कचरे से निपटने में नाकाम हैं एशिया-प्रशांत के देश, मिट्टी की हालत गंभीर

इंदौर : वैश्विक आबादी का करीब 60 प्रतिशत बोझ उठाने वाले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खुले स्थानों पर ठोस कचरे के भण्डारण और निपटारे से आबो-हवा और जन-जीवन पर दिनों-दिन खतरा बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (यूएनसीआरडी) की हालिया रिपोर्ट में इस विषय पर गहरी चिन्ता जाहिर की गयी है। यष्ह रिपोर्ट इंदौर में नौ से 12 अप्रैल के बीच संपन्न एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आठवीं “3 आर फोरम” के अध्यक्षीय सार के रूप में जारी की गयी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि खुले स्थानों पर कष्चरे के ढेर लगाने और इसे खुले में ही जलाने से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों में मिट्टी की सेहत गिरते-गिरते गंभीर स्थिति में पहुंच गयी है । अपशिष्ट निपटान की इस अनुचित प्रवृत्ति से मनुष्यों, जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के साथ समूचे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है ।

रिपोर्ट में कहा गया, “रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि (दुनिया में) ठोस कचरे के 50 सबसे बड़े भराव क्षेत्रों में से 35 प्रतिशत से ज्यादा स्थल अकेले एशिया-प्रशांत इलाके में हैं।” बहरहाल, रिपोर्ट में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि ठोस कचरे की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिये 3 आर (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) फॉर्मूले के आधार पर भारत, चीन, आॅस्ट्रेलिया, जापान और कोरिया गणराज्य में उम्दा उदाहरण पेश किये गये हैं। “3 आर” फॉर्मूले से आशय कचरे के उत्पादन को घटाने, पुराने सामान को अलग-अलग तरीकों से दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाने और रीसाइकिंिलग के जरिये पुरानी चीजों से नये उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने से है ।
आठवीं 3 आर फोरम के मेजबान मुल्क के प्रयासों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि “स्वच्छ भारत मिशन” के तहत नगरीय और कस्बाई क्षेत्रों में शत प्रतिशत ठोस कचरे का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करने के लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के नगरीय निकायों के 73 प्रतिशत से ज्यादा वॉर्डों में घर-घर से कचरा जमा किया जा रहा है। इन निकायों के 36 प्रतिशत से ज्यादा वॉर्डों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जा रहा है, ताकि इसके निपटारे में सुविधा हो।

आठवीं 3 आर फोरम के विशेष सत्र के दौरान एशिया-प्रशांत क्षेत्र के महापौरों ने एक ऐतिहासिक घोषणा पत्र को भी अपनाया। इसके जरिये संकल्प लिया गया कि पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील जगहों और पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक से बनी चीजों के अवैध निपटान पर “पूर्ण प्रतिबंध” की दिशा में आगे बढ़ा जायेगा। मिट्टी, हवा और पानी को स्वच्छ बनाने के लिये जरूरी कदमों पर आधारित इस 11 सूत्रीय दस्तावेज को “इंदौर 3 आर घोषणापत्र” नाम दिया गया।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आठवीं 3 आर फोरम में 45 देशों के करीब 300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत का आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय, जापान का पर्यावरण मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (यूएनसीआरडी) इसके आयोजन में सहभागी थे।

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