Wednesday, February 12, 2025
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कन्नौज की 120 साल पुरानी खुशबू की हवेली, जहां मनाया जाता है फूलों का उत्सव

उत्तर प्रदेश का कन्नौज शहर इत्र यानी परफ्यूम के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां कई घरों में इत्र बनाया जाता है, जो यहां से दुनियाभर में भेजा जाता है। कन्नौज शहर की संकरी गलियों में इत्र की खूशबू किसी को भी दीवाना बना लेंगी। यहां की गलियों में गुलाब, चंदन और चमेली की खुशबू आती है। कन्नौज में इत्र बनाने का काम सदियों से चला आ रहा है। सम्राट हर्ष ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। इस खुशबू भरे इस शहर का इतिहास 200 साल से भी पुराना है।
सदियों पुराने पेशे को रखा है जिंदा
यहां लोग अपने हाथों से फूलों से रस निकाल कर शुद्ध इत्र बनाते थे। हालांकि अब इत्र बनाने के लिए मशीनें आ चुकी हैं। लेकिन फिर भी कन्नौज वालों ने सदियों पुराने पेशे को जिंदा रखा है। ऐसे ही एक इत्र उत्पादक प्रणव कपूर भी हैं। प्रणव आठवीं पीढ़ी के इत्र उत्पादक हैं, यानी उनसे पहले सात पीढ़ी इत्र बनाने का काम करती आ रही हैं। प्रणव 120 साल पुरानी हवेली में आज भी इत्र बनाने का कारोबार करते हैं। सबसे हैरानी की बात ये है कि प्रणव के यहां आज भी पारपंरिक ढंग से इत्र बनाया जाता है।
आठ पीढ़ियां कर रही इत्र का कारोबार
प्रणव इंस्टाग्राम पर इत्र बनाने के काम से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो भी शेयर करते हैं, जिन्हें लाखों लोग पसंद करते हैं। प्रणव बताते हैं कि मेरे परिवार की आठ पीढ़ियां इत्र बनाने का काम करती रही हैं, मेरा बचपन भी इसी सबके बीच बीता। मेरी सबसे प्यारी यादों में से एक वह है जब मेरे दादाजी मुझसे इत्र और फूलों की खुशबू पहचानने के लिए कहते थे। रिपोर्टों के अनुसार, कन्नौज में डिस्टिलरों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में प्रणव इत्र के 200 साल पुराने कारोबार को आज भी संजोकर चला रहे हैं।
ऐसे आया इत्र उत्सव मनाने का विचार
प्रणव ने कुलिनरी आर्ट्स का कोर्स किया है, उन्हें कुकिंग करना पसंद है। वो कहते हैं कि कुकिंग और परफ्यूमरी मेरा जुनून था और मैं इन दोनों को मिलाने का तरीका खोजना चाहता था। 2017 में जैसलमेर की छुट्टी के दौरान वो एक होमस्टे में रुके थे, जहां उन्हें अपने दोनों स्किल को मिलाने का तरीका मिला। दरअसल प्रणव जहां रुके थे, वो एक हवेली थी, जिसे होटल में बदल दिया गया था। इससे उन्हें भी आइडिया आया। प्रणव कहते हैं कि मैंने अपनी 120 साल पुरानी हवेली को इसी तरह बदलने का फैसला किया। इस बारे में पहले किसी ने सोचा नहीं था। इस प्लान को एक्जीक्यूट करने में लगभग 6 साल लग गए। कोरोना भी इसमें बाधा बनकर सामने आया। लेकिन 2022 में उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया।
मौसम के हिसाब से बनाए जाते हैं उत्सव
साल 2022 में प्रणव ने अपनी पुश्तैनी हवेली को होटल में बदल दिया। उन्होंने होटल का शानदार मेनू तैयार किया, जिसमें पारंपरिक खाना शामिल किया गया। हवेली की लोन में एक परफ्यूम बार है जहां लोग आ सकते हैं और अपने खुद के परफ्यूम भी बना सकते हैं। मार्च 2023 में प्रणव ने ‘गुलाब उत्सव’ मनाने के लिए मेहमानों के अपने पहले समूह की मेजबानी की। वो बताते हैं कि हम अपने त्योहारों को मौसमों से जोड़ते हैं, क्योंकि हर मौसम के हिसाब से अलग-अलग फूल खिलते हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी से मार्च ‘गुलाब का मौसम’ है, इसलिए हमारे पास गुलाब का त्योहार था। ऐसे में होटल में सब कुछ गुलाब थीम पर था।
मेहमान खुद चुनते हैं फूल फिर बनाते हैं इत्र
मेहमानों को गुलाब के खेत में ले जाया जाता है जहां वे इत्र के लिए फूल तोड़ते हैं। फिर उन्हें डिस्टिलरी में ले जाया जाता है जहां वे इत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। फिर, हम उन्हें परफ्यूम बार में ले जाते हैं, जहां वे मेरी मदद से अपना परफ्यूम बना सकते हैं। गुलाब उत्सव के बाद वो अब चमेली उत्सव मना रहे हैं। चूंकि चमेली के फूलों को रात में तोड़ जाता है। इसलिए रात में फूलों को तोड़कर उनका इत्र तैयार किया जाता है। उन्होंने फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कोयम्बटूर, दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई जैसे भारतीय शहरों से दुनिया भर के लोगों की मेजबानी की है।
फिर से इत्र की राजधानी के रूप में उभर रहा कन्नौज
प्रणव कहते हैं कि उनके इस आइडिया से कन्नौज शहर को फिर से इत्र की राजधानी के रूप में जाना जाने लगा है। लोग परफ्यूम के लिए विदेशी ब्रांड की ओर देखते हैं, लेकिन उनके इस प्रयास से कन्नौज में बनने वाला इत्र अब ब्रांड के रूप में उभर कर आ रहा है। सबसे कमाल की बात ये है कि कन्नौज में नेचुरल तरीके से इत्र तो बन ही रहा है, साथ में लोग इतने पुराने खुशबू के कारोबार को बारीकी से जान पा रहे हैं।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

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