भारतीय भाषा परिषद की कार्यसमिति ने 4 भारतीय भाषाओं के वरिष्ठ साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपए का कृतित्व समग्र सम्मान और इक्कीस-इक्कीस हजार रुपये का युवा पुरस्कार देने का सर्वसम्मति से निर्णय ले लिया है। हिन्दी में कृतित्व समग्र सम्मान इस बार वरिष्ठ लेखिका मैत्रेयी पुष्पा को प्रदान किये जायेंगे ये पुरस्कार विद्वानों को 10 मार्च परिषद के सभागार में प्रदान किए जाएंगे। कृतित्व समग्र सम्मान और युवा पुरस्कार प्रति वर्ष बारी-बारी से 4 भारतीय भाषाओं को दिए जाते हैं। यह घोषणा की जा रही है कि इस बार ये पुरस्कार हिंदी, तमिल, गुजराती और उड़िया भाषाओं के निम्नलिखित साहित्यकारों को प्रदान किए जाएंगे –
कृतित्व समग्र सम्मान – (एक-एक लाख रुपए का)
- (हिंदी) श्री मैत्रेयी पुष्पा
- (तमिल) श्री मालव व्ही. नारायणन
- (गुजराती) श्री सीतांशु यश्शचंद्र
- (ओड़िया) श्रीमती ममता दाश
युवा पुरस्कार (इक्कीस-इक्कीस हजार रुपए का)
- (हिंदी) श्री अनुज लुगुन
- (तमिल) श्री हरिकृष्णन
- (गुजराती) श्री राम मोरी
- (ओड़िया) श्री रंजन प्रधान
पुरस्कृत लेखकों को नगद राशि के अलावा अंगवस्त्र, स्मृति फलक आदि देकर पूरी गरिमा से सम्मानित किया जाता है। सम्मान समारोह के अवसर पर ‘भारतीय भाषाएँ – सांस्कृतिक संवाद की परंपरा’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी 10-11 मार्च को आयोजित है जिसमें देश के कई विद्वान भाग लेंगे।
भारतीय भाषा परिषद भारतीय भाषाओं और साहित्य के विकास और प्रोत्साहन के लिए कार्य कर रही देश की प्रतिनिधि सांस्कृतिक संस्था है। इसकी स्थापना 1974 में हुई थी। 1980 में कृतित्व समग्र सम्मान की शुरुआत हुई। इसके बाद 2007 से युवा पुरस्कार भी शुरू कर दिया गया। हिंदी, तमिल, संस्कृत, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, राजस्थानी आदि विभिन्न भारतीय भाषाओं में अब तक सौ से अधिक वरिष्ठ और युवा साहित्यकार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। यह कार्य भारतीय भाषाओं के बीच सद्भावना को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रेरित है।