खंडवा/इंदौर। धर्म के नाम पर बात-बात पर मरने-मारने को आमादा होने वालों के ये खबर आई ओपनर है। सावन का महीना मोहम्मद जहीर के लिए बहुत व्यस्तता भरा होता है, क्यूंकि वे शिवलिंग की सेवा में जुटे रहते हैं। यूँ तो वे 12 महीने शिव मंदिर की देखरेख वैसे ही करते हैं, जैसे दरगाह की।
क्यों इतनी शिद्दत से करते हैं शिवलिंग की सेवा….
सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जहीर यहां सेवा देते हैं, लेकिन कभी भी उन्होंने धर्म की बाधा को आड़े नहीं आने दिया। मंदिर परिसर की सफाई तथा गर्भगृह में शिवलिंग पर पड़े हार-फूल बदलते उन्हें जो भी देखता, उनसे धर्म की बाधा के बारे में प्रश्न जरूर करता है। वह भी सहजता से जवाब देते हैं, ईश्वर-अल्लाह एक है। इनमें फर्क नहीं, फर्क है तो हमारी सोच में।
बुरहानपुर से 20 किमी दूर असीरगढ़ किले के सामने बने ऐतिहासिक शिव मंदिर की। असीरगढ़ के रहने वाले 40 वर्षीय जहीर यहां सात साल से सेवा दे रहे हैं। पुरातत्व विभाग के अधीन इस शिव मंदिर में लेबर के रूप में कार्यरत जहीर ने कहा इससे पहले परिवार के किसी भी सदस्य ने यहां काम नहीं किया। पहले मैं खुली मजदूरी करता था। जब मुझे मंदिर में काम करने का अवसर मिला तो इसे कैसे छोड़ सकता था।
कोई पुजारी नहीं है तो खुद संभाल लिया जिम्मा…
उन्होंने बताया यहां कोई स्थायी पंडित नहीं है। जो पर्यटक शिवजी की पूजा करने आते हैं, उनके द्वारा चढ़ाई गई फूलमालाएं बदलने का काम भी मैं ही करता हूं। साफ-सफाई तो करना ही है। उन्होंने बताया कि श्रावण मास यहां बहुत से भक्त शिव आराधना के लिए पहुंचते हैं। वहीं प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर खंडवा का पंसारी परिवार यहां पूजन करवाता है।
दरगाह पर भी देते हैं सेवा
इस मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित दरगाह पर भी जहीर सेवा देते हैं। यह दरगाह भी पुरातत्व विभाग के अधीन है। उन्होंने बताया मेरे लिए जैसी दरगाह है, वैसा ही शिव मंदिर भी। दोनों ही जगह बराबर ध्यान देता हूं। रमजान या ईद का दिन भी मंदिर की सेवा के आड़े नहीं आता। उन्होंने बताया मेरे पांच बच्चे हैं। उन्हें भी इस तरह की एकता को बनाए रखने की सीख दूंगा।