माँ बनाती थीं मिड डे मील का भोजन, बेटा बना आईएएस

नयी दिल्‍ली । डोंगरे रेवैया का बचपन काफी मुश्कलों से भरा था। वह पढ़ाई में बेहद तेज थे। लेकिन, घर में आर्थिक तंगी थी। डोंगरे की मां मिड-डे मील का खाना बनाती थीं। दो और भाई-बहनों के साथ उन्‍होंने अकेले ही डोंगरे को पाला-पोसा। आईआईटी मद्रास में पढ़ने के बाद डोंगरे ने गेट क्‍लीयर किया था। इसके चलते उन्हें सरकारी कंपनी में नौकरी मिल गई थी। हालांकि, उनके मन में आईएएस बनने की चाहत लगातार बनी हुई थी। वह अपनी मां को इससे कम कुछ भी नहीं देना चाहते थे। रह-रहकर उन्‍हें अपनी मां का संघर्ष दिखता था। आईआईटी में दाखिले से लेकर आईएएस बनने तक के डोंगरे के सफर में काफी रोड़े आए।
डोंगरे रेवैया तेलंगाना में कुमुराम भीम आसिफाबाद के रहने वाले हैं। एक दिन उनके यहां के जिला कलेक्टर ग्रामीणों की दलीलों को समझने गांव पहुंचे थे। भीड़ के बीच से एक किशोर दो दस्तावेजों के साथ बाहर आया। उस किशोर के एक हाथ में राज्य विश्वविद्यालय का लेटर था। दूसरे में आईआईटी मद्रास का ऑफर लेटर। यह कोई और नहीं डोंगरे रेवैया थे।
अब गेंद कलेक्टरेट के पाले में थी। उसे तय करना था कि वह छात्र का करियर बनाने के लिए आगे बढ़कर मदद करता है कि नहीं। आईआईटी मद्रास में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए उन्हें सिर्फ 20 हजार रुपये की आर्थिक मदद की जरूरत थी। क्राउडफंडिंग और कलेक्टरेट की मदद से उन्हें कॉलेज में दाखिले के लिए फीस मिल गई। हालांकि, इससे उन्हें आईएएस अधिकारी बनने की प्रेरणा भी मिली।
दरअसल, आईआईटी जेईई में सफलता के बाद भी पैसे की कमी के कारण डोंगरे ने एडमिशन की उम्मीद लगभग खो दी थी। लेकिन, तत्‍कालीन कलेक्‍टर डॉ. अशोक कुमार ने उनकी बहुत मदद की। तभी उन्‍हें इस बात का भी एहसास हुआ कि अगर वह उस पद पर पहुंचे तो गरीब पृष्ठभूमि के लोगों की मदद कर पाएंगे। लगभग एक दशक बाद 29 साल के डोंगरे ने वही मुकाम पा लिया। यूपीएससी सीएसई 2022 की परीक्षा में डोंगरे ने 961 अंक हासिल कर 410वीं रैंक हासिल की।
जब डोंगरे चार साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। वह अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए थे। गुजारा चलाने के लिए उनकी मां ने 1,500 रुपये के मासिक वेतन पर मिड-डे मील कुक के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
डोंगरे का जन्‍म तेलंगाना के तुंगडा गांव में हुआ। सरकारी स्कूल में वह पढ़े-लिखे। 2017 में आईआईटी मद्रास से केमिकल इंजीनियरिंग में इंटीग्रेटेड कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने 70वीं रैंक के साथ गेट भी क्‍लीयर किया। इससे उन्हें मुंबई में ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड में नौकरी मिल गई। इन सबके बीच भी आईएएस अधिकारी बनने की उनकी चाहत कम नहीं हुई। 2020 में उन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी। 2021 में उन्‍होंने अपना पहला अटेम्‍प्‍ट दिया था। लेकिन, इसमें वह दो अंकों से चूक गए। अगले अटेम्‍प्‍ट पर फोकस करने के लिए डोंगरे ने नौकरी छोड़ दी। इस साल उनकी 410वीं रैंक आई। उनकी मां के लिए इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं थी। यह उनके संघर्ष के सफल होने जैसा था। वह कभी स्‍कूल नहीं गई थीं। लेकिन, यह जरूर चाहती थीं कि बच्‍चे पढ़-लिखकर कामयाब हों।

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