महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड मशीन लगाने वाला पहला रेलवे स्टेशन बना भोपाल

महिलाओं को पीरियड्स के वक्त सार्वजनिक जगहों और खासकर सफर करते हुए काफी मुशिकलें उठानी पड़ती हैं। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब सफर रेलवे से हो रहा हो। क्योंकि तब सैनिटरी नैपकिन का जुगाड़ करने में खासी मुश्किल होती है। लेकिन भोपाल रेलवे स्टेशन देश का पहला ऐसा रेलवे स्टेशन बन गया है जहां पर सैनिटरी पैड डिस्पेंसर मशीन लगाई गई है। महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया। इस मशीन का नाम हैपी नारी रखा गया है। इसे इसी साल नव वर्ष पर 1 जनवरी को इंस्टाल किया गया था। एक अच्छी बात और हुई कि मशीन का उद्घाटन रेलवे अधिकारियों की मौजूदगी में सबसे सीनियर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अंजलि ठाकुर द्वारा कराया गया।

स्टेशन पर लगी इस मशीन से सिर्फ 5 रुपये डालकर दो नैपकिन निकाले जा सकेंगे। स्थानीय संहठन ‘आरुषि’ के प्रयासों से यह मशीन लगाई गई जिसमें एक बार में 75 सैनिटरी नैपकिन डाली जा सकती हैं। इसके लिए एक महिला कर्मचारी को भी ट्रेंड किया गया है जो इसे खाली होने पर दोबारा भरेगी। भोपाल रेलवे स्टेशन पर शीघ्र ही इन नैपकिन को डिस्पोज करने वाली मशीन भी लगाई जाएगी। हैपी नारी मशीन के लगाते ही वहां पर 9 घंटे के भीतर ही वेंडिंग मशीन से 600 से ज्यादा नैपकिन निकाली गईं। इससे साबित होता है कि देशभर के रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक जगहों पर इसकी कितनी जरूरत है।

रेलवे स्टेशन पर लगी इस मशीन से सबसे ज्यादा ट्रेन पर सफर करने वाली महिलाओं और आसपास के स्लम इलाके में रहने वाली महिलाओं ने सैनिटरी नैपकिन निकाला। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि तीन दिन के भीतर 2,000 सैनिटरी नैपकिन निकाले गए। महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन उनका सही से अमल नहीं हो पाता है। मई 2017 में केरल ऐसा पहला राज्य बना था जिसने सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन के लिए वेंडिंग मशीन इंस्टॉल की थी।

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने परिसर में ऐसी ही मशीन लगाने के आदेश दिये थे ताकि महिला वकीलों और फरियादियों को पीरियड्स की वजह से दिक्कतें न उठानी पड़ें। कोर्ट ने इसके लिए 10 लाख रुपये भी स्वीकृत किए थे, जिसमें 3 वेंडिंग मशीन और 3 डिस्पोजिंग मशीनें लगाई गई थीं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 2015 में चार सैनिटरी मशीन डिस्पेंसर्स मशीन लगाई थीं। एक ऐसे देश में जहां आज भी महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती हैं और उस पर बात करने से दूर भागा जाता है वहां ऐसी पहलों का स्वागत तो होना ही चाहिए।

 

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