चुनावी फायदे के लिए कर्ज माफी के बीज मत बोइए – स्वामीनाथन

नयी दिल्ली :  देश में किसान कर्ज के बढ़ते बोझ और फसलों की सही लागत नहीं मिलने से जूझ रहे हैं। राजनीतिक दल इसी का फायदा उठाते हुए कर्ज माफी का वादा कर रहे हैं। हाल ही में हुए 5 में से 3 राज्‍यों में कांग्रेस ने इसी वादे के सहारे चुनाव जीता। हालांकि हरित क्रांति के जनक एमएस स्‍वामीनाथन कर्ज माफी को अर्थव्‍यवस्‍था के लिए उपयुक्‍त नहीं मानते। उन्‍होंने राजनेताओं से अपील की है कि चुनावी फायदे के लिए वे इस तरह के कदम ना उठाएं।
एक निजी चैनल से बातचीत में उन्‍होंने कहा, ‘खेती की समस्‍या आर्थिक है। मानसून और बाजार छोटे किसानों के लिए दो बड़े जरूरी तत्‍व हैं। चुनावी फायदे के लिए राजनेताओं को आर्थिक रूप से अव्‍यावहारिक नीतियों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।’ मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान में कांग्रेस ने सरकार बनाते ही किसानों के कर्ज माफ करने का ऐलान किया। इस ऐलान के तहत दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ होगा।

स्‍वामीनाथन ने कहा कि कर्ज माफी कृषि नीति का हिस्‍सा नहीं बनना चाहिए।उन्‍होंने कहा, ‘कर्ज तभी माफ होना चाहिए जब किसान को पैसा लौटाने में काफी दिक्‍कत हो रही हो और यह कदम भी कभी-कभार ही लेना चाहिए। यह कभी भी कृषि नीति का हिस्‍सा नहीं बनना चाहिए क्‍योंकि जरूरत खेती को लाभ देने वाली और आर्थिक रूप से व्‍यावहारिक बनाने की है।’
बता दें कि स्‍वामीनाथन ने किसानों और खेती की बेहतरी के लिए एक रिपोर्ट दी थी लेकिन उसे लागू नहीं किया गया है। किसान संगठन लगातार इस रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य(एमएसपी) के बारे में उन्‍होंने कहा, ‘एमएसपी तभी कामयाब होगी जब खरीद प्रक्रिया होगी। कीमतों, खरीद और सार्वजनिक वितरण के लिए एक नीति है। यदि पर्याप्‍त खरीद नहीं होगी तो हो सकता है कि एमएसपी का फायदा न मिले इसलिए हमें कीमतों और खरीद के लिए एक संपूर्ण नीति चाहिए।’
स्‍वामीनाथन ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की आर्थिक दशा सुधारने और युवाओं को इसकी तरफ आकर्षित करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा, ‘खेती को आर्थिक रूप से व्‍यावहारिक और लाभप्रद बनाने की जरूरत है। हमारे पास मौका है कि हम ऐसी नीति बनाए जिससे कि किसानों की माली हालत सुधरे और इसके साथ ही खेती युवाओं को आकर्षित करे।

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