मिट्टी और पेड़ की तरह है भोजपुरी और हिन्दी का सम्बन्ध

कोलकाता : मॉरीशस में भारत से वे लोग गए थे, जो पढ़े लिखे भले न हो पर शिक्षित और संस्कारवान थे। भोजपुरी माटी के वे लोग कोलकाता से ही जहाज पर मॉरीशस गए थे। मॉरीशस से आईं भोजपुरी की विदुशी और उस देश की भोजपुरीभाषी सरिता बुधू ने भारतीय भाषा परिषद में आयोजित एक परिसंवाद में यह उदगार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भोजपुरी गीतों का संरक्षण जरूरी है। उसके लिए मॉरीशस में कई स्कूल खोले गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि मॉरीशस की भोजपुरी संस्कृति में जातीय संकीर्णता नहीं है। इस मौके पर सरिता बुधू ने भोजपुरी गीतों का गायन भी किया।
इस अवसर पर परिसंवाद में भाग लेते हुए डॉ चंद्रकला पांडेय ने कहा कि मॉरीशस में भारत की सांस्कृतिक जड़ें बनी हुई है। वहाँ के लोग यात्रा पर गए भारतवासियों का स्पर्श कर के महसूस करते हैं। वे बलिया, आरा, बनारस और ऐसे ही भोजपुरी क्षेत्रों के लोग अभी भी हैं। डीजीपी मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि भोजपुरी भारत और म़ॉरीशस के बीच सेतु है जो अभी भी बना हुआ है। भारत की कविताओं और गीतों ने वहां के लोगों को हमेशा ऊर्जस्वित किया है। अध्यक्षीय भाषण देते हुए शंभुनाथ ने कहा कि मॉरीशस में भारतीयों का श्रमिक जीवन नारियल के खोल सा कठोर रहा है पर उनकी भावनाएं नारियल के पानी की तरह मीठी रही हैं। भोजपुरी और हिंदी का संबंध मिट्टी और पेड़ की तरह है। पेड़ तभी बचेगा जब मिट्टी बचेगी। आरंभ में परिषद की अध्यक्ष डॉ कुसुम खेमानी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा मॉरीशस भोजपुरी का भारतीय स्वर्ग है। पीयूष कांत राय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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