नयी दिल्ली : पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ एयर कॉम्बैट ऑपरेशन में इजाफा करते हुए पिछले हफ्ते केवल तीन दिनों के अंदर भारत के 5,000 फाइटर जेट्स ने उड़ान भरी थी। भारतीय वायु सेना अब फाइटर जेट्स को अरुणाचल प्रदेश की चीन और लद्दाख से लगी पूर्वी सीमाओं पर शिफ्ट कर रहा है ताकि इससे वहां ताकत बढ़ाई जा सके। यह अभ्यास दो तरफा युद्ध के चलते नहीं बल्कि गगन शक्ति अभ्यास के तहत किया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- यह साल 1986-1987 के ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और साल 2001-2002 में ऑपरेशन पराक्रम के बाद हुआ अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास है। उस समय भारत संसद पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध करने के लिए लगभग तैयार हो गया था। पाकिस्तान और चीन सीमा पर संभावित खतरे से निपटने के लिए कम से कम 42 फाइटर स्क्वाड्रोन्स की जरूरत है, लेकिन अभी भी भारतीय खेमे में केवल 31 है। इसके बावजूद भी वायु सेना इस अभ्यास की मदद से खुद को तैयार कर रही है। गगन शक्ति अभियान के तहत वायुसेना ने 15,000 अधिकारियों को युद्ध की ट्रेनिंग दी है। 1100 एयरक्राफ्ट ने हवा में करतब दिखाए। इस अभियान में 550 एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया जिसमें फाइटर जेट, सुखोई 30, देश में बने 8 तेजस शामिल थे। सैन्य आक्रमण करने वाले हर तरह के 5000 एयरक्राफ्ट्स ने हिस्सा लिया।
अभ्यास के दौरान फाइटर्स ने शानदार प्रभावशीलता दर दर्ज की। केवल 48 घंटों के अंदर पूर्वी क्षेत्र से पश्चिमी क्षेत्र में एयरक्राफ्ट को शिफ्ट किया गया। इस अभ्यास में 46 एयरबेस को शामिल किया गया। दो तरफा युद्ध की स्थिति में 42 फाइटर जेट की आवश्यकता होती है लेकिन इस अभ्यास में 31 को शामिल किया गया।
सीमा पर लगभग 1,150 सैनिकों, विमानों, हेलीकॉप्टर और ड्रोन्स के साथ-साथ सैकड़ों एयर-डिफेंस मिसाइल, रडार, निगरानी के लिए और दूसरी इकाइयों को हाई-वोल्टेज अभ्यास के लिए तैनात किए गए हैं। यह अभ्यास भारतीय सेना और नौसेना की सक्रिय भागीदारी के साथ ही भूमि-हवाई-समुद्री लड़ाकू अभियानों के लिए हो रही है।
वायुसेना ने जरूरत पड़ने पर 83 प्रतिशत सेवा क्षमता को प्राप्त करने के लिए व्यवस्थित तरीके से काम किया है। इसके तहत किसी निश्चित समय पर विमान संचालन की उपलब्धता रहेगी। इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और बेस रिपेयर डिपो जैसे रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ शांत समय में 55 प्रतिशत से 60 प्रतिशत सेवाक्षमता हासिल की गई।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बिरेंद्र सिंह धनोआ ने कहा- इस अभ्यास के जरिए हमारा लक्ष्य परिचालन क्षमता और असल युद्ध जैसी स्थिति से निपटने को लेकर खुद को तैयार करने का है। इसके साथ ही उच्च गति ऑपरेशन को बनाए रखने की हमारी क्षमता की जांच करना है। इसका किसी भी देश के लिए उद्देश्य नहीं है।