रविवार को कश्मीर में हिंसा और तनाव फैला हुआ था। दुकानों के शटर गिरे हुए थे, सड़को पर पत्थर ही पत्थर नज़र आ रहे थे। खौफ के कारण लोग अपने घरों में ही छुपे बैठे थे। ऐसे हालात में दो नर्सें 40 किलोमीटर पैदल चलकर ड्यूटी करने अस्पताल पहुँचीं।
फिरदौसा राशिद और फिरदौसा राशिद एक ही नाम की दोनों नर्सें श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में काम करती हैं। इनमें से एक फिरदौसा उत्तर कश्मीर के तंगमार्ग में रहती हैं जबकि दूसरी मगम इलाके की रहने वाली हैं।
“मुझे पता था कि अस्पताल में स्टाफ कम हैं। मेरी ड्यूटी सर्जिकल आइसीयू में थी इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए मेरा ड्यूटी पर पहुँचना जरूरी था। अगर नर्स न हो तो आईसीयू का क्या फायदा?” तंगमार्ग की रहने वाली फिरदौसा ने सोमवार को ग्रेटर कश्मीर के संवाददाता से बातचीत में बताया।
उन्होंने बताया कि वो घर से सुबह 7:45 बजे निकलीं और दोपहर के 2:15 बजे अपने अस्पताल पहुँचीं। उन्हें अफसोस था कि उन्होंने निकलने मे देरी कर दी। मगम से कुछ दूर तक तो एक एंबुलेंस ने उन्हें छोड़ दिया जिसके बाद उन्होंने फिर से पैदल चलना शुरू कर दिया।
“अस्पताल में कुछ नर्स दो दिन से लगातार काम कर रहीं थीं। उन्हें आराम देना जरूरी था। इसलिए मुझे किसी भी तरह अस्पताल पहुँचने की प्रेरणा मिलती रही। घर वालों ने मुझे चेताया कि मैं अपनी जान जोखिम में डाल रहीं हूँ लेकिन मैंने उनको नजरअंदाज कर दिया।“– फिरदौसा नेकहा।
रास्ते में फिरदौसा उपद्रवियों के बीच से होकर गुजर रहीं थीं। कई लोगों ने उन्हें रोककर पूछा कि वो सड़क पर क्यों निकली हैं। पर फिरदौसा बिना किसी को कोई जवाब दिए आगे बढ़ती गईं।
श्रीनगर गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा. कैसर अहमद ने कहा, “अस्पताल के कई कर्मचारी हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल पहुँच रहे हैं। कुछ लोगों की रास्ते में गाड़िय़ाँ तोड़ दी गईं। लेकिन हम लोग किसी न किसी तरह अस्पताल पहुँच रहे हैं। वो हमारे ही लोग हैं। उन्हें हमें अस्पताल पहुँचने देना चाहिए ताकि हम यहाँ सैंकड़ों घायलों का इलाज कर सकें।”