कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद् सभागार में कहानी और कविता के अभिनयात्मक पाठ का आयोजन किया गया। कहानी और कविता का अभिनयात्मक पाठ उनके गूढ़ अर्थों को और अच्छी तरह प्रेषित करने में एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है। इस तरह के पाठ से श्रोता नई ध्वनियों और नए बिम्बों से स्वतः जुड़ने लगता है क्योंकि हर अभिनेता अपने वाचन से उसके कई मर्म खोलता है और इसलिए कई अलग अलग बिम्बों की सृष्टि होती है इसलिए लिटिल थेस्पियन ने कहानी और कविता की पाठ प्रस्तुति में अभिनय पक्ष की महत्ता को एक आवश्यक अंग मानते हुए भारतीय भाषा परिषद् के साथ मिलकर इसके प्रशिक्षण के लिए पिछले अगस्त 2016 से तीन महीने का एक सर्टिफिकेट कोर्स प्रारम्भ किया है जिसकी कक्षा प्रति शनिवार लिटिल थेस्पियन की निर्देशिका उमा झुनझुनवाला की निगरानी में होती है।
कल तीसरे सत्र का समापन है l इस सत्र में कुल 17 प्रशिक्षार्थी थे जिन्होंने 5 कहानियों और 9 कविताओं का अभिनयात्मक पाठ प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों ने अकेली (मन्नू भंडारी), जन्मदिन (संगीता बासु), नाच (असगर वज़ाहत), सिक्का बदल गया (कृष्णा सोबती), एक अचम्भा प्रेम (कुसुम खेमानी) का पाठ किया। कविताओं में जलियांवाला बाग़ में बसंत (सुभद्रा कुमारी चौहान), बहारें होली की (नज़ीर अकबराबादी) गाँधीजी के जन्मदिन पर (दुष्यंत कुमार), सब कुछ कह लेने के बाद (सर्वेश्वरदयाल सक्सेना), उधार (अज्ञेय), चार कौए उर्फ चार हौए (भवानीप्रसाद मिश्र), उत्तर (महादेवी वर्मा), मैंने आहुति बन कर देखा (अज्ञेय) और हँसो हँसो जल्दी हँसो (रघुवीर सहाय) का पाठ किया गया। प्रशिक्षार्थियों के नाम पूनम पाठक, मृणालिनी मिश्रा, अमर्त्य भट्टाचार्य, विपिन गिरी, बबीन दास, तृषा मंडल, अविक महतो, अनुभव कृष्ण, प्रणय साहा, अनीता दास, शबरीन खातून, साकिब जमील, दीपाश्री दास, नीतू कुमारी सिंह, बिंतेश पांडेय, शिवम मिश्र, रजत प्रसाद यादव, एजाज़ खान हैं। इस सत्र के निर्णायक सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री एस. एम्. अज़हर आलम, नाट्य समीक्षक श्री प्रेम कपूर तथा सत्यजित रे फिल्म व टेलीविज़न इंस्टिट्यूट के प्रोफ़ेसर श्री राजा चक्रवर्ती थे। अंत में सभी प्रशिक्षार्थियों को सर्टिफिकेट दिए गये।