भारतीय और क्षेत्रीय परिधानों में ही मिलेगी डिग्री, यूजीसी ने 750 विश्वविद्यालयों को दिया निर्देश

नयी दिल्ली : दीक्षांत समारोह में अब खादी से तैयार भारतीय और क्षेत्रीय पहचान को दर्शाते परिधान ड्रेस कोड के रूप में नजर आएंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सभी 750 विश्वविद्यालयों को इस बाबत पत्र लिखा है। निर्देश दिए कि दीक्षांत समारोह में हैंडलूम फैब्रिक से तैयार भारतीय और क्षेत्रीय परिधानों में छात्रों को डिग्री दी जाए। इस संबंध में विवि से रिपोर्ट भी मांगी गई है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से केन्द्रीय, राज्य, निजी विश्वविद्यालयों समेत डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है, जिसमें कुलपतियों से दीक्षांत समारोह में नए नियमों के तहत नए डिजाइन व फैब्रिक के परिधान पहनकर डिग्री देने का निर्देश दिया है।
प्रो. जैन के मुताबिक, दीक्षांत समारोह में वर्षों से गाउन और टोपी पहनकर डिग्री दी जाती रही है, लेकिन अब समय बदल चुका है इसलिए कुलपतियों को भारतीय व क्षेत्रीय संस्कृति के तहत परिधान चुनने को कहा गया है। यह परिधान खादी या हैंडलूम फैब्रिक से तैयार होने चाहिए। यह वस्त्र हर मौसम के लिए उपयुक्त रहते हैं।
देश के सभी 750 विश्वविद्यालयों में यदि हैंडलूम निर्मित भारतीय व क्षेत्रीय संस्कृति को दर्शाते परिधान पहने जाते हैं तो दुनिया में भारतीय संस्कृति खुद-ब-खुद प्रसारित होगी। साथ ही, हैंडलूम फैब्रिक की भी बाजार में माँग बढ़ेगी तो छोटे कारीगरों को रोजगार मिलेगा।
केन्द्रीय मंत्री की मंजूरी के बाद माँगे थे सुझाव
गौरतलब है कि 15 सितम्बर 2017 को पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर की अध्यक्षता में दीक्षांत समारोह में भारतीय परिधान में आयोजित करने पर बैठक हुई थी। केन्द्रीय मंत्री की मंजूरी के बाद मंत्रालय ने आम लोगों, छात्रों, शिक्षाविदें व राज्यों से सुझाव मांगे थे। इसी के आधार पर एक परिधान के बजाय सभी राज्यों की संस्कृति पर आधारित परिधानों को प्रमोट करने का फैसला लिया गया था।
पंजाब में सूट-सलवार, पहाड़ों में पारम्परिक पोशाक
सभी राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थान अपने राज्य की वेशभूषा को दर्शाते हैंडलूम फैब्रिक से निर्मित परिधान दीक्षांत समारोह में ड्रेस कोड बना सकेंगे। कश्मीर में कश्मीरी ड्रेस, पंजाब में सलवार-सूट, हरियाणा में हरियाणवी ड्रेस, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों में पहने जाने वाली पारंपरिक ड्रेस, नार्थ-ईस्ट व पश्चिम, दक्षिण समेत अन्य राज्य अपनी संस्कृति को दर्शाती पोशाक पहनेंगे।

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