महिला पत्रकारों की उर्जा का सृजनात्मक उपयोग जरूरी है – विश्वम्भर नेवर

कोलकाता : वरिष्ठ पत्रकार तथा ताजा टीवी समूह के चेयरमैन विश्वम्भर नेवर का कहना है कि आज महिला पत्रकारों की उर्जा का सृजनात्मक उपयोग जरूरी है। वेबपत्रिका अपराजिता के प्रथम वर्षपूर्ति समारोह में अपराजिता तथा रंगप्रवाह द्वारा भारतीय भाषा परिषद के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए मीडिया में अवसर भी हैं और चुनौती भी हैं।

भारतीय भाषा परिषद सभागार में आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि हमारी सामाजिक सीमाओं के कारण काम नहीं कर पातीं। पुरुष और महिलाओं के बीच सहयोग की भावना जरूरी है।

 

वरिष्ठ आलोचक शम्भुनाथ ने कहा कि हिन्दी में यह पहली परिचर्चा हुई जिसमें महिला पत्रकारों ने सक्रिय भूमिका निभायीं। यह अच्छी शुरुआत है। पहले मीडिया में महिला पत्रकार कम मिलती थीं। आज कार्यक्षेत्र बढ़ा है। स्त्री की सबसे कमजोर आवाज मीडिया में है। मीडिया में स्त्री महज एक कथा है, वह ताकत नहीं बनी है। वह जब स्टोरी नहीं पावर के रूप में आएंगी तो एक गुणात्मक परिवर्तन होगा। अभी भी मीडिया पुरुष सत्ता का वर्चस्व है। 99 प्रतिशत सम्पादक पुरुष ही हैं और स्त्रियाँ भी पुरुष मूल्यों को ढो रही हैं।

डिजिटल ब्रांड्स की निदेशक रितुस्मिता विश्वास ने कहा कि मीडिया महज ग्लैमर और सेलिब्रिटी नहीं है। मीडिया ताकत की बात करती है। उत्पीड़न को सामने लाने के साथ यह जरूरी है कि अच्छे कामों पर बात की जाए जिससे सभी को प्रेरणा मिले। महिलाओं को उनकी पहचान मिलनी चाहिए।

आर जे नीलम ने कहा कि महिलाओं से उम्मीदें अधिक की जाती हैं और वे उन पर खरी भी उतरती हैं। उससे उम्मीद की जाती है कि वह घर में किसी की मदद लें। यूनिस्को के अनुसार 24 प्रतिशत महिलाएं ही ओपिनियन मेकर हैं। टीवी विज्ञापनों में भी महिलाओं से खूबसूरत दिखने की उम्मीद की जाती है। जब तक महिलाएं उत्पाद के तौर पर देखी जाती रहेंगी, स्त्रियाँ एक दूसरे का सहयोग नहीं करतीं तब तक स्थिति नहीं सुधरेगी। न्यूज चैनल, अखबारों के मालिक और सम्पादक परिवर्तन लाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं, उनको आगे आना होगा।

सलाम दुनिया के सम्पादक सन्तोष सिंह ने कहा कि मैं चीजों को सकारात्मक तरीके से देखने में विश्वास करता हूँ। अगर आप के अन्दर प्रतिभा है तो उसे कोई नहीं रोक सकता। सबको महसूस हो रहा है कि महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। समस्याओं से आगे निकलकर समाधान खोजना होगा, ऐसी कोई बाधा नहीं है। संरचना बड़ा मसला है।

पत्रकार तथा कवियत्री पापिया पांडे ने कहा कि पहले ही पायदान पर महिलाएं हतोत्साहित की जाती हैं। सुरक्षा बड़ा मसला है। बुनियादी जरूरतें पूरी होनी चाहिए।

अंगीरा नाटक का एक दृश्य। तस्वीर एक समीक्षक ने ली है

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में रंगप्रवाह के चर्चित नाटक अंगिरा का मंचन हुआ। नाटक में कल्पना ठाकुर और जयदेव दास के जबरदस्त अभिनय ने दर्शकों को मोहित कर दिया। कार्यक्रम का संचालन अपराजिता की सम्पादक सुषमा त्रिपाठी ने किया।

 

(सभी तस्वीरें साभार अदिति साहा)

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