मोबाइल आज हमारी जिन्दगी का हिस्सा है। हम और आप अपनी जरूरतों के हिसाब से फोन और उस पर उपलब्ध एप्स इस्तेमाल करते हैं मगर उसके परिणाम हम पर निर्भर करते हैं। कुछ ऐप्स ऐसे हैं जो आपकी जिन्दगी को आसान बनाते हैं तो कुछ ऐप्स ऐसे हैं जो दुनिया बदल रहे हैं। वोडाफोन फाउंडेशन की पहल ‘मोबाइल फॉर गुड अवॉर्ड्स’ ऐसे मोबाइल अपलिकेशन्स को सम्मानित करती है जो भारत मे विभिन्न क्षेत्रो जैसे की स्वास्थ, शिक्षा, कृषि आदि के क्षेत्र मे लाखो लोगो के जीवन मे सकारात्मक बदलाव लाने मे सक्षम है। ऐसे ही कुछ ऐप्स की जानकारी यहाँ पर दी जा रही है –
- सेल्फ़- रिलायंट इनिशियेटिव्स थ्रू जॉइंट एक्शन (सृजन) SRIJAN :
यह एक ऐसा एप है जो महिलाओ को सोया की फसल पर नज़र रखने मे मदद करते हुए उसकी गुणवत्ता, लाभप्रदता तथा क्षमता को बढ़ाता है। उत्पादन मे गिरावट तथा उपयुक्त बाज़ार की कमी हमेशा से ही भारत के किसानो के लिए दो भारी चुनौतियाँ रही है. सृजन(SRIJAN) इन ग़रीब किसानो की ऐसी ही चुनौतियों का सामना करने मे सहायता करता है जिससे उनकी आमदनी मे बढ़ौतरी हो।. SRIJAN (सृजन) का सोया समृद्धि प्रॉजेक्ट छोटे किसानो की उत्पादकता एवम् लाभ को बढ़ाने की ओर अपना ध्यान केंद्रित करता है। SRIJAN के होने से, सोया समृद्धि किसानो को कम बारिश होने के बावजूद बाकी किसानो के मुक़ाबले ४७ प्रतिशत ज़्यादा पैदावार का लाभ हुआ।
और ये सब कुछ सिर्फ़ एक मोबाइल फोन की बदौलत संभव हो पाया। महिला किसानो का विवरण, फसल की जानकारी तथा बाकी पूरा ब्योरा मोबाइल फोन के द्वारा बिल्कुल सिरे से दर्ज़ किया जाता है। बाद मे इन खेतो की जाँच की जाती है तथा जाँच के हिसाब से खेती को बेहतर बनाने के सुझाव दिए जाते है. चुने हुए प्रोफैइलो को ‘जियो टॅगिंग’ द्वारा विश्व स्तर पर उपलब्ध कराया जाता है। इस तरह से किसान अपनी फसल का विवरण भरकर उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ तथा विशेषज्ञों की सलाह ले सकते है। यह सेवा फसल के उत्पादन का पूर्वानुमान, उसकी कीमत एवम् बाकी सभी महत्वपूर्ण जानकारियो को बेहद आसानी से मोबाइल फोन के द्वारा उपलब्ध कराती है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
- ऑपरेशन आशा
ऑप्स आशा की ‘टीबी कॉंटॅक्ट ट्रेसिंग आंड आक्टिव केस फाइंडिंग’ नामक सॉफ्टवेअर टीबी के संभावित मरीज़ो को पहचानने मे मदद करता है। एप आशा बेहद बड़े पैमाने पर टीबी याने की यक्ष रोग के उपचार तथा इसके बारे मे जागरूकता फैलाने का काम कर रही है। भारत के कुल ९ राज्यो के २०५३ मलिन बस्तियों मे अपनी छाप छोड़ने के साथ साथ ऑप आशा कंबोडिया के टीबी मरीज़ो के लिए भी काम कर रही है। इस मुहिम का असल मकसद ग़रीब और लाचार लोगो तक अच्छी और भरोसेमंद सुविधाए तथा वस्तुओ को कम दरो पर उनके घर तक पहुँचाना है।
२०१३ मे ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुचने के उपलक्ष्य से ऑप आशा ने एक मोबाइल एप की स्थापना की। इस एप का मूल उद्देश्य टीबी के मरीज़ो को पहचानना तथा उन्हे ढूंढना था। इस एप के ज़रिए टीबी के संभावित मरीज़ो को कुछ प्रश्न पूछे जाते है और इस जानकारी के आधार पर जो परिणाम सामने आते है उन्हे मरीज़ के नाम, पते सहित दर्ज कर लिया जाता है। इस जानकारी के दर्ज होने के बाद मरीज़ से नियमित रूप से पूछताछ की जाती है जब तक की जाँच की प्रक्रिया समाप्त नही हो जाती। यह एप करीब ७००० लोगों द्वारा विभिन्न जगहों पर सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है। इस एप को अपने एंडराय्ड फोन पर डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे। इस मुहिम के बारे मे अधिक जानकारी हेतु यहाँ क्लिक करे
- स्वयं शिक्षण प्रयोग (SSP)
आरोग्य सखी एक ऐसा मोबाइल एप्लीकेशन है जो ग्रामीण व्यवसायी महिलाओ को प्रतिरोधक स्वास्थ सेवाए उपलब्ध करवाती है। स्वयं शिक्षण प्रयोग (SSP) ग्रामीण महिलाओ तथा संगठनो को कौशल निर्माण, जीविका तथा स्वास्थवर्धक साधन मुहैया करवाकर व्यवसायी और अग्रणी बनने मे सहयोग करता है। ये महिलाओ को सामाजिक स्तर पर प्रतिरोधक स्वास्थ सेवाएँ देने का कारोबार शुरू करवाने मे मदद करता है. और इस प्रकार उन्हे उनकी जीविका के लिए कमाने का अवसर प्रदान करता है। इन महिलाओंं को आरोग्य सखी कहा जाता है। ये स्त्रियाँ SSP मोबाइल एप सिस्टम जो उनके टेक्नॉलॉजी पार्ट्नर सोफोमो द्वारा निर्मित है, की रीढ़ की हड्डी साबित हुई है. क्योंकि ये चिकित्सको और ग्रामीण मरीज़ो के बीच एक पुल का काम करती है। इन सखियो के पास टॅब्लेट्स और मोबाइल मे उपलब्ध स्वास्थ्य उपकरण होते है जैसे कि ग्लूकॉमीटर्स, ब्लड प्रेशर जाँचने की मशीन, वग़ैरा ताकि वे घर घर जाकर महिलाओ की जाँच कर सके, उनका विवरण ले सके और अंत मे उसे अपने टॅबलेट के ज़रिए क्लाउड सर्वर मे दर्ज कर सके. दर्ज़ जानकारी के आधार पर एक डॉक्टर किसी भी जगह से (फिलहाल पुणे से) उपयुक्त समाधान और सुझाव दे सकता है और इन मरीज़ो मे से जिन्हे आगे और इलाज की आव्यशकता होती है उन्हे उनके स्थानीय अस्पताल तथा डॉक्टर के पास भेज दिया जाता है. इस सेवा से विभिन्न क्षेत्रो के करीब १८०० महिलाओ को फ़ायदा पहुचा है. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
स्नेहा (सोसाइटी फॉर न्यूट्रीशन एजुकेशन आंड हेल्त आक्षन) SNEHA
लिट्ल सिस्टर्स एक ऐसा प्रॉजेक्ट है जो घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक बुराई से जूझने के लिए मोबाइल तकनीकी का उपयोग कर रहा है।
मुंबई मे स्थापित यह संस्था गर्भवती महिलाओ की प्रसूति के समय हो रहे मृत्यु दर मे कमी लाने के लिए , नवजात शिशु के मृत्यु दर मे कमी लाने के लिए, कुपोषण तथा घरेलू हिंसा मे कमी लाने के लिए कार्यरत है। सही समय पर बीच बचाव कर के’ स्नेहा’ ऐसी औरतो को बेहद संवेदनशील मौको पर घरेलू हिसा से बचाती है. यह संस्था पुलिस, आरोग्य तथा क़ानूनी संस्थाओ से जुड़कर वक़्त आने पर इन ज़रूरतमंद महिलाओ तथा बच्चो की सहयता करती है।
अपनी पहुँच को और बढ़ाने के लिए स्नेहा ने लिट्ल सिस्टर्स प्रॉजेक्ट की स्थापना की, जो की भीड़-जारित सूचना प्रक्रिया है। इसके कार्यकर्ता स्मार्ट फोन की मदत से घरेलू हिंसा के दोषियो की पहचान करता है तथा उनकी शिकार महिलाओ की मदत भी करते है. इस सन्दर्भ मे एक कर मुक्त फोन नंबर भी जारी किया गया है जिसे उन क्लाइंट्स को दिया जाता है जो स्नेहा तक अपनी सेवाए पहुचाना चाहते है. इस नंबर पर मिस्ड कॉल देकर वे तुरंत मदद ले सकते है. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे . इस पर आधारित TBI पर पूर्वप्रकाशित लेख . (१५० संगिनियाँ इसके लिए कार्यरत है और अब तक ३०० मामले इस तकनीक की मदत से दर्ज़ किए गये है)
- सूरत मुनिसिपल कॉर्पोरेशन
सिटिज़न कनेक्ट एसएमएस मोबाइल एप एक ऐसा एप है जो नागरिको को स्थानीय सरकारी सेवाओ के बारे मे अधिक जानकारी देकर उन्हे सशक्त बनाता है।
एस.एम.सि की स्थापना सरकारी सुविधाओं को आम लोगो तक पहुचने के लिए तथा उन्हे नवीनतम जानकारियो से अवगत कराने के लिए की गयी थी. जिसके तहत ‘सिटिज़न्स कनेक्ट’ नामक एक मोबाइल एप शुरू किया गया जिससे नयी तकनीक द्वारा जानकारियो का आदान प्रदान संभव हो पाता है। यह एप मुफ़्त मे आंड्राय्ड फोन पर डाउनलोड किया जा सकता है। इसके द्वारा चुने गये तथा प्रशासनिक शाखाओ के विषय मे, पंजीकरण की संपूर्ण विधि, रोज़गार की जानकारी, यहाँ तक की बारिश की संभावना के बारे मे भी पता लगाया जा सकता है। उपभोक्ता इसके ज़रिए जन्म तथा मृत्यु प्रमाण पत्र से संबंधित सभी जानकारी और संपत्ति कर का विवरण भी देख सकते है। वे इससे पानी का कर चुका सकते है तथा अपने सुशाव भी दर्ज कर सकते है. २०१३ मे शुरू हुआ यह एप अब तक १८० लाख सेवाएँ तथा ७४०० शिकायते दर्ज़ कर चुका है. अपने आंड्राय्ड फोन पर डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे . और iTunes के लिए यहाँ क्लिक करे . अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
- जयालक्ष्मी अगरोटएक
एक मोबाइल एप जो किसानो को कृषि संबंधी जानकारी देता है। जयलक्ष्मी एग्रोटेक द्वारा शुरू किया गया यह एप ग़रीब तथा अनपढ़ किसानो को दृश्य-शव्य यंत्रो की मदत से फसल के बारे मे जानकारी देता है। यह एप विभिन्न आधुनिक उपाय प्रदान करता है। इस एप को किसानो के आंड्राय्ड स्मार्ट फोन पर एक बार शुरू कर देने के बाद इसे बगैर इंटरनेट के भी इस्तेमाल किया जा सकता है इस एप की सबसे रोचक बात ये है की यह सभी क्षेत्रीय भाषाओ मे जानकारी प्रदान करता है जिससे की भाषा की सारी बाँधाए मिट जाती है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
- चिन्ह इंडिया
‘चिन्ह’, ग़रीबी रेशा के नीचे रह रहे बच्चो और बडो, दोनो को सशक्त बनाने मे कार्यरत है. बच्चो के लिए बनाया गया यह एप एक ऐसा अतभूत एप है जो बच्चो को बच्चो द्वारा बनाए हुए चलचित्रो के ज़रिए शिक्षित करती है। इस एप का मुख्य उद्देश्य बच्चो को विचाराधीन बनाना, उन्हे संप्रेषण की शक्ति से अवगत कराना तथा संवेदनशील बनाना है। इस एप के द्वारा बच्चे स्वयं भी अपनी कहानियाँ तथा फ़िल्मे बना सकते है। और ये सभी चलचित्र बाद मे इस चॅनेल पर उपलब्ध किए जाते है। यह एप अब तक करीब ५ लाख बच्चो तक पहुच चुका है. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
- इंफ़ोकराट्स वेब सोह्लुशन्स प्राइवेट लिमिटेड
सिटिज़न कॉप एक ऐसा एप है जो आम जनता को ,पुलिस की सहायता करने मे तथा उनकी सहायता पाने मे मदद करता है।
मध्यप्रदेश मे केंद्रित यह एप, मोबाइल फोन के ज़रिए पुलिसवालो को क़ानून व्यवस्था बनाए रखने मे सहायता करता है। इस एप का नाम ‘सिटिज़न कॉप’ है। इस एप के माध्यम से हम किसी भी दुर्घटना की सूचना दे सकते है, किसी भी आपातकालीन स्थिति मे तुरंत मदत माँग सकते है, पुलिस द्वारा उठाए हुए गाडियो की जानकारी हासिल कर सकते है और टॅक्सी और ऑटो का किराया भी पता लगा सकते है। आपातकालीन स्थिति के लिए उपभोक्ता कोई भी ४ फोन नंबर इस एप मे दर्ज़ कर सकते है। ज़रूरत पड़ने पर यह एप आपका संदेश इन नंबरो तथा स्थानीय पुलिस थानो तक पहुँचाता है। फिलहाल यह एप मध्यप्रदेश के पाँच शहरो मे सक्रिय है तथा अब तक ४६००० लोगो तक पहुच चुका है। पुलिस विभाग इसे पूरे मध्यप्रदेश मे लागू कराने मे कार्यरत है. अपने आंड्राय्ड फोन पर डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे . और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
- टेक सर्विसेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (स्मार्ट शहर)
‘जंप इन जंप आउट’,एक ऐसा एप है जो आपको किसिके साथ वाहन बाँटने की सहूलियत देकर ट्रॅफिक जाम को कम करने मे मदद करता है।
शहरो मे जिस गति से ट्रॅफिक जाम की समस्या बढ़ रही है, ऐसी हालत मे अपने वाहनो को बाँटना यक़ीनन एक बड़ा हल हो सकता है। इससे सिर्फ़ पैसो की ही बचत नही होगी बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभदायक होगा। ‘टेक सर्विसेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा निर्मित एप, ‘जंप इन जंप आउट’ की मदत से आप अपने बस, टॅक्सी, ऑटो अथवा कार को किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ बाँट सकते है जो उसी जगह जा रहा हो जहा आप जा रहे है। एक उपभोक्ता यदि अपने स्थान की जानकारी इस एप मे डाल दे तो अन्य उपभोक्ता उसे उसी वक़्त देखकर उस व्यक्ति के साथ अपना वाहन बाँट सकते है. इस एप को इस्तेमाल करना सीखे
- दिमागी सॉफ्टवेर इनोवेशन्स प्राइवेट लिमिटेड
कोम्केयर फॉर क्यथोलिक रिलीफ सर्विसेस (सी आर एस) रिमाइंड – रेड्यूसिंग मेटर्नल अंड न्यूबोर्न डेत्स –(माँ तथा नवजात बच्चे के मृत्यु दर को कम करने हेतु) यह प्रोग्राम आशा के घर घर जाने मे मदत करता है। आज देश मे अधिकतर लोगो के पास मोबाइल फोन है और ‘दिमागी’ नाम की संस्था ने इस बात का लाभ उठाते हुए एक एप तैयार किया है। यह एप आशा जैसे संस्थान जो की उत्तर प्रदेश मे माँ तथा नवजात शिशुओ की मृत्युदर को कम करने मे तत्पर है, की मदद करता है। यह एप गर्भवती महिलाओ तथा नवजात शिशुओ की , घर घर जाकर जाँच करने मे ‘आशा’ की सहायता करता है. आशा की कार्यकर्ताओ को इस एप की मदत से जानकारी दर्ज़ करने मे तथा विभिन्न मल्टीमीडिया फाइलो के ज़रिए अपने सूझावो को समझाने मे आसानी होती है. इसके ज़रिए आशा की कार्यकर्ताओ की कार्य क्षमता का भी आंकलन किया जा सकता है. इस एप की सहायता से अब तक १.३९ करोड़ महिलाओ तथा बच्चो को फायदा हुआ है. अधिक जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट पर जाएँ तथा इस पर आधारित TBI पर पूर्वप्रकाशित लेख
11.श्री काँची कामकोटी मेडिकल ट्रस्ट
आइ कनेक्ट, एक ऐसा अनुकूलित मोबाइल अप्लिकेशन है जो छोटे शहरो तथा ग्रामीण क्षेत्रो मे आँखो से जुड़ी समस्याओ का समाधान करने मे सहायक है। यह संस्था १९७७ से ग़रीब जनता को, संकारा आइ केयर इन्स्टिट्यूशन की मदद से स्वस्थ आँखो के लिए सुविधाएँ प्रदान कर रही है। इस संस्था का मूल उद्देश्य ग़रीब लोगो को आँखो की ऐसी बीमारियो से मुक्त कराना है जो की इलाज से ठीक हो सकती है। इस काम को आसान बनाने के लिए उन्होने एक मोबाइल एप, ‘आइ कनेक्ट’ की शुरूवात की, जो इस सारी प्रक्रिया को स्वचलित बनाता है। मोबाइल फोन की मदद से संस्था के कार्यकर्ता, गाँव के उन लोगो को ढूँडने मे सफल होते है जिनकी आँखो मे समस्या है और फिर चुने हुए लोगो को उनकी समस्या के हिसाब से ‘डिसिशन सपोर्ट सिस्टम’ की मदत से उपचार के लिए किसी नज़दीकी शिविर मे भेज दिया जाता है। यह एप नेत्रदान, आँखो के स्वास्थ से जुड़ी सुविधाए और बाकी दृश्य शव्य यंत्रो के बारे मे भी जानकारी देता है जिससे की ये जानकारी बहोत रोचक हो जाती है. इस सुविधा ने अब तक ७०० लोगो की ज़िंदगियाँ बदली है।
(यह लेख हमने द बेटर इंडिया से लिया है और लिंक में सम्पादन इसलिए नहीं किया गया क्योंकि इसे जिस उद्देश्य से लिखा गया है, वह पूरा हो और अधिक से अधिक लोगों तक इसका लाभ पहुँचे।)