केरल में बन रहा है देश का पहला डिजिटल गार्डन, पेड़ों पर हैं क्यूआर कोड

तिरुअनंतपुरम : देश का पहला डिजिटल गार्डन केरल में बन रहा है। राजभवन स्थित 21 एकड़ के क्षेत्र में फैले कनककुन्नु गार्डन में जितने भी पेड़ हैं, सभी को क्यूआर कोड दिया जा रहा है। स्मार्टफोन के जरिए पेड़ों पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर उसकी पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है। जैसे पेड़ों की प्रजाति, उम्र, बॉटेनिकल नाम, प्रचलित नाम, पेड़ों पर फूल खिलने का मौसम, फल आने का मौसम, चिकित्सा और अन्य इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी पलभर में हासिल हो जाएगी। गार्डन में पेड़ों की 126 प्रजातियां हैं, जिन्हें डिजिटल फार्मेट में किया गया है। इस गार्डन को विकसित करने में केरल विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. ए. गंगाप्रसाद और अखिलेश नायर ने मुख्य रूप से योगदान दिया है। कनककुन्नु गार्डन में हजारों पेड़ हैं, लेकिन फिलहाल 600 पेड़ों पर ही क्विक रिस्पांस यानी क्यूआर कोड लगाए हैं। शेष पर कोडिंग का काम जारी है।
गार्डन में आए पोस्ट ग्रेजुएट बॉटनी के छात्र अखिलेश एसवी नायर का कहना है, “मैंने अब तक 50 से ज्यादा पेड़ों की जानकारी मोबाइल के जरिए इकट्ठा कर ली है। क्लासरूम या प्रयोगशाला से बेहतर है कि हम प्रकृति के बीच आएं और सालों पुराने पेड़ों के बारे में जानें। आमतौर पर पेड़ को देखकर यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि उसकी उम्र कितनी है या फिर उस पर किस मौसम में फल या फूल आते हैं लेकिन इस क्यूआर कोड से हमें मिनटों में ही सारी जानकारी मिल जाती है।”
अमेरिका और जापान जैसे देशों में पेड़ों पर क्यूआर कोड या माइक्रो चिप अनिवार्य रूप से लगाई जाती है। एक अन्य छात्र सजी वर्गीस का कहना है, “क्यूआर कोड की वजह से रोजाना सैर करने वालों के साथ-साथ पर्यटकों में भी पेड़ों के प्रति जागरुकता बढ़ी है।”
दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित लोधी गार्डन के पेड़ों पर क्यूआर कोड सबसे पहले लगाए गए थे। मकसद था लोगों को सालों पुराने पेड़ों के बारे में जानकारी मिले। यहां करीब 100 से ज्यादा पेड़ों पर कोडिंग की गई है,जिन पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं, उनमें से कई पेड़ों की उम्र सौ साल से अधिक है। गार्डन में कई औषधीय गुणों वाले पौधे भी हैं।

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