कोलकाता : सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन एवं भारतीय भाषा परिषद के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित ‘साहित्य-संवाद’ के अन्तर्गत विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने आलेख एवं युवा कवियों ने काव्य-पाठ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विमला पोद्दार ने कहा कि साहित्य-संवाद का यह मंच नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करता है। स्वागत भाषण रखते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक शंभुनाथ ने कहा कि इस तरह के विमर्श से शोधार्थियों का अनुसंधान कार्य और अधिक समृद्ध होगा। ‘कवि सप्तक’ के अंतर्गत शिव कुमार यादव, नीलकमल, विमलेश त्रिपाठी, रितु तिवारी, राहुल शर्मा, संदीप प्रसाद और धर्मेंद्र राय ने अपनी कविताओं का पाठ किया। आलेख पाठ के अंतर्गत विश्व भारती विश्वविद्यालय की शोध छात्रा पूजा पाठक ने ‘मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में स्त्री-चेतना’ विषय पर विचार रखते हुए कहा कि ‘देह विमर्श को लेकर जो रूढ़ियाँ हैं, उसे हमें ध्वस्त करना होगा।’
कलकत्ता विश्वविद्यालय के शोधार्थी रंजीत संकल्प ने ‘साम्प्रदायिकता विमर्श और हिंदी उपन्यास’ शीर्षक विषय पर विचार रखते हुए कहा कि हिंदी उपन्यासों में सांप्रदायिकता को लेकर लेकर एक गंभीर विमर्श की परम्परा है। वर्द्धमान विश्व विद्यालय के शोधार्थी शिव कुमार दास ने ‘ भूमंडलीकरण के दौर में साहित्य के समक्ष चुनौतियाँ’ विषय पर विचार रखते हुए आज के दौर को बाज़ार का दौर कहा। कलकत्ता विश्वविद्यालय के शोधार्थी पीयूषकांत राय ने ‘समकालीन उपन्यास और स्थानीयता का विमर्श’ शीर्षक के अंतर्गत ‘मंडल, कमंडल और भूमंडल के त्रिभुज से प्रभावित समाज का मूल्यांकन समकालीन हिंदी उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में किया सभी आलेखों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कवयित्री रजनी गुप्त ने कहा कि सभी आलेख मौलिक चिंतन से जुड़ी हैं और हमें यह पीढ़ी आश्वस्त भी करती हैं ।कार्यक्रम का संचालन संजय जायसवाल ने कहा कि साहित्य संवाद का यह मंच रचनात्मकता का मंच है जो हमें रचने और संवाद के लिए प्रेरित करता है । धन्यवाद ज्ञापन आनंद गुप्ता ने दिया ।