कोलकाता : कोरोना से जूझ रहे असहाय और अकेले पड़ गए लोगों तक पहुंच कर भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की एनसीसी की टीम ने रीच आउट प्रोजेक्ट के तहत मदद देने का कार्य किया। 120 विद्यार्थियों की इस टीम ने कोविड-19 से जूझ रहे मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना, बेड, खून, प्लाजमा, अॉकसीजन सिलिंडर, इंजेक्शन और दवाइयों का इंतजाम किया जो आज की प्रतिकूल और भयावह परिस्थितियों में साहस का कार्य है। कैडट गौरव शशि शर्मा को पता चला कि उनकी स्कूल की अध्यापिका मिर्टल किट अकेली हैं और कोरोना से जूझ रही थी उनका अॉकसीजन लेवल गिर रहा था । उनको देखने वाला कोई नहीं था। ऐसी स्थिति में जब कोई महामारी कोरोना के भय से कोई जाना नहीं चाहता है रीच आउट प्रोजेक्ट के तहत उनको ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया करवाया गया जो बहुत ही मुश्किल था। कैडट शुभदीप साहा चौधरी ने ऑकसीजन सिलंडर की व्यवस्था की। केडेट स्नेहा सेठिया अप्रैल में कोरोना से ग्रस्त होने के बाद बहुत दुर्बलता का अनुभव कर रहीं थीं लेकिन उस अवस्था में भी मदद करने से पीछे नहीं हटी। कोरोना के मरीजों को बेड, ऑक्सीजन और इंजेक्शन की मदद की। अंकित कुमार सिंह ने अपने स्थानीय मित्र के साथ सिलीगुड़ी में कोरोना के दुष्प्रचार के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित किया और सोशल मीडिया द्वारा जागृत किया।
कैडट बिपुल नारायण ने दिल्ली के ऐसे दो बच्चों को जो क्रमशः तीन दिन और छह महीने के थे जिन्होंने कोरोना में अपने माता-पिता को खो दिया था। इनके लिए प्रचार कार्य किया जिसके परिणामस्वरूप झारखंड के एक परिवार ने सेक्टर 4-बी एस सीटी झारखंड ने उन्हें गोद लिया। रांची के मनीष कुमार से संपर्क किया गया जिनको अपने पिता के लिए कोविड ट्रीटमेंट के लिए आर्थिक सहायता की आवश्यकता थी, सोश्यल मीडिया के द्वारा आर्थिक मदद दी गई।
कैडट आशुतोष कुमार झा, यश बर्मन सिद्धार्थ ठाकुर शशांक शेखर तिवारी, ओजस्विता मुखर्जी और सभी कैडट ने पश्चिम बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों दिल्ली पूणे राजस्थान आदि में भी रीच आउट प्रोजेक्ट द्वारा मदद के लिए जुड़े हुए हैं। डॉ वसुंधरा मिश्र ने जानकारी दी।