बात जब भी घर की होती है तो सबका ध्यान लड़कियों पर जाता है, आपका भी जाता होगा। आपको एक गिलास पानी की भी उम्मीद अपने घर की किसी महिला से होगी या आपने अपनी बहनों को यह सुनते हुए देखा होगा कि उनको घर के कामकाज पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे पराया धन हैं और आप इत्मिनान से आगे भी बढ़ गये होंगे। लड़कों की परवरिश भी यह कहकर की जाती है कि कोई आएगी जो उनका ध्यान रखेगी…उनके सारे काम यहाँ तक कि निजी काम भी करेगी और आप ये सोच लेते हैं कि ये आपके निजी काम यानि खाना बनाने से कपड़े धोने तक की जिम्मेदारी आपकी बहन, पत्नी, माँ या बेटी उठा लेगी या उसे उठा लेनी चाहिए क्योंकि यही होता आया है और इस रवैये ने ही आपको एक आम इन्सान की जगह बादशाहत वाली सोच दी होगी मगर रुकिए क्योंकि जब आप यह सोच रखते हैं तो घर में रहते वो अधिकार भी आपसे छूट रहे होते हैं। कई मामलों में तो आप चाहकर भी नहीं बोल पाते क्योंकि ये औरतों का मामला है और कुछ गलत देखते हैं तो भी हस्तक्षेप नहीं कर पाते…।
क्या आपको नहीं लगता कि पूरी तरह निर्भर हो जाना आपको घर और परिवार से दूर करता है। आप चाहें भी तो बच्चों के साथ खुलकर जीवन का आनंद नहीं उठा सकते। उनके साथ वक्त नहीं बिता पाते और न ही इसके लिए पत्नी से शिकायत कर सकते हैं क्योंकि ये स्थिति तो आपने ही बनायी है।
कई बार आपको लगता होगा कि जब घर के पुरुष कमाते हैं वे बाहर काम करते हैं तो महिलाओं को ही घर का काम करना चाहिए मगर आपकी यह सोच आपको अकेला करती है। आज की महँगाई के जमाने में गृहस्थी की गाड़ी अकेले खींच लेना आसान नहीं है मगर आपकी सोच ने आपको अकेला कर दिया और आप चाहें भी तो किसी की मदद नहीं ले पाते। ऐसा सबके साथ तो नहीं है। अपनी असुरक्षा के कारण आपका अधिकतर समय अपने घर की महिलाओं की निगरानी में जब बीतता है तो उससे आपकी उर्जा और समय भी खर्च होता है। इसका सीधा असर आपके काम पर पड़ता है और जब आप उनको नियंत्रित करना चाहते हैं तो खुद ही बँध भी जाते हैं और इसका असर आपके काम पर पड़ना तय है क्योंकि जब महिलाएँ निर्भर होंगी तो उनका छोटे से छोटा काम भी आपके ही सिर पर पड़ेगा जबकि इसकी कोई जरूरत ही नहीं है। दूसरी बात अगर योग्य हो भी गईं तो शादी के बाद अक्सर उनकी नौकरी छुड़वा दी जाती है। ऐसा करके आप अपनी बेटी या बहन का ही नहीं अपना भविष्य भी दाँव पर लगाते हैं क्योंकि देर –सवेर उसके प्रोमोशन का लाभ भी आपको ही मिलता और उसके साथ आपके रिश्ते मजबूत होते सो अलग।अगर नौकरी नहीं छुड़वाई तो घर और ऑफिस दोनों का काम महिलाओं को ही करना पड़ता है और आपको अपना वक्त अकेले बिताना पड़ता है।
ग्लोबल ट्रेंड्स सर्वे 2017 के मुताबिक 64 प्रतिशत पुरुषों का अभी भी मानना है कि महिलाओं को घर के कामकाज तक ही सीमित रहना चाहिए। महिलाएं हफ्ते में कम से कम 33 घंटे तक घर के कामकाज करती हैं। अक्सर आप लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि उनसे पूछा जाए तो वे घर का काम करेंगे लेकिन ऐसा होता नहीं है। ज्यादातर लोग पूछे जाने पर जरूरी काम निपटाने का बहाना करके खिसक लेते हैं और भारतीय पुरुष तो अपनी रूढ़िबद्ध सोच के कारण एक गिलास पानी लेना भी अपनी तौहीन समझते हैं। दरअसल, उनकी परवरिश ही इसी सोच के साथ की गयी है और यह एक बड़ा कारण है। हमें यह समझना होगा कि घर पर काम कर रही महिलाएं भी काम करती हैं। उनके काम को भी सम्मान के साथ देखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर बिना कहे हाथ बटाना चाहिए। इसी तरह जहां घरेलू काम करने वाली महिलाओं को अपने काम को हीन भावना से नहीं देखना चाहिए उसी नौकरी करने वाली महिलाओं को भी खुद पर गर्व नहीं करना चाहिए।
काम है तो उसे सबको मिलकर निपटाना चाहिए. पति और पत्नी दोनों को मिलकर जल्दी काम निपटाना चाहिए जिससे वे जल्दी से एक दूसरे के साथ पर्याप्त समय बिता सकें और एक-दूसरे से जी भरके बात कर सकें। देखिएगा आपकी जिन्दगी में एक खूबसूरत संतुलन होगा और आत्मसंतुष्टि भी होगी।