भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल लॉकर प्लेटफॉर्म और डिजिटल दस्तावेजों को मान्यता दे दी है। अब आप अपने निजी दस्तावेज को ऑनलाइन रख सकेंगे और जरूरत पड़ने पर केवाईसी के लिए भी इनका इस्तेमाल कर सकेंगे। केवाईसी पर आरबीआई के ताजा सर्कुलर में कहा गया है कि ग्राहक के डिजिलॉकर अकाउंट को प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए ई-दस्तावेज अब केवाईसा के लिए मान्य होंगे।
डिजिटल लॉकर से जुड़ी खास बातें….
क्या है डिजिटल लॉकर?
डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर एक तरह का वर्चुअल लॉकर है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जुलाई 2015 में लॉन्च किया था, हालांकि इससे जुड़े नियमों को 2017 में नोटिफिाई किया गया था। सरकार का दावा है कि एक बार लॉकर में अपने डॉक्यूमेंट अपलोड करने के बाद उन्हें फिजिकली रखने की जरूरत नहीं होती है।
कैसे काम करता है डिजिलॉकर
स्मार्टफोन के एप स्टोर से गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की डिजिलॉकर एप डॉउनलोड कर सकते हैं। इसे खोलेंगे तो स्क्रीन पर साइन इन तथा साइन अप के विकल्प दिखाई देंगे। अकाउंट बनाने के लिए साइन अप करना होगा। वैसे ही जैसे ई-मेल अकाउंट बनाते हैं।
यूजरनेम-पासवर्ड तय कर लेने के बाद आधार नंबर डालकर आगे बढ़ें। फिर वैरिफिकेशन के लिए ओटीपी डालकर आगे बढ़ें। आगे बढ़ते ही आपकी स्क्रीन पर आधार कार्ड, एलपीजी सब्सक्रिप्शन वाउचर जैसे सरकार द्वारा इश्यू किए गए दस्तावेजों की सूची होगी।
बैक करेंगे तो स्क्रीन पर फोल्डर होंगे। ऊपर अपलोड का साइन होगा, जिसकी मदद से आप स्मार्टफोन में फाइल या एप में सेव अपने डॉक्यूमेंट्स को इस पर अटैच कर सकते हैं। इन्हें डॉक्यूमेंट व माय सर्टिफिकेट या नए फोल्डर में मूव किया जा सकता है।
जब आप मैन्यू के विकल्प पर जाते हैं तो आपको अपलोड डॉक्यूमेंट, इश्यूड डॉक्यूमेंट, प्रोफाइल और अबाउट अस के अलावा क्यूआर कोड स्कैनर का कोड भी दिखाई देगा। स्कैनर से आप डिजिलॉकर के जरिए उपलब्ध हो रहे दस्तावेजों की सत्यता जांच करते हैं।
ये हैं 5 फायदे
डिजिलॉकर पर दस्तावेज सुरक्षित करने का अर्थ यह भी है कि आपको भौतिक रूप से इन्हें साथ लाने-लेजाने की जरूरत नहीं है।
रेसीडेंड (हमारे) द्वारा यहां अपलोड दस्तावेजों की सत्यता संबंधित विभाग द्वारा प्रमाणित कर जी जाती है। इनकी प्रमाणिकता बढ़ाने के लिए हम इन पर ई-सिग्नेचर भी कर सकते हैं।
इन्हें जिस रिक्वेस्टर (संस्थान जहां दस्तावेज मांगे गए हैं) को पेश करना चाहते हैं, वह इन्हें ऑनलाइन हासिल कर सकता है।
आप किसी रजिस्टर्ड रिक्वेस्टर के साथ अपने ई-डॉक्यूमेंट की लिंक ई-मेल के जरिए शेयर भी कर सकते हैं।
रेसीडेंड द्वारा चाहा गया दस्तावेज इश्युअर (जारी करने वाला विभाग) सीधे उसके डिजिलॉकर में भेज सकता है।
(साभार – दैनिक भास्कर)