सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया
ऐसे समय में जब महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा प्रश्न बना हुआ हो और उनको पर्दे में धकेलने की तमाम कोशिशें सदियों बाद भी चरम पर हों…वहाँ यह जानकर सुखद लगता है कि शताब्दी पूर्व कोई ऐसा शख्स रहा होगा जिसने महिलाओं को परदे में धकेलने की जगह उनके लिए सुरक्षा की व्यवस्था की। ऐसे परदेस में जहाँ…दूर -दूर तक कोई अपना नहीं था…ऐसा निर्माण करवाया जो महिलाओं की अस्मिता और उसके सम्मान को सहेज सके…सुनना तो सुखद लगता है और जब आप उस जगह को खुद देखते हैं तो जहाँ उस व्यक्ति पर गर्व होता है तो आज उसकी स्मृति की दुर्दशा को देखकर आँखें झुक जाती हैं…।
बात 1890 की है तब अन्य राज्यों से व्यापारी कोलकाता में बसने लगे थे और ऐसे ही एक व्यवसायी थे रामचन्द्र गोयनका…तब ब्रिटिश भारत में महिलाओं की निजता की सुरक्षा एक चुनौती थी…नदी किनारे स्नान करती महिलाओं पर ब्रिटिशों की ही नहीं स्थानीय पुरुषों की भी नजर रहती थी…इस परेशानी का हल तब स्थानीय मजिस्ट्रेट के पास भी नहीं था…ब्रिटेन की रानी का राज था…और उनकी नजर पूरे शहर पर थीं। शहर अंग्रेजी रंग में रंगने लगा था….ब्रिटेन से आयी महिलाएं हाथों में दस्ताने पहनतीं, डिनर पर जातीं…सम्भ्रांत घरों की महिलाओं ने भी नये तौर – तरीके सीखने शुरू कर दिये थे…वह नदी पर जातीं तो पालकी में जातीं मगर दूसरे राज्यों से आयी महिलाओं के पास यह सुविधा तब नहीं थीं।
ऐसी स्थिति में सामने आये रामचन्द्र गोयनका और उन्होंने बनवाया जनाना घाट जो चहारीदीवारियों से घिरा था…खूबसूरत गुम्बदों से सजा यह घाट गुमनाम हो गया है…यहाँ तक कि लोग उनका नाम भी नहीं जानते…जो घाटन महिलाओं के लिए बनवाया गया था…अब वहाँ अराजक तत्वों का राज है और हर कोई यहाँ स्नान करने चला आता है…नतीजा अब महिलाओं के लिए इत्मीनान से रहना कठिन है।
महिलाओं के लिए रामचन्द्र गोयनका ने सिर्फ यह घाट ही नहीं बनवाया बल्कि कई और महत्वपूर्ण कार्य भी किये…अब आपको यह भी जानना चाहिए कि रामचन्द्र गोयनका थे कौन…तो आज जिस आरपीजी समूह को आप जानते हैं और गोयनका घराने को जानते हैं…रामचन्द्र गोयनका इस गोयनका परिवार के पूर्वज हैं। गोयनका परिवार से सबसे पहले रामदत्त गोयनका कोलकाता आए और यहाँ के स्थापित उद्योगपतियों में उनका नाम शामिल है…इनके बेटे थे रामकिसन दास गोयनका और रामकिसन दास गोयनका के ही पुत्र थे रामचन्द्र गोयनका जो अपने समय के प्रख्यात व्यवसायी होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे।
राजस्थान में इन्होंने प्रख्यात राम चन्द्र दत्त गोयनका छतरी डूंडल्ड में बनवायी। कलकत्ता पिंजरापोल सोसायटी के संस्थापकों में से एक थे और 1899 में इन्होंने विधवा सहायक समिति भी स्थापित की और यह संस्था 15 साल तक के अनाथ बच्चों की भी सहायता किया करताी थी। रामचन्द्र गोयनका ने जनाना घाट सिर्फ और सिर्फ महिलाओं के लिए ही बनवाया था और आज भी यह घाट इसका प्रमाण है।
कोलकाता को सुन्दर बनाने की बात करने वाली सरकारों ने विकास को भी दो तरीके से ही देखा…और नतीजा यह है कि हिन्दीभाषी इलाकों में बिखरे इतिहास को हाशिए पर डाल दिया गया…इस पर इतिहासकारों की नजर क्यों नहीं गयी…यह एक सवाल है…क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है…। हावड़ा पुल के रास्ते में जो सीढ़ियाँ मल्लिक घाट फूल बाजार की ओर जाती हैं…वहीं पर यह घाट है और इसे संवारा जाये तो यह बेहद मनोरम पर्यटन स्थल बन सकता है….मगर स्थानीय लोग बताते हैं कि सुध लेना तो दूर जनाना घाट से दूसरे इलाकों को जोड़ने के लिए जो पुल था…उसे भी तोड़ दिया गया और यह एक बड़ा कारण है कि महिलाएं यहाँ नहीं आ पातीं। नतीजा यह है कि आज यह जगह आपराधिक तत्वों का अड्डा बनती जा रही है…जरूरी है कि प्रशासन नहीं तो आम संस्थाएं ही यह नेक काम करें और इस गौरवशाली स्मृति को सहेजें क्योंकि अपना इतिहास हमें खुद ही बचाना होगा।
स्त्रोत साभार – आरपीजी समूह की वेबसाइट