्नाड, निर्देशन- अजहर आलम),
  12. शुतुरमुर्ग (नाटक- ज्ञानदेव अग्निहोत्री, निर्देशन- अजहर आलम),
  13. रक्सी को सृष्टिकर्ता (नाटक एवं निर्देशन- अजहर आलम),
  14. कांच के खिलौने (नाटक- टेनेसी विलिएम्स, निर्देशन- अजहर आलम),
  15. लोहार (नाटक- बलवंत गार्गी, निर्देशन- अजहर आलम),
  16. सुलगते चिनार (नाटक एवं निर्देशन- अजहर आलम) और
  17. महाकाल (अविनाश श्रेष्ठ, निर्देशन- अजहर आलम)

 

एकांकियों में

  1. ओलओकून,
  2. पहले आप,
  3. मंटो ने कहा,
  4. नमक की गुड़िया (अज़हर आलम),
  5. तमसिली मुशाएरा,
  6. दर्द का पोर्ट्रेट,
  7. सद्गति और
  8. ब्लैक सन्डे आदि शामिल हैं.

 

कथा मंच के अंतर्गत कथा कोलाज की श्रृंखला (1-8) में

  1. चंद्रधर शर्मा गुलेरी की उसने कहा था,
  2. मंटो की ठंडा-गोश्त, खोल दो, लाइसेंस, औलाद, सहाय, बू और खुदा की कसम,
  3. टैगोर की आखरी रात और दुराशा,
  4. प्रेमचंद की बड़े भाई साहब और सद्गति,
  5. अज्ञेय की बदला,
  6. मोहन राकेश की मवाली,
  7. इकबाल माजिद की सुइंयों वाली बीबी,
  8. कृष्ण चंदर की पेशावर एक्सप्रेस, शहज़ादा और दो फर्लांग सड़क,
  9. भीष्म साहनी की माता विमाता,
  10. मुज़फ्फ़र हनफ़ी की बजिया तुम क्यों रोटी हो तथा इश्क़ पर जोर..,
  11. इस्माइल चूनारा की दोपहर,
  12. मधु काकडिया की फाइल,
  13. अनीस रफ़ी की पॉलिथीन की दीवार

 

इसके अलावा अन्य और भी कहानियाँ हैं । मंटो की ठंडा गोश्त, खोल दो, सहाय और औलाद के निर्देशक अजहर आलम हैं तथा बाकी सभी कहानियाँ उमा द्वारा निर्देशित हैं। नाटकों और कहानियों के अनुवाद और लिप्यन्तरण में भी लिटिल थेस्पियन काफी सक्रिय है ताकि प्रख्यात और श्रेष्ठ साहित्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच सके. मुक्तधारा (रवीन्द्रनाथ टैगोर, अनुवाद- उमा झुनझुनवाला व अज़हर आलम),  बलकान की औरतें (उमा झुनझुनवाला), धोखा (उमा झुनझुनवाला), गैंडा (अजहर आलम), पतझड़ (अजहर आलम), अलका (उमा झुनझुनवाला), सवालिया निशान (अजहर आलम), यादों के बुझे हुए सवेरे (अजहर आलम और उमा झुनझुनवाला) आदि नाटकों व कहानियों का अंग्रेजी और बंगला से हिंदी और उर्दू में अनुवाद तथा लिप्यन्तरण किया है। भारत रंग महोत्सव तथा देश के सभी महत्वपूर्ण नाट्य उत्सवों में लिटिल थेस्पियन की प्रस्तुतियां लगातार रहती हैं l प्रोडक्शन और निर्देशन के कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों में से पश्चिम बंग नाटक अकादमी का पुरस्कार भी महत्वपूर्ण है। लिटिल थेस्पियन के कर्णधार उमा झुनझुनवाला और अजहर आलम  के साक्षात्कार की झलक –

साभार – यू ट्यूब

 

—————

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

One thought on “लिटिल थेस्पियन ने पूरी की रंगकर्म की 23 साल की सृजन यात्रा

  1. Pingback: रंगमंच पर दोहरा संघर्ष कर अपनी

Comments are closed.