बंगाल का एक गांव जहां जलेबी की कीमत है 700 रुपये

हलवाइयों ने की जीआई टैग की मांग
बांकुड़ा । भारत अपनी सभ्यता,संसकृति और ऐतिहासिक धरोहरों के लियें तो प्रसिद्ध हैं इसके साथ यहाँ का लजीज खाना भी विश्व प्रसिद्ध हैं । खाने मे भारतीय मिठाइयों का कोई जवाब नहीं है फिर चाहें वो बंगाल का रसगुल्ला ,फरुखाबाद की इमरती हो या मथुरा के पेड़े । स्वाद ऐसा की जुबान भूल ना पाएं ।आज हम एक ऐसी ही मिठाई की बात करेंगे जो किसी भी समय खाई जा सकतीं हैं । इसे लोग दूध के साथ और दही के साथ खाना ज्यादा पसंद करतें हैं जी हां हम बात कर रहें हैं रस भरी जलेबी की।शायद ही कुछ लोग होंगे जिन्हें जलेबी ना पसंद हो ।
अक्सर जब हमें जलेबी खाने का मन होता है तो हम किसी पास की हलवाई की दुकान से या नुक्कड़ पर लगे जलेबी के ठेले से खरीद कर खा लेते हैं । लेकिन आज हम बात करेंगे पश्चिम बंगाल में बांकुड़ा जिले के केंजाकुड़ा गांव की सबसे बड़ी जलेबी के बारें में जिसकी कीमत 300 रुपये से 700 रुपये के बीच हैं ।
पश्चिम बंगाल में बांकुड़ा जिले के एक गाँव जिसका नाम केंजाकुड़ा गांव हैं यहां भादों के महीने मे विश्वकर्मा पूजा और भादू पूजा के अवसर पर विशालकाय जलेबी बनाने की परंपरा हैं । कुटीर उद्योगों से समृद्ध बांकुड़ा का यह औद्योगिक गांव जहां कांसा-पीतल और बुनाई का काम होता है ।बधू पूजा के अवसर पर यह केंजाकुड़ा जलेबी बंगाली परंपरा से बनाई जाती है। इस जंबो आकार की जलेबी के एक टुकड़े की कीमत 300 से 700 रुपये के बीच है।इस बड़ी सी जलेबी का वजन 2 से 4 किलो के लगभग होता हैं । मिठाई की दुकानों में बड़ी जलेबी कौन बना सकता है और इस विशाल जलेबी को किसने खरीदा, इसकी एक अघोषित और मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिता होने लगती है। इस जलेबी को खाने और देखने के लियें दूर-दूर से लोग आते हैं ।
एक परंपरा के अनुसार पंचकोट राज नीलमणि सिंहदेव की तीसरी पुत्री भद्रावती की असामयिक मृत्यु हो गई थी। बाद में पंचकोट शाही परिवार ने ग्रेटर बंगाल में भादु पूजा शुरू की। तभी से द्वारकेश्वर नदी के तट पर स्थित बांकुरा के प्राचीन शहर केंजाकुरा में भादु पूजा लंबे समय से की जाती रही है। हर वर्ष भाद्रपद के 27 तारीख से लेकर अश्विन की पांच तारीख तक यहां जलेबी का यह मेला लगता है । कौन कितनी बडी जलेबी बनाता है और कौन इसे खरीदता है सबके लिए चर्चा का विषय रहता है । विश्वकर्मा पूजा के दिन तो लाइन लगा कर लोग इसे खरीदते हैं । इस जलेबी को अपने रिश्तेदारों के यहां भी भेजते हैं । यहां के दुकानदारों का कहना है कि अब तो इस जलेबी को विदेशों मे भी भेजा जा रहा है और वहां के लोग इसे खूब पसंद कर रहें हैं ।
व्यापारी कर रहें हैं जीआई टैग की मांग – पश्चिम बंगाल की इस जलेबी की प्रसिद्धि और डिमांड देखते हुए दुकानदारों और व्यापारियों ने जीआई टैग की मान्यता देने की मांग की है। यहां के हलवाइयों का दावा है कि यह विशाल जलेबी यहां के अलावा पूरे भारत में और कहीं भी नहीं बनाई जाती है और न ही दुनिया के किसी भी अन्य देश में।

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