नेताजी का स्वप्न ‘महाजाति सदन’ और पसन्द लक्ष्मीनारायण एंड संस का ‘तेलेर भाजा’

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस…आजाद हिन्द फौज को नयी पहचान देने वाले ओजस्वी वाणी से मुर्दों में प्राण फूँक देने वाले हम सबके प्रिय नेता जी। भवानीपुर में उनकी स्मृतियों को संजोता नेताजी भवन तो हम सबके सामने है ही ..परन्तु नेता जी के व्यक्तित्व के कई ऐसे पक्ष भी हैं जो कम ही लोग जानते हैं…नेता जी ने इस शहर को ऐसा सभागार दिया है जो आज भी सिर ऊँचा कर हम सबके सामने है और उनकी स्मृति बन गया है। सुभाष बाबू सृष्टा तो थे ही, साथ ही भोजन प्रेमी भी थी। मूढ़ी, पकौड़ी से उनका लगाव रहा…छात्र जीवन में तेलेर भाजा की चाह में वे ऐसी ही एक दुकान को खूब पसन्द करते थे..और दुकान के मालिक खेदू साव का भी नेता जी से लगाव भी कुछ ऐसा ही था कि नेताजी के जन्मदिवस पर हर निःशुल्क तेलेर भाजा वितरित करते रहे और आज भी हर साल 23 जनवरी को तेलेर भाजा के वितरण की परम्परा अब तक चली आ रही है।
इस बार की पड़ताल में ऐसी ही घटनाओं की झलक है आपके लिए। हम जिस सभागार की बात कर रहे हैं…वह है महाजाति सदन…। महाजाति सदन को तो हम सब जानते हैं…कभी न कभी आप भी गये ही होंगे और हाल ही में 75 साल पूरे कर चुके इस सभागार को संवारा भी गया मगर नेताजी से इस सभागार का अनोखा सम्बन्ध है….नेताजी का ही नहीं बल्कि कवि गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर का भी सम्बन्ध है। सुभाष बाबू का ऐसा स्वप्न जिसे आगे चलकर देश के स्वाधीन होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री विधान चन्द्र राय ने पूरा किया।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुरोध पर महाजाति सदन को नाम भी रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने दिया था

19 अगस्त 1939 को सुभाष चन्द्र बोस, विधान चन्द्र राय जैसे गण्यमान्य लोगों के बीच कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने महाजाति सदन का शिलान्यास किया पर हमें और पीछे मुड़कर देखने की जरूरत है। 1937 मई का महीना, सुभाष चन्द्र बोस ने अपने एल्गिन रोड स्थित आवास पर अपने मित्र एडवोकेट नृपेन्द्र चन्द्र मित्र और स्थानीय युवकों को लेकर एक सभा बुलाई थी। इस सभा में सुभाष चन्द्र बोस ने कलकत्ता की नागरिक सभा समिति के आह्वान के लिए एक बड़े प्रेक्षागृह या सभागार की स्थापना की जरूरत बतायी।
इसके कुछ दिन बाद नेता जी को सेन्ट्रल एवेन्यू और हरिसन रोड (आज का महात्मा गाँधी रोड) के संयोगस्थल के निकट कलकत्ता नगर निगम की 19 कट्ठा जमीन का पता चला और इसी जगह को सुभाष चन्द्र बोस ने प्रेक्षागृह के निर्माण के लिए चुना। नेता जी के अनुरोध पर तब कलकत्ता नगर निगम ने 1 रुपये की लीज पर जमीन उनको दी। फिर इस प्रस्तावित प्रेक्षागृह के नामकरण के लिए रवीन्द्रनाथ ठाकुर से अनुरोध किया गया और तब कवि गुरु ने इस प्रेक्षागृह को नाम दिया…महाजाति सदन।

नेताजी का यह स्वप्न पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री विधान चन्द्र राय ने पूरा किया

शांतिनिकेतन के विशिष्ट वास्तुकार सुरेन्द्रनाथ कर को इस प्रेक्षागृह का नक्शा बनाने की जिम्मेदारी मिली और इसके बाद सुभाष बाबू के अनुरोध पर कविगुरु ने इस महाजाति सदन की नींव रखी यानी शिलान्यास किया। इस बीच 1941 में सुभाष बाबू ने स्वाधीनता की मशाल को तेज करने के लिए देश त्याग किया। इस वजह से महाजाति सदन का निर्माण कार्य ठप पड़ गया। इस पर नाराज ब्रिटिश सरकार ने सुभाष बाबू के नाम पर जो लीज थी, वह भी रद्द कर दी।
ऐसी स्थिति में सुभाष चन्द्र बोस के बड़े भाई शरत चन्द्र बोस और मित्र नृपेन्द्र चन्द्र मित्र ने ब्रिटिश सरकार के इस फैसले के खिलाफ अदालत में अपील की। अदालत का फैसला कुछ दिन बाद ही आया मगर लीज को रद्द कर देने का फैसला गैरकानूनी करार दिया गया।

1947 में देश स्वाधीन हुआ और 1949 में पश्चिम बंगाल की विधानसभा में महाजाति सदन बिल पास हुआ। इसके बाद तत्कालीन मुख्य मंत्री विधान चन्द्र राय ने महाजाति सदन का निर्माण कार्य की बागडोर सम्भाल ली। 1958 में 19 अगस्त को उन्होंने ही इस सभागार का उद्घाटन किया। सभागार का मूल भवन 4 तल का है और 1309 सीटें हैं। यह सभागार 19 कट्ठा जमीन पर बना है। इसके अतिरिक्त यहाँ प्रदर्शनियों की व्यवस्था है। नेता जी और कवि गुरु की प्रतिमायें भी हैं, और साथ ही एक ग्रंथागार भी है।

महाजाति सदन एक्ट 1949 
महाजाति सदन और नेताजी का सम्बन्ध तो हमने आपको बता दिया..अब हम आपको नेताजी का ‘तेलेर भाजा’ कनेक्शन भी बताते हैं। यह सम्बन्ध इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आम आदमी के मन में नेता जी किस तरह बसे हुए हैं…यह बताता है। यह सम्बन्ध बंगाल और बिहार के सम्बन्ध को मजबूत करने वाली डोर है और यह सम्बन्ध जुड़ा है एक दुकान से।

हेदुआ इलाके में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से थोड़ी दूर पर है लक्ष्मी नारायण साव एंड संस की दुकान…दूर से ही इनके पकौड़ों और वेजिटेबल चॉप की खुशबू आपको खींच लेगी। नेताजी को इस दुकान की पकौड़ी यानी तेलेर भाजा खूब पसन्द था और छात्र जीवन में..वह यहाँ आकर इनका आनन्द भी लिया करते थे। यह दुकान आज भी है तो शुभजिता पहुँच गयी इस ऐतिहासिक जगह पर। दुकान के मालिक केष्टो कुमार गुप्ता ने बताया कि दुकान इनके दादा जी खेदू साव ने अपने बेटे लक्ष्मीनारायण के नाम पर 1918 में खोली।

बिहार के गया जिले से आने वाले गुप्ता बताते हैं कि उन दिनों यह दुकान क्रांतिकारियों के लिए एक इन्फॉरमेशन सेंटर यानी सूचना केन्द्र जैसी ही थी,,,,और दादा जी सूचना पहुँचा दिया करते थे। क्रांतिकारियों की गोपनीय बैठकों में इनके दादा जी खेदू साव पकौड़ी, मूढ़ी और मिट्टी की कुल्हड़ में चाय लेकर जाते थे। नेताजी को भी उन्होंने तेलेर भाजा खिलाया… यह1942 में नेता जी के जन्मदिवस पर आस – पास के लोगों को मुफ्त तेलेर भाजा खिलाना शुरू किया…देश आजाद हुआ तो खेदू साव ने घोषणा की कि हर साल 23 जनवरी को इस दुकान पर मुफ्त तेलेर भाजा वितरण होगा…यह परम्परा आज भी चली आ रही है।

समय के साथ इस दुकान में वैरायटी बढ़ी…शेफ रणवीर ब्रार से लेकर दादा सौरभ गांगुली तक कई दिग्गज हस्तियाँ यहाँ आ चुकी हैं…आज भी इस दुकान के तेलेर भाजा की महक सबको लुभाती है। इस साल भी 23 जनवरी को तेलेर भाजा वितरण होगा और जिस पैकेट में यह दिया जाता है, उस पर बनी होती है, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीर। दुकान के सामने नेताजी की प्रतिमा तो है ही…ऊपर भी नेताजी की तस्वीर और हर तरफ बिखरा पड़ा है इतिहास और ऐतिहासिक तस्वीरें औऱ तेलेर भाजा वितरण की अनूठी परम्परा और दुकान के मालिक केष्टो कुमार गुप्ता के अनुसार हमेशा जारी रहेगी यह परम्परा तो आप अगर कोलकाता में हों तो यहाँ जरूर जायें।

स्त्रोत साभार – (महाजाति सदन) आनन्द बाजार पत्रिका, कोलकाता 24 X7

वीडियो फुटेज – हेयरिक सौरभ

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