कोविड-19 के बाद बच्‍चों में बढ़े टाइप-वन डायबिटीज के मामले

एक अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चों और किशोरों में टाइप 1 डायबिटीज के मामलों में वृद्धि हुई है । रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्‍चों पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं । जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित यह अध्ययन 19 वर्ष से कम उम्र के 1,02,984 युवाओं सहित 42 रिपोर्ट के आधार पर किया गया ।
टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में वृद्धि
अध्ययन के परिणामों से यह पता चला कि टाइप 1 डायबिटीज दर पहले वर्ष से 1.14 गुना अधिक है । कोविड महामारी की शुरुआत के बाद दूसरे वर्ष में यह 1.27 गुना अधिक है । बच्चों और किशोरों में टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में भी वृद्धि हुई है । अध्ययन में डायबिटीज केटोएसिडोसिस (डीकेए) की उच्च दर भी पाई गई. यह दर महामारी से पहले की तुलना में 1.26 गुना अधिक है. टाइप 1 डायबिटीज सबसे आम और गंभीर है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है । यह तब विकसित होता है जब शरीर में रक्त शर्करा को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए कोशिकाओं में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है ।
किशोरों में पाए गए डायबिटीज के लक्षण
कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की बढ़ती संख्या के लिए संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता है । हमने महामारी के दौरान बच्चों और किशोरों में डायबिटीज के लक्षण पाए हैं । टीम ने कहा, यह चिंताजनक है. यह लंबे समय तक मरीज को प्रभावित करता है । इससे मृत्यु का खतरा भी बना रहता है ।
वहीं, शोधकर्ताओं ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि मामलों में वृद्धि किस कारण से हुई है, कुछ सिद्धांत हैं जिनमें यह कहा गया है कि कोविड संक्रमण के बाद बच्‍चों में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है । बच्‍चों की जीवनशैली में बदलाव और तनाव भी इसका कारण हो सकता है ।

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