लिटिल थेस्पियन ने आयोजित की नाट्य प्रतियोगिता

कोलकाता । लिटिल थिस्पियन एक बड़े उद्देश्य के तहत हिंदी और उर्दू भाषा-भाषियों युवाओं के लिए नाटक प्रतियोगिता का आयोजन जोगेश माईम अकादेमी में किया गया। लिटिल थेस्पियन की संस्थापक और वरिष्ठ रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला का कहना है कि उनका यह सपना है कि कलकत्ता में भी हिंदी और उर्दू नाटक समृद्ध हो और नये नाट्यदल आगे आए | यहाँ पर हिंदी और उर्दू नाटकों के प्रशिक्षण के लिए कोई नाट्य केन्द्र नहीं,जिसके कारण बंगाल में हिन्दी-उर्दु नाटकों की स्थिति दैन्य है। इस लिए उन्होंने इस नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया है | ताकि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले युवाओं में नाटक के प्रति आकर्षण पेदा हो और नये नाट्यदल आगे आएं| उन्होंने कहा कि वो और अज़हर भी इसी तरह कि नाटक प्रतियोगिता में भाग लेते थे और यहीं से उन लोगों ने अपनी संस्था बनाने का निर्णय लिए था |
लिटिल थेस्पियन ने इस प्रतियोगिता का आयोजन इस उद्देश्य से और भी किया है कि नई पीढ़ी रंगमंच की परिभाषा समझे, रंगमंच की समझ हो। नाटक प्रतियोगिता का उद्देश्य एक दूसरों के बीच प्रतिस्पर्धापन करना नहीं बल्कि आज जिन पांच दल इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए हैं , उनमें से किन्हीं तीन दलों का चयन कर, लिटिल थेस्पियन उन्हें हर चीज मोहिम करवाएगा और पूरी प्रशिक्षण के साथ चयनित दल‌ को लिटिल थिस्पियन के 13वे राष्ट्रीय नाट्य उत्सव ज़श्न-ए-अज़हर के आखिरी दिन उनको मंच प्रदान करेगा। दर्शकों के सामने प्रस्तुति के जरिए इनके अंदर रंगमंच की समझ पैदा होगा | इससे इन में यह समझ आएगी कि एक बेहतरीन नाटक कैसे बन सकता है | इस प्रतियोगिता का एकमात्र उद्देश्य है उन्हें रंगमंच में प्रशिक्षित करना।
प्रथम नाट्य प्रस्तुति खिदिरपुर कॉलेज की टीम राजेंद्र क्रिएटिव ग्रुप (खिदिरपुर कालेज) का नाटक “अब नहीं सहेंगे” जिसके नाटककार और निर्देशक थे राजेन्द्र राय। इस नाटक में नारी शक्ति को केंद्र में रखकर समाज में मोजूदा स्त्रियों को तमाम बुराइयों और समाज की कुप्रथाओं से लड़ने की प्रेरणा देता है।
दूसरा नाट्यदल एस.एम. रशीद थिएटर ग्रुप ने नाटक “ बदलते मौसम के दिन” प्रस्तुत किया जिसके नाटककार शब्बीर अहमद थे तथा निर्देशन आतिबा बतुल ने दिया । ये नाटक पुरूष के जीवन में स्त्री के महत्व को दर्शाता है। तीसरा नाट्यदल का नाम स्टेपिंग स्टोन स्कूल था जिसने मनु भंडारी कि कहानी मजबूरी का मंचन किया| इसका निर्देशन परी सराफ़ ने किया था। ये नाटक पारिवारिक उलझनों को दर्शाने के साथ-साथ रिश्तों के महत्व को उद्घाटित करता है जो आज के आधुनिक समय में कहीं ना कहीं लुप्त होती नज़र आती है। चौथा नाट्यदल स्वांग ड्रामा क्लब (विद्यासागर कालेज) का था जिसने नाटक लाल इश्क का मंचन किया | इस नाटक के नाटककार थे सिप्रा अरोरा। ये नाटक समलैंगिक संबंधों को उद्घाटित करता है और समाज में इस विषय पर विचार करने के लिए विवश किया है। समाज की सोच से ऊपर उठकर अपनी इच्छाओं को प्रकट करने के लिए प्रेरित करता है।
पाँचवाँ वा अंतिम नाटक प्रवासी था जिसे हमारा प्रयास नाट्यदल ने प्रस्तुत किया ,इस नाटक के नाटककार थे श्री रामा शंकर सिंह वा निर्देशक थे शम्भू सिंह। ये नाटक कोराना के दौरान जनता की दर्दनाक स्थितियों को चित्रित करता है कि किस तरह बीमारी से बचते बचते जनता भुखमरी से मरने की स्थिति पैदा होने लगती है। इन पांचों नाटक में से तीन टीम का चयन किया गया है जिनका नाम राजेंद्र क्रिएटिव ग्रुप, एस. एम. रशीद थिएटर ग्रुप एवं सवांग ड्रामा क्लब है और उन तीनों टीम के नाटकों में सुधार करने की जिम्मेदारी खुद लिटिल थेस्पियन की संस्थापक उमा झुनझुनवाला ने ली है। चयन किए हुए प्रतिभागियों की पुनः प्रस्तुति राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले छह दिवसीय नाट्य उत्सव जश्न-ए-अज़हर में होगी जिसके दौरान ही टीमों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर चयनित कर पुरस्कृत किया जायेगा। यह नाट्य उत्सव 19 से 24 जनवरी 2024 को ज्ञान मंच में होगा।

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